shabd-logo

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

13 नवम्बर 2021

22 बार देखा गया 22
सब लोग हॉल मे बैठकर शालिनी जी के हाथ का बना हलवा खा रहे थे|

"आप सब लोग बिल्कुल चिंता मत करीये| मैने डॉक्टर से बात कर ली है| उन्होने कहा है कि वो गौरी का पहले ठीक से चेकअप करेंगे और तब ही सर्जरी की डेट फिक्स बतायेंगे|" विवेक जी बोले|


"तो फिर ठीक है विवेक जी! कल सुबह ही हम दोनो खुद गौरी को लेकर हॉस्पीटल चलेंगे चेकअप के लिए!" शालिनी जी बोली|

विजय बहुत ही खुश था कि गौरी को इतना प्यार करने वाले लोग मिले थे|


तभी उसे एक फोन आया| वो वही अननोन नंबर था|
विजय वहा से बाहर आ गया|
उसने फोन रिसिव्ह किया| ऐसा करते ही उसके चेहरे के भाव बदल गये|

कुछ देर फोन पर बात करने के बाद विजय वापिस अंदर आया पर अब उसके चेहरे के भाव बहुत ही अलग थे| वो बहुत ही ज्यादा परेशान लग रहा था| उसकी आँखें लाल हो गई थी|

वो जाकर सोफे पर सबके बीच बैठ गया|


"जैसे ही गौरी की सर्जरी पूरी हो जाये हम रुद्र और गौरी की शादी की तैयारीयाँ शुरु कर देंगे! 
क्यो विजय! सही कहा ना?" शालिनी जी बोली पर विजय का ध्यान कही और ही था|

"हाँ?" वो चौंककर बोला|

उसके चेहरे से सबको उसकी परेशानी का अंदाजा हो गया|

"क्या बात है बेटा? तुम परेशान लग रहे हो!" विवेक जी ने पूछा|

" जी नही अंकल! ऐसी कोई बात नही है| बस एक क्लायंट का फोन था| उसी के बारे मे सोच रहा था!" विजय बोला पर पूजा को इस बात पर यकीन नही हुआ था|






रात को रुद्र जब अपना ऑफिस का कुछ काम खत्म करके अपने कमरे मे लौटा तो दरवाजे के पास जाते ही उसे कुछ बहुत ही अच्छी आवाज सुनाई पडी|

वो कमरे के अंदर आया|  तब गौरी एक छोटे से स्टूल पर चढकर उसके कमरे की खिडकी के पास विंडचाइम बाँध रही थी| उसकी मधुर आवाज सुनकर ही रुद्र को बहुत अच्छा लग रहा था|


"आ गए आप?" गौरी ने रुद्र की ओर बिना देखे ही बता दिया|


"तुम्हे कैसे पता चला?
कही तुम्हारे पीछे भी तो दो आँखे नही है? " रुद्र बोला|

"आपकी धडकनो की आवाज मै नही पहचानुंगी तो कौन पहचानेगा? मै दूर से ही आपकी धडकने महसूस कर सकती हू रुद्र!" गौरी बोली|
ये सुनकर रुद्र को बहुत अच्छा लगा|

"वैसे ये क्या कर रही हो गौरी? " 

"जब कभी आप इसकी आवाज सुनो ना तो समझ लिजीयेगा कि मै आपको याद कर रही हू!
या जब मै नही रहूंगी तब ये आपको मेरी मौजूदगी का एहसास करायेगा!" गौरी के ऐसा कहते ही रुद्र गौरी के पास आया|


उसकी कमर को कसकर पकडा और उसे नीचे उतारा|
 
"खबरदार गौरी! अगर अगली बार ऐसी बात की तो मुझसे बूरा कोई नहीं होगा! 
समझी तुम?
 तुम हमेशा मेरे साथ ही रहने वाली हो और मै कभी तुम्हें खुद से दूर नही होने दूंगा! कभी नही!" रुद्र गौरी की आँखो मे आँखें डालकर बोला|
गौरी के चेहरे पर हल्की सी मुस्कराहट छा गई|

"ये मुस्कुराने की बात नही है गौरी! अगली बार अगर तुमने ऐसा कुछ कहा ना तो याद रखना मै तुमसे कभी बात नही करूंगा!" रुद्र ने गौरी को छोडा और खिडकी के बाहर देखते हुए कहने लगा|


गौरी धीरे से उसके पास आयी| उसका चेहरा अपनी तरफ किया और बोली, " रुद्र! मेरा आपका दिल दुखाने का कोई इरादा नही था| मैने तो ये सब बस ऐसे ही कह दिया| प्लीज मुझे माफ कर दिजीये| आय एम सो सॉरी! " गौरी ने कान पकड लिये|

रुद्र ने बिना कुछ कहे गौरी को कसकर गले लगा लिया|

"मै तुम्हें कुछ नही होने दूंगा! किसी भी मुसीबत को तुम तक पहुंचने से पहले मुझसे होकर गुजरना होगा!
आय लव्ह यू सो मच गौरी! आय लव्ह यू सो मच!" रुद्र बोला|

"आय लव्ह यू टू रुद्र!" गौरी रुद्र की बाहो मे अपने आप को समर्पित करते हुए बोली| रुद्र गौरी अब एक दूसरे के साथ बहुत खुश थ


ये सब दरवाजे पर खडा विजय देख रहा था| उसकी आँखों में आसू थे| वो रोते हुए वहा से अपने कमरे मे चला गया|



"रुद्र! मुझे आपको कुछ बताना था| पंचगणी मे मेरे एक दोस्त थे अर्जुन सहगल!" 

"अर्जुन सहगल? वो बिजनेस टायकून?" रुद्र गौरी की बात काटते हुए बोला| ये सुनकर गौरी जरा चौक गई|

" आप जानते है उन्हें?" 

" जानता तो नही और ना ही देखा है पर जब मै वहा आया था तो वहा के न्यूजपेपर मे एक आर्टिकल पढा था उसके बारे मे!" रुद्र बोलाट

"अच्छा! बहुत ही भले इंसान है वो रुद्र!" आगे गौरी बताने लगी|

पंचगणी मे एक बार जब गौरी अनाथाश्रम से बाहर गई थी किसी काम से! तब अचानक उसके पेट मे बहुत दर्द होने लगा| जब उसने पर्स मे ठीक से ढूंढा तो उसे पता चला कि दवाई कि शीशी वो अपने कमरे मे गलती से भूल आयी थी|
कुछ भी कर के उसे अनाथाश्रम पहुंचना जरूरी था|
उससे चला भी नही जा रहा था|
पर वो जैसे तैसे अपना पेट पकडकर उठी और रिक्षा रोकने लगी पर उसे रिक्षा भी नही मिल रही थी|
इसलिए उसने सोचा कि शायद उसे रोड कि दूसरी तरफ से रिक्षा मिल जाये|
तभी रोड क्रॉस करते वक्त अचानक उसके मुंह से खून निकलने लगा| उसे बहुत चक्कर आने लगे और वो रोड के बीच मे ही गिर पडी| वो भी सामने से आती एक गाडी के आगे!

