अष्टशंभु मंदिरों में से
एक केदारेश्वर मंदिर राजधानी भुवनेश्वर में मुक्तेश्वर मंदिर के पास है, इसे केदार
गौरी मंदिर भी कहते हैं, इसके ईष्टदेव हैं भगवान शिव जिन्हें स्थानीय लोगों ने
केदारेश्वर नाम दिया, यह मंदिर केदार-गौरी इलाके में मुक्तेश्वर मंदिर के दक्षिण
की ओर 40 मीटर दूर स्थित है, यह केदार-गौरी परिसर का मुख्य मंदिर है और दस
स्मारकों में से एक है, इस मंदिर का निर्माण 11वीं सदी के अंत और 12वीं सदी की
शुरुआत में हुआ था, इस समय को ओड़िशा में सोमवंशी शासन के पतन और गंगा के शासन की
शुरुआत कहा जाता है, प्रवेश द्वार के पास जगमोहन की दाहिनी ओर की दीवार के शिलालेख
पर राजा प्रमादी द्वारा दिए गए दान का विवरण है, गंगा राजा अनंतवर्मन के छोटे भाई
प्रमादी 11वीं सदी में राजा थे, 11वीं सदी में यह मंदिर भगवान शिव की आराधना का
प्रमुख स्थल था।
एक समय की बात है कि
कैदार और गौरी नामक प्रेमी युगल यहां रहता था, वे दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे
और उन्होंने विवाह का फैसला कर लिया लेकिन समाज उनके प्रेम के खिलाफ था, दोनो गांव
छोड़ कर फरार हो गए, सफर के दौरान गौरी को भूख लगी. केदार खाना ढूंढने गया लेकिन
बाघ ने उसे मार दिया, बाद में जब गौरी को इस बात का पता चला तो उसने वहीं पास के
तालाब में कूद कर जान दे दी, उत्कल प्रांत के राजा लालाटेंदू केशरी को जब यह पता
चला तो उसने यहां एक मंदिर बनवाया जिसका नाम केदारेश्वर या केदारगौरी मंदिर रखा,
बिना बाधा के जीवन चलने और विवाह के लिए अब भी प्रेमी जोड़े इस मंदिर में दुआ
मांगने आते हैं।
केदारेश्वर मंदिर 11वीं
सदी में भगवान शिव का प्रमुख मंदिर था, यह मंदिर मुक्तेश्वर मंदिर के पास स्थित
अष्टशंभु मंदिरों में से एक है, यह दस स्मारकों में से एक है जो परिसर का मुख्य
मंदिर है, मंदिर का द्वार दक्षिण की ओर है, मंदिर के देवता बलुआपत्थर से बने वृत्ताकार
योनीपीठ हैं और इसके मध्य में रहने वाला लिंग नहीं है, मंदिर का गर्भगृह 2.5
स्क्वायर मीटर में है जो जमीन में 0.8 मीटर दबा है ।
मंदिर में एक विमान और
एक जगमोहन हैं जो 20.40 मीटर लंबे और 9.60 मीटर चौड़े हैं, विमान की लंबाई 9.60
स्क्वायर मीटर है। जगमोहन की लंबाई 10.80 मीटर है और चौढ़ाई 9.60 मीटर है, यह
पंचरत्न मंदिर है, मंदिर का विमान रेखाक्रम में है जो प्रभाग और कलश से 13.50 मीटर
की ऊंचाई पर है, मंदिर का बड़ा पाँच भागों में बंटा है. मंदिर में एक पंचांग बड़ा
है जिसका आकार 5.40 मीटर है, प्रभाग के तल को पांच सजावटी सांचों में ढाला गया है जिसे खुर, कुंभ, पत्ता, कनी और
बसंत कहते हैं जिसका आकार 1.24 मीटर है, तालजंघ की ऊंचाई 1.18 मीटर है, बंदना 0.50
मीटर, ऊपर जंघ 1.18 मीटर और बरामदा 1.30 मीटर की ऊंचाई पर है, मंदिर का बड़ा सुंदर
मूर्ति कला से सजाया गया है. मंदिर का मस्तक बेक, अम्लका, खुपुरी, कलश और आयुध
जिनका आकार तीन मीटर है, मंदिर का एकांत कमरे का आकार 2.50 मीटर है और यह जमीन से
0.70 मीटर नीचे है, जगमोहन को पीढ़ा की तरह बनाया गया है।