" आह्ह!!!" गौरी जमीन पर गिर पडी|
ये देखते ही विजय और पूजा के पैरो तले जमीन खिसक गई|
वो दोनो गाडी से नीचे उतरे और गौरी की तरफ भागे|
गौरी जमीन पर गिरकर रो रही थी, कराह रही थी| उसके पेट मे बहुत दर्द हो रहा था|
विजय-पूजा उसके पास पहुंचे| विजय ने उसका सिर अपनी गोद मे ले लिया|
" गौरी! गौरी क्या हुआ आपको? " गौरी की ये हालत देखकर विजय पूजा दोनो रोने लगे|
" भ्.....भैया!!" वो बस इतना ही कह पा रही थी और लगातार अपना पेट पकडकर रोये जा रही थी|
"विजय जी हमे लगता है हमे इन्हें जल्द से जल्द हॉस्पीटल ले जाना चाहिए|" पूजा बोली|
विजय उसकी बात से सहमत था|
विजय ने बिना एक पल की भी देरी किये गौरी को अपनी गोद मे उठा लिया और गाडी की तरफ ले गया|
गाडी की बैक सीट पर पहले पूजा बैठ गई और गौरी का सिर उसने अपनी गोद मे ले लिया|
विजय ने गाडी स्टार्ट की और फुल स्पीड से हॉस्पीटल की तरफ भगाई|
जैसे ही विजय की गाडी वहा से बाहर निकली रुद्र वहा पहुंच गया|
वो गाडी से नीचे उतरा|
सामने का नजारा देखकर उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी|
गौरी ने वहा रंगबिरंगे फूलो और रंगबिरंगे लाइट्स की बहुत आकर्षक सजावट की थी| इन सब के बीच एक टेबल सजाया गया था| रुद्र वहा की हर चीज देखकर बहुत खुश हो गया| वो समझ गया था कि गौरी ने ये सब उसके लिये ही किया है| वो वहा की हर चीज को छूकर उसमे गौरी की मौजूदगी को महसूस करने लगा| उसने हल्के से अपनी आँखें बंद की और गौरी को बडे ही प्यार से आवाज लगाई|
इधर अचानक गौरी रुद्र का नाम लेने लगी|
" रुद्र!
आह्ह्ह्ह! रुद्र!
भैया रुद्र!" गौरी कह रही थी|
" गौरी! गौरी!
विजय जी गौरी की हालत और खराब हो रही है| आप जल्दी गाडी चलाइये|" पूजा कह रही थी|
विजय ने तेजी से गाडी भगाई|
इधर रुद्र गौरी को हर जगह ढूंढ रहा था पर गौरी उसे कही नही मिली|
उसे लगा की शायद वो भी रास्ते मे होगी या फिर कुछ लेने गई होगी इसलिए वो वही टेबल पर बैठकर उसका इंतजार करने लगा|
विजय ने गाडी हॉस्पीटल के बाहर रोकी|
विजय ने गौरी को उठाया| वो अब भी रो रही थी|
गौरी ने अपना पेट पकडा और बस एक आह भरकर रुद्र का नाम लिया|
"आह्ह्ह! रुद्र!!!"