उसे नीचे गिरता हुआ देखकर गाडी के ड्राइवर ने पूरी ताकत से ब्रेक दबाया|
वो गाडी अर्जुन की थी|
वो गौरी के पास आया| उसने उसे उठाया|

"हैलो! हैलो मैडम! क्या हुआ आपको?" वो गौरी का चेहरा पलटते हुए बोला|

जैसे ही उसने गौरी का चेहरा देखा वो चौंक गया|

उसे याद आया कि ये वही लडकी है जिसकी उसे तलाश है| उसने गौरी को एक बार कुछ बच्चो के साथ गार्डन मे देखा था| वो उनके साथ खेल रही थी और वही उसे गौरी के साथ लव एट फर्स्ट साइट हो गया था|
गौरी को इस हालत मे देखकर वो बहुत हडबडा गया|

"सुनिये! सुनिये! क्या हुआ आपको?" वो गौरी को उठाने की कोशिश करने लगा पर गौरी अपनी आँखे नही खोल रही थी|  इसलिए उसने गौरी को उठाया और अपनी ही गाडी मे हॉस्पीटल ले गया|



जब गौरी को होश आया तब मार्ग्रेट गौरी के बेड के पास ही बैठी थी और अर्जुन भी वही पर खडा था|

"मार्ग्रेट! आप?
 मै यहा?" गौरी को कुछ समझ नही आ रहा था|

"डोन्ट वरी माय चाइल्ड! यु आर फाइन नाउ! इन्होने तुम्हारी जान बचायी है| तुम रास्ते मे बेहोश होकर गिर पडी थी| ये यंग बॉय ही तुम्हे यहा हॉस्पीटल लाया और मुझे भी बुलाया!" मार्ग्रेट बोली|

"आपका शुक्रिया मेरी जान बचाने के लिए !" गौरी ने मुस्कुराते हुए अर्जुन की तरफ हाथ बढाया|

"हाय! आय एम अर्जुन सहगल!" वो हाथ मिलाते हुए बोला|

"गौरी शर्मा!" गौरी ने हाथ मिलाया|
गौरी ने उस दिन का सारा वाकिया रुद्र को बताया|


"उस दिन मै अर्जुन से पहली बार मिली| डॉक्टर ने कहा था मुझसे कि अगर अर्जुन मुझे सही समय पर हॉस्पीटल ना लेकर जाते तो मेरी जान जा सकती थी| मुझे कुछ दिनो के लिए हॉस्पीटलाइज होना पडा|

वो अगले दिन भी मुझसे मिलने फूल लेकर आये| उसी दिन के बाद मेरे और अर्जुन के बीच दोस्ती हो गई|
इन छह महीनो मे वो मेरे बहुत ही अच्छे दोस्त बन गए थे|मै आते वक्त उनसे एक बार मिलना चाहती थी पर वो उस वक्त शहर मे ही नही थे!" गौरी ने अपनी बात पूरी की|


"गौरी तो फिर तो मुझे उसका शुक्रगुज़ार होना चाहिए.ट क्योंकि उसने सिर्फ तुम्हारी नही मेरी भी जान बचायी है|
तुम बिल्कुल चिंता मत करो| जैसे ही तुम्हारी सर्जरी हो जाए और तुम पूरी तरह से ठीक हो जाओ तब हम दोनो चलेंगे उससे मिलने! 
पर इस वक्त मेरी पहली प्रायोरिटी तुम्हारी सर्जरी है!" 

रुद्र की बात सुनकर गौरी रुद्र के सीने से लग गयी|




इधर विजय अपने कमरे मे जाकर रोने लगा|
तभी पूजा वहा आ गई| वो विजय को इस हालत मे देखकर हडबडा गई|
"क्या हुआ विजय? आप इस तरह? आप रो क्यो रहे हो?" वो विजय को संभालने लगी|
विजय उसके गले लगकर बहुत ज्यादा रोने लगा|

पूजा ने उसे जैसे तैसे संभाला और वजह पूछी|

"मै ये सब नही करना चाहता पूजा! नही करना चाहता! मै बस गौरी को खुश देखना चाहता हूँ और वो अब बहुत खुश है| मै खुद अपने हाथो से उसे उसकी खुशीयों से अलग कैसे कर सकता हूँ पूजा?  मै ये हरगिज़ नही कर सकता!" विजय रोते हुए बोला|


जब विजय ने उसे सब कुछ बताया तब वो भी सुन्न रह गयी| उसकी आँखों में भी पानी जमा हो गया| उसने खुदकी भावनायें नियंत्रित कर विजय को संभाला|






अगले दिन सुबह ही गौरी विजय के कमरे मे पहुंची|
विजय रात भर सोया नही था इसलिए उसकी आँखें सूज गई थी|

"ये क्या भैया? आपकी आँखे? ऐसा लग रहा है कि आप रात भर सोये नही!" गौरी बोली|

"ऐसी..... ऐसी कोई बात नही है बेटा! बस थकान सी महसूस हो रही है! तुम वो सब छोडो! तुम इतनी सुबह यहा? " विजय ने बात टाल दी.|

"भैया वो कल सब इतना हडबडी मे हुआ कि मै आपसे ठीक से बात भी नहीं कर पायी| मुझे आपसे कुछ ज़रूरी बात करनी थी भैया! 

उस दिन मै आपकी बातो पर गौर कर रही थी जब आप मुझे समझाने मेरे कमरे मे आये थे| 
उसी रात जब मै रेवती आँटी के कमरे से होकर गुज़र रही थी तो मैने कुछ आवाजे सुनी|
मै उनके कमरे के पास गई तो कुछ टूटने की आवाजे आ रही थी|
रेवती आँटी सारा सामान इधर उधर फेंक रही थी|" 


"कितनी! कितनी कोशिश की मैने उस गौरी को रुद्र से दूर करने की पर नही! 
पता नही उसने रुद्र पर क्या जादू कर दिया है? उसके और रुद्र के बीच गलतफहमीयाँ इस हद तक तैयार की मैने की रुद्र फिर कभी गौरी की शक्ल तक देखने की नफरत करे|
 पर वो! वो फिरसे इस घर मे आ गई! मुझे इस लडकी का कोई ना कोई इंतजाम तो करना ही होगा| वरना ये मेरी बेटी का जगह ले लेगी|" 
उस रात गौरी ने रेवती की यही बाते सुन ली थी|

गौरी की बात सुनकर विजय को भी बहुत आश्चर्य हुआ कि ये सब रेवती ने किया था|


"ये सब सुनने के बाद मै समझ गई भैया कि इस सब मे रुद्र की कोई गलती नही थी| ये सारा जहर उनके दिल मे रेवती आँटी ने भरा था! इसलिए मैने रुद्र और अपने रिश्ते की इक नई शुरुआत की| आप भी तो यही चाहते थे ना भैया!" गौरी बोल रही थी|
उसकी बातो से विजय की आँख भर आयी|
उसने गौरी को गले से लगा लियाट

"हाँ बेटा गौरी! मै बस यही चाहता हू कि तुम हमेशा खुश रहो!" वो रोते हुए बोला|
गौरी को विजय का बर्ताव थोडा अजीब लगा|


"अरे गौरी! 
ये देखो! ये दोनो भाई बहन यहा है और वहा मै तुम्हे पूरे घर मे ढूंढ रही हूँ| अब तुम दोनो भाई बहन का प्यार खत्म हो गया हो तो विजय मै तुम्हारी बहन को कुछ देर के लिए तुमसे दूर ले जा सकती हूँ?
 हमे हॉस्पीटल जाना है| लेट हो रहा है|" शालिनी जी हसते हुए बोली|

विजय ने बस हल्की सी स्माइल कर दी|
शालिनी ने गौरी का हाथ पकडा और उसे ले जाने लगी|

विजय गौरी को देखता रहा|
गौरी को विजय की आँखों मे देख कुछ अजीब सा लग रहा था|



विवेक जी रुद्र और शालिनी जी गौरी को हॉस्पीटल ले जा रहे थे| पता नही क्यों पर गौरी का मन बहुत घबरा रहा था|
विजय, पूजा, रिया तीनो उनको बाहर तक छोडने आये थे|
वो लोग जैसे ही गाडी तक पहुंचे|

"गौरी!" रुद्र की आवाज से गौरी पीछे मुडी|





रुद्र घबराया हुआ गौरी तक दौडते हुए आया और उससे लिपट गया| किसी को तो कुछ समझ ही नहीं आया|


" गौरी! नही गौरी! तुम मत जाओ! मै तुम्हे कही नही जाने दूंगा!" वो रोते हुए गौरी को कसकर पकड रहा था|

सबको पहले तो ये सब नॉर्मल लगा पर जब रुद्र के आँसू सबने देखे तो उनको बात की गंभीरता पता चली|




शालिनी जी रुद्र के पास गई| उन्होने रुद्र को गौरी से अलग किया|
गौरी की भी आँखे बेवजह भर आयी थीट

