shabd-logo

भारत-अफ्रीका के गहराते संबंध और इनके निहितार्थ

28 मई 2022

21 बार देखा गया 21

भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मलेन के तीसरे संस्करण का आयोजन 26 से 29 अक्टूबर 2015 तक नई दिल्ली में होने जा रहा है। सभी 54 अफ़्रीकी देशों को निमंत्रण देकर भारत सरकार ने अफ्रीका से अपने संबंधों को आगे ले जाने का महती और ऐतिहासिक प्रयास किया है। इस सन्दर्भ में भारत-अफ्रीका के बीच के द्विपक्षीय संबंधों की गहराई से पड़ताल अपेक्षित है।

आबादी के हिसाब से अफ्रीका एशिया के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा महादेश है। अभी हाल ही में इसकी आबादी एक अरब के पार हो गयी है। विश्व में सिर्फ एशिया और अफ्रीका ही ऐसे महादेश हैं जिनकी आबादी एक अरब और उससे अधिक है। अफ्रीका अकेला महादेश है जहां संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता प्राप्त विश्व के सर्वाधिक 54 देश हैं। इनमे से बड़ी संख्या में ऐसे देश हैं जिनकी सीमायें समुद्र तक नहीं पहुँचतीं। जिसके परिणामस्वरूप इन्हें लैंडलॉक्ड (स्थल रुद्ध) कहा जाता है। लैंडलॉक्ड देश स्वभावतः अपेक्षाकृत गरीब होते हैं क्योंकि ये देश सर्वांगीण विकास तथा विदेश व्यापार में पिछड़ जाते हैं। पूरे अफ़्रीकी महादेश को भाषायी दृष्टिकोण से चार हिस्सों में बांटा जाता है: अरबी, अंग्रेज़ी, फ्रेंच, तथा पुर्तगाली प्रभाव वाले क्षेत्र।

अफ्रीका को अतीत में काला महादेश कहा गया था। विशेषकर पश्चिमी साहित्य ने मिस्र जैसे देशों को, जहां के लोग अपेक्षाकृत साफ़ रंग के हैं, अफ्रीका से अलग मानते हुए शेष अफ्रीका को ‘सब-सहारन अफ्रीका’ नाम दे दिया। शेष अफ्रीका को यह नाम असहज बनाता रहा है। अफ्रीका निरंकुश सत्ताओं तथा तरह-तरह के भ्रष्टाचारों के लिए भी जाना गया। यहां पर उपलब्ध अकूत प्राकृतिक सम्पदा भी भ्रष्टाचार के केंद्र में रही। दक्षिण अफ्रीका तो दशकों तक रंगभेद जैसी विभाजनकारी नीतियों का शिकार रहा। कुल-मिलाकर अफ्रीका के विषय में शेष विश्व में ऐसी कोई सकारात्मक बात नहीं होती थी जिससे लोगों का ध्यान उधर जाता।

परन्तु पिछले दो दशकों में अफ्रीका की स्थिति में आमूलचूल परिवर्तन हुआ है। यह परिवर्तन इतनी तेजी से हुआ है जिसकी कल्पना शेष विश्व ने नहीं की थी। अभी एशिया के बाद अफ्रीका दूसरा सबसे तेज गति से विकास करने वाला महादेश है। अफ्रीका पूरे विश्व से व्यापार और निवेश आकर्षित करने लगा है। चूँकि अफ्रीका की जनसंख्या वृद्धि दर विश्व में सर्वाधिक है इसलिए आशा की जाती है कि इसकी आर्थिक विकास दर आनेवाले समय में और भी बढ़ सकती है। अफ्रीका की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह बड़ी आसानी से अमरीकी और एशिया महादेशों के बीच एक सेतु की भूमिका निभा सकता है।

