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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 2)

8 अक्टूबर 2021

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कबसे दरवाजे की बेल बज रही थी.........

"हा.....हा आ रही हूँ |" सीमा जी बोली |

(सीमा शर्मा - सीमा जी गौरी की माँ.....जो पेशे से एक डॉक्टर थी | गौरी के पिता इस दुनिया में नहीं थे | सीमा जी ने अकेले ही गौरी को पाला और अच्छे संस्कार भी दिये | )


सीमा जी ने दरवाजा खोला | दरवाजे पर गौरी थी |
गौरी पूरी तरह भीग चुकी थी |वो ठंड से कपकपा रही थी |

"गौरी.... बेटा.......आप तो पूरी तरह भीग गयी हैं | जल्दी अंदर आओ | "

गौरी अंदर आयी |

"इतनी बारिश हो रही थी..... तो आप मंदीर क्यो गई ?"

"ममा..... आज तक मैने कभी शिवजी के मंदीर जाना नही टाला.... तो आज कैसे..? " गौरी बोली |

" लेकिन बेटा अगर ज़ुकाम हो गया तो प्रॉब्लम हो जायेगी | आप जल्दी चेंज कर लिजीए... वरना सर्दी हो जायेगी |उसके बाद साथ बैठकर डिनर करेंगे | " सीमा जी बोली |


"ओके ममा..... मै फ्रेश होकर आती हूँ | " गौरी अपने रुम मे चली गई और सीमा जी किचन में..



गौरी अपने कमरे मे चेंज कर रही थी | जब वो अपना कमरबंद उतारने लगी तब उसे रुद्र की छुअन याद आयी और उसके रोंगटे खडे हो गए |



"कौन थे वो....? उन्हें देखते ही लगा जैसे..... जैसे मैने पहले भी उन्हें देखा है....... उनसे मिली हू........... " वो सोच मे पड गई |


अचानक उस वक्त उसकी आँखों के सामने जो नजारे आ रहे थे वो सब गौरी को याद आने लगा |


'एक बडा राजमहल..........झरना ........महादेव की प्रतिमा ......सैन्य ...रक्तपात.........'


"गौरी........गौरी बेटा......... " सीमा जी की आवाज से गौरी खयालों से बाहर आयी |


"ये क्या गौरी ? अब तक कपडे नही बदले ? सर्दी लग जायेगी ना बेटा ! " सीमा जी टावल से उसके बाल सुखाने लगी |

पर गौरी हडबडायी हुई थी |इस वजह से वो कुछ बोल नही रही थी |

"क्या हुआ बेटा ? आप ठीक हो ? "
गौरी ने बस गर्दन हिला दी |

"मै समझ सकती हूँ बेटा ! आपको सिद्धार्थ की याद आ रही है ना ? क्या आज भी उसने तुम्हे फोन नही किया ? "

सिद्धार्थ का नाम सुनते ही गौरी होश मे आयी |

पर उसने गर्दन हिला कर ही मना कर दिया |

"तो आप उन्हें फोन क्यों नहीं कर लेती ? "

"नहीं ममा...... मै उन्हें डिस्टर्ब नही करना चाहती | उनके माँ की तबियत बहुत खराब है और मै नहीं चाहती की उनका आधा ध्यान इधर और आधा ध्यान उधर हो | 

हा मुझे उनकी याद तो बहुत आती है पर मै रह सकती हू उनके बिना | "

बोलते बोलते उसकी आँखों में पानी आ गया पर गौरी ने बखूबी से सीमा से छिपा लिया |


"वो सब छोडिये ममा..... मुझे ना बहुत जोरो की भूख लगी है | आप जल्दी से नीचे जाकर खाना लगाइये | मै बस 5 मिनट मे आती हूँ |" यह कहकर उसने बात टाल दी और सीमा जी को नीचे भेज दिया |

पर वो भी गौरी की माँ थी | उन्हें बिन कहे सब समझ आ गया था |







इधर रुद्र अपने रूम की गैलरी से चाँद को देख रहा था |उसे गौरी के साथ बिताया हर एक पल याद आ रहा था | उसका सुंदर रुप......... उसका वो करीब आना.....|



"रुद्र ! " शालिनी जी ने आवाज दी | पर रुद्र गौरी के खयालों मे डूबा अपने आप से हस रहा था |
शालिनी जी ने वो देखा |
उन्होंने धीरे से जाकर रुद्र के कंधे पर हाथ रखा |वैसे ही रुद्र खयालों से बाहर आया |


