"रुद्र!" गौरी जोर से चिल्ला उठी|
उसने आसपास देखा| वो बेड पर थी| रुद्र उसके पास ही बैठा था|
"रुद्र! रुद्र! आप ठीक तो हो ना? आपको..... आपको तो चोट लगी थी ना? आप....आप ठीक तो है ना?"
"श्श्श्श...... श्श्श्श..... श्श्श्श....बस.....देखो! मै बिल्कुल ठीक हू| मुझे कुछ नहीं हुआ| मै बिल्कुल ठीक हू|" रुद्र ने उसके होठो पर अपना हाथ रख दिया|
गौरी झट् से उसके गले लग गयी|
बहुत मुश्किलों के बाद दोनों को एक-दूसरे के साथ थे|
जैसे ही गौरी रुद्र के सीने से लगी उसे रुद्र की धडकने साफ सुनाई पड रही थी|
उसे फिरसे वो सारे नजारे दिखने लगे| बहुत बडा राजमहल! शिवजी की प्रतिमा! बहुत सारी प्रजा!
ये सब देखकर गौरी रुद्र से अलग हो गई|
"क्या हुआ गौरी?" रुद्र ने पूछा|
"कुछ नहीं!" वो जरा हडबडायी हुई थी|
"गौरी बेटा आपको होश आ गया? मातारानी का लाख लाख शुक्र है!" पंडितजी ने कमरे मे आकर गौरी के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा|
"विकास! विकास कहा है? और वो.... वो आदमी? वो लोग? वो गहने? मै यहा कैसे? हम लोग तो बाहर थे ना?" गौरी हडबडी मे बोल रही थी|
"शांत..... शांत..... शांत.... मेरी तूफान मेल! अब सब ठीक है| हम सब ठीक है और व सब लोग जिन्होंने गलत किया| उन सब को उनके गुनाहो की सजा मिल गई है| बस ऐसा समझ लो की कल्याणी का कहा सच हो गया| उन सब को उनके पापों की सजा खुद माँ दुर्गा ने दी है|" रुद्र गौरी से कह रहा था|
पर गौरी अब भी उसके जवाब से खुश नहीं थी| उसके चेहरे से वो साफ नजर आ रहा था| वो अब भी बहुत कन्फ्यूज्ड लग रही थी|
"गौरी! गौरी! गौरी! तुम इस बारे में अब ज़्यादा मत सोचो! तुम्हें मुझपे भरोसा है ना?" गौरी ने अपनी गर्दन हा मे हीला दी|
"तो फिर तुम इस बारे मे अब ज्यादा मत सोचो| अब तुम सीमा आंटी से बात कर लो| वो तुम्हारे लिए परेशान हो रही होंगी|" रुद्र उसे समझा रहा था|
"हाँ बेटे! आप उनसे बात कर लिजीये| वो परेशान होंगी| यहा अब सब ठीक है| देखना चाहेंगी आप?" पंंडितजी ने पूछा|
गौरी ने गर्दन हिलाकर हा कहा|
"तो चलिये मेरे साथ! " पंडितजी आगे बढ़े|
रुद्र ने गौरी की तरफ देखा और अपना हाथ आगे बढाया|गौरी ने भी हसते हुए अपना हाथ उसके हाथ मे अपना हाथ दे दिया और वो दोनो पंडितजी के पीछे चल पडे|
वो दोनों जैसे ही कमरे से बाहर निकले| घर के सारे नौकर उनको देखकर हाथ जोड रहे थे|
पंडितजी उन्हें घर के बाहर लेकर आये|
आज बाहर के वातावरण मे अलग ही बात थी|
जिस दिन रुद्र और गौरी गाव मे पहली बार आये थे उस दिन सुबह सुबह पूरा गाव सुनसान था| पर आज वैसा कुछ भी नजर नही आ रहा था|
हर घर के सामने रंगोली थी| तुलसी पूजा हो रही थी| किसी घर से पूजा की घंटिया सुनाई दे रही थी| तो किसी घर से अगरबत्ती और धूप की खुशबू से वातावरण महक उठा था| हर घर के सामने फूलो के तोरण सजे हुए थे| वो जैसे जैसे आगे बढ रहे थे सब उन्हे हाथ जोडकर नमस्ते कर रहे थे|
गौरी को ये सब बहुत अजीब लग रहा था| पर रुद्र इस सब से बहुत खुश था|
सारे गाव का नक्शा ही बदल गया था|
अब गाव की खुशहाली जैसे वापिस लौट आयी थी|
वो लोग चलते चलते मंदिर तक पहुंच गए|
पंडितजी उन्हे मंदिर के अंदर ले गए|
