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भाग 6

23 अगस्त 2022

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कोई आधे घण्टे तक मैं स्थिर पड़ा रहा | तबतक ऊषा सोई नहीं थी । मरे ही भाग्यके दोषसे जिसका गये इतना बढ़ गया था भला वह अब क्‍यों सोती | उसके अलंकारोंके बजनेकी ध्वनि मुझे सुनाई दे रही थी। अंतमें मुझको माछूम पडा कक मेरे कंघेमे किसीका हाथ छुआ । में सोते हुए होनेका बहाना करके चुप पडा रहा | जान पड़ता है कि ऊषाका हाथ धोखेसे मेरे छग गया था | उसने डरकर हाथको खींच लिया |

 इस कोठेकी निस्तब्धता धीरे धीरे मेरी पीड़ाका कारण बनती जाती थी । एम, ए. उपाधि लाभकी संपदाकों में स्वच्छन्द चित्तसे नहीं भोग सकता था--क्या यह कुछ कम दुर्भाग्यकों बात था कभी कभी जीमें आता था कि अपने हृदयके विषोंकों पासवाछी अप- राधिनी पर थूककर उसको असली भेद समझा दूँ। किन्तु वह अब- सर निकलगया था | जिस समय उसका हाथ कँघेसे लग गया था, उस समय ये बातें कही जा सकती थीं ।

 नहीं कह सकता कि ऊपाके जीमें क्‍या गुजर रही थी। जान पड़ता था कि बहुत अधिक गव॑ और मेरे प्रति अश्रद्धां, ये दो भाव उसके हृदयको मथ रहे थे। फिर अवसर हाथ आया । उसका घाणित (?) हाथ फिर मेरे शरीरसे छू गया। 

मैंने कहा---“ सैंभलकर नहीं सोया जाता १ ” 

ऊषा हट गई; मुँहसे कुछ नहीं बोली । मेंने सोचा कि इसको कितना गये है । उसको सिरसे पेंरॉतक देखा । गर्वसे सिकुडकर वह चुपचाप लेटी थी ।

 मुझे बहुत ही बुरा लगा | मैंने कहा--तेरा गर्व करना भूल है।

उसने धीरे धीरे अस्पष्ट शब्दोंमें कुछ कहा । मैंने उसके मुखके पास कान छेजाकर कहा कि तू क्‍या कहती है !? 

उसने भेरे मुखकी ओरको नहीं देखा । धीरे धीरे बोली यदि कुछ गलती हो जाती थी, तो .बड़ी बहिन कहती थी कि विद्वान्‌ पति मिलनेवाला है, इस कारण तुझको गवे हो गया है । अब आप भी वही बात कहते हैं। भला मेंने क्‍या किया है ? 

मैं  जिस अवसरकों खोजता था वह मिल गया । भेने कहा--क्या किया है ? तूने मेरी जीवनभरकी जोडी हुई आशाओंको जला कर भस्म कर दिया; तूने मेरी स्नरी बनकर मेरे जीवनमें हलाहल मिला दिया । सारे घरवालोंने एक भूलमें फँसकर मेरी सब इच्छाओंके अंकुरको नष्ट कर दिया । में कैसी अशुभ घडीमें तेरी तस्त्रीर लेने गया था । 

अब मेर जीमें यह जाननेको वासना हु३ कि इतनी लंबी वक्तताका श्रोतापर क्‍या प्रभाव पड़ा । यह नहीं समझमें आया कि ऊपाके शरी- : रके टक्षणोंसे भय झलकता था या गव। उसके रोनेकी धीौमी ध्वनि मेरे कानोंमें अस्फुट रूपसे जा रही थी ! तब कया ऊषा गदवेमें भरी हुई नहीं है ! तब क्या मेरे प्रधानभयका कारण स्वप्तमें देखी हुई प्रेत- मूतिकी भाँति अर्लाक आर केवल कल्पनासे बना हुआ है ? उसके रोनेसे मुझको कुछ दया आई | मैंने मुठायम स्वस्से कहा--रोती बयों है  ऐसा करेगी तो में कमरे से चला जाऊँगा । 

