झूठा प्यार मैं तुमसे कर नहीं सकता
सच क्या है यह भी बता नहीं सकता
मुझे भूल जाओ तुम स्वप्न समझ कर
किसी और की हो जाओ मुझे छोड़कर
सच्चा प्यार दुनिया में मिलता कहां है,
बस झूठ ही हर तरफ दिखता यहां है
इतबार यहां किसी पर तुम करना नहीं
मासूम दिखते हैं बहुत लुटेरे हैं सभी।
हर शख़्स लिप्त हैं यहां अपने मफा़त में
मतलब निकल जाए तो पहचानते नहीं।
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,, ✍️
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