मंदिर की रौनक देखते बन रही थी| हर तरफ फूलो की सजावट! मंदिर मे आज काफी लोगो की चहलपहल थी| कई पूजारी दिखाई पड रहे थे| वो लोग जब वहा पहुंचे तब आरती की आवाज़ आ रही थी| वो लोग जब अंदर पहुंचे आरती चल रही थी|
आज देवी माँ आजाद थी| आज जंजिरो की जगह उनके तन पर रत्नजडीत दिव्य आभूषण थे|उन्हें धारण कर देवी की मूर्ति बहुत ही मोहक लग रही थी|
वो सब लोग भी आरती में शामिल हों गए| रुद्र और गौरी ने हाथ जोडे और आँखे बंद कर ली|
"माँ! आप तो जानती है की मेरे मन मे क्या दुविधा चल रही हैं! मुझे इससे बाहर निकालीये माँ! मै खुद समझ नही पा रही हू कि मै रुद्र की तरफ अपने आप क्यो खींची चली जाती हू| ये सही नही है| जल्द ही मेरी सिद्धार्थ से सगाई होने वाली है! प्लीज मेरी मदद करीये और इन गाव वालो पर हमेशा अपनी कृपाद्रुष्टी बनाये रखना|" गौरी ने मन ही मन दुर्गा माँ से अपने मन की दुविधा बता दी|
रुद्र इस दौरान गौरी के मासूम चेहरे की तरफ देख रहा था|
"मातारानी! क्या करू मै? ऐसा क्या करू जो गौरी की मासुमियत से खुदको दूर कर पाऊ? प्लीज मुझे ताकत दिजीयेगा कि मै अपनी जान से प्यारी गौरी को किसी और का होता हुआ देख सकू! उसे आप हमेशा खुश रखियेगा!" रुद्र ने भी अपनी ख्वाहिश मातारानी को बता दी|
जब उसने अपनी आँखें खोली तो गौरी उसी की तरफ देख रही थी|
रुद्र ने उसे इशारे से ही पूछा की क्या हुआ| पर उसने बस ना मे गर्दन हिला दी|
"हे मातारानी! मेरी कल्याणी तो नही रही पर मुझे गौरी ने ही अपनी कल्याणी दिखाई देती है| उसपर हमेशा अपनी क्रुपा बनाये रखना और रुद्र गौरी को हमेशा साथ रखना|मुझे पता है कि ये दोनो एक-दूसरे के लिए ही बने है| साक्षात शिव-शक्ति की जोडी है ये तो मै इन्हे देखते ही समझ गया था| पर पूरा यकीन तब हुआ जब किसी से हिलने तक ना वाला वो पत्थर इन दोनों एक-दूसरे के साथ से आसानी से हटा दिया| मातारानी इन दोनो को हमेशा साथ रखना| एक पिता के नाते आप से माँग रहा हूँ| मेरी मनोकामना पूर्ण करना|" पंडितजी ने भी देवी से जो माँगना था माँग लिया|
जैसे ही वहा खडे बाकी सब लोगो की नजर रुद्र गौरी पर पडी| उन्होंने उन्हे आगे आकर आरती करने का आग्रह किया| इसलिए आगे आकर उन्होंने आरती की|
कुछ देर बाद.....
पंडितजी के कमरे मे रुद्र पंडितजी से बात कर रहा था|
"आप बिल्कुल भी चिंता मत किजीए| मैने पुलिस कमिश्नर के बात कर ली है| यहा जो कुछ हुआ उसके बारे मे किसी को कुछ पता नहीं चलेगा| मैने उन्हें बता दिया है कि यहा जो कुछ हुआ वो सब सेल्फ डिफेन्स मे हुआ और हम सब ने मिलकर किया और बाकी सारा काम तो कल्याणी और अविनाश की लाशो ने कर दिया है| हमारे जाने के बाद भी आप लोगों को कोई परेशानी नही होगी|
बस आप सब लोग ये बात गौरी से दूर रखियेगा की कल रात उसने क्या किया है| अगर उसको ये सब पता चला तो वो ज़िंदगी भर खुदको उन लोगों के खून का दोषी मानती रहेगी| वो तो अच्छा हुआ जो उसे कुछ याद नही है वरना बहुत मुश्किल हो जाती|" रुद्र बात ही कर रहा था कि वहा गौरी आ धमकी| उसे देखते ही वो लोग चूप हो गए|
"क्या हुआ रुद्र? क्या बात है? आप लोग मुझे देखकर चूप क्यों हो गए?"
