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दो घर है मेरे पर अपना कोई नहीं - कविता

7 मई 2022

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बचपन खेला जिन गलियारे में,

खेलखिलौने सारे छोड आये प्यारे,

नटखट नादानियों से जुडे थे पुरे,

किस्से कहानीयां छोड आये सारे!

हाथ थामकर चलना था सिखा,

गिरते संभालते दौडना था सिखा,

लबों को देखा था जो हौले से हिलता,

तो तोतले बोल बोलना था जो सिखा!

पापा का दुलार और मम्मी का प्यार,

भाई की डांट और बहन का झगडा,

दोस्त की शैतानिया और नटखट जवानी,

कितना कुछ पिछ चलकर आगे बढा संसार!

बचपन से सुना मैनें बेटी तो है पराया धन,

जवानी तक आते आते बंदिशों से घिरा मन,

बाहर की दुनिया कह खराब बंदिशे जो लगी,

उस बंद ताले की चावी अबतक ना हाथ लगी!

बहुत जतन करके नाजूक सामान जैसे संभाला,

आवाज बढी थी मेरी पर हदो में बोलना सिखाया,

हमेशा से उनकी थी पर ऐहसास से पराई रही,

घर मेरा मायका ,पर बचपन से ससुराल की रही!

एक दिन शादी कर कर ससुराल सच में चली आई,

तो देखा तो वो घर अबतक मेरे सासु मां का ना था,

सदियों से चली आई बस यहीं एक परंपरा की कहानी,

दो घर है मेरे पर अपना ना कोई यहीं औरत की जिंदगानी!
भारती

भारती

सचमुच यही है हर औरत की व्यथा कथा बेहतरीन रचना 👌🏻👌🏻

7 मई 2022

sangita kulkarni

sangita kulkarni

7 मई 2022

Thank you mam, I am not married, so not understand the feelings of woman, but try to write, if some mistake tell me

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रचनाएँ
किताबों की जादूई दुनिया। कवितासंग्रह
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किताब कैसे एक अल्लाउदीन का चिराग है जिससे जो भी चाहो हमें बिना मांगे ही मिल जाता है, बडी रंगीन होती है ये किताबों की दुनिया, जो नाम पहचान ही नहीं दिल में जगह भी दिलाती है!
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छुट्टी कविता

27 अप्रैल 2022
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बडी भांती थी हमें स्कुल में छुट्टी, बाकी के दिनों से थी हमारी कट्टी, सुबह जल्द स्कुल जाने को उठना, आधी अधूरी नींद में ही तैयार होना! दूध से तो मानो नफरत थी हमें, देखके दूर भागने का मन करता, स्कुल बस क

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अभिमान कविता

28 अप्रैल 2022
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भारत मां के मिट्टी पर, सदियों पुराने सभ्यता पर,वसुधैव कुटुंबकम के हमारी चली आई नीती पर,हिमालय पर्वतों जैसे कई खडे अविरत सैनिकों पर,हजारों साल से देवी कहके बहती आई नदियों पर!खुद भूखा रहके खिलाये अपने ह

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घायल परिंदा कविता

29 अप्रैल 2022
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घायल परिंदा उडता था खुशी से आसमान में एक आझाद परिंदा, था सारा आसमान बाहों में लेना का उसका ही वादा, खुश होकर हवा पे घूमता रहता वह पर अपने फैलाये, साथी बनकर कितने अनजाने साथ उसके च

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दुल्हन जैसा सजा मेरा भारत कविता

30 अप्रैल 2022
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अरमानों सी सजती डोलिया,मेरे देश की कितनी बोलिया,रसगुल्ले से मिठी बेंगोली ,पंजाबी है लहराते हरियाली!कानडी, तमिल का स्वाद निराला,मराठी का हमारे राकट है बाणा,सजाता हर एक भाषा का ठेला,जिसे देख मन खुशीयों

