मेरे मित्र ने कहा तुम तो एक लेखक हो लिख ही डालो एक कविता, मेरी परेशानी बढ़ी क्योंकि मैं तो अंग्रेजी में बड़े-बड़े लेख लिखने वाला गद्य लेखक था, कविता कैसे लिखूं, हाँ गद्य जैसी कुछ कविताएं मैने गढ़ी जरुर थीं, यह कविताएं गढ़े भी अर्सा बीत गया था – और यह कविताएं – न तो मैंने लिखीं, न बुनीं, न गढ़ीं, वे तो बस घटित हो गई थीं । मेरे मित्र की एक शर्त यह भी थी कि कविता हिंदी में लिखो - मेरी परेशानी बढ़ी, मैं ठहरा अंग्रेजी का समर्थक, मात्र भाषा का, हिंदी का मजाक उड़ाने वाला, दंत कथाएं भी अपनी मात्र भाषा छोड़ अंग्रेजी में पढ़ने वाला - क्या जानूं कि जो घटता है वह समय से, स्थान से, भाषा से, बंधन से, सीमा से, ओंकार में, वेदों की रचनाओं में, कुरान में, क्रिसमिस में, गुरबाणी में, मर्यादा पुरुषोतम राम की मर्यादा में, भगवान कृष्ण की लीलाओं में, राजा दशरत के पुत्र स्नेह में विलाप में, ब्रह्म महुर्त से, एकांत में, भीड़ में, शब्दों में, नि:शब्दों में, पक्षियों की चीं चीं में, शिशु की किलकारी में, आकाश की चपला में, घन गर्जन में, सुर साधना में, चित्रकार के रंगों में, धावक के डगों में, पशुओं के झुंड में, पहाड़ों की चोटियों में, वादियों में, सागर की लहरों में, गंगा की कल कल में, नदियों के शोर में, सावन की घटाओं में, पवन के सोर में, बसंत में, तीज-त्यौहारों में, झरनों के झर झर में, प्रात: की पुरवाई में, कुदरत की हर आकृति और विकृति में, लह-लहाते खेतों में, प्रत्येक नर-नारी के अहसासों में, किसी न किसी रुप में, भिखारियों में, मालिक-नौकर में, गुरु-शिष्य संबंधों में, हीर-राझां, सस्सी-पुन्नू, मिर्जा-साहिबां, सहती-मुराद, श्री-फरहाद, अनारकली-सलीम, मुमताज-शाहजहां के प्यार में, राजा सलवान-पूरण भगत-राणी लूणा के त्रिकोण में, साधू महात्माओं की तपस्या में, राजा महाराजाओं की कहानियों में, मनु की चार जातियों में, एक दूसरे के साथ भेद-भाव में, न्याय-अन्याय में, गुरु अर्जुन देव-गुरु तेग बहादुर-दशमपिता-श्री गुरु गोबिंद सिंह-शिवाजी मराठा-राणा सांगा, महाराणा प्रताप-मर्दानी लक्ष्मी बाई-पृथ्वी राज रासो-बुंदेले मुंहबोलों-सुभाष चंद्र बोस-सेनानियों की वीरगाथाओं में, महात्मा गांधी के त्याग और तपस्या में, बाल-पाल-लाल के धैर्यवान त्रिकोण में, भगत सिंह-राजगुरू-सुखदेव के बलिदान में, जग्गा डाकू-दुल्ला-भट्टी में, मुकरी-महमूद- जूनियर महमूद-जॉनी वाकर-जॉनी लीवर-टुनटुन-गुड़डी मारुति-कंचन मट्टू-मेहर मित्तल-कपिल शर्मा-घुग्गी-रौणकी राम-भगवंत मान, की कॉमेडी में, क-ख-ग और देशी भाषाओं में ।
ए-बी-सी-डी, गुड मार्निंग, गुड इवनिंग, हैलो हाय बाय बाय में नहीं। रोमिओ जूलियट, रॉबिनहुड, चार्ली चैपलिन, किंग-कवीन, विलियम शेख्सपीयर, जॉर्ज बर्नारड शाह, कीटस, शैले रानी विक्टोरिया, प्रिंस चार्लस, स्पैंड थरिफ्ट, एवरी डे इस संडे फॉर ए सुपरानुएटिड मैन, लॉयन एंड दी हेयर, थरस्टी करो, लैंड, हिल, स्काई, रिवर, फॉउनटेन, सी, नेचर, ब्यूटी, ब्लैक, वाईट, ग्रीन, रेड, मॉम-डैड अंकल-आँटी पढ़ने वाला मैं क्या जानू अपनी संस्कृति के बारे में । जो लिखा है बेशक कविता नहीं, वही लिखा है जो घटता है । अंग्रेजी में सोच देशज कविता कैसे करूं । इस मंच पर जो भी घटा है वही सब हमारी संस्कृति के साथ तो घट ही रहा है ।