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हिंदी के प्रचार-प्रसार में सहायक सुझाव

5 अक्टूबर 2015

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26 जनवरी, 1950 को लागू भारत के संविधान के अनुसार हिंदी को राजभाषा स्वीकृत किया गया है और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ का यह दायित्व है कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकास करे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके और उसकी प्रकृति में हस्तक्षेप किए बिना हिंदुस्तानी में और आठवीं अनुसूची में विनिर्दिष्ट भारत की अन्य भाषाओं में प्रयुक्त रुप, शैली और पदों को आत्मसात करते हुए और जहां आवश्यक या वांछनीय हो वहां उसके शब्दभंडार के लिए मुख्यत: संस्कृत से और गौणत: अन्य भाषाओं से शब्द ग्रहण करते हुए उसकी समृद्धि सुनिश्चित करे।

भारत सरकार की ओर से राजभाषा अधिनियम,1963 बनाया गया है और राजभाषा नियम, 1976 भी तैयार किए गए हैं । हिंदी शिक्षण और प्रशिक्षण योजनाओं के माध्यम से देश-विदेश में हिंदी सिखाई जा रही है । भारत सरकार के मंत्रालयों, कार्यालयों, उपक्रमों, निकायों में हिंदी के कार्यों का कार्यान्वयन कराने के लिए केंद्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति, केंद्रीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति, हिंदी सलाहकार समिति, संसदीय राजभाषा कार्यान्वयन समिति, नगर राजभाषा कार्यान्वयन समिति और कार्यालय राजभाषा कार्यान्वयन समितियों सरीखी समितियों का गठन किया गया है । हिंदी की प्रगति के लिए विश्व स्तर के 10 विश्व हिंदी सम्मेलन हो चुके हैं । पुरस्कार योजनाओं के माध्यम से हिंदी में काम करने वालों को प्रोत्साहित किया जाता है । फिर भी देश के असंख्य नागरिक हिंदी को स्वेच्छा से अपनाने को तैयार नहीं । यहां तक कि भारत के अनेक क्षेत्र तो हिंदी के विरोध में मरने मारने को तैयार हैं । कारण कोई खास नहीं परंतु राजनैतिक और आर्थिक असुरक्षा का डर दिखाकर भारतीयों की भावनाओं से खिलवाड़ किया जा रहा है जिससे भारत की तरक्की में भी रुकावटें उत्पन्न हो रही हैं ।

वर्तमान में जितनी भी मुसीबतें भारतीय झेल रहे हैं उनका प्रमुख कारण है भारत में लंबे समय तक चलती रही राजनैतिक उथल-पुथल और भारत पर विदेशियों का शासन जिससे देशी भाषाएं अपने स्वाभाविक स्वरुप में फलफूल नहीं सकीं । किंतु ब्रिटिश उपनिवेश काल और विशेषकर भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम 1857 ई. की असफलता के बाद अंग्रेजों द्वारा भारतीयों को सदा के लिए गुलाम बनाए रखने के लिए विशेष प्रयास आरंभ किए गए। जिनमें से कुछ इस प्रकार से हैं :-

भारत में 1858 ई. से लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति को लागू कर दिया गया । जिसका प्रमुख लक्ष्य था भारतीयों को ऐसी शिक्षा देना जिससे उनका तन तो भारतीय हो लेकिन बुद्धि अंग्रेजी हो । रणनीति के तहत भारत में चलने वाले गुरुकुल बंद कराए गए । अंग्रेज स्वयं भी रोमन लिपि के माध्यम से भारतीय भाषाएं सीखते थे तथा सरकारी सेवा में आने वाले अनपढ़ भारतीयों को भी रोमन लिपी के माध्यम से पढ़ाते थे ।

दंड स्वरुप भारतीयों पर आयकर लगाया गया । भारतीयों की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए और भविष्य की योजनाएं तैयार करने के लिए देशी भाषाओं में छपने वाले तमाम समाचार पत्रों और पत्रिकाओं को इंग्लैंड में मंगवाना आरंभ किया गया । 1865 ई. में ब्रिटिश सरकार ने लंदन से भारत के लेफ्टीनेंट गवर्नर को आदेश दिया कि भविष्य में ब्रिटिश शासन अधीन भारत के प्रत्येक क्षेत्र से देशी भाषाओं के सभी मुद्रित समाचार पत्रों, पुस्तकों और पत्रिकाओं की सूची बनाकर लंदन भेजी जाए ताकि रॉयल-एशियाटक-सोसायटी-लंदन ब्रिटेन में उसका प्रयोग कर सके।

हकीकत चाहे जो भी हो किंतु अंग्रेजों को एक बात अच्छी तरह से मालूम थी कि बहुसंख्यक भारतीय हिंदी बोलने, लिखने और समझने में सक्षम हैं, इसलिए जब भारत सरकार अधिनियम, 1935 आया तो तभी से यह साफ होने लगा था कि भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी होने वाली है । अफसरशाही ने रोजगार खो जाने के डर से हिंदी का विरोध करना शुरु कर दिया जो हिंदी के राजभाषा बनने से लेकर आज तक जारी है । विधी क्षेत्र ने भी अंग्रेजी का ही समर्थन किया । लेकिन एक विषय हमेशा से अनुसंधान का विषय रहा है कि कोई भी भारतीय उग्रवादी संगठन अंग्रेजी का विरोध नहीं करता जबकि हिंदी भाषियों पर हमलों की बात आम है । कुछ समय पूर्व मैने समाचार पत्रों में पढ़ा था कि कुछ उग्रवादी संगठनो के सदस्य अपना अंग्रेजी ज्ञान बढ़ाने के लिए महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में दाखिला ले रहे थे । कारण यही है कि अंग्रेजी के ज्ञाताओं को प्रतिभाशाली माना जाता है तथा हिंदी बोलने वालों को गरीब और आम नागरिक । राजनीतिज्ञ भी वोटरों से वोट तो भारतीय भाषाओं में मांगते हैं किंतु जीतने के बाद हिंदी की कोई खोज खबर नहीं लेते । रोजगार के मामले में भी अंग्रेजी के पंडितों को प्राथमिकता मिलती है । भारतीय भाषाओं के साहित्यकार भी अपने औजारों के साथ लड़ने को मजबूर हैं । दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में कुछ साहित्यकारों की ओर से सदी के महानायक श्री अमिताभ बच्चन के विरोध ने एक नए विषय को ही तूल दे दिया । सिने जगत की कुछ हस्तियों ने खुलकर यह कहना आरंभ कर दिया कि हिंदी की सबसे अधिक सेवा तो अभिनेताओं-अभिनेत्रियों ने की है । यह अलग बात है कि एक दो अभिनेता-अभिनेत्रियों को छोड़कर बाकी सभी अपनी स्क्रिप्ट रोमन लिपि में ही पढ़ते हैं । जबकि अधिकतर साहित्यकार अपनी रचनाओं और पुस्तकों के प्रचार-प्रसार के मामलों में भारत सरकार के मूंह की ओर ही ताकते हैं मगर जब केंद्र सरकार के कार्यालयों/उपक्रमों/उद्यमों में तैनात हिंदी कर्मी, जिनके पास कोई प्रशासनिक शक्तियां नहीं होती, उनकी वांछित इच्छा पूरी नहीं कर पाते तो गुस्से से लाल पीला होकर उन्हें हिंदी के पंडे तक की संज्ञा दे देते हैं।

इसलिए जरुरत अब इस बात की है कि भारतीय नीतिनिर्धारक सकारात्मक नीति अपनाते हुए भारतीय भाषाओं में काम करने का मंत्र देकर भारत को सुपर पावर बनवाने में सहायक बनें । हिंदी को रोजगार के साथ जोड़ा जाए । हिंदी में काम करने वाले केंद्र और राज्य सरकारों के कार्यालयों/उपक्रमों/उद्यमों में कार्यरत कर्मचारियों को हिंदी में काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए हिंदी भत्ता के नाम से एक विशेष भत्ता आरंभ किया जाए और वर्तमान में चल रही सभी की सभी पुरस्कार योजनाएं बंद कर दी जाएं । एक ही फॉरमुला लागू हो, हिंदी में जितना अधिक काम उतने ही अनुपात में अधिक भत्ता ।   हिंदी संवर्ग में कार्यरत हिंदी कर्मियों को प्रशासनिक शक्तियां प्रदान की जाएं । हिंदी के वर्तमान एवं सेवानिवृत कर्मियों के नेतृत्व में हिंदी बुद्धिजीवियों को शामिल करते हुए पूरे देश में जिला स्तर पर हिंदी समन्वय एवं शिकायत समितियों का गठन किया जाए । सभी कंप्यूटरों के देवनागरी और भारतीय भाषाओं के ही कीबोर्ड खरीदे जाएं । हिंदी में काम करके देश की तरक्की में काम करने वाली तमाम छोटी बढ़ी कंपनियों को करों में रियायत देने के अतिरिक्त पुरस्कृत भी किया जाए । ज्यादातर बहानेबाज हिंदी को कठिन होने का रोना रोते हैं तथा यह भी बहाना बनाते हैं कि देशी भाषाओं में विज्ञान एवं तकनीकी की पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं । हिंदी का विरोध करने वालों के ध्यान में यह तथ्य लाना भी अति आवश्यक है कि अंग्रेजी ने अपना वर्तमान स्थान कोई रातों-रात हासिल नहीं कर लिया है। इसके पीछे वहां के विद्वानों और साहित्यकारों की कड़ी मेहनत और लगन छुपी हुई है। ज्ञातव्य हो कि प्रिंटिंग का काम 11वीं सदी में आरंभ हो गया था किंतु अंग्रेजी में छपी किताब 1475 ई. में ही प्रकाशित हो सकी थी और वो भी अपने छपने के बीस साल बाद । मानव एक ऐसा सामाजिक प्राणी है जो कोई भी काम बिना सीखे नहीं कर सकता । किंतु हिंदी उसे बिना मेहनत किए ही आ जानी चाहिए, यह चक्र अनंत काल तक चलते रहने की आशंका है।  इसलिए हिंदी के सरलीकरण और वैज्ञानिक एवं तकनीकी सामग्री उपलब्ध कराने का दायित्व भारतीय साहित्यकारों व विद्वानों को सौंपा जाए । क्योंकि भारत एक प्रजातांत्रिक देश है, इसलिए भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने वालों को प्रत्येक सुविधा दी जाए । अगर इससे बात नहीं बनती तो फिर जानबूझ कर हिंदी के रास्ते में रोड़े अटकाने का प्रयास करने वालों के लिए दंड का प्रावधान भी भारत सरकार को करना चाहिए । यहां तक बात हिंदी प्रेमी साहित्यकारों, विद्वानों और कर्मियों की है तो उनका मुख्य हथियार है समन्वय, प्रेम, मित्रभाव एवं अधिक से अधिक जनसंख्या तक पहुंच । उन्हें एक बात सदा ध्यान में रखनी होगी कि भारतीय जनसंख्या में एक प्रतिशत का हिस्सा रखने वाले शेयर बाजार के निवेशकों को एकदम शेयर बाजार के धड़ाम से गिर जाने के बाद हुए नुकसान पर सांत्वना देने के लिए एक के बाद एक देश के वित्तमंत्री को बयान पर बयान देने पड़े थे और प्रधानमंत्री को निरंतर नजर रखनी पड़ी थी तो भारतीय जनसंख्या का चार प्रतिशत अंग्रेजी पंडित तबका अगर मुसीबत में पड़ा तो उनकी सहायता के लिए कौन-कौन सामने आएगा अंदाज लगाना कठिन नहीं । इसलिए हिंदी प्रेमियों, विद्वानों और कर्मियों से अनुरोध है कि वे आपस में गुथ्थम-गुथ्था हुए बिना बगैर किसी हो हल्ले के पूरी मेहनत से हिंदी की सेवा में लगे रहें और सबका साथ और सब तक पहुंच की नीति से हिंदी की प्रगति में लगे रहें ।

                     

विजय कुमार शर्मा की अन्य किताबें

प्रियंका शर्मा

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सहमत हूँ आपकी बात से ।

6 अक्टूबर 2015

ओम प्रकाश शर्मा

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हिंदी की प्रगति आवश्यक है और इस उद्देश्य के लिए "एक ही फॉरमुला लागू हो, हिंदी में जितना अधिक काम उतने ही अनुपात में अधिक भत्ता".... अति सुन्दर एवं सार्थक लेख !

