सिंघानिया मँशन मे रुद्र और रिया की सगाई की तैयारीयाँ शुरू हो गई थी| रेवती तो बहुत ही खुश थी| रिया भी इस सब से बहुत खुश थी पर कही ना कही उसका मन ये मानने को तैयार नही हो रहा था कि रुद्र इस रिश्ते से खुश है| पर दूसरी ही ओर उसके मन मे रुद्र को पाने की चाहत ने उसे बांधे रखा था|
इस दौरान रुद्र ने तो गौरी से बात करना ही बंद कर दिया था| वो गौरी की तरफ देखना भा पसंद नही कर रहा था पर उसके इस व्यवहार के पीछे उसने अपना सारा दर्द छूपा रखा था| वो रात रात भर गौरी की याद मे जागता रहता|
गौरी का भी कुछ ऐसा ही हाल था| वो ना तो किसी से बात करती और ना ही उस दिन के बाद किसीने गौरी के चेहरे पर हसी देखी| वो भी रात रात भर रोती रहती|
विवेक जी और शालिनी जी भी गौरी से बात करना टाल रहे थे| गौरी को इसी बात की सबसे ज्यादा तकलीफ हो रही थी| वो सीमा जी को भी बहुत मिस कर रही थी|
विजय और पूजा जितना हो सके उसको सपोर्ट करते पर विजय के गौरी के आसपास रहने से रुद्र और गुस्सा हो जाता| हालांकि गौरी की तबियत कुछ ठीक ना होने की वजह से विजय उसपर ज़्यादा ध्यान दे रहा था|
इस सब का फायदा उठाकर रेवती रुद्र के दिल मे गौरी के लिए और जहर भर रही थी|
विवेक जी और शालिनी जी तो इसी सोच मे डूबे रहते की गौरी ऐसा क्यो कर रही है!
गौरी अपनी सारा दर्द छूपाकर सगाई की तैयारीयो मे पूरा पूरा हाथ बटा रही थी| शालिनी जी राघू चाचा को आवाज दे रही थी गिफ्ट्स के पैकेट्स दूसरे कमरे मे पहुंचाने के लिए पर राघू चाचा आवाज नही दे रहे थे और शालिनी जी भी बहुत इरिटेटेड लग रही थी इसलिए गौरी उनके पास गई|
"ममा! आप चिंता मत करीये! मै ये सब कमरे मे लेकर जाती हू|" गौरी ने उनसे मुस्कुराते हुए कहा पर शालिनी जी ने उसकी तरफ देखा तक नही|
"इस घर मे तो कोई सुनने वाला ही नही है! जो देखो अपने काम मे मगन रहता है, अपनी मनमानी करता है| जो करना है करो!" गुस्सेमें इतना कहकर शालिनी जी अपने कमरे मे चली गई|
गौरी को बहुत बुरा लगा, रोना भी आया पर उसने अपने आँसू पोछे और सारे गिफ्ट्स उठाकर अंदर के कमरे मे ले जाने लगी|
बहुत सारे गिफ्ट्स होने की वजह से वो ठीक से उन्हें उठा नही पा रही थी| उसने जैसे तैसे सारे गिफ्ट्स कमरे मे रख तो दिये पर उसे कुछ अजीब लगने लगा|
वो अपने कमरे मे गई| अपने कमरे मे जाने तक तो उसका हाल खराब हो गया| उसने अपना पेट पकडा और जोर से कराह उठी|
"आह्ह्ह्ह!" वो जमीन पर लेटकर रोने लगी|
सगाई मे अब बस एक दिन बाकी रह गया था|
रुद्र को इस वजह से रातभर नींद नही आयी| वो रात भर गौरी के बारे मे सोचता रहा| कब सुबह के आठ बज गए उसे पता भी नही चला| उसने मन मे कुछ ठान लिया और गौरी के कमरे की तरफ बढा|
गौरी अपने कमरे मे दर्द से बेहाल हो रही थी| तभी वहा विजय पहुंच गया|
गौरी को इस हालत मे देखकर वो दंग रह गया| वो गौरी के पास गया|
"गौरी! गौरी! गौरी बेटा क्या हुआ आपको?"
" भैया!
आह्ह्ह्ह!
मुझे बहुत दर्द हो रहा है भैया!" वो रो रही थी|
विजय को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था| वो उठा और ड्रॉवर मे से दवाई लेकर गौरी को दी| उसने गौरी को उठाया और बेड पर सुलाया|
दवाई लेते ही गौरी को थोडी राहत मिली|
वो एकदम शांत हो गई|
विजय उसके पैरो के पास बैठ गया| उसका हाथ अपने हाथ मे लिया और कहने लगा, " गौरी! आप बिल्कुल चिंता मत करो! सब ठीक हो जायेगा! कोई माने ना माने पर मै जानता हूँ कि आप सही हो! कोई आपका साथ दे या ना दे पर मै हमेशा आपका साथ दूंगा! मै आपसे बहुत प्यार करता हूँ!
ट्रस्ट मी! मेरे लिये सबसे पहले आप आती है| मेरे लिए सबसे बढकर है आप! सो डोन्ट वरी!" विजय की आँखो मे पानी था|
"आय लव्ह यू सो मच!" विजय ने गौरी के माथे पर किस किया|
" आय लव यू टू!" गौरी ने मुस्कुराते हुए कहा|
विजय ने गौरी को अपने सीने से लगा लिया|
पर वो कहा जानते थे कि रुद्र ये सब दरवाजे से देख चुका था और इस बार तो रुद्र के गलतफहमी की हद ही नही थी| वो गुस्सेमें वहा से चला गया| आज के वाकिये की बाद गलतफहमी की दीवार बहुत मजबूत बन गई थी|
रुद्र ने फैसला कर लिया की वो सगाई जरूर करेगा और देखते ही देखते सगाई का दिन भी आ गया|
सिंघानिया मँशन की चकाचौंध देखते ही बन रही थी क्योंकि विवेक जी के इकलौते बेटे की सगाई थी|
सारा घर महमानो से भरा हुआ था|
विवेक जी और शालिनी जी सारे महमानो के स्वागत मे लगे थे|
रुद्र तैयार होकर नीचे आया|
रुद्र बहुत ही अच्छा दिख रहा था| व्हाइट शर्ट, ब्लैक सूट ब्लैक पैंट और रेड टाय!
बस कमी थी तो चेहरे पर खुशी की! वो आकर सीधा विवेक जी के पास गया| विवेक जी उसे महमानो से मिलवा रहे थे पर उसकी नजर थी की गौरी को ही ढूँढ रही थी|
आखिर कार उसको गौरी दिखाई पडी| वो एक टेबल पर गर्दन और पलके झुकाये बैठी थी| एकदम चूपचाप! आज उसने अलग ही कपडे पहने थे|
ब्लैक ऑफ शोल्डर टॉप और नीचे भी ब्लैक स्प्लिट वाली लाँग स्कर्ट! रुद्र को उसे इस तरह देखकर थोडा सा अजीब लगा क्योंकि वो ऐसे कपडे बहुत कम पहनती थी और फैमिली फंक्शन्स मे तो कभी नही!
