गौरी अपने कमरे मे देर रात तक कुछ काम कर रही थी| तभी उसे एक फोन आया| अननोन नंबर था| गौरी ने फोन उठाया|
" येस! मै गौरी शर्मा ही बात कर रही हू| आप कौन? " वो बोली|
दूसरी तरफ से उसने जो जवाब सुना वो जवाब सुनकर गौरी की आँखे खुली की खुली रह गयी|
फोन पर बात करके वो कुछ देर बाद नीचे किचन मे काम करती शालिनी जी के पास आयी|
शालिनी जी गौरी का चेहरा देखकर ही समझ गई की कोई तो बात है| गौरी की आँखो मे पानी था| वो बहुत ज्यादा पैनिक लग रही थी|
शालिनी जी ने अपना काम छोड दिया और उसके पास गई|
कुछ देर उनसे बात करने के बाद गौरी सीधे घर से बाहर चली गई|
गौरी को इतनी रात को बाहर जाते हुए रेवती ने देखा|
गौरी अपनी गाडी लेकर चली गई|
पर रेवती तो गौरी को सबसे दूर करने का बस एक मौका ही तलाश रही थी|
गौरी सीधे किसी पार्क मे जाकर रुकी| वो दौडते भागते हुए अंदर गई| वो शायद किसी को ढूंढ रही थी| तभी उसे पार्क मे एक बेंच के पास कोई खडा दिखायी दिया| एक लडका और एक लडकी! वो भागते हुए उनके पास गई|
" भैया!! " गौरी बोली|
उसकी आवाज़ सुनकर वो इंसान पलटा|
वो एक बहुत खुबसुरत नौजवान था|
उसे देखते ही गौरी की आँखे भर आयी|
उसका भी कुछ ऐसा ही हाल था|
" गुडिया! " ये सुनते ही गौरी रोते रोते उसके सीने से लिपटकर रोने लगी|
वो दोनो बहुत रोये|
"आप कहा चली गई थी? मैने कितना ढूंढा आपको! आपको अंदाजा तक नही कि आपके जाने के बाद हमारा क्या हाल हुआ है! अब मै आपको कभी खुदसे दूर नहीं होने दूँगा! कभी नहीं! " वो बोला|
" मैने भी आपको बहुत मिस किया भैया! बहुत ज्यादा!" गौरी रोते हुए बोली|
" नही! नही! अब रोना नही! अब मै आ गया हू ना! अब मै कभी तुम्हारी आँखो में आँसू नही आने दूंगी!" वो बोला|
" भैया ये? " गौरी ने उस लडकी की ओर इशारा करते हुए कहा|
" ये....ये तुम्हारी भाभी है! पूजा!" वो बोला|
"आपके यहा सिर्फ भैया से ही गले मिलने का रिवाज है क्या? हमने भी आपका उतना ही इंतजार किया है जितना आपके भैया ने! क्या हमसे गले नही मिलेंगी आप?" पूजा बोली|
ये सुनते ही गौरी खुश हो गई| वो पूजा के गले लग गयी|
"भैया! भाभी बहुत सुंदर है! मै बहुत खुश हू आप दोनो से मिलकर! इतनी खुश कि मै बता नही सकती|"
"हम भी आपसे मिलकर बहुत खुश है बेटा|
आप हमारे साथ चलिये| बाकी सब भी आपसे मिलकर बहुत खुश होंगे|" वो बोला| ये सुनते ही गौरी के चेहरे की रंगत बदल गई|
"आप चलिये हमारे साथ!" उसने गौरी का हाथ पकडा और उसे ले जाने लगा पर गौरी एक ही जगह खडी रही|
" क्या हुआ बेटा? चलिये ना हमारे साथ! " वो बोला|
" नही भैया! मै आपके साथ नही चल सकती|" गौरी अपना हाथ छुडाते हुए बोली|
" पर क्यो?" उसने पूछा|
"आप इस 'क्यों' का जवाब जानते है भैया! मै वहा कभी नही जाउँगी!
