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हमला

4 अगस्त 2022

13 बार देखा गया 13

जंगल में चोरी छिपे लकड़ी काटने गया एक आदमी रास्ता भटक गया। काफ़ी कोशिशें कीं, किन्तु उसे राह नहीं मिली। मजबूरन उसे कुछ दिन जंगल में ही काटने पड़े।
खाने को जंगली फल मिल जाते थे, पीने को झरनों का पानी, काम कोई था नहीं, अतः वह दिन भर इधर उधर भटकता।
एक दिन एक पेड़ के तने से पीठ टिकाए बैठा वह आराम से सामने टीले पर उछल कूद करते चूहों को देख रहा था कि अचानक उसे कुछ सूझा।वह कुछ दूरी पर घास खा रहे खरगोशों के पास पहुंचा और उनसे बोला - तुम्हें पता है वो सामने वाला टीला वर्षों पूर्व तुम्हारे पूर्वजों का था। एक रात चूहों ने उस पर हमला करके धोखे से तुम्हारे पूर्वजों को भगा दिया और उस पर कब्ज़ा कर लिया।
खरगोश सोच में पड़ गए।एक खरगोश ने कहा- क्या फ़र्क पड़ता है,अब हम यहां आ गए।
आदमी बोला- ऐसे ही चलता रहा तो वे तुम्हें यहां से भी खदेड़ देंगे।और तब तुम्हारे पास दर दर भटकने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा।
- तो हम क्या करें? एक भयभीत खरगोश ने कहा।
- करना क्या है,तुम उनसे ज़्यादा ताकतवर हो, उन्हें वहां से भगा दो और अपनी जगह वापस लो। आदमी ने सलाह दी।
खरगोशों ने उसी रात हमले की योजना बना डाली।
उधर शाम ढले आदमी चूहों के पास गया और बोला- मैंने आज खरगोशों की बातें छिप कर सुनी हैं,वे तुम्हें यहां से मार भगाने की योजना बना रहे हैं।
- मगर क्यों? हमने उनका क्या बिगाड़ा है? एक चूहा बोला।
- मैं क्या जानूं,मगर मैंने तुम्हें सचेत कर दिया है।तुम पहले ही उन पर हमला कर दो,चाहो तो मेरे ठिकाने से थोड़ी आग लेलो, मैं तो खाना पका ही चुका हूं।उनकी बस्ती में घास ही घास है, ज़रा सी आग से लपटें उठने लगेंगी।कह कर आदमी नदी किनारे टहलने चला गया।
रात को चूहों और खरगोशों के चीखने चिल्लाने के बीच जंगल में भयानक आग लगी,जिसकी लपटें दूर दूर तक दिखाई दीं।
संयोग से आग के उजाले में आदमी को अपना रास्ता दिखाई दे गया।वह अपने गांव लौट गया।मगर वहां जाकर उसने देखा कि उसके घरवालों ने उसके गुम हो जाने की रपट लिखा दी थी।अब उसके दिखाई देते ही सैकड़ों कैमरे उसके पीछे लग गए और उसकी तस्वीरें धड़ाधड़ अखबारों में छपने लगीं।वह देखते देखते लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया।
तभी देश में आम चुनाव की घोषणा हो गई और अनुभवी आला कमान ने तय किया कि लोकप्रिय चेहरों को मैदान में उतारा जाएगा।


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रचनाएँ
प्रबोध कुमार गोविल की लघुकथाएं
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इस पुस्तक में प्रबोध कुमार गोविल की चुनिंदा लघुकथाएं शामिल की गई हैं। सभी लघुकथाओं में जीवन के लिए बेहतरी की कल्पना के साथ सहज स्वाभाविक मानवीय मूल्यों का समावेश है।
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अंगारे और सितारे

4 अगस्त 2022
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जब दुनिया अच्छी तरह बन गई तो सब काम सलीके से शुरू हो गए।घर घर रोटी बनने लगी। जहां घर नहीं थे, वहां भी रोटी बनती। पेड़ के नीचे, सड़क के किनारे,दो ईंट पत्थर जोड़ कर उनके बीच अंगारे दहकाये जाते,और रोटी ब

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पड़ोसी

4 अगस्त 2022
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वे शुरू से ही अपने पड़ोसी पर पैनी निगाह रखते थे। जब पड़ोसी ने रिश्वत देकर अपने मकान का नक्शा पास करवाया तो उन्हें बहुत बुरा लगा था। पर वह चुप रह गए। कुछ दिन बाद जब पड़ोसी ने डोनेशन देकर अपने बच्चे का