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मैं भूला दू कविता

1 मई 2022
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सर्द में नरमाई सुबहे,बारीशों में बिते दोपहरे,कुछ गुस्सेल शामें, मनाते गूजरी वो रातें,कभी प्यार की फुंवार, कभी बेबजह की नाराजगी,कभी बिन बोले पास आना, कभी खुद ही दूर रहना !कैसी बिती तुझ संग मेरी जिंदगी,

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दिवाली कविता

1 मई 2022
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बेनूर सी आई दिवाली,नूर खुशी का साथ ना लाई,जो होती थी बचपन में चहल,आज ना होती खुद से पहल क्या कहू कैसी है तू, आतिष में भी गुमसुम है तू, मिठाई में भी खटास सी है तू, नये धागे में भी उ

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छोड के ना जाना कविता

2 मई 2022
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छोड के ना जानाचाहे मांग ले मुझसे आसमा में छिपे चांद तारे,चाहे मांग लेना हर देश विदेश की महंगी कारे,दिल कहे तो रख लेना बाबर अकबर को गुलाम,चाहे जि भरके कहना उन्हें तुमसे करवाने सलाम!

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चाँद सी सुंदर कविता

3 मई 2022
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चाँद सी सुंदर थी वह बडी नाजनीन हसीना, उसके पास रहने का हम ढूँढते नया बहाना, शक्ल ऐसी की उसने पहनी हो धानी चुनर, बोल ऐसी की लगे फूलों पर मंडराते भंवर।रुणझुण रुणझुण पायल बजाती देती चल,&nb

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जिंदगी में होता कोई बॉय

4 मई 2022
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Kaash jindagi main hota koi boy, Mere liye kharid laata wo soft toy, Hote apne bhi dost Teddy, Khane ko hoti hardin jelly, !!Jindagi bhi hoti apni Fairy taleGhar hi ban jata market ka s

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याद आ जाती है - कविता

5 मई 2022
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यूं बेमतलब सी याद तेरी,मुझे मायूस कर जाती है,कभी मायूसी भरे जीवन में,चंद खुशिया भर जाती है!लाख चाहू आझाद होना,पर कैद वो कर जाती है,गैरो का होकर तुझे फिर,मेरा बनाके क्यू जाती है!सोचती हूं तू क्या था मे

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तलाश कविता

6 मई 2022
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हुस्न का मेला है तेरे आसपास, फिर तुझे किसकी है प्यास,कौन गक्षहै वह जो होगी तेरी खास, जिसके बिना बोझल होगी तेरी सांस! कौन नाजाने होगी तेरी जीत, गम से भी होगी तेरी प्रीत,

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दो घर है मेरे पर अपना कोई नहीं - कविता

7 मई 2022
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बचपन खेला जिन गलियारे में,खेलखिलौने सारे छोड आये प्यारे,नटखट नादानियों से जुडे थे पुरे,किस्से कहानीयां छोड आये सारे!हाथ थामकर चलना था सिखा,गिरते संभालते दौडना था सिखा,लबों को देखा था जो हौले से हिलता,

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मेरी प्यारी माँ कविता

8 मई 2022
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बिना कहे जान लेती है वो हर एक दिल का हाल,सकुन देता है दर्द में भी बस उसका ही तो खयाल,सुरत चाहे जो भी मगर वो प्यार की एक हँसी मुरत,जिंदगी में खुश रहने को वहीं बस इकलौती जरुरत!दिनभर तो काम खुब करती पर न

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भागता हुआ जीवन कविता

9 मई 2022
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बचपन से जवानी भागे आगे,जवानी से बूढापा बहुत तेज,वक्त को भी छोडे जो पिछे,ऐसा भागता हमारा जीवन!पल पल में रंगरुप ये बदले,जीने का सरीका ये बदले,आज अपना तो कल गैर,कितनी मनाये इसकी खैर!पहले था शांत, सकुन भर