रुद्र उसी की तरफ देख रहा था पर वो गर्दन झुकाये बैठी थी|
तभी अचानक उसने वेटर को रोका और ड्रिंक मांगी|
उसने शराब का पूरा ग्लास एक ही झटके मे खतम कर दिया|
वो लगातार ड्रिंक्स खतम कर रही थी|
रुद्र को ये सब बहुत अजीब लग रहा था|
तभी रिया तैयार होकर आ गई|
वो लाल रंग के लेहेंगे मे बहुत ज्यादा सुंदर लग रही थी| उसके आते ही सबने तालिया बजाकर उसका वेलकम किया|
अब जब रुद्र की नजर गौरी पर पडी तब भी वो ड्रिंक ही कर रही थी| उसका किसी पर भी ध्यान नही था|
रिया सबसे मिली| शालिनी जी विवेक जी सबने उसकी तारिफ की पर रुद्र का ध्यान उससे ज्यादा गौरी पर था|
आखिरकार वो विजय के पास गया|
" ये गौरी क्या कर रही है? आय थिंक यू मस्ट स्टॉप हर! आखिर वो बात तो तुम्हारी ही मानेगी! इतने करीब जो है तुम्हारे!" रुद्र ने उससे कहा|
विजय को उसका ऐसा कहना अजीब और बूरा तो लगा पर उसने भा रुद्र को सही सही जवाब दिया|
"सही कहा तुमने रुद्र! करीब तो है वो मेरे पर मुझसे भी ज्यादा करीब था कोई उसके !जिसने उसपर रत्ती भर भी ऐतबार नही किया और ना ही उसके ऐसे बर्ताव का सच जानना चाहा| तकलीफ तो होगी ही ना और अगर उस तकलीफ को छिपाने के लिए वो ये सब कर भी रही है तो कोई बात नहीं!
अगर तुम्हे उसकी इतनी ही फिक्र है तो खुद जाकर क्यो नही रोकते उसे?" पर विजय की बात का कोई जवाब रुद्र के पास नही था|
" नाउ प्लीज एक्सक्युज मी!" विजय वहा से चला गया पर विजय की बाते रुद्र के दिमाग मे घुमने लगी|
कही ना कही अभी भी उसे गौरी की बहुत चिंता थी| इसलिए वो गौरी के पास गया| वो जाकर उसके टेबल पर बैठ गया|
" ये सब क्या कर रही हो तुम?" रुद्र बोला|
पर गौरी को अब नशा होने लगा था इसलिए वो अपनी ही धून मे थी|
"मै तुमसे बात कर रहा हूँ! ये क्या कर रही हो तुम हाँ? " रुद्र ने उसके सामने टेबल पर हाथ पटककर कहा|
उसके ऐसा करने से गौरी ने उसकी तरफ देखा और उसकी तरफ देखकर हसने लगी|
"क्या रुद्र आप भी! आपको दिखाई नही दे रहा?" वो बोली|
"सब दिखायी दे रहा है पर तुम ऐसा क्यो कर रही हो? अब बस करो ये सब!" वो कह रहा था|
पर फिर भी गौरी उसकी बात को नजरअंदाज कर के ग्लास होठ से लगा रही थी|
"मै तुमसे कुछ कह रहा हूँ गौरी! " पर गौरी उसके उपर ध्यान ही नही दे रही थी|
आखिर कार रुद्र ने गुस्सेमें उसके हाथ से ग्लास छिनकर नीचे टेबल पर रख दिया और उसका हाथ पकडकर उसे सबकी नजरो से दूर ले गया|
ये सब शालिनी और विवेक जी ने देख लिया| वो भी उनके पीछे पीछे गए|
रुद्र गौरी को दूर ले गया|
"व्हॉट द हेल आर यू डूइंग देअर? पागल हो गई हो क्या तुम? तुम समझती क्या हो अपने आप को? जब जो चाहोगी वैसा करोगी? तुम्हें समझ नही आता मै तुम्हें कबसे कह रहा हूँ की बंद करो ये सब? " रुद्र गुस्सेमें उसकी बाहे पकडकर कहने लगा|
रुद्र बहुत गुस्सेमें था|
ये देखकर गौरी भी बहुत गुस्सेमें आ गई|
उसने रुद्र के हाथ झटक दिये|
"हाऊ डेयर यू? आपकी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ इस तरह से बात करने की? आप खुदको क्या समझते हैं? जो आप जब जैसा चाहेंगे मै वैसा ही करूंगी? जाइये नही मानती मै आपकी बात! क्या हक है आपका मुझपर जो मै आपकी बात मानू?
तो यही बहतर होगा की आप दूर रहे मुझसे!
जाइये ना आप! आपकी रिया आपका इंतजार कर रही होगी!
वैसे भी अब तो नफरत करते हैं ना आप मुझसे? तो जाइये! मेरी चिंता क्यो कर रहे है आप?" गौरी भी गुस्से मे कह रही थी|
"ओह सॉरी!
गलती मेरी है जो मै तुम्हारे पास आया| आज के बाद तुमसे मेरा कोई लेना देना नही| जो मन करे वो करो!" इतना कहकर रुद्र वहा से जाने लगा|
पर गौरी ने उसका हाथ पकडकर उसे रोक लिया|
रुद्र ने जब पीछे मुडकर देखा तो गौरी की आँखो मे आँसू थे|
गौरी रुद्र के सीने से लिपट गई और बहुत ज्यादा रोने लगी| रुद्र को तो समझ ही नही आया कि कुछ देर पहले तो गौरी उससे झगड रही थी और अब........
वो भी गौरी को गले से लगाना चाहता था पर उसके हाथ नही उठ रहे थे|
तब गौरी ने खुद उसके हाथ लेकर अपने कमर के पास रख लिये और खुद कसकर रुद्र को गले लगा लिया| ये सब देखकर रुद्र की भी आँख भर आयी|
पर दूसरे ही पल गौरी ने खुदको संभाला और रुद्र से अलग हो गई|
"मुझे माफ कर दिजीये!" इतना कहकर वो वहा से रोते रोते भाग गयी|
पर कुछ दूर जाने पर वो रुकी और वापिस भागकर रुद्र के पास आयी और उसे किस कर लिया|
उसने रुद्र के माथे से अपना माथा लगाया और बहुत ज्यादा रोने लगी|
"आय एम सॉरी रुद्र! आय एम सॉरी! प्लीज मुझे माफ कर दिजीये|" गौरी ने रोते हुए कहा|
वो रुद्र से दूर हुई|
"जाइये रुद्र! आपकी रिया आपका इंतज़ार कर रही होगी| आपको सगाई मुबारक हो और मुझे मेरी तनहाई मुबारक हो!" गौरी ने हसते हुए कहा पर साथ ही उसकी आँखों मे आँसू भी थे|
गौरी वहा से सीधे बार की तरफ चली गई|
रुद्र उसकी तरफ देखता रहा| वो भले ही गौरी से गुस्सा था पर उसकी आँखें भी नम थी|
साथ ही गौरी के इस व्यवहार से वो अचंभित था|
उसे गौरी का बर्ताव समझ ही नही आ रहा था|
ये सब दूर खडे विवेक और शालिनी जी देख चुके थे|
" देखा आपने शालिनी जी! मैने कहा था ना आपसे? गौरी जरूर हमसे कोई बात छुपा रही हैं!उसकी हालत देख रही है आप? रुद्र को खुदसे दूर करके पूरी तरह से टूट चुकी है वो!" विवेक जी बोले|
"आप सही कह रहे हैं विवेक जी! कोई ना कोई बात तो है जो गौरी हमसे छुपा रही हैं| हमे गौरी से बात करनी चाहिए| " वो बोली|
पर तभी रेवती विवेक जी के पास आयी|
"भैया! सगाई मे देर हो रही है! क्यो ना रिंग्स एक्सचेंज कर ली जाये?" रेवती बोली|
मन ना होते हुए भी विवेक जी रुद्र के पास आये|
"रुद्र बेटा चले? रिंग एक्सचेंज कर लेते हैं! " अपने खयालो मे खोकर उदास खडा रुद्र विवेक जी की आवाज से होश मे आया|
विवेक जी उसे अपने साथ स्टेज पर ले गए|
वहा पर रिया पहले से ही मौजूद थी|
रुद्र को सामने से आता देखकर उसे लग रहा था मानो उसका सपना सच होने जा रहा है|
रिया रुद्र के सामने थी पर उसकी नजर गौरी को ढुंढ रही थी| ये देखकर रिया को बूरा लग रहा था|
आखिर रुद्र को गौरी बार मे बैठकर बियर पीती नजर आयी|
देखते ही देखते रिया ने रुद्र को अंगूठी पहना दी| रुद्र के हाथ काँप रहे थे| पर उसने भी रिया को अँगूठी पहनायी|
गौरी को ये देखकर बहुत ज्यादा दर्द हुआ|
रुद्र भी ये सब अपने दिलपर पत्थर रखकर ही कर रहा था|
उनकी आँखों में आसू थे|
विजय और पूजा भी इस सबसे बहुत दुखी थे|
इस सगाई से कोई खुश नही था सिवाय रेवती जी के!