आपको मेरी कसम है कि आप उन लोगो को मेरे बारे मे कुछ भी नही बतायेंगे और ना ही कभी मुझे वहा जाने के लिए फोर्स करेंगे| आप उन्ही को क्या आप किसी को भी हमारे बारे मे नही बतायेंगे और अगर आपने ऐसा किया तो इस बार मै आपसे इतना दूर चली जाउँगी की आप मुझे कभी नही ढूंढ पाओगे|" गौरी रोते हुए बोली|
" नही नही नही! आप ऐसा मत कहीये! मै आपको फिरसे नही खो सकता| आप जैसा कहेंगी वैसा ही होगा पर आप अब मुझे छोडकर जाने की बात कभी मत किजीयेगा|" उसने गौरी को गले लगाकर कहा|
इस ओर रेवती को लग रहा था की कोई तो गडबड है| इसलिए उसने इस मौके का फायदा रुद्र के मन मे गौरी के खिलाफ जहर भरने के लिए उठाया|
वो अपने कमरे से सीधे रुद्र के कमरे मे गई| रुद्र अपने लैपटॉप पर कुछ काम कर रहा था|
"रुद्र! क्या गौरी आ गई? क्या वो तुम्हारे साथ है?" रेवती ने आते ही उससे पूछा|
"क्या हुआ आँटी? क्या बात है? गौरी तो इस वक्त अपने कमरे मे होगी ना! सो गई होगी वो! वो आजकल जल्दी से जाती है|" वो बोला|
"ओहो! वो यहा भी नही है इसका मतलब वो आज भी इतने समय तक लौटी नही?" रेवती नाटक करते हुए कहने लगी|
"लौटी नही मतलब? कही गई है क्या वो? और आज भी से आपका क्या मतलब है? वो रोज रात को कही जाती है?"
"ये लो! तुम्हे नही पता? तुम्हे बताकर नही जाती? इसका मतलब किसी को बताकर नही जाती होगी!
देखो ना रुद्र! कितनी देर से बाहर गई हुई है वो! मैने उसे जाते हुए देखा था| मैने उसे कई बार आवाज़ भी लगाई पर उसने कोई जवाब नही दिया| बस गाडी निकाली और बाहर चली गई| घर मे भी किसी को बताकर नही गई| अब तुम ही बताओ बेटा! क्या अच्छी घर की लडकियों का इतनी रात गए ऐसे बाहर जाना अच्छा होता है? अपनी नही पर कम से कम भैया की इज्ज़त का तो खयाल करना चाहिए उसे!" रेवती रुद्र को मन मे शक का किडा डालने के लिए झूठ बोल रही थी|
"आँटी...आँटी! आप कुछ ज्यादा ही सोच रही है| कुछ काम होगा उसे इसलिए गई होगी| लौट आयेगी| आप चिंता मत करीए| आप जाकर सो जाइए रात बहुत हो गई है| मै उसे फोन कर लेता हूँ|" रुद्र ने रेवती को समझाकर वापिस लौटा दिया|
"ठीक है बेटा! तुम कहते हो तो सो जाती हूँ| मान लिया की आज काम था पर पता नही रोज रात को क्या काम होता है?" रेवती जानबूझकर बडबडाते हुए चली गई|
पर फिर भी रुद्र के उपर रेवती को भडकाने का कोई असर ना हुआ पर कही ना कही उसकी बाते सुनकर रुद्र को गौरी की चिंता होने लगी|
वो गौरी को फोन ही कर रहा था कि तभी रुद्र को गौरी की गाडी की आवाज सुनाई पडी| रुद्र ने खिडकी से देखा तो गौरी लौट आयी थी|
गौरी के वापिस लौटते ही वो गौरी के कमरे मे गया|
"गौरी! तुम इतने रात गए कहा गई थी? बता कर तो जाना चाहिए था ना! मुझे चिंता हो रही थी तुम्हारी!" रुद्र के अचानक आने से गौरी चौंक गई|
"रुद्र आप यहा? आप अब तक सोये नही? " गौरी ने हडबडा कर पूछा|
"सवाल पहले मैने किया था और सवाल का जवाब सवाल नही होता गौरी! इतनी रात को कहा गई थी तुम और वो भी किसी को बिना बताये? "
रुद्र के इतने सारे सवालो से गौरी डर गई|
" रुद्र.... वो..... वो.... वो मै श्रेया से मिलने गई थी| मुझे नीरव की बहुत याद आ रही थी इसलिए!" गौरी ने कहा|
"पर वो लोग अभी तो यहा से गए थे!"
