उनकी उम्र अट्ठासी को पार कर रही थी। दैनिक कार्यों के अलावा बिस्तर पर ही रहते। थोड़ी लिखा -पढ़ी और देखभाल के लिए डॉक्टर बेटे ने उनके लिए एक सहायक रख छोड़ा था जो सुबह शाम अा जाता।
वे खाना खाकर लेटे ही थे कि सहायक लड़के ने कहा- बाउजी !
- क्या है ? वे बोले। आवाज़ में अब भी दमखम था।
- फ़ोन आया था... लड़के ने कहा।
- फ़ोन तो दिनभर बजता ही रहता है, उठा के रख दिया कर चोंगा, माथा भिन्ना जाता है। वे बुदबुदाए।
- जी, वो वर्माजी का था। लड़के ने किसी अपराधी की तरह कहा।
- उसे और काम ही क्या है, दिनभर फ़ोन पर ही टंगा रहता है। उन्होंने उपेक्षा से पैर फैलाए।
- जी वो कह रहे थे कि वो आपका सम्मान करेंगे अपने कार्यक्रम में... लड़के ने जैसे डरते हुए कहा।
- क्या !!! मेरा सम्मान? उनके चेहरे पर से जैसे कोई लहर गुज़र गई। वे उठकर अधलेटे से हो गए।
-जी वो शाम को आयेंगे। लड़का अब कुछ संतुष्ट सा बोला।
- पूछ - पूछ, ये भी बेचारा अच्छे कामों में लगा ही रहता है। वो भूल - भाल जाएगा। तू फ़ोन कर उसे। ऐसा कर, उसे खाने पे बुला ले शाम को! वे चहके।
-जी,कह कर लड़का फ़ोन मिलाने लगा।
-सुन, रबड़ी - जलेबी तू बाज़ार से ले आना, पूड़ी - कचौड़ी ये बना लेगी घर में, कहदे उससे जाकर। वे जैसे किसी तैयारी में व्यस्त हो गए।
-जी, कह दूंगा माताजी से...
- अरे अभी कह दे जाकर, वरना वो चार बजे से ही खिचड़ी बना कर बैठ जाएगी टीवी के सामने। उन्होंने अधीर होकर कहा।
लड़का जाने लगा। पीछे से फ़िर उनकी आवाज़ आई- सुन, उसे शॉल तू दिलवा देना, खादी भंडार से, वरना वो कटले से उठा लाएगा सस्ता सा।
लड़के ने मानो उन्हें घूर कर देखा। वे सकपका गए, बोले- अरे वो कंजूस है न थोड़ा !
लड़का जाने लगा। तभी पीछे से वे फ़िर बोले- सुन, फ़ोटो है मेरी !
-क्यों ? लड़का जाते - जाते रुक गया।
-अरे अख़बार में देनी पड़ेगी न, खबर के साथ...
जी, ढूंढ लूंगा, लड़का लापरवाही से बोला।
- देख ले, अब तेरी ज़िम्मेदारी है उसे घेरने की ! उन्होंने मानो बॉल लड़के के पाले में फेंकते हुए कहा।
- प्रबोध कुमार गोविल, बी 301, मंगलम जाग्रति रेसीडेंसी,447 कृपलानी मार्ग, आदर्श नगर, जयपुर 302004 (राजस्थान)
मो 9414028938