"ऐसी कोई बात नहीं है गौरी! मै तो बस पंडितजी को बता रहा था कि कमिश्नर के फोन आया था| वो लोग पोस्ट मॉर्टम करके कल्याणी और अविनाश के पार्थिव ला रहे हैं|तो हमे उनके अंतिम संस्कार की तैयारीयाँ करनी होंगी|" ये सुनते ही सब भावूक हो गए|
"ओह सॉरी! मुझे लगा....
मै तो बस ये बताने आयी थी की ममा से मेरी बात हो गई है|" गौरी को बूरा लग रहा था|
सारे गाव वालो ने मिलकर कल्याणी और अविनाश के अंतिम संस्कार की तैयारीया की|
अविनाश के घर वाले अब तक समझ रहे थे कि उनका बेटा गायब है| कई बार वो लोग शिवालय भी आ चुके थे पर विकास ने उन्हें गाव वालो तक पहुंचने ही नही दिया था| रुद्र ने उनके बारे मे रातोरात पता करके उन्हे भी वहा पर बुला लिया था|
जिस बेटे के वापिस आने की आस अबतक उसके माता- पिता लगाये बैठे थे| उनकी आस भी आज टूट गई|
दोनो के परिवार शोक मे डूबे हुए थे|
रुद्र और गौरी दोनो पंडितजी और अविनाश के माता पिता को संभाल रहे थे|
कल तक उनको गलत समझने वाले लोगों के दिल मे आज उन दोनो के लिए बहुत सारा सम्मान था| गाँव के लिए दोनों ने अपनी जान जो दे दी थी|
पूरे विधिवत तरीके से उन दोनों का अंतिम संस्कार किया गया|
उसी रात....
पंडितजी अपने कमरे मे बैठकर कल्याणी की फोटो हाथ मे लेकर रो रहे थे|
रुद्र और गौरी ये सब दरवाजे पर खडे होकर देख रहे थे|
गौरी आगे आयी| वो पंंडितजी के सामने आकर बैठ गई|
उसने पंडितजी के हाथ पर हाथ रखा|
गौरी को देखते ही उन्होंने अपने आँसू पोछे|
रुद्र भी गौरी के पीछे पीछे उनके पास आ गया|
"आप दोनो! गौरी बेटा आप अब तक सोये नही?" पंडितजी ने अपने आँसू छिपाते हुए उनसे कहा|
"पिता जाग रहे हो तब बेटी कैसे सो सकती है?" गौरी की ये बात सुनते ही पंडितजी की आँखो से आँसू छलक पडे| जो उन्होंने कबसे रोक रखे थे|
गौरी और रूद्र भी अपने आँसू रोक नही पाये|
गौरी पंडितजी के गले से लग गयी|
"बस्स.... बस्स... बस्स.... मत रोइये| आपको तो गर्व होना चाहिए की ये आप ही की तो परवरिश हैं जिसने इस गाव को बचाया है| अब आप रोना बंद किजीए और गर्व किजीए| आखिर आपकी बेटी और मेरी बहन ने सर ऊँचा किया है हमारा!" गौरीने अपने हाथ से उनके आँसू पोछे| गौरी की बात सुनकर वो हँस दिये|
"हाँ! आप ना हमेशा ऐसे ही हसते रहा करीये! वरना मुझे अच्छा नहीं लगेगा और मै हमेशा तो यहा नहीं रहने वाली ना आपको हसाने के लिए!" गौरी ने बातो बातो मे असली बात बता दी|
ये सुनते ही पंडितजी को बूरा लगा|
"मै तुम्हारी बात समझ गया बेटी! क्या ऐसा नही हो सकता कि तुम यही रह जाओ?" पंडितजी ने उसका हाथ अपने हाथ मे लेते हुए कहा|
"मै आपके साथ ही तो हू हमेशा और हा अब आप ऐसी बाते मत करीये| वरना हम जा नही पायेंगे|" गौरी उनसे लिपट गई|
"अरे वाह! कबसे देख रहा हू! आप दोनो अकेले ही गले मिल रहे हो| कोई मुझ पर भी तो ध्यान दो| मै भी आपसे प्यार करता हू|" रुद्र की रुआँसी शक्ल देखकर वो दोनो हँस पडे| पंडितजी ने उसे भी गले लगा लिया| अब वो लोग बहुत खुश लग रहे थे|
अगली ही सुबह रुद्र और गौरी दोनो मुंबई के लिए निकल पडे|
उनको छोडने के लिए सारा गाँव आया था|
"हमने अपना वादा पूरा किया| आप लोगो से इन कुछ दिनों मे हमे बहुत सारा प्यार और सम्मान मिला| इसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया| हम लोग आपसे मिलने जरूर आयेंगे| और हा! हमारे पिताजी यहा पर है| अब आप सब लोग ही इनका परिवार है| इनका अच्छे से खयाल रखियेगा| अब हम विदा लेते हैं|" गौरी ने सबसे कहा|
उन्होने पंडिकजी के पैर छूए और सबसे विदा ली और निकल पडे|
उन्हे विदा करते वक्त सबकी आँख भर आयी|
बस मे भी गौरी उन सब लोगो को बारे मे ही सोच रही थी|
"क्या हुआ गौरी? सब ठीक तो है?"