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भोजन

4 अगस्त 2022
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एक बालक ने गुरु से विद्यालय में प्रश्न किया-"गुरुदेव, भोजन किसे कहते हैं?" गुरु ने कहा-"शरीर पल-पल चुकता घटता रहता है, इसे फिर से जीवंत बनाये रखने के लिए जो भी पदार्थ नियमित रूप से ग्रहण किये जाते हैं

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दो रुपए का बाट

4 अगस्त 2022
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घर पास ही था,मधु प्रणव से बोली- चल रिक्शा कर लेते हैं,खड़ा भी है सामने! - इतनी सी दूर के पंद्रह रुपए? मधु ने उलाहने के स्वर में कहा। - बारह देंगे...कहते कहते उसके जवाब का इंतजार किए बगैर अब दोनों रिक्

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लोग पत्थर फेंकते हैं

4 अगस्त 2022
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एक नन्हे से पिल्ले ने,जिसने अभी कुछ महीने पहले ही दुनिया देखी थी,अपनी माँ से जाकर कहा-"लोग पत्थर फेंकते हैं". कुतिया क्रोध से तमतमा गई. बोली- उन्हें मेरे सामने आने दे, तेज़ दांतों से काट क

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कुत्ता तोता और मछली

4 अगस्त 2022
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उमस भरी दोपहर थी। तालाब के किनारे आम के पेड़ पर एक तोता बैठा कच्चे आम को कुतर रहा था। आम का एक छोटा सा टुकड़ा उसकी चोंच से नीचे गिरा। पेड़ के नीचे उनींदे से बैठे कुत्ते ने उस टुकङे को लपक लिया। कु

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ढोल

4 अगस्त 2022
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कहते हैं दूर के ढोल सुहावने होते हैं. लेकिन कभी-कभी पास के ढोल भी सुहावने लगते हैं. वैसे "सुहावने" की कोई स्पष्ट परिभाषा भी नहीं है. किसी को कर्कश लगने वाले ढोल किसी दूसरे को सुहाने भी लग सकते ह

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प्रियावरण

4 अगस्त 2022
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वे दिल की अतल गहराइयों से एक दूसरे को चाहते थे। वे रोज़ मिलते। मिलने की जगह भी तय थी। गाँव के समीप बहती नदी के तट पर बने मंदिर के बुर्ज़ पर। अँधेरी, तंग, काई लगी पुरानी &

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गर्व क्यों?

4 अगस्त 2022
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मैं शाम के समय एक बगीचे में टहल रहा था। तभी मुझे एक छोटा प्यारा सा बच्चा दिखा। मैंने बच्चे से कुछ बात करने की गर्ज़ से उसकी ओर हाथ हिला दिया। मैंने सोचा था कि वो हंसकर जवाब देगा, पर इसके विपरीत उसने त

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साहब का अफ़सोस

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बात उन दिनों की है जब हमारे देश में अंग्रेज़ों का आगमन हो चुका था। शहरों पर तो उनका आधिपत्य हो ही चुका था, गांव भी उनकी चकाचौंध से अछूते नहीं रहे थे। वे लोग साम दाम दण्ड भेद अपना वर्चस्व विभिन्न समुदा

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वास्तविकता

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दो बच्चे एक पेड़ के नीचे पड़े मिट्टी के ढेर में खेल रहे थे। कभी वे कोई घर जैसी इमारत बना लेते तो कभी उसे तोड़कर मिट्टी की गाड़ी बना लेते। जल्दी ही दोनों ऊब गए। पर शाम का धुंधलका अभी हुआ नहीं था,इसलिए

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निष्कर्ष

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एक बड़े नेता ने अपने राज्य में शराब बंदी करवाने से पूर्व लोगों की राय जानने की इच्छा जाहिर की, कि आखिर लोग शराब क्यों पीते हैं। उन्होंने कुछ शोधकर्ताओं को इस काम के लिए भेजा । वो एक मयखाने में ज

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उपाय

4 अगस्त 2022
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वे महकमे में ऊंचे पद पर थे। देखते-देखते उन पर के आरोप लगने लगे। एक दिन प्रेस कांफ्रेंस में मीडिया द्वारा घेर लिए गए-"आपके ख़िलाफ़ शिकायतें बढ़ती क्यों जा रही हैं?" उन्होंने बचपन में किसी कारण कभ