उसके मुंह से खून निकलकर जमीन पर गिरने लगा और वो बेहोश हो गई|
विजय का तो ध्यान नही था पर ये सब देखकर पूजा सुन्न हो गई|
"विजय जी! विजय जी!" वो विजय को रोकते हुए धीरेसे बोली| उसकी आवाज़ तक नही निकल रही थी|
" क्या हुआ पूजा? जल्दी चलो!" विजय ने उसकी ओर मुडकर देखा|
पूजा ने गौरी की तरफ इशारा किया|
जब विजय ने गौरी को देखा तो उसके मुह से खून बह रहा था| वो बेहोश हो गई थी|
ये देखकर विजय के आँसू बहने लगे|
"गुडिया! बच्चे! उठो ना! बेटा गौरी!" वो गौरी को हाथ मे थामकर ही उसे उठाने लगा पर पूजा ने उसे संभालते हुए कहा, " विजय जी! विजय जी! मेरी बात सुनिये! जल्दी डॉक्टर के पास चलिये!" विजय उसकी बात से सहमत था|
वो भागकर हॉस्पीटल के अंदर गया| सामने से डॉक्टर्स आ रहे थे| वो गौरी को उनके पास ले गए|
"डॉक्टर! डॉक्टर प्लीज हमारी बहन को चेक किजीये! पता नही इसे क्या हो गया है? " विजय रोते हुए बोला|
डॉक्टर ने उसकी नब्ज चेक की और उसे सीधे आयसीयू मे ले ग
विजय और पूजा आयसीयू के बाहर ही खडे होकर काँच से गौरी को देख रहे थे| सारे डॉक्टर और नर्सेस गौरी के इर्दगिर्द ही थे|
विजय रोते रोते वहा से दूर चला गया| पूजा भी उसके पीछे पीछे आयी| वो एक जगह खडा होकर रोने लगा|
पूजा उसके पास गई और उसके कंधे पर हाथ रखकर उसे दिलासा देने लगी|
विजय पलटकर पूजा के गले लग गया और बहुत रोने लगा|
"ये सब क्या हो रहा है पूजा? ये मेरी गुडिया को क्या हो गया? इतने सालो बाद, इतनी मुश्किलो से तो मिली है वो मुझे और ये सब....
ये सब मेरी गुडिया के साथ क्या हो रहा है? " वो रो रहा थ
"आप इस तरह रोइये मत विजय जी! अगर आप ही हिम्मत हार जायेंगे तो गौरी को हिम्मत कौन देगा? आप बिल्कुल रोना बंद किजीए! गौरी बिल्कुल ठीक हो जायेंगी| कुछ नही होगा उन्हे! आप हिम्मत रखिये|" पूजा कह रही थी|
उसने विजय के आँसू पोछे| तभी डॉक्टर नर्स को कुछ इन्स्ट्रक्शन्स देते हुए आयसीयू से बाहर निकले| उन्हे देखते ही विजय और पूजा दौड़कर उनके पास गए|
"डॉक्टर क्या हुआ है गौरी को? वो ठीक तो है ना? ये सब.....ऐसे....." विजय बोला|
"देखिये! वो अब ठीक है|
चिंता की कोई बात नही है| इनफैक्ट उनके होश मे आते ही आप उन्हे घर ले जा सकते हैं|" विजय की बात काटकर डॉक्टर बोले|
ये सुनते ही विजय पूजा खुश हो गए|
" आप एक काम करीए! आप थोडी देर बाद मुझे मेरे केबिन मे आकर मिलीये|" इतना कहकर डॉक्टर चले गए|
पर डॉक्टर की बात सुनकर उन दोनो को राहत मिली|
"देखा! मैने कहा था ना आपसे! गौरी बिल्कुल ठीक हो जायेंगी!" पूजा बोली|
"पूजा! आप एक काम करीए! देर बहुत हो गई है| आप घर चली जाइये| विवेक जी और शालिनी जी तो यही सोच रहे होंगे की रुद्र और गौरी साथ है| उन्हे वही सोचने दिजीये| अगर उन्हे ये सब पता चलेगा तो वो बेवजह परेशान हो जायेंगे पर पता नही रुद्र का क्या हाल होगा? शायद वो बहुत गुस्सेमें होगा| हमने उसे बुलाया और.......