6 अक्टूबर 2015

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अमर नाम - एक सत्य कथा

29 जनवरी 2015
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एक बहुत ही सज्जन कारोबारी - नाम था ‘अमर’ । एक ऐतिहासिक नगर में बहुत ही प्रतिष्ठित स्थापना चलाते थे। अच्छे कर्मचारी उसके बाप दादा के समय से उसके पास काम करते थे और उनकी तन्खवाह भी कोई बहुत अधिक नहीं थी। किंतु अपनी मेहनत व इमानदारी से वे अपने घर भी चलाते थे तथा अपने मालिक का भी आसानी से कोई नुकसान नही

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संदर्भ

31 जनवरी 2015
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कितनी प्यारी हो जाती है उस देश की जमीन राष्ट्रध्वज, राष्ट्रगान, राष्ट्रभाषा व स्वदेशी का सम्मान करते हैं जिसके वसनीक। किसान अपनी जमीन पर विदेशीं खादें डालकर फसल तो उगा सकता है बचा नहीं सकता बीज। खतरे में है उस राष्ट्र की स्वतंत्रता ज्ञान रहित और प्रतिभा रहित हैं जिसके वसनीक। कितना बेसहारा होत

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वातावरण प्रदूषण रोकने को उपाए

3 फरवरी 2015
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बिल्लु एक टांगेवाला है। उसका रोजगार का साधन ही टांगा और घोड़ा हैं। रोजाना टांगा स्टैंड पर जाना और सवारियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचाना। जब अच्छी कमाई हो गई तो अच्छा खाना पीना, मंदी रही तो जेब अनुसार घर का खर्च। एक दिन जब वह घर से निकल रहा था तो उसकी बीवी ने उसे बोला कि आज घर खर्च चलाने ला

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मालवा दर्पण

3 फरवरी 2015
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ख्वाबों में रहो रात भर, ख्यालों में भी रहो रात भर खिली-खिली सुबह हो जब, आओ नजर उजालों में। छोड़ें सभी ख्याल तुम्हारा, ऐसा पल न आए कभी आंखों में बसकर दिल में बसो, मकान न हो ईंट पत्थर का। ऐसी तेरी रहनुमाई हो, नजरों में रहे हर पल ऐसी रचना बनो, अरमानों की न जुदाई हो। महकती तनहाई हो, पतझड़ न छू पाए

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दो शब्दों पर विवाद

6 फरवरी 2015
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15 अगस्त, 1947 को भारत अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हो गया था। 15 अगस्त, 1947 से 25 जनवरी, 1950 तक भारत स्वतंत्र उपनिवेश रहा तथा 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू होते ही भारत एक प्रभुसत्ता संपन्न राष्ट्र बन गया। संविधान की प्रस्तावना में तीन शब्द प्रभुसत्ता संपन्न, प्रजातांत्रिक और गणतंत्र जोड़े

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पहेली-1

7 फरवरी 2015
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मालवा दर्पण की रोशनाई ने आशा की किरण जगाई है। लगन पैदा करदी है हिंदी में काम करने की, अनमोल इसकी प्रत्येक पाई है। वाक्य बोध इसका इतना अनमोल है, आ गई ऋतु जैसे कोई सुहानी है। दरिया पांच जिस धरती पर बहते थे, असमत की रक्षा जिसकी शेरों ने की है। रहती सदा जगमें जिसकी अगुवाई है, पग-पग पर जिसने खतरों स

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ऐ मेरिए रुत्ते

7 फरवरी 2015
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आ नी मेरिए रुत्ते आ मैं तैनु रज्ज रज्ज हंडावां तैनु आपने उप्पर लपेटां दिल खोल-खोल के गावां तेरे कोसे साहां विच्च मैं आपने जिसम नू सेकां तेरी हल्की शरबती ठंड विच्च मैं तेरा निघ्घ मनावां हर पल तेरा इक नक्श हवा दा हर बुल्ला अंदाज पलां दे नक्श जोड़ तेरी सूरत बनदी ऐ मेरिए रुत्ते सुन मेरी आवाज तेरी

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किस्मत कनेक्शन

11 फरवरी 2015
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पुराने जमाने की बात है कि अलग-अलग गांवों में दो बहुत ही घनिष्ठ एवं संपन्न मित्र रहते थे। उस समय के अनुसार दोनों ही अमीर माने जाते थे तथा दोनों के ही पास हजारों की संख्या में बकरियां थी। समय का चक्र देखिए कि एक मित्र के यहां महामारी फैल गई तथा उसकी 5000 में से 1000 बकरियां एकसाथ मर गईं। वह बहूत ही पर

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एकता में बल

11 फरवरी 2015
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Ad by Zombie News X X Ad by Zombie News X X पुराने जमाने की बात है कि एक गांव में दो भाई रहते थे। उनमें से एक भाई बहुत ही चालाक एवं दिल का खोटा था। उसके बच्चे भी उसी की राह पर चलने वाले थे। दूसरा भाई बहुत ही मेहनती एवं ईमानदार था। उसके बच्चे उसकी किसी बात को टालते नहीं थे। समय ब

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सुंदर होना बुद्धिमता की निशानी नहीं

11 फरवरी 2015
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हजारों वर्ष पहले का किस्सा है कि सिकंदर के गुरू अरस्तु एक बाग में बैठकर अध्ययन कर रहे थे। एक महिला आई ओर अरस्तु से शादी करने की जिद करने लगी। अरस्तु ने ऐसा करने से साफ मना कर दिया। किंतु महिला नहीं मानी तथा अपनी बात मनवाने को अड़ी रही। अरस्तु ने उससे पूछा कि तुम मेरे साथ शादी क्यों करना चाहती हो। उस

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सोबत का असर

11 फरवरी 2015
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Ad by Zombie News X X Ad by Zombie News X X एक राजा की दो रानीयां थीं। वो राजा ही क्या जो चाटुकारिता का भूखा न हो। उसने अपनी दोनो रानियों के मूंह से अपनी तारीफ सुनने के लिए एक एक प्रश्न पूछा। एक ने तो चाटुकारी उत्तर दिया किंतु दूसरी ने कहा कि इंसान जिसकी संगत में रहता है, उस पर

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ढाई आखर प्रेम का

11 फरवरी 2015
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संत कबीर के अनुसार विद्वान होने के लिए मोटी-मोटी पोथिओं की नहीं, बल्कि खुद से खुदा के बंदों से प्रेम करने की जरुरत है। जरुरत है मानव के पांच शत्रुओं पाप, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार से दूर रहकर मानवता की सेवा करने की। मानव के लिए बहुत ही

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डॉ इंडिया

13 फरवरी 2015
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Ad by Zombie News X X बात 1982 की है जब मैं राजनीति शास्त्र की एम.ए कर रहा था। उन दिनो मुझे एक आदत थी कि मैं पूरा का पूरा पाठ्यक्रम पढ़कर, अच्छी तरह समझकर ओर एक-एक प्रश्न को ढूंढ-ढूंढ कर उसकी तैयारी करता था। लोकप्रशासन का विषय और लोकपाल के नाम से एक विषय मैने पाठ्यक्रम में पाया। अपने पूरे प्र

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कविता घटती है

28 फरवरी 2015
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मेरे मित्र ने कहा तुम तो एक लेखक हो लिख ही डालो एक कविता, मेरी परेशानी बढ़ी क्योंकि मैं तो अंग्रेजी में बड़े-बड़े लेख लिखने वाला गद्य लेखक था, कविता कैसे लिखूं, हाँ गद्य जैसी कुछ कविताएं मैने गढ़ी जरुर थीं, यह कविताएं गढ़े भी अर्सा बीत गया था – और यह कविताएं – न तो मैंने लिखीं, न बुनीं, न गढ़ीं, वे

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बिनाशर्त स्नेह

28 फरवरी 2015
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एक पिता ने अपनी 6 वर्ष की बच्ची को बहुत डांटा, क्योंकि उसने कीमती स्वर्णरंगी लपेटन कागज खराब कर दिया था। पैसे की पहले से ही तंगी थी और उस पर बक्से को सजाने वाले स्वर्णरंगी लपेटन कागज के खराब हो जाने पर वह और भी ज्यादा परेशान हो गया था। अगले दिन की सुबह वो छोटी लड़की तोहफे का बक्सा लेकर आई और यह कहते

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अंग्रेजों को दहेज में मिली थी मायानगरी मुबंई

28 फरवरी 2015
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जो मुंबई आज देश की आर्थिक राजधानी और दुनिया के सबसे मशहूर शहरों में से एक है, उस मुंबई को सत्रहवीं शताब्दी में पुर्तगाल ने इंगलैंड के राजा चार्लस द्वितीय को दहेज में दिया था। पुर्तगाली 16वीं शताब्दी के आरंभ में भारत में आए थे और मुबंई में वसई की खाड़ी के रास्ते प्रवेश किया था। उस इलाके में आज भी पुर

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नागरिक

2 मार्च 2015
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कोई कहे हिंदु पानी कोई कहे मुस्लिम पानी, सिख ईसाई की भी बुलंद अलग आवाज है, अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग है, कहते हैं वास्तू ज्ञानी भारत का वास्तू ही खराब है, जिस तरफ चाहिए पानी उस तरफ पहाड़ है, कहीं से लगता नहीं कि भारत में प्रजा की सरकार है, धर्मनिर्पेक्षता का क्या यही एकमात्र परिणाम है। विदेशी आक्