"कुछ नहीं रुद्र! बस पंडितजी की चिंता हो रही है!" गौरी
ने कहा|
"गौरी! तुम उनकी चिंता मत करो| सब लोग है वहा उनका खयाल रखने के लिए! तुम बिलकुल चिंता मत करो|
वैसे तुमने सिद्धार्थ से बात की?" रुद्र ने गौरी का ध्यान भटकाने के लिए पूछा|
"अम्म्म ...... नही रुद्र! मैने कल सिर्फ ममा से बात की थी| उन्होने कहा था कि सिद्धार्थ से बात कर लू| पर मैने ही मना कर दिया| देखते है इतने दिनो के लिए दूर रहने के बाद सिद्धार्थ पर क्या असर हुआ है?" गौरी हिचकिचाते हुए बोल रही थी|
ऐसा पहली बार हो रहा था की वो सिद्धार्थ को अवॉइड कर रही थी और वो ये भी जानती थी की इसकी वजह कही ना कही रुद्र ही था|
उसी दौरान उसे नींद आ गई| वो रुद्र के कंधे पर ही सो गई|
रुद्र को बहुत अच्छा लग रहा था| पर वो जानता था की गौरी अब उसकी नही है|
रात होते होते वो लोग मुंबई पहुँच गए|
रुद्र पहले गौरी को छोडने उसके घर तक आया| गौरी नही चाहती थी कि वो उसके साथ आये क्योंकि उसे लग रहा था की शायद कही ना कही सिद्धार्थ को पसंद ना आये और वो सिद्धार्थ को ये भी नही बताना चाहती थी की वो इतने दिन शिवालय मे रुद्र के साथ थी|
गौरी के घर पहुंचते ही रुद्र गाडी से सामान निकालने लगा|तब तक उसने गौरी को अंदर जाने के लिए कहा|
गौरी जैसे ही घरके अंदर पहुंची| सीमा जी बाहर ही थी| गौरी को देखते ही वो भागकर उसके पास आयी और उसे सीने से लगा लिया|
"गौरी! गौरी मेरी बच्ची!