"हाँ माँ.... क़्या हुआ ? "


"मै भी आपसे वही पूछ रही थी | क़्या हुआ....? अपने आप से ही हस रहे है आप ? "


" नही नही माँ ऐसा कुछ नही है | " रुद्र नजरे चुराते हुए बोला |



"अम्मममम.... मै नही मानती | कोई तो बात है..... जो आप मुझसे छिपा रहे हो | वरना आप नजरों से नजर मिलाकर बात करते | यू... नजरे चुराकर नही |
सच बताइये...... क्या बात है ? "
रुद्र अब बताने पर मजबूर हो गया था |

" माँ...... माँ..... वो आज........ आज मेरी मुलाकात एक लडकी से हुई |

पता नहीं क्यो लेकिन पहले कभी किसी लड़की को देखकर ऐसा नही हुआ था | लगा जैसे ये वही है जिसे मैं ढूँढ रहा था कबसे |"

"लडकी....!!  ओह माय गॉड !  क्या आपने अभी अभी लडकी कहा ? जहा तक मै जानती हूँ.... आपको लडकियों से ज्यादा लगाव नही है |  

कोई बात नहीं | आगे बताइये..... वो लडकी कैसी दिखती है ?"


"माँ...... बहुत खुबसुरत थी वो........नीली आँखें..... लंबे बाल......... गुलाबी होंठ...सफेद कपडे.......|

 शिवजी के मंदिर के सामने ही हमारी मुलाकात हुई | उसे देखकर ऐसा लगा जैसे शिवजी ने उसे सिर्फ मेरे लिए भेजा है |  जैसे............ " वो बोलते बोलते अचानक चूप हो गया..... 


"जैसे आपको उससे पहली नजर मे प्यार हो गया हो.....!!!!! " शालिनी जी ने रुद्र का आधा कहा पूरा कर दिया |


पहले तो रुद्र ये सुनकर चौंक गया पर फिर वो शरमाने लगा |


"हे भगवान...... इसका मतलब आपको...... सच मे उससे प्यार....???? " 

रूद्र ने बस गर्दन हिला कर शरमाते हुए हा कह दिया |


" ओह माय गॉड...! ओह माय गॉड...! ओह माय गॉड...! माय सन इज इन लव्ह...! " शालिनी जी बहुत खुश हो गई |

"क्या नाम है उनका ?कहा रहती है ?  क्या करती हैं? " शालिनी जी एक्साइटेड होकर पूछ रही थी|



"माँ बस वही नही पता......... "


"क्या ? आपको उनका नाम तक नही पता ? तो अब आप उन्हें ढूँढेंगे कैसे ? " शालिनी जी ने सर पकड लिया | 


"आप चिंता मत करीए माँ.... शिवजी ने मुझे उससे मिलाया हैं ,अब वही हमारी फिर से मुलाकात करायेंगे| "

ये सुनकर शालिनी जी को कुछ याद आया और उन्होंने रुद्र के हाथ पर गुरुजी की दी हुई माला बाँध दी |

"ये क्या है माँ? "

"गुरुजी ने दिया है |आपकी सेफटी के लिए... "

"गुरुजी ? कौन गुरुजी ? " 

इससे पहले की शालिनी जी रुद्र के सवाल का जवाब दे ,  विवेक वहा आ गए | 



"क्या बाते चल रही है माँ बेटे में ?जरा हमे भी बताओ | "

शालिनी जी कुछ कहे इससे पहले रुद्र ने कह दिया |

"कुछ नहीं पापा.... वो बस माँ को मै बता रहा था की मैने आप लोगों को कितना मिस किया | "


"हमने भी आपको बहुत मिस किया बेटा | लेकिन कोई बात नहीं | अब आप आ गए हो तो हर एक पल का हिसाब लेंगे आपसे | " विवेक जी की इस बात पर सब हसने लगे |


"चलिए..... अब हमे कोई अच्छा सा गीत सुनाइये | जितना हम लोगो ने आपको मिस किया है , उतना ही आपके गानो को भी....... " विवेक जी बोले |







थोडी देर बाद...... 


'अँखियाँ दे कोल रह जाने दे..... 
कहना है जो कह जाने दे...... 

तेरे खयालों मे बीते ये राते...... दिल मेरा माँगे एक ही दुआ.... 

