खूबसूरत, हसीन,
कमसिन,तितलियां,
रंग- बिरंगे लिबसों में सजी
कॉलेज के प्रांगण में
मिल जायेंगी खड़ी,
खूबसूरत हसीन ,
फूलों से भरा ,
बगीचा भी कॉलेज में ,
होता है सदा,
सुंदर खुशबू से भरे ,
फूलों को तितलियां भी
करती है तलाश
काश दिला आ जाए,
उनका भी, उन फूलों पर कभी,
सोचती है दिल में अपने
बस वह भी यही,
मंडराते रहते हैं,
उन फूलों पर,
भवरे भी सदा,
किस फूल पर कौनसी,
तितली जा बैठेगी,
उन्हें सब है पता,
मगर कांटे भी फूलों में
छुपे होते हैं बहुत,
जो कर देते हैं इंतेखा़ब (चुनाव)
तितली का ग़लत,
नादान तितलियों के वो,
कुतर कर पंख,
उड़ने देते नहीं कभी,
और करते हैं तंग
दीवाना वार पकड़ लेते
उन तितलियों को वहां
उड़ने देते नहीं फिर
उनको कभी
कैद हो जाती है
किताबों में फिर
एक ज़िन्दगी,
सदियों से यही तो
चलता आया है यहां,,,
तितलियों को उड़ने का
हक़ है ही कहां
सदियों से यही तो
होता आया है यहां
तितलियों को
उड़ने का हक़ ,
है ही कहां... है ही कहां.....!
😓😓😓☹️☹️🤔🤔🙂🙂
मौलिक रचना सय्यदा खा़तून,, ✍️
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