रुद्र और गौरी अामने सामने थे|
दोनो के आँखो से लगातार आँसू छलक रहे थे|
गौरी तो रुद्र को देखकर सुन्न रह गयी थी|
काफी देर तक दोनो बस एक-दूसरे की आँखो मे देख रहे थे|
रुद्र बिना कुछ कहे बस गौरी के पैरो मे गिर गया|
वो घुटनो के बल हाथ जोडकर बैठ गया|
" गौरी! मुझे माफ कर दो गौरी! मुझे माफ कर दो! मैने तुम्हें बहुत गलत समझा! तुम्हारे जाने से बाद विजय भैया और माँ पापा ने मुझे सब बता दिया गौरी! मेरे आँखो पर गलतफहमी का परदा पडा हुआ था|
पता नही कैसे मैने तुमपर शक किया? तुम नहीं जानती गौरी तुम्हारे जाने के बाद क्या क्या हुआ है! माँ पापा कैसे जी रहे हैं, मै कैसे जी रहा हू! तुम जान हो मेरी!
अपनी जान से दूर जाकर मैने समझा कि उसके बिना तो मै कुछ भी नही हू!
मै जानता हूँ गौरी की मैने बहुत बडी गलती की है! मैने तुम्हारा बहुत दिल दुखाया है| मै माफी के लायक भी नही हू पर फिर भी मुझे माफ कर दो गौरी| मुझे माफ कर दो! " रुद्र रोते हुए कह रहा था|
वो चिल्ला चिल्लाकर रोने लगा|
गौरी तो बस सुन्न होकर ये सब देख और सुन रही थी| बस उसके आँसू थे कि रुकने का नाम नही ले रहे थे| रुद्र के आँसू देखकर गौरी को लग रहा था मानो उसके सीने पर कोई चाकू से वार कर रहा है|
गौरी ने रुद्र की बाहे पकडकर उसे उठाया|
"रुद्र!" गौरी ने रुद्र के आँसू पोछे|
रुद्र बस गौरी को देखने लगा|
"रुद्र! रोइये मत| आप रोना बंद किजीए!
मेरी बात सुनिये! आप रोना बंद किजीए रुद्र!
आप माफी मत मांगिए! मै आपसे गुस्सा नही हू रुद्र!
आप गलत समझ रहे हैं!
आपने मुझे तब भी गलत समझा था और आज भी गलत समझ रहे हो|
मै आपसे गुस्सा नही हू|
आप ही हो जिसकी मै इस दुनिया मे सबसे ज़्यादा इज्जत करती हू| तो फिर मै आपसे गुस्सा कैसे हो सकती हू!
गलती मेरी भी है ना रुद्र! मैने आपसे सच छुपाया और उस वक्त हालात भी कुछ ऐसे थे कि........" वो कहते कहते रुक गई|
रुद्र तो बस उसे देखता ही रह गया|
वो सोचने लगा कि उसने गौरी के साथ इतना बूरा बर्ताव किया फिर भी गौरी उससे नाराज नही थी| उसका दिल बहुत बडा था|
"आप रोना बंद किजीए! चूप! " गौरी की खूद की आँखे थी कि रुकने का नाम नही ले रही थी पर रुद्र के आँसू पोछ रही थी|
रुद्र ने रोना बंद किया और गौरी के आँसू पोछने लगा|
पर जैसे ही रुद्र ने उसे हाथ लगाया गौरी रुद्र से दूर हो गई|
"क्या हुआ गौरी?
समझ गया! मै समझ सकता हूँ गौरी कि तुम्हारा ऐसा बर्ताव लाज़मी है! मैने गलती ही इतनी बडी कि है!
पर मै अब वो गलती सुधारने आया हू गौरी! मै तुम्हे अपने साथ ले जाने आया हू|
मेरे साथ चलो गौरी| घर पर सब तुम्हारी राह देख रहे हैं| वो घर तुम्हारे बिना अधूरा है गौरी! मेरे साथ चलो!"