गौरी ने बियर की बोतल उठायी और होठो से लगा ली| उसके आँसू थे कि रुकने का नाम नही ले रहे थे|
रुद्र की गौरी पर ही नजर थी|
सब लोग गौरी की हालत देखकर दुखी थे|
कुछ देर बाद जब लोग डान्स फ्लोर पर आये और डान्स करने लगे रिया भी रुद्र को लेकर आयी| रुद्र का मन तो नहीं था पर वो रिया की खुशी के लिए आ गया|
" तेरे जाने का गम...
और ना आने का गम...
फिर जमाने का गम क्या करे...................."
बहुत अच्छा गाना बजा रहा था |
रुद्र डान्स तो रिया के साथ कर रहा था पर उसका ध्यान गौरी पर था| विवेक जी और शालिनी जी विजय-पूजा को भी डान्स के लिए फोर्स करने लगे इसलिए वे माने वरना वो भी नही जाने वाले थे|
"मेरी दहलीज़ से होकर बहारे जब गुजरती है...
यहा क्या धूप क्या सावन... हवाये भी बरसती है...
हमे पूछो क्या होता है.... बिना दिल के जिये जाना....
बहुत आयी गयी यादे....
मगर इस बार... तुम ही आना..."
रुद्र गौरी की तरफ देखकर ही रहा था|
पर गौरी तो अब पूरी तरह से नशे में थी| वो अपने ही गम मे डुबी हुई थी|
जब जब वो रुद्र की तरफ देख रही थी रुद्र रिया के करीब आने का नाटक करता! गौरी को ये देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था इसलिए वो वहा से उठकर चली गई|
जैसे ही गौरी वहा से उठकर गई रुद्र ने भी रिया के साथ डान्स करना बंद कर दिया|
काफी देर तक उसकी नजर गौरी को ढुंढती रही पर वो उसे नही दिखी|
रिया रुद्र के पास आयी|
" रुद्र तुमसे एक बात पूछू? " वो बोली|
रुद्र ने बस गर्दन हिलाकर हा कह दिया|
" क्या तुम सच मे मुझसे शादी करना चाहते हो? "
" अगर ऐसा ना होता तो मै खुद तुमसे शादी करने की बात ना करता! " रुद्र ने अपना जवाब दे दिया|
" वो सब तो ठीक है रुद्र पर क्या तुम मुझसे प्यार करते हो? प्यार तो तुम गौरी से करते हो ना? " रिया ने पूछा|
रिया के इस सवाल का रुद्र के पास कोई जवाब नहीं था| वो हडबडा गया और रिया को टालने के बारे मे सोचने लगा|
तभी कुछ डान्सर्स डान्स फ्लोर पर आ गए|
उनके बीच मे से गौरी निकली|
चाहे मेरी जान तू ले ले
चाहे ईमान तू ले ले
चाहे मेरी जान तू ले ले
चाहे ईमान तू ले ले
प्यार इक बार तो दे दे
ओ हैया हो हैया
चाहे मेरी जान तू ले ले
चाहे ईमान तू ले ले
चाहे मेरी जान तू ले ले
चाहे ईमान तू ले ले
प्यार इक बार तो दे दे
ओ हैया हो हैया..
गौरी पूरी तरह नशे मे डान्स कर रही थी|
मिल जाए दुनिया ये परवाह नहीं है
इक बस मुझको है तेरी कमी
होक भी तू मेरे पास नहीं है
जैसे फ़लक तू मैं तेरी ज़मीं
मेरी हर शाम तू ले
कोई भी दाम तू ले ले
प्यार इक बार तो दे
हैया हो हैया
रुद्र को जलाने के लिए वो भी उन मेल डान्सर्स के साथ क्लोज हो रही थी|ये देख रुद्र को भी गुस्सा आ रहा था|
तू मेरी बाहों में
तू ही निगाहों में
तुझसे जुड़ी है ये मेरी बंदगी
तू इस तरह से हाँ जिंदा है मुझमें
तू जी रही है मेरी ज़िन्दगी
रुद्र गाते गाते रिया का हाथ अपने हाथ मे लेकर अपने घुटनों पर बैठ गया|
ये देख गौरी को बहुत गुस्सा आया और वो उन डान्सर्स के साथ और ज्यादा क्लोज होने लगी|
मेरी हर शाम तू ले
कोई भी दाम तू ले ले
प्यार इक बार तो दे
हैया हो हैया
उन लोगो का गौरी को छूना रुद्र को पसंद नही आया|
सारे महमान गौरी को ही देख रहे थे| पहले ही वो ऐेसे कपडे पहने हुए थी और उपर से ऐसा डान्स!
रुद्र को गुस्सा आता देख रेवती रुद्र के पास आयी|
" हे भगवान! पहले तो फैमिली फंक्शन मे ऐसे कपडे पहन कर आयी और अब ये अश्लीलता!
रुद्र बेटा सारे महमान इसको किस नजर से देख रहे हैं देखो तो जरा! अगर इस लडकी पर रोक ना लगा ना तो पता नही ये क्या करेगी?
पता नही इस बदचलन लडकी पर रोक कब लगेगी? " वो बोली|
ये सुनकर रुद्र और गुस्से मे आ गया| अब उसका गुस्सा आपे से बाहर जा चुका था|
डान्स करने के बाद गौरी फिरसे एक टेबल पर बैठकर बीयर पीने लगी|
कुछ देर बाद जब सारे महमान चले गए|
विवेक जी और शालिनी जी आखरी महमान को विदा ही कर रहे थे कि तभी रुद्र गौरी के पास गया|
वो अब भी टेबल पर बैठकर पी रही थी|
रुद्र ने उसकी बाह कसकर पकडी|
ये देखकर विजय और पूजा भी दौडकर वहा आये| विवेक और शालिनी जी भी महमान विदा कर वहा आये|
"हाथ छोडिये मेरा! मैने कहा हाथ छोडिये मेरा!" गौरी रुद्र से कह रही थी|
रुद्र उसको पकडकर हॉल के बीचोबीच ले आया|
" क्या समझती हो तुम अपने आप को हाँ? ये क्या कर रही थी तुम?" रुद्र गौरी से गुस्से पूछ रहा था|
" मै? मै क्या कर रही हू? मैने क्या किया? " गौरी पूछने लगी|
" क्या तुम कुछ नही जानती? वहा क्या कर रही थी तुम उन बैकग्राउंड डान्सर्स के साथ? इतना चिपक चिपक के डान्स क्यो कर रही थी उनके साथ और ये कैसे कपडे पहन रखे है तुमने?" रुद्र ने गौरी की बाहे कसकर पकडी और उसकी आँखो मे आँखें डालकर चिल्लाकर उससे पूछने लगा|
रुद्र की आँखों मे गुस्सा साफ नजर आ रहा था|
"ओह रियली? मै कुछ भी करू, कैसे भी कपडे पहनू उससे आपको क्या? मेरा जो मन करेगा मै वो करूंगी! मेरा जैसा मन करेगा वैसे कपडे पहनूंगी!
आपको मुझपर हक जताने की कोई जरूरत नही है| समझे आप?" गौरी रुद्र का हाथ झटककर बोली और इतना कहकर वो वहा से जाने लगी पर रुद्र ने उसका हाथ पकडकर उसे वापिस पीछे खींचा|
"मेरी बात अभी खतम नही हुई तो यही पर खडी रहना जब तक मै ना कहू!