सिद्धार्थ! सिद्धार्थ! नीचे आइये बेटा! देखिये तो कौन आया है!" सीमा जी सिद्धार्थ को जोरो से आवाज देकर बुलाने लगी|
"आप कैसे हो बेटा? ठीक तो हो ना?" सीमा जी गौरी से पूछ रही थी|
"हाँ ममा! मै बिल्कुल ठीक हू| आप तो ठीक हो ना ममा?" दोनो की आँखो मे आँसू थे|
"हा बेटा! अब आप आ गई हो ना तो ठीक ना भी हुई तो हो जाउंगी!" सीमा जी कहने लगी|
तब तक सिद्धार्थ वहा आ गया| जैसे ही उसने गौरी को देखा वो बहुत ही ज्यादा खुश हो गया| वो भागता हुआ गौरी के पास आया और उसे कसके गले लगा लिय
"गौरी! कहा चली गई थी तुम? तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी थी| अगली बार अगर तुमने ऐसा किया ना तो याद रखना| मै तुमसे कभी बात नही करूंगा| तुम जानती हो ना कि मै तुम्हारे बिना नहीं रह सकता|
तुम.... तुम वादा करो मुझसे! भले ही हमारा कितना भी झगडा क्यो ना हो जाये! तुम मुझे छोड़कर कभी नहीं जाओगी| अगली बार मुझे छोडकर कभी मत जाना| वरना मै मर जाऊंगा| सच कह रहा हूँ|" वो गौरी से गले लगकर रो रहा था|
उसकी बातें सुनकर गौरी को लगा की वो अपना सबक सिख गया है| वो बहुत खुश हो गई| उसे लगने लगा जैसे उसका सिद्धार्थ से इतने दिन दूर रहना सफल हुआ| उसके भी आँसू छलक पडे| सीमा जी भी भावूक हो गई|
तभी पीछे से रुद्र सामान लेकर आ पहुँचा| सिद्धार्थ ने गौरी को गले लगाया देखकर उसके सीने मे अजीब सा दर्द उठा और वो अपनी जगह पर ही रुक गया|
इधर सिद्धार्थ को भी रुद्र नजर आया| जैसे ही उसने रुद्र को देखा उसके चेहरे के भाव बदल गये| सने गौरी को अपने से दूर किया|
उसके चेहरे के भाव देखकर गौरी और सीमा जी ने पीछे देखा|
रुद्र को देखते ही वो सब समझ गई|
"गौरी! तुम्हारा सामान! नमस्ते आंटी! कैसे हो आप?" रुद्र ने आगे आकर गौरी का सामान रखा और सीमा जी के पैर छूए| सीमा जी ने भी प्यार से उसे गले लगाया|
गौरी के सामान के साथ रुद्र को देखकर सिद्धार्थ के चेहरे पर कई सवाल नजर आ रहे थे| भले ही ये बात सीमा जी और रुद्र के समझ ना आयी हो पर गौरी को वो साफ समझ आ गया|
"वो..... वो.... वो.... सिद्धार्थ! दरअसल मै शिवालय गाँव गई थी| रुद्र भी गए थे मेरे साथ!" गौरी की ये बात सुनते ही सिद्धार्थ को बहुत गुस्सा आ गया|
"वो..... मै आपको बताने ही वाली थी सिद्धार्थ| पर...... " सिद्धार्थ ने हाथ के इशारे से ही गौरी को आगे बताने से मना कर दिया|
अब उसके चेहरे का गुस्सा सबको साफ नजर आ रहा था|
शायद इसी बात का अंदेशा गौरी को पहले से ही हो गया था| इसलिए वो रुद्र को साथ आने से मना कर रही थी| पर रुद्र को भी कहा पता था| इसलिए वो गौरी को सेफली घर पहुंचाने के लिए उसके साथ आ गया|
सिद्धार्थ सीधा गुस्से मे अपने कमरे की तरफ चल पडा| गुस्से मे उसने रास्ते मे आया फ्लाँवरपॉट भी तोड दिया|
"सिद्धार्थ! सिद्धार्थ मेरी बात तो सुनिये! सिद्धार्थ!" गौरी भी उसके पीछे पीछे चल दी|
"सिद्धार्थ! गौरी! हुआ क्या है? कोई मुझे बतायेगा?" सीमा जी भी उनके पीछे चल पडी|
रुद्र को तो बहुत चिंता हो रही थी| उसे तो कुछ समझ ही नहीं आया की कुछ देर पहले सब ठीक था और अचानक क्या हो गया! वो भी पूरी बात पता करने के लिए उनके पीछे गया|
सिद्धार्थ सीधा अपने कमरे मे चला गया और खिडकी के सामने जाकर खडा हो गया|
गौरी भी उसके पीछे आयी| वो उसके पीछे जाकर खड़ी हो गई उसे समझाने के लिए!
सीमा जी और रुद्र भी वहा पहुंचे पर वो दरवाजे पर ही रूक गई और रुद्र को भी रोक लिया|
"सिद्धार्थ! क्या हुआ? आप गुस्सा है मुझसे? क्या हुआ है सिद्धार्थ? आप मुझे बताइये तो!