"हाँ.... हाँ..... इसी वजह से तो! मुझे अचानक बहुत सुना सुना लग रहा था इसीलिए मैं वहा चली गई|" गौरी ने कहा|
रुद्र को कुछ अजीब लग रहा था पर उसने इग्नोर किया|
" ठीक है| वो सब छोडो| तुम आराम करो| अब रात बहुत हो गई है| सो जाओ|" रुद्र इतना कहकर वहा से जाने लगा|
पीछे से गौरी ने उसका हाथ थाम लिया|
"रुद्र आप मुझसे गुस्सा तो नही है ना? " गौरी ने सिर झुकाकर पूछा|
"गुस्सा? तुमसे? मै भला तुमसे गुस्सा क्यो होने लगा? और तुम्हें ऐसा क्यो लगता है?" रुद्र ने पूछा|
"वो.... शाम को.....जो मैने आपसे वक्त माँगा...... "
" तुम भी ना गौरी! पूरी पागल हो! कुछ भी सोचती हो!
मै तुमसे कभी गुस्सा नही हो सकता! कभी भी नही! तुम जान हो मेरी और हा! मै जानता हूँ कि तुम भी मुझसे बहुत प्यार करती हो बस ज़ाहिर करने से डर रही हो|" रुद्र ने गौरी का चेहरा अपनी दोनो हथेलीयों मे पकडकर कहा|
ये सुनकर गौरी नजरे चुराने लगी|
" मै.... मै.... सो जाती हू| आप भी जाकर सो जाइए|" वो रुद्र से अलग होकर बोली|
रुद्र ने बस मुस्कुरा दिया और वो वहा से चला गया|
रुद्र के जाने के बाद गौरी भी सोच रही थी कि आज का दिन उसके लिए बहुत ही खास रहा| आज उसे रुद्र भी मिल गया और उसके भैया भी! वो बहुत ज्यादा खुश थी और मन ही मन शिवजी का बहुत धन्यवाद कर रही थी|
इधर रुद्र सोच रहा था कि गौरी ने उससे झूठ क्यो बोला क्योंकि रुद्र श्रेया को फोन करके पूछ चुका था कि गौरी कही वहा तो नही और श्रेया ने साफ मना कर दिया था| कही ना कही रेवती के शब्दो पर वो विचार कर रहा था पर उसने ये सब इग्नोर किया और आज गौरी के साथ बिताये हुए एक हसीन लम्हों को आँखे बंद कर याद करने लगा|
उसको मनाना, उसके साथ डान्स करना, बाद मे उससे अपने प्यार का इजहार करना और गौरी का भी उसके प्यार मे खो जाना! पर इस सब के दौरान उसे एक बात समझ नही आ रही थी की जब गौरी भी उसके प्यार करती है तो उसने अपना प्यार कबूल क्यो नही किया? उसने उससे समय क्यो माँगा?
" मै चाहती तो आज ही अपने प्यार का इजहार कर सकती थी ममा पर मैने नही किया क्योंकि मै चाहती हू कि मै जब रुद्र की बनू तो पूरी तरह से उनकी बन जाउ! उन्हें मेरे बारे मे सब कुछ पता हो! अब भी बहुत सी बाते है जो मेरे दिल मे दबी हुई है| जैसे आप को वो सब पता है, मै चाहती हू कि रुद्र को भी पता हो|
पर मै क्या करू? अतीत के कुछ जख्म ऐसे भी है जिन्हें मै इस वक्त कुरेदना नही चाहती|
खासकर उस वक्त जब मेरी जिंदगी मे वो सारी खुशियाँ लौट रही है जिनका कभी मै ख्वाब देखा करती थी| एक प्यारा सा परिवार जो मुझसे बहुत सारा प्यार करे| वरना कुछ लोग तो ऐसे भी होते है जो हमारी कोई भूल ना होते हुए भी हमे ऐसी सजा दे देते हैं जो हमे ताउम्र काटनी पडती है|
खैर.....
