वे शुरू से ही अपने पड़ोसी पर पैनी निगाह रखते थे। जब पड़ोसी ने रिश्वत देकर अपने मकान का नक्शा पास करवाया तो उन्हें बहुत बुरा लगा था। पर वह चुप रह गए। कुछ दिन बाद जब पड़ोसी ने डोनेशन देकर अपने बच्चे का दाखिला बढ़िया स्कूल में करवाया, तो वे तिलमिला गए। उनका मेहनती और बुद्धिमान बेटा सरकारी स्कूल पढ़ रहा था।
कहते हैं कि बाद में उनके पड़ोसी ने अफसरों के एक रैकेट को लाखों रुपए देकर अपने बेटे को सरकारी नौकरी दिलाई। इतना ही नहीं, बल्कि भारी दहेज लेकर उसका विवाह भी किया था।
उनका मन कहता था कि ये सब बातें अपने दिल में लेकर उन्हें दुनिया से कूच नहीं करना चाहिए। आख़िर दुनिया को पता तो चले कि उनका पड़ोसी कैसे रास्ते पर चला।
उन्हें एक उपाय सूझा, उन्होंने पड़ोसी की एक जीवनी लिख डाली।
पड़ोसी ने गदगद होते हुए मोहल्ले में उनका सम्मान किया। समारोह में लोग उनकी प्रशंसा के पुल बांध रहे थे। सबका कहना था कि उनकी किताब के कारण सब उनके महान पड़ोसी से प्रेरणा लेंगे।
सम्मान समारोह से लौटते हुए फूल मालाओं से लदे वे सोच रहे थे- थैंक गॉड ! अच्छा हुआ, किसी ने उनकी किताब से कुछ पढ़ा नहीं था, नहीं तो अनर्थ हो जाता।