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पापा की प्यारी परी कविता

10 मई 2022
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मां के होते है बेटे राजकुमार, तो पापा की बेटी प्यारी परी, दोनों से करते है मां पापा, एक जितना ही तो प्यार! होते है जब बेटा बेटी साथ, तो मानो जैसे हरदिन त्योहार, वक्त निकल जाता है यूंहूी, पिछे पिछे भाग

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मैं कर रहा हूं इंतजार! कविता

11 मई 2022
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सदियों से कर रहा हू इंतजार,मीरा अपने गिरधर का,राधा अपने मनमोहन का,सीता अपने प्यारे राम का!इंतजार की है निर्दयी बेला,ना लगता खुशियों का मेला,युगोयुगों से घूमके ना हुंवाधरती का सूरज से मिलना!प्यासा है अ

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मेरी पहली कमाई कविता

12 मई 2022
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मेरी पहली कमाई थी मेरा एक महिने का पगार,हजार की कडकडाटी नोट खुशियों का व्यापार,दो तीन महिने काम करके आई थी हाथ में वो,कितना प्यार से निहारा था जब थी हाथ में वो!मानो लगता था की दुनिया का हो बडा खजाना,इ

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हम दोनों कविता

13 मई 2022
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हम दोनों की एक कहानी, थोडा साथ तो थोडी जूदाई,कहीं हाथ ठामकर चलना, तो कहीं परछाई से भागना,कभी बिनमतलब जिद करना कभी अपने आप मानना,कभी पराया होकर अपना, अपना बनकर पराया होना,हम दोनों की एक सी रवानगी, जूदा

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अगर शब्दों के पंख होते कविता

14 मई 2022
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ना दिखाई देते है मगर, सच में शब्दों के पंख है, कभी दिल का एहसास, कभी किसीसे खास है! &n

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अच्छी रात की नींद कविता

15 मई 2022
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अच्छी रात की नींद छोडकर जवान बार्डर पर खडे रहते है,सैनिक है जिनके बजह से हम बिस्तर पर आराम से सोते है,भूख प्सास अपना घर बार सबकुछ त्यागकर खुश हो जाते है,वो जवान ही है जो पुरे देश की सुरक्षा का खयाल रख

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कविता तेरे पास

16 मई 2022
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वक्त होता है वो खास,जब तुम होते हो पास,लगता जैसे मैं हूं परी,खुशनूमा सी हू नारी!तेरे पास आते ही,सकुन पास ठहरता है,मायूस मायूस जिंदगी,मुस्कराके गले लगती है!तेरे पास होने से मेरे,मिट जातेे है डर सारे,ते

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किताबें मुझे प्यारी कविता

17 मई 2022
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कोई पुछे मुझे किससे है तुझे प्यार,जबाब दुंगी बेझिझक किताबें यार,नई नई होती जब आती है हाथों में,खुशबू से अपनी दिल को बहराती!रंगीबेरंगी कितने सुरेख कव्हरों में,होके आती है वो खुद को सजाकर,मुलायम मुलायम

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प्यार, विश्वासघात और बदला कविता

18 मई 2022
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प्यार से नहीं कोई प्यारा, बेहतरीन है साथ सुनहरा, कई रिश्तों से हमसे जूडा, सबसे खुबसुरत मां पापा! मां है सारथी ,पापा साथ, दोनों से जूडे है मेरे जज्बात, भाई- बहन अनमोल गहने, दर्द में खुश रहने के बहाने!