और हा मै गुस्सा नही करता तो ये बिलकुल मत समझना की मुझे गुस्सा आता ही नही|
तुम कुछ भी करो कैसे भी कपडे पहनो इससे मुझे कोई लेनादेना नही है| मै ये सब इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि तुम इस वक्त मेरे घर मे हो और मेरे घर मे मै ऐसी वाहियात हरकते कतई नही सहूंगा| अगर इस घर मे रहना हो तो अदब से रहो जिससे मेरे माँ पापा की रेप्युटेशन को कोई ठेस ना पहुंचे|" रुद्र बहुत गुस्सेमें बोल रहा थाट
उसकी बाते सुनकर गौरी की आँखे भर आयी|
"और हा! रही बात तुमपर हक जताने की तो मुझे कोई शौक नही है तुमपर हक जताने का!
हक उनपर जताया जाता है जो हमारे अपने हो, जो हमारे करीब हो और ये सारे हक इस घर का हर इंसान तुमसे कब का छिन चुका है! समझी तुम?
इसलिए महमान हो ना तो महमान की तरह रहो| वरना इस घर से चलती बनो|" रुद्र की हर एक बात गौरी के सीने पर खंजर के वार कर रही थी| वो सुन्न खडी थी|
रेवती तो ये सब एंजॉय कर रही थी|
रुद्र वहा से गुस्से में अपने कमरे मे चला गयाट
गौरी वही पर खडी होकर वो रही थी|
रेवती ने रिया का हाथ पकडा और उसे वहा से ले गई| उसने बाद मे रिया को रुद्र के पीछे उसके कमरे मे भेज दिया|
विवेक और शालिनी जी बस गुमसुम खडे देखते रहे|
गौरी अपने कमरे की ओर बढी पर अचानक वो रुक गई|
उसके पेट मे फिरसे बहुत ज्यादा दर्द होने लगा|
"आह्ह्ह्ह! " वो जोर से चिल्लायी|
उसने अपना पेट पकड लिया और जमीन पर गिर गई|
उसे इस तरह देखकर विवेक जी और शालिनी जी दौड़कर उसके पास आये| विजय और पूजा भी उसकी ओर भागे|
" गौरी! गौरी बेटा क्या हुआ? गौरी! " विवेक जी ने गौरी का सिर अपनी गोद मे लिया पर गौरी कुछ बोल ही नही पा रही थी| वो लगातार दर्द से कराह रही थीट
विजय से देख उसके कमरे की तरफ भागा और गौरी की दवाई लेकर आया|
"पूजा! जल्दी पानी लाइये!" वो बोला|
पूजा दौडकर पानी का ग्लास लायी|
विजय ने उसे दवाई खिलायी और पानी पिलायाट
"ये सब हो क्या रहा है कोई हमे बतायेगा? " शालिनी जी चिढकर बोली|
" आँटी मै आपको सब बताता हू पर...... " वो कह ही रहा था की गौरी और कराहने लगी| इस बार तो उसपर दवाई का भी असर नही हो रहा था|
तभी अचानक उसके मुंह से खून निकलने लगा और वो बेहोश हो गईट
ये देखकर सबके पैरो तले जमीन खिसक गईट
"गौरी! गौरी!" सब उसे उठाने लगे पर वो बेहोश थी|
"अंकल हमे गौरी को जल्दी हॉस्पीटल ले जाना होगा!" विजय बोला|
सब सहमत थे|
विजय ने गौरी को उठाया और वो लोग बाहर चले गए|
इस ओर रुद्र ने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया था इसीलिए वो बाहर जो कुछ हो रहा था उसमे से कुछ भी सुन नही पायाट
रिया भी रुद्र के पीछे पीछे गई थी पर रुद्र ने दरवाजा नही खोला इसलिए वो भी अपने कमरे मे चली गई|
इधर गौरी को लेकर सबकी जान अटकी पडी थी|
वो लोग उसे हॉस्पीटल लेकर आये| डॉक्टर ने गौरी को चेक करते ही उसे सीधे आयसीयू मे भरती कर दिया|
"ये सब कैसे हो गया मि. विजय?" डॉक्टर ने पूछा|
"डॉक्टर मैने उसे दवाई दी पर कोई असर नही हुआट" विजय बोला| डॉक्टर गौरी को चेक करने चले गए|
इधर रुद्र भी कुछ ठीक नही था| गौरी से इस तरह बात करके उसे बहुत बूरा लग रहा था| उसने गौरी की जो पेंटिंग्स बनाई थी वो देख मन ही मन उससे माफी मांग रहा था|
दूसरी ओर रेवती ये सोच रही थी कि सगाई तो हो गई पर कही ऐसा ना हो कि रुद्र शादी से पहले अपना इरादा बदल दे इसलिए उसने सोचा की अब उसे कुछ धमाकेदार करना होगा जिससे गौरी हमेशा के लिए रुद्र की जिंदगी से चली जाये|
"विजय ये सब क्या हो रहा है? क्या हुआ है गौरी को? तुम लोग हमसे क्या छुपा रहे हो?" विवेक जी गुस्से में कह रहे थे|
"अंकल मै सब बताता हू!" वो कह ही रहा था की डॉक्टर बाहर आये| उनके बाहर आते ही सब उनके पास गए|
"देखिये! अब सब ठीक है| चिंता की कोई बात नहीं है और जैसे की आपने कहा दवाई का असर गौरी पर नही हुआ क्योंकि उसने बहुत ज्यादा एल्कोहॉल पी ली थी| आगे से आप खयाल रखे की ऐसा ना हो!" डॉक्टर ने किसी के कुछ पूछने से पहले ही सब बता दिया|
"पर डॉक्टर गौरी को हुआ क्या है?" विवेक जी ने पूछा|
" जी आप?" डॉक्टर ने पूछाट
"डॉक्टर आय एम विवेक सिंघानिया! गौरी हमारी बेटी है!" विवेक जी बोले|
"ओह येस येस येस! मि. सिंघानिया नाइस मिटींग यु! आप मेरे केबिन मे आइयेट हम बैठकर बात करते है| " इतना कहकर डॉक्टर चले गए|
उसके बाद सब लोग उनके केबिन मे गए|
विजय भी अंदर जा रहा था पर विवेक जी ने गुस्सेमें इशारा कर उसे रोक दिया और वो खुद शालिनी जी के साथ अंदर चले गए|
विजय समझ गया था कि वो उससे गुस्सा है|
वो बाहर खडा उनका इंतजार करता रहा|
कुछ देर बाद विवेक जी और शालिनी जी बाहर आयेट
उनके चेहरे पर घुप्प उदासी थी|
जैसे विवेक जी की विजय से एक नजर हुई|
विजय और विवेक जी दोनो की आँखो से आंसू बहने लगे|
शालिनी जी तो वही बैठकर जोर से रोने लगी|
पूजा ने जाकर उनको संभाला|
विजय दौडकर विवेक जी के गले से लग गया|
वो सब एक दूसरे से गले लग रो रहे थेट
अगली सुबह विवेक जी और शालिनी जी कही बाहर जाने की तैयारी कर रहे थे| तभी विजय और पूजा उनके पास आये|
" गौरी सो रही है ना? " शालिनी जी ने पूछा|
"जी आँटी! वो सो रही हैं! मै उन्ही के साथ थी! आप कही जा रहे हो? पर इतनी सुबह सुबह? " पूजा ने पूछाट
" हाँ बेटा! हम दोनो गुरुजी से मिलने जा रहे हैं|
अब तो लग रहा है जैसे अस सब से हमे वही निकाल सकते हैं! " शालिनी जी बोली|
"गुरुजी? ये कौन है?" विजय ने पूछा|
"हमारा परिवार उनको सालो से जानता है| हर मुश्किल हालात मे वो हमेशा हमारी मदद करते हैं| शायद इस मुश्किल का भी कोई ना कोई हल अवश्य होगा उनके पास! " विवेक जी बोले|
"अच्छा अब हमे देर हो रही है! हमे चलना चाहिए! तुम लोग गौरी का खयाल रखना| हम जल्दी लौट आयेंगे|" शालिनी जी बोली और वो दोनो निकल गए|
"विजय जी! आप जाइये थोडा आराम कर लिजीये! आप रात भर शालिनी आंटी के साथ गौरी के पास थे| तब तक मै उनके पास रुकती हू|" पूजा बोलीट
विजय भी थकान महसूस कर रहा था इसलिए वो अपने कमरे मे चला गया|
पर ये सब दूर गैलरी मे खडी रेवती ने सून लिया|
वो दौडती हुई गौरी के कमरे मे गई| तब गौरी सो रही थी| वो चुपचाप उसके बाथरूम मे गई और फर्श पर पानी डालकर उसपर बहुत सारा शैंपू डाल दियाऔर जल्दी से उसके कमरे से बाहर निकल गई इससे पहले कि पूजा वहा आ जाये|
उसके जाने के बाद पूजा गौरी को पास चली गई|
सूरज की किरणें रुद्र के चेहरे पर पड रही थी|
उसको कब नींद आ गई थी उसे ही नही पता चला था|
वो उठा| उसे अब भी उसके कल रात के बरताव का पछतावा हो रहा था|
इधर रेवती गौरी के कमरे के इर्दगिर्द ही मंडरा रही थी|
रेवती थोडा इंतजार कर गौरी के कमरे मे दाखिल हुई|
"अरे पूजा बेटा आप यहा??? आप यहा क्या कर रही है?" उसने पूछाट
"वो... वो आँटी गौरी की तबियत जरा खराब थी इसलिए मै उनके पास रुकी हू|" पूजा बोली|
"गौरी की तबियत खराब है? हे भगवान मै अब क्या करूंगी?" रेवती नाटक करते हुए बोली|
" क्यू क्या हुआ आँटी?" पूजा ने पूछाट
"बेटा वो रुद्र कह रहा था कि उसे नाश्ते मे कटलेट खाना है| आज राघू चाचा छुट्टी पर है, शालिनी जी घर नही है और मुझे कटलेट बनाना नही आता!
