ऐसी कार्रवाई करूंगा कि मिसाल बनेगी.
सीएम आदित्यनाथ योगी ने यह बात गोरखपुर में मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के बाद कही है.
यूं तो कथनी और करनी में जमीं-आसमां का अंतर होता है. जो जमीं-आसमां के इस अंतर को पाट देता है, वहीं इतिहास बना देता है. अब तो बस इंतजार है बच्चों की मौत से व्यथित सीएम योगी इस अंतर को कब तक पाटते भी है या फिर नहीं.
सियासत के खेल में इंसानों की औकात होती तो गोरखपुर में मासूमों की जान न जाती. मर गए जिनके मरने थे. अब पेमेंट करो या जांच बैठाओ. क्या फर्क पडता हैं? दम है तो कार्रवाई करो, जांच तो होती रहेगी. मौतें हुई है न, क्या इतना काफी नहीं है कार्रवाई के लिए. सडक पर अचानक गाडी की टक्कर से राहगीर की मौत हो जाए तो ड्राईवर अरेस्ट हो जाता है. तब क्या बच्चों की मौत पर पहले जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो सकती. हॉस्पिटल की व्यवस्था को चलाने वाले न तो कोई अनाड़ी थे और न ही मासूम, कि उनको कोई जानकारी ही न हो कि हॉस्पिटल में ऑक्सीजन खत्म होने वाली है या अन्य कोई कमी है. इस बात को समझने की जरूरत है कि बच्चे हास्पिटल में मरे है, किसी ट्रेन दुर्घटना या बम गिरने से नहीं. सोचो, आखिर बच्चे थे. वो भी एक दो नहीं, 76 बच्चे. जो सबसे तेज तर्रार और युवा सीएम के राज में सिस्टम की बलि चढ गए.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को सात अगस्त से बीआरडी कॉलेज में हुई मौत के आंकड़े भी सामने रखे. इसके मुताबिक 11 तारीख तक कुल 63 बच्चों की मौत हुई थी. अगले दो दिन में हुई मौतों को मिलाकर मरीजों की मौत का आंकड़ा 76 पहुंच गया है.
- 7 अगस्त को कुल 9 मौतें.
- 8 अगस्त को कुल 12 मौत.
- 9 अगस्त को कुल 9 मौतें.
- 10 अगस्त को कुल 23 मौतें.
- 11 अगस्त को कुल 11 मौतें.
- 12 अगस्त को कुल 7 मौतें.
- 13 अगस्त दोपहर तक 6 मौतें.