आंध्र प्रदेश के चाहे भूतपूर्व मुख्यमंत्री हों या वर्तमान सभी ने विशाखापट्टणम (विशाख/वैजाग/ वॉलटायर) नगर को राज्य की वाणिज्यक राजधानी घोषित करके गर्व महसूस किया है। यह धार्मिक मतभेद व औद्योगिक असंतुष्टि से दूर एक शांतिप्रिय नगर है। उत्साहित बड़े-बड़े उद्योगपति अपने-अपने उद्योग धंधे व व्यापारिक प्रतिष्ठान इस नगर में खोलना चाह रहे हैं क्योंकि यहां विकास के अनेक मार्ग हैं। इस नगर में दक्षिण काशी के नाम से जाना जाने वाला आध्यात्मिक यात्रा स्थल सिंहाचलम स्थित है, जहां भगवान वराह लक्ष्मी नृसिंहस्वामी का मंदिर है। अच्छे और मनमोहक पर्यटन स्थल अर्कु और बोर्रा गुफाएं हैं। नगर में सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र, फार्मासूटिकल उद्योग खुल चुके हैं और वर्तमान में स्थित हवाई अड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का दर्जा दिया गया है। हवाई मार्ग से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय गंतव्यों को मछली और सीफूड निर्यात होता है।
इस लक्ष्य नगर में लाखों रोजगार के अवसर हैं जिनमें सूचना प्रौद्योगिकी भी शामिल है क्योंकि अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी शाखाएं या तो खोल चुकी हैं या खोल रही हैं और रियल एस्टेट कंपनियां बड़ी मात्रा में नगर और उसके आसपास भवन बनाने में लगीं हैं। अद्यतन रिपोर्टों के अनुसार यह सुंदर नगर विशाख दुनिया के त्वरित गति से विकसित होने वाले नगरों की सूचि में भी शामिल है। अत: यह गलत नहीं होगा अगर विशाखापट्टणम के निवासी अपने को गौरवान्वित महसूस करते हैं। समुंद्र तल से 15 फीट ऊंचाई पर स्थित यह नगर पूर्वी समुंद्रतट का रत्न है। अगस्त से अक्तूबर और जनवरी से मार्च तक यहां का मौसम सुहावना रहता है। अशोक काल में 272-232 बीसी में यह नगर कलिंग राज का एक मछली पकड़ने वाला गांव था। बाद में यह नगर आंध्र के वेंगीस, चोल्लास, पल्लवास, गंगस राजाओं के राज्यों का भाग रहा और 15 वीं सदी में विजयनगर राज्य का हिस्सा बन गया। अंग्रेजों ने इसे अपने कब्जे में लेकर इस सुंदर स्थान को व्यस्त और उबरते हुए बंदरगाह नगर में परिवर्तित कर दिया। वैजाग हमेशा से ही भारतीय नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। द्वीतीय विश्वयुद्ध के दौरान जापानियों ने इस नगर पर आक्रमण किया था। 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान भी पाकिस्तानियों ने इस नगर पर आक्रमण किया था किंतु इत्तेफाक से शहर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था। वैजाग भारतीय नौसेना का मुख्यालय है। तीन प्रतापी पर्वतमालाएं कैलाश हिल्ज, पोरलुपुलम हिल्ज, यारदा हिल्ज हैं जो इस सुंदर नगर की पीछे से अच्छी झलक दर्शाती हैं। बहुत ही अच्छा सांस्कृतिक इतिहास होने के कारण शहर में पर्यटन भी बढ़ता जा रहा है। रामाकृष्णा मिशन बीच(यहां पर विशाखा उत्सव मनाया जाता है), रिशीकोंडा बीच, यारदा, भीमली, लॉसनज बे, टेनेट्टी, गंगवरम, सागरनगर और उद्यान(कैलाशगिरी, वुडा पार्क), जलप्रपात, घाटियां, जलघाराएं, डाल्फिन नोस, लाइटहाउस, मत्सयादर्शनी, कुरुसरा सबमरीन, युद्ध स्मारक, कैलाश गिरी(शिव-पार्वती की बड़ी मूर्तियां हैं) विशाख म्यूजियम, इस्कॉन मंदिर, श्रीकन्कलक्ष्मी मंदिर और सिंहाचलम मंदिर अच्छे पर्यटन स्थल हैं। बंदरगाह में प्रविष्ट होते ही कन्यामेरीकोंडा पहाड़ी(रोस हिल) के शिखर के ऊपर एक रोमन केथोलिक गिरिजाघर, दुर्गा कोंडा ईशाक मदीना पीर की मजार के साथ व वेंक्टेश्वर पहाड़ी के ऊपर मंदिर अलग-अलग तीन पहाड़ी चोटियों से ध्यान आकर्षित करते हैं और नगर का धर्मनिर्पेक्ष चेहरा प्रस्तुत करते हैं। तोतलकोंडा बुद्ध परिसर हिल टॉप वैजाग से 16 किलोमीटर दूर वैजाग-भीमली बीच रोड़ पर स्थित है। 