तुम तो जानती हो ना कि कल रात रुद्र कितना गुस्से मे था!
कही ऐसा ना हो कि वो इस बात पर भी गुस्सा हो जाये क्योंकि आजकल वो हर बात पे गुस्सा करने लगा हैट
क्या तुम्हें कटलेट बनाना आता है?" रेवती ने पूछा|
"मुझे कटलेट बनाना तो आता है लेकिन आंटी मै गौरी को इस तरह छोडकर नही जा सकती!" पूजा ने कहा|
"तो मै रुकती हू ना बेटा गौरी के पास! तुम चिंता मत करो!
तुम बस कटलेट बना दो!" रेवती ने कहा|
रुद्र के गुस्से को टालने के लिए पूजा भी मान गई और किचन मे चली गई|
सब रेवती के प्लैन के मुताबिक हो रहा थाट बस अब गौरी के जागने की देर थीट
गौरी को जगाने के लिए रेवती ने वहा रखा वास जोर से निचे गिरा दिया|
उस आवाज़ से गौरी जाग गई|
"सॉरी! सॉरी बेटा! मैने आपकी नींद तोड दी! वो रुद्र ने मुझे कहा की मै ये फाइल तुम्हारे कमरे से लेकर आउ और ये लेते वक्त ही गलती से वास मेरे हाथ से गिर गया|" रेवती सामने पडी एक फाइल उठाकर नाटक करने लगी|
"कोई बात नही आंटी!" गौरी उठते हुए बोली|
वो अब भी बहुत वीक लग रही थी|
"कहा जा रही हो गौरी?" रेवती ने पूछा|
गौरी ने बाथरूम की तरफ इशारा किया|
सब रेवती के मुताबिक हो रहा थाट
"अच्छा बेटा तो मै चलती हूँ!" इतना कहकर वो जाने का नाटक करने लगी|
गौरी जैसे ही बाथरूम के अंदर गई रेवती ने अपने हाथ मे छुपायी हुई एक शीशी निकाली और गौरी के बेड के बिलकुल पास मे उँडेल दी| वो तेल था|
आगे क्या होने वाला है इसका रेवती को पूरा अंदाजा था| वो दौडकर विजय के कमरे मे पहुंची|
तब विजय नहाकर बिलकुल उसी वक्त बाहर आया था और वो शर्टलेस था| शर्ट उसके हाथ मे ही था|
रेवती ने जब ये देखा उसे तो वो एकदम जैकपॉट जैसा लगा|
रेवती दौडकर उसके पास आयी|
"विजय! विजय! वो गौरी.... गौरी अपने बाथरूम मे गिर गई है!" रेवती बोली|
ये सुनते ही विजय वैसे ही दौडते हुए गौरी के कमरे मे पहुंचा| उसका शर्ट भी उसके हाथ मे ही रह गया था|
उसके पीछे पीछे रेवती भी पहुंची|
वहा पहुंचकर उसे गौरी की आवाज सुनाई पडी| वो दर्द से कराह रही थी|
ये सुनते ही उसने अपना शर्ट वही फेंक दिया और बाथरूम के दरवाजे के पास गया|
" गौरी! गौरी बेटा आप ठीक तो हो ना? क्या मै अंदर आ सकता हू?" विजय बोला|
"हा भैया! जल्दी आइये! मेरे पैर मे बहुत चोट आयी है!" गौरी बोली|
विजय ने बिना सोचे समझे बाथरूम का दरवाजा तोड दिया और अंदर चला गया|
रेवती ने अब जल्दी जल्दी से बेड पर पडा गौरी का दुपट्टा और विजय का शर्ट उठाये और जमीन पर बिखेर दिये और दौडकर रूद्र के कमरे मे गई|
"रुद्र! रुद्र बेटा जल्दी चलो! देखो गौरी के कमरे मे क्या हो रहा है! जल्दी चलो! दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा विजय और गौरी के रिश्ते के बारे मे!" रेवती हाँफते हुए बोली|
ये सुनते ही रुद्र भी गौरी के कमरे की ओर बढा|
इधर विजय गौरी के पास आयाट
गौरी अपना पैर पकडकर बैठी हुई थी|
" गौरी! गौरी बेटा क्या हुआ? आप कैसे गिर गई? "
"पता नही भैया! पर जमीन पर शैंपू गिरा हुआ था| " विजय ने जमीन पर देखा तो सच मे शैंपू था|
ये देखकर उसे थोडा शक हुआ पर उसने गौरी को उठाया और वहा से बाहर निकला|
वो गौरी को बेड पर रखने जा रहा था कि नीचे गिर तेल पर उसका पैर फिसला और वो सीधा गौरी के उपर गिर पडाट
गिरने से बचने के लिए गौरी ने विजय को कसकर पकड लिया|
नीचे गिरे गौरी और विजय के कपडे, बेड पर गौरी और विजय वो भी शर्टलेस! ये सब काफी था रुद्र के मन मे जहर भरने के लिए और यही सब रुद्र ने देख लिया|
विजय उठा| उसका सहारा लेकर गौरी भी उठकर बैठी|
तभी गौरी की नजर दरवाजें पर खडे रुद्र पर पडी|
उसकी आँखें गुस्से से लाल हो गई थी|
" रुद्र! " गौरी की बात सुनकर विजय ने रुद्र का तरफ देखा|
उसे देखकर विजय गौरी के बेड से दूर हुआ|
गौरी उठकर खड़ी हुई पर उससे ठीक से खडा हुआ नही जा रहा था|
विजय और गौरी को थोडा थोडा अंदाजा हो गया था|
रुद्र बहुत गुस्सेमें गौरी के पास आया| उसने गुस्से में गौरी का हाथ पकडा|
विजय उसे रोकने जा रहा था पर रुद्र ने इशारे से ही उसे रोक दिया|
उसने गौरी का हाथ पकडा और उसे खींचकर हॉल मे ले गया|
गौरी से चला नही जा रहा था पर रुद्र उसकी एक बात नही मान रहा था|
विजय ने नीचे पडा अपना शर्ट उठाया और पहनते पहनते ही उनके पीछे पीछे आया|
रेवती भी उनके पीछे थी|
रुद्र ने गौरी को हॉल मे लाकर नीचे धक्का दे दिया|
वो जमीन पर जोर से गिर पडीट
आवाज सुनकर पूजा भी किचन से दौडती हुई बाहर आयी|
गौरी को नीचे गिरा देख विजय और पूजा उसको उठाने गए| उन्होने उसे उठाया|
गौरी को चोट लगी देखकर विजय को बहुत गुस्सा आयाट वो रुद्र की ओर गुस्से मे बढने लगा कि गौरी ने उसे रोक लिया|
ये देख रुद्र और गुस्से मे आ गयाट
"अच्छा! तो बात इस हद तक पहुंच चुकी है कि इसके लिए तुम मुझपर हाथ उठाने जा रहे थे!