आप उसे भी इस बारे मे कुछ पता मत चलने दिजीयेगा| इस सब बारे मे हम बाद मे सोचेंगे क्योंकि इस वक्त हमारे लिए गौरी सबसे ज़्यादा जरूरी है|" पूजा मान गई और घर चली गई और विजय डॉक्टर के केबिन की तरफ|
"रुद्र!" गौरी बेहोशी मे भी रुद्र का नाम ले रही थी|
इधर रुद्र गौरी का इंतजार करते करते वही टेबल पर बैठे बैठे सो गया था| उसे अचानक ऐसा लगा जैसे गौरी ने उसे आवाज दी हो| वो उठकर गौरी को इर्दगिर्द ढुंढने लगा पर गौरी नही थी| उसने घडी मे वक्त देखा तो बहुत देर हो गई थी| उसने गौरी को कई फोन किये पर उसका फोन बंद आ रहा था| अब उसे बहुत गुस्सा आने लगा की गौरीने उसे बुलाया और उसके साथ इतना भद्दा मजाक किया|
उसने गुस्से में वहा का सब तहसनहस कर दिया और रोते हुए घर चला गया|
शालिनी जी अपने बेड पर बैठकर मुस्कुरा रही थी|
" क्या हुआ शालिनी जी? आप अकेले अकेले मुस्कुरा रही हैं? " विवेक जी ने पूछा|
"आज मै बहुत खुश हूँ विवेक जी! फाइनली हम कल सुबह रुद्र और गौरी को एकसाथ देख पायेंगे!" वो बोली|
"सही कहा आपने! हमने जैसा सोचा सब वैसे ही हो रहा है| हम चाहते थे की गौरी हमारे घर हमारी बहू बनकर आये| भगवान ने हमारी सून ली| हमारे बच्चों की खुशी से बढकर और हमारे लिए क्या है!" विवेक जी भी खुश होकर कह रहे थे|
"अब तक तो गौरी रुद्र को बता भी चुकी होगी कि वो उससे प्यार करती है| अब वो एकसाथ होंगे|" शालीनी जी बोली|
विवेक जी ने उन्हें गले लगा लिया|
विवेक जी और शालिनी जी बहुत खुश थे|
पर ये सब दरवाजे के पास खडी रिया सुन चुकी थी|
ये सब सुनकर उसके पैरो तले की जमीन खिसक गई|
वो रोते रोते अपने कमरे मे पहुंची और जोर जोर से रोने लगी|
उसी वक्त रेवती वहा आ गई| रेवती उसे इस हालत मे देखकर भौचक्की रह गयी| वो उसे शांत कराने की कोशिश कर रही थी पर कोई फायदा नही हो रहा था| उसे इस तरह देखकर वो भी रोने लगी|
"रिया बेटे! हुआ क्या है? क्या बात है? किसी ने कुछ कहा तुमसे? रिया!" रेवती रोते हुए पूछने लगी|
" ये सब मेरे साथ ही क्यों माँ? जिससे मै प्यार करती हू वो हमेशा मुझसे छिन क्यो लिया जाता है? पहले तो भगवान ने मुझसे मेरे पापा छिन लिये और अब... अब... जिससे मै प्यार करती हू उसे भी छिन लिया!
मै रुद्र से प्यार करती हू माँ और वो ...... वो किसी और से प्यार करता है!" रिया रो रही थी|
"नही बेटा रिया! ऐसा नही है!" रेवती कह ही रही थी की रिया ने उसका हाथ झटक दिया|
"बस करिये माँ! मै जानती हूँ! मै सब सच जानती हू|" रिया बोली| उसके बाद उसने रेवती को बता दिया की उसने क्या क्या सुना|
ये सुनकर रेवती का चेहरा भी उतर गया|
"माँ! क्या कल से मुझे गौरी को रुद्र के साथ देखना पडेगा? नही माँ नही! मै ये नही देख पाउंगी! नही देख पाउंगी! जिससे मैने बचपन से प्यार किया उसे मै कैसे किसी और के साथ देख पाउंगी?