हमारी आम धारणा के विपरीत भारत की तुलना में अफ्रीका की प्रति व्यक्ति आय अधिक है। साथ ही, स्वास्थ्य के कई संकेतकों की दृष्टि से भी भारत की तुलना में अफ्रीका की स्थिति बेहतर है। अफ्रीका से भारत के संबंध वैसे तो प्राचीन काल से ही हैं पर मध्य काल से काफी प्रमाण मिलते हैं। उड़ीसा के कोणार्क मंदिर पर उकेरी गयीं जिराफ की प्रस्तर मूर्तियाँ एक विलक्षण उदाहरण हैं। आधुनिक काल में जब हमारे यहाँ अंग्रेजों का राज था तब पहली बार बड़ी संख्या में अफ्रीका के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय मजदूर भेजे गए जिन्हें गिरमिटिया कहा गया। एक प्रमाण के अनुसार 1820 के दशक में पहली बार भारतीय मजदूर मॉरीशस पहुंचे थे। इस तरह भारतीय मजदूरों को गए अब लगभग दो सौ साल होने वाले हैं। मजदूरों के बाद दुकानदारों तथा व्यापारियों के जत्थे जाने लगे। यह एक व्यापारी ही था जिसको कानूनी सलाह देने के सिलसिले में महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका पहुँच गये थे। आज दक्षिण अफ्रीका, मॉरीशस, केन्या, यूगांडा, नाइजीरिया, और इथिओपिया जैसे देशों में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं। इन लोगों की आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षणिक स्थिति स्थानीय लोगों से काफी बेहतर है।

इस सबका परिणाम यह हुआ कि भारत तथा अफ्रीका के बीच संबंध बनने लगे। इन संबंधों का एक विशिष्ट पहलू यह रहा कि इसमें सरकारों के बीच कम पर आम लोगों के बीच के रिश्ते गहरे बन गए। धीरे-धीरे भारतीय वहाँ के समाजों में रच-बस गए जिससे आज भारत को बहुत लाभ हो रहा है। दरअसल भारत की स्थिति अन्य देशों से इस अर्थ में भिन्न है क्योंकि अन्य देश जहाँ सिर्फ आर्थिक रिश्ते ही बना पाते हैं वहाँ भारत का सदियों से सामजिक रिश्ता कायम है।

इस दृष्टि से भारत को चीन की तुलना में भी बढ़त हासिल है। सदियों से बनाया हुआ यह सामाजिक रिश्ता भारत के प्रति अफ़्रीकी देशों में विश्वास और भरोसा पैदा करता है। इसलिए आज भारत, अफ्रीका के लिए एक विश्वसनीय मित्र देश है। चूंकि चीन की ऐसी हैसियत नहीं है अतः चीन संदेह की नजर से देखा जाता है। असल में चीन की शक्ति आर्थिक है। अपनी आर्थिक शक्ति की बदौलत चीन अफ्रीका के लिए सबसे बड़ा निवेशक है। चीन अफ्रीका की प्राकृत सम्पदाओं का भरपूर दोहन कर रहा है। अभी अफ्रीका का शासक वर्ग धन के लालच में ऐसा करने को मजबूर है। पर जैसे-जैसे अफ़्रीकी देशों में लोकतान्त्रिक मूल्यों की जड़ें गहरी होंगी, वैसे-वैसे चीन की गतिविधियों की गहन समीक्षा भी होगी। जिससे आने वाले समय में चीन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। चीन और भारत में एक और अंतर है। जहाँ चीन का ज्यादातर निवेश सरकारी है, वहीँ भारत की ओर से होने वाला सर्वाधिक निवेश निजी कंपनियों का है। इस दृष्टिकोण से भी भारत-अफ्रीका व्यापारिक और निवेश संबंध अधिक स्थायी लगते हैं।

इसके अलावा भारत ने रंगभेद की नीति का विरोध करके भी अफ्रीका का साथ दिया था। भारत की साख एक लोकतांत्रिक देश के रूप में भी स्थापित है। अब चूंकि ज्यादातर अफ़्रीकी देश लोकतांत्रिक हो गए हैं इसलिए यह स्वाभाविक है कि अफ्रीका अपने को भारत से निकटता का सम्बन्ध बनाने में सहज महसूस करता है।

इतनी सुविधाजनक स्थिति के बावजूद भारत सरकार की ओर से द्विपक्षीय संबंधों को उत्तरोत्तर मजबूत करने के जैसे प्रयास होने चाहिए थे, नहीं हुए। अभी हाल तक हमारा ध्यान पश्चिमी देशों पर ही रहा था। अब लगता है कि भारत सरकार ने अफ्रीका के महत्त्व को समझा है। यही कारण है कि अफ्रीका से बाहर अफ्रीका पर सबसे बड़ा सम्मेलन भारत आयोजित करने जा रहा है। अफ्रीका से संबंध मजबूत करने से नाना प्रकार के लाभ होंगे।

