नारी तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास रजत नग पगतल में
पीयूष स्रोत सी बहा करो ,
जीवन के सुंदर समतल में
आज औरतों पर बड़ी-बड़ी चर्चाऐं होती हैं, उनके ऊपर आर्टिकल लिखे जाते हैं। भाषण दिए जाते हैं,,, पर किसी औरत के मन को समझना इतना आसान नहीं,,,
यह होता है औरत का मन,,,, अगर अपनी औलाद को खाते हुए देख लेती है तो उसका पेट भर जाता है,,,,।
पति को हंसते हुए देख लेती है तो दोनों जहां की खुशियां उसे मिल जाती हैं,,,,,,,,,।
मां बाप को खुश देखती है तो लगता है स्वर्ग यहीं है,,,,, और भाई को ख़तरे ने देखती है तो अपनी जान भी निछावर करने के लिए तैयार रहती है ,,,। परिवार पर आई विपत्ति में ढाल बनकर आपके साथ खड़ी रहती है,,,,।
😇😇औरत ही है जो दूसरे की खुशी में खुश हो जाती है इसका बच्चा बिस्तर गीला कर दे,,, तो वह बच्चे को गीली जगह से हटाकर खुद लेट जाती है,,,, और सुकून पा जाती है कि उसका बच्चा अब चैन से सो सकेगा।
यह औरत ही है जो जो घर गृहस्ती के साथ नौकरी भी करती है और चेहरे पर एक शिकन तक नहीं होती,,,,,,,।
कोई इसे अन्नपूर्णा कहता है तो कोई इसे श्रद्धा कोई से दुर्गा कहता है तो कोई इसे काली कभी सरस्वती है,, यह तो कभी सती सावित्री कभी लक्ष्मीबाई है यह ,,,, तो कभी सुभद्रा कुमारी चौहान मैं तो कहूंगी के औरत हर रूप में महान है हर रूप में महान,,,,,, ।
जहां तक हो सके इसका सम्मान कीजिए यह औरों के लिए जीती हैं इसे अपने लिए कुछ नहीं चाहिए अगर यह कुछ चाहती है तो वह है आपका प्यार।
इसको सिर्फ आपका थोड़ा सा प्यार चाहिए, सम्मान चाहिए। औरत उस पौधे के समान है,,,,,, जिसे एक जगह से उखाड़कर दूसरी जगह रोप दिया जाता है और यह ऊफ्फ तक नहीं करती।
इसको पनपने के लिए आपका प्यार,, दुलार,,,, और देखभाल की आवश्यकता होती है,,,,,।
एक बार यह सही से जम जाए तो घने पेड़ में बदल कर
सारी उम्र आप की हिफाज़त और सेवा में लगी रहती है।
इसीलिए नारी को सम्मानित करते हुए कवि जयशंकर प्रसाद जी ने लिखा है,,
नारी तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास रजत नगपगतल में
पीयूष स्रोत सी बहा करो
जीवन के सुंदर समतल में
😇😇🙇🤔😊,,,
इसके रूप हज़ार हैं यह कहीं अबला है तो कहीं श्रद्धा कहीं सफलता है तो कहीं कभी वीरांगना,,,,,। कभी यह त्याग की मूर्ति है,,,,,,,,,,,,तो कभी बलिदान की पराकाष्ठा,,,,।
मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून,, ✍️
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