अब तो कोई ऐसा भी है जो मुझसे अपनी जान से बढकर प्यार करता है|" गौरी विवेक जी और शालिनी जी से बात कर रही थी| ये सब कहते कहते उसकी आँखों में आसू आ गए|
शालिनी जी आगे आयी और उन्होने गौरी को अपनी बाहो मे भर लिया|
"मै बता नही सकती गौरी की ये सुनकर हम दोनो कितने खुश हैं! बच्चों की खुशी के अलावा हमे और चाहिए भी क्या? बस तुम दोनो हमेशा खुश रहो! तुम जल्द से जल्द रुद्र को सारी सच्चाई बता दो और जल्द से जल्द मेरे घर की बहू बन जाओ बस!" वो कहने लगी| विवेक जी तो बस मुस्कुरा रहे थे|
ये सब सुनकर गौरी शरमा गई| उसकी पलके नीचे झूक गई|
" देखिये तो विवेक जी! हमे ऐसी ही बहू चाहिए थी ना हमारे लिए?" शालिनी जी बोली|
"आप गलत कह रही है शालिनी जी! हमे हमारे लिए बहू कभी चाहिए ही नहीं थी! हमे तो बेटी चाहिए थी जो हमे मिल गई!" विवेक जी की बात से गौरी का मन भर आया|
विवेक जी ने उसे और शालिनी जी दोनो को गले लगा लिया|
"अच्छा तो ये बात है? मतलब मेरा शक सही था| रुद्र-गौरी एक दूसरे से प्यार करते हैं| रुद्र तो गौरी को प्रपोज् भी कर चुका है| ये सब ठीक नही है|" दरवाजे के पीछे खड़ी रेवती उनकी बाते सुन चुकी थी|
आज गौरी को ऑफिस के लिए तैयार होने मे देर हो गई थी| वो जल्दी जल्दी तैयार होकर सुबह सुबह जैसे ही हॉल मे पहुंची उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी|
" अरे गौरी बेटा! आइये ना! आप वहा क्यो रुक गई? " विवेक जी बोले|
उनके कहने पर गौरी सीढीयो से उतरकर उनके पास आयी|
"इनसे मिलो गौरी! ये है हमारे गुलमोहर प्रोजेक्ट के नये इन्व्हेस्टर्स मि. विजय प्रताप सिंह और ये उनकी पत्नी पूजा.....!
आज से ये हमारे साथ ही रहेंगे|
ये इस शहर मे नये है और हमारे स्पेशल गेस्ट भी है तो हम इन्हें होटल मे कैसे रहने देते?" विवेक जी बोले|
गौरी के होश अब भी उडे हुए थे|
ये दोनो लोग वही थे जो कल रात उससे मिले थे| उसके भैया भाभी!
सब लोग हॉल मे उन्ही से मुलाकात कर रहे थे| रुद्र भी वहा मौजूद था|
विजय ने गौरी के आगे अपना हाथ बढ़ाया| गौरी को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था| गौरी ने उससे हाथ मिलाया| पूजा से भी हाथ मिलाया|
गौरी को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था|
तभी विवेक जी उसके पास आये और धीरेसे उसके कान मे बोले, " कैसा लगा आपको सरप्राइज? हमने सोचा कि क्यो ना आपको सुबह सुबह आपके भैया से मिलाकर सरप्राइज दिया जाये!"
ये सुनते ही गौरी ने चौंक कर उनकी तरफ देखा|
अब वो समझ गई की ये सब विवेक जी ने ही किया है| उसकी खुशी के लिए!
तब अचानक उसके चेहरे पर स्माइल आ गई|
"आइये ना बेटा! नाश्ता बन गया है| आप भी हम सबको जॉइन किजीये| " शालिनी जी ने विजय पूजा से कहा|
"थैंक यू आंटी! पर फिर कभी! आप सब से मिल लिये आज के लिए यही काफी है!" विजय बोला|
" फिर कभी किस ने देखा है? तो आज मै क्या प्रॉब्लम है! आइये ना!" रुद्र बोला|
विजय इस बार भी मना करने वाला था पर तभी गौरी बोली, "आइये ना भैया! आय....आय मिन सर! आइये ना सर!"
