आसमान के किसी कौने में बादल के मटमैले से टुकड़े पर बैठे सात लोग आपस में बात कर रहे थे।
- चलो यार, सब बताओ कि जीवन में धरती पर उनके साथ घटने वाला आख़िरी दृश्य क्या था? मतलब वे मरे कैसे! एक ने कहा।
सब मुस्तैद होकर अपनी - अपनी बारी की प्रतीक्षा करने लगे।
- मुझे तो याद पड़ता है कि किसी हस्पताल के ऑपरेशन कक्ष में मैं लेटा था। आसपास तरह- तरह के औजार लिए कुछ लोग खड़े थे। एक लड़की ने मुझे कुछ सुंघा कर बेहोश कर दिया। और बस, मेरी आंख यहीं आकर खुली। पहले ने कहा।
- मैं तो एक सुंदर सी झील में तैरने उतरा था। न जाने कैसे, किनारे की कुछ झाड़ियां मेरे पैरों में उलझ गईं और बस, आगे मुझे कुछ याद नहीं। दूसरा बोला।
- ओह, कैसा दिन था वो, मैं तो रोज़ की तरह टिफिन लेकर फैक्ट्री आया था। थोड़ी ही देर में आग की लपटें उठीं और मेरी आखों के सामने सबकुछ जल कर खाक हो गया, ख़ुद मैं भी। तीसरे ने बताया।
- क्या बताऊं, बीवी से रोज़ झिक झिक होती थी। ज़रा सी पी कर आओ, सौ सुनाती थी। एक दिन मैंने ज़हर खा लिया। फ़िर मुझे कुछ नहीं पता। चौथे ने अपना दर्द बयान किया।
- बता नहीं सकता। सौ की स्पीड पर आ रही थी कार। इधर जाऊं कि उधर,ये सोच पाता, तब तक मुझे कुचलती हुई निकल गई गाड़ी। पांचवें ने भय से कांपते हुए कहा।
- मैं तो रोज़ की तरह खेत में गया था, मुझे क्या खबर कि घास में सांप छिपा बैठा है। बस मुझे तो उसका फुफकारना याद है, फ़िर क्या हुआ, पता नहीं। छठे ने पीड़ा बताई।
अब सब सातवें की ओर देखने लगे। वो चुप था, और हैरानी से सबको देखे जा रहा था।
सब बोल पड़े- बोलो बोलो भाई, तुम भी बताओ कैसे मरे?
सातवां हड़बड़ा कर बोला- मरा कौन है बे? मैं तो धरती से अंतरिक्ष यान में आया हूं। चक्कर काट कर वापस लौटना है!!!
सभी दांतों में अंगुली दबा कर उसे देखने लगे।