कई अफ़्रीकी देशों के लिए भारत कम खर्चीली पर उत्तम शिक्षा का केंद्र है। इसीलिए बड़ी संख्या में अफ़्रीकी छात्र भारत पढ़ने के लिए आते हैं। अफ्रीका में भारत से ऑनलाइन शिक्षा भी उपलब्ध कराई जाती है। कई स्थानों पर भारत के विश्वविद्यालयों ने अपने केंद्र भी स्थापित किये हैं। इसी तरह कम खर्च में स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध करने के लिए भी भारत जाना जाता है। स्वाभाविक है कि बड़ी संख्या में अफ़्रीकी इलाज के सिलसिले में भारत आते हैं। भारत में बनी दवाओं के लिए भी अफ्रीका एक अच्छा बाज़ार है। केवल शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में जब इतनी संभावना है तो सारे क्षेत्रों में संबंध बढ़ाने पर कितना लाभ होगा इसका अनुमान लगाना भी अभी कठिन है। अतः जैसे-जैसे संबंध घनिष्ठ होंगे, वैसे-वैसे पारस्परिक व्यापार भी बढ़ेगा। आर्थिक लाभ के अतिरिक्त 54 देशों का समर्थन हासिल करके भारत अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर अपना कद बढ़ा सकता है।

उपरोक्त की दृष्टि से भारत को चाहिए कि वह अफ्रीका के लिए एक रणनीति तैयार करे। अफ्रीका के सभी 54 देशों पर समान रूप से ऊर्जा खर्च करना समझदारी का काम नहीं होगा। भारत के संबंध मूलतः अंग्रेजी भाषा वाले क्षेत्रों से रहे हैं। इसलिए हमें सबसे अधिक इन्हीं देशों पर ध्यान देना चाहिए। दूसरा, आबादी के हिसाब से नाइजीरिया, इथिओपिया, मिस्र, दक्षिण अफ्रीका, केन्या, यूगांडा, आदि महत्वपूर्ण हैं। तीसरा, न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत पर आधारित ग्रेविटी मॉडल हमें यह सीखता है कि किन्हीं दो देशों के बीच के आर्थिक और व्यापारिक संबंध इन देशों के बीच की भौगोलिक तथा अन्य दूरियों पर निर्भर करते हैं। इस दृष्टि से पूर्वी अफ़्रीकी देश भारत के सबसे करीब हैं क्योंकि ये सारे देश भारत के सामुद्रिक पडोसी हैं। इसलिए हमें पूर्वी अफ़्रीकी देशों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी ने वैसे तो सभी महादेशों की यात्रा की है जिनमें दो अफ़्रीकी देश – सेशेल्स तथा मॉरीशस भी शामिल हैं। परन्तु अभी तक अफ़्रीकी महादेश का मुख्य हिस्सा यानी मेनलैंड अछूता रहा है। इस सन्दर्भ में सभी अफ़्रीकी देशों को एक साथ बुलाना विशेष महत्त्व रखता है। मोदी सरकार की विदेश नीति का एक विशिष्ट पक्ष यह रहा है कि इसने किसी भी देश के छोटे होने पर भी उसे कम महत्त्व नहीं दिया है। उदाहरण के लिए भूटान, मंगोलिया तथा फिजी जैसे देशों को लिया जा सकता है। इस दृष्टि से सभी अफ़्रीकी देशों को सम्मान देकर भारत यह साबित करने में सफल हो रहा है कि वह सबके साथ बराबरी के सिद्धांत का पालन करता है। । यदि अफ़्रीकी देशों पर अपेक्षित ध्यान दिया गया तो संभव है भारत का इन देशों के साथ एशिया के बाद सर्वाधिक द्विपक्षीय व्यापार हो सकेगा।