"कोई बात नही! मुझे अच्छा लगेगा अगर आप मुझे भैया कहे| आप मेरी छोटी बहन.... मेरी गुडिया की तरह ही है| सो यू कैन कॉल मी भैया!" विजय कहने लगा|
ये सुनकर गौरी के चेहरे पर संतुष्टि थी|
रुद्र गौरी के चेहरे के हर भाव का बारिकी से निरीक्षण कर रहा था|
"तो आइये ना भैया- भाभी! चलिये ना साथ मे नाश्ता करते हैं! " गौरी बोली|
"अब अगर आपने इतने प्यार से कहा है तो मना कैसे कर सकते हैं|" विजय मान गया|
वो सब लोग नाश्ता करने गए|
सबने साथ मे ऩाश्ता किया|
नाश्ते के दौरान गौरी का पूरा ध्यान विजय पर ही था| आखिर कितने साल बाद वो अपने भाई के साथ बैठकर खाना खा रही थी! विजय भी उसी से बात कर रहा था|
गौरी विजय को क्या चाहिये, क्या नही चाहिए उसपर पूरा ध्यान दे रही थी|
ये सब देखकर रेवती को बहुत अजीब लग रहा था|
आज गौरी का रुद्र पर जरा भी ध्यान नही था इसलिए रुद्र को बहुत गुस्सा आ रहा था| उसे समझ ही नही आ रहा था कि पहली मुलाकात मे गौरी विजय से इतनी करीब क्यो हो रही है! कही ना कही उसे जलन हो रही थी पर वो दिखा नही रहा था और ये बात रेवती को समझ मे आ गई| उसने सोचा की क्यो ना इस बात का पूरा पूरा फायदा उठाया जाये|
उसने उसी वक्त सोच लिया कि वो विजय का फायदा रुद्र और गौरी को अलग करने मे उठा सकती है|
गौरी को विजय के साथ खुश देखकर विवेक और शालिनी जी दोनो ही बहुत खुश थे|
गौरी विजय को अपने पास पाकर बहुत खुश थी| आज उसने अपना ऑफिस का काम भी जल्दी जल्दी खत्म कर लिया और घर चली गई ताकि उसे विजय के साथ वक्त बिताने का मौका मिले| उसे विजय से बहुत सारी बाते करनी थी| उसे रुद्र के बारे मे बताना था| गौरी बहुत ही एक्साइटेड थी|
आज ऑफिस में भी उसने रुद्र से काम के अलावा कोई और बात नही कि थी क्योंकि वो जानती थी कि रुद्र मौका मिलते ही उससे उसका जवाब पूछेगा और रुद्र को अपना जवाब बताने से पहले वो रुद्र को अपने अतीत के बारे मे सब बताना चाहती थी|
रुद्र उससे बात करने की कोशिश कर रहा था पर वो उसे इग्नोर कर रही थी|
2-3 दिन तक ऐसा ही चल रहा था| गौरी रुद्र से बात करना टाल रही थी और अपना ज्यादा कर वक्त विजय के साथ बिता रही थी|
उसने विजय और पूजा को रुद्र के बारे मे सब बता दिया|
विजय भी ये सब सुनकर बहुत खुश था| पूजा और उस को रुद्र बहुत अच्छा लडका लगता था| वो दोनो के लिए बहुत खुश थे| अब वो दोनो भी चाहते थे कि गौरी जल्द से जल्द रुद्र से अपने प्यार का इजहार कर दे इसलिए गौरी ने भी ठान लिया की वो जल्द से जल्द रुद्र को सब सच सच बता देगी और उससे अपने प्यार का इजहार कर देगी|
गौरी के रुद्र से दूरियो का फायदा रेवती बखूबी उठा रही थी|
वो रुद्र के दिल मे विजय और गौरी के बारे मे शक पैदा कर रही थी|
रेवती ने पूजा को भी भडकाने की कोशिश की पर पूजा ने रेवती को विजय पर भरोसा दिखाकर अपनी औकात बता दी|
रुद्र भी उसकी बातें अनसुनी तो कर रहा था| पर कही ना कही उसे बहुत जलन हो रही थी| वो समझ नही पा रहा था कि गौरी एक तरफ उससे प्यार जताती है और दूसरी ओर उससे दुरिया क्यो बना रही है! इस सब के दौरान गौरी से ढंग से बात ना होने की वजह से वो कुछ ज्यादा ही चिड़चिडा हो रहा था|
रात को गौरी रुद्र के कमरे मे उससे बात करने गई पर गौरी के जाने से पहले ही रुद्र सो गया था|
गौरी रुद्र के करीब बैठ गई|
"सोचा था कि आपसे मिलकर आपको सब सच बता दूंगी! कितनी एक्साइटेड होकर आयी थी मै और आप है कि घोडे बेचकर सो रहे हैं!