रुद्र ने गौरी कि तरफ अपना हाथ बढाया|
गौरी को तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वो करे तो क्या करे| उसकी आँखों से अपने आप आँसू बहने लगे|
उसने रुद्र के आगे अपने हाथ जोड लिये|
"मुझे माफ कर दिजीये रुद्र! मै आपके साथ नहीं आ सकती! मै आपसे नाराज नही हू इसका मतलब ये नही कि मै उस घर मे वापिस लौट आउँगी!
आपने सही कहा था रुद्र! मै एक मिडल क्लास लडकी हू जिसके आपके जितने बहुत बडे बडे सपने नही है!
मेरे सपने बहुत छोटे छोटे है रुद्र!
मै चाहती हू कि जिससे भी प्यार करू वो मुझपर खुद से भी ज्यादा भरोसा करे!
बात सिर्फ इतनी सी है रुद्र कि मैने आप की कही हर बात पर आँख मूंद कर भरोसा किया!
पर आप..... आप मुझपर तिनकाभर भी भरोसा नही कर पाये|
मै अपनी जिंदगी के बाकी बचे दिन इन बच्चो के साथ जीना चाहती हूँ जो मुझसे खुद से भी ज्यादा प्यार करते हैं| जो मुझपर आँखे मुँद कर भरोसा करते हैं|
अफसोस...... जो आप शायद कभी कर नही पाये|
ममा-पापा, भैया-भाभी, रिया और रेवती आँटी सबसे कहीयेगा कि मै उनको बहुत मिस करती हू!
सबका खयाल रखियेगा और अपना भी! " गौरी ने हाथ जोडकर कहा|
उसकी बाते सुनकर रुद्र को बहुत बूरा लगा| दोनों की आँखो मे आँसू थे|
"मै चलती हूँ!" गौरी वहा से जाने लगी|
पर रुद्र ने उसका हाथ पकड लिया और उसे कसकर गले लगा लिया|
"नही गौरी! नही! ऐसा मत करो प्लीज गौरी!
मै जानता हूँ कि मैने बहुत बडी गलती की है पर अपने आप से दूर करके मुझे उसकी इतनी बडी सजा मत दो गौरी! तुम नही जानती गौरी की इन छह महीनो मे मैने तुम्हारे बिना एक एक पल कैसे बिताया है! इन छह महीनो मे बस तुमसे मिलने की आस ही मुझे जिंदा रखे है गौरी! मुझये वो आस मत छीनो गौरी! मत छीनो!
आय लव यू सो मच गौरी! आय लव यू सो मच! मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ! बहुत प्यार!
मुझे फिरसे छोडकर मत जाओ गौरी! मै तुम्हे फिर से नही खोना चाहता गौरी! " रुद्र गौरी को गले लगाकर रोने लगा|
गौरी को भी बहुत रोना आया पर उसने जैसे तैसे खुदको संभाला और रुद्र को खुदसे दूर किया|
"आप मुझे खो चुके हो रुद्र!
मुझे माफ कर दिजीये!
मुझे माफ कर दिजीये मै आपके साथ नही चल सकती! "
गौरी ने हाथ जोडकर कहा और वो वहा से रोते रोते भाग गयी|
रुद्र उसे रोक तक नहीं पाया|
वो वहा बैठकर खूब रोया|
ये सब वहा खडी मार्ग्रेट देख चुकी थी| उनकी भी आँखे नम हो चुकी थी|
गौरी रोते रोते अनाथाश्रम पहुंची|
वो मेन गेट से अंदर आयी ही थी कि उसके कानो पर एक आवाज पडी|
गौरी उस आवाज की तरफ दौडी|
"तुम भी तनहा थे
हम भी तनहा थे
मिलके रोने लगे
एक जैसे थे दोनों के गम
दवा होने लगे......"