माँ! माँ! मुझे रुद्र चाहिये माँ!" रिया यही कह कहकर रेवती से गले मिलकर रोने लगी|
रिया को इस हालत मे देखकर रेवती को बहुत बुरा तो लग रहा था पर गौरी पर बहुत गुस्सा भी आ रहा था और ये सब दरवाजे के बाहर खडे रुद्र ने सुन लिया| वो घर लौट आया था और वो सब सुन चुका था|
ये सब सुनकर रुद्र सुन्न रह गया| उसे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था| उसे ताज्जुब इस बात का हो रहा था कि इतने सालो तक रिया को जानने के बाद भी उसे ये सब पता कैसे नही चला! वो मन ही मन उदास होकर अपने कमरे मे चला गया|
रेवती ने काफी देर तक रिया की शांत किया और जैसे तैसे उसे सुलाया पर रेवती ने मन ही मन ठान लिया था की वो रुद्र और गौरी को कभी एक नही होने देंगी और इसी निश्चय के साथ वो अपने कमरे मे गई|
पर तभी उसे रुद्र के कमरे की लाइट ऑन दिखाई पडी| वो कमरे के पास गई और दरवाजे से देखा तो रुद्र अपने कमरे मे खडा था|
"रिया के कहे मुताबिक तो रुद्र को इस वक्त गौरी के साथ होना चाहिए! तो फिर ये अपने कमरे मे कैसे? वो भी अकेले?" रेवती के मन मे शक पैदा हुआ|
वो वहा से सीधे गौरी के कमरे की तरफ गई पर गौरी अपने कमरे मे नही थी|
"अगर रुद्र अपने कमरे मे है तो गौरी कहा है? " वो वहा से सीधे विजय के कमरे की तरफ गई| उसके कमरे का दरवाजा खुला था और पूजा फोन पर बात कर रही थी| वो भी घर लौट आयी थी|
"आप रास्ते मे कहा है विजय जी? जल्दी आइये काफी देर हो गई है| रुद्र भी अब कबसे घर आ चुके हैं|
हाँ! गुस्से मे तो लग रहे थे और हो भी क्यो ना! गौरी ने उनको बुलाया और उनसे नही मिल पायी! शायद वो गौरी से बहुत गुस्सा होंगे पर ये सब छोडिये! आप और गौरी पहले जल्दी घर लौट आइये!" इतना कहकर उसने फोन रख दिया और चिंता करते बैठ गई|
ये सब बाहर खडी रेवती ने सुन लिया|
"इसका मतलब रुद्र गौरी मिला ही नहीं और गौरी रुद्र के साथ नही बल्कि विजय के साथ है! इस वजह से रुद्र गौरी से गुस्सा भी है! ये मौका मुझे गवाना नही चाहिए! मै ऐसे ही किसी लडकी को अपने अरमानो पर पानी नही फेरने दे सकती!" रेवती अपने कमरे मे चली गई और कुछ देर तक कुछ सोचने के बाद वो अपने कमरे से बाहर आयी|
वो रुद्र के कमरे के बाहर पहुंची और नीचे गिरने की नाटक किया| वो दर्द से कराहने का नाटक करने लग
उसकी आवाज़ सुनकर रुद्र कमरे से बाहर आया| उसे चिंता होने लगी|
"आँटी! क्या हुआ आपको? आप ठीक तो है ना? "
"हाँ बेटा! मै ठीक हू!
वो मुझे कुछ ठीक नही लग रहा था इसलिए मै बाहर गैलरी मे जा रही थी और पता नही कैसे मेरा पैर फिसल गया? शायद मोच आ गई है!" रेवती बोली|
रुद्र मन ही मन समझ गया था कि रेवती जी शायद रिया की वजह से उदास है और उसका चेहरा रुआँसा हो गया|
रुद्र ने रेवती को सहारा देकर उठाया|
"रुद्र बेटा! क्या तुम मुझे बाहर जाने मे हेल्प कर सकते हो? मेरे पैर मे बहुत दर्द हो रहा है!" रेवती बोली|
"ऑफ कोर्स आंटी! आपको ये सब पूछने की जरुरत नहीं है| आइये! मै आपको बाहर लेकर चलता हू!" रुद्र ने उनका हाथ पकडा और उन्हे बाहर ले गया|
रेवती पैर मे मोच आने का नाटक बखूबी निभा रही थी|
रुद्र रेवती को गैलरी मे लेकर आया|
"अब आपको ठीक लग रहा है आंटी? " उसने पूछा|
