सँभाल कर मेंने थाम लिया इस समय मेरे जीपर जो बीत रही थी वह 'कही नहीं जा सकती है।
सलीना---“ अम्मा, तुझको धोखा हुआ | विवाहके पहले मैंने स्वामीको छुआ भी नहीं और इन बंगाली बाबूर्जाको उस दिन दिल्लीमें देखने पीछे अब आज देख रही हूँ।”
दुगो ! दुगो ! बीबीजीने सच बात कह कर मेरे प्राणोंमें आशा डाल दी | उस घरकी धघुँधली रोशनीमें उसका कमल जैसा मुख एक स्वर्गीय चमकसे दमकने छगा | इन सात आठ बरसों तक परदेमें रह “कर सठीनाकी सुन्दरता कई गुणा बढ़ गई, यह बात सोच कर मेरे जीको बड़ा ही आनन्द हुआ | वैसा छावण्य नवाबोंके हरमके योग्य था।
मजीदकी स्त्री के वीणा को l लज्जित करनेवाले कण्ठस्वरको सुनकर भी ईरानी स्त्री शांत नहीं हुईं | वह लड़की से बोली---
“छिः सलीना अपने वंशकी मर्यादाकी रक्षा करो । चछो इन दोनों शैतानोंको मारकर भाग चलें | तुम सुलेमानके घरानेकी छड़की हो । माँकी बातको टालना नहीं | ”
उसके सीधे और मुलायम प्रस्तावको सुनकर में फिर कप उठा। 'सलीना बोली “माँ,क्या पागल हो गई है ? यदि तू माँकी भाँति आशी- चांद देने आई होती, तो मैं तेरी पूजा करती । खुदा जानता है कि कितनी ही रातों और कितने ही दिनों तक तेरा स्नेह पानेके लिए “हृदय उद्वेलित होता रहा है | छिः माँ बर्बरता भूठ जा । कन्या और जमाईको आशावाद दे | ”
आहा | केसी स्वर्गीय भाषा है ! कैसा उच्च मन है ! जी चाहता था कि उस भाषाकों सदा ही सुनता रहूँ। ऐसी स्वामिभक्ति तो मेंने 'कहीं भी नहीं देखी ।
उसकी माँ बोली---“ शैतान, क्या पागल होगई है? क्या हँसी करती है ? इन दोनोंके साथही में तुझको भी मार डालूँगी। ”
पलभर में अपना हाथ फिरसे छुड़ाकर बह ल्ली तेज छुरी हाथमें लिये हुए मजीदकी ओरको झपटी । सलीनाने भी बड़ी फुर्तासे फिर उसको पकड़ लिया, और उस मर्दकों आगे बढ़ते देखकर मजीदके द्वावानने उसे भूमिपर दे मारा । मेंने दौड़ जाकर उसको बाँध लिया।
सलीना बोली--“ माता-याद रखना कि में भी ईरानी ख्री हूँ। भला तुम्हारी क्या ताब है कि जो मेरे सामने मेरे स्वामीके शरीरको हाथ लगा सको ?
माँ बेटीमें बहुतसी बातें होती रहीं। उस ख्लरीके हृदयमें जितनी प्रतिहिसाकी आग धघक रही थी सलीनाकाजी भी प्रेमके शांतिमय भावसे उतना ही भरा हुआ था, इस लिए देवी और पिशाचिनी में मेल नहीं हुआ ।
सलीना ने उसको छोड़ दिया और हमने भी सलीनाके कहनेसे उस मर्दको छोड़ दिया ।
सलीना बोली--...मॉ-अब भी में यही कहती हूँ कि अपनी लड़कीहीके घर रहो | में सदा तुम्हारी प्रृजा करती रहूँगी | किन्तु जिसके साथमें कि मेरा विवाह होगया है, उसके लिए यदि एक बात भी मुखसे निकालोगी तो में फिर तुमसे कोई भी वास्तव नहीं रक्खूँगी | ”
जिप्सी स्री बोली---“ तेरे घरमें शोतान रहेगा | में तो इस जग- हको जहन्नमःसमझती हूँ । इतने कष्टसे ढूँढ़ने पर भी आज जो इनामः तुझसे मिला है, उसके बदलेमें तेरा घर जहन्नम और श्मशान हो जाय।” वह पुरुष और वह स्त्री दोनों चले गये ।
उसके बाद पाँच बरस बीत चुके | उस ईरानी ज्लौके शापसे इमशान हो जानेके बदले वह घर स्वगे बनगया है । और सडीनासे गुल्स्तिंबोस्तां तक फार्सी पढ़कर सरला मेरे कानोंको अशुद्ध या अद्धे. शुद्ध फारसी बोल बोलकर झल्ला देती है । उस दिनसे सलीना देख- 'नेको नहीं मिली | किन्तु मजीद और सरला कहती है कि वह बंगा. लियोंकी माँति बंगाली बोल सकती है | मेरी समझमें इन सब बातोंसे उसीके अपने गुणोंका प्रकाशन होता है, इसमें उसको पढ़ानेवाली सरलाकी कोई बहादुरी नहीं है ।