चार बुज़ुर्ग लोग एक बगीचे में टहलते बातें करते,एक दूसरे की कहते सुनते चले जा रहे थे। उनका ध्यान बंटा तब,जब एक किशोर वय के बच्चे ने उन्हें नमस्कार किया।
चारों ने ही जवाब तो दे दिया पर वे उसे पहचाने नहीं थे। सभी ने ये सोचकर उसके अभिवादन का प्रत्युत्तर दे दिया, कि वह उनमें से किसी का परिचित होगा।
लड़का रुका और बोला - मैं आपसे एक सवाल पूछना चाहता हूं।पर मेरा आग्रह है कि आप सब मुझे एक एक मिनट का समय अलग अलग दें, ताकि मैं आपके मौलिक जवाब अलग अलग ही जान सकूं।
वे सहर्ष तैयार हो गए।
लड़के ने उन्हें बारी बारी से एक ओर ले जा कर सवाल किया, आप इस दुनिया में क्यों अाए हैं?
सभी उम्र दराज थे,पर ऐसा किसी ने भी कभी सोचा न था। साथ ही, बच्चे को कोई सारगर्भित जवाब देने की इच्छा भी थी।
पहले ने कहा - मुझे ईश्वर ने भेजा है।
दूसरा बोला - माता पिता की इच्छा के कारण मेरा जन्म हुआ।
तीसरे का उत्तर था - अपने देश की सेवा करने को मैंने जन्म लिया।
चौथा कहने लगा- मेरे भाग्य में जीवन सुख था।
बच्चे ने सभी को धन्यवाद दिया और जाने लगा।
लेकिन उन चारों ने ही महसूस किया कि बच्चा उनकी बात से ख़ुश नहीं है,क्योंकि वह कुछ परेशान सा दिख रहा था।
वे बोले- बेटा,तुम ये तो बताओ, कि ये गूढ़ प्रश्न तुमने क्यों किया,और अब तुम इतने दुःखी से क्यों हो?
बच्चा बोला- मुझे तो अपने होमवर्क में इस प्रश्न का उत्तर लिखना था,पर पार्क बंद होने का समय हो गया, अब चौकीदार ताला लगा कर चला गया होगा।आप सबको ऊंची दीवार कूद कर वापस जाना होगा।
वे चारों हड़बड़ा कर दरवाज़े की ओर दौड़े। पीछे से बच्चे की आवाज़ आई- अंकल, संभल कर जाना, बाहर मेरा कुत्ता शेरू होगा।