🌹ए जिंदगी वाकि़फ हूं,
तेरी हर अदा से में,
🌹रंग है कौन सा जो
दिखाया नहीं हमें
🌹नादान बनके हमको
छलती है रात दिन
🌹जब चाहती है आकर
मिलती है हमसे तू ,
🌹जब चाहे हाथ भी
छुड़ा लेती है हमसे तू,
ढूंढना भी चाहें तुझे
🌹तो कैसे ढूंढें हम
🌹टूटी-फूटी सड़कों में
और भी गड्ढे हो गए
🌹जाते थे जिस रास्ते
वह तो बंद हो गए
🌹टूटी-फूटी सड़कों में
और भी गढ़्ढे हो गए
जाते थे जिस रास्ते
🌹 वह तो बंद हो गए
बंद हो,,,,,,,,,,,।
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून ✍️
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