संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही ठप करना क्या देश हित में है ?
डॉ शोभा भारद्वाज
विश्व का सबसे बड़ा परिपक्व प्रजातंत्र सदन का यह हाल ?कितने दिन बीत गये गये टैक्स पेयर के धन की बर्बादी देश देख रहा हैं अध्यक्ष कुर्सी पर बैठते हैं सदन की कार्यवाही शुरू होती है . सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी कुर्सियों पर कुछ देर टेक लगाते हैं आपस में नमस्ते गुडमार्निंग होता है जल्दी ही याद आ जाता है अरे प्रश्नोत्तर काल है हमें सदन नहीं चलने देना शोर गुल हंगामें के बीच सदन की कार्यवाही भोजनावकाश तक रोक दी जाती है . सांसद जुटते हैं फिर यही हाल . मानसून सत्र की शुरुआत हुई प्रधान मंत्री नये मंत्रियों का परिचय कराना चाहते थे ऐसा हंगामा लोकसभा की कार्यवाही रोकनी पड़ी यही हाल राज्य सभा का रहा दोनों सदनों को चलाने के लिए प्रति मिनट 2.5 लाख खर्च होता है टैक्स पेयर का पैसा है . विपक्ष के रुख से लगता है यह सत्र बिना किसी बहस के समाप्त हो जाएगा कुछ जरूरत विधेयक विधेयक बिना प्रक्रिया को पूरी निभाये ध्वनी मत से पास करने पड़ें है यही परम्परा न बन रही है .
संसद में विपक्ष का हंगामा,सरकार इजरायल के ‘पेगासस’ साफ्टवेयर का इस्तेमाल कर जासूसी करवा रही है . कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आरोप लगा रहे है हमारे मोबाईल में सरकार ने जासूसी का हथियार लगा रखा है अब मामला सुप्रीम कोर्ट में गया है .यह प्रश्न संसद में 2019 में भी पूछा गया था उस समय के गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने यह यह स्पष्ट नहीं किया था भारत सरकार इंटरसेप्शन के लिए इसरायल के पेगासस साफ्टवेयर का इस्तेमाल करती है .इंटरसेप्शन के लिए केंद्र सरकार ने 10 एजेंसियों को अधिकृत किया है. ये एजेंसियां हैं इंटेलीजेंस ब्यूरो, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड, राजस्व ख़ुफ़िया निदेशालय, केंद्रीय जांच ब्यूरो, राष्ट्रीय जांच एजेंसी; कैबिनेट सचिवालय (रॉ), सिग्नल इंटेलीजेंस निदेशालय (केवल जम्मू और कश्मीर, उत्तर पूर्व और असम के सेवा क्षेत्रों के लिए) और पुलिस आयुक्त, दिल्ली हैं. आतंकी गतिविधियों की पूर्व जानकारी हासिल की जाती है देश की सुरक्षा , सम्प्रभुता की रक्षा के लिए जरूरी भी है यह जानकारी अधिकृत एजेंसियों द्वारा कानून के दायरे में जानी जाती है .
एवं तीन नये कृषि कानून संसद द्वारा पास किये गये हैं संयुक्त किसान मोर्चे की जिद है उनको समाप्त किया जाये 14 विपक्षी दलों के हंगामे के कारण सदन की कार्यवाई चल नहीं पा रही है . सदन में अपनी उपस्थित दर्ज करा कर किसी बहाने से सदन की कार्यवाही बाधित करने की परम्परा पुरानी थी . मानसून सेशन में फिर से परम्परा दोहराई जा रही है वेल में आकर संसद के अध्यक्ष के सामने तख्तियाँ लेकर खड़े होना ,कागज फाड़ कर उड़ाना ,नारे बाजी करना अध्यक्ष बेबस हैं आईटी मिनिस्टर श्री वैष्णव अपनी बात रखना चाहते थे आगे बढ़ कर टीएमसी सदस्य शान्तनू सेन ने उनके हाथ से कागज छीन कर स्पीकर की कुर्सी की तरफ उछाल दिया यह स्पीकर की अवहेलना मानी जाती है .
