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लघु कथा

hindi articles, stories and books related to Laghu katha


मनीषा बड़ी तेज़ी से जा रही थी , आज उसे कॉफी हाउस पहुंचने की बहुत  जल्दी थी , कई रिक्शे वाले को हाथ दिखाया पर कोई कॉफी हाउस जाना ही नही चाहता था जैसे कॉफी हाउस में कर्फ्यू लगा हो ,जो रुकते वह भी&n

सरकार ने जब सोचा क्यों उन पांचों भाइयों की संपत्ति पर कब्जे में कैसे कर पाऊंगा तो उसने वृकुटी को बुलाया और अपने पास उसे  नौकर बना कर रख लिया कुछ समय बीतने पर उसने अपने मन में मनगढ़ंत कहानियां बना

मदन की नयी नयी नौकरी लगी थी ।एक छोटे से कस्बे मे।उसने दलाल से कह कर अपने लिए एक कमरा किराए पर लेने की बात की।छोटे कस्बों मे घरों के अंदर ही एक कमरा किराए पर दे दिया जाता है ऐसे ही एक दलाल ने मदन को यह

वो अल्फाज ही होते हैं ना! जो कभी जख्म देते हैं और कभी मरहम का काम करते हैं। कभी खंजर से भी पैने होते हैं और कभी मखमल से भी मुलायम। अल्फाज तो वही हैं। कुछ बदलता है तो बस बोलने का तरीका और बोलने वा

सम्मान तो हर तरह का ही कीमती होता है लेकिन इनमें सर्वोपरि है-आत्मसम्मान। आत्मसम्मान को चोट लगती है ना तो इंसान बौखला जाता है । आत्मसम्मान पर ठेस के कारण ही अम्बा ने शिखंडी बनकर पितामह भीष्म से बदला लि

मेरे जीवन मे बहुत सी ऐसी घटना हुई है जहां मुझे चैलेंज किया गया है कि मैं जीत नहीं पाऊँगी या ये जताया गया है कि मुझमे क़ाबिलियत नहीं है और कई बार परिस्थिति बिल्कुल मेरे विरोध में रही है और मैंने भी ह

अपनी खिड़की से मैं रोज उस बच्चे को देखता था। गली के उस पार वो रहता था। उसका पिता या तो उसे छोड़कर चला गया था या मर गया था। उसकी माँ ही उसकी देखभाल करती थी। वो एक समर्पित माँ थी। माँ के जाने के बाद वो अप

*समय बड़ा बलवान*  (लघु कथा ) स्टील प्लान्ट के एक बड़े पद से रघु सेन को रिटायर हुए कुछ महीने ही हुए हैं । उन्होंने अपनी नौकरी बड़ी ही जिम्मेदारी से पूर्ण किया है । भ्रष्टाचार के दंश से वे बहुत द

( साधू और भिखारी  )  लघू कथायारपुर की पुरानी बस्ती की एक गली में एक दिन एक साधू और भिखारी आमने सामने हो गये। साधू ने एक नज़र भिखारी की कमज़ोर काया को देखा, फिर पता नहीं उसके मन में क्या भाव पै

- मुक्ति दाता -  ( लघु कथा )रायपुर से 10 किमी दूर राखी गांव में एक गरीब किसान की 2 एकड़ ज़मीन 2 लाख रुपिए प्रति  एकड़ के भाव से  खरीदकर विजय बहुत ख़ुश था । वह जानता था कि कुछ सालों में इस ज़

सुबह 9-10 बजे का समय होगा। ज्यादातर लोगों को ऑफिस या कॉलेज जाने की जल्दी थी। सड़क के किनारे एक लाश पड़ी थी। सब उसे देखकर आगे बढ़ जाते थे। स्कूटर वाले अपनी गाड़ी लाश को बचाकर वहाँ से गुजर रहे थे। किसी को इ

“मेरी शैतान बेटी” ( लघु कथा )मेरी लड़की भाग्यवति बहुत ही शैतान है । उसे अक्सर ही मुझसे डांट पड़ते रहती है, कभी मैं उसे गुस्से में थप्पड भी लगा देता हुं। पर उसकी शैतानी ज़रा भी कम नही होती। मै आज मुझे नयी

( तीन टांगों का घोड़ा ) लघु कथा पिछले तीन दिनों से मेरी बेटी जिद कर रही थी कि मुझे भी घोड़ा वाला खिलौना चाहिए जैसे की पड़ोसी गुप्ता जी की बेटी रितु के पास है । पड़ोसी राजू गुप्ता जी बैंक अधिकारी थे औ

आज के पाठ का नाम था ईमानदारी।  बेटा पढने लगा। शर्मा जी ध्यान से सुनते रहे। जब पाठ खत्म हुआ तो वे समझाने लगे-जीवन में  ईमानदारी बड़ी चीज है। ईमानदार का सब जगह सम्मान होता है । कुछ समय के लिए भले ही उसे

उसका मकान झुग्गी बस्ती के पास ही था। शाम के वक्त छत पर आ जाता। दूर तक फैली बस्ती को देर तक निहारता रहता है। बहुत अच्छा लगता है उसे इस तरह निहारते हुए। गरीबों की सेवा करने में उसे आनंद की अनुभूति होती

 मैं हार गया इस जीवन से. रोज नयी समस्याएं. मैं तो उलझ कर रह गया.जीने का कोई आनंद नहीं."कहकर वह धम्म से सोफे पर बैठ गया.     दादा जी ने एक  पहेली पूछी. सुनकर पहले तो वह घबरा गया. उसे लगा इसका हल खोजना

आज शहर से बुआ आ रही थी। बच्चे बहुत खुश थे। बुआ का ससुराल शहर के किसी बड़े घर में था। जब भी गांव आती बच्चों के लिए कुछ न कुछ नया लेकर आतीं।     इस बार भी वह बच्चों के लिए बहुत सारी चीज़ें लेकर आई। ।बुआ

आज उसका  जन्म दिन था.बच्चे,पत्नी व कुछ रिश्तेदार आये हुए थे. टेबल सजाई जा रही थी. रंग बिरंगे गुब्बारे देख बच्चे चहक रहे थे. रिश्तेदारों के पास उपहारों के रंग बिरंगे पैकेट्स थे. सभी तैयारियों में लगे थ

सोच रहा हूं थोड़ा शहर हो आऊं. बेटा-बहू गांव न आ पाएं तो क्या मैं तो जा सकता हूँ उनसे  मिलने. अभी तो आराम से घूम फिर सकता हूँ. पोते-पोतियों के साथ आराम से बातें भी  हो जाएगी. काफी महीने हो गये. बहुत याद

टमाटर क्या भाव दिए ?" - लग्जरी कार का शीशा नीचा करते हुए पूछा.      " तीस रूपये किलो साहब." उसने जवाब दिया.      " इतने महंगे बेच रहा है. इतने तो भाव भी नहीं है. चल दो किलो तौल. चालीस रूपये दूंगा."- ज

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