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हिंदी भाषा का विकास क्रम

6 मार्च 2015
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इस संसार में हरएक चीज परिवर्तनशील है। कुछ का परिवर्तन इतनी जल्दी होता है कि हमें प्रत्यक्ष जान पड़ता है, कुछ का धीरे-धीरे, इतना धीरे कि हमें मालूम नहीं पड़ता । मेज पर फूलदान के फूल कितनी जल्दी कुम्हलाते हैं और फिर कितनी शीघ्र उनकी पंखुड़ियां गिरने लगती हैं इसका अनुमान साधारण मनुष्य को भी हो जाता है।

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अनुभव के लाभ

8 मार्च 2015
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19 साल के रिश्व को समझाना उसके माता-पिता के लिए बहुत मुश्किल काम था, दोस्तों का साथ, देर रात घर लौटना, तेज गाड़ी चलाते हुए घूमना और समझाने पर तपाक से कहना कि यह मेरी लाइफ है और मैं जैसे चाहुं इसे जिउं, जो चाहे करुं, हस्तक्षेप करने वाला कोई होता कौन है। लेकिन एक रोज तेजी से दौड़ती उसकी बाइक जीप से टक

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धौली महान है

11 मार्च 2015
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एक युग की याद हो अशोक महान का सारकथन हो कलिंग युद्ध के दुष्परिणाम का जीवंत अनुस्मारक हो बल और सामर्थ्य का पर्याय हो बेशक नीयति की प्रतिमा हो महानता का बखान करती हो सभी वर्गों के मानवों को शामिल किए हो पराजय पर अद्वितीय जीत की खुशी में अभिभूत हो बेशक जीत बहुत बड़ी है, किंतु लाभ से परे है वह

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भीखारी का सपना

16 मार्च 2015
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अमेरिका के एक भीखारी को सोते हुए सपना आता है कि अमेरिका एक महा कंगाल और गरीब देश बन गया है। किसी के पास अपनी गाड़ी नहीं है। सभी लोग या तो पैदल चल रहें हैं या लोकल बसों और रेलगाड़ियों में यात्रा कर रहे हैं। अत्यधिक भीख मिलने से उसकी आमदनी में कई गुणा वृद्धि हो गई है। इतनी वृद्धि कि शायद उसके बाप दादा

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अनुभव

16 मार्च 2015
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एक समय की बात है कि एक पहाड़ी गाँव में अनपढ़ और अनुभवी ग्राम सरपंच के स्थान पर पढ़ा-लिखा और परिश्रमी युवक गाँव का सरपंच बन गया। प्रत्येक सर्दी से पहले गाँव के सभी बड़े-बुजुर्ग मौसम के बारे में गाँव के सरपंच के पास ही आया करते थे। इस बार भी गाँव के लोग सरपंच के पास आए और सरपंच से पूछा कि सरपंच जी इस

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पिद्दा-पिद्दी

16 मार्च 2015
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एक था पिद्दा तथा एक थी उसकी पत्नी पिद्दी। उसकी पत्नी पिद्दी बहुत सुंदर थी जिसको वहां का राजा छीन कर ले गया। पिद्दे और पिद्दी में बहुत प्यार था तथा वे एक दूसरे के बिना जी नहीं सकते थे। पिद्दा अपनी पत्नी को वापस पाना चाहता था किंतु राजा की ताकत के सामने उसका क्या दम था। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी व

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गाय

22 मार्च 2015
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भारत के इतिहास में गाय का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। अलग-अलग कालों में इसने अलग-अलग भूमिका निभाई है। सामान्यत: मानव जाति के उदयकाल तथा श्री कृष्ण जी के अवतार काल से विशेषत: गाय को भारत में बहुत श्रद्धा से पूजा जाता रहा है। भागवत में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि समुद्र-मंथन के समय क्षीरसागर से पां

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राजभाषा हिंदी

24 मार्च 2015
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आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जब-जब किसी जाति या राष्ट्र को किसी वस्तु की कमी का आभास हुआ तो समस्या के समाधान के प्रयास आरंभ हुए। अपने-अपने क्षेत्रों के संसाधनों की कमी के आभास के कारण विभिन्न साम्राज्यवादी देशों व घुमंतु जातियों ने सोने की चिड़िया कहे जाने वाले भारतवर्ष की ओर मूंह कर लिया था और सिक

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चोर

25 मार्च 2015
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इस दुनिया में हैं सब चोर ही चोर इस दुनिया में हैं सब चोर ही चोर कोई छोटा चोर कोई बड़ा चोर कोई दिल का चोर कोई मन का चोर कोई घर का चोर कोई बाहर का चोर कोई कख चोर कोई लाख चोर कोई सीता चोर कोई गीता चोर कोई अंगूठा चोर कोई कवच चोर कोई माखन चोर कोई गाय चोर कोई धर्म चोर कोई कर्म चोर कोई कहानी चोर कोई

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बंधनों का सदुपयोग

26 मार्च 2015
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Man is Born Free . But Everywhere he is in chains . A positive way should be selected to earn maximum fruits of these chains . मानव जन्म से स्वतंत्र है परंतु जीवनभर बंधनों में रहता है। कुटुंब, गोत्र, धर्म, जाति, समाज, नियम, विनियम, परंपराएं और नियंत्रण एवं संतुलन तंत्र के रुप में उसके लिए अनेक बंध

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किसान और गीदड़

27 मार्च 2015
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एक किसान के गन्ने के खेत में हमेशा गीदड़ों का झुंड आता था। खूब गन्ने खाता उजाड़ता भी और नुकसान करके चला जाता। एक दिन किसान ने ठान लिया कि आज इन गीदड़ों को सबक सिखाना ही सिखाना है। वह रात को खेतों में ही छुप गया। गीदड़ों का झुंड आया और उसके खेतों को बरबाद करने लगा। किसान जब उन्हें पकड़ने के लि

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अनुवाद के सिद्धांत

28 मार्च 2015
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भाषा मनुष्य द्वारा स्वीकृत और संप्रेषण व्यवस्था है। अनुवाद और भाषा विज्ञान के संबंधों को रेखांकित करते समय यह ध्यान देना आवश्यक है कि भाषा विज्ञान से अनुवाद का संबंध मूलत: अनुवाद सिद्धांत से स्थापित होता है। जिस प्रकार कोई भी व्यक्ति व्याकरण के प्रत्यक्ष ज्ञान के बिना अच्छा वक्ता हो सकता है उसी प्रक

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परिवर्तन लहरें और उनके प्रभाव

29 मार्च 2015
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प्रकृति के नियम अनुसार पुरातन काल से ही परिवर्तन की लहरें चल रही हैं। समाज एवं प्रकृति में परिवर्तन एक शास्वत प्रक्रिया है। दुनिया में शायद ही कोई ऐसा समाज होगा जो इस परिवर्तन से अछूता होगा। जहां तक भारत का प्रश्न है, यह सर्विदित है कि उसके राजनीतिक इतिहास के आरंभ से बहुत पहले ही सामाजिक इतिहास का आ

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दो दुनिया दो भारत

30 मार्च 2015
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समाज के आरंभ काल से ही विकसित-अविकसित, अमीर-गरीब और ताकतवर कमजोर के बीच द्वंद्व चलता रहा है। इस द्वंद्व में अधिकतर ताकतवर ही लाभांवित होते रहे हैं। यह सही ही है कि आपसी फूट न हो तो दुनिया में किसी भी बाहरी ताकत को अनुचित हस्तक्षेप का मौका नहीं मिल सकता लेकिन यदि एक बार उन्हें मौका मिल गया तो फिर मूल

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बुद्धि साम्राज्यवाद

31 मार्च 2015
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समाज का विकास क्रम पृथ्वी के उदयकाल से आरंभ है। जब जब संसाधनों का विकास हुआ तब तब ताकतवर ने अपना सिक्का चलाने का प्रयास किया है। विश्व के अधिकांश भागों में प्रजातांत्रिक प्रणाली अपनाए जाने के बावजूद भी राजा महाराजाओं, तानाशाहों और कट्टरपंथियों की समाज में अपना दबदबा बनाए रखने की प्रवृत्ति समाप्त होन

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नकलची गीदड़

1 अप्रैल 2015
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एक जंगल में गीदड़ अपने परिवार के साथ रहता था। पास ही शेर की गुफा थी। शेर भी अपने परिवार के साथ रहता था। शिकार पर जाने से पहले शेर हमेशा अपनी पत्नी से एक ही बात पूछता था। मेरी पूंछ ऊंची है ? उसकी पत्नी उत्तर देती हां ऊंची है। फिर दोबारा वह अपनी पत्नी से पूछता । मेरी आँखें लाल हैं? उसकी पत्नी ऊत्तर द

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भारत की छुपी प्रतिभाएं

2 अप्रैल 2015
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भारत एक विशाल देश है और हर एक क्षेत्र में इसने बहुत ही उन्नति करली है। हर क्षेत्र में उन्नति करने के बावजूद कुछ प्रतिभाएं अभी भी छुपी हुई हैं जो अभी तक अपना उपयुक्त स्थान पाने के लिए प्रयत्नशील हैं। उन्हीं में से कुछ प्रतिभाओं का वर्णन मैं नीचे कर रहा हूं।गत वर्ष घर के बाहर चौराहे में मैने मदारी को

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अहिंसा और सत्य महान धर्म है

2 अप्रैल 2015
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अहिंसा और सत्य का दर्शन संसार की अनेक समस्याओं का हल है। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलते हुए लंबी-लंबी लड़ाईया जीत ली जाती हैं किंतु उनमें खड़ग एवं ढाल की जरुरत महसूस नहीं होती। सत्य और अहिंसा को ढाल बनाकर महात्मा गाँधी के नेतृत्व में लड़ा गया भारतीय सवतंत्रता आंदोलन आज भी पूरे विश्व के लिए अनुसंधान

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खरगोश और गीदड़

3 अप्रैल 2015
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एक जंगल में खरगोश और गीदड़ दो मित्र रहते थे। जंगल में खाने-पीने के सामान की कमी हो गई। इसलिए उन्होंने गाँव का रुख किया। दोनो ने एक गाँव के बाहर बसेरा कर लिया। दोनो ने यह निर्णय लिया कि हम बारी-बारी से गाँव जाया करेंगे और खाने पीने का सामान मांग लाया करेंगे। पहले दिन खरगोश की बारी आई। खरगोश एक दुकान

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कर्ण-अर्जुन के देश में निशानेबाजों का अकाल

4 अप्रैल 2015
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महाभारत के पात्र एकलव्य, द्रोणाचार्य. कर्ण और अर्जुन का चरित्र चिंतन करने से ज्ञात होता है कि एक समय में भारत में अव्वल दर्जे के निशानेबाज रहे हैं। निशानेबाजी के प्रशिक्षण के दौरान मछली की आंख पर निशाना साधे अर्जुन से जब गुरू द्रोण पूछते हैं कि तुम्हें मछली की आंख के सिवाए क्या-क्या नजर आ रहा है – त

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पछतावा

5 अप्रैल 2015
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एक समय की बात है कि एक गाँव में बहुत ही गरीब ब्राह्मण अपने परिवार के साथ रहता था। वह कुछ काम धाम नहीं करता था। कुछ काम नहीं करने से घर में कलेश रहता था तथा उसकी पत्नी हमेशा उसे एक ही बात कहती थी कि तुम्हारे होने या न होने से परिवार को कोई फर्क नहीं पड़ता तुम कहीं चले भी जाओ तो इस घर का गुजर होता ही