स्पीकर ओम बिरला ने चेतावनी दी देश की जनता ने आपको नारे बाजी करने एवं तख्तियां लहराने के लिए नहीं भेजा कोई असर नहीं विपक्षी सांसद दोनों सदनों में अपने विचार रखने के बजाये संसद के बाहर या मीडिया में जोर शोर से अपनी बात रखते हैं कांग्रेस सांसद अपनी खोई जमीन खोजने के लिए एवं राहुल गांधी को विपक्ष का चेहरा बनाने सड़को पर उतरे हुए हैं . वह सबसे महत्वपूर्ण विषय कोरोना से खराब हुई अर्थव्यवस्था पर चर्चा करने के बजाय पेगासस जासूसी पर बहस करना चाहते है . 200 किसान अलग से जन्तर मन्तर पर किसान संसद चला रहे हैं विपक्षी उनको अपना वोट बैंक बनाना चाहते हैं लेकिन संसद में उनके लिए बहस करने को तैयार नहीं हैं मजबूर मतदाता तमाशा देख रहे है .
भारत ने ब्रिटेन की संसदीय व्यवस्था को अपनाया था . ब्रिटेन का संविधान अलिखित है वह परम्पराओं और दस्तावेजों के रूप में है लेकिन हमारा संविधान विस्तृत और लिखित है हमने संसदीय व्यवस्था को अपनाया है सरकार के तीन अंग 1.कार्यपालिका 2. व्यवस्थापिका 3. न्यायपालिका हैं विधायिया के दो सदनों में लोकसभा में जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों में बहुमत दल के नेता को राष्ट्रपति सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं . या मिली जुली सरकार बनाने का प्रावधान है कामन मिनिमम प्रोग्राम पर स्वीकृति के बाद सरकार बनती है .अब मोदी जी के नेतृत्व में बहुमत की सरकार है .डॉ मनमोहन के प्रधान मंत्री काल से संसद के दोनों सदनों में जम कर हंगामा होता रहा है अब इसी समस्या से मोदी जी की सरकार को जूझना पड़ता है.
25 नवम्बर 2001 को सर्वदलीय सम्मेलन में सांसदों और राज्य की विधान सभा के विधायकों को मर्यादित करने के लिए बनी आचार्य सहिंता पर सबने स्वीकृति दी थी लेकिन 2010 के बाद अनेक घोटाले सामने आये हर नियम टूटा संसद के सदनों का हाल बेहाल रहा. 2014 के चुनाव में एनडीए को बहुमत मिला . मोदी सरकार ने संविधान में कई संशोधन किये उनमें जीएसटी बिल के लिए बड़ी बहस के बाद सदन में उपस्थित सबकी सम्मति से पास हुआ जिन सांसदों ने समर्थन नहीं दिया उन्होंने सदन से वाक् आउट किया था .
संविधान में संशोधन कर तीन तलाक को खत्म करने का विधेयक पास हुआ जिसका मुस्लिम महिलाओं एवं समाज के अन्य वर्ग ने स्वागत किया . कश्मीर में धारा 370 , 35a हटाने के लिए विपक्षी सांसदों ने भी पार्टी लाइन से हट कर वोट दिया था तीन कृषि कानून सदन के पटल पर पास हुये
लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के सभापति उपराष्ट्रपति एवं उपाध्यक्ष का काम सदन को सुचारू रूप से चलाना है . पद की मर्यादा है लेकिन विपक्ष के द्वारा अवहेलना का किस्सा आज का नहीं है पुराना है सदन के अध्यक्ष को अनेक अधिकार दिए गये हैं जिन्हें संविधान स्पष्ट करता हैं –
1.संसद का अधिवेशन शुरू होने पर राष्ट्रपति दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में भाषण देते हैं क्योंकि राष्ट्रपति कार्यपालिका अध्यक्ष हैं उनका भाषण सरकार की नीतियों की व्याख्या होती है राष्ट्रपति के भाषण को शांति से सुनना सदन के सदस्यों का कर्तव्य है. उसके बाद धन्यवाद प्रस्ताव में यदि कुछ संशोधन प्रस्तुत किये जाते हैं उनकी अनुमति देना .