" क्या बात है रुद्र? तुम रो क्यो रहे हो?" वो बोली|


"माँ! पापा! आप लोग प्लीज गौरी को मत लेकर जाइये| 
मुझे कुछ ठीक नही लग रहा है|

गौरी! गौरी!  तुम मत जाओ| 
पता नही क्यो पर मुझे ऐसा लग रहा है मानो तुम मुझसे बहुत दूर जा रही हो! 
मै एक बार तुम्हें खो चुका हूँ गौरी मै फिरसे ये नही कर सकता! नही कर सकता! मै भी चलता हू तुम्हारे साथ!"  वो रोते हुए कह रहा था| वो फिरसे गौरी के गले लग गया|


ये सब सुनकर विजय और पूजा का चेहरा फिका पड गया|






गौरी ने रुद्र का चेहरा अपनी हथेली मे लिया| उसके आँसू पोछे|

"रुद्र ऐसा कुछ नही है| मै आपसे दूर नही जा रही| मै अब आपसे कभी दूर नही जाऊंगी और ममा पापा है ना मेरे साथ! तो फिर आपको कैसी चिंता? क्या आपको उनपर भरोसा नही है?
 ऑफिस का काम भी तो जरूरी है ना रुद्र! क्या आप चाहते है कि पापा जब फिरसे ऑफिस जॉइन करे तो उनपर लोड पडे?
 आप बिलकुल चिंता मत करीये| हम जल्दी ही लौट आयेंगे और मै प्रॉमिस करती हू कि रात का खाना हम साथ मे खायेंगे| जब तक आप आयेंगे मै आपके लिए आपका फेवरेट गाजर का हलवा बनाकर रखूंगी!" गौरी ने रुद्र को हसा दिया|


वहा खडे लोगो के चेहरे पर भी हसी छा गई|

"तो अब अच्छे बच्चे की तरह जाइये और ऑफिस के लिए तैयार हो जाइये!" गौरी रुद्र की टाय ठीक करते हुए बोली| जो दौडकर आने की वजह से खराब हो गई थी|

रुद्र ने पट् से उसे अपनी बाहो मे जकड लिया|

"आय लव्ह यू सो मच गौरी!
आय लव्ह यू सो मच!" 


"आय लव्ह यू टू रुद्र!" गौरी बोली|

" बस अब आप दोनो मुझे ज्यादा सेंटी मत करो!" रिया आगे आयी और उनको अलग करते हुए बोली|

"आँटी! आप गौरी को ले जाइये!
वरना यही होनी है उसकी अपॉइंटमेंट!" उसने गौरी का हाथ शालिनी जी को पकड़ाया|


शालिनी जी ने उसका हाथ पकडा और उसे गाडी मे बिठाया| देखते ही देखते रुद्र के हाथ मे से गौरी की हथेली फिसल गई|
वो दोनो बस एक-दूसरे की आँखो मे देख रहे थे|

गाडी जब तक गेट से बाहर नही चली गई तब तक गौरी भी खिड़की से बाहर झाँक कर रुद्र को देख रही थी|
विजय तो अपनी ही दुनिया मे गुम था|
रुद्र गौरी को जाने नही देना चाहता था|
गौरी के जाते ही उसकी आँखों से आँसू की बूँद जमीन पर गिर पडी|

इधर आश्रम मे स्वामी जी ध्यानावस्था से अचानक बाहर आ गए|

"हे भोलेनाथ!
 नही! आप ऐसा नही कर सकते!" स्वामी जी की आवाज सुनकर उनके दोनो शिष्य उनके पास आये|


"क्या बात है गुरुजी? आप तो ध्यानावस्था मे थे!" 

" ये सब ठीक नही हो रहा! शीघ्र महाआरती की तैयारी करीए| ये सब रोकना है! हम विधिलिखीत बदल तो नहीं सकते किंतु उनके लिए प्रार्थना तो कर सकते हैं!" स्वामी जी शिष्य की बात काटते हुए बोले|

उनके कहे अनुसार वो दोनो आरती के आयोजन मे लग गए|



थोडी देर बाद..... 
रुद्र अपनी गाडी लेकर निकला|  इससे पहले की वो अपनी गाडी गेट से बाहर निकाले सामने से आती एक गाडी उसकी गाडी से जोर से टकरा गई|
ये सब दोनो ड्राइवर्स से अनजाने मे हुआ था|

दोनो ही गाडी से बाहर निकले| जैसे ही वो आमने सामने आये तेज हवाए चलने लगी| 

इधर आश्रम मे स्वामी जी के समक्ष सारे दीपक बूझ गए|
ये देखकर वो बहुत ही व्याकुल हो गए|

"हे प्रभु!" वो बोले|



इधर रुद्र और अर्जुन आमने सामने थे| दोनो एक-दूसरे के सामने! वैसे ही जैसे वो सदियों पहले आमने सामने आये थे! 


"देखिये मुझे माफ कर दीजिए! ये सब..... " 

"कोई बात नहीं! इसमे सिर्फ आपकी  गलती नही! मुझे भी देखकर टर्न करना चाहिए था!" रुद्र अर्जुन की बात काटते हुए बोला|

दोनो मुस्कुराने लगे|

"आप?
 माफ किजीयेगा पर मैने आपको पहचाना नही!" रुद्र बोला|


"ओह सॉरी! मायसेल्फ अर्जुन सहगल!" अर्जुन रुद्र के पास आया और हाथ बढाकर बोला|

"अर्जुन सहगल? 
यु मीन अर्जुन सहगल? गौरी के पंचगणी वाले दोस्त?" रुद्र हाथ मिलाते हुए चौंककर बोला|

"येस! यु आर राइट! पर आपको कैसे पता?"  अर्जुन ने पूछा|

"गौरी ने खुद मुझे बताया था! " रुद्र बोला|

" ओह!  इसका मतलब मै सही पते पर आया हू! वैसे आप गौरी के कौन?" अर्जुन ने पूछा|

"रुद्र! रुद्र!" इससे पहले कि रुद्र अर्जुन को बताता रिया दौडती भागती वहा आ गई|

"अच्छा हुआ तुम गए नही! ये लो तुम्हारी फाइल! तुम हॉल मे ही भूल गए थे!" वो रुद्र को फाइल पकडाते हुए बोली| तभी उसकी नजर अर्जुन पर पडी|

"ये कौन है रुद्र?" 

"अरे इनसे मिलो! ये गौरी के दोस्त है अर्जुन!
ये गौरी से पंचगणी मे मिले थे! गौरी से मिलने आये हैं!" रुद्र बोला|

" गौरी से मिलने?  पर वो तो हॉस्पीटल गई है!" रिया बोली|

" अरे कोई बात नही! आप अंदर आइये तब तक गौरी भी आ जायेगी!"  रुद्र बोला|

" ठीक है! " अर्जुन बोला|

रुद्र अर्जुन को लेकर अंदर जाने लगा तभी पीछे से गाडी की आवाज सुनाई पडी| 

"ये लो! शायद गौरी आ गई!" रिया बोली|
वो सब लोग वही पर रुक गए|


गाडी रुकी| पहले विवेक जी और शालिनी जी गाडी से निकलकर बाहर आये|
अर्जुन गौरी को एक नजर देखने के लिए बेसब्र था|

गौरी गाडी से बाहर निकली|
गौरी को देखते ही अर्जुन की आँखो मे चमक आ गई|
रुद्र भी गौरी को देख बहुत खुश था| वो खुश था की गौरी ने अपना वादा निभाया|


जैसे ही गौरी की नजर अर्जुन पर पडी गौरी चौंक गई| उसके चेहरे पर खुशी छा गई|

अर्जुन ने जैसे ही गौरी को देखा वो दौडकर गौरी के गले लग गया| उसने गौरी को कसकर गले लगा लिया|


गौरी को ये सब थोडा अजीब लगा| बाकि लोगो को भी थोडा अजीब लग रहा था|

"तुम मुझे छोड़कर क्यो चली गई थी गौरी? मैने तुम्हें बहुत मिस किया! अगली बार कभी ऐसा मत करना| तुम जानती भी हो मैने तुम्हे कितनी मुश्किल से ढूंढा! 
तुम्हारे बिना एक एक पल कैसे गुजारा मैने तुम नही जानती! आगे कभी ऐसा मत करना गौरी! मुझे कभी छोडकर मत जाना| मै तुम्हारे बिना नही रह सकता|
आय लव्ह यू गौरी! 
आय लव्ह यू सो मच!"  अर्जुन अपने घुटनो के बल बैठते हुए बोला|
ये सुनते ही सब चौंक गए|

उसने अपने कोट मे से दो सोने के जडाऊ कंगन निकाले और गौरी के आगे किये और वो गौरी का हाथ अपने हाथ मे लेकर बोला| 

" ये माँ ने भेजे है गौरी! तुम्हारे लिये!
 ये कहकर कि जब मै उनकी बहू को लेकर वापिस लौटू तो उसके हाथो मे ये कंगन होने चाहिये! 