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भूतों से बात कविता

19 मई 2022
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इन्सानों से बात ना होती,भूतों से बात कहां होगी,रात बितती चिंता में ही,दिन की ना हमें सुदबूद!भूत एक बार डरायेंगे,जिंदगी हर पल डराती,नये नये इंम्तहान लेके,हर बार गले मिलने आती!भूतों से भयंकर यहां है,रिश

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बेशकिमती है हर एक के यादों का मेला - कविता

20 मई 2022
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खुब जि भरके मेरे ही अंगना,आज सजा है यादों का मेला, फुरसत में यादें बनाने आया,है आज दोस्तों का मेरे मेला! ब

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असंभव कविता

21 मई 2022
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असंभव से सोचो आज तक, बहुत कुछ होता आया संभव, सोच का ही तो फरक होता, संभव और असंभव के बीच! सबकुछ हासिल भी है हमें, बस मेहनत की हो तीव्र धार, लडखडाये जिस मोड कदम, हो फिर अपनों का आधार! पैरों पे खडा होना

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एक शाम कविता

22 मई 2022
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आसूंवो में भिगी हुंवी , आई एक मायूस शाम,बेबजह की नाराजगी,तेरी हुंवी थी सरेआम! किस बात से तू खफा,जो कभी ना मैं बेवफा,क्यू ही रिश्तों में तू रुठा, ना था प्यार मेरा झूठा!कितने कडवे थे तेर

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अपना शहर छोडकर कविता

23 मई 2022
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हमारे पापा की नोकरी नेकितने शहर बदलवा दिये, बचपन से जवानी तक हम हर एक शहर से रुबरु हुंवे हिंदुस्तान पूरा ही हमारा है,ना कोई ठिकाना पराया है,सारी बोलियां हमारी बहने,सारे देशवासी अपने

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प्रिय - भारत माता को पैगाम कविता

24 मई 2022
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लिखा है मैने कागज पर,दिल के स्याही से आज,प्रिय लिखके दिया है,भारतमाता को पैगाम! &n

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देर रात- कविता

25 मई 2022
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देर रात को मेरे घर में, आई है किसीकी अर्जी, दूर देश से मेरे घर को, लौट आई आज वर्दी! &

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इश्क तो इश्क़ है। कविता

26 मई 2022
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इश्क तो आखिर इश्क़ है, माना बहुत इसमें किस्त है, चंचल,निर्मेल और पावन सा, कल की उम्मीद, मनभावन सा। थोडा दर्द का साया छिपा

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नया मौका- कविता

27 मई 2022
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मिलता है हर कदम पर,जिंदगी को नया मौका,बस वक्त रहते ही हमें,लगाना पडता है चौका।थोडा उधार का हौसला,तो ही बन पाये घौसला,चाहे अपना हो पराया,ना टूटे तनीक हौसला।दो मोड आते जिंदगी में,एक चाहा , एक अनचाहा,चाह

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खबर कितनी सच है?

28 मई 2022
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हवा से भी तेज रफ्तार,उड़ रही जाने क्यूं खबर,सच या फिर कितनी झूठ,कौन ले किस की खबर!गुलाबों से हुई जा रही,कट्टरपंथियों को नफरत,प्यार भी लगे हैं इन्हें की,जैसे कोई बड़ी आफत।हर एक तरीके से दिक्कत,प्यार को

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स्कूल की अटूट दोस्ती कविता

29 मई 2022
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आज मैं बन चूकी हूँ नानी,याद है फिर स्कूल की दोस्तीजब स्कूल से डरती थी मैं,आज स्कूल से पक्की दोस्ती!याद है ऐसे जैसे कल की बात,चूपके से मैं झाँकी क्लास के अंदर,धीरे धीरे माहौल गया जो बदल,स्कूल ना हो जैस

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जब मन उदास हो

30 मई 2022
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जब मन उदास हो,लगे सब बेकार हो,तब नये से ढूँढना हो,अपना अलग एक अंश।चाहे कुछ ना हो पास,पर हर पल होता खास,नजरिया थोडा बदल लो,कुछ बेहतर फिर पा लो।जब मन काफी उदास हो,तो सोच लेना अच्छा मौका,खुद के साथ