तु सामने हो और करू मै बाते.......... लम्हा रहे यू ठहरा हुआ...... '

रुद्र गिटार बजाते हुए गाना गा रहा था और विवेक, शालिनी दोनो उसके पास बैठकर उसका गाना सुन रहे थे |


'पहले तो कभी यू..... मुझको नो ऐसा कुछ हुआ........ 
दिवानी लहरो को.......जैसे साहिल मिला..........
हो....... 
एक लडकी को देखा तो ऐसा लगा.......... '



विवेक जी ने शालिनी के आगे डान्स करने के लिए  हाथ बढाया |
शालिनी जी ने अपना हाथ विवेक जी के हाथ मे दे दिया |

वो दोनो डान्स कर रहे थे |

सब बहुत खुश थे | रुद्र उन्हें इस तरह देखकर बहुत ज्यादा खुश था |


'एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा.........
ओ मेरे सोनेया वे छड सारी गलिया वे...... 
नाल तेरे तोर चलिया मै..... 
ले चल मुझको दुनिया से तू दूर...... 
चोरी चोरी जद तैनु तकेया मै.... खुद को संभाल न सकेया मै.
चढ गया सजना तेरा ये फितूर...... 

लंघ जानी वे...... मर जानी ना.... 
कहनी जो थी.... कह दे वो बात.................... '




रुद्र को अब गौरी दिखने लगी |

बहुत ही सुंदर सफेद ड्रेस....... निले निले नैन....... लंबे बाल...... जैसे कोई राजकुमारी हो........ 
एक परदे के पीछे से निकलकर वो दूसरे किसी परदे के पीछे गायब हो गई |

जब रुद्र गौरी के खयालों से बाहर आया तब वो खुद पर ही हसने लगा |

गाना खतम करते ही अचानक रुद्र को छींके आने लगी |

"क्या हुआ रुद्र ? " विवेक जी उसके पास बैठ गए |


"होना क्या है ? भीगकर आये थे..... सर्दी हो गई है इन्हें | 
मै दवाई और हल्दी वाला दुध लेकर आती हूँ |
विवेक जी आप भी जाकर सो जाइए | कल सुबह ऑफिस जाना है और इन्हें भी आराम करने दिजीए |" शालिनी जी विवेक जी को लेकर वहाँ से चली गई |













सुबह सबने साथ बैठकर ब्रेकफास्ट किया | रुद्र को थोडी सर्दी थी | विवेक जी ऑफिस जा रहे थे और रुद्र अपने दोस्तों से मिलने | पर शालिनी जी नही चाहती थी की वो बाहर जाए , क्योंकि अगले दिन महाशिवरात्री थी | पर उन्होंने रुद्र को रोका नही क्योंकि अभी उसमे एक दिन बाकी था | पर वो चिंता मे तो थी |



विवेक जी ऑफिस चले गए और रुद्र अपने दोस्तों से मिलने ! 






रुद्र से मिलकर उसके सारे दोस्त बहुत ज्यादा खुश हुए| उन सब ने मिलकर बाहर जाने का प्लान बनाया और वो सब एक दोस्त की जीप मे घुमने निकल पडे |
दरअसल रुद्र बाहर इस वजह से घूम रहा था क्योंकि उसे कही ना कही आशा थी की उसे उसकी ड्रीमगर्ल दिख जायेगी |



इधर गौरी अपनी स्कुटी से ऑफिस जा रही थी और रास्ते मे ही उसकी स्कुटी का पेट्रोल खतम हो गया |

पर ऑफिस जाना बहुत जरुरी था और रेलवे स्टेशन पास ही था इस वजह से उसने ट्रेन से जाना सही समझा | गौरी ने स्कुटी साइड में ही कही पार्क कर दी और अपना साइड बैग लेकर स्टेशन की ओर चल पडी |


इधर रुद्र और उसके दोस्त जिस जीप से जा रहे थे उसका भी टायर पंक्चर हो गया | उनमे से एक ने सुझाया की पास ही मे रेलवे स्टेशन है और उनका डेस्टिनेशन भी पास मे ही है , तो उन सब को ट्रेन से जाना चाहिए | सब ने अग्री भी किया और सब स्टेशन की ओर चल पडे |



पर रुद्र को नही पता था की किस्मत वहा शायद उसे गौरी से मिलाने वाली थी |



जब रुद्र और उसके दोस्त प्लेटफार्म पर पहुंचे , ट्रेन चल पडी थी |  वह सब गाडी के साथ भागने लगे और जिसको जो कंपार्टमेंट पास लगा वह उस मे चढ गया | 



