सरकारी बंगले में नेमप्लेट लगनी थी। पति- पत्नी दोनों ही सरकारी अफ़सर थे, इसलिए प्रशासन ने एक ही बड़ी पट्टिका बनवा कर उस पर दोनों का नाम लिखवा दिया।
पति राज्य सेवा के अधिकारी थे और पत्नी जिला कलेक्टर।
प्रशासनिक अधिकारी महोदय पति के अच्छे मित्र भी थे,उन्होंने अपने हाथ से ऊपर पति का नाम और उसके नीचे भाभी, अर्थात पत्नी का नाम लिखकर सामान्य प्रशासन विभाग में भिजवाया था।
पर वहां का केयर टेकर नेमप्लेट को वापस ले आया। बताया गया कि प्रोटोकॉल के हिसाब से यह नहीं हो सकता, कलेक्टर का नाम किसी अन्य अधिकारी के नाम के नीचे नहीं हो सकता।
सुनते ही साहब आगबबूला हो गए। केयर टेकर पर गरजे- " हाऊ डेयर यू टू चेंज माय डिसीजन ! मेरा आदेश निरस्त करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?"
साहब ने तमतमा कर कहा।
- "जी ... जी .. वो मेरे साथ में नैतिक बल था, जिससे मैंने थोड़ा साहस कर लिया, आय एम सॉरी सर!" मातहत केयरटेकर ने सिर झुका कर कहा।
साहब पर मानो घड़ों पानी पड़ गया। वो रिवॉल्विंग चेयर पीछे घुमा कर अपने ब्रीफकेस से नेपकिन निकालने लगे, ताकि पसीना पौंछ सकें।
- प्रबोध कुमार गोविल