" हाँ रुद्र! अब मुझे थोडा ठीक लग रहा है! कमरे मे मुझे बहुत घुटन सी हो रही थी|
वैसे रुद्र तुम इतनी देर तक क्यो जाग रहे थे? नींद नही आ रही थी? " रेवती बोली|
रुद्र ने बस हिचकिचाते हुए गर्दन हिला दी|
" क्या बात है रुद्र? तुम आज बडे शांत हो? कोई प्रॉब्लम है बेटा ? यु कैन टेल मी!" रेवती बस रुद्र को वहा रोके रखने का ट्राय कर रही थी|
"ऐसी कोई बात नही है आंटी! मै ठीक हू बस थोडा सा थक गया हूँ|" रुद्र बोला|
तभी गाडी की आवाज आयी|
रेवती की तो आँखे चमक उठी|
वो आवाज सुनते ही रुद्र और रेवती दोनो नीचे देखने लगे|
" इतनी रात को कौन आया है? ये तो विजय की गाडी लग रही है!" रेवती रुद्र को भडकाने के लिए अब तैयार थी|
गाडी रुकी और विजय गाडी से बाहर निकला|
" ये विजय इतनी रात को कहा गया था? " रेवती बोल रही थी|
रुद्र भी देख रहा था| यही सब दिखाने के लिए ही तो रेवती रुद्र को बाहर लायी थी|
विजय ने गाडी की दूसरी तरफ का दरवाजा खोला|
विजय ने अपना हाथ आगे बढाया| गौरी ने उसका हाथ पकडा और बाहर आयी|
गौरी अब भी थोडी वीक लग रही थी|
गौरी को देखते ही रुद्र की आँखे बडी हो गई|
"ये गौरी और विजय इतनी रात को कहा गए थे? " रेवती ने जान बूझकर 'इतनी रात' शब्द पर ज्यादा दबाव डाला|
विजय का हाथ पकडकर गौरी आगे बढ़ी|
गौरी का हाथ विजय के हाथ मे देखकर रुद्र को गुस्सा आने लगा|
वो आगे बढ़ ही रहे थे कि गौरी नीचे गिरने वाली थी पर विजय ने उसे संभाला|
ये देखते ही रुद्र ने गैलरी की ग्रिल्स कसकर पकड ली| उसे बहुत गुस्सा आया|
"हे भगवान! ये सब इस घर मे क्या हो रहा है?" रेवती बोली|
रेवती ने भी पहचान लिया की रुद्र को गुस्सा आ रहा है| उसे बस अब आग मे घी डालना था|
इधर शायद गौरी की हालत अब भी ठीक नही थी|
वो ठीक से चल भी नही पा रही थी इसलिए विजय ने उसे अपनी गोद मे उठा लिया|
बिमार गौरी ने भी थककर विजय के सीने से सिर लगाकर अपनी आँखें मूंद ली!
"मुझे तो लगता है रुद्र की जरूर इन दोनो के बीच कुछ है| मुझे तो कब से गौरी पर शक था पर किसी को मेरी बातो पर भरोसा नही होता इसिलए मैने किसी से कुछ नही कहा था|
पर अब तुम खुद अपनी आँखो से देख लो! हम सब के भरोसे का क्या सिला दे रही है गौरी सब को! हम सब का तो छोडो लेकिन... लेकिन भैया -भाभी! वो तो कितना भरोसा करते हैं इसपे! गुरूर मानते हैं इसे अपना पर ये! इसने तो उनका गुरूर चकनाचूर कर दिया!" रेवती रुद्र को और गुस्सा दिला रही थी|
रुद्र की आँखों मे गुस्सा साफ नजर आ रहा था|
विजय गौरी को लेकर घर के अंदर आया|
रुद्र भी गुस्से मे वहा से अंदर आया|
रेवती अपने षडयंत्र मे सफल होने जा रही थी| वो भी रुद्र के पीछे पीछे लंगडाने का नाटक करते हुए आयी|
विजय गौरी को सीधे उसके कमरे मे ले गया|
गौरी तो सो गई थी|
विजय गौरी को बेड पर सुलाने लगा| तब उसका पैर फिसला और वो गौरी पर गिर पडा और यही वो गलत वक्त था जब रुद्र ने अंदर झाँक कर देखा|
ये देखकर रुद्र के पैरो तले जमीन खिसक गई| उसकी आँखों से आँसू बहने लगे पर साथ ही साथ उसकी आँखें आग उगल रही थी|
वो वहा से सीधे अपने कमरे मे चला गया|
रेवती तो ये सब देखकर बहुत ज्यादा खुश हो गई| वो अपने मनसूबे मे कामयाब जो हो गई थी!