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अनुवाद प्रक्रिया

6 अप्रैल 2015
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अनुवाद प्रक्रिया पर बात करने से पूर्व यह जानना जरुरी है कि अनुवाद शब्द की व्युत्पत्ति कैसे हुई ? प्राचीन समय से गुरू जो कुछ अपने शिष्यों के समक्ष कहते थे, शिष्य उसे दोहराते थे, इस विधा को अनुवाद कहा जाता था। कालांतर में जैसे-जैसे खोजें हुईं नए-नए विषय उभरे और अनुवाद का भी विस्तार हुआ और इसे दो भाषाओ

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भारत का भाषा विवाद

7 अप्रैल 2015
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किसी भी राष्ट्र की एकता के लिए किसी एक सर्वमान्य भाषा का होना जरुरी है और भारत में यह भाषा हिंदी ही हो सकती है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति रह चुके सुकर्णो ने अपनी आत्मकथा में भारत को हिंदी को अपनी राजभाषा अपनाने में आनाकानी पर व्यंग कसा था। वह अपनी आत्मकथा में अपने देश का उदाहरण देते हुए कहते हैं - इ

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जट्टा आई बैसाखी

8 अप्रैल 2015
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भारत त्यौहारों का देश है। त्यौहारों और पर्वों पर पड़ने वाली छुट्टियों की वजह से कभी-कभी जनता को परेशानी भी होती है। क्योंकि भारत एक बहुधर्मी राष्ट्र है तथा बहुत से त्यौहार ऋतुयों, व्यापार और फसलों के साथ जुड़े हुए हैं, इससे भी अधिक इन त्यौहारों का आनंद लेने के लिए जगह-जगह मेले लगते हैं तथा त्यौहारों

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वो और मैं

10 अप्रैल 2015
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तुम वही हो न जो बचपन में मां को कभी तंग नहीं करता था, हां मैं वो ही हुं तुम वही हो न जो बचपन में मां को बहुत तंग करता था, नहीं-नहीं मैं वो नहीं तुम वही हो न जो अपने खिलौने दूसरों को दे देता था, हां मैं वो ही हुं तुम वही हो न जो बच्चों के खिलौने छीन लेता था, नहीं-नहीं मैं वो नहीं तुम वही हो न जो

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कंजूस और पठान

11 अप्रैल 2015
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एक कंजूस और एक पठान दोनो मित्र किसी काम के सिलसले में घर से दूर दूसरे शहर के लिए गए। दोनो को जब भूख लगी तो खाने के लिए एक हॉटल में चले गए। खाने की थाली का रेट पढ़ा। उन्हें चिंता हुई कि खर्च अधिक होगा। इसलिए कम खर्च में काम चलाने का निर्णय हुआ। कंजूस की सलाह पर खाने की एक थाली मंगाकर उसी में ही काम च

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पहेली-2

12 अप्रैल 2015
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शब्दनगरी की आमद ने , आशा की किरण जगाई है । बलबूते अपने पर हिंदी प्रेमी , दे रहे नित नया-नया योगदान । नित नए-नए नगाड़े विचारों के बजा , गूगल के वर्चस्व को दे चुनौती , अफसाने नए-नए लेकर रहे आ । रचनाओं का गुच्छा का गुच्छा , इंटरनेट-फेसबुक-ट्

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कोणार्क सूर्य मंदिर

13 अप्रैल 2015
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देश के कोने-कोने में स्थित प्राचीन भारत की स्थापत्य कला की अनूठी धरोहर आज भी जीवंत है। ऐसा ही एक स्मारक है पुरी के समुद्रतट से करीब 30 किलोमीटर उत्तर-पूर्व में एक कोण पर स्थित सूर्य मंदिर, जिसे उसके आकार के कारण विदेशी नाविकों ने ‘ब्लाक पैगोडा‘ का नाम भी दिया था। भुवन भास्कर की भव्यता एवं दिव्य स्वर

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भूत को काम

14 अप्रैल 2015
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एक समय की बात है कि एक राजा के घर में भूत पैदा हो गया। जैसे ही उसने होश संभाला राजा से बोला मुझे काम दो करने के लिए। भूत ने राजा को यह कहकर भी डरा दिया कि अगर तुम्हारे पास मुझे देने के लिए कोई काम न हुआ तो मैं तुझे ही खा जाउंगा। राजा जैसे ही उसे कोई काम बताता वह झट से उसे निपटाकर आ जाता और नए काम क

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नेता लारा राम

15 अप्रैल 2015
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तुम मुझे वोट दो और मैं वादा करता हुं कि मैं आयकर विभाग बंद करा दूंगा सर्विस टैक्स विभाग को ताला लगवा दूंगा वैट, चुंगी, टोल नाकों का बिस्तर गोल करवा दूंगा पुलिस की भाईगिरी बंद करवा हर जगह फौज लगवा दूंगा हैलमेट का नामोनिशान मिटवा दूंगा गरीबों को अमीर बनवा दूंगा जगह-जगह आपके पोस्टर चिपकवा दूंगा

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जिंदगी की तमन्ना

16 अप्रैल 2015
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जिंदगी की तमन्ना लिए जिंदगी गुजरती है जीते जाओ बस जीते जाओ मंजिल तुम्हें जरुर मिलेगी चलते जाओ बस चलते जाओ न घबराना किसी गम से हंसते जाओ बस हंसते जाओ जलना पड़े अगर सच्चे परवाने की तरह तो जलते जाओ बस जलते जाओ बुराई से करो घृणा, प्रेम सच्चे हृद्य से करो चिपके रहो सत्य से बनो दुख में भी धैर्यव

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जन संपर्क एक महत्वपूर्ण जिम्मेंदारी

16 अप्रैल 2015
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सार्वजनिक, गैरसरकारी, कॉर्पोरेट व निजी क्षेत्र की स्थापनाओं को अपने कार्य को सफल बनाने के लिए अनेक योजनाएं तैयार करनी होती हैं। अनेक उत्पादन/सेवा क्षेत्र की उपयोगिता सिद्ध करने के लिए आवश्यक, यहां तक कि आवश्यक प्रचार-प्रसार भी किया जाता है जिससे अधिक से अधिक जनो का ध्यान आकर्षित करने में सफलता मिले

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भगवान का इलाका

28 अप्रैल 2015
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डाकिया कहे मेरा इलाका डाकपाल कहे मेरा इलाका पुलिसवाला कहे मेरा इलाका पुलिस कमिशनर कहे मेरा इलाका सैनिक कहे मेरा इलाका सेनापति कहे मेरा इलाका गैंगमैन कहे मेरा इलाका डीआरएम कहे मेरा इलाका बाबू कहे मेरा इलाका इंस्पैक्टर कहे मेरा इलाका कमिशनर कहे मेरा इलाका भीखारी कहे मेरा इलाका हिजड़ा कहे म

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आतंक का मकसद

29 अप्रैल 2015
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थर-थर कांपें बच्चे बूढ़े नौजवान यही मकसद मेरा लहु-लुहान हो धरती यही मकसद मेरा नशे के जहर की खेती हो यही मकसद मेरा खेती-खेल को नहीं युद्ध के लिए मैदान हों यही मकसद मेरा गोलियों बंदूकों से खेलें सभी बच्चे यही मकसद मेरा सभी स्कूल, कॉलेज, विश्विद्यालय बंद हो जाएं यही मकसद मेरा पूरा का पूरा समाज अन

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श्रमवीर (मई दिवस के लिए विशेष)

30 अप्रैल 2015
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न मैं डॉक्टर न इंजीनियर, अध्यापक-वकील और जज भी न न प्रबंधक न नौकरशाह, जनरल-कॉर्पोरेट और मंत्री भी नहीं मेरे नाम वेटर-डाकीया-गैंगमैन-खलासी-सहायक-मजदूर-माली-चौकीदार-दिहाड़ीदार-तरखान-पलंबर- धोबी-मोची-दर्जी-कुम्हार-कुली-सफाईवाला-रेहड़ी-खोमचा और डिब्बावाला सभी मेरे नाम साफ-सफाई-भोजन व्यवस्था-कपड़ा ब

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सामाजिक सुरक्षा का बदला स्वरुप

1 मई 2015
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सामाजिक सुरक्षा से वह सुरक्षा अभिप्रेत है जो समाज अपने सदस्यों को अपने जीवनकाल में किसी भी समय घट सकने वाली अनेक प्रकार की आकस्मिकताओं के विरुद्ध प्रदान करता है। यह असाधारण न्याय के सिद्धांत पर आधारित है। प्रत्येक समाज के मानव के जीवन में अनेक प्रकार की आकस्मिक विपत्तियां आती हैं। कामकाजी महिलाओं को

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वक्त-?-वक्त

2 मई 2015
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तेरे लई मैं सिर्फ गुजरिया वक्त हाँ, ते मेरे लई तूँ हरवक्त हैं । तूँ भविख्ख दी आस विच्च खड़ी हैं, ते मैं गुजरे वक्त दीयाँ कबरां विच्च । फर्क है सिर्फ दिशा दा, तेरा मूँह भविख्ख वल्ल, ते मेरा मूँह अतीत वल्ल । असलों तू तू नहीं, मैं मैं नहीं । इस समय विच्च असीं दोवें नहीं, न तू वर्तमान विच्च, न

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पहेली-3

2 मई 2015
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चलो शब्दनगरी बढ़ो आगे निर्विवाद मंजिल अभी बहुत दूर है सुस्ताना मंजिल पाने के बाद चलना बहुत संभल-संभल कर कहीं रफतार न बिगाड़े कदमों की ताल सभी देशप्रेमी हिंद के हमराह बन तुम्हारे चलने को खड़े हैं हो तैयार बराबर अंग्रेजी रानी के हिंदी फूलों की सेज रहे सजा अभी नहीं है समय हिंदी का लेकिन दिखाएगी वो

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दुनियावालो-जमानेवालो

3 मई 2015
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हाय रे दुनिया वालो हाय रे जमाने वालो, भ्रूण हत्या के रुढिवादी सहारे ने किया मेरा जन्म रोकने का बहुत प्रयास फिर भी परमपिता परमात्मा ने जोड़ी मेरे सांसों की तार आप भरे बाजार में मत तोड़ो मैं गरीब समाज की बेटी पहले ही मर-मर कर जी रही मेरे बाबुल के घर भी पहुंचने दो कहार अबला मान और करके मेरा च

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लेखक की कथा

4 मई 2015
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शब्दनगरी में मैं रचनाएं लगातार पोस्ट कर रहा हुं अच्छी लग रही हैं बहुत बराबर कमैंट भी पा रहा हुं सहयोग जारी रखने का लेबल भी पा रहा हुं यकीन मानिए सही धंधा अपना रहा हुं न चाहते हुए भी बार-बार लिख पा रहा हुं पुराने लेखकों को ही चाहते हैं सभी संगठन भ्रम इस के उल्ट अधिक सम्मान पा रहा हुं भेजी रचना

