पांच वर्षीय पोते को उसकी दादी कभी- कभी लोरी गाकर सुलाया करती थीं।
एक दिन दादी मां अपने पोते के साथ लेटकर उसे गाकर सुला रही थीं। सब डायनिंग टेबल पर इस इंतजार में बैठे हुए थे कि दादी मां उसे सुला कर आ जाएं तो सब साथ में खाना खाएं।
मां गा रही थीं - कान्हा बरसाने में आ जैयो, बुला गई राधा प्यारी... बेटा उनींदा सा नींद में जाने ही वाला था।
मां ने गाया - जो कान्हा मेरो गैल (रास्ता) न जाने, तो गलियन - गलियन आ जैयो, बुला गई राधा प्यारी...
दादी मां ने सोचा कि बेटा सो गया, और वो अपनी आवाज़ मंद करती हुई उठने की चेष्टा करने लगीं।
तभी पोता उठ कर बैठ गया और बोला - अरे, जब वो रास्ता जानता ही नहीं तो गली- गली से कैसे आयेगा?
दादी मां की हालत देख कर सब हंस पड़े और हंसी की आवाज़ सुन नन्हा पोता भी तपाक से कूद कर डायनिंग टेबल पर आ बैठा।