रेवती अब चैन की नींद सोने वाली थी|
विजय ने गौरी को सुलाया और रात भर उसी के पास बैठा रहा| कुछ देर बाद पूजा भी वहा आ गई|
इधर रुद्र ने अपने कमरे मे आकर सब तहसनहस कर दिया| वो बहुत गुस्सेमें था| उसने गुस्से में आइने पर जोर से पंच कर दिया| आइने के टुकडे टुकडे हो गए| उसके हाथ से भी खून बहने लगा|
वो थक कर नीचे जमीन पर बैठ गया|
उसका गौरी को प्रपोज करना, उसके करीब जाना, उसे किस करना, पर गौरी का उससे प्यार का इजहार करने की बात को हमेशा टालना ये सारी बाते रुद्र की आँखों की सामने घुमने लगी|
अब तो वो गौरी और विजय की नजदिकीयो पर भी गौर करने लगा| रेवती ने उसके दिमाग मे पूरी तरह से गंद भर दी थी|
"अब मै समझा गौरी की तुमने मुझसे कभी ये क्यो नही कहा की तुम भी मुझसे प्यार करती हो!
तुम मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकती हो गौरी? मेरे जज़्बातो के साथ खेला?
तुम्हे मै कभी माफ नही करूंगा गौरी! कभी नही!" वो रोते हुए कह रहा थी| वो रोते हुए जमीन पर लेट गया|
सुबह जब रुद्र जागा तब उसने खुदको जमीन पर लेटा पाया| शायद कल रात को रोते रोते वो जमीन पर ही सो गया था|
रुद्र ने उठते ही सोचा की वो गौरी से अपने हर सवाल का जवाब मांगेगा| वो उठा और अपने कमरे से बाहर आया| वो गौरी के कमरे की तरफ बढ ही रहा था कि उसे विजय गौरी के कमरे से चूपचाप बाहर जाते हुए दिखा|
ये देखकर उसके पैर उसी जगह जम गए|
पूजा को पहले ही उठकर जा चुकी थी पर रुद्र की नजर मे सिर्फ विजय पडा और उसके मन मे एक और गलतफ़हमी ने जगह बना ली की विजय रात भर गौरी के कमरे मे उसके साथ था|
ये सब देखके रुद्र को गौरी से किसी जवाब की उम्मीद नही थी| वो गुस्सेमें सीधे सीधे अपने कमरे मे चला गया|
गौरी की भी नींद खुली| अब वो कुछ ठीक महसूस कर रही थी पर वो कुछ उदास सी लग रही थी| वो उठी और ऑफिस के लिए तैयार होने लगी|
जब गौरी तैयार होकर नीचे हॉल मे आयी तब हर किसी के चेहरे पर अलग भाव थे|
विवेक जी और शालिनी जी तो आज बहुत ही खुश थे|
रेवती गुस्से मे लग रही थी| मानो उसके सारे अरमानो पर पानी फिर गया हो| रिया तो रुआँसी होकर खडी थी|
पूजा को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था पर विजय गौरी की तरफ चिंता से देख रहा था और इस सब से परे रुद्र के चेहरे पर एक अजीब सी हसी थी जो गौरी ने पहले कभी नहीं देखी थी|
" अरे गौरी बेटा! आइये! वुई ऑल हैव ए वेरी गुड न्यूज फॉर यू! कम फास्ट!" विवेक जी बोले|
वो खुद गए गौरी के पास और उसे अपने साथ लेकर आये और रुद्र के पास खडा हर दिया|
रुद्र गौरी से नजरे मिला रहा था पर गौरी आज उससे नजरे चुरा रही थी|
" तो रुद्र-गौरी! हमने तय किया है कि जल्द ही से जल्द आप दोनो की सगाई कर दी जाये!" विवेक जी बोले|
ये सुनते ही गौरी ने बहुत ज्यादा चौंककर विवेक जी की तरफ देखा|
"जी हाँ! रुद्र ने ही कहा है हमसे की हम जल्द से जल्द सगाई की तारीख पक्की कर दे और हमने तय किया है कि आने वाले सोमवार को सगाई हो!" ये सुनते ही गौरी ने रुद्र की तरफ देखा|
रुद्र उसकी तरफ देखकर हस रहा था|
गौरी ने अपनी गर्दन नीचे झूका ली|
"आपको कोई ऐतराज तो नही ना बेटा? " शालिनी जी ने गौरी से पूछा|
गौरी को तो समझ ही नही आ रहा था कि वो करे तो क्या करे!