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मेरी सच्चाई

5 मई 2015
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मेरी सच्चाई ने सीखा नहीं हार जाना चाहे बड़ा जालिम, खुदगर्ज, हरजाई है यह जमाना दुनिया में मैने खुदा की ऐसी खुदाई देखी सच्चाई की किस्मत में केवल बस रुसवाई ही देखी सच्चाई न होती तो बनता न यह तराना मेरी सच्चाई ने सीखा नहीं हार जाना मासूम चेहरे दिल में बुराई और देते हैं सच्चाई की दुहाई सितम, बेवफ

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संतुलित पर्यावरण

6 मई 2015
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पर्यावरण यानी वातावरण । पृथ्वी और इसके कक्ष में आने वाली हवा, पानी, समुद्र, पहाड़ियां, पेड़ों से भरे जंगल, मिट्टी, झील, झरने जानवर, सौरमंडल इत्यादि पर्यावरण के विभिन्न अंग हैं। पर्यावरण में संतुलन होना चाहिए। इसे सदा साफ और स्वच्छ रखना सभी का कर्तव्य है। पशु-पक्षी और हम सब के जीने के लिए ऑकसीजन बहुत

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एक किस्सा रेडियो का

7 मई 2015
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जब भी कोई नई चीज बाजार में आती है तो सभी का मन ललचाता है कि वह उसे मिल जाए। रेडियो भी जब बाजार में आया तो नए-नए कार्यक्रम सुनकर लोग उसे अपने घर लेकर आना चाहते थे। एक व्यकित ने एक डिब्बेनुमा वस्तु से गाने बजते देखे, पैसे जेब में थे ही और झट से उसे खरीद लिया। जगह-जगह उसे अपने साथ लेकर जा रहा था। जब खे

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अंतरिक्ष में आत्मनिर्भर भारत

8 मई 2015
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टी.वी, रेडियो, दूरसंचार, मौसम की भविष्यवाणी करने, अंतरराष्ट्रीय टेलीफोन संवादों, सुरक्षा उपायों, जासूसी करने, दूरस्थ ग्रह-नक्षत्रों का अध्ययन करने के लिए कृत्रिम अपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जाते हैं। संसार का पहला उपग्रह स्पुतनिक-1 था। इसे 4 अक्तूबर, 1957 को सोवियत संघ से अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। आज

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कहानी मां की शिक्षा, प्यार, दुलार और मार की

10 मई 2015
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बचपन से मैने एक चोर की कहानी अपनी मां से सुनी थी। इस कहानी में चोर को जब जज सजा सुनाते हैं तो चोर कहता है कि मुझे मेरी मां से बात करनी है। मां को बुलाया जाता है। चोर कहता है कि मां अपना कान मेरे पास लाओ जब मां अपना कान चोर के मूंह के पास लाती है तो चोर अपनी मां का कान अपने दांतो से यह कहते हुए काट ल

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नासमझ की नासमझी

11 मई 2015
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नासमझ हुं नासमझ ही बने रहने दो बन गया मैं समझदार अगर तो दिखा दूंगा अपनी समझदारी मैं नासमझ दिखा दूंगा अपना समझबल नासमझ, है क्या मालूम तुझ को कि वक्त ने मारी एक ऐसी ठोकर मुझ नासमझ को एक पल में सब समझा डाला खुद को सितारा समझते थे हम जर्रा जमीं का मुझ “ नासमझ “ को बना डाला आदतन उन्होंने कर तो द

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शिक्षा की कविता

12 मई 2015
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पापा लाएवन पिजनमम्मी लाईटू डॉग्सथ्री कैट्स देख मगर शिक्षाने मचाया शोर,फोर बजे से लगीचिल्लाने डैड वॉक कराओ नहीं तो मेरे लिए कहीं से फाइव टैडी लेआओ ...सिक्स बजने पर नानी अम्मा सेवन चॉकलेट लाई,ऐट बजे तक शिक्षाजी ने बहुत इंटरेस्ट ले खाईंनौ दिन तक बूढ़े दादा ने हिंदी रोज सिखाई,हुई परीक्षा शिक्षा दस में द

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कित्ता मधुशाला का

15 मई 2015
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जिंदगीभर करता रहा दारु, सिगरेट, मांसाहार से नफरत पहुंचा दिया कित्ते ने मधुशाला में हाय रे किस्मत कमी जो रहती थी उसकी भी हुई पूरी हसरत बैठा था कित्ते पर अपने बन कर एक प्रबंधक सामने ही उसके था शराबियों का जमघट गूंजा सुर कहां हैं कहां हैं जिन्हें हिंद पे नाज है गूंजा सुर दूसरा हिंद की ओर गर देखा

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हिंदी के लिए सहयोग ले लो

18 मई 2015
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हिंदी के लिए सहयोग ले ले, सहयोग ले लो, मैं एक सहयोगकर्ता हुं मैं एक हिंदी अधिकारी हुं, एक कार्यशाला में ही मान जाऊंगा हजारों सैंकड़ों में ही सभी को हिंदी में पारंगत बना जाऊंगा मैं एक कवि हुं कविता में ही हिंदी पढ़ाऊंगा खर्च मेरा कुछ नहीं जो कुछ मिले प

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राष्ट्रवाद का आह्वाहन

19 मई 2015
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यहां राष्ट्र की जनता जूझ रही दो जून के निवालों को यहां राष्ट्र की नार ढूंढ रही अस्मत के रखवालों को यहां राष्ट्र का युवा ढूंढ रहा रोजगार के प्रदाताओं को यहां विश्व बैंक कह रहा बनाओ दिहाड़ीदार किसानों को यहां उंगली पर रहा नचा विश्व व्यापार संगठन देश को हो यहां देश का कॉर्पोरेट भी बहती गंगा में हा

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गांधीजी और गांधी दर्शन

22 मई 2015
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गांधीजी न तो एक व्यक्ति थे और न एक विचार, अपितु वह विचारों का एक समूह थे । एक ऐसे व्यक्ति जिसने समाज की चिंता के हर पक्ष को छूआ और चिंतन की असीम गहराई तक पहुंचे। यही कारण है कि उन्होंने सामाजिक, आर्थिक व धार्मिक सभी क्षेत्रों से संबंद्ध विचार प्रस्तुत किए, जिन्हें समग्र रुप से गांधीवादी दर्शन कहा जा

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लकड़ी की तरह चट हो जाओगे

23 मई 2015
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याद करो बुजुर्गों की भूलें-कुर्बानिओं को भी याद करो जिनके कारण जिंदा हो उन सूली के परवानों को याद करो राम और रामायण के उपदेशों को याद करो पांव जमाकर जिसने दहलाया रावण, अंगद के बल को याद करो चीरहरण करने वाले, दुष्शासन को याद करो चक्रव्यूह तोड़ा जिसने, अभिमन्यू के बुद्धि बल को याद करो क्षमादान क

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पंजाब

24 मई 2015
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भारत में प्रत्येक राज्य की अपनी संस्कृति है, अपना एक अतीत है और अपना एक अस्तित्व है। उनमें से एक है पंजाब। यह प्रदेश भारत के उत्तर में स्थित है और हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और हरियाणा के साथ-साथ पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से जुड़ा होने के कारण इसके अधिकांश क्षेत्रों की संस्कृति सी

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योग और ध्यान

25 मई 2015
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दस साल तक बिल्कुल मासूमफिर भी पहले वर्ष से ही बस्ते में गुमबीस साल तक पढ़ाई,बाद बीस के पढ़ाई को पूर्णविरामऔर सुरक्षित भविष्य को जद्दोजहद 25 वर्ष तक शादी की आसकालसैंटरों ने किया लेकिन बहुत बुरा हालतीस वर्ष तक जब-तब काम की तलाशइंजीनियरिंग के बाद भी अर्धबेकारऑनरोड़ कनौपी लगाने की थमें न तलाशचालीस वर्ष

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आर-पार का बिगुल बजाना होगा

26 मई 2015
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भारतवंशियों में अगर होता इत्तफाक तो सिकंदर-पोरस युद्ध में पोरस की हार न होती जादु-टोना और ओझाओं से अगर बन सकती बात तो महमूद गजनवी का देश पर आक्रमण 17 बार न होता हिंदी-चीनी भाई-भाई का नारा न होता तो भारत की धरा पर चीन का अधिकार न होता हाथ जोड़ कर तिब्बतियों को मिल सकता अगर तिब्बत तो आज उनकी गव

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झुक सकता मेरा भारत महान नहीं

27 मई 2015
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नाखुन से अलग हुआ फिर भी पीड़ा हाडमांस में नहीं गर्म लोह पर बैठाया गया पर छूटा धर्म का साथ नहीं सर चाहे धड़ से अलग हुआ पर तोड़ा मैने वचन नहीं असंख्य-असंख्य घाव सहे पर छोड़ा कभी रण नहीं शत्रुओं का नाश किया मैंने तलवार भगौती से मंद हाल रहकर मैने लड़ी जंग आजादी की मृत्यु भी लड़ कर हार चुकी मौत के

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कैसे बना मैं लेखक

28 मई 2015
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न कवि, न शायर, न गायक, न था स्तंभकार न ही बनने के लिए कभी किया था प्रयास करता भी तो नहीं था किसी की रचना कॉपी करने का अभ्यास मिली नौकरी तो हिंदी लेखन में जमाने लगा हाथ फिर भी कविता और शायरी का भाया नहीं साथ अनुवादक होते ही हिंदी प्रसार का कंदों पे सहने लगा भार प्रचारक रहते ही बन गया हिंदी पत्र

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साहित्यकार का धर्म

29 मई 2015
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जिन्हें पैसा-पदवी चाहिए साहित्यजगत में उनका क्या काम साहित्यजगत में तो उन भक्तजनों की आवश्यकता होती है जो घर्म-कर्म को ही जीवन की उपलब्धि मानते हैं दिल में दर्द हो, तपन हो और प्रेम का जवारभाटा चढ़ रहा हो तभी मुंशी प्रेमचंद, कार्ल मार्कस, कीट्स और लिओ टॉल्सटाय जैसे उत्तम से उत्तम विचार जहन में

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अमृतसर के संस्थापक श्री गुरु रामदास जी

30 मई 2015
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साहिब श्री गुरु रामदास जी सिखों की गुरु परंपरा के चौथे गुरु हैं। इनका जन्म कार्तिक कृष्ण पक्ष द्वितिया, संवत, 1591 विक्रमी को लाहौर शहर की चूना मंडी बस्ती में हुआ। नानकशाही जयंती में यह तिथि 9 अक्तूबर, 1534 ई. निश्चित की गई है। गुरु जी के पिता का नाम हरिदास जी और माता का नाम दया कौर(अनूप देवी) जी था