पर कोई बात नही! मै आपको कल सब बता दूंगी!
वैसे सोते वक्त कितने प्यारे लगते हैं आप! मन करता है की आपको इसी तरह रातभर देखती रहू पर नही देख सकती! कही आपको मेरी ही नजर ना लग जाये!"
गौरी ने धीरे से रुद्र के बालो मे से हाथ फेरा और उसके माथे पर अपने होठ रख दिये|
वो रुद्र को अपना आँखो मे भर लेना चाह रही थी|
उसने रुद्र को चादर ओढ़ा दी और कमरे से बाहर चली गई|
गौरी के जाने के बाद रुद्र नींद से जागा| उसने अपने आसपास देखा| उसे लगा जैसे गौरी वहा थी|
" मै भी ना! गौरी यहा कैसे हो सकती है? उसे तो आजकल मेरे लिए फ़ुरसत ही नही है और मै हूँ की नींद से जाग जाग कर भी उसी को याद कर रहा हूँ|" रुद्र थोडा नाराज होकर ही कह रहा था| वो फिरसे सोने की कोशिश करने लगा|
अगली सुबह गौरी ने ठान लिया की वो आज रुद्र को सब सच सच बता ही देगी| उसने ये बात विवेक जी और शालिनी जी को भी बतायी| वो दोनो ये सुनकर बहुत खुश हुए| विवेक जी शालिनी जी और विजय-पूजा एक कमरे मे बात कर रहे थे|
गौरी की इस बात पर विजय ने सुझाव दिया की वो कुछ स्पेशल चीज करके रुद्र को प्रपोज् करे|
पर उस वक्त गौरी इतनी नर्वस थी की उसको कुछ भी सूझ नही रहा था| तब विजय ने उसे कहा की वो ऑफिस जाये| वो उसे कोई ना कोई प्लान बना कर फोन पर बता देगा और रुद्र के फ्री होने तक सब सेट कर देगा|
गौरी बहुत ही खुश थी|
फाइनली वो रुद्र को अपने दिल की बात बताने जा रही थी| वो बहुत खुश थी| गौरी को इतना खुश देखकर सब को बहुत अच्छा लग रहा था|
विवेक जी और शालिनी जी ने उसे प्यार से गले लगा लिया|
विजय और पूजा भी ये देखकर बहुत खुश थे की गौरी से वहा सब इतना प्यार करते हैं|
आज ऑफिस मे गौरी ने जैसे ही अपनी स्कुटी पार्क की तभी अचानक किसी ने उसका हाथ पकड लिया|
वो रुद्र था|
वो गुस्से मे गौरी की तरफ देख रहा था|
" रुद्र! आप?" गौरी बोली|
रुद्र गुस्सेमें उसका हाथ पकडकर उसे अपने साथ ले जाने लगा|
" रुद्र! क्या हुआ रुद्र? आप मुझे कहा लेकर जा रहे हो? क्या बात है रुद्र?" गौरी पूछ रही थी पर रुद्र कोई जवाब नही दे रहा था| वो बस चलते जा रहा था|
गौरी रुद्र के ऐसे बरताव को देखकर उससे अपना हाथ छुडाने की कोशिश करने लगी इस वजह से रुद्र ने उसके हाथ पर अपनी पकड और भी मज़बूत कर ली| जिसकी वजह से गौरी को दर्द होने लगा|
" आह्! रुद्र मुझे दर्द हो रहा है! रुद्र ये आप क्या कर रहे हैं? रुद्र मुझे दर्द हो रहा है!" गौरी कह ही रही थी की रुद्र ने गुस्सेमें उसकी तरफ देखा|
उसकी आँखों मे बहुत गुस्सा था| वो देखकर गौरी डर गई और चुप हो गई|
ये देख रुद्र फिरसे चलने लगा| वो गौरी को ऑफिस से होता हुआ सीधे कॉन्फ़्रेंस हॉल मे लेकर गया| सारा स्टाफ उनकी ओर देख रहा था| गौरी को ये सब बहुत अजीब लग रहा था|
रुद्र गौरी को कॉन्फ़्रेंस हॉल मे लाया| उसने गौरी का हाथ छोडा और दरवाजा बंद कर लिया|
ये देखकर गौरी डर गई|
" रुद्र ये आप क्या कर रहे हैं? " गौरी ने पूछा|
रुद्र गुस्सेमें उसके पास आया| उसकी बाहे पकडकर उसे दिवार के पास ले गया| वो जोर से दिवार से टकरायी|
" आह्ह!!" गौरी चिल्लायी|
" चूप्प! एकदम चूप्प! अपने आप को क्या समझती हो तुम हा?