रुद्र जिस कंपार्टमेंट में चढा , उस मे बहुत ज्यादा भीड थी | उसी मे गौरी भी थी | गौरी एक पोल के पास खडी थी |  रुद्र की ओर उसकी पीठ थी , इस वजह से रुद्र को गौरी दिखाई नही पड रही थी |

रुद्र और गौरी दोनो को अजीब सा एहसास हो रहा था |

गौरी के पीछे ही एक लफंगा लडका खडा था |
वो कबसे गौरी को पीछे से घुरे जा रहा था |
जैसे ही उसे चान्स मिलता ,  वो गौरी की पीठ को छू रहा था | 

गौरी ने जिस पोल को पकड रखा था उसी को पकडकर उसके हाथ को छू रहा था | गौरी को ये सब बहुत अजीब लग रहा था | उसे गुस्सा भी आ रहा था , पर भीड की वजह से वो कुछ कर नहीं पा रही थी |



ये सब रुद्र दूर से देख रहा था | उसे ये देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आया और वो सारी भीड को चीरकर गौरी के पीछे जाकर खड़ा हो गया | अब रुद्र उस लडके और गौरी के बीच था |

गौरी को समझ आ गया की कोई तो उसकी मदद कर रहा है | उसने पीछे देखने का ट्राय किया , पर भीड इतनी थी की वो नही देख पायी |

पर रुद्र ने जो पोल पकडकर रखा था , वहा पर उसे बस उसका हाथ दिखाई दिया और वो माला भी जो शालिनी जी ने कल रात को रुद्र के हाथ पर बांधी थी |  वो बस मन ही मन उसकी मदद करने वाले इंसान के उपर बहुत खुश थी| जब तक उसका स्टेशन नही आ गया रुद्र वही पर खडा रहा | वो लडका भी रुद्र को देखकर वहा से चला गया |



रुद्र का स्टेशन आते ही रुद्र नीचे उतर गया | जब तक गौरी मुडकर उसे देख पाती, वो जा चुका था |

गौरी बस मन ही मन उस इंसान को धन्यवाद दे रही थी | 
उसे लग रहा था मानो शिवजी ने ही उसकी मदद के लिए किसी को भेजा था |
वो भी उसी स्टेशन पर उतर गयी |




इधर रुद्र अपने दोस्तों को बाहर भीड मे ढूँढ रहा था | तभी उसे उसके दोस्त का फोन आया |  वो लोग उसे स्टेशन के बाहर मिलने के लिए बोल रहे थे |


स्टेशन से बाहर कदम रखते ही उसकी ध्यान हडबडी मे टैक्सी रोकती गौरी के उपर पडी | 

आज भी रुद्र उसे देखता ही रह गया | 

बेबी पिंक कलर का एक बहुत ही सुंदर अनारकली ड्रेस पहनी....... कमर से भी नीचे जीते.... लंबे और खुले बाल..... 
बहुत सुंदर दिख रही थी वो ! 

हाथ मे कुछ फाइलें और एक बैग भी था उसके कंधे पर.... 


बार बार घडी के तरफ देख रही थी और टैक्सी रोक रही थी |

आखिरकार एक टैक्सी रुकी |

इससे पहले की रुद्र गौरी के पास पहुंच पाता तब तक गौरी उस टैक्सी में बैठकर चली गई |

रुद्र टैक्सी के पीछे भी भागा पर कोई फायदा नही हुआ |



इस बार रुद्र खुदसे बहुत नाराज था | गौरी उसके इतने पास थी , पर वो उसे रोक नही पाया |



रुद्र का फोन बजा | उसके दोस्त उसका टैक्सी मे वेट कर रहे थे |  वो हताश होकर दोस्तों के पास चला गया |



गौरी ऑफिस पहुंचकर अपने केबिन में बैठी ही थी कि पियुन आया |


"मैडम !सर आपको बुला रहे हैं | "

"मुझे ? ओके.... अभी अाती हूँ |"

गौरी बॉस के केबिन मे गई |



उसके बॉस थे... मि विवेक सिंघानिया..... और वो जहा पर काम करती थी वो मि विवेक की कंपनी थी....... 