फिर उसने अपनी आँखे बंद करी और लंबी साँस भरी%
" नही!" वो बोली| ये सुनते ही सब खुश हो गए पर रुद्र चौंक गया था|
विजय और पूजा भी चौंक गए|
रिया का तो दिल ही टूट गया और रेवती वो तो गुस्से से आगबबूला हो रही थी|
"नही! मै ये सगाई नही करना चाहती!" गौरी ने अपनी अधूरी बात पूरी की|
ये सुनते ही विवेक जी और शालिनी जी के पैरो तले जमीन खिसक गई|
पर रेवती की आँखों मे चमक आ गई|
रुद्र के चेहरे के हावभाव ऐसे थे मानो वो पहले से जानता था गौरी का जवाब!
विवेक जी और शालिनी जी गौरी के पास आये|
"गौरी! ये आप क्या कह रहे हो बेटा? क्या बात है? कोई प्रॉब्लम है? अगर ऐसा है तो आप मुझे बताइये!" शालीनी जी ने गौरी के कंधे पर हाथ रखकर पूछा|
"रुद्र ने कुछ किया है? क्या रुद्र ने कुछ कहा आपसे? आप मुझे बताइये! मै रुद्र को डाँट लगाउंगा!" विवेक जी बोले|
"ऐसा कुछ भी नही है! कोई प्रॉब्लम नही है! ये मेरा फैसला है| मै रुद्र से शादी नही करना चाहती|" गौरी नजरे चुराते हुए बोली|
"गौरी! गौरी बेटा! हम लोग शांति से बैठकर बात करते है आइये!" शालिनी जी बोली|
" इसका कोई फायदा नही है! मैने फैसला कर लिया है जिसे मै नही बदलने वाली!" गौरी बोली|
" गौरी बेटा......" शालिनी जी कह ही रही थी की रुद्र ने उन्हें रोका और कहने लगा, " बस माँ! बस पापा! इसको समझाने का कोई फायदा नही| ये अपना फैसला कर चुकी है| क्यो गौरी?" रुद्र ने गौरी की तरफ अपना रुख मोडकर पूछा|
" हाँ! मै फैसला कर चुकी हू!" गौरी ने फिरसे नजरे चुराते हुए कहा|
ये सुनते ही रुद्र का गुस्सा आपे से बाहर हो गया और उसने गौरी की बाहे कसकर पकड ली|
"क्यो? क्यों फैसला कर लिया है तुमने हा गौरी?क्यों? इनकी तरफ देखो! देखो इनकी तरफ! ये तुम्हे मन ही मन अपनी बहू मान चुके हैं| इनके साथ ऐसा कैसे कर सकती हो तुम गौरी?
बताओ गौरी! बताओ! तुम ऐसा क्यो कर रही हो बताओ? प्यार करता हूँ मै तुमसे! तुम्हें इतनी सी बात समझ नही आती? प्यार करता हू मै तुमसे!" रुद्र चिल्ला चिल्लाकर कह रहा था|
गौरी ने रुद्र का हाथ झटक दिया और वो भी जोर से चिल्लायी, "पर मै आपसे प्यार नही करती! समझे आप? या फिरसे कहू? नही करती मै आपसे प्यार! नही करती! नही करती!" इतना कहकर गौरी बहुत रोने लगी|
पर ये सब सुनकर रुद्र मन ही मन टूट गया| उसे लगा था कि शायद गौरी सब भूलकर आगे बढ़े पर गौरी ने उसे खुदसे दूर कर दिया इसलिए रुद्र के दिल का हाल और भी बुरा था|
उसकी भी आँखों से आँसू बहने लगे|
" कुछ भी चेंज नही होगा पापा! ना ही मेरी सगाई और ना ही सगाई की तारीख! सब वैसे का वैसा ही रहेगा| मेरी सगाई मनडे को होनी थी वो मनडे को ही होगी पर गौरी के साथ नही! रिया के साथ!" रुद्र रिया के पास जाकर बोला|
ये सुनकर सभी चौंक गए|
रुद्र रिया के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला| रिया रुद्र के चेहरे की तरफ देखती रही|
एक ओर उसे अपना दूर जाता बचपन की प्यार वापिस लौटता नजर आ रहा था तो दूसरी ओर वो समझ सकती थी कि रुद्र ये सब क्यो कर रहा है पर वो चूप रही|
