कौन कहता है कि आसमान में
सुराग़ नहीं हो सकता।
एक पत्थर तो तबीयत से
उछालो यारो।
सामने खुला आसमान हो, तो दिल में प्रसिद्धि की महत्वाकांक्षा अपने आप ही मचल उठती है। खुला आकाश और दिल में उड़ने की चाहत, तो क्या चीज़ ऐसी है जो इंसान हासिल नहीं कर सकता अपनी प्रसिद्ध की महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए प्रयत्न शील होना ही चाहिए।
याद रखिए बिना प्रयत्न किए तो बना बनाया खाना भी मुंह तक नहीं पहुंचता।
हमारी मेंहनत ही हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाती है। मन में कुछ पाने की इच्छा ही ना हो, तो इंसान जीते जी मरे हुए के समान हो जाता है ।
दिल में कोई ना कोई अरमान जगा कर रखें कुछ ना कुछ हासिल करने के लिए प्रयत्नशील रहें। किसी काम को करते हुए दो ही चीज सामने होती हैं या तोआप सफल होंगे या तो असफल।
सफल होंगे तो वाह! वाह! नहीं होंगे तो अपनी ग़लतियों से सीख कर पुनः आगे बढ़ने का रास्ता खोजने में सफल हो जाएंगे ।
पिंजरे में बंद पक्षी भी खुले आकाश को देखकर सदैव उड़ने की ही बात करता है और दिल में यह उम्मीद जगाऐ रखता है कि वे एक दिन जरूर आजा़द हो जाएगा।
और मैं भी खुले आसमान पर नजर दौड़ाते हुए मन में यही सोचती हूं अगर ईश्वर का आशीर्वाद रहा तो एक दिन अवश्य ही मैं प्रसिद्ध की उन बुलंदियों पर पहुंच जाऊंगी जो मैं पाना चाहती हूं ।
धन्यवाद।
कविता की यह पंक्ति हमेशा याद रखें:-
होती सीमाहीन क्षितिज से
इन पंखों की होड़ा होड़ी या
तो क्षितिज मिलन बन जाता ।
या तनती सांसों की डोरी।
(शिव मंगल सिंह सुमन)
स्वरचित रचना
सय्यदा----✒️🌹🌹