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भेदभाव कविता

31 मई 2022
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भेदभाव है अपना बूरा,रह जाता निशाँ अधूरा,क्या करे कैसे बन पाए,जहाँ अपना खुशियों भरा।सदियों से भेदभाव ने मिलके,कितने शहर अबतक जला दिये,पता नहीं कितने घरों के चिराग,यूँही कत्ले आम होकर गिरे।कहाँ है एक बा

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अधूरापन कविता

2 जून 2022
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जहर भरा होता है हमेशा,हरेक के जिंदगी में अधूरापन,हमेशा कुछ चूभता रहता है,रह रहकर दिल के अंदर।कितना चाहो पूरी तरह पाना,पर आधा अधूरा ही मिलता,जिंदगी एक अनमोल खजाना,पूरी उम्र कभी साथ ना चलता।कोई रिश्ते म

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नफरत कविता

3 जून 2022
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नफरत के बीज होते है कडवे, नफरत के बोल हमेशा कडवे,ना जाने कभी कहीं प्यार बाँटना,जाने सिर्फ हर तरह विष बाँटना।हर एक जगह है कटू सा वास्तव,मानो जैसे हो कोई दहकता विस्तव,आग भी लगाये नफरत सारी ओ

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ज़िम्मेदारी कविता

4 जून 2022
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एक ज़िम्मेदारी के चलते, ख्बाव से जूदा हुँवे रास्ते, दुनियादारी के होते हुँवे, अपनों की ओर चले रास्ते। एक हसता खेलता परिवार, पापा के जाते ही अनाथ हुँवा, माँ ही नहीं बल्कि

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साहित्यिक कल्पना कविता

5 जून 2022
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कितने सारी साहित्यों से आज,सजधजकर हुँवी है बेशकिंमती,सिर्फ कल्पनाओं की ऊँची उडान,पा लिया है हमने सारा आसमान।सदियों से संभालकर आज तक,लाया है बनाकर अनमोल खजाना,इतिहास से लेकर सायन्स तक भी,है पूरी धरती क

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पथ का पत्थर कविता

6 जून 2022
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कहाँ किसीने यूँ बेशरमी में,पथ का मामूली पत्थर उसे,क्या जाने की पत्थर ने ही,आज तक रखा संभाले उसे। बचपन से पत्थरों में था पला,फटे हाल राह भटकता वो रहा,आज उसी पत्थरीले पथ पर,शान से सीना चौडा कर चला।

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भाग्य या मेहनत कविता

7 जून 2022
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भाग्य से मिले या फिर मेहनत, कामयाबी लिखे अब किस्मत, चाहे बहे आसूँवों की बरसात, तरक्की से हो हम मालामाल। थोडा अपनों का मिले साथ, थोडा गैरों से मिले अपने हाथ, थोडी मिले हिम्मत की उधारी, फिर बने किस्मत ह

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मेरा बॉस, मेरा प्यार

8 जून 2022
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यूँ तो है वो शैतान की खाला,नटखट, चंचल वो मधूबाला,नखरे देख हँसी निकल जाये,मेरी बेटी है मेरी प्यारी बॉस।छोटी पर डिमांड बडी है उसकी,छबी है बिल्कुल राधा मोहन सी,जब पास रहती उधेरकूद मचाती,ना साथ हो तो बहुत

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नफरत वाला प्यार कविता

9 जून 2022
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भूली बिसरी कोई कहानी,आज तुमने याद दिला दी,बरोसे के पुराने घाव को,हवा देकर ताजा किया।हर किसी की एक कहानीनफरत या प्यार की पुरानी,मैं तो अपनी क्या ही कहूँ,ना दोस्ती ना प्यार की बोली। जरुरत खिंच लाई उसे प

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जुनूनी इश्क कविता

10 जून 2022
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आजकल मुझसे ना होता,हिर रांझे के तरह का इश्क,जानती हूँ इसमें बहुत बडा,परिवार को खोने का रिस्क।यकिन जिसपे करे शायद वो,यकिन दिलाकर मुकड जाता,अपना होने आकर फिर भी,गैर के बाहों मे रहता झूलता।मैं ये नहीं कह

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लव कॉन्ट्रैक्ट कविता

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आसान नहीं दिल का लगाना, प्यार में पडकर हसना रोना, कभी भीड में भी तनहा होना, कभी तनहाई में भी साथ पाना। बडी बातों से भी दिल ना बहरता, छोटी चीजें मन को बहुत है भाँती,अपने मन की करना छोड हम सिर्फ ,

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विनाशकारी - कविता

12 जून 2022
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खुब सारे विषयों से रोज, प्रतिलिपी जी ने नवाजा है, प्यार से नफरत तक लेकर अब विनाशकारी पे छोडा है। खुब भर भरके उधेड दे दिये, हमने भी जज्बात सारे अपने, गुस्से के संग हमने तब परोसे, प्यार के कुछ लजीज पकवा

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कहीं धूप, कहीं छाव कविता

13 जून 2022
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जिंदगी है एक वरदान, आँसू खुशी का सामान, कहीं सुनहरी खिलती धूप, कहीं उजडा पडा कोई रुप। छाव आये यहाँ कभी कभी, पल में जिंदगी है बदले अभी, अपने कई पराये से है लगते, पराये मुश्किल में साथ निभाते। जितने की

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दूसरा प्यार कविता

14 जून 2022
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सोचा था किसने की मुझे,हो जायेगा एक दिन प्यार,बिन सोचे समझे छिनेगा,मासूम दिल का मेरे करार।हर पल में बस साथ बनके,वक्त की तरह साथ चलेगा,रुकना भी चाहूं कभी हारके,कहीं ना मुझे वो हारने देगा।हर एक रिश्ते से

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ज्वालामुखी के फूल कविता

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दिखाते है सब हम देखो कितने डूड कुल, पर सच कहूँ होते सब ज्वालामुखी के फूल, चीजों को छिपाते छिपाते हो जाते हम माहिर, की हम सब हो जाते है दर्द पीनेवाला साहिर। कितनी बातें मनमुताबिक ना हो पाती है यहाँ, कु

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अशांत सा मेरा मन कविता

16 जून 2022
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शांत नदी सा उसका मन, मैं लडकी चंचल चितवन, उसका प्यार सागर से गहरा, जैसे सूरज का रोशन पहरा! संजोक के रखता वो हर पल, जैसे कोई आनेवाला हो कल, कुछ तो थी बात ना जाने की, मन बावरा बन उडने को चाहे! गुस्सा मै

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अपनापन - कविता

17 जून 2022
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छोटी मासूम नयनों में, था उसके खुशी का डेरा, पर नाजाने कुछ गम का, निशान था तन पे गहरा। रास्ते किनारे बैठी बिचारी, कब से नाजाने भूखी प्यासी, वक्त के सक्त हालातों ने, हुँवी थी जरासी वो रुहासी। नाम , पता

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हमसाया - कविता

18 जून 2022
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बिखरा बिखरा है जुल्फों का, मुझपर एक हसीन सा साया, कहते है लोग देखकर उसे, वो खुदा का अजीज हमसाया। देखती है जब भी मेरी तरफ, दर्द भाग जाते खुशी की तरफ, जब पूकारती है आवाज देकर, पूरे अरमान जी उठते एक हो

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छुट्टियों के दिन कविता

19 जून 2022
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हक से माँगते है हम, छुट्टी का एक जो दिन,थकान मिटती है सारी,होती खुद संग दोस्ती यारी।शनिवार को बनते है,ऐतवार गूजारने का तरीकाटेंशन सब छोड छाडकर,होते है हम बेफिक्र मलिका।छुट्टी का दिन सिखाता है,जिने का