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ज़िद

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पेड़ की डाल पर बैठे एक कबूतर ने देखा कि सामने वाले मकान में एक खूबसूरत खिड़की है जिस पर कोई पर्दा भी नहीं है,और सफ़ाई होने के कारण आसपास कोई कीट पतंगा भी मंडरा नहीं रहा। उसकी आंखों में उमंग की तरंगें

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मानहानि

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खरगोश सुबह - सुबह तालाब के किनारे टहलने जा रहा था। रास्ते में एक खेत से गाजर तोड़ कर वह उसे पानी से धो ही रहा था कि इठलाती हुई एक बतख वहां अा गई। दोनों में दोस्ती हो गई। बतख बोली - लाओ, तुम्हारी गाजर

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घेराव

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उनकी उम्र अट्ठासी को पार कर रही थी। दैनिक कार्यों के अलावा बिस्तर पर ही रहते। थोड़ी लिखा -पढ़ी और देखभाल के लिए डॉक्टर बेटे ने उनके लिए एक सहायक रख छोड़ा था जो सुबह शाम अा जाता। वे खाना खाकर लेटे ही थ

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गरीब

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कुछ समय पूर्व एक गाँव में बाढ़ आई। एक किसान के बाड़े में दो भैसें बंधी हुई थीं। बाढ़ की अफरा-तफरी में गाँव खाली होने लगा। भैसों की किसे परवाह होनी थी, सब अपनी जान बचा कर भाग रहे थे। थ

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पैरों पर खड़े श्रमिक

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एक बार सुदूर गांव के एक दुरूह से खेत पर एक वृद्ध औरत काम कर रही थी। वह सुबह जब खेत पर आई थी तो उसने भिनसारे ही अपने चौदह साल के लड़के को यह कह कर घर से प्रस्थान किया कि वह जल्दी जा रही है क्योंकि खेत

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समझ

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सुबह का समय था।दो मुर्गे घूमने जा रहे थे।दोनों अच्छे मित्र थे।अक्सर ही चहल कदमी के लिए साथ साथ निकल लिया करते थे। चलते चलते अचानक न जाने क्या हुआ कि एक मुर्गे ने अपना पर फैला कर अपने कान पर रख लिया। ऐ

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हमला

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जंगल में चोरी छिपे लकड़ी काटने गया एक आदमी रास्ता भटक गया। काफ़ी कोशिशें कीं, किन्तु उसे राह नहीं मिली। मजबूरन उसे कुछ दिन जंगल में ही काटने पड़े। खाने को जंगली फल मिल जाते थे, पीने को झरनों का पानी,

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लाभ

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एक शहर था। शहर में दो तालाब थे, एक बीचों बीच स्थित था और दूसरा नगर के एक बाहरी किनारे पर। दोनों ही वर्षा पर अवलंबित थे। कभी लबालब भर जाते, कभी रीते रह जाते। एक दिन शहर के शासक के पास एक व्यक्ति मिलने

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युग संधि

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लोग उन्हें नेताजी तुलसीदास कहते थे। वे भी हमेशा प्राचीन और नूतन युग को एक साथ जीवंत करने की बात सोचा करते थे। उन्होंने रामायण पढ़ी तो नहीं थी किन्तु वे उससे बहुत प्रभावित थे और उस के पात्रों से उन्हें

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सफ़ल लोगों का शहर

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एक शहर था। उसे सब लोग सफल लोगों का शहर कहते थे। वैसे नाम तो उसका कुछ और था, किन्तु वह अपने नाम से ज़्यादा अपनी फितरत से पहचाना जाता था। उसे सफल लोगों का शहर कहने के पीछे कोई बहुत गूढ़

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एक सवाल

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चार बुज़ुर्ग लोग एक बगीचे में टहलते बातें करते,एक दूसरे की कहते सुनते चले जा रहे थे। उनका ध्यान बंटा तब,जब एक किशोर वय के बच्चे ने उन्हें नमस्कार किया। चारों ने ही जवाब तो दे दिया पर वे उसे पहचाने नही

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अहंकार

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ये बहुत पुरानी बात है। तब धरती पर कोई भी न था। एक बड़ी सी परात में ईश्वर ढेर सारी मिट्टी लेकर बैठा था। उसके दिमाग में ये उधेड़ - बुन चल रही थी कि धरती पर भेजने के लिए कैसे प्राणी बनाए। उसके पास कई डिज