अफ्रीका दुनिया का सर्वाधिक युवा महादेश है। यह महादेश प्राकृतिक सम्पदाओं से भी भरा है। भारत-अफ्रीका सम्बन्ध दोनों पक्षों के लिए लाभकारी होंगे। कुछेक अफ़्रीकी देशों ने अच्छी तरक्की भी की है जिससे भारत को सीखना चाहिए। अफ्रीका से संबंध बनाने में हमारी विनम्रता और उनसे सीखने की हमारी ललक का अन्यतम योगदान होगा। हमें उन्हें किसी भी तरह अपने से कमतर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। बोत्सवाना एक ऐसा अफ़्रीकी देश है जहां उसकी आज़ादी के समय यानी 1966 में सिर्फ 40 स्नातक थे वह भी विदेश के पढ़े। अर्थात उच्च शिक्षा को कोई साधन नहीं था। पर आज यह देश विश्व के सर्वाधिक तेज गति से आर्थिक विकास करने वाले देशों में गिना जाता है। अभी दो दशक पूर्व एक दूसरे अफ़्रीकी देश – रवांडा में खूनी जातीय संघर्ष हुआ था जिसमें लाखों लोग मारे गए थे। पर आज यह देश विश्व में आर्थिक तरक्की की मिसाल पेश रहा है। केन्या में गरीब लोग मोबाइल फ़ोन के माध्यम से पैसों का आदान-प्रदान और खरीद-बिक्री करते हैं। इस तरह की सुविधा अभी तक हमारे देश में नहीं है। नाइजीरिया ऐसा देश है जहां कहा जाता है कि विश्व की सर्वाधिक फिल्में बनाई जाती हैं। एथिओपिया का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है और इसे मानव जाति का उद्गम स्थल भी कहा जाता है।

इस तरह आज अफ्रीका संभावनाओं से भरा महादेश है जहां प्रचूर विविधतायें हैं। इसलिए यह मुनासिब है कि हम इसके महत्त्व को समझें और इससे निकटता बढ़ाएं। यह कितनी बड़ी विडंबना है कि अभी बहुत कम ही अफ़्रीकी देश हैं जिनसे भारत सीधे वायु मार्ग से जुड़ा है। हमारी कोशिश होनी चाहिए कि अधिक से अधिक देशों से हमारा संपर्क सीधे वायु मार्ग से हो। भारत-अफ्रीका सम्बन्ध न केवल द्विपक्षीय बल्कि वैश्विक दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण हैं। यदि भारत-अफ्रीका खुशहाल होते हैं तो पूरे विश्व की एक तिहाई से अधिक आबादी खुशहाल हो जायेगी। अंततः पूरे विश्व में शांति और समृद्धि लाने में भारत-अफ्रीका के पारस्परिक संबंधों का महती योगदान होगा।

लेखक निवेश एवं लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग , वित्त मंत्रालय ,भारत सरकार में संयुक्त सचिव हैं। लेख में व्यक्त विचार व्यक्तिगत हैं ।

4  सितम्बर  2018 

 


डॉ. शैलेन्द्र कुमार की अन्य किताबें

41
रचनाएँ
डॉ. शैलेन्द्र कुमार के आर्टिकल
0.0
डॉ. कुमार ने 1992 में संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण करके और प्रशिक्षण प्राप्त करके भारत सरकार में पदासीन हुए ।
1

तुर्की : ईसाइयत और इस्लाम द्वारा सनातन धर्म का विनाश

28 मई 2022
1
0
0

डॉ. शैलेन्द्र कुमार तुर्की : एक परिचय इस्लाम की दृष्टि से तुर्की एक महत्वपूर्ण देश है । यह संसार के सभी मुसलमानों के मजहबी और राजनीतिक मुखिया — खलीफा का मुख्यालय भी रह चुका है ।1 तुर्की की सरकार के

2

तीन मुसलमान विद्वानों से बातचीत

28 मई 2022
2
0
0

इस्लाम का थोड़ा-बहुत अध्ययन करने के बाद मेरे मन में यह विचार आया कि देखें मुसलमान विद्वान इस्लाम के बारे में क्या सोचते हैं ? शताब्दियों से इस देश में रहते हुए भी मुसलमान अपनी पहचान को लेकर सदा इतने द

