16 जून 2015
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मैं राजनीति शास्त्र एवं हिंदी में एम.ए हुं, अपने विभाग में यूनियन का अध्यक्ष रह चुका हुं, जिला इंटक बठिंडा का वरिष्ठ उप प्रधान रह चुका हुं, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति, बठिंडा एवं भुवनेश्वर का सदस्य-सचिव रह चुका हुँ, वर्तमान में अखिल भारतीय कर्मचारी भविष्य निधि राजभाषा संघ का सलाहकार हूँ, आयकर विभाग में सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत रह चुका हुँ, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर हिंदी मामलों से संबंधित विशेषज्ञ पेनलों एवं हिंदी संगोष्टियों का हिस्सा रह चुका हुं, अलग-अलग नाम से विभागीय और नराकास की 12 से भी अधिक पत्रिकाओं का संपादक रह चुका हुँ, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन से राजभाषा अधिकारी के पद से सेवानिवृत्ति के पश्चात जुलाई, 2019 से बतौर परामर्शदाता कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय में तैनात हूँ, 05 वर्ष तक श्री साईं कॉन्वेंट स्कूल, अमृतसर के प्रधानाचार्य का पद संभाला और कुछ समय तक एनडीएमसी, दिल्ली के सोशल एजुकेशन विभाग के कौशल विकास अनुभाग का कार्य भी देखा। मनसुख होटल और करतार होटल अमृतसर का प्रबंधक रह चुका हूँ , भाषाकेसरीओएल के नाम से मेरा यूट्यूब चैनल है और स्वयं की ओर से लिखित पुस्तकों का लेखक भी हूँ ।D
धन्यवाद शब्दनगरी संगठन
18 जून 2015
धन्यवाद पुष्पा पी. परजिया जी
18 जून 2015
धन्यवाद ओम प्रकाश शर्मा जी
18 जून 2015
धन्यवाद रमेश कुमार सिंह जी
18 जून 2015
धन्यवाद डॉ. शिखा कौशिक जी
18 जून 2015
यथार्थ से परिपूर्ण कविता ,इंसान के जीवन की शुरुवात से लेकर जीवन के अंत तक पुष्प , सुमन, कुसुम, या फूल जो भी कहें इनकी जरुरत पड़ती ही है .. सुन्दर रचना हेतु बधाइयाँ .......
17 जून 2015
विजय जी, 'पुष्प गाथा' के माध्यम से आपने कितने ही सुमनों के सौरभ से शब्दनगरी की बगिया को सुरभित कर दिया है....आभार !
17 जून 2015
अति सुन्दर रचना विजय जी...भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ !
17 जून 2015
सुंदर प्रस्तुतीकरण बधाई हो।
17 जून 2015
bahut sundar bhavabhivyakti .aabhar
16 जून 2015