गौरी क्या तुम मुझसे शादी करोगी?" अर्जुन बोला|

ये सुनते ही सब लोग बहुत चौंक गए थे|
गौरी को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो क्या करे पर रुद्र को पूरा यकीन था कि गौरी सब संभाल लेगी|

अर्जुन गौरी के जवाब का इंतज़ार कर रहा था|

"अर्जुन! ऐसा नही हो सकता! मै तुमसे शादी नही कर सकती|" गौरी के ये कहते ही अर्जुन के चेहरे के हावभाव बदल गये|
गौरी ने अर्जुन के हाथ से अपना हाथ छुडा लिया|
अर्जुन उठकर खडा हो गया|

" ये.... ये... ये तुम क्या कह रही हो गौरी?" अर्जुन जरा पैनिक होकर बोला|

" मै सच कह रही हू अर्जुन!
 ये.... ये नही हो सकता!
 ये सब?  आप  मुझसे प्यार? आपने मुझसे कहा था अर्जुन की हमारा रिश्ता दोस्ती से आगे कभी नही जायेगा!" गौरी जरा आवाज़ बढाकर ही बोली|


" मै क्या करू गौरी? तुम हो ही ऐसी कि मै अपने आप को तुमसे प्यार करने से रोक ही नहीं पाया|
मै समझ सकता हू गौरी की ये सब ऐसे अचानक तुम्हारे लिए थोडा मुश्किल होगा पर हम दोनो साथ मिलकर हर मुश्किल आसान कर देंगे गौरी!" अर्जुन गौरी का हाथ अपने हाथ मे लेकर बोला| 

"मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ गौरी!  बहुत प्यार!" अर्जुन ने गौरी को गले लगा लिया|


"आप समझते क्यो नही अर्जुन? मै आपसे शादी नही कर सकती!"  गौरी अर्जुन को खुद से दूर करते हुए बोली|

जैसे ही गौरी ने अर्जुन को खुद से अलग किया अर्जुन को असलियत का एहसास हुआ|

"मै नही कर सकती आपसे शादी!" गौरी रोते हुए जोर से बोली|

"पर क्यो गौरी?" अर्जुन ने भी उतने ही जोर से चिल्ला कर पूछा|

" क्योंकि मै आपसे प्यार नही करती अर्जुन!" ये सुनते ही अर्जुन की आँखे बडी हो गई| उसकी आँखों से आँसू बहने लगे|

"ये देखिये! ये है मेरे होने वाले पती!" गौरी ने रुद्र की ओर इशारा करते हुए कहा|


"मै रुद्र से प्यार करती हू अर्जुन! 
 हम दोनो ही एक-दूसरे से बहुत प्यार करते हैं! बहुत मिन्नतों के बाद मै और रुद्र एक हुये है अर्जुन!
अब मै किसी भी किमत पर रुद्र को खोना नही चाहती! कल ही रुद्र ने मुझे प्रपोज् किया है और बहुत ही जल्द हम शादी करने वाले है!" गौरी ने अपने हाथ मे रुद्र की पहनाई अंगूठी दिखाते हुए कहा|

पर ये सब सुनकर अर्जुन के पैरो तले जमीन खिसक गई| गौरी को पाने की बची कुची उम्मीद भी उससे छिन गई|

" मै नही जानती अर्जुन की मुझसे ऐसी कौन सी गलती हो गई जिससे आपको लगा कि मै आपसे......" गौरी रोते हुए कह रही थी|

"गौरी! गौरी तुम शांत हो जाओ! रो मत! मै तुम्हारी आँखो मे आँसू नही देख सकता! 
तुम.... तुम मुझे बताओ की बात क्या है? किसी ने कुछ कहा तुमसे? कही तुम अपने माँ पापा से तो नही डर रही| कही ये शादी तुम्हारी मर्ज़ी के खिलाफ तो नही हो रही गौरी? अगर ऐसा हैं तो तुम मुझे बताओ गौरी! हम साथ मिलकर तुम्हारे ममी पापा को मना लेंगे!" अर्जुन गौरी की बाहे पकडकर बोला|

गौरी ने अर्जुन के हाथ गुस्से मे झटक दिये|

" मेरे साथ कोई जबरदस्ती नही हो रही अर्जुन! मै आपको कैसे समझाऊ? मै अपनी मर्जी से रूद्र के साथ हू और हा रही बात मेरे ममा पापा की तो ये मेरे ममा पापा नही है अर्जुन पर मेरे ममा पापा से कम भी नहीं है| ये रुद्र के माँ पापा है| यही थे जिन्होंने मुझे संभाला जब मेरी ममा गुजर गई| कभी मुझे किसी की कमी महसूस नही होने दी| प्लीज आप मेरी बात को समझने की कोशिश करीये| मै आपसे हाथ जोडकर माफी माँगती हूँ|" गौरी रोने लगी|

ये सब सुनकर अर्जुन सुन्न रह गया| उसके सारे सपने एक ही पल मे बिखर गए|
रुद्र को ये सब देखकर बहुत बूरा लग रहा था|

"ऐसा नही हो सकता! ऐसा नही हो सकता!" अर्जुन गौरी से दूर हो गया| वो जमीन पर बैठकर रोने लगा|


तभी गौरी के पेट मे अचानक दर्द उठा| उसने अपना पेट पकड लिया|
रुद्र समझ गया कि गौरी के पेट मे दर्द उठा है|

"रिया! जल्दी जाओ!  गौरी की दवाई लेकर आओ!" रुद्र जोर से चिल्लाया|

रुद्र की आवाज़ सुनते ही रिया दवाई लेने भागी|
गौरी को चक्कर आने लगेट

अर्जुन तो अपने गम मे इतना खो गया था कि उसका गौरी पर ध्यान ही नही था|

"आह्ह्ह्ह! रुद्र! " गौरी के मुँह से आवाज निकली|
वो सुनते ही अर्जुन ने गौरी की तरफ देखा|
गौरी के मुँह से खून निकलने लगा|
ये देखते ही सबके पैरों तले जमीन खिसक गई|
गौरी जमीन पर गिर पडी|
रुद्र और अर्जुन गौरी की तरफ भागे पर तभी कही से कुछ गिरा और हर तरफ धुआँ भर गया|

सबको आसपास देखने मे बहुत तकलीफ हो रही थी| सब खाँसने लगे|


इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाये कुछ नकाबपोश लोग वहा आ गए| उन्होने मास्क पहना हुआ था|

"उठाओ उसे और ले चलो!"  उनमे से एक बोला|
एक ने गौरी को उठाया| 

" कौन हो तुम लोग? गौरी को कहा ले जा रहे हो? " अर्जुन जोर से चिल्लाया|

सामने का वाकिया देखकर सब लोग दंग रह गए|

"रुद्र! मुझे बचाइये!" गौरी अपने शरीर की पूरी ताकद जुटाकर बोली| उसकी आँखे बंद हो रही थी और उसे बहुत दर्द हो रहा था|


रुद्र और अर्जुन गौरी की तरफ भागेट
पर तभी उन्ही मे से कुछ लोगो ने उनपर हमला कर दिया|
अर्जुन और रुद्र उनको मारने लगे.ट|

विवेक जी गौरी के पास पहुंचे और जिन लोगो ने उसे पकड रखा था उनको मारने लगे पर तभी किसीने पीछे से उन्हे धक्का दिया और वो नीचे गिर पडे|