ऊषाने बड़बड़ करके फिर कुछ कहा--कहना रोने में मिल जानेके कारण से समझ में नहीं आया | इसके बाद मेंने फिर “पूछा ” तो वह बोली--मैंने तो कोई दोष किया नहीं है।आप न जाने क्‍यों मेरा तिर-.'स्कार करते हैं। में तो आपकी आज्ञा पाठन करने के लिए उसी भौतिसे वस्त्र पहिनती हूँ जसे ॥ कि आप बता आये थे | 

मैंने अप्रसन्न होकर पूछा--मैंने भला  कब तुझको कपड़े पहिनना सिखाया ! 

उसने कहा--जिस दिन फोटो खींचा था । 

मेंने पूछा--उस प्रकार से वस्त्र क्यों पहिनती है ।  

लज्जा  से मुख नीचे को करके ऊषा ने कहा--मांने कहंदिया था कि हमेशा आपहीकी बात सुननी पडेगी, और जो आप करेंगे बही करना होगा । 

कैसी मधुर भाषा थी! केसी अमृतमयी वाणी थी! इस बातको मेंने धीर भावसे बक्ष्य किया | देखा तो उस मूतप्तिमें गर्वका लक्षण कहीं दृष्टि न आया | मेरा चार मासका दुःख और इतने दिनोंका कुसंस्कार पलभरमें जाता रहा । पुष्पोंकी छुगंध सिरमे प्रवेश करके मेरे आनन्दको बढ़ाने लगी | मेरे दोनों ओंठों ने मेरे अनजान में ही छलना के ओंठोंसे मधु हरण कर किया । मेंने * फ़ूलवासरके उजालेमें देखा कि ऊषा असामान्य रूपवती है ।

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रचनाएँ
चित्रावली
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चित्रावली उपन्यास का मूल अर्थ है,निकट रखी गई वस्तु किंतु आधुनिक युग में इसका प्रयोग साहित्य के एक विशेष रूप के लिए होता है। जिसमें एक दीर्घ कथा का वर्णन गद्य में क्या जाता है। एक लेखक महोदय का विचार है, कि जीवन को बहुत निकट से प्रस्तुत कर दिया जाता है। अतः साहित्य के कुछ अन्य अंगों जैसे- कहानी, नाटक,एकांकी आदि में भी जीवन को उपन्यास के भांति बहुत समीप उपस्थित कर दिया जाता है। प्राचीन काव्य शास्त्र में इस शब्द का प्रयोग नाटक की प्रति मुख्य संधि के एक उपभेद के रूप में किया गया है। जिसका अर्थ होता है किसी अर्थ को युक्तिपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करने वाला तथा प्रसन्नता प्रदान करने वाला साहित्य के अन्य अंगों में भी लागू होती है। आधुनिक युग में उपन्यास शब्द अंग्रेजी जिसका अर्थ है,एक दीर्घ कथात्मक गद्य रचना है। कथावस्तु , पात्र या चरित्र-चित्रण, कथोपकथन, देशकाल, शैली, उपदेश। इन तत्वों के अतिरिक्त एक और महत्वपूर्ण तत्व भाव या रस है।
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लङके का चोर भाग 1

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भाग 2

22 अगस्त 2022
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भाग 2

22 अगस्त 2022
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उस दिन श्रापशायर रेजिमेंटके गोरोंक साथ कलकत्ता कृबकी फुटबाल---की मेच थी | इस लिए मैदान लोगोंसे भरा था । उस दिन मुझको आफिससे समयसे पहले ही अवकाश मिलगया। इस लिए पैसे खर्च करके मिट्टीके तेलके पीपोंपर खड़

