ढूंढ- ढूंढ के तुम को अब थक चुकी हूं मैं
तुम ही मिलने मुझसे आ जाओ पास मेरे
जवाब देते नहीं हो क्यों तुम बात का मेरी
ख़ता हुई है क्या ये भी तो बताते नहीं मुझे।
बेवफ़ाई की तुम तो सारी हदें पार कर गए
बिना बताए हमसे बस यूं ही निकल गए।
रस्मे वफा तो तुमसे कभी निभाई नहीं गई
हम ही बचें है क्या वफ़ा निभाने के लिए।
पूछते नहीं हो तुम तो अब हाल भी मेरा
अब वादा तुम से निभाएं तो निभाएं कैसे।
इल्ज़ाम देके मुझको तुम चले गए यहां से
अब दिल मेंं मेरे क्या है वो तुझे बताएं कैसे ।
मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून,, ✍️