आज पुनः ध्यान के अभ्यास पर
वापस लौटते हैं | ध्यान के
लिए अनुकूल आसनों पर हम बात कर रहे थे | आज बात करते हैं
ध्यान के अभ्यास के लिए उचित समय की |
ये बात सत्य है कि ध्यान के साधक को
ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर छोड़ देना चाहिए और दैनिक कृत्यों के बाद योग और ध्यान
के अभ्यास आरम्भ कर देने चाहियें |
24 घंटे में 1440
मिनट होते हैं | उन्हें 30 भागों में बांटेंगे तो 48 मिनट का एक भाग आएगा | यही 48 मिनट का एक भाग मुहूर्त कहलाता है और इस
प्रकार दिन भर में 30 मुहूर्त होते हों | जिनमें सूर्योदय के पूर्व के दो मुहूर्त विष्णु और ब्रह्म मुहूर्त कहलाते
है तथा सूर्योदय के समय के साथ ही इनका समय भी बदलता रहता है | जैसे कल 5:23 पर दिल्ली में सूर्योदय होगा | इस
आधार पर सूर्योदय से पूर्व 3:50 से 4:38 तक का समय विष्णु मुहूर्त और 4:38 से 5:26 तक का समय ब्रह्म मुहूर्त के अन्तर्गत माना जाएगा |
लेकिन इसके लिए हर दिन सूर्योदय काल से मुहूर्त गणना करनी होगी जो कि ध्यान के
साधक के लिए उचित नहीं है, क्योंकि उसे तो एक निश्चित समय पर
अभ्यास करने का स्वभाव अपना बनाना होगा | इसलिए सामान्य रूप
से प्रातः 4:24 से 5:12 तक 48 मिनट का समय ब्रह्म मुहूर्त माना जाता है |
ब्रह्म मुहूर्त के बारे में ज्योतिषियों का कहना है कि इस मुहूर्त में उठने से जातक को बुद्धि, बल, सौन्दर्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है | इस मुहूर्त में
वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर अधिकतम रहता है | माना जाता है
कि इस मुहूर्त में उठने से जातक की बुद्धि, बल, सौंदर्य और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है | यदि इस समय
योग, ध्यान, प्राणायाम अथवा किसी अन्य
प्रकार का व्यायाम किया जाता है तो शरीर को शुद्ध ऑक्सीजन मिलती है जिससे फेफड़ों
की शक्ति बढ़ती है और रक्त शुद्ध होता है | यही कारण है कि आयुर्वेद
के अनुसार इस समय बहने वाली वायु को अमृततुल्य कहा गया है | ब्रह्म मुहूर्त में
उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है | साथ ही इस समय वातावरण
पूर्ण रूप से शान्त रहता है जिसके कारण ध्यानादि प्रक्रियाओं में मन भी एकाग्र
सरलता से हो जाता है |
तो, हम सभी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का अभ्यास करें
ताकि ध्यान की प्रक्रिया सुचारु रूप से सम्पन्न हो सके और ध्यान के अभ्यास में
अधिक गहनता आ सके...