" पापा! " गौरी जोर से चिल्लायी पर उसकी आवाज़ भी अब धीमी हो गई थी|

विवेक जी के सिर मे चोट लग गयी|
पर रुद्र और अर्जुन उनके पास नही पहुंच पा रहे थे|

उन लोगो ने विवेक जी को पकडा और उनके सिर पर पिस्तौल रख दी^

"रुक जाओ! रुक जाओ वरना इसको मार दूंगा! " वो बोला|
ये देखकर अर्जुन और रुद्र को रुकना ही पडा|

उनमे से एक ने रुमाल पर बेहोश करने वाली दवा लगाई और गौरी को वो रुमाल सूँघा दिया|

गौरी ने उनको रोकने की बहुत कोशिश की पर वो सफल नही हो पायीट वो पहले से बहुत ज्यादा कमज़ोर थी|

" रुद्र! रुद्र! बचाइये मुझे! 
छोडो मुझे मैने कहा!" गौरी रो रही थी|

पर रुद्र और अर्जुन कुछ नही कर पाये| वो रोने लगे|


" कौन हो तुम लोग?  ये सब क्यो कर रहे हो? छोड दो उन्हें! " रुद्र बोलाट

आखिर गौरी बेहोश हो गई पर उसकी आँखें बंद होते होते भी रुद्र को ही देख रही थी और जबान रुद्र का ही नाम ले रही थी|


"गौरी! " सब लोग चिल्लाने लगे|

उन लोगो मे से एक बोला, "लडकी को लो और निकलो यहा से! " 
एक ने गौरी को उठाया और गाडी मे डाला|
वो लोग गौरी को सबकी आँखों के सामने से ले जा रहे थे पर कोई कुछ नही कर पा रहा था| 

अर्जुन गौरी को अपने से दूर जाता हुआ नही देख पा रहा था इसलिए वो विवेक जी कि चिंता किये बिना गौरी की तरफ भागा पर उन लोगो ने उसे पकड लिया और उसके सिर पर जोर से वार किया| वो जमीन पर गिर पडा|


जब तक वो सब लोग गाडी मे बैठ नही गए तब तक उन लोगो ने विवेक जी के सिर पर बंदूक ताने रखी|

जैसे ही गाडी स्टार्ट हुई उन्होने विवेक जी को धकेल दिया और वहा से चले गए|


" गौरी!" इतना कहकर अर्जुन की आँखे बंद हो गई|

रुद्र ने उनकी गाडी का पीछा किया| पर वो उन लोगो को कैसे पकड पाता|


" गौरीsss!"  रुद्र थककर नीचे गिर गया और जोर जोर से चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा|

जब तक वो लौटकर आया पुलिस भी वहा पहुंच चुकी थी| रिया ने घर के अंदर से सब देख लिया था और पुलिस को फोन कर दिया था|

अर्जुन को हॉस्पीटल ले जाया गया|


















" गौरी!!! " अर्जुन जोर से चिल्लाया|
उसने आसपास देखा तो वो हॉस्पीटल के बेड पर था| उसे अभी अभी होश आया था| उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी और अवंतिका जी उसके पास थी|

" अर्जुन! अर्जुन बेटा तुम ठीक तो हो ना?भगवान का लाख लाख शुक्र है की तुम्हे होश आ गया! " वो बोली

" माँ! माँ मै यहा कैसे आया और गौरी कहा है? वो लोग गौरी को...." 

" गौरी को किसी ने किडनँप कर लिया है अर्जुन! तुम्हारे सिर पर गहरी चोट आयी थी इसलिए तुम कल से बेहोश थे!" वो अर्जुन की बात काटते हुए बोली|

" क्या? गौरी को किसी ने किडनँप कर लिया और मै कल से बेहोश हूँ? 

माँ! माँ मुझे अभी जाना होगा!  मुझे गौरी को ढूँढना होगा| पता नही वो किस हालत मे होगी! " इतना कहकर अर्जुन वहा से उठकर जाने लगा| इससे पहले की अवंतिका जी उसे रोकती उसके सिर मे जोरदार दर्द उठा और वो वापिस बेड पर बैठ गया|

"अर्जुन! अर्जुन बेटा पुलिस गौरी को ढूँढ रही है|  तुम उसकी चिंता मत करो वो मिल जायेगी| तुम्हे आराम कि जरूरत है| तुम अभी यहा से नही जा सकते बेटा!" उसकी माँ बोली|


"आँटी सही कह रही है अर्जुन! तुम्हे आराम कि जरुरत है| हमने पुलिस कम्प्लेंट की है| वो लोग गौरी को ढूंढ रहे है| उसके भैया और भाभी भी घर से गायब है| पुलिस को लगता है कि शायद वो भी किडनँप हो गए हैं| पुलिस उन्हे ढूंढ रही है|मिल जायेंगे वो लोग!" रुद्र अंदर आते हुए बोला|
जैसे ही अर्जुन ने रुद्र को देखा उसका गुस्सा सातवे आसमान पर पहुंच गया|
वो वहा से उठा और रुद्र की गर्दन पकडते हुए बोला|

"खबरदार अगर गौरी का नाम अपनी जुबान पर भी लाया तो!
 ये सब तुम्हारी ही वजह से हो रहा है| ना तुम गौरी को यहा लाते और ना ये सब होता|
 गौरी को अभी इतनी समझ नही है कि उसके लिए क्या सही है और क्या गलत  इसीलिए उसने तुमसे शादी का फैसला किया है जो कि मै कभी होने नही दूंगा! 
 इसलिए मुझसे और मेरी गौरी से दूर रहना समझे! 
 अगर तुम्हारी वजह से गौरी को कुछ भी हुआ ना रुद्र तो मै पूरी दुनिया को आग लगा दूंगा!" अर्जुन बहुत गुस्सेमें बोल रहा था|

अवंतिका जी अर्जुन को रुद्र से अलग करने की कोशिश कर रही थी पर अर्जुन बहुत गुस्सेमें था|


"अर्जुन छोडो मुझे!" रुद्र ने अर्जुन को खुद से दूर धक्का दे दिया|


" क्यों ना लूँ मै गौरी का नाम? मेरी होने वाली पत्नी है वो और पिछले 24 घंटे से लापता हैं!
 मै पागलो की तरह तबसे ढूंढ रहा हूँ उसे! अगर वो नही मिली तो मुझे पता नहीं कि मै क्या करूंगा और इस सब के बीच उसे ढूंढना छोडकर यहा तुम्हारे पास आया हूँ!
ये देखने के लिए कि तुम ठीक हो या नही! पता है क्यो?

 क्योंकि गौरी तुम्हें अपना सबसे अच्छा दोस्त मानती है| उसके लिए तुम बहुत मायने रखते हो| पर शायद वो ये नही जानती की तुम इसके लायक नही! " रुद्र भी गुस्से में बोला|

रुद्र गुस्सेमें वहा से चला गया|ट पर अवंतिका जी इस वाकिये से अर्जुन से बहुत नाराज हो गई|




रुद्र जैसे ही घर वापस आया उसने देखा कि कमिशनर वहा आये हुये थे|
" क्या गौरी का कुछ पता चला?" रुद्र ने उन्हे देखते ही उनसे पूछा|


" हमे जैसे ही गौरी के किडनँप होने की खबर मिली तभी हमने पूरे शहर मे नाकाबंदी करवा दी है| कल शाम से शहर से बाहर जाने वाली हर गाडी की तलाशी ली जा रही है पर अब तक गौरी का कुछ पता नही चला|
विजय जी और उनकी वाइफ के फोन लोकेशन भी ट्रेस करने की कोशिश की हमने पर कोई फायदा नही हुआ| उनके फोन लास्ट टाइम सिंघानिया मँशन मे ही ऑफ हुये है|" कमिश्नर साहब बोले|


" प्लीज कमिश्नर! आप कुछ भी करीये पर हमारे बच्चो को वापिस लेकर आइये|  उन्हे कैसे भी करके ढुंढीयेट पता नही किस हालत मे होंगे हमारे बच्चे?" विवेक जी बोले.|

" आप चिंता मत करीए विवेक जी वो लोग जल्दी ही मिल जायेंगे|" इतना कहकर वो चले गएट


" रुद्र बेटा! अब कैसा है अर्जुन? " शालिनी जी ने रुद्र से पूछा|


" वो ठीक है माँ!  पर पता नही क्यों. वो गौरी से जुदा होने की वजह मुझे समझ रहा हैं! मै उसे अपना दुश्मन नही मानता माँ! नही मानता! " रुद्र अपना सिर पकडकर बैठ गया|
ये देखकर विवेक जी और शालिनी जी को बहुत दुख हुआ|