समझती क्या हो अपने आप को?
मै तुम्हे पागल लगता हू?" रुद्र कह रहा था| गौरी तो उससे बहुत डर गई थी|
"बोलो गौरी!" रुद्र फिरसे चिल्लाया|
"रुद्र! ये... ये आप क्या कह रहे होय मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा! आप गुस्सा मत करीए ना प्लीज रुद्र!" गौरी डरते हुए पर बहुत प्यार से बोली|
"वाव! दैट्स ग्रेट!
मै यहा तुमसे बात करने के लिए हर रोज मर रहा हूँ और तुम हो कि तुम्हें कुछ समझ ही नहीं आ रहा!
क्या हो क्या गया है गौरी तुम्हें? जबसे वो विजय आया है घर मे तबसे तुम उसी के इर्दगिर्द मंडराती रहती हो!
तुमने एक पल भी ध्यान दिया मुझपर? तुम सरेआम मुझे इग्नोर करके चली जाती हो! क्यो?
तुमने वक्त मांगा था ना मुझसे गौरी?
और कितना वक्त चाहिए तुम्हें? रोज तुम्हे जी भर के एक नजर देखने के लिए दिनभर इंतजार करता हूँ मैं! तुमसे बात करने के लिए इंतजार करता हूँ पर तुम हो कि तुम्हें बाकी लोगो से फुरसत ही नही है!
तुम ही बताओ! और कितना इंतजार करू मैं?" रुद्र चिल्ला रहा था|
ये सब सुनने के बाद गौरी के चेहरे के हावभाव बदल गए|
उसने रुद्र को धक्का देकर खुदसे दूर किया|
"अच्छा! अब मै समझी! तो ये बात है!
सही कहा है किसी ने! जब खुद पर बितती है तब पता चलता है!
सीधे सीधे बताइये ना की आपको जलन हो रही है!
अब पता चला आपको की मुझे आपको रिया के साथ देखकर कैसा लगता है? विजय जी तो वैसे भी मेरे भैया है!
आय मीन मै उनको भाई मानती हू!" गौरी भी जरा आवाज बढाकर बोली|
"तुम्हे समझ कैसे नही आता गौरी?
मै.... मेै....मै कैसे समझाऊ तुम्हें?
मुझे तकलीफ होती है जब भी किसी और के साथ देखता हूँ तुम्हें! तुम्हे कैसे समझ नही आता गौरी? तुम दूर जाती हो ना तो जान निकल जाती है मेरी! एक दिन भी तुमसे बात ना हो ना तो पागलो जैसा हाल हो जाता है मेरा! कैसे समझाऊ तुम्हें? कैसे समझाऊ? " रुद्र कह रहा था| उसकी आँखों मे दर्द साफ नजर आ रहा था|
गौरी तो बस उसी की तरफ देख रही थी| उसे रुद्र के गुस्से मे भी प्यार नजर आ रहा था| रुद्र कह ही रहा था की गौरी ने उसके गाल पर किस कर लिया|
गौरी के अचानक ऐसा करने से रुद्र चूप हो गया| उसे तो समझ ही नही आया की ये अचानक क्या हो गया!