3

तिब्बतम शरणम गच्छामि

28 मई 2022
0
0
0

पिछले दो महीनों से हम चीन के साथ लद्दाख की गलवान घाटी में उलझे हुए हैं । पर जब तक बात केवल उलझने तक ही सीमित थी, तब तक तो सह्य थी । लेकिन अभी चार दिन पहले दोनों सेनाओं के बीच जमकर हाथपाई हुई और वह भी

4

मित्र संजय नहीं रहे

28 मई 2022
1
0
0

– प्रोफेसर डॉक्टर संजय जैन नहीं रहे!! – आज शुक्रवार की सुबह कैसी मनहूस सुबह थी, जब एक मित्र से इस अनपेक्षित, अप्रत्याशित और हृदय को क्षत-विक्षत करने वाली घटना का अत्यंत दुखद समाचार मिला । पल भर के लि

5

इन्दौर दौरे के बहाने

28 मई 2022
0
0
0

13 अभी पिछले सप्ताह मेरा इन्दौर का दो-दिवसीय दौरा हुआ। वहां राजभाषा संगोष्ठी थी। कहने को तो यह मेरा तीसरा दौरा था, लेकिन इन्दौर को थोड़ा ध्यान देकर पहली बार देखा। लगभग बीस लाख की जनसंख्या के साथ इन्दौ

6

जीते

28 मई 2022
1
0
1

एक दिन वसंत वाटिका में सुबह की सैर करके जब मैं घर लौट रहा था तो दाहिने  तलवे में थोड़ा दर्द महसूस हुआ। घर में कुर्सी पर बैठकर जब दाहिने पैर का जूता  उतारकर देखा तो पाया कि जूते की तल्ली का अग्रभाग घिस

7

ईरानी क्रांति के चालीस साल : क्या खोया, क्या पाया

28 मई 2022
0
0
0

वैसे तो ईरानी क्रांति जनवरी 1979 में ही शुरु हो गई थी, पर नई व्यवस्था की शुरुआत फरवरी में हुई। इस प्रकार क्रांति के चालीस वर्ष हो चुके हैं। आवश्यक है कि इसका लेखा-जोखा किया जाए। यह दुखद है कि इस ऐतिहा

8

28 जुलाई 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस में हरबंस

28 मई 2022
0
0
0

28 जुलाई 2018 को द इंडियन एक्सप्रेस में हरबंस मुखिया ने एक लेख लिखा जिसमें उन्होंने कुल मिलाकर इस बात पर घोर आपत्ति जताई है कि क्यों आजकल टीवी चैनलों पर ऐसी बात की जाती है कि भारत में मध्यकाल में तलवा

9

सर सैयद अहमद खां का वक्तव्य

28 मई 2022
0
0
0

1 अगस्त 2018 के जनसत्ता में आलोक मेहता का लेख ‘विश्वास का पुल’ पढ़ा। इसमें सर सैयद अहमद खां के जिस वक्तव्य को उद्धृत किया गया है उससे उनके व्यक्तित्व का सिर्फ एक पक्ष उजागर होता है, जबकि उनके व्यक्तित

10

संकट में आधुनिक चिकित्सा प्रणाली

28 मई 2022
0
0
0

संभवतः जब से मनुष्य इस धरा पर आया है तब से वह किसी न किसी तरह अपने स्वास्थ्य की देखभाल कर रहा है। इसलिए प्राचीन काल से ही अनेक देशों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में नाना प्रकार की खोजें हुईं। भारत में तो

11

एमएफएन का दर्जा और पाकिस्तान

28 मई 2022
1
0
1

पिछले दिनों उड़ी में अठारह भारतीय जवानों की आतंकवादियों द्वारा हत्या के बाद देश में पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश चरम सीमा पर पहुँच गया। कहा यह भी जाने लगा कि यह आक्रोश 1965 के युद्ध जैसा था। फिर भारत की ओ

12

जेवर से उत्तर प्रदेश का भाग्योदय

28 मई 2022
0
0
0

भारत सरकार ने जेवर में अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की स्थापना की घोषणा करके न केवल बरसों पुरानी माँग को ही पूरा किया है बल्कि इससे उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास को अभूतपूर्व गति देने का भी काम किया है। वै