शालिनी जी ने रुद्र को समझाया की उसका दिल टूटा है शायद इस वजह से वो ऐसा व्यवहार कर रहा है  पर जैसे ही गौरी वापिस लौट आयेगी सब ठीक हो जायेगा|



देखते ही देखते एक महीना बीत गया पर उन सब का कोई पता नही चला|
इस बीच रुद्र की हालत बहुत खराब हो गई थी|
बाकि लोगो के दिल मे तो ये आस भी नही रही थी की गौरी जिंदा होगी पर रुद्र का धडकता दिल उसे बता रहा था की गौरी जिंदा है|
 वो ज्यादा तर वक्त अकेले गौरी के कमरे मे या तो उसी शिवमंदिर मे बिताने लगा जहा गौरी हमेशा जाया करती|

रुद्र की ये हालत देखकर विवेक और शालिनी जी को उसकी बहुत चिंता हो रही थी इसलिए उन्होने स्वामी जी से मिलने का तय किया|

पर उसी शाम अचानक दरवाजे की बेल बजी|
जब शालिनी जी ने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर स्वामीजी स्वयं अपने दोनो शिष्यों के साथ खडे थे|
पर हर बार की तरह उनके चेहरे पर तेज नही अपितु चिंता एवं दुख था|

उन्हे देखकर शालिनी जी चौंक गईट
" गुरुजी! आप स्वयं यहा? " 

" हमे आपसे एक आवश्यक बात पर चर्चा करनी है|  क्या हम भीतर आ सकते है?" वो बोले| 

" हाँ!  हाँ गुरुजी! आइये ना!" शालिनी जी उन्हे अंदर ले गई|

" आप परिवार के सारे सदस्यों को बुलाइये! " स्वामीजी बोले|
उनके कहे मुताबिक शालिनी जी ने सबको हॉल मे बुलाया|

तभी रुद्र भी वहा आ गया|

" रुद्र बेटा!  यहा आओ! गुरुजी को पैर छुओ|
ये वही है जिनके बारे मे हम हमेशा तुम्हे बताते आये हैं| यही है जिन्होंने गौरी की भी मदद कि थी! " विवेक जी बोलेट


रुद्र उनके पैर छुने उनके पास जा ही रहा था कि उन्होने रुद्र को रोक लिया और रुद्र के गले से लग गए|

" अगर आप मेरे चरणस्पर्श करेंगे तो भोलेनाथ मुझे नरक मे भी प्रवेश नही देंगे| मै जानता था कि आपसे मेरी भेट अवश्य होगी पर इस दुविधा मे होगी ये नही जानता था|
देखिये तो आपसे भेट का आनंद तक नही मना पा रहा हूँ क्योंकि मै जानता हूँ कि आप किस दशा से गुजर रहे हैं! " ये कहते कहते उनकी आँखें नम हो गई थी|

रुद्र को तो कुछ समझ नहीं आ रहा था|

"ये आप क्या कह रहे हो गुरुजी? हमे कुछ समझ मे नही आ रहा! गुरुजी हम लोग बहुत परेशानी मै है| हम खुद कल आपके आश्रम आने वाले थे|" विवेक जी बोले|

" मै जानता हूँ! मुझे सब ज्ञात है इसीलिये तो मै यहा आया हूँ! मै विधिलिखीत से हस्तक्षेप नही कर सकता पर जब मुझे ज्ञात हुआ कि अब मेरी आवश्यकता है तो मै खुद को रोक नही पाया|" स्वामीजी बोलेट


" गुरुजी माँ पापा ने मुझे बताया है कि आपने पहले भी हमारी कई बार मदद की है| आज हमे सही मायने में आपकी मदद चाहिये| अगर आप सब जानते हैं तो मुझे प्लीज बता दिजीये मेरी गौरी कहा है!" रुद्र उनके आगे हाथ जोड़कर बोला| उसकी आँखों मे पानी आ गया|

स्वामीजी ने झट् से उसके हाथ पकड लिये|

" ये आप क्या कर रहे हैं? आप मेरे समक्ष हाथ जोडकर मुझे पाप का भागीदार मत बनाइये| मै आपको ये तो नही बता सकता कि वे कहा है ! पर आप स्वयं जानते हैं कि वे कहा है! " स्वामीजी बोले|


ये सुनते ही सब चौक गएट  सबसे ज्यादा रुद्र! 

" ये आप क्या कह रहे हैं गुरुजी? अगर मुझे पता होता कि गौरी कहा है तो मै उसे यू पागलो की तरह क्यो ढूंढता?" रुद्र बोला|


"कई बार हमारे प्रश्नों के उत्तर उन्ही प्रश्नों मे छिपे होते हैं और कई बार हमारे इस जीवन के रहस्य हमारे पिछले जीवन में! आप स्वयं से ये प्रश्न करीये कि आप जिनसे प्रेम करते है उनके जीवन के विषय मे आप कितना जानते है! कदाचित आपको अपने सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जाये!" रुद्र स्वामीजी की बात पर गौर करने लगा|


" इसका क्या मतलब है गुरुजी?" रुद्र ने पूछा|


"हमे क्षमा कीजिए किंतु हम आपकी इससे अधिक सहायता नही कर सकते| हमारा योगदान इतना ही था| अब हमे आज्ञा  दिजीए|"  इतना कहकर स्वामीजी ने प्रस्थान किया| 

पर स्वामीजी सबको दुविधा मे छोडकर चले गए थे|


" गुरुजी के कहने का मतलब क्या था? मै जानता हूँ कि गौरी कहा है पर मै तो जानता ही नही कि गौरी कहा है! " रुद्र सोचने लगा|

"रुद्र बेटा आप ठीक से याद करीये| अगर गुरुजी ने कहा है तो जरूर आपको पता होगा| आप याद करने की कोशिश किजीये शायद आपको कुछ याद आ जाये!" शालिनी जी बोली|


रुद्र सोचने की कोशिश कर रहा था पर उसे कुछ याद नही आ रहा था|
वो स्वामीजी की बाते भी याद कर रहा था| उसे खुद पर ही बहुत गुस्सा आने लगा| आखिरकार उसके सब्र का बाँध टूट गया और वो बैठ कर रोने लगा|

सबको उसकी हालत देखकर बहुत बूरा लग रहा था पर रेवती गौरी के गायब होने से मन ही मन खुश थी| विवेक जी और शालिनी जी रुद्र को समझाने लगे  पर रुद्र इस बार बहुत हताश हो गया था|

" मै क्या करू माँ? मुझे कुछ याद नही आ रहा है| एक महीना हो गया गौरी का कुछ पता नही है और मै हू की कुछ कर नही पा रहा हूँ! अब मै गौरी को कैसे ढूंढू माँ? कैसे वापिस लाउ उसे?" वो रोने लगा|



पर तभी अचानक उसे स्वामीजी की बात याद आयी|
वो बोले थे , " आप स्वयं से ये प्रश्न करीये कि आप जिनसे प्रेम करते है उनके जीवन के विषय मे आप कितना जानते है| कदाचित आपको अपने सारे प्रश्नों के उत्तर मिल जाये!"
और साथ ही उसे तब याद आया कि जब उसने गौरी को घर से बाहर निकल दिया था तब विजय ने उससे कुछ कहा था|


" नीलमगढ की राजकुमारी नीलाद्रि है वो! 
वो अगर चाहे ना तो तुम जैसे हजारो रुद्र सिंघानिया को अपनी जुत्ती की नोक पर रख सकती है! तो वो तुम्हारे पैसे का क्या करेगी? जितनी तुम्हारी सारी जायदाद है ना उतनी खैरात बटती है हमारे राज्य मे उनके जन्मदिन पर!" 

