🌹बहुत प्यारी सी थी वह मेरी सहेली
रह गई थी मगर वह घर में अकेली।
🌹प्यार करती थी वह किसी को बहुत
डरती थी छोड़ जाएं न वो उसको कहीं ।
🌹मगर उसको एक दिन बिछड़ना पड़ा
नौकरी की ख़ातिर उसे जाना पड़ा।
🌹लोटेगा जल्द ही वह कहकर गया
मगर ना आया वापस वहीं रह गया।
🌹इंतज़ार उसका उसने बहुत ही किया
तब जाकर शादी का फैसला लिया।
🌹बोली करते हैं एक नई शुरुआत हम
अब कभी ना घुट-घुट कर जिएंगे हम।
🌹खुश रहने का हमको भी अधिकार है
हम नहीं मरेंगे उसके लिए जो बेज़ार है।
मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून,, ✍️
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