वाह!
वाह मिस गौरी शर्मा!
क्या समझा था मैने आपको और क्या निकली आप? शक तो मुझे पहले से था पर आज ये सब दिखाकर तुमने मेरे शक को यकिन मे बदल दिया!
भैया कहती हो ना तुम इसको? भैया शब्द का मतलब भा जानती हो? भैया का मतलब भाई होता है और भाई बहन का रिश्ता इस दुनिया का सबसे पवित्र रिश्ता होता है और तुम.... तुमने तो इस रिश्ते को ही शर्मसार कर दिया!" रुद्र की आँखे आग उगल रही थी|
जोर जोर की आवाजे सुनकर रिया भी बाहर आयी|
"रुद्र! ये आप क्या कह रहे हो? आप गलत सोच रहे हो हमारे बारे मे!" गौरी रुद्र को समझाते हुए बोली| पहली बात तो वो सोच भी नही सकती थी कि रुद्र उसपर ऐसा इल्जाम भी लगा सकता है|
"मै गलत सोच रहा हूँ? मै गलत सोच रहा हूँ? तो क्या जो कुछ मैने देखा वो सब झूठ था? मै पागल हू? क्या कहना क्या चाहती हो तुम? " रुद्र गुस्सेमें गौरी के बाल पकडकर बोला|
ये देख विजय को बहुत गुस्सा आया पर गौरी ने उसे रोक लिया|
"ये तुम क्या कह रहे हो रुद्र? आर यू आउट ऑफ युअर माइंड? तुम ऐसा सोच भी कैसे सकते हो? " विजय को ये सब सुनकर शॉक हो लग गया कि रुद्र गौरी और उसके बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकता है! गौरी भी यही सोच रही थी|
उसकी आँखों से आँसू कब छलक पडे उसे पता भी नही चला|
"क्यो नही सोच सकता हा? क्यो नही सोच सकता?अगर तुम इतना घटिया काम कर सकते हो तो मै सोच भी नही सकता?
और हा मै तुमसे बात नही कर रहा| मेरा तुमसे कोई लेनादेना नही है इसीलिए यही बेहतर होगा की इस वक्त कोई भी हमारे बीच ना आये वरना इसका अंजाम बहुत ज्यादा बूरा होगा|" रुद्र गुस्सेमें बोला|
"तुम बोलो! तुम सच बताओ!
क्या चल रहा है तुम्हारे बीच और कबसे चल रहा है?
इसी की वजह से तुमने मुझसे शादी करने के लिए मना किया था ना? बताओ!" रुद्र गौरी की बाहे पकडकर बहुत चिल्लाकर बोला|
गौरी डर गई|
"नही रुद्र! ऐसा कुछ भी नही है| आप गलत समझ रहे हो| ये तो मेरे भाई है!" गौरी का ऐसा कहते ही रुद्र ने बहुत ही गुस्से मे और बहुत ही जोरदार तमाचा गौरी के गाल पर जड दिया|
वो सीधे जाकर जमीन पर गिर गई|
कुछ पल के लिए उसकी आँखों के सामने अंधेरा छा गया|
ये देखकर सब के पैरो तले जमीन खिसक गई|
रेवती तो बहुत खुश हुई|
विजय दौड़कर गौरी के पास गया|
उसने गौरी को देखा| वो मुश्किल से उसे देख रही थी|
ये देख विजय का गुस्सा आपे से बाहर हो गया और वो रुद्र को मारने की जा रहा था कि गौरी ने उसका हाथ पकड उसे रोक लिया|
" नही भैया! नही!"
"मेरा हाथ छोडो गौरी! रुद्र तुम्हारे साथ बहुत गलत कर रहा है! उसे सच का पता चलना चाहिए और सच उसे मै बताउँगा!" विजय की आँखो मे पानी था|
"नही भैया! आपको मेरे सर कि कसम! ये चाहे मेरे साथ कोई भी सुलूक करे आप किसी को कुछ भी नहीं बतायेंगे और ना ही हमारे बीच आयेंगे! आपको मेरी कसम!" गौरी ने विजय का हाथ अपने सिर पर रखकर उसे अपनी कसम दे दी|
अब विजय के हाथ बंध गए|
गौरी उठ खडी हुई| उससे ठीक से खडा हुआ नही जा रहा थाट
"मै कबसे कह रही हू की ऐसा कुछ नहीं है! कुछ नही है! अब बताइये! क्या सुनना चाहते हैं आप?
यही ना की मेरे और विजय भैया के बीच मे कुछ है? हमारा अफेयर चल रहा है?
तो हाँ! मेरा और विजय भैया का..... सॉरी! सॉरी! मेरा और विजय का अफेयर चल रहा है!
थोडी देर पहले जो आपने देखा ना वो सब सच है!
हम दोनो के बीच वही रिश्ता है जो आपने अभी देखा| समझे आप!" जैसे जैसे गौरी कह रही थी रुद्र का गुस्सा बढता जा रहा था| उसने गौरी को फिरसे एक जोरदार तमाचा जड दिया|
वो जमीन पर गिर गई|
उसके मुंह से खून निकलने लगा|
विजय और पूजा उसके पास आ रहे थे पर उसने उन्हे रोक दिया|
रुद्र ने गुस्से मे गौरी की दोनो बाहे पकडकर उसे उठाया|
" तुमसे मुझे यही उम्मीद थी! तुम्हारे जैसी लडकिया होती ही ऐसी है! पैसे के लिए कुछ भी कर जाती है! तुमसे प्यार करना मेरे ज़िंदगी की सबसे बडी गलती थी और मै इस गलती हो जड से उखाड़ फेकना चाहता हूँ!
इसलिए... गेट आउट ऑफ माय हाउस!" रुद्र गुस्से मे बोला और गौरी को खींचते हुए बाहर ले जाने लगा|
" रुद्र! रुद्र ये आप क्या कर रहे हो? रुद्र आप ऐसा नही कर सकते! रुद्र हाथ छोडिये मेरा! रुद्र! "
गौरी चिल्ला रही थी पर रुद्र ने उसकी एक नही सुनी|
उसे सीधे दरवाजे से बाहर धक्का दे दिया|
"जिस गंदगी से उठकर आयी हो ना! वही वापिस चली जाओ! मेरी दुनिया मे तुम जैसी लडकियो के लिए कोई जगह नहीं है! दफा हो जाओ यहा से और भूल से भी मुडकर इस घर की तरफ मत देखना!" रुद्र गुस्सेमें कह रहा था|
विजय उसे रोकने जा रहा था पर गौरी की कसम ने उसे बांधे रखा था| वो चूपचाप खडा बस देखता रहा|
रुद्र ने दरवाजा बंद कर दिया|
"नही! नही रुद्र!
रुद्र ऐसा मत किजीये मेरे साथ! मुझे घर से मत निकालीये प्लीज रुद्र! मै कहा जाउंगी? आप मुझे गलत समझ रहे हो रुद्र! रुद्र दरवाजा खोलिये!
प्लीज मुझे घर से मत निकालीये| मुझे बस एक मौका दिजीये रुद्र| मै आपको सब समझा सकती हू|
रुद्र दरवाजा खोलिये| मै कहा जाउंगी रुद्र?" गौरी दरवाजा खटखटाते हुए रो रोकर चिल्ला रही थी पर रुद्र सब अनसुना कर गुस्से मे अपने कमरे मे चला गया|
सब लोग गौरी की तकलीफ सुन रहे थे|
"गौरी! गौरी तुम रुको! मै दरवाजा खोलता हू! तुम मेरे साथ चलो| हम लोग यहा से कही दूर चले जायेंगे|" विजय दरवाजा खोलने जा ही रहा था की गौरी ने कहा, "नही भैया! आप दरवाजा मत खोलिये!
आपको मेरी कसम का मान रखना होगा भैया!
रुद्र मेरे साथ ऐसा नही कर सकते| मै भी देखना चाहती हू कि मेरे प्यार पर ये गलतफहमी कितनी हावी है!" गौरी रोते हुए बोली|
विजय दरवाजें के पास बैठकर रोने लगा| पूजा उसे संभाल रही थी| रिया को गौरी के लिए बूरा लग रहा था पर रेवती को बहुत खुश थी| उसका प्लैन सफल हुआ था|
रुद्र अपने कमरे मे गया और कमरे का दरवाजा बंद करके नीचे बैठ गया|
वो नीचे बैठकर बहुत जोर जोर से रोने लगा चिल्लाने लगा|
उसने गौरी को घर से तो निकाल दिया पर दिल से कैसे निकालता!
"गौरी! गौरी बेटा तुम वहीपर रुकना हाँ! कही मत जाना| विवेक अंकल और शालिनी आँटी आते ही होंगे| तुम यही पर रुकना| कही मत जाना| उनके आते ही सब ठीक हो जायेगा|" विजय कह रहा था पर गौरी ने कोई जवाब नहीं दिया|
वो काफी देर तक वही बैठकर रोता रहा| पूजा उसे समझा रही थी|
तभी अचानक किसी ने दरवाजे की बेल बजायी| वो बेल सुनते ही विजय और पूजा खुश हो गए|उन्हें लगा विवेक जी और शालिनी जी आ गए|
पूजा ने दरवाजा खोला|
दरवाजे पर राघू चाचा थे पर विजय की नजरे गौरी को ढुंढ रही|
"गौरी! गौरी!
राघू चाचा गौरी कहा है? यहा पर गौरी थी ना?
गौरी!" विजय गौरी को आवाज दे रहा था|
नही! गौरी बिटीया तो यहा नही है! मै तो अभी अभी बाजार से रेवती मेमसाब का सामान लेकर आ रहा हूँ!" राघू चाचा बोले|
ये सुनते ही विजय-पूजा के पैरो तले जमीन खिसक गई|
"इसका मतलब..... इसका मतलब गौरी यहा नहीं है?" विजय चौंककर बोला|
वो राघू चाचा को धक्का देकर बाहर निकला|
पूजा भी उसके पीछे पीछे बाहर आयी|
वो दोनो गौरी को हर जगह ढुंढने लगे|
राघू चाचा को तो कुछ समझ ही नहीं आया|
विजय पूजा गौरी को हर जगह ढुंढ रहे थे पर गौरी कही नही दिख रही थी|
वो गौरी को आवाज दे रहे थे पर गौरी कही नही थी|
" विजय जी! मुझे लगता है हमे गाडी निकालनी चाहिये! वो ज्यादा दूर नही गई होंगी!" पूजा बोली|
विजय ने गाडी निकाली और वो दोनो गौरी को ढूँढने निकल पडे|
उनके जाते ही विवेक जी और शालिनी जी घर लौटे|
वो जब घर आये तो उन्हें विजय पूजा और गौरी गायब मिले पर उन्हें लगा कि शायद गौरी को लेकर विजय कही बाहर गया होगा|
वो लोग बैठकर उनका इंतजार करने लगे|
रातभर गौरी के पास बैठकर जागने कि वजह से शालिनी और विवेक जी की बैठे बैठे ही आँख लग गयी और देखते ही देखते कब शाम हो गई उनको पता भी नही चला|
शालिनी जी जागी तब शाम के 5 बज गए थे| उन्होने विवेक जी को उठाया|
"विवेक जी! शाम के 5 बज गए! अब तक ये लोग लौटे नही! आप जरा फोन लगाइये ना उनको! गौरी का इतनी देर बाहर रहना ठीक नही! " शालिनी जी बोली|
विवेक जी ने पहले विजय को कई बार फोन लगाया पर उसने उठाया नही इसलिए उन्होने गौरी को फोन लगाया... पर उसके फोन की बेल उसी के कमरे मे बज रही थी|
शालिनी जी ने जाकर देखा तो गौरी का फोन उसी के कमरे मे था| वो उसका फोन लेकर बाहर आयी|
"गौरी का फोन ये रहा! लगता है वो अपना फोन घर पर ही भूल गई है!" वो बोली|
अब उनके पास इंतजार करने के अलावा कोई चारा नही था|
देखते ही देखते 6 बज गए| अब उन लोगो को चिंता होने लगी|
तभी रुद्र कमरे से बाहर आया|
वो अब भी गुस्से में लग रहा था|
"रुद्र! बेटा आप ऑफिस नही गए? " विवेक ने पूछा|
पर रुद्र ने कोई जवाब नही दिया|
वो सीधा बाहर की ओर जाने लगा तभी शालिनी जी ने हाथ पकडकर उसे रोका|
"रुद्र! क्या बात है? कहा जा रहे हो और बाकि सब लोग कहा है? गौरी कहा है? " शालिनी जी ने कई सवाल किये|
पर रुद्र बिना जवाब दिये वहा से जाने लगा|
"रुद्र! रुद्र!
मै कुछ पूछ रही हूँ तुमसे?" शालिनी जी उसे रोकने की कोशिश कर रही थी पर वो नही रुका|
वो थोडा आगे बढा ही था कि दरवाजे से विजय और पूजा आये|
उन दोनो की हालत बहुत खराब लग रही थी| ज्यादा तर विजय की! वो पसीना पसीना हो गया था और बहुत थका हुआ लग रहा था|
उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे| वो इस तरह चल रहा था मानो उसमे जान ही ना बची हो|
उसकी हालत देखकर विवेक और शालिनी जी चौंक गए|
जैसे ही विजय की नजर रुद्र पर पडी उसका गुस्सा हद से ज्यादा बढ गया और उसने जाकर सीधे रुद्र के चेहरे पर एक जोरदार घुसा जड दिया|
ये देखते ही विवेक और शालिनी जी के पैर जम गए|
रुद्र को भी बहुत गुस्सा आया| उसने पलटकर विजय की कॉलर पकड ली| पर सबने आकर उनको रोका|
"रुद्र! विजय! रुको!
ये तुम लोग क्या कर रहे हो? दूर हटो! " सब लोग उनको अलग कर रहे थे|
आवाजे सुनकर रेवती और रिया भी वहा आ गई|
विजय ने रुद्र की कॉलर पकड ली|
" क्या बिगाडा था मेरी बहन ने तुम्हारा? हाँ? क्या बिगाडा था? क्यो किया तुमने उसके साथ ऐसा?
क्यो किया??" विजय रोते हुए बोला और उससे अलग होकर वो जमीन पर बैठकर बहुत ज्यादा रोने लगा|
पूजा भी रो रही थी| वो उसके करीब बैठकर उसे संभालने लगी|
विवेक और शालिनी जी ने रुद्र को संभाला और विजय के पास गए|
"विजय! विजय बेटा क्या हुआ? क्या किया रुद्र ने? बताओ बेटा!" वो लोग पूछने लगे|
"ये बात आपको आपके इकलौते और लाडले बेटे से पूछना चाहिये!" विजय रोते हुए बोला|
विवेक जी रुद्र के पास गए|
"रुद्र! यहा क्या हो रहा है? कोई कुछ बतायेगा हमे?" विवेक जी थोडा गुस्से मे बोले|
"पापा! मैने गौरी को घर से निकाल दिया है!" रुद्र का बात सुनते ही उनके होश उड गए|
"क्या? तुम जानते भी हो तुम क्या कह रहे हो रुद्र? तुमने ऐसा क्यो किया?" शालिनी जी बोली पर रुद्र कुछ नही बोला|
"क्योंकि आपके बेटे को लग रहा था की हम दोनो का चक्कर चल रहा है! गौरी कैरेक्टरलेस है! इतना ही नही इसने हाथ उठाया गौरी पर! एक बार नही! दो दो बार!" विजय चिल्लाकर बोला|
ये सुनकर तो सबके होश उड गए| ये सुनकर शालिनी जी और विवेक जी को शॉक लगा|
" क्या ये सब सच है रुद्र?" शालिनी जी आँखो मे अपने आँसू दबाये हुए रुद्र से पूछने लगी|
पर रुद्र कोई जवाब नही दे रहा था|
"मै कुछ पूछ रही हूँ रुद्र! जवाब दो! " शालिनी जी बहुत जोर से चिल्लाकर बोली|
" हाँ! हाँ! ये सच हैं!
मैने रंगेहाथ पकडा है गौरी को और उसके इस मुँहबोले भाई को!" रुद्र भी चिल्ला कर बोला|
ये सुनते ही शालिनी जी ने रुद्र के कान के नीचे जोरदार थप्पड़ जड दिया|
रुद्र को तो कुछ समझ ही नहीं आया|
शालिनी जी ने उसकी कॉलर पकडी और बोली, "गौरी और विजय सगे भाई बहन है रुद्र! मुँह बोले नही!" वो बहुत गुस्सेमें बोली|
ये सुनते ही रुद्र की आँखे बडी हो गई|
"हाँ! विजय और गौरी सगे भाई बहन है!" विवेक जी भी बोले|
ये सुनते ही रेवती और रिया भी चौंक गई|
विजय उठ खडा हुआ|
"हाँ! ये सच हैं!
मै और गौरी सगे भाई बहन है! तो अब तुम ही बताओ की हम दोनो ऐसा सोच भी कैसे सकते है?
तुमने बहुत गलत समझा रुद्र! बहुत गलत समझा! कितना खुश था मै अपनी बहन को पाकर!
सोचा था अब उसे अपने आप से कभी दूर नही होने दूँगा|
15 साल लग गए मुझे उसे ढूंढने मे!
पर तुम.....तुमने तो 15 दिन मे ही हम दोनो को फिरसे दूर कर दिया|" विजय रोते हुए बता रहा था|
ये सब सुन रुद्र की आँखों में आसू आ गए|
"और क्या कह रहे थे तुम? उसकी जैसी लडकिया पैसो के लिए कुछ भी करती है? यही कहा था ना?
तुम जानते भी हो वो कौन है? पता भी है तुम्हे?
पता भी कैसे होगा? गलतफहमी का परदा जो चढा है तुम्हारी आँखो पर!मै बताता हू तुम्हें!
नीलमगढ की राजकुमारी नीलाद्रि है वो!" नीलमगढ का नाम सुनते ही रुद्र को कुछ अजीब सा लगा|
"वो अगर चाहे ना तो तुम जैसे हजारो रुद्र सिंघानिया को अपनी जुत्ती की नोक पर रख सकती है! तो वो तुम्हारे पैसे का क्या करेगी? जितनी तुम्हारी सारी जायदाद है ना! उतनी खैरात बटती है हमारे राज्य मे उनके जन्मदिन पर!" विजय आगे बोला|
रुद्र की आँखो मे अब पछतावा नजर आने लगा|
"क्या बिगाडा था मेरी बहन ने तुम्हारा? तुम तो प्यार करते थे ना उससे? तो उसपर थोडा सा भरोसा नही कर पाये तुम?
उसे बहुत भरोसा था तुमपर! पर तुम उस भरोसे के लायक नही और ना ही उसके प्यार के!
हाँ! सही सुना तुमने! बहुत प्यार करती है वो तुमसे पर कभी जाहिर नही कर पायी|
जिस दिन वो तुमसे अपने प्यार का इजहार करने वाली थी बहुत ज़्यादा खुश थी वो उस दिन!
पर उसी दिन हमे पता चला कि उसे लास्ट स्टेज का स्टमक कैंसर है!" विजय जोर से रो पडा|
विवेक जी और शालिनी जी भी रोने लगे| रेवती तो सुन्न थी|
पर रुद्र की तो बस जान निकलना बाकी रह गया|
"और वो पागल! उसने उसी दिन तय कर लिया की वो अपने जज़्बात अपने दिल मे ही दबा देगी ताकि बाद मे तुम्हे तकलीफ ना हो क्योंकि उसे भरोसा नही था कि वो बच भी पायेगी या........ " वो रोने लगा|
रुद्र की आँखो से आंसू छलक पडे|
" डॉक्टर ने जल्द से जल्द उसकी सर्जरी करने के लिए कहा है पर उससे पहले ही ये सब.....
हर जगह तलाश किया पर पता नही वो कहा चली गई?
अब उसे मै कहा ढूंढू? " विजय बहुत रो रहा था|
अचानक वो उठा और रुद्र का कॉलर पकडकर बोला, " अगर..... अगर मेरी बहन को कुछ भी हुआ ना रुद्र! तो उसी की कसम खाकर कहता हूँ! मै तुम्हारी जान ले लूंगा!" इतना कहकर उसने रुद्र को दुर धकेल दिया|
"पूजा! हमारा सामान पैक करो! अब हम यहा एक पल के लिए भा नही रुकेंगे!" विजय बोला|
पर विवेक जी उसके सामने हाथ जोडकर खडे हो गए|
"नही बेटा! ऐसा मत करो! मै जानता हूँ रुद्र ने बहुत गलत किया है पर तुम ये घर छोडकर मत जाओट
हम सब मिलकर गौरी को ढुंढेंगे| ये घर छोडकर हमे और शर्मिंदा मत करो बेटा! मत करो!" विवेक जी हाथ जोडकर रोने लगे|
ये देखकर विजय को बूरा लगा|
"इसमे आपकी कोई गलती नही है अंकल पर अगर मेरी बहन को कुछ हो गया ना तो मै सारे शहर मे आग लगा दूंगा! " विजय इतना कहकर गुस्से मे वहा से चला गया| पूजा भी उसके पीछे पीछे चली गई|
विवेक जी और शालिनी जी रुद्र को पास आये|
"किसी औरत के चरित्र पर उँगली उठाने वाला और हमारी बच्ची पर हाथ उठाने वाला हमारा खून हो ही नही सकता विवेक जी! मुझे तो शर्म आ रही है आपको अपना बेटा कहते हुए! " शालिनी जी रोते हुए बोली|
" माँ! " रुद्र कह ही रहा था की शालिनी जी ने उसे रोक दिया|
"बस्स रुद्र! मुझे तब तक माँ मत कहियेगा जब तक आप गौरी को मेरी आँखों के सामने नही ले आते| तब तक मुझे अपनी शकल भी मत दिखाना|" शालिनी जी वहा से चली गई|
"आपसे ये उम्मीद नही थी बेटा! " विवेक जी भी इतना कहकर चले गए|
रुद्र अब अकेला पड गया था|
विजय की कही हर बात उसके कानो मे गूंज रही थी|
गौरी इतनी तकलीफ मे थी और वो समझ भी नही पाया| वो बस अपने इगो मे रहा|
वो नीचे बैठ गया और चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा|
रिया ने उसके पास जाकर उसे संभाला|
उसे अपनी गलती समझ आ गई| उसे गौरी पर भरोसा ना करने का पछतावा था|