रुद्र को विजय की बाते याद आयी|


" क्या हुआ रुद्र बेटा? क्या सोच रहे हो? " विवेक जी ने पूछा|


"पापा! नीलमगढ!" ये सुनते ही सब चौक गए|


" आपको याद है विजय भैया ने बताया था कि वो उनका राज्य है! 
कही गौरी की किडनैपिंग का नीलमगढ से तो कोई कनेक्शन नही है?
 गुरुजी ने कहा था ना की मै जिससे प्यार करता हूँ उसके बारे में क्या जानता हूँ! यही तो जानता हूँ मै गौरी के बारे में!" रुद्र बोला|


"तुम सच कह रहे हो रुद्र!  शायद तुम सही सोच रहे हो! " विवेक जी बोले


"माँ पापा!  मुझे नीलमगढ जाना होगा!" रुद्र की आँखों मे गौरी को वापिस लाने का निश्चय था|




उसी शाम रुद्र नीलमगढ के लिए रवाना होने लगा| रिया के बहुत कहने पर उसने रिया को अपने साथ ले लिया! विवेक जी और शालिनी जी से इस वादे के साथ वो घर से बाहर निकला कि गौरी के बारे मे पता चलते ही वो उनको खबर कर देगा|





कुछ घंटे के लंबे सफर के बाद रुद्र और रिया नीलमगढ पहुंच गए पर उनको वहा तक पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी पडी क्योंकि वहा जाने के लिए उनको गाडीयाँ ही नही मिल रही थी|





जैसे ही रुद्र नीलमगढ की सीमा मे पहुंचा उसे बहुत ही अजीब सा एहसास होने लगा|


नीलमगढ आज भी उतना ही सुंदर था जितना सदियों पहले था| 
वहा पर ज्यादा तर लोग किसान ही नजर आ रहे थे पर हर कोई जल्दी मे लग रहा था|
जैसे जैसे वो दोनो भीतर बढ रहे थे रुद्र की बेचैनी बढती जा रही थी ये बात रिया के समझ मे आ गई|

" क्या बात है रुद्र? तुम ठीक तो हो ना? " रिया ने उससे पूछा|

" मै ठीक हू रिया! "

"आप लोगों को यहा पहले कभी नही देखा!  कौन है आप लोग? लगता तो है कि शहर से आये हैं! " वहा से गुजरते हुए एक किसान ने उनसे पूछा|


" जी हाँ! हम लोग मुंबई से आये हैं! क्या आप हमारी मदद कर सकते हैं?" रिया बोली

" मदद?  जी हाँ जरूर करेंगे! आप लोग हमारे महमान हो और मेहमान भगवान का रूप होता है| क्या मदद कर सकता हूँ मै आपकी? " वो किसान बोला|


" क्या आपने इस लडकी को देखा है?" रुद्र ने अपने फोन मे गौरी की फोटो उसको दिखायी| 


"ये?  ये तो हमारी राजकुमारी जी है!"  वो किसान चौंक कर बोला|
ये सुनते ही रुद्र और रिया की चेहरा खुशी से खिल उठा|

"क्या आप सच कह रहे है? यही आपकी राजकुमारी है? ध्यान से इस तस्वीर को देखिये!" रुद्र बोला|

"अरे भैया क्या आप भी!  हम अपनी राजकुमारी जी को नही पहचानेंगे क्या? ये हमारी राजकुमारी नीलाद्रि जी ही है! आज से ये हमारी युवराज्ञी बन जायेंगी और जल्द ही हमारी महारानी!"  वो आदमी बोला|


"इसका मतलब ये सब सच है!" रुद्र रिया से बोला|


"क्या आप मुझे बता सकते हो कि ये कहा मिलेंगी?" रुद्र ने पूछा

"अरे भैया तुम यहा खडे क्या कर रहे हो? जल्दी चलो वरना देर हो जायेगी!" एक आदमी उस किसान के पास आकर बोला|


" हाँ! हाँ भैया! चलते है! 
आप लोग क्यो ना हमारे साथ चले? राजकुमारी जी के युवराज्ञी के पदग्रहण का बहुत बडा समारोह है राजमहल में! हम सब वही जा रहे हैं!  ये आपको वही मिल पायेंगी|" वो किसान बोला|

रुद्र ने बिना सोचे समझे हामी भर दी और वो लोग राजमहल की ओर चल पडे|


कुछ दूर से ही रुद्र और रिया को राजमहल दिखायी पडने लगा| राजमहल आज भी उन्ही बुलंदियो के साथ खडा था| बस फर्क इतना था कि कई सारी जगह और मिनारे थी जो टूट फूट गई थी|
पर वो राजमहल देखकर रुद्र को कुछ पुरानी बाते याद आने लगी पर सब कुछ धुंधला था|


जल्द ही वो लोग राजमहल का भव्य प्रवेशद्वार पार कर अंदर पहुंचे|


महल के समक्ष ही सारी खुले मैदान के इर्दगिर्द चारो ओर प्रजा के बैठने के लिए जगह थी| वहा पर बहुत लोग उपस्थित थे| रुद्र ये सब पहली बार नही देख रहा था|

" महाराज चंद्रसेन की जय! सेनापति वीरभद्र की जय! युवराज्ञी भैरवी की जय! " अचानक ये सारी आवाजे रुद्र की कानो मे गुंजने लगी| ये आवाजे कुछ ही देर मे इतनी तेज हो गई कि रुद्र ने अपने कान बंद कर लिये|


" रुद्र! रुद्र! क्या हुआ तुम्हें? आर यू ओके?" रिया ने रुद्र को पूछा|


रुद्र ने बस गर्दन हिलाकर हा कह दिया|

" रुद्र ने देखो सामने! " रिया ने ऊँगली से इशारा किया|



रुद्र ने सामने जो देखा  वो देखकर उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी| 



महल के सामने ही प्रजा के समक्ष राजकुमारी के युवराज्ञी पदग्रहण की विधीयों की तैयारीयाँ की गई थी|


सामने कई आसन लगाये गए थे| सबसे बडे और सुशोभित आसन पर जो बैठे थे उन्हे देखकर ही प्रतीत हो रहा था कि वो राजा है| उन्ही के आसन के पास बायी ओर उनकी पत्नी का आसन था यानी महारानी  का|

महाराज ने सफेद रंग की शेरवानी पहनी हुई थी और मोतीयो की माला! सिर पर लाल रंग की जडाऊ पग और महारानी ने लाल रंग की जरीदार साडी और मोतीयों के कुछ चुनिंदा गहने!  इस सदी के राजा रानी कहलाने के बिलकुल योग्य थे वो दोनो!


तभी अचानक विजय सामने आया| उसने भी कुछ महाराज की तरह ही वस्त्राभूषण पहने थे|

उसे देखते ही रुद्र और रिया भौचक्के रह गए|

जब उन्होने ध्यान से देेखा तो पूजा भी एक आसन पर स्थानापन्न थी|


"तो अब देर ना करते हुए मै महाराज प्रताप सिंह से ये युवराज्ञी पद हमारी राजकुमारी नीलाद्रि को समर्पित करेंगे!" विजय बोला|

ये सुनते ही सब लोग " राजकुमारी नीलाद्रि की जय! राजकुमारी नीलाद्रि की जय!" ऐसा जयजयकार करने लगे| तभी पीछे से गौरी सामने आयी|

गौरी का रुप पूरी तरह बदल गया था|

उसने गुलाबी रंग का लेहेंगा पहना हुआ था और सिर पर एक दुपट्टा ओढा हुआ था| गले मे हार, नाक मे नथनी, माथे पर बिंदी, कानो मे झुमके! गौरी बहुत ही सुंदर लग रही थी| उसके पीछे उसकी कई सारी दासीया थी|

वो सामने आयी| उसने सामने आकर अपने हाथ से प्रजा को शांत होने का आदेश दिया और सबको प्रणाम भी किया| महाराज के आसन के दायी ओर एक और आसन था| वो उसपर जाकर बैठ गई|


तब महाराज ने उठकर उसका तिलक किया|
तभी विजय एक थाल मे कुछ लेकर सामने आया|

महाराज ने उसपर रखा कपडा हटाया तो उसमे एक बहुत ही सुंदर रत्नजडीत मुकुट था|

महारा़ज ने वो उठाया और गौरी के सिर पर पहना दिया|

इसी के साथ उनपर सबने पुष्पवर्षा की|

" ये लिजीये! आपकी प्यारी राजकुमारी नीलाद्रि अब आपकी युवराज्ञी नीलाद्रि है!" महाराज के ऐसा कहते ही हर तरफ  "युवराज्ञी नीलाद्रि की जय! महाराज प्रताप सिंह की जय!" यही जयजयकार गूँजने लगी|
सब लोग बहुत खुश थे|
पर गौरी के चेहरे पर केवल हल्का स्मित था|
रुद्र से सब देखकर हक्का बक्का रह गया था|

वो बस गौरी की ओर देख रहा था और गौरी विजय की ओर!