उसने गौरी की तरफ देखा तो गौरी उसकी तरफ देखकर स्माइल कर रही थी|
कुछ देर तक दोनो ही चुप रहे| फिर गौरी वहा से जाने लगी पर रुद्र ने उसका हाथ पकडा और उसे अपने करीब खींच लिया| इससे गौरी जरा हडबडा गई|
" रुद्र.... ये... ये आप...... " गौरी कह ही रही थी की रुद्र ने उसके होठो पर अपना हाथ रख दिया|
" मै वही कर रहा हूँ जो तुमने कुछ देर पहले किया!" ये सुनकर गौरी की आँखे बडी हो गई| उसका हाथ अब भी गौरी के होठो पर ही था|
" क्या हुआ? तुम कर सकती हो! मै नही कर सकता? खासकर तब जब मै तुमसे तुम्हारे दिल की बात कहलवाना चाहू!" गौरी रुद्र का इशारा समझ गई|
रुद्र ने गौरी के चेहरे से अपना हाथ हटाया और धीरे धीरे उसके करीब जाने लगा| जैसे जैसे रुद्र उसके करीब आ रहा था गौरी की धडकने बढ रही थी|
रुद्र अपने होठ गौरी के बेहद करीब ले गया|
"क्या अब भी तुम नही कहोगी?" रुद्र ने धीरेसे पूछा|
" न्... न्... नही!" गौरी ने डरते हुए कहा|
" पर क्यो?" रुद्र ने और करीब जाते हुए कहा|
तब गौरी ने खुदको संभाला और रुद्र को खुदसे दूर किया|
"क्योंकि मै आपसे प्यार नही करती!" वो हंसते हुए बोली| उसने रुद्र को जीभ दिखाई| इससे पहले की रुद्र उसतक पहुंचे वो वहा से भाग गयी|
रुद्र भी उसकी इस बचकानी बातो पर हसने लगा|
"कब तक भागोगी मुझसे? आज चाहे कुछ भी हो जाये पर मै तुमसे वो सब कहलवा कर ही रहूंगा!" वो अपने आप से बोला|
इधर गौरी भी सोच रही थी की वो शाम तक रुद्र को सब बता देगी|
वो रुद्र के साथ एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी|
तभी उसे विजय का फोन आया| रुद्र ने वो देख लिया| गौरी अपना काम छोडकर विजय से बात करने बाहर चली गई| ये देखकर रुद्र फिरसे गुस्सा हो गया|
पर विजय से बात करके गौरी बहुत खुश हो गई क्योंकि विजय ने शाम का प्लान बना लिया था|
उसका फोन आते ही गौरी जल्दी ऑफिस से निकल गई| इस बात ने रुद्र के गुस्से की आग को और हवा दे दी|
आखिर वो वक्त आ ही गया जब वो रुद्र को अपने दिल की बात बता दे|
शाम हो गई थी|
पूजा विजय और गौरी तीनो उसी जगह पर सारी तैयारीयाँ कर रहे थे जहा पर गौरी रुद्र को बुलाने वाली थी| वो जगह एक पहाडी पर थी| हर जगह लाइटींग्स और फूलो से वातावरण मे एक अलग ही महक छा गई थी|
विजय और पूजा काम होने के बाद वहा से जाने वाले थे|
सब तैयारीयॉ होने के बाद गौरी ने रुद्र को फोन किया और उस जगह बुला लिया|
गौरी ने रुद्र को ऐसी जगह बुलाया ये देखकर रुद्र को लगा जैसे गौरी उससे शायद कुछ कहना चाहती हो! ये सोच रुद्र भी वहा के लिए निकल गया| वो खुश था| इस सब से वो सुबह का गुस्सा भी भूल गया|
सब लोग बहुत खुश थे| विजय पूजा गौरी के लिए बहुत खुश थे| उन्होने गौरी को सीने से लगा लिया पर गौरी जरा हडबडायी लग रही थी|
" क्या हुआ गौरी? सब ठीक है?" पूजा ने पूछा|
" जी भाभी!" वो बोली|
"अच्छा गुडिया! अब हम चलते है! तुम डरना मत! रुद्र से ठीक से बात करना| पहले तो उन्हें सब सच सच बता देना, फिर उनसे अपने दिल की बात कहना और दोनो जल्दी घर आना| हम आप लोगो का इंतज़ार करेंगे|" विजय गौरी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोला|
गौरी ने हल्के से मुस्करा दिया पर गौरी जरा अजीब बर्ताव कर रही थी|
विजय और पूजा उससे विदा लेकर निकल पडे|
पीछे गौरी बहुत अजीब बर्ताव कर रही थी|
विजय ने गाडी स्टार्ट की और जैसे ही बाय कहने के लिए उन दोनो की नजर गौरी पर पडी गौरी ने अपने पेट पर हाथ रख लिया|
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे|
उसने कसकर अपना पेट पकड लिया और वो कराह उठी, " आह्ह! आह्ह!" वो जमीन पर गिर पडी|
ये देखते ही उन दोनो के पैरो तले जमीन खिसक गई|