🌹हे पुरुष तुम महान हो
धैर्य की मिसाल हो
दुख अपना दिखाते नहीं
अश्क तुम बहाते नहीं
हे पुरुष तुम,,,,,,,,,,,
🌹घर का चिराग़ हो
बहन का ग़रुर हो
भाई का प्रेम हो
औरत का सुहाग हो
बच्चों का बैंक हो
हे पुरुष तुम,,,,,,,।
🌹घर बार चलाने को
ज़िम्मेदारियां उठाने को
गांव से शहर तक
सुबह से रात तक
दौड़ तुम लगा रहे
हे पुरुष तुम महान,,,,,।
🌹कठोर,निर्मम,निर्दयी
अत्याचारी इतने सारे
तुम पर होते इल्ज़ाम है
मोम हृदय होकर भी
विरोध तुम करते नहीं
हे पुरुष तुम महान हो
धैर्य की दुकान हो,,,।
🌹राम हो , कृष्ण हो,
अमिताभ हो, देवानंद हो
इंसान हो, भगवान हो,
वीर हो गंभीर हो
बलवान हो, पहलवान हो,
हे पुरुष तुम महान हो
धैर्य की दुकान हो,,,।
🌹ग़म अपना सुनाते नहीं
प्यार अपना जताते नहीं
रोश में, क्रोध में, जोशमें,
प्रेम में, सब में एक समान हो
हे पुरुष तुम महान हो
धैर्य की दुकान हो,,,,।
😃😃
सभी पुरुषों को समर्पित
मौलिक रचना
सय्यदा खा़तून,, ✍️
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