13

इस्लामी लकीर के फकीर

28 मई 2022
0
0
0

अभी पिछले दिनों पटना में एक मुस्लिम मंत्री ने जय श्रीराम का नारा लगाया। जिसके बाद एक मुफ्ती ने उन्हें काफिर करार दिया। मजबूरन उन्हें माफी माँगनी पड़ी, जिससे उनके पाप का प्रायश्चित हो गया और पुनर्मूषिको

14

विश्व व्यापार संगठन का नैरोबी मंत्रिसम्मेलन और भारत की भूमिका

28 मई 2022
0
0
0

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का दसवां मंत्रिसम्मेलन अफ़्रीकी देश केन्या की राजधानी नैरोबी में चार की जगह पांच दिनों (15-19 दिसंबर) में संपन्न हुआ। अफ़्रीकी महादेश में होनेवाला यह पहला मंत्रिसम्मेलन

15

जाति बंधन नहीं l

28 मई 2022
0
0
0

अमरीका के प्रतिष्ठित हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर स्टीवन पिंकर, जो हाल ही में भारत की यात्रा पर थे, की स्थापना है कि ‘हमें ऐसा लग सकता है कि विश्व में गिरावट आ रही है। परंतु यह हमारी समझ की समस्

16

दर्शनीय दुमका

28 मई 2022
0
0
0

”दर्शनीय दुमका ”आलेख के लिए सर्वप्रथम मैं अपने मित्र साकेश जी के प्रति आभार व्यक्त करना चाहूंगा, जिन्होंने दुमका और उसके आसपास के दर्शनीय स्थलों, जैसे बासुकिनाथ धाम, मसानजोर बांध और रामगढ़ स्थित छिन्न

17

ईद, बकरीद और मुहर्रम

28 मई 2022
0
0
0

इस्लाम के तीन प्रमुख त्यौहार हैं — ईद, बकरीद और मुहर्रम । जहां ईद का संबंध इस्लाम के जन्मदाता मुहम्मद पैगंबर और कुरान से है, वहीं बकरीद का यहूदियों, ईसाइयों और मुसलमानों  — तीनों के पहले पैगंबर यानी इ

18

मास्साहब

28 मई 2022
0
0
0

हमारे कस्बानुमा बड़े गांव — बथनाहा के पूर्वोत्तर में एक छोटा सा गांव है — बंगराहा । पता नहीं यह नाम कब रखा गया और इसका क्या अर्थ हो सकता है ? संभव है बंग से बंगाल शब्द का कोई लेना-देना हो । वैसे भी सद

19

राजा राममोहन राय -एक रहस्यमय व्यक्तित्व

28 मई 2022
0
0
0

राजा राममोहन राय, इस नाम से देश के सभी साक्षर और शिक्षित अवश्य परिचित होंगे, क्योंकि उनके विषय में इतिहास की विद्यालयी पुस्तकों में थोड़ा-बहुत उल्लेख अनिवार्यत: मिलता है। उन्हें भारतीय नवजागरण का अग्र

20

वो महिला

28 मई 2022
0
0
0

प्रातः बेला मैं तैयार होकर गुवाहाटी से शिवसागर, असम की पुरानी राजधानी, की यात्रा के लिए गाड़ी में बैठा। हमारा ड्राइवर असम का ही था। उसकी कद-काठी अच्छी थी। नाम था खगेश्वर बोरा। वह सहज रूप से हिन्दी बोल

21

जम्मू-कश्मीर को उर्दू नहीं हिन्दी, कश्मीरी और डोगरी चाहिए

28 मई 2022
0
0
0

यदि हम भारत के भाषायी परिदृश्य पर ध्यान दें तो हमें पता चलेगा कि जम्मू-कश्मीर जैसी अतिशोचनीय स्थिति किसी और राज्य की नहीं है। यहां एक ऐसी भाषा राजभाषा बनकर राज कर रही है जिसकी उपस्थिति उस राज्य में नग

22

अटेंडेंट

28 मई 2022
0
0
0

सूर्यास्त की बेला — मैं नहा धोकर बचे हुए पानी से गमलों के पौधों की सिंचाई में लग गया। देखा एक पौधा सिकुड़कर छोटा हो गया है और मुरझा गया है। मन में ग्लानि हुई कि यह मेरे ध्यान न देने का फल है। पानी ही

23

गौरी

28 मई 2022
0
0
0

चैत्र मास समाप्ति की ओर है। यद्यपि दोपहर के बाद तो अब सूर्यदेव अपना प्रचंड रूप दिखाने लगे हैं, परंतु प्रातः बेला अभी भी शीतल है। बालसूर्य की नयनाभिराम बेला। टहलने के लिए उपयुक्त समय। इसलिए इसी बेला मे

24

‘ लक्ष्मण टीला ‘ या ‘ टीले की मस्जिद ‘

28 मई 2022
0
0
0

लक्ष्मण टीला ‘ या ‘ टीले की मस्जिद ‘ लखनऊ की प्राचीन गाथा कहने का एक लघु किंतु क्रांतिकारी प्रयास डॉ शैलेन्द्र कुमार स्वतंत्रता पूर्व विदेशी इतिहासकारों और स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारे इतिहासकार

25

बांग्लादेश : आहत लोकतंत्र

28 मई 2022
0
0
0

हाल ही में संपन्न हुए बांग्लादेश के चुनाव पर हमारे देश के हिंदी और अंग्रेजी समाचार पत्रों में जितने भी लेख छपे उनमें से अधिकतर में यह भाव मुखर था कि शेख हसीना की जीत भारत के लिए बहुत लाभकारी है। इस प्

26

अनावश्यक अजान और पांच बार नमाज की अनिवार्यता के परिणाम।

28 मई 2022
0
0
0

अनावश्यक अजान और पांच बार नमाज की अनिवार्यता के परिणाम। इन दिनों वाराणसी में गंगा नदी में नौका विहार करते हुए एक विदेशी पर्यटक का वीडियो सोशल मीडिया में काफी वायरल ( प्रचलित ) हुआ है। वीडियो में यह व

27

शेख अहमद सरहिन्दी : भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता

28 मई 2022
0
0
0

शेख अहमद सरहिन्दी : भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता डॉ शैलेन्द्र कुमार सारांश इस लेख का सर्वप्रधान उद्देश्य यह दर्शाना है कि भारत में अलगाववादी विचारधारा का जन्मदाता शेख अहमद सरहिंदी था। इ

28

गो रक्षण, जिन्ना और अम्बेडकर

28 मई 2022
1
0
0

शेख मुजिबुर रहमान, जो जामिया मिलिया इस्लामिया में पढ़ाते हैं, का पिछले 25 जून को ‘द हिंदू’ दैनिक में गो रक्षण के नाम पर घटित हिंसक घटनाओं को लेकर एक अतार्किक और अत्यंत आपत्तिजनक लेख प्रकाशित हुआ। इस स

29

मस्जिद की अनिवार्यता

28 मई 2022
0
0
0

फैजुर रहमान का 7 अगस्त के ‘द हिंदू’ दैनिक में ‘मस्जिद की अनिवार्यता’ विषय पर एक लेख प्रकाशित हुआ। रहमान एक इस्लामी मंच के महासचिव हैं जिसका उद्देश्य है संयत विचार को बढ़ाना या बढ़ावा देना। इस लेख का म

30

अनन्य हिंदी प्रेमी अटल बिहारी वाजपेयी

28 मई 2022
0
0
0

अटल बिहारी वाजपेयी भारत के राजनैतिक क्षितिज में पिछले कई दशकों से सर्वाधिक चमकता हुआ सितारा थे। अपनी मिलनसार प्रवृत्ति, विलक्षण वाकपटुता, मनमोहक वक्तृत्वकला और असाधारण प्रतिउत्पन्नमति के कारण सारे देश

31

स्वच्छ भारत की ओर निर्णायक कदम

28 मई 2022
0
0
0

हमारे देश में गाँव कविता के विषय के रूप में कवियों को आकर्षित करता रहा है। मैथिलीशरण गुप्त की ये पंक्तियाँ तो जगप्रसिद्ध रही हैं – “अहा ! ग्राम जीवन भी क्या है। क्यों न इसे सबका जी चाहे।“ इसी तरह सुमि

32

शैक्षणिक संस्थानों का देश के विकास में योगदान

28 मई 2022
0
0
0

आधी सदी पहले ही अर्थशास्त्रियों ने किसी भी देश के आर्थिक विकास में शिक्षा के महत्व को समझ लिया था। बाद में यह विचार फैलने लगा कि शिक्षा किसी भी व्यक्ति को स्थायी रूप से परिवर्तित कर देती है और उसे मान

33

पाकिस्तान में जनसंख्या विस्फोट के निहितार्थ

28 मई 2022
0
0
0

पिछले दिनों करीब दो दशक बाद पाकिस्तान की छठवीं जनगणना सम्पन्न हुई। इसके अनुसार आज पाकिस्तान की जनसंख्या 20 करोड़ 78 लाख है। 1998 में की गई पिछली जनगणना में पाकिस्तान की जनसंख्या लगभग 13 करोड़ थी और उस

34

हवाई यात्रा के लिए बिहार देश का छाया प्रदेश

28 मई 2022
0
0
0

किसी भी देश के विकास में यातायात और उसमें भी वायु यातायात का योगदान अन्यतम है। भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण ने एक अध्ययन के हवाले से बताया है कि किस तरह वायु सेवा से तेजी से आर्थिक विकास सम्भव होता है।

35

हिंदी साहित्याकाश में सूर्य की तरह चमकने वाले ‘दिनकर’

28 मई 2022
1
1
0

हिंदी साहित्याकाश में सूर्य की तरह चमकने वाले सचमुच में दिनकर ही थे। रामधारी सिंह दिनकर में साहित्य सर्जन के गुण नैसर्गिक रूप से विद्यमान थे। इसलिए आश्चर्य नहीं कि केवल पंद्रह वर्ष की आयु में ही उनका

36

क्यों बार बार संकट आता है मालदीव पर?

28 मई 2022
0
0
0

पिछले कुछ दिनों से मालदीव के संकट में आ जाने के कारण वहाँ का राजनीतिक घटना क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। हुआ यह कि वहाँ के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश

37

क्यों नहीं मिल रहा रोजगार युवाओं को?

28 मई 2022
0
0
0

उन्नीस सौ नब्बे के दशक में आरंभ हुए आर्थिक उदारीकरण के परिणामस्वरूप माना जाता है कि भारत की आर्थिक वृद्धि दर में अभूतपूर्व तेजी आई। जबकि आजादी के बाद से 1980 तक भारत की आर्थिक वृद्धि दर औसतन सिर्फ 3.5

38

नेताजी का अमूल्य योगदान इतिहासकारों का मोहताज नहीं

28 मई 2022
0
0
0

नेताजी सुभाषचन्द्र बोस महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू की तरह हमारे स्वतंत्रता आंदोलन के पहली पंक्ति के नेता थे। पर अपने आप को भारत माता पर उत्सर्ग करने की आतुरता में उनकी तुलना शहीद भगत सिंह जैसे वीरों

39

क्यों बार बार संकट आता है मालदीव पर ?

28 मई 2022
0
0
0

पिछले कुछ दिनों से मालदीव में राजनीतिक घटना क्रम बहुत तेजी से बदल रहा है। हुआ यह कि वहाँ के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने मालदीव के सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश तथा एक न्यायाधीश को गिरफ़्तार

40

भारत-अफ्रीका के गहराते संबंध और इनके निहितार्थ

28 मई 2022
0
0
0

भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मलेन के तीसरे संस्करण का आयोजन 26 से 29 अक्टूबर 2015 तक नई दिल्ली में होने जा रहा है। सभी 54 अफ़्रीकी देशों को निमंत्रण देकर भारत सरकार ने अफ्रीका से अपने संबंधों को आगे ले जा

41

1857 की क्रांति की 160वीं जयंती

28 मई 2022
1
0
0

आज ही के दिन ठीक एक सौ साठ साल पहले यानी 10 मई 1857 को जिस ऐतिहासिक क्रांति का सूत्रपात मेरठ से हुआ वह कई अर्थों में विलक्षण थी । क्रांति का क्षेत्र व्यापक था और इसका प्रभाव लम्बे समय तक महसूस किया गय

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए