कोई कहे हिंदु पानी कोई कहे मुस्लिम पानी, सिख ईसाई की भी बुलंद अलग आवाज है, अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग है, कहते हैं वास्तू ज्ञानी भारत का वास्तू ही खराब है, जिस तरफ चाहिए पानी उस तरफ पहाड़ है, कहीं से लगता नहीं कि भारत में प्रजा की सरकार है, धर्मनिर्पेक्षता का क्या यही एकमात्र परिणाम है। विदेशी आक्रमण, विदेशी जंजीरें, असंख्य स्वतंत्रता सेनानियों की शहादत, गुलामी की जंजीरें तोड़ मिली आजादी, फिर भी, जात-पात धर्म और क्षेत्रीयता का राग है। राजभाषा हिंदी का स्वतंत्रता प्राप्ति में अहम योगदान, बावजूद इसके हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ में स्थान तो दूर, अभी तक अपने देश में ही राष्ट्रभाषा के सम्मान की दरकार है। नौकरी चाहिए- रोजगार चाहिए- विज्ञापन चाहिए - जाना हो एक से दूसरे प्रदेश, मराठी मानुष का - जाना हो महाराष्ट्र से गुजरात तो हिंदी की दरकार है। नौकरी मिली- रोजगार मिला- विज्ञापन मिला- प्रदेश वापसी, भारत माता के माथे की बिंदी हिंदी फिर से दरकिनार है। अंग्रेजी में काम करने की मजबूरी, बच्चों को अंग्रेजी स्कूल में पढ़ाने की मजबूरी, डर है - कहीं बच्चे आम बच्चे न बन जाएं। अंग्रेजी ज्ञान से ही तो बच्चा आम से खास है, भारत में ही देशी भाषागिरी बेहाल है, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, लूट-खसूट, विदेशी हस्तक्षेप, भारत की घेराबंदी, मालूम नहीं क्या भारतीयों को ? फिर भी मूलभूत सुधारों के बजाए समाजसेवी- बावा- राजनेता करते दबंगई, जनता का अंधानुकरण, करने को उकसा रहा ऐसी ताकतों को दबंगई। अपना भ्रष्टाचार जब सामने आता तो कहते, यह सब विरोधियों की करामात है। क्या यह कहीं जनता की नासमझी का तो नहीं परिणाम है? फिरंगी सरकार - राज में नहीं डूबता था कभी सूरज जिसके, के खिलाफ बापू का अहिंसक आंदोलन, याद नहीं क्या इन दबंग आंदोलनकारियों को ! जिनकी समाधि से शंखनाद करके, देते हैं सबको तानाशाही भरी धमकियां, यही है क्या आज की आंदोलनगिरी ? पंजाब, जम्मू कश्मीर और उत्तर-पूर्व का आतंकवाद, असंख्य देशी-विदेशी नागरिकों की शहादत, राजनीतिक पार्टियों के नेताओं की शहादत, बहु-बेटियों की इज्जत तक बेहाल, फिर भी ऐसे बुद्धिजीवियों की है नहीं कमी, जो कह सकते हैं - कश्मीर. कश्मीर कभी भारत का अंग था ही नहीं। निर्दोशों की फांसी के खिलाफ भी, होती है मौका परस्त आवाज बुलंद, भारत चमक रहा है, भारत विश्व शक्ति है, भारत के अंतरिक्ष यान प्रेषित हो रहे हैं, सबसे सस्ता मंगल अभियान आरंभ, अग्नि-5 का परीक्षण, चीन बेहाल, भारत का विश्व में डंका है। दूसरी ओर नेताओं, अफसरों का अपहरण, विदेशियों के अपहरण से भारत की बदनामी का भी डंका है, आर्थिक शिथिलता का दुनियां में ढिंढोरा है, कुकर मुत्ते की तरह उभर रहे आंदोलनकारी हैं।
हे भारत के सुधी नागरिक, कर इस तरह से मतदान, संघीय ढांचा हो स्वस्थ और सबल
भ्रष्टाचार- नकस्लवाद- आतंकवाद- दबंगवाद का नास हो, कमजोर न हों राज्य सरकारें, केंद्र सरकार का भी बजे डंका। भ्रष्टाचारियों, फिरकापरस्तों, दबंगों के लिए यही एक माकूल जवाब है।