🌹बस गए हो तुम मेरी
नज़रों में इस क़दर
कहते नहीं तुमसे हम
येऔर बात है,,,,,,।
🌹 मिलना बिछड़ना तो
क़िस्मत का खेल है
दिल से दिल का मिलना
ये और बात है,,,,,।
🌹 इंतजार तेरा रहता है अब
हर रोज़ ही मुझे तो
तू आए या ना आए
ये और बात है,,,,,,,,।
🌹मिलने मुझसे वो आता तो
ज़रूर है बात किए बिना ही
वो निकल जाए
ये और बातें,,,,,,,,,।
🌹 ज़ख़्म पर ज़ख्म ही मुझे,
दिए हैं तूने आज तक
फिर भी दिल में बसा है मेरे
ये और बात है,,,,,,,।
🌹 चाहता है यूं तो मुझको
दिलों जान से वह भी
मिलना ना मिलना
अब और बात है,,,,,,,,।
🌹निकल जाता है आ कर
चुपचाप, मेरी गली से तू
नज़रें ढूंढती हैं मुझे ही
ये और बात,,,,,,।
🌹जानती हूं मैं तुझे भी
प्यार करता है हर किसी से
रोकती नहीं हूं तुझे मैं
ये और बात है,,,,,।
🌹काटे नहीं कटते अब
फुरक़त में रात दिन
बताता नहीं है कोई तुम्हें
ये और बात है,,,,,,।
🌹बैठे हैं दीदार ए हसरत में
मिलने की लगाके आस हम
मिलना नहीं है,अब तुझे ही
ये और बात है,,,,।
🌹जानती हूं ग़ज़ल पढ़ने मेरी
तू आएगा ज़रूर लाइक
किए बिना निकल जाएं
ये और बात है☹️☹️
मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून,,, ✍️
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