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बठिंडा

31 मई 2015
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बठिंडा पंजाब का एक महत्वपूर्ण जिला है। लखी जंगल क्षेत्र में बने इस नगर का अस्तित्व तीसरी ई. सदी से है । इसका क्षेत्रफल 3344 वर्गकिलोमीटर है। बठिंडा कपास पैदा करने वाली अंतरराज्यीय पट्टी है। 1948 में पेप्सू राज्य के गठन के समय बठिंडा जिला अस्तित्व में आया जिसका मुख्याल्य फरीदकोट में था। चार साल बाद

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सुंदर विशाख(the God of Valour)

4 जून 2015
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आंध्र प्रदेश के चाहे भूतपूर्व मुख्यमंत्री हों या वर्तमान सभी ने विशाखापट्टणम (विशाख/वैजाग/ वॉलटायर) नगर को राज्य की वाणिज्यक राजधानी घोषित करके गर्व महसूस किया है। यह धार्मिक मतभेद व औद्योगिक असंतुष्टि से दूर एक शांतिप्रिय नगर है। उत्साहित बड़े-बड़े उद्योगपति अपने-अपने उद्योग धंधे व व्यापारिक प्रतिष

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चाहत

6 जून 2015
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मेरी चाहत है कि भारत सुपर पावर हो किंतु मेरा योगदान शून्य होना चाहिए मेरी चाहत है कि भगवान सभी को साधन संपन्न बनाएं किंतु जब मेरी दीवार गिरे तो सभी को मदद के लिए दौड़ना चाहिए मेरी चाहत है कि भारत अमीर देश बने किंतु मेरे संदूकों में दूसरों के मुकाबले अधिक माल होना चाहिए शहीद भगत सिंह, राजगुरु,

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मंजिल की धुन

7 जून 2015
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अब की थमेंगे तो मंजिल पाने के बाद मंजिल पर पहुंचने की धुन हो गई है मन पे सवार थकान का रास्ता रोकने का प्रयास जाएगा बेकार जोश इतना मन में कि नहीं मानेगा किसी की बात अब की थमेंगे तो मंजिल पाने के बाद आंधी तूफानों से लड़ते-लड़ते, है बढ़ना आगे बार-बार गिरकर चाहे घुटनों का हो बुरा हाल साथ चाहे दे

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किसी को कुछ भी नजर नहीं आ रहा भविष्य के आईने में

8 जून 2015
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अभी तक कुछ भी ठीक नहीं सूखे पौधे, सूखे वृक्ष और टहणियां, छोटे-छोटे लंबे-लंबे पत्ते नजर आते हैं फिरभी कहीं-कहीं पानी साथ-साथ पीते दिखते मवेशी और मानव कभी-कभी लू-गर्मी की मार है, पड़ रही चहुं ओर हवा भी है शुशक और मद्धम-मद्धम क्या होगा जब पूरी तरह मेघ नहीं बरसेंगे सावन-भादों भी सूखा ही निकल जाए

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क्या भारतीय दार्शनिक राजा का मॉडल स्वीकारेंगे ?

9 जून 2015
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हजारों वर्ष पूर्व महान पश्चिमी दार्शनिक एवं राजनैतिक विचारक प्लैटो ने शासकों को शासन करने के लिए एक मॉडल सुझाया था। उस मॉडल का नाम था दार्शनिक राजा के लिए सिद्धांत । “ द रिपब्लिक ” में स्वप्नदर्शी सुंदर नगर शासक के बारे में अपने विचार देते हुए प्लैटो कहते हैं कि राजा को बुद्धिमान और अनुभवी होना चाहि

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शब्दों का अर्थ अपने हिसाब से

11 जून 2015
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एक स्कूल में मास्टरजी बच्चों को हिसाब पढ़ा रहे थे। बोले बच्चो लिखो रक्म और निकालो उत्तर ? मेरे पास सात लाख पच्चीस हजार एक सौ पच्चीस रुपए दस पैसे हैं । इनमें से मैने दस हजार रुपए खर्च कर लिए। बताओ मेरे पास कितने पैसे शेष बचेंगे ? स्कूल के बाहर से ही एक अनपढ़ चोर गुजर रहा था। उसने यह सुना और उछलने लगा

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नन्हां दीपक

12 जून 2015
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नन्हें दीपक तू तो अंधेरों से लड़ता है फिर भी तले तेरे अंधेरा ही क्यों रहता है लौ से तुम्हारी सो जाती है काली रात बन थका राही उजाला होते ही घटता तुम्हारा प्रताप फिर भी नन्हें दीपक तुम मुझे बहुत ही प्रिय हो किसी के लिए दीप, किसी के लिए कैंडल और किसी के लिए तुम चिराग हो दंत कथाओं में प्रकट करते

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प्रशासनिक शब्दावली

14 जून 2015
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Ab initio -- आदित:/ नए सिरे से abandonment -- परित्याग abate -- उपशमन करना/ उपशमन होना/ कमी करना/ कमी होना abatement -- उपशमन/ कमी Abatement of false returns--मिथ्या विवरणियों का दुष्प्रेरण Abatement of legacies -- वसीयत संपदा में कमी Abbreviation-- संक्षिप्ति/ संक्षेप/ संक्षेपन abdicate -- पद त्

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एकतरफा चाहत

15 जून 2015
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न खैरखवां थी न थी दुश्मन न मित्र थी न थी विरोधी फिर भी न जानूं क्यों रहता था उसी का हरपल इंतजार । यह अलग बात है कि दिल का हाल उसे सुनाना पड़ा भारी । फिर भी याद उसकी को दिल से कभी भुलाया न गया । भुलाना मुश्किल भी है क्योंकि वो भी नहीं थी एकतरफा चाहत से बेखबर । देख उसका भोलापन एकतरफा चाहत हमें

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पुष्प गाथा

16 जून 2015
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प्रकृति का एक अभिन्न हिस्सा हूं और सैलानियों को खींच-खींच कर लाता हूं पर्वतों,घाटियों,पर्यटन स्थलों और नदी-नालों के किनारों की सुंदरता मैं ही बढ़ाता हूं खेत-खलिहान, बाग-बगीचों और लय्यर वैलियों को सभी का चहेता बनाता हूं देशी-विदेशी सैलानियों को आकर्षित करके देश के मुद्राभंडार को तंदरुस्त रखता हूं

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प्रशासनिक शब्दावली-1

17 जून 2015
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academic discussion -- बौद्धिक चर्चा academic leave -- अकादमिक छुट्टी academic qualification -- शैक्षणिक अर्हता / शैक्षणिक योग्यता academic record -- शैक्षिक रिकार्ड / शैक्षिक अभिलेख academic session -- शैक्षणिक सत्र / शिक्षा-सत्र academic year -- शिक्षा वर्ष academician -- विद्याविद् academics -- व

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प्रशासनिक शब्दावली-2

18 जून 2015
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accountant – लेखाकार accountant/ chartered – चार्टर्ड अकाउंटेंट accountant general -- महालेखाकार accountant member -- लेखाकार सदस्य accounting for – लेखा देना accounting period – लेखा अवधि accounting policies -- लेखाकरण नीतियां accounting unit -- लेखाकरण इकाई/ लेखा मात्रक/ लेखा इकाई (जैसे रुपया /

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प्रशासनिक शब्दावली-3

20 जून 2015
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acting lance daffadar -- कार्यकारी लांस दफादार action -- कार्रवाई/ क्रिया action committee -- कार्रवाई समिति action plan -- कार्य योजना action programme -- कार्य योजना activate -- सक्रिय करना active -- सक्रिय / क्रियाशील activities for extension of knowledge-- ज्ञान के विस्तारण के लिए कार्यकलाप act

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नायाब मेक इन इंडिया

21 जून 2015
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बीतता बालपन शुरु होती पिता की डांट-फटकार बहन-भाई का प्यार बचाता बनकर सदा बहार राजदार मां का प्यार होता सदा सहाय जब पिता से पड़ने लगे मार रोजगार की तलाश में हो पसीने से तरबतर आती नानी याद शादी होते ही पत्नी की सुनती पश्चिमी सभ्यता सरीखी हुंकार छोड़ो मां-बाप और भूल सभी रिश्ते नाते बनो जोरू के गुल

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प्रशासनिक शब्दावली-4

22 जून 2015
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adult school teacher -- प्रौढ़ विद्यालय शिक्षक adult suffrage -- वयस्क मताधिकार adulterant -- अपमिश्रक adulteration -- अपमिश्रण / मिलावट adultery -- जारकर्म / व्यभिचार ad valorem -- मूल्यानुसार advance -- अग्रिम / पेशगी advance booking -- अग्रिम बुकिंग advance copy -- अग्रिम प्रति advance deposit

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प्रशासनिक शब्दावली-5

25 जून 2015
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amalgamate – समामेलित करना amalgamated company – समामेलित कंपनी am desired to say -- मुझे निवेदन करने के लिए कहा गया है am directed to -- मुझे निदेश हुआ है am to add -- मुझे यह भी लिखना है am to say -- यह कहना है कि amalgamation -- समामेलन amateur -- शौकिया ambassador -- राजदूत ambiguous – संदिग्ध

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प्रशासनिक शब्दावली-6

26 जून 2015
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appeal has been preferred – अपील की गई है appealable -- अपील योग्य/ अपीलीय appear in person – स्वयं हाजिर होना appearance -- हाजि़री/ उपसंजाति (विधि)/ आकृति / रूप appeasement -- तुष्टीकरण appellate authority -- अपील-प्राधिकारी/अपील-अधिकारी appellate controller- अपील नियंत्रक appellate controller o

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शक है

26 जून 2015
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शक है अपनी लेखनी पर क्या पाठकों पर छोड़ पाऊंगा इसकी कोई छाप पठन-पाठन को सरल बनाने के चक्र में खेमेबाजी का कहीं बन न जाऊं ग्रास हड़बड़ाहट में कहीं हार न जाऊं सभी दिलों की जीती बाजी क्षण-क्षण के लिए घटता-बढ़ता रहता है समय का ताप रचनाकारों की नमक-मिर्च लगी तेज-तर्रार रचनाएं और पढ़-पढ़ाकर रटी-

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प्रशासनिक शब्दावली-7

28 जून 2015
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assimilation -- मिलाना/ आत्मसात्करण Assistant – सहायक Associated operation – सहयुक्त क्रिया Assistant Accounts Officer -- सहायक लेखा अधिकारी Assistant Audit Officer -- सहायक लेखापरीक्षा अधिकारी Assistant Auditor -- सहायक लेखापरीक्षक Assis

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हकीकत

28 जून 2015
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उठाना काली हनेरी रातों से परदा आसान नहीं बहुत कुछ करने की है चाहत पर औकात नहीं उठा डाले मैने सभी परदे अंदेरों से अभी-अभी पर क्या कहूं भारत मेरे जैसा यह देश लगता नहीं भारतवासी ईमानदार हैं, मेहनती हैं, होशियार हैं लेकिन जानेगा देश की कोई कीमत ऐसा लगता नहीं बीमारी के ईलाज को प्रत्येक दवाखाना घूम