तभी अचानक गौरी की नजर रुद्र पर पडी|
वो दोनो ही एक-दूसरे की ओर देख रहे थे|
दोनो के ही आँखो से आंसू छलक पडे|





14 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

गर8

7 दिसम्बर 2021

41
रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
1

क्या हुआ... तेरा वादा.. (भाग 1)

7 अक्टूबर 2021
13
6
6

<div>कहानी के सारे अधिकार लेखिका के अधीन है..... </div><div><br></div><div><br></div><div><br><

2

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 2)

8 अक्टूबर 2021
3
5
3

<div><br></div><div><br></div><div>कबसे दरवाजे की बेल बज रही थी.........</div><div><br></div><div>"ह

3

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 3)

10 अक्टूबर 2021
4
5
2

<div> &nbs

4

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 4)

11 अक्टूबर 2021
3
3
2

<div>तीन दिन बाद रुद्र को घर लाया गया |</div><div>तीन दिन तक विवेक जी ऑफिस भी नहीं गए थे|</div><div>

5

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 5)

13 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div>पार्टी मे रुद्र का पूरा ध्यान गौरी पर था| वो बहुत ज्यादा खुश था की आखिरकार उसे वो लडकी मिल ही ग

6

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 6)

14 अक्टूबर 2021
4
3
2

<div>आज रुद्र ऑफिस जा रहा था| विवेक जी और रुद्र दोनों गाडी से उतरे और ऑफिस के अंदर गए| </div><d

7

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 7)

15 अक्टूबर 2021
2
3
2

<div>रुद्र को अब कुछ भी करके वह माला ढूँढ कर गौरी तक पहुंचानी थी|</div><div>जब रुद्र उस जगह पहुंचा त

8

क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 8)

16 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div>गौरी ने एक जगह पर गाडी रोकी|</div><div><br></div><div>"आ गयी हमारी मंजिल| आइये|" गौरी ने एक्साइ

9

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 9)

17 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>गौरी : सिद्धार्थ? आप?</div><div>गौरी बहुत ज्यादा च

10

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 10)

18 अक्टूबर 2021
4
3
2

<div>गौरी ने कई बार रुद्र को फोन लगाया पर उसने फोन रिसिव्ह नही किया|</div><div><br></div><div>ऑफिस म

11

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 11)

19 अक्टूबर 2021
3
3
2

<div>गौरी की तबियत ठीक होने मे 1-2 दिन लग गए|</div><div><br></div><div>सब उसकी तबियत पर पूरा ध्यान द

12

क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 12)

20 अक्टूबर 2021
4
2
2

<div><br></div><div>2 - 3 दिन तक गौरी ने सिद्धार्थ से बात ही नहीं की| सिद्धार्थ उसे मनाने की क

13

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 13)

21 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>सुबह सुबह गाव के कुछ

14

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 14)

22 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र को होश आया| रुद्र के आँखे खोलते ही सारे गाव

15

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 15)

23 अक्टूबर 2021
2
2
1

<div>विकास तेजी से कल्याणी की तरफ बढ रहा था|</div><div><br></div><div>कल्याणी ने बहुत कोशिश की वहा स

16

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 16)

24 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>अविनाश और कल्याणी को

17

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 17)

25 अक्टूबर 2021
3
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>"रुद्र!" गौरी जोर से

18

क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 18)

26 अक्टूबर 2021
3
2
3

<div>सिद्धार्थ गौरी के घर से अपना सामान लेकर हॉटेल चला गया था| वो अपनी गाडी शुरू करने ही वाला था की

19

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 19)

27 अक्टूबर 2021
3
2
2

<div>गौरी बाहर बैठी हुई थी| अंदर डॉक्टर सीमा जी को चेक कर रहे थे| बडी बदकिस्मती की बात थी कि जिस हॉस

20

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 20)

28 अक्टूबर 2021
3
2
3

<div>देखते देखते कई दिन गुजर गए| अब गौरी भी नॉर्मल होने लगी थी और सिद्धार्थ भी लौट आया था|</div><div

21

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 21)

29 अक्टूबर 2021
3
0
1

<div>शालिनी जी और विवेक जी ने अपने निस्वार्थ प्यार से और रुद्र ने अपनी दोस्ती से गौरी कि जिंदगी फिर

22

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 22)

30 अक्टूबर 2021
2
1
2

<div>जब रुद्र जागा तो वो वही जमीन पर सोया हुआ था| शायद टेंशन में उसे वही नींद आ गई थी|</div><div>बाह

23

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 23)

31 अक्टूबर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>स्वामीजी को देखते ही दोनो ने उनके च

24

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 24)

1 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>सेनापति वीरभद्र युवराज्ञी भैरवी के पीछे उन्हें ढुंढने निकल पडे पर जंगल बहुत घना था| उन्हें समझ

25

क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 25)

2 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>महल के कुछ बाहर बहुत ही भव्य प्रवेशद्वार था जिसपर सदा कुछ सैनिक तैनात रहते थे|</div><div><br></

26

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 26)

3 नवम्बर 2021
3
3
2

<div>प्रजागण भैरवी को लेकर अपने गाँव पहुंचे| भैरवी को देखते ही सारे गाँव वाले बाहर निकल आये|</div><d

27

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 27)

4 नवम्बर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>"आप ज

28

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 28)

5 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>आज महल मे हर ओर शहनाई की गूँज थी| सारा राज्य ख़ुशी से झूम रहा था| आज बहुत ही शुभ दिन था| आज खुश

29

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

30

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
2
1
1

<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

31

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 30)

7 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>सिंघानिया मँशन मे पार्टी की शानदार तैयारीयाँ की गई थी|</div><div>हर तरफ रौशनी, रंगबिरंगे फूल, र

32

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 31)

8 नवम्बर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>गौरी अपने कमरे मे देर रात तक कुछ का

33

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 32)

9 नवम्बर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>" आह्ह!!!" गौरी जमीन पर गिर पडी|</div><div><br></d

34

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 33)

10 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>सिंघानिया मँशन मे रुद्र और रिया की सगाई की तैयारीयाँ शुरू हो गई थी| रेवती तो बहुत ही खुश थी| रि

35

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 34)

11 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>आगे की कहानी 6 महीने बाद.... </div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>बेताह

36

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 35)

12 नवम्बर 2021
2
2
1

<div>रुद्र और गौरी अामने सामने थे|</div><div>दोनो के आँखो से लगातार आँसू छलक रहे थे|</div><div><br><

37

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

13 नवम्बर 2021
2
2
2

<div>सब लोग हॉल मे बैठकर शालिनी जी के हाथ का बना हलवा खा रहे थे|</div><div><br></div><div>"आप सब लोग

38

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 37)

14 नवम्बर 2021
3
3
3

<div>एक सेवक रुद्र और रिया को लेकर महल के अंदर जा रहा था| जैसे जैसे रुद्र आगे बढ़ रहा था उसे सब बहुत

39

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 38)

15 नवम्बर 2021
2
2
2

<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र ने गौरी को नीचे गिरा दिया था| गौरी की कमर मे

40

क्या हुआ...तेरा वादा... (भाग 39)

16 नवम्बर 2021
3
3
2

<div>पूरे महल और पूरे राज्य मे युवराज्ञी के भव्य स्वयंवर की तैयारीया चल रही थी|</div><div><br></div>

41

क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 40)

17 नवम्बर 2021
3
2
2

<div><br></div><div>गौरी मलबे के नीचे दब गई थी |</div><div><br></div><div>बेहाल होकर पड़ा हुआ रुद्रा

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए