जंगल में चोरी छिपे लकड़ी काटने गया एक आदमी रास्ता भटक गया। काफ़ी कोशिशें कीं, किन्तु उसे राह नहीं मिली। मजबूरन उसे कुछ दिन जंगल में ही काटने पड़े।
खाने को जंगली फल मिल जाते थे, पीने को झरनों का पानी, काम कोई था नहीं, अतः वह दिन भर इधर उधर भटकता।
एक दिन एक पेड़ के तने से पीठ टिकाए बैठा वह आराम से सामने टीले पर उछल कूद करते चूहों को देख रहा था कि अचानक उसे कुछ सूझा।वह कुछ दूरी पर घास खा रहे खरगोशों के पास पहुंचा और उनसे बोला - तुम्हें पता है वो सामने वाला टीला वर्षों पूर्व तुम्हारे पूर्वजों का था। एक रात चूहों ने उस पर हमला करके धोखे से तुम्हारे पूर्वजों को भगा दिया और उस पर कब्ज़ा कर लिया।
खरगोश सोच में पड़ गए।एक खरगोश ने कहा- क्या फ़र्क पड़ता है,अब हम यहां आ गए।
आदमी बोला- ऐसे ही चलता रहा तो वे तुम्हें यहां से भी खदेड़ देंगे।और तब तुम्हारे पास दर दर भटकने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा।
- तो हम क्या करें? एक भयभीत खरगोश ने कहा।
- करना क्या है,तुम उनसे ज़्यादा ताकतवर हो, उन्हें वहां से भगा दो और अपनी जगह वापस लो। आदमी ने सलाह दी।
खरगोशों ने उसी रात हमले की योजना बना डाली।
उधर शाम ढले आदमी चूहों के पास गया और बोला- मैंने आज खरगोशों की बातें छिप कर सुनी हैं,वे तुम्हें यहां से मार भगाने की योजना बना रहे हैं।
- मगर क्यों? हमने उनका क्या बिगाड़ा है? एक चूहा बोला।
- मैं क्या जानूं,मगर मैंने तुम्हें सचेत कर दिया है।तुम पहले ही उन पर हमला कर दो,चाहो तो मेरे ठिकाने से थोड़ी आग लेलो, मैं तो खाना पका ही चुका हूं।उनकी बस्ती में घास ही घास है, ज़रा सी आग से लपटें उठने लगेंगी।कह कर आदमी नदी किनारे टहलने चला गया।
रात को चूहों और खरगोशों के चीखने चिल्लाने के बीच जंगल में भयानक आग लगी,जिसकी लपटें दूर दूर तक दिखाई दीं।
संयोग से आग के उजाले में आदमी को अपना रास्ता दिखाई दे गया।वह अपने गांव लौट गया।मगर वहां जाकर उसने देखा कि उसके घरवालों ने उसके गुम हो जाने की रपट लिखा दी थी।अब उसके दिखाई देते ही सैकड़ों कैमरे उसके पीछे लग गए और उसकी तस्वीरें धड़ाधड़ अखबारों में छपने लगीं।वह देखते देखते लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया।
तभी देश में आम चुनाव की घोषणा हो गई और अनुभवी आला कमान ने तय किया कि लोकप्रिय चेहरों को मैदान में उतारा जाएगा।