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प्रशासनिक शब्दावली-8

29 जून 2015
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attestation -- अनुप्रमाणन/ तसदीक़ attested copy -- अनुप्रमाणित प्रति Attesting Officer -- अनुप्रमाणन अधिकारी / तसदीक अधिकारी attitude -- अभिवृत्ति Attorney -- न्यायवादी / अटॉर्नी Attributable to any neglect- किसी उपेक्षा के कारण Attorney General -- महान्यायवादी auction -- नीलाम

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बैंक में चोर

29 जून 2015
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एक रात बैंक में घुसे कुछ चोर की चोरी और दीवार पर फिर मिलेंगे लिखकर बैंक से किया प्रस्थान, हुई सुबह, चोरी का पता चलते ही दौड़े सभी पुलिस स्टेशन लिखाने को रिपोर्ट चोरी की, होकर हैरान परेशान, वहीं बैठा था प्रसन्नचित सीढ़ियों के नीचे एक कोने में हिंदी अधिकारी भुलाए सभी गम, लिख दिया हिंदी तिमाही प्र

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प्रशासनिक शब्दावली-9

30 जून 2015
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Bacteriologist -- जीवाणु विज्ञानी bad behaviour -- बुरा व्यवहार bad character -- दुश्चरित्र/ दु:शील Bad & Doubtful debts अशोध्य एवं संदिग्ध ऋण Bad and doubtful reserve – डूबंत और शंकास्पद ऋण Bad and written off debt- डूबा और बट्टेखाते डाला ऋण Bad climate allowance -- विषम जलवायु भत्ता bad conduct

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परदा

30 जून 2015
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एक गरीब बस्ती के दो कच्चे घरों में दो परिवार अपना गुजर बसर कर रहे थे । दोनो गृहस्वामी मेहनत मजदूरी करके परिवार चलाने की रस्म अदा कर रहे थे। एक रिक्शाचालक तो दूसरा कचरा भीनने वाला। दोनों के ही तीन-तीन बच्चे लेकिन घर पर हुकम वीरो और दुर्गो नामक उनकी पत्नियों का ही चलता था । घर आंगन खुले, कोई मुख्य द्

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प्रशासनिक शब्दावली-10

1 जुलाई 2015
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black leg -- हड़तालभेदी black list -- काली सूची black listing -- काली सूची में नाम लिखना black market -- चोर बाजार/ काला बाजार blacksmith -- लुहार/ लोहकार Black money- काला धन blank -- कोरा/ सादा/ निरंक/ खाली/ रिक्त blank cheque -- कोरा चेक/ निरंक चेक blank endorsement -- कोरा पृष्ठांकन blanket dea

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उड़ो नील गगन में गजल

1 जुलाई 2015
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रात-दिन अरमानों के आंसू बहें न, किसी की आंखों में कोई बसा हुआ हो न, किसी की याद में आहें निकल रहीं हों न, मोहब्बत की रुस्वाइयां हों न, कोई उलझन हो न, रास्ते अंधेरे हों न, समंदर में कश्ती डूबे न, कबरों पे दीप जलें न, मुमताज की यादें ताजा हों न, हुसन की इबादत हो न और गमों से जिया जल जल जाए न अगर त

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मेरी जोखिम भरी दो यात्राएं

2 जुलाई 2015
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अपनी युवा अवस्था में मुझे काम के सिलसले में अमृतसर से सूरत तक की यात्रा करनी पड़ती थी । प्रत्येक माह कम से कम एक यात्रा तो पक्की थी। सूरत में साड़ियां बनती हैं तथा उन साड़ियों को बनाने के काम में आने वाली मशीनरी अमृतसर से सप्लाई होती थी। मशीनरी भारी होती है इसलिए मशीनों से लदे ट्रक में मुझे बैठकर जा

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भ्रूण ह्त्या कारण एवं निवारण

5 जुलाई 2015
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जन्म से पहले ही भ्रूण हत्या विज्ञान की देन है। पुरुष प्रधान समाज में पहले लड़की को जन्म के बाद मारा जाता था। कन्या के जन्म लेने के तुरंत बाद उसे अफीम चटाकर, गर्म पानी में उलटा लटकाकर, आक का जहरीला दूध पिलाकर, गला घोंटकर या फिर ऐसी ही दूसरी विधियों से मारने के किस्से पुराने नहीं हुए हैं। इन सारी परिस

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आंख नीची रखने का हुनर

7 जुलाई 2015
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वो भी क्या दिन थे बचपन का जमाना था खुशियों का खजाना साथ था जमीं की ओर आंख नीची करके चलते थे कभी आसमां में उड़ने की नहीं थी हसरत चारपाई उठाए आती लड़कियों की चारपाई से लगती थी सर पे ठोकर फिर भी प्रतिकार के बजाए नवरात्रों में सात से नौ कन्याओं के पड़ते थे धोने पाँव दिल था केवल गुलों और तितलिओं

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करे कोई भरे कोई

10 जुलाई 2015
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यह कहावत तो बहुत पुरानी है लेकिन है इतनी वास्तविक कि अनेक बार चाहे घर परिवार हो या समाज, कभी-कभी किसी एक की गलती की सजा दूसरे को मिल जाती है। ऐसी ही एक घटना है मेरे स्कूल के दिनों की । हमारे साथ दो बच्चे पढ़ते थे । उनमें से एक शरीर से सामान्य बच्चों के मुकाबले कमजोर था । हर कोई उसे चिढ़ा लेता था

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चींटी

13 जुलाई 2015
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नन्हां और प्यारा जीव हैं चींटीयांरानी, फौजी और श्रमिक श्रेणी की होती चींटीयांप्रजनन क्षमता रखती केवल रानी चींटीयांलंबा जीवन भोगती हैं मादा चींटीयांहाथी जैसे जीव के लिए भी खतरनाक हैं चींटीयांमानव की खलनायक बनतीं जब काटती चींटीयांभोजन में घुसकर उसे करतीं खराब चींटीयांजानवरों और मानवों को चट कर जातीं म

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करफ्यू

14 जुलाई 2015
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मैं करफ्यू हूं मैंने सभी को समय पर शयनकक्ष की राह दिखाई उनके लिए खतरे की घंटी भी मैने बजाई फैंच ने किया मेरा नामकरण करके गढ़ाई मैं भी हूं पश्चिम का ही भाई विलियम दि कंकरर बना मेरा पहला विदेशी भाई जिसने 1068 ई. में 20.00 बजे के बाद ढकने का आग दे आदेश मेरी घर-घर में धाक जमाई यूके, आईसल

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भगवान जगन्नाथ रथयात्रा पुरी पर विशेष

17 जुलाई 2015
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ओड़िशा के पुरी में समुद्रतट पर स्थित जगन्नाथ मंदिर एक हिंदु मंदिर है जो श्रीकृष्ण (जगन्नाथ)को समर्पित है । जगन्नाथ का अर्थ जगत के स्वामी से होता है । इस मंदिर को हिंदुओं के चार धामों में से एक माना जाता है । यह मंदिर वैष्णव परंपराओं और संत रामानंद से जुड़ा हुआ है । सन 1198 में ओड़िया शासक अनंग भीमदे

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तोड़ती बथुआ

22 जुलाई 2015
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धुन में अपनी हो मगनझुककर पार्क में तोड़ रही थी बथुआ  वोगरीब थी इसलिए जरुरत भी थी उसकोपढ़ाकू विद्यार्थियों का अड्डा था पार्क वोअल्हड़ उमर ऐसी कि चुड़ैल संग भी हो लें वोऐसा ही एक विद्यार्थी पीछे-पीछे उसके लिया होपार्क से निकलते वक्त कर दिया बॉय-बॉय उसकोनतीजा बन ग्रहण अगले दिन लगा उसकी शरारत कोबनठन कर

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गुरु नानक देव जी (मानवता के मार्ग दर्शक)

8 अगस्त 2015
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सतगुरु नानक प्रकटया मिटी धुंध जग चाणन होया । मान्यता के अनुसार सिख धर्म के संस्थापक श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल, 1469 को लाहौर के पास राय भोये की तलवंडी(ननकाना साहब वर्तमान में पाकिस्तान में है) में हुआ । प्रतिवर्ष कत्तक पूर्णिमा के दिन उनका जन्मदिन बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता ह

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बसंत पंचमी

10 अगस्त 2015
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भारत ऋतुओं का देश है। यहां अपनी-अपनी बारी से 6 ऋतुएं आती हैं । इन सभी में से बसंत ऋतु सबसे हरमन प्यारी है । बसंत पंचमी मूल रुप से प्रकृति का उत्सव है । इस दिन से धार्मिक, प्राकृतिक और सामाजिक जीवन के कार्यों में बदलाव आना आरंभ हो जाता है । बसंत पंचमी प्रकृति के साथ आध्यात्मिक दृष्टि से अपने को समझने

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एक दिन

7 सितम्बर 2015
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एक दिन इस जगत से सभी को रवाना हो जाना है ।बलबूते अपने अपना-अपना वजन उठाना है,संवेदना केवल एक प्रथा मात्र है,भोगना सुख-दुख अलग-अलग अपना सबको है ।एक दिन इस जगत से सभी को रवाना हो जाना है ।साथ तेरा-मेरा केवल क्षणभर का है ।रास्ता और बसेरा कुछ दिन ही साथ-साथ हैं ।जो कुछ भी है अपना एक दिन छोड़ खाली हाथ जा

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हिंद्राणी बनाम इंद्राणी

8 सितम्बर 2015
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अपने इस लेख को उक्त शीर्षक देते समंय मैं स्वयं हैरान हुं कि आखिर मेरे सामने यह नौबत क्यों आई और मैं इस शीर्षक से यह लेख क्यों लिख रहा हुं । वास्तव में मैं पूर्व में आयोजित 9 विश्व हिंदी सम्मेलनो के संकल्पों के अनुसार 10 जनवरी, 2015 को मनाए गए विश्व हिंदी दिवस से लेकर आज तक कुछ टीवी चैनलों और समाचार

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हिंदी के प्रचार-प्रसार में सहायक सुझाव

5 अक्टूबर 2015
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26 जनवरी, 1950 को लागूभारत के संविधान के अनुसार हिंदी को राजभाषा स्वीकृत किया गया है औरभारतीय संविधान के अनुच्छेद 351 के अनुसार संघ का यह दायित्व है कि वह हिंदी भाषा का प्रसार बढ़ाए, उसका विकासकरे जिससे वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बनसके और उसकी प्रकृति में हस्तक

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गौरक्षक ?