"रुद्र! रुद्र आर यू मैड? आर यू आउट ऑफ युअर माइंड? ये सब तुम्हें खेल लगता है? शादी तुम्हे खेल लगती है?" विवेक जी रुद्र के पास जाते हुए बोले|
"इट्स ओके पापा! अगर लोगो के लिए प्यार जैसी प्युअर चीज खेल हो सकती है तो मै तो फिर भी शादी कर रहा हूँट वो भी मेरे बचपन की दोस्त से जो शायद मुझे किसी और से ज्यादा समझ सकती है! क्यो रिया? " रुद्र रिया की तरफ देखकर बोला|
रेवती तो ये सब देखकर बहुत खुश थी|
"रुद्र बेटा आप इस वक्त गुस्सेमें हो! हम शांति से इस बारे मे सोचेंगे!" शालिनी जी बोली|
" नो माँ! इट्स माय फाइनल डिसीजन और अगर आप लोग इससे सहमत ना हो तो आप लोग मुझे वो भी बता दिजीये| अगर वैसा होगा तो मै और रिया कोर्ट मैरेज भी कर सकते हैं!" रुद्र की ये बात सुनते ही विवेक जी और शालिनी जी चूप हो गए|
"तो फिर ठीक है| तय रहा कि मनडे को मेरी और रिया की सगाई है| चलिये! अब मै लेट हो रहा हूँ! मै चलता हू और हा आय वॉन्ट एव्हरीवन ऑन राइट टाइम!" रुद्र गौरी की तरफ गुस्से मे देखकर बोला|
" रिया जाओ! सगाई की तैयारीयॉ करो!" इतना कहकर वो सीधे ऑफिस के लिए निकल गया|
गौरी ये सब दिलपर पत्थर रखकर सुनती रही| इससे पहले कि विवेक जी और शालिनी जी उसके पास आकर उससे कुछ पूछे वो अपने कमरे मे चली गई|
ये देखकर शालिनी जी ने विजय का हाथ पकडा और उसे अपने साथ कमरे मे ले गई| विवेक जी और पूजा भी उनके पीछे पीछे गए| शालिनी जी ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया|
शालिनी जी ने सीधे सीधे विजय से कल रात के बारे मे पूछा पर विजय ने कहा की वो कुछ भी नही जानता| पूजा ने भी वही जवाब दिया|
उन्होने बताया कि वो गौरी को अकेले छोडकर चले गए थे और बाद मे क्या हुआ उन्हे कुछ नही पता|
विवेक जी और शालिनी जी को अब ये नयी चिंता सता रही थी|
इधर गौरी अपने कमरे मे आयी और उसने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया| दरवाजा बंद करके वो नीचे बैठकर बहुत ज्यादा रोने लगी| वो बहुत फूटफूटकर रो रही थी|
थोडी देर बाद विवेक जी और शालिनी जी उसके कमरे के बाहर आये| वो दरवाजा खटखटाने लगे| उनकी आवाज सुनकर गौरी ने अपने आँसू पोछे और दरवाजा इस तरह खोला जैसे कुछ हुआ ही ना हो|
"हा पापा! चलिये! हम लेट हो रहे हैं!" ये कहकर गौरी जाने लगी पर विवेक जी ने उसका हाथ पकड लिया|
"सच सच बताओ गौरी! क्या बात है? क्या हुआ है तुम दोनो के बीच? कोई प्रॉब्लम है तो हमे बताओ बेटा पर ऐसे... ये सब..... " विवेक जी बोले|
"पापा! बाहर जो कुछ भी हुआ वो सब सही है| मुझे पता चल गया है कि मै रुद्र से प्यार नही करती और पिछले दिनों मैने आपसे जो कुछ भी कहा वो शायद मेरा अट्रैक्शन था|" गौरी बोल ही रही थी कि शालिनी जी ने उसे अपनी तरफ किया और उसकी बाहे पकडकर कहने लगी, "एक बात हमेशा याद रखना गौरी! ये सब जो कुछ भी तुम कर रही हो ना! उससे तुमने हम दोनो के दिल को बहुत ठेस पहुंचायी है!"
विवेक जी और शालिनी जी चले गए|
गौरी को बहुत रोना आ रहा था पर वो जैसे तैसे कंट्रोल कर रही थी| आज उसने सबको खो दिया था|