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तौबा ये मुहावरे

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चींटी मुंह लटका कर उदास बैठी थी। सहेली मिलने आई तो हैरान रह गई, बोली- क्या हुआ?चींटी ने बताया कि वह सुबह- सुबह एक कुश्ती के अखाड़े में चली गई। एक मोटा पहलवान अपने प्रतिद्वंदी से कह रहा था- अा, चींटी क

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लोरी

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पांच वर्षीय पोते को उसकी दादी कभी- कभी लोरी गाकर सुलाया करती थीं। एक दिन दादी मां अपने पोते के साथ लेटकर उसे गाकर सुला रही थीं। सब डायनिंग टेबल पर इस इंतजार में बैठे हुए थे कि दादी मां उसे सुला

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सत्ता और लोक

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एक बूढ़ा सड़क के किनारे बैठा ज़ोर ज़ोर से रो रहा था। आते जाते लोग कौतूहल से उधर देखते थे। कुछ लोग इतने उम्रदराज इंसान को इस तरह रोते देख पिघल भी जाते थे,और रुक कर पूछते - बाबा क्या हुआ? लोगों की संवेद

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नैतिक बल

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सरकारी बंगले में नेमप्लेट लगनी थी। पति- पत्नी दोनों ही सरकारी अफ़सर थे, इसलिए प्रशासन ने एक ही बड़ी पट्टिका बनवा कर उस पर दोनों का नाम लिखवा दिया। पति राज्य सेवा के अधिकारी थे और पत्नी जिला कलेक्टर। प

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स्पष्टीकरण

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उनकी उम्र नब्बे साल है. खुदा का शुक्र है कि अभी भी अपने सब काम वे अपने हाथों से करते हैं. कुछ दिन पहले वे आधी रात में बिस्तर से उठ कर शौचालय जा रहे थे, जो कुछ ही दूरी पर था. अचानक उन्हें ऐसा लगा जैसे

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तैयारी

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- तुम क्या बनना चाहते हो? प्रोफ़ेसर ने पूछा।- मेरा सपना एक लेखक बनने का है। छात्र ने कहा।- क्यों?- क्योंकि मैंने सुना है कि साहित्य के पास जीवन की हर समस्या का निदान होता है, वो एक बेहतर ज़िन्दगी का स

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रोग

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ये एक अजीब बात थी। आर्यन को हर समय ऐसा लगता था जैसे कोई न कोई उसे छूता रहे। वह सड़क पर चलता तो रास्ते से जाने वाले हर शख़्स को देख कर यही सोचता कि ये इतने फासले से क्यों गुज़र रहा है? उससे सट कर क्यों

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जीता कौन

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आसमान के किसी कौने में बादल के मटमैले से टुकड़े पर बैठे सात लोग आपस में बात कर रहे थे। - चलो यार, सब बताओ कि जीवन में धरती पर उनके साथ घटने वाला आख़िरी दृश्य क्या था? मतलब वे मरे कैसे! एक ने कहा। सब म

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टक्कर

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आम तौर पर वह पृथ्वी की हलचल देख कर प्रफ़ुल्लित हुआ करती थी, लेकिन एक दिन कुदरत मनुष्य और दूसरे जीवों के उत्पात से आज़िज़ आ गई। तंग होकर एक दिन उसने मन ही मन एक बेहद कठोर फैसला ले डाला। &

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विद्या

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अबकी बार बूढ़ा धोबी जब उनके कपड़े प्रेस करके लाया, तो उसके साथ एक किशोर लड़का भी था। बूढ़ा बोला-"अबसे आपके पास ये आया करेगा, ये आपके कपड़े भी ले आएगा, और आप इसे थोड़ी देर पढ़ा देंगे तो आपका अहसान होगा, आपकी

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गुण अवगुण

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कुदरत आमतौर पर धरती की हलचल देख कर प्रफुल्लित हुआ करती थी, लेकिन एक दिन वो प्राणियों के उत्पात से तंग आकर कुपित हो गई। उसने जीवों को सज़ा देने की ठानी। उसने सोचा कि वो धरती के हर प्राणी से उसका कोई भी

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चूक

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पूरी धरती पर तहलका सा मचा हुआ था। एक विषाणु और इंसानों के बीच जंग छिड़ी हुई थी। एक ओर एक विषाणु के रूप में ख़तरनाक रक्तबीज था और दूसरी ओर मनुष्य जाति। विषाणु चप्पे- चप्पे पर फ़ैल कर हर इंसान को रोगी

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याद

4 अगस्त 2022
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मैं साठ साल पार का हूं तो ये कौन सी तीस की है। इसकी उम्र भी अब साठ को छू ही रही है। शायद खबरें पढ़ती न होगी! टीवी में भी तो सीरियलों में ही लगी रहती है। पर मेरी भी तो कुछ ज़िम्मेदारी है कि अगर ये बेचा

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लॉकडाउन में खुले कपाट

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सभी पूजाघरों पर ताला लगा था। किन्तु घर के एक कौने में तो ईश्वर था। उसी से कहा- आपके आशीर्वाद से मैंने इस संकट के समय में चंद करोड़ रुपए का दान किया है। मैं हज़ारों निर्धन लोगों के लिए भोजन भिजवाने की

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कर्फ्यू में महानता

4 अगस्त 2022
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पति- पत्नी के बीच काम बंटा हुआ था। खाना बनाना और कपड़े धोना, ये काम पत्नी करेगी तथा बर्तन साफ़ करने और कपड़े सुखाने का काम पति। दोपहर बाद पति की झल्लाहट भरी आवाज़ आई - ओहो,तुम कैसे खाना परोसती हो, एक

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जाने कहां की चमक

4 अगस्त 2022
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- एक बार कह दिया न नहीं, तो बस नहीं! नहीं जाएगा तू कहीं पढ़ने। चल ये दमघोटू टीशर्ट और जींस उतार और बैलों को लेकर चल खेत में। मैं रोटी खाकर आ रहा हूं। दसवीं में पढ़ने वाला बेटा अंबालाल रूआंसा होकर मुंह

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नया दौर

4 अगस्त 2022
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द्रोणाचार्य राउंड पर थे। उन्होंने देखा कि उनके कार्यालय से फ़ोन कर- कर के विद्यार्थियों को गुरुकुल में अध्ययन के लिए बुलाया जा रहा है। उन्होंने निजी सहायक से पूछा - ये सब किसलिए? उत्तर मिला - सर, विद्

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दो तितलियां और चुप रहने वाला लड़का

4 अगस्त 2022
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दो तितलियां उड़ते- उड़ते एक खेत मे पहुँच गईं।वहाँ हल चला रहे एक लड़के से उन्होंने कहा,"यहाँ क्या उगाओगे?" "अपने लिये चावल।"लड़का बोला। तितलियां उपेक्षा से बोलीं,"सेल्फिश!" कुछ दिन बाद तितलियों को लड़के की

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जीत

4 अगस्त 2022
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उस सुरम्य पहाड़ी नदी के एक किनारे पर देवदार के पेड़ों का घना जंगल था और दूसरे किनारे पर चीड़ के वृक्षों का। दोनों जंगलों में आमने - सामने बराबर की ठनी रहती। दोनों ओर के पेड़ अपने - अपने आधे गांव के लि

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कर्म और भाग्य

4 अगस्त 2022
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एक जगह किसी विशाल दावत की तैयारियाँ चल रही थीं। शाम को हज़ारों मेहमान भोजन के लिए आने वाले थे। इसलिए दोपहर से ही विविध व्यंजन बन रहे थे। पेड़ पर बैठे कौवे को और क्या चाहिए । उड़कर एक

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खाना

4 अगस्त 2022
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एक पार्क में कुछ लोगों का जमावड़ा देख कर वहां से गुज़र रहे एक विद्वान पंडित ने अपने साथ चल रहे स्थानीय मित्र से पूछा - यहां क्या हो रहा है? मित्र ने कहा- पार्क है, लोग खाना खा रहे हैं। पंडित जी उत्सुक

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ईश्वर कुछ न कर सका

4 अगस्त 2022
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बात तब की है जब ईश्वर स्वर्ग में बैठा हुआ दुनिया बना रहा था। दुनिया बन जाने के बाद जब उसे रंगने की बारी आई, अचानक ईश्वर ने कुछ कोलाहल सुना। ये आवाज़ रंगों के डिब्बे से आ रही थी। सब रंग दुनिया में जान

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बीज की पोटली

4 अगस्त 2022
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बरसात का मौसम शुरू होने में कुछ ही दिन बाक़ी थे। खेतों में जोश - खरोश से हल चल रहे थे। संसार गंज गांव के बूढ़े किसान रतन ने सुबह तड़के ही बुवाई कर देने का मन बनाया और एक पोटली में गेहूं के बीज रात को