क्या इस सब का कारण रुद्र है?" गौरी की ये बात सुनते ही रुद्र को बहुत बडा झटका लगा|
"सिद्धार्थ! देखिये मै नही जानती की आपको रुद्र से क्या प्रॉब्लम हैट पर जितना मै आपको जानती हूँ| उसको बिनाह पर मै कह रही हू की आप जो सोच रहे हो वैसा कुछ भी नही है| हम दोनो बस अच्छे दोस्त है| प्लीज मेरी तरफ देखिए सिद्धार्थ!" वो सिद्धार्थ के पास जाते हुए बोली|
तभी अचानक सिद्धार्थ पीछे मुडा और उसने बहुत जोर से गौरी को थप्पड़ मार दिया| उसी के साथ गौरी सामने वाले टेबल पर गिर पडी|
ये देखते ही सीमा जी और रुद्र के तो पैरो तले जमीन खिसक गई| वो दोनो भागकर अंदर आये| सीमा जी गौरी के पास गई और रुद्र भी!
पर गौरी ने इशारे से ही उन दोनों को कमरे से बाहर जाने के लिए कहा|
"आप बीच मे मत आइये ममा! आज फैसला हो ही जाये! मै भी जानना चाहती हू की सिद्धार्थ के दिल में आखिर चल क्या रहा है! क्योंकि मै भी अब थक चुकी हू इन सारे सवालो से भागते भागते| आज अगर ये मुझे मार भी डाले ना तो आप बीच मे बिल्कुल मत आइयेगा! आपको मेरी कसम!" गौरी ने खुदको संभालते हुए कहा|
"तो? बताइये सिद्धार्थ! क्या लगता है आपको? क्यो मारा आपने मुझे? क्या लगता है आपको की मै और रुद्र....... "
"हाँ! हाँ! ऐसा लगता है मुझे! और शायद ये सच भी है!क्यो? मै काफी नहीं हू तुम्हारे लिए? जो तुम्हे दोस्त चाहिये, ये चाहिये, वो चाहिये! बताओ! क्या मै काफी नही हू तुम्हारे लिए?" सिद्धार्थ ने गौरी की बाहे जोर से पकडते हुए कहा|
उसकी आँखों मे गुस्सा साफ दिखाई पड रहा था| गौरी भी उसके इस रुप से डरी हुई थी|
उसने गौरी का एक हाथ पीछे मरोड दिया और उसका चेहरा दबाते हुए कहने लगा|
"बताओ ना! क्या मै काफी नहीं हू?
तुम्हे समझ क्यो नही आता गौरी? मुझे नही पसंद की किसी की परछाई भी तुमपर पडे और तुम हो की......
तुम मेरी हो! समझी! सिर्फ मेरी!
आगे से अगर किसी के भी साथ तुम दिखाई पडी...तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा!" गौरी को बहुत दर्द हो रहा था| पर सीमा जी को उसकी कसम ने बाँध रखा था और रुद्र उन दोनो के बीच कुछ बोल नही सकता था| इसलिए चूप था पर उसे सिद्धार्थ पर बहुत गुस्सा आ रहा था|
अपनी बात खत्म होते ही सिद्धार्थ ने गौरी को जमीन पर धक्का दे दिया|
"गौरी! गौरी बेटा आप ठीक तो हो ना?" सीमा जी और रुद्र दोनों गौरी को पास गए|
"तुमने ये ठीक नही किया सिद्धार्थ! तुमने मेरी बेटी पर हाथ उठाकर बहुत गलत किया| मुझे कोई फर्क नही पडता कोई कुछ भी सोचे| पर मुझे मेरी बेटी पर पूरा भरोसा हैं| मै जानती हूँ कि वो कभी कुछ गलत नहीं कर सकती|" सीमा जी ने सिद्धार्थ को सीधे सीधे धमकी दे दी|
सिद्धार्थ सीधा कमरे से बाहर चला गया|
गौरी वही पर सीमा जी की गोद मे अपना सिर रखकर बहुत रोने लगी| वो बहुत जोर जोर से रो रही थी|
उसे देखकर वो दोनो भी रो रहे थे|
"मुझे माफ कर दो गौरी! ये सब मेरी वजह से हुआ है! अगर मै........"
"नही रुद्र! ऐसा कुछ नहीं है! गलती तुम्हारी नही है और ना ही गौरी की! इस बार गलती मुझसे हुई है! मैने किसी गलत इंसान को चुन लिया है अपनी बेटी के लिए|" सीमा जी की आंखों मे कुछ अलग ही था जो कोई समझ नही पा रहा था|
"आंटी! गौरी का खयाल रखियेगा|"
रुद्र रोते रोते वहा से चला गया|
उसके बाद गौरी रात भर सीमा जी से लिपटकर रोती रही|
अब तो गौरी को भी कही ना कही लगने लगा था कि वो गलत इंसान के साथ है|