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घर की याद - कविता

20 जून 2022
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कौन है दुनिया में ऐसा आज, ना होता घर पे जिसका राज, हर एक के यादों में समाया, घर का हर एक कोना खास!हे देश में हो या विदेश में,झोपडी हो या फिर महलों में,सकुन का आखिरी मुकाम घर,याद आता मुझे मेरा प्यारा

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नदी का किनारा कविता

21 जून 2022
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दूर अकेली अपनी धून में,मधूर तराना सुनाती जाये,अपनी ही मस्ती में गुमसुम,सागर की तरफ बहती जाये!राहों में कितनी मुश्किलों को,हसके पार वो करती जाये,हर बार खुद को मोडकर,अपने आप को बदलती जाये!एक धरा से शुरु

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ओट में अस्तित्व- कविता

22 जून 2022
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आजकल हर एक का ही तो ओट में छिपा हुआ अस्तित्व, पर सच संग चलने का यहाँ, कोई ना उठा पाता दायित्व। झूठ को मलाई समझकर, सब उसको चाटते जाते है,सच का कडवे घोट को तो, सिर्फ महादेव ही पी पाते है। चेहरे के उपर

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परदेश में दिन कविता

23 जून 2022
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एक तेरा साथ होने से मुझे, परदेश भी लागे है मेरा देश,परदेश भी बदले हमारे साथ,कुछ कुछ हद तक खुद को। माना सब है यहाँ अजनबी,जमीं से आसमाँ लगे पराया,पर हम हिंदुस्तानी जाने है,पराये को प्यार से अपनाना।देख क

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पाँव की थिरकन कविता

24 जून 2022
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बचपन से पसंद थी, मुझे घूंगरु की रुणझूण,पर मेरे पापा को ना भाँता, मेरा घूंगरु पहनना,याद है मुझे एक वाकया, रुठ बैठे हम पापा से,वहीं जिद थी थानी जो पापा को ना गवारा थी।पापा मेरे जैसे ही जिद्दी कहाँ आसानी

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अनुभव का कोई मोल नहीं कविता

25 जून 2022
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आते जाते अपने आप में, यूँ बिखरे पडे हुँवे हम की, संभालनेवाले ही बिखर गये, और हम भी ना संभल गये। अनुभव से होते हुँवे हम तक, निकल के आये थे सभी रास्ते, कश्मकश में थे फिर भी लेकिन, कौनसे सही में थे अपने

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मेरी उड़ान कविता

26 जून 2022
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बचपन से देखा मैंने ख्बाब की आयेगासफेद घोडे पर होकर राजकुमार सवार,पर ऐसा क्यूँ ना हूँवा की बडे होकर भी,ना भूला पाई मैं दिल से वहीं एक खुमार।परिदों को आसमाँ में उडाता स्वच्छंद होकर,सोचती थी काश!मैं भी ह

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परवाह कविता

27 जून 2022
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परवाह वो मेरी बहुत किया करती है, बेटी है पर माँ की तरह वह डाँटती है, हल्का सा दर्द मेरा उसको बर्दाश नहीं, तकलीफ में मेरी फूलों की सेज बिछाती। बडी प्यारी बेटी मेरी गुरुर है वो मेरा, थोडी सी बेफिक्र और

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पशु प्रेम कविता

28 जून 2022
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वो भी क्या नायाब से दिन थे,जो पशुओं का मेला सजता था,बच्चों और पशुओं की आंगन में,शोर शराबों की गूंज हरदम रहती।खेत तो एकरों में थे अपने तब पास,पशुओं के घास की ना थी होती कमी,सब मिल जूडकर रह पाते थे घर म

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प्रेम और संगीत कविता

29 जून 2022
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विश्व के हर कण कण में समाया,साज़ बनकर प्रेम और संगीत,दोनों संग जूडी है अनजाने ही,मेरे मन की प्रीत संग मीत भी।संगीत कहाँ नहीं है बसता यहाँ,हर एक जगह है नामोनिशान,आसमाँ के बरसते बूँदों से लेकर,सागर में

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