🌹अकेले ही चले गए
तुम अपने गांव में,
🌹ले जाते साथ तुम
हमको भी साथ में,
🌹फिल्मों में देखा है
हमने तुम्हारे गांव को ,
🌹झूम रहा था हीरो
हीरोइन के साथ में,
🌹ले जाते अगर तुम
हमको साथ में,
🌹फिर गाते हम भी गाना
मिलकर साथ में ।
🌹 फिर बर्फ जमी पहाड़ियों
को देख, हम ,
🌹खुश हो जाते , तुम्हारे
हाथों को लेकर हाथ में।
🌹डालकर पैरों को,
अपने पानी में उड़ाते
🌹 फिर छींटे हम भी ,
कुछ हवाओं में ।
🌹मुझे भी अगर ले चलते
अपने साथ में ।
🌹यू तो ना भटकते तुम
अकेले खेत में,
🌹मस्ती करते दोनों ही
रह कर साथ में ।
🌹जो साथ होते हम भी
पकाते रोटी धान की,
🌹खिलाते तुमको फिर
अपने हाथ से।
🌹लौट आओ अब भी
तुम मान लो मेरी ,
🌹मुझे भी साथ ले चलो
अपने गांव में।
🌹मुझे भी साथ ले चलो
तुम अपने साथ में ।
🌹अपने साथ में
अपने साथ में........!
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून
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