किसी भी व्यक्ति को अपनी जमीन नहीं छोडऩी चाहिए. क्योंकि जमीन छूटते ही वह हर मोड़ पर समझौते करता है और यही समझौते उसके जीवन को नरक के समान बना देते है. क्योंकि एक बार अगर
समझौता हो गया, तो समझो आपने सामने वाले को अपनी जिंदगी में दखलअंदाजी करने का खुला निमंत्रण दे दिया. अब क्योंकि आपने समझौता किया है, तो वह अब आपको हमेशा नीचा दिखाने के लिए कोशिश करेगा, क्योंकि उसने आपके साथ मन से नहीं, बल्कि ऊपरी तौर पर समाज को दिखाने के लिए समझौता किया है. इसलिए मेरा मानना है कि दोस्ती, रिश्तेदारी,
व्यापार या
नौकरी किसी भी स्तर पर आपको समझौता नहीं चाहिए. क्योंकि जब भी कोई संबंध इस स्तर तक पहुंच जाए कि जिंदगी बोझिल लगने लगे तो ज्यादा बेहतर है कि उस संबंध को हमेशा के लिए तोड़ दिया. फिर समझौते के तहत उसको बेमतलब ढोते रहने से जिंदगी नरक के समान हो जाती है. जिंदगी के सफर में हर मोड़ पर हमको कोई न कोई मिलता ही रहता है. जो हमें आकर्षित करता है हम उसकी ओर खिंचे चले जाते है. फिर जिंदगी के सफर में साथ चलते-चलते अचानक कभी-कभी कुछ ऐसा हो जाता है कि उसका व्यवहार हमको अच्छा नहीं लगता, पहले तो ऐसा होना नहीं चाहिए, क्योंकि सभी जानते है कि मानव मन की बात ही क्या. और फिर जैसे हम अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र है, ठीक उसी प्रकार वह भी स्वतंत्र है. पर उसकी स्वतंत्रता हमको अखरने लगती है, हम अपने विचारों को उस पर लादना चाहते है. बस यही से विचारों का टकराव शुरू हो जाता है. यह टकराव हमको उन हालातों के गहन अंधकार में ले जाता है, जहां पर हम टूट जाते है. चंूकि हमें इसी समाज में रहना है, जहां कुछ कायदे-कानून होते है उनका पालन भी करना होता है, लिहाजा हम हालात से समझौता करते हुए अपने विपरीत विचारों वाले के साथ भी जीवन जीते रहते है. बस यही हमको नहीं करना चाहिए. किसी भी हालात में कोई भी समझौता करने से बेहतर होगा, उस संबंध को सदा-सदा के लिए तोड़ दिया. जीवन में समझौते से बचने के लिए जरूरी है कि हम दूसरे के विचारों का सम्मान करें. ठीक वैसे ही जैसा हम चाहते है कि दूसरा हमारा सम्मान करें, क्योंकि जो मजा स्वाभाविक रूप से जीने में है, वह बनावटी रूप से जीने में नहीं है. साथ ही हमको अपनी पृष्ठभूमि को आधार मानते हुए आगे बढऩा चाहिए. अब हर इंसान की ख्वाहिश आगे बढऩे की होती है तो क्यों न हर कोई आगे बढ़े, आगे बढ़ते हुए हमको अपने बीते वक्त के साथियों के सहयोग को नहीं भुलाना चाहिए. क्योंकि कभी उनकी प्रेरणा और सहयोग के चलते हमको
सफलता एं मिलती है. ऐसे में अगर हम उनको भूल जाए तो फिर खुद ही सोचिए क्या हो सकता है. क्योंकि आप जितनी तेजी से ऊपर जाते है, उतनी ही तेजी से आप जमीन पर गिरते है. ऐसे में हमको अपनी जमीन को नहीं छोडऩा चाहिए. मतलब पुराने वक्त को नहीं भूलना चाहिए. सफलता और असफलता की भिंडत के बीच पता नहीं हम कब जमीन पर आ गिरे और जब जमीन पर गिरेंगे तो अपने ही हमको फिर आगे बढऩे की प्रेरणा और सहयोग देंगे. क्योंकि हमारे सामने सबसे बड़ा उदाहरण इस बात का है कि आज तक
पाक िस्तान से समझौते पर समझौता किए जा रहे है और इसी समझौते ने अनगिनत
भारत ीयों और पाकिस्तानियों की जिंदगी को नरक बना दिया है. काश हम समझौता न करते तो आज हमने सफलताओं की नई इबारत लिख दी होती.