अर्जुन अनाथाश्रम के म्यूजिक हॉल मे बैठकर पियानो बजाते हुए गाना गा रहा था|
उसके आसपास सारे बच्चे और कुछ टीचर्स थे|
गौरी के पीछे पीछे मार्ग्रेट भी वहा पहुंची|
" ओ........
तुम भी तनहा थे
हम भी तनहा थे
मिलके रोने लगे
एक जैसे थे दोनों के गम
दवा होने लगे
तुझमे मुस्कुराते हैं
तुझमे गुनगुनाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं
तेरे ही ख्यालों में
डूबे डूबे जाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं....... "
गौरी अर्जुन की ओर देख रही थी| उसकी आँखों से अब भी आँसू बह रहे थे|
तभी अचानक अर्जुन की नजर गौरी पर पडी| वो उसकी तरफ देखकर मुस्कुराया पर गौरी ने कोई रिस्पॉन्स नही दिया| पर गौरी को रोता देख अर्जुन जो समझाना था समझ गया|
इससे पहले की वो गौरी के पास जाये गौरी वहा से सीधे उसके कमरे मे चली गई|
अर्जुन भी उसके पीछे पीछे गया|
गौरी अपने कमरे मे बैठकर रो रही थी|
"गौरी! हे गौरी! तुम रो रही हो?
गौरी! क्या हुआ? तुम रो क्यो रही हो? किसी ने तुमसे कुछ कहा? मुझे बताओ!
गौरी क्या किसी ने कुछ कहा तुमसे? " अर्जुन गौरी को रोता देख उससे पूछने लगा|
पर गौरी ने मना कर दिया|
गौरी उससे लिपटकर बहुत रोने लगी| अर्जुन को गौरी के रोने का बहुत बूरा लग रहा था पर साथ ही खुशी भी थी कि वो उसपर अब भरोसा करती है|
"अर्जुन! मै अपने आप से ही भागते भागते तंग आ गयी हूँ! अब मैने फैसला कर लिया है कि मै नही भागूंगी! मै हर मुश्किल का डटकर सामना करूंगी!" गौरी बोली|
"मै जानता हूँ गौरी तुम बहुत बहादूर हो! "
उसने गौरी को समझाया और उसे चूप कराया|
"अब रोना बंद करो और जल्दी से तैयार हो जाओ| मै आज तुम्हें किसी से मिलवाने ले जा रहा हूँ और मार्ग्रेट की चिंता बिलकुल मत करो| मैने परमिशन ले ली है उनसे!
तुम बस तैयार हो जाओ!
प्लीज मना मत करना| मै कल कुछ दिनो के लिए लंडन जा रहा हु ऑफिस के काम से! फिर कुछ दिन नही आऊंगा तुम्हे परेशान करने! मै तुम्हारा नीचे कार मे वेट कर रहा हूँ!" इससे पहले कि गौरी कोई सवाल करती इतना कहकर वो चला गया|
रुद्र अपने अपने कमरे मे बैठकर गौरी की कही हर बात याद कर रहा था| उसकी एक एक बात रुद्र को रुला रही थी|
उसने घर विजय को फोन करके सब बता दिया था| इसलिए विजय पूजा और शालिनी जी गौरी को लाने के लिए उसी वक्त खुद पंचगणी के लिए निकल रहे थे|
विवेक जी को सफर करने के लिए मना किया गया था पर वो नही माने| वो भी उनके साथ जाने की जिद करने लगे|
गौरी के मिलने से सब खुश थेे| पर रेवती बहुत गुस्सेमें थी| वो गौरी को लेने नही जाना चाहती थी इसलिए उसने तबियत खराब होने का नाटक किया| इस वजह से रिया और रेवती दोनो को घर पर ही रहने के लिए कहा गया और बाकि सब लोग गौरी को लेने निकले|
कुछ देर बाद गौरी तैयार होकर नीचे आयी|
गौरी ने वही सफेद सूट पहना था पर उस सादगी में भी वो काफी खूबