😢😢😓😓😔😔
लड़की बिचारी देखो
अश्क बहा रही है,
ज़ुल्मों सितम का अपने
हिसाब चाह रही है,
जिसको भी मिला है मौक़ा
लूटा है उसने इसको
बर्बरता दिखाकर अपनी
डसा है इस के तन को,
कोमल सी भावनाओं को
कुचला है हर किसी ने ,
ऐसिड अटैक को भी
झेला है इसके तन ने ,
मारा गया है इसको ,
पीटा गया है इसको,
नोचा गया है इसको,
खसोटा गया है इसको,
तार-तार कर के आबरु
सरे बाज़ार खड़ा किया है,
अदालत भी इसका
सुनती नहीं है रोना,
सवाल पूछ कर बेहूदा
कटघरे में लातीं हैं फिर इसी को ,
मासूम कली थी कल तक,
पत्थर हो गई है,
आंखें खुली हैं अब तो
यूं तो कब का मर चुकी है
वह इंसाफ मांगे किससे
सब गूंगे बहरे हो गए हैं
हालत का उसकी अब
जिम्मेदार कौन है
किसने किया सितम
पूछे वह जाके किससे
सुनता ही कौन है,, हां
सुनता ही कौन है,,।
उठा लेगी जब वह
क़दम कोई भयानक
दुनिया कहेगी फिर भी
गुनाहगार यही है,,
गुनाहगार यही है,,।
मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून,, ✍️
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