सिंघानिया इंडस्ट्रीज् 



" मे आय कम इन सर? " गौरी ने इजाजत मांगी |


"आइये !आइये ! " विवेक जी उसी की वेट कर रहे थे |


" सर आपने मुझे बुलाया ? "


"हाँ..... गौरी ! दरअसल मै तुम्हे एक गुड न्यूज देना चाहता हूँ |"


" तो फाइनली रुद्र सर आ गए ? " गौरी ने बडी सरलता से पूछा |



"तुम्हें कैसे पता ? "


"सर मैने कभी अपने पापा को नही देखा |  जब से होश संभाला , आप ही को अपनी पापा की जगह माना है |  चाहे ऑफिस हो या ऑफिस के बाहर..... आपने कभी मेरे सर से अपना हाथ नहीं हटाया | तो आपको क्या लगता है ? इतनी बडी बात नही जान पाउंगी ? "


विवेक इमोशनल हो गए |

"सही बात है | अब आपको रुद्र से मिलने आना पडेगा | हम सब आपका घर पर वेट करेंगे ओके ! सीमा जी को भी लेकर आना | "


"शुअर अंकल !  आय मीन बॉस ! "

दोनो ही हसने लगे | 

"अब मै चलती हूँ सर.... गुलमोहर प्रोजेक्ट का काम पूरा करना है ट "


"हाँ हाँ जल्दी जाइये |  उसके काम मे कोई कमी नही होनी चाहिए | वो मेरा ड्रीम प्रोजेक्ट है | " 

गौरी जा ही रही थी की विवेक जी ने उसे रोका | 

"गौरी....आपको सिद्धार्थ की कोई फोन आया  ? "
सिद्धार्थ का नाम सुनते ही गौरी की चेहरा उतर गया |  

उसने बस गर्दन हिला कर मना कर दिया | 


" एक्सक्युज मी सर ! मै चलती हूँ |


गौरी अपना काम करने चली गई |   

पर विवेक जी को समझ आ गया था की उन्होंने उसकी दुखती रग पर हाथ रख दिया है |










सीमा जी का आज हॉस्पीटल में भी मन नही लग रहा था | उन्हें गौरी की चिंता थी | सिद्धार्थ से बात ना होने की वजह से गौरी उदास थी | इसलिए उन्होने सिद्धार्थ को फोन लगाया और उसे बताया की अपनी माँ की तबियत के साथ साथ उसे गौरी का भी खयाल रखना चाहिए |

 1 महीने से उसने गौरी को एक फोन तक नही किया था | उसने सीमा जी की बात मान कर गौरी को उसी वक्त फोन लगाया |



गौरी ने पहले तो उसकी और उसकी माँ की तबियत के बारे मे पूछा | उसका फोन आते ही वो बहुत खुश हो गई |माँ को खाना खिलाना है कहकर उसने पाच मिनट के बाद फोन काट दिया | पर वो पाच मिनट ही काफी थे गौरी को खुशी देने के लिए ! वो बहुत ज्यादा खुश हो गई थी |













क्रमश:
Anita Singh

Anita Singh

सुन्दर लेखन

22 दिसम्बर 2021

रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बढिया 👌 👌 👌 शुअर के स्थान पर श्योर... 😊

11 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

बहुत ही मजेदार

7 दिसम्बर 2021

41
रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 34)

11 नवम्बर 2021
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<div>आगे की कहानी 6 महीने बाद.... </div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>बेताह

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 35)

12 नवम्बर 2021
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<div>रुद्र और गौरी अामने सामने थे|</div><div>दोनो के आँखो से लगातार आँसू छलक रहे थे|</div><div><br><

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

13 नवम्बर 2021
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<div>सब लोग हॉल मे बैठकर शालिनी जी के हाथ का बना हलवा खा रहे थे|</div><div><br></div><div>"आप सब लोग

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 37)

14 नवम्बर 2021
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<div>एक सेवक रुद्र और रिया को लेकर महल के अंदर जा रहा था| जैसे जैसे रुद्र आगे बढ़ रहा था उसे सब बहुत

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 38)

15 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र ने गौरी को नीचे गिरा दिया था| गौरी की कमर मे

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क्या हुआ...तेरा वादा... (भाग 39)

16 नवम्बर 2021
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<div>पूरे महल और पूरे राज्य मे युवराज्ञी के भव्य स्वयंवर की तैयारीया चल रही थी|</div><div><br></div>

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 40)

17 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>गौरी मलबे के नीचे दब गई थी |</div><div><br></div><div>बेहाल होकर पड़ा हुआ रुद्रा

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