एक बड़े नेता ने अपने राज्य में शराब बंदी करवाने से पूर्व लोगों की राय जानने की इच्छा जाहिर की, कि आखिर लोग शराब क्यों पीते हैं।
उन्होंने कुछ शोधकर्ताओं को इस काम के लिए भेजा । वो एक मयखाने में जाकर वहां बैठे लोगों से ये सवाल पूछने लगे कि आप शराब क्यों पीते हैं?
सवाल एक था,पर जवाब अलग अलग मिले-
एक ने कहा,शराब पीकर मैं वही हो जाता हूं जो मैं वास्तव में हूं।
दूसरा बोला- शराब पीकर मुझे लगता है कि मैं बदल गया।
तीसरे ने बताया- शराब मुझे उसकी याद दिलाती है,जो मैंने खो दिया।
चौथे का उत्तर था,शराब उसे भुला देती है जो अब मेरा नहीं है।
पांचवे ने कहा- शराब मेरा नशा उतार देती है।
छठा कहने लगा- शराब से मेरी थकान उतर जाती है।
सातवें ने उत्तर दिया कि शराब पीकर मुझे लगता है,जैसे गालिब, मीर, खैयाम, बच्चन सब मेरी ही बात कर रहे हैं।
जब शोधकर्ताओं ने जाकर नेताजी को सब बताया तो उन्होंने अपने दफ़्तर पहुंच कर दो कागज़ों पर हस्ताक्षर किए - एक राज्य में शराब बंदी लागू करने का आदेश था, दूसरे में उन नए आवेदकों के नाम थे जिन्हें शराब के ठेके दिए गए थे।