11 अक्टूबर 2015
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गाय मेरी माता तो बनता बैल से पिता का  नाता चारे,घास के नाम पर इसको प्लास्टिक मैं खिलाताआंधी,तूफान,बरसात,भूख में गाय का खुले से नातामारे अगर कोई इसे तो बर्दाश्त नहीं मैं कर  पाताबदलकर हजूम के हजूम में दंगे-फसाद मैं करवाता गौरक्षा के नाम पर असहाय मासूमों को  कटवातानदी मेरी मां तो बनता समंदर से पिता का

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अकुलाहट

18 अक्टूबर 2015
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कुछ कहने और करने की धुन में सब कुछ सह जाता हूँ मैंतुम कहो या ना कहो फ़िर भी कह जाता हूँ मेंनीद की ख़ुमारिया है जो नहीं बीमारियाँ तेरीकल रह सकूं चाहे कह सकूँ ना कभीआज इस पल बस तेरा हो जाऊं अभीलौट कर जाती सदाओं तुम मिलो या ना मिलोज़िन्दगी रह गई कही तो हम भी मिलेगे फ़िर कहीजुस्तजू इतनी है अब तुम से मिल ना

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मुर्दा को बांग जिंदा को डांग

4 नवम्बर 2015
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मैं एक धर्म गुरु हूंमुझ से बढ़ा धर्म गुरु न हुआ न होगामैं एक भक्त हूंमुझ से बढ़ा भक्त न कोई हुआ न होगामैं एक स्वतंत्रता सेनानी हूंमुझ से बढ़ा स्वतंत्रता सेनानी न हुआ न होगामैं एक क्रांतिकारी हूंमुझ से बढ़ा क्रांतिकारी न हुआ न होगामैं एक इतिहासकार हूंमुझ से बढ़ा इतिहासकार न हुआ न होगामैं एक साहित्यका

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इतिहास के कैदी भारत सरकार और पश्चिमी समुदाय

10 जनवरी 2016
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वर्तमान सरकार केकार्यकाल में स्वच्छता अभियान आरंभ किया जा चुका है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनायाजा चुका है। भारतीय प्रधानमंत्री रिकॉर्ड विदेश यात्राएं करके सबसे अलग होने कादावा कर रहे हैं। भारत में निर्मित का अभियान जोर शोर से प्रचारित किया जा रहा है।भारत-पाकिस्तान में बातचीत आरंभ हो चुकी है। भारत की

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विश्व हिंदी दिवस

13 जनवरी 2016
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शिक्षा का उद्देश्य है मन को संयम में लाना,सजाना नहीं, उसको अपनी शक्तियों का योग करना सिखाना, दूसरे के विचारों को इकट्ठाकरना नहीं।14 सितंबर हिंदीदिवस के रुप में एक अनूठा अवसर है। 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का प्रावधानइसलिए किया गया है क्योंकि 14 सितंबर, 1949 को यह निर्णय हो गया था कि भारत कीराजभाष

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क्या भारतीय गरीब रातों रात अमीर हो रहे हैं

16 जनवरी 2016
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विश्व बैंक नेप्रमाणपत्र स्वरुप एक आंकड़ा जारी किया है जिसके अनुसार वर्ष 2015 में भारत मेंअत्यधिक गरीबी वाली आबादी 9.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है जबकि 2012 में यह आंकड़ा12.8 प्रतिशत था। वर्ष 1990 से जबसे विश्व बैंक ने यह आंकड़े इकट्ठे करने शुरु किएहैं तबसे पहली बार ऐसी कमी दिखाई दी है। ऐसा तब है जब ग्लोब

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विश्व हिंदी दिवस-१

16 जनवरी 2016
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शिक्षा का उद्देश्य है मन को संयम में लाना,सजाना नहीं, उसको अपनी शक्तियों का योग करना सिखाना, दूसरे के विचारों को इकट्ठाकरना नहीं।14 सितंबर हिंदीदिवस के रुप में एक अनूठा अवसर है। 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाने का प्रावधानइसलिए किया गया है क्योंकि 14 सितंबर, 1949 को यह निर्णय हो गया था कि भारत कीराजभाष

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भारत में असहिष्णुता है .

19 जनवरी 2016
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संविधान दिवस और धर्मनिरपेक्षता और असहिष्णुता पर संग्राम ये है आज की राजनीति का परिपक्व स्वरुप जो हर मौके को अपने लिए लाभ के सौदे में तब्दील कर लेता है .माननीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह इस मौके पर संविधान निर्माता के मन की बात बताते हैं वैसे भी इस सरकार के मुखिया ही जब मन की बात करते फिरते हैं तब तो इसके

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श्री ब्रह्म बूटा साहिब

21 जनवरी 2016
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विश्व प्रसिद्धआध्यात्मिक स्थल श्री हरिमंदिर साहिब से मात्र 100 गज की दूरी पर स्थित अखाड़ाश्री ब्रह्मबूटा साहिब देश-विदेश में ऐसा पवित्र स्थल है, जहां आरती और अरदास एकसाथ होती है। एक तरफ मंदिर में श्रीचंद महाराज की मूर्ति प्रतिष्ठापित है तो दूसरीतरफ श्री गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश। यह स्थल श्री गुरु

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दीनदयाल सुमन

21 जनवरी 2016
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केदारेश्वर(केदार-गौरी)मंदिर

22 जनवरी 2016
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अष्टशंभु मंदिरों में सेएक केदारेश्वर मंदिर राजधानी भुवनेश्वर में मुक्तेश्वर मंदिर के पास है, इसे केदारगौरी मंदिर भी कहते हैं, इसके ईष्टदेव हैं भगवान शिव जिन्हें स्थानीय लोगों नेकेदारेश्वर नाम दिया, यह मंदिर केदार-गौरी इलाके में मुक्तेश्वर मंदिर के दक्षिणकी ओर 40 मीटर दूर स्थित है, यह केदार-गौरी परिस

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कखग

26 मार्च 2016
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बचपन से हम एक कहावत सुनतेआए हैं कि फलां व्यक्ति को किसी खास विषय का कखग नहीं आता। अंग्रेजी में यह उपाधिएबीसी को हासिल है। कहावत का अर्थ है कि वह व्यक्ति विशेष विषय से संबंधित कोईजानकारी नहीं रखता। होली, हिंदी, जातिवाद और  राष्ट्रवाद का भी आपस में गहरा संबंध है जिससेसदियों से भारतीय प्रभावित हो रहे ह

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दायरा

26 मार्च 2016
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रोज़ बढ़ता हूँ जहाँ से आगेफिर वहीं लौट के आ जाता हूँबारहा तोड़ चुका हूँ जिन कोइन्हीं दीवारों से टकराता हूँरोज़ बसते हैं कई शहर नयेरोज़ धरती में समा जाते हैंज़लज़लों में थी ज़रा सी गिरहवो भी अब रोज़ ही आ जाते हैंजिस्म से रूह तलक रेत ही रेतन कहीं धूप न साया न सराबकितने अरमाँ है किस सहरा मेंकौन रखता है

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जिस्म बेचती हुं

5 अप्रैल 2016
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भारतीय जनता पार्टी केसाथ नजदीकियों के विवाद के चलते 29.02.2016 को दिल्ली पुलिस के कमिश्नर पद सेसेवानिवृत्त श्री बी.एस. बस्सी ने अपने विचार प्रकट करते  हुए यह सुझाव दिया है कि विश्व के एक पुराने कारोबारवेश्यावृत्ति को वैध बना देना चाहिए। हालांकि दिल्ली के रेडलाइट इलाके में पुलिसकी ओर से कार्रवाई न कर

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मुहब्बत की परख

6 अप्रैल 2016
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                             हजारों परवाने आजादी के कुरबान हो गए मेरीख्वाहिशों परपर भारत माता की मुहब्बत को किसी ने न तोलान परखा अजब मां हुँ बच्चा मेरा कोई मुझसे मेरी ख्वाहिशनहीं पूछताख्वाहिशें मेरी भूल मुहब्बत को जीत-हार केतराजू में तोलतारास्ता मेरा भटकाकर जातपात, धर्म,संप्रदाय की ओर मोड़ताकेसरी, स

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दौर ही कुछ और था

7 अप्रैल 2016
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दीपक की लौ तले पढ़ने काबारात में पंगत में बैठने कादाँतों से नाखुन चबाने काबागों से अमरुद खाने काबेरियों से बेर तोड़कर लाने कापत्थर मार-मार आम गिराने काबारिश में जामुन तोड़ने जाने का          दौर की कुछ और थास्कूल से फूटकरखेतों में घूमने कारिश्तेदार आने परस्कूल नहीं जाने कारेलिंग वाले खंबे परचढ़ जाने

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पतंगों की बेला

16 अप्रैल 2016
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आई पतंगों की बेलाहैचहुं ओर पतंगों कारेला हैमौसम नई ख्वाहिशों का हैमाँ-बाप ने करदी ढीली जेबें निकले शौकीन ले बहुरंगीपतंगेंचाइनीज हो या डोरबरेली आई-बो----ओ सुनता रोजबोर हो या संध्या का दौरउड़ा रहे सब मचाकरशोरकेजरीवाल, राहुल याहों मोदीनहीं दिखती इनमें फूटपरस्ती मोहल्ला-मोहल्ला बस्ती-बस्तीउड़ाते इन्हें

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चुटकुला

16 अप्रैल 2016
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ग्राहक- दुकान पर जाकर दुकानदार से - एक किलो गुड़ देनादुकानदार-   गुड़ देने को - वो डिब्बा खोला जिस पर नमक लिखा था ग्राहक- गुड़ की जगह नमक दे रहे हो मुझे लूटोगे क्या ?दुकानदार- चुपकर-चुपकर मक्खियों को धोखा देने के लिए ऐसे लिखा है

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लफड़ा नेताओं के लिए एक शेयर

18 अप्रैल 2016
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बुझी शम्मा जलाने से क्या होगाकबर पर दीप जलाने से क्या होगालौटकर न आएगी मुमताज ऐ शाहजहांतेरा ताजमहल बनवाने से क्या होगा

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कमजोर खूनदाता

19 अप्रैल 2016
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एक कमजोर व्यक्ति खूनदान करने के लिए खूनदान कैंप चला गया। खून लेना शुरू करते ही वह बेहोश हो गया और  उसे खून चढ़ाना पड़ गया।खून चढ़ाते-चढ़ाते उसे होश आ गया और बोला - आप लोगों को शर्म नहीं आती सुबह से मेरा खून ही निकाले जा रहे हो

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कोहिनूर हीरे पर सरकार का यूटर्न

20 अप्रैल 2016
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हाल ही में सर्वोच्चन्यायालय में कोहिनूर हीरे से संबंधित एक मामले में जवाब देते हुए भारत सरकार ने यहपक्ष रखा है कि कोहिनूर हीरा यूके सरकार से वापस नहीं माँगा जा सकता क्योंकि ऐसाकरने पर दूसरे देश भी भारत के संग्रालयों में पड़ी बहुमूल्य वस्तुओं पर दावा करसकते हैं(हालांकि चहुतर्फा आलोचना के पश्चात सरकार

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चालीस शहीद

15 फरवरी 2019
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जदों चाली जवानां दी अर्थी उठा के चलनगेमोदी राहुल केजरीवाल सब हुमहुमा के चलनगेचलनगे नाल नाल दोस्त दुशमन सारे वखरी ऐ गल कि अंदरो अंदरी गुर्राकेचलनगेरहीयां होन भावें परिवार दे तन तेंलीरां जख्मी बैडां ते ही मुआवजा चैक थमाके चलनगेकुछ फसली बटेरे इमरान हाफिज दे पोस्टर जलाके चलनगेविशेषज्ञ चैनल

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