2 . प्रश्नोत्तर काल में कौन से प्रश्न पूछे जायेंगे एक बार आरोप भी लगा था सांसद पैसे लेकर प्रश्न पूछते हैं .राज्यसभा में 90 प्रश्न पूछे जाने हैं शोर के बीच आधा अधूरा प्रश्नोत्तर काल चलता है
3. निजी या सरकारी विधेयकों को तीन वाचनों में से गुजरना पड़ता है .प्रथम वाचन में विधेयक की रूपरेखा एवं विधेयक प्रवर समिति में भेजा जाये या सीधे द्वितीय वाचन अर्थात बहस हो अंत में तृतीय बाचन में मतदान में पास होने के बाद दूसरे सदन में जाता है अर्थात पुन: निरीक्षण है .यदि लोकसभा में सरकारी विधेयक गिर जाता है इसका अर्थ सरकार का बहुमत समाप्त हो गया है राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से विधेयक कानून बनता है .
4.किस विधेयक को मनी विल के रूप में प्रस्तुत किया जायेगा स्पीकर अनुमति देते हैं देश का बजट भी सदन में अध्यक्ष महोदय को सम्बोधित कर पढ़ा जाता है तब सदन के पटल पर रखते हैं .
5.संसद में किस विषय पर बहस होगी , किस नियम के तहत होगी अध्यक्ष निश्चित करते हैं ,अनुशासनहीनता पर रोक लगाते हैं .
6. दोनों सदनों की संयुक्त बैठक का सभापतित्व करना लोकसभा अध्यक्ष का दायित्व है .
7.सत्ता पक्ष की सरकार बनती है लेकिन विरोधी दल का नेता कौन होगा , उसे भी केन्द्रीय मंत्री के समान सुविधाएं मिलती हैं
8.दल बदल कानून के अंतर्गत दल बदलने वालों की सदस्यता रहेगी या जायेगी इसका निर्णय अध्यक्ष करते हैं दल बदल पर अंकुश लगाने के लिए राजिव गांधी जी के प्रधानमन्त्री काल 52 वा संशोधन किया गया था .
9. अध्यक्ष मतदान में हिस्सा नहीं लेते लेकिन यदि किसी विषय पर सत्ता पक्ष और विरोधी पक्ष के बराबर मत हों मतदान कर सकते हैं
10. सदन का कार्यकाल समाप्त होने पर सदन में विदाई भाषण अध्यक्ष देते हैं . समितियों के लिए अध्यक्षों की नियुक्ति करते है .सदन की सुरक्षा उसी पर निर्भर है अनुशासनात्मक कार्यवाही करना .
देश आजाद होने के बाद संसद में बैठने देश की नीति निर्धारित करने का उत्साह अब धीरे- धीरे खत्म होता जा -रहा है . मेहनत से तैयार किये गये भाषण भी कम सुनने में आते हैं . अध्यक्ष का काम मुश्किल होता जा रहा है किसी ख़ास विषय में चर्चा के समय भी सांसद गायब हो जाते या ऊँघते दिखाई देते हैं कुछ की समझ में चर्चा ही नहीं आती . किसी बिल को पास होने के समय सत्ता पक्ष के सांसद भी गायब देखे गये हैं , विप जारी करना पड़ता है हजूर हाजिर रहना . बहस के बजाये सदन का बहिष्कार करना शोर मचाना यह कौन सा प्रजातंत्र है ? शोर दोनों सदनों में होता है जबकि राज्यसभा उच्च सदन है
लोकसभा के चुनाव अभी दूर है पेगासस जासूसी मामला तीन नये कृषि कानून को मुद्दा बना कर क्या विपक्ष 1924 के चनावो की तैयारी कर रहा है ?या राज्य विधान सभा के चुनावों में संसद के दोनों सदनों को ठप कर चुनाव जीतने की जमीन तैयार की जा रही है.
सांसदों को जनता चुन कर भेजती हैं क्या जरूरी नहीं हैं संसद चलने दें जनता की समस्याओं को उठाया जाये संसद की कार्यवाही के बाद सदन से बाहर आकर संसद के बाहर गांधी जी की मूर्ति के सामने प्रदर्शन करें.जब देश आजाद हुआ था सांसदों में भी जोश था वह तैयारी के साथ सदन में आते अपने विचार रखते विपक्ष सरकार को कटघरे में खड़ा करता सत्तापक्ष अपनी बात कहता अब केवल शोर . आम आदमी सोचता है राजनेताओं का जीवन खुली किताब की तरह होता है इन्हें जासूसी से कैसा भय .