1978 से आंध्र प्रदेंश सरकार ने इसे आरक्षित क्षेत्र घोषित कर दिया है। पावुरल्लाकोंडा. संकरम और बावीकोंडा जैसी बुद्ध धरोहरें भी इस क्षेत्र में हैं। तेलुगु यहां की स्थानीय भाषा है व हिंदी और अंग्रेजी भी यहां अच्छे तरीके से बोली और समझी जाती हैं। मैगनीज और बॉकसाइट जैसे खणिज इस क्षेत्र में मिलते हैं। ढाबा गार्डन, गोपालपट्टणम, मर्रीपालेम, एनएडी क्रौस रोड़, एनएडी कोत्त रोड़, जगदंबा सेंटर, द्वारका नगर, सूर्यबाग, पूर्णा मार्कीट, अक्कय्यापालेम, सीतमधारा, मड्डिकापालेम, एमवीपी कॉलोनी, गाजूवाका, महारानीपेट्टा, श्रीपुरम, मधुरवाडा, आसिलमेटा, रेल्वे न्यू कॉलोनी, डोंडापर्थी इत्यादि इस नगर के प्रमुख इलाके हैं।
इस नगर का उपनिवेशिक नाम वॉल्टायर है। नगर में वॉल्टायर क्लब है और इस नगर के कुछ भाग को वॉल्टायर भी कहा जाता है। आजादी के समय यह नगर एक बड़ा जिला था जो बाद में श्रीकाकुलम, विशाखापट्टणम और विजयनगरम में विभाजित हो गया। शहर का हब वॉल्टायर रेल्वे स्टेशन था इसलिए इसके पास-पड़ोस के क्षेत्र को वॉल्टायर बुलाया जाता है। 1990-2000 के दौरान नगर की जनसंख्या दोगुणी हो गई। इस नगर में रोजगार की तलाश में देश-दुनिया के नागरिक आते हैं। ज्यादा लोगों के आने से भीड़ भी बढ़ती है। आरटीसी कंप्लैक्स और व़ॉल्टायर अपरोच रोड़ को कनैक्ट करने वाले 1.8 किमी फलाईओवर के बन जाने से इस नगर की भीड़-भाड़ कुछ कम हुई हैं। मुख्यत: यहां हिंदु, मुस्लिम और ईसाई धर्मी लोग रहते हैं। एंग्लो-इंडियन समुदाय भी यहां रहता है। महिलाओं का आबादी प्रतिशत पुरुषों के 1000 के मुकाबले 977 है।
विशाखापट्टणम पोर्ट और गंगवरमपोर्ट, विशाखा डेयरी, विशाखापट्टणम विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, आंध्र प्रदेश विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र, एपीआईआईसी, जवाहर लाल नेहरु फार्मा शहर जिसमें, फार्माजेल (जर्मनी), एइसई फार्मा(जापान) सहित अनेक कंपनियां हैं, विशाखापट्टणम निर्यात, गेल, भेल, आरआईएनएल, जिंदल स्टील्स लि., सीनर्जीज कासटिंग, रेनकालसीनाइजिंग, रिलाएंस, बरांडिक्स, एस्सार पेल्लट प्वाएंट, आंध्र(सीमेंटस, फेरोकैमीकल्ज, फैरोअलॉयस) लि.। राष्ट्रीय आपातकाल की स्थिति में तेल आरक्षण केंद्रों में वैजाग भी एक है। एनटीपीसी का सिमहादरी पावर प्लांट भी इस नगर में है । 1971 में स्टील प्लांट का शिलान्यास हुआ तथा 1981 में उत्पादन आरंभ हो गया । यह इस नगर में सबसे बड़ा औद्योगिक निवेश है। अगर 1933 में यहां बंदरगाह न बनती तो अभी तक यह मछली नगर ही होता। 21वीं सदी में यह बंदरगाह एशिया की प्रमुख बंदरगाहों में स्थान बनाने वाली है। बंदरगाह एक ऐसे आदर्श स्थान पर स्थित है जहां डॉलफिन नोज पहाड़ी पूर्वी तटों पर अकसर आने वाले पूर्वीय तूफानों से इस प्राकृतिक बंदगराह की रक्षा करती है ।