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राजा की खुशी

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राजमहल के बगीचे में सुबह - सुबह जब राजकन्या सैर को निकली तो ये देख कर उसकी चीख निकल गई कि उसकी प्रिय लाल पंखों वाली सुनहरी चिड़िया घास में मूर्छित पड़ी है। उसने दौड़ कर उसे उठा लिया। चिड़िया को किसी श

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डर

4 अगस्त 2022
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एक जंगल में बकरियां चराते हुए एक लड़की और एक लड़का आपस में मिल गए। पहले दिन उनमें जो सन्देह, झड़प और असहयोग पनपे, उनकी तीव्रता धीरे धीरे जाती रही। दोनों ही किशोर वय के थे और पास के अलग अलग गांवों से आ

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झाड़ू और सफ़ाई

4 अगस्त 2022
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एक बार गिलहरी, चूहे, खरगोश, छिपकली, मेंढ़क आदि कुछ मित्रों ने मिलकर जंगल में एक कमरा किराए से ले लिया। मिला भी सस्ता, क्योंकि लोमड़ी के पास तो कई थे। जंगल में हवा भी चलती थी, तूफ़ान भी आते थे, बारिश भ

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मेहनत और सम्मान

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ये बहुत पुरानी बात है। तब धरती पर कोई भी न था। एक बड़ी सी परात में ईश्वर ढेर सारी मिट्टी लेकर बैठा था। उसके दिमाग़ में ये उधेड़ बुन चल रही थी कि धरती पर भेजने के लिए कैसे प्राणी बनाए। उसके पास कई डिज़

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अंतर

4 अगस्त 2022
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उनकी उम्र नब्बे साल है। खुदा का शुक्र है कि अभी भी अपने सब काम वो अपने हाथों से करते हैं। कुछ दिन पहले वो आधी रात में बिस्तर से उठ कर शौचालय जा रहे थे जो कुछ ही दूरी पर था। अचानक उन्हें ऐसा लगा जैसे भ

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फेसबुक

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कुछ बच्चे मैदान में क्रिकेट खेल रहे थे। एक सज्जन वहां पहुंचे और ज़रा संकोच के साथ खलल डाला। बोले - बेटा, केवल आज आज एक दिन के लिए तुम अपना खेल बंद कर सकते हो? - क्यों? ये पूछा तो दो तीन लड़कों ने ही,

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बोर्नविटा ब्वॉयज

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समय के साथ दुनिया एडवांस हो रही थी। ईश्वर ने भी तय किया कि किसी भी बच्चे को धरती पर जन्म देने से पहले ये बता दिया जाए कि वो कहां, किस घर में जन्म ले रहा है। एक छोटे से पर्दे पर उसे उस घर की पूर्व झलक

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साधन

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दुनिया के किसी कौने में एक अमीर आदमी रहता था। बेहद अमीर। उसके पास कितनी दौलत थी, ये तो उसके बैंक खाते से ही पता चल पायेगा, किंतु उसकी दौलत इतनी ज़रूर थी कि उसे दुनिया का एक बेहद अमीर आदमी कहा जा सके।

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मुद्दे की बात

4 अगस्त 2022
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जैसे ही सुबह हुई बाग की हरी दूब पर से ओस की बूंदें वापस आसमान की ओर लौटने लगीं। सूरज की किरणें उन्हें तपाने जो लगी थीं। एक क्यारी में फूल खिल गए। एक फूल ने दूसरे की ओर देखा और बोला - आज तेरे चेहरे पर

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नई उमर की नई फसल की दास्तान

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एक पेड़ चुपचाप उदास खड़ा था। कहीं से उड़कर एक तोता आया और उसकी डाल पर बैठ कर उससे बातें करने लगा। तोता बोला - क्या बात है, तुम आज बहुत गुमसुम दिखाई देते हो? सब खैरियत तो है? पेड़ बोला - क्या बताऊं, आज

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बेमेल जोड़ी

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मैदान में एक भैंस घास चर रही थी। उसके पीछे पीछे एक सफ़ेद झक़ बगुला अपने लंबे पैरों से लगभग दौड़ता सा चला आ रहा था।नज़दीक ही एक पेड़ पर बैठे तोते ने वहां बैठे एक कबूतर से कहा - "प्रेम - प्रीत अंधे होते

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