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भाग 3

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मैंने पच्चीस ही वर्ष के जीवन में देखलिया कि भगवान ने मनुष्य के सुख- दुःख की मात्रा को सदा के लिए ही बराबर बना दिया है| बालकपन ही से मुझमें बुद्धिकी इतनी प्रखशता नहीं थी, वरन्‌ तिसपर भी मुझमें आत्मामिम

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भाग 4

23 अगस्त 2022
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मेंने कहा---अब तो तुझको कोई और आपत्ति नहीं है ? मैंने कहा---कहो मा ! काहेको आपत्तिको पृूछती हो ! स्नेहमयी माने कहा--छि: आश्यु, ऐसी बातें क्‍यों करता है ? बंगा- लीके घरमें २५ वर्षकी अवस्थाका क्वौरा छड़

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23 अगस्त 2022
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भाग 2

23 अगस्त 2022
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इसके पीछे कितने ही दिन बीत गये | कितनी ही निद्राहीन रातें चली गई | शशि शेखर के हृदयका न दबनेवाला वेग किसी भी तरह शांत नहीं हुआ | कितनी ही मुैँहसे विना कही हुईं प्राथनाओं और कातर आँखों से उसका हृदय नही

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अनेक दिन विना खाये ओर अनेक रातें बिना सोये रहनेकी थकावटसे सुधाकी देहलता निर्जीय सी होंगई थी। सुधाकी यह मूछा तो भंग हो गई, किन्तु उसको समय समय पर ऐसी ही मूछो होने लगी | शशिशेखर की व्याधिने एक दिन प्रबछ

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चित्र रहस्य भाग 1

23 अगस्त 2022
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उस साल में बी. ए. की पराक्षामें पास हुआ था | बावा के लाख सिर मारने और बहुत धन व्यय करने पर भी माता भारती का मेर बड़े भाईके साथ वैसा सद्भाव नहीं उत्पन्न हुआ था । इस लिए मुझे बी. ए. पास करते देखकर पिता

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23 अगस्त 2022
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 उन दिनों में एक प्रकारसे फोटोग्राफी सीख चुका था और सब प्रकारके चित्रोंको बड़ी चतुरता से बना सकता था। एक दिन दोपहर ढले भे बाइसिकिलकी सहायतासे माणिकतलाके खोलेको पार करके पक्के रास्ते पर सीधा पूर्ब को  

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भाग 3

23 अगस्त 2022
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भाग 4

23 अगस्त 2022
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'' चित्र में लिए जाती हूँ ” |  मैंने हाथ फेला कर कहा--“ वाह | तुम चित्रको लेजाकर करोगी क्‍या ! ”  भाभी हँस कर बोलीं---“ और कुँवारे लड़के होकर एक कैँवारे लड़कीकी छब्रिको रख कर तुम्हीं कया करोगे। ” 

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भाग 5

23 अगस्त 2022
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एक ही दो बार नहीं मेंने भावजके श्रांत विश्वासको दूर कर डाल- नकी बहुत बार चष्टा की | वे सोचती थीं कि यह लजासे ही ऐसा अनुरोध करता है। असलमें उसके मनका विश्वास वही है जो कि मैं समझी हूँ । में बड़े पेंचमे

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भाग 6

23 अगस्त 2022
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कोई आधे घण्टे तक मैं स्थिर पड़ा रहा | तबतक ऊषा सोई नहीं थी । मरे ही भाग्यके दोषसे जिसका गये इतना बढ़ गया था भला वह अब क्‍यों सोती | उसके अलंकारोंके बजनेकी ध्वनि मुझे सुनाई दे रही थी। अंतमें मुझको माछू

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क्षमा भाग 1

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१) कलकत्ता---५ मई १८९१  सुषमा,  तुम्हारा पत्र मिला । पत्र पढ़कर सुखी ही हुआ हूँ । यर्यप चिह्दीका सुर करुणा और वेदना व्यज्ञक है तथापि यह कहनेमें सत्यके व कहना होगा कि में उससे विशेष दुःखित या व्यथित

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भाग 2

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 प्रियतम सुषमा, तुम्हारी चिट्ठी पढ़कर हृदयमें भाला सा लगा | प्रूजाके दिनोंमें तुम्हारी बहिन मृणालिनीने क्या तुम्हारे साथ कुछ झगड़ा किया था?  उसका क्या अधिकार है, जो तुमको कुछ कह सके । मेरा जी है मैं त

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ईरानी रमणी भाग 1

23 अगस्त 2022
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 पूजाकी छुट्टीके दिनोंमे उसबार पश्चिमकी यात्रा करनेमें सबसे बड़ी बाधिका हुई थी हिन्दुस्तानी भाषाकी अनभिज्ञता | घरपर में जिस बोलीमें नौकरोंसे बोला करता था--पश्चिममें जाने पर जाना गया कि हिन्दी भाषा उसस

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भाग 2

23 अगस्त 2022
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हम  लोग  उनकी बातोंको बिलकुल ही नहीं समझ रहे थे.। क्योंकि उनकी बातचीत फारसीमें हो रही थी। हम उनकी अंगभंगीको देख रहे थे। मजीद ओर ईरानी स्त्री  दोनों पुराने परचित जान पड़ते थे । वे पर- स्पर एक दूसरेकी ब

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भाग 3

23 अगस्त 2022
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उस दलको देखते ही मेरा दम सूख गया | उनके कपड़े देखनेसे जान पड़ा कि एक तो कोई ऊँचा पुलीसका कमचारी हैं, दो तीन पहरेवाले हैं और उनके साथमें दो तीन जंगली पुरुष और दो ईरानी ल्लियाँ हैं | इन जिप्सियोंके मुखस

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भाग 4

23 अगस्त 2022
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भाग 5

24 अगस्त 2022
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मैंने पृुछा---तब अपना परिचय क्‍यों नहीं दिया? ” वह बोला---“ किस मँँहसे देता ? आप सब ही कुछ तो जानते हैं ।” मैंने कहा---“छज्जाकी कौन बात थी ! प्रेममें लज्जा कैसी, मजीद साहब ! ” मजीदने हँसदिया और अपने

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भाग 6

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 सरलाने उत्तर दिया ॥ कि दो पहरके समय में बरामदेमें चली गई थी । वहाँ पर मेंने देखा |कि एक स्ली और एक पुरुष धरके चारों ओर चक्कर काट रहे थे और कुछ देख रहे थे | मुझको देखते ही वह चली कहने छगी---'' माजी, फ

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भाग 7

24 अगस्त 2022
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सरलाने उत्तर दिया ॥ कि दो पहरके समय में बरामदेमें चली गई थी । वहाँ पर मेंने देखा |कि एक स्ली और एक पुरुष धरके चारों ओर चक्कर काट रहे थे और कुछ देख रहे थे | मुझको देखते ही वह चली कहने छगी---'' माजी, फी

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भाग 8

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सँभाल कर मेंने थाम लिया इस समय मेरे जीपर जो बीत रही थी वह 'कही नहीं जा सकती है।  सलीना---“ अम्मा, तुझको धोखा हुआ | विवाहके पहले मैंने स्वामीको छुआ भी नहीं और इन बंगाली बाबूर्जाको उस दिन दिल्लीमें देख

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अशुभ मुहूत्ते

24 अगस्त 2022
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सब ही वातोंमें एक शुभ और एक अशुभ मुहूत्त देखनेमेँ आता है । नहीं कह सकती कि मेरे ब्याहकी बात भी कैसे अशुभ मुहूर्ततमें उठी थी | तबसे अतुर सुखमें रहने पर भी मेरे हृदयके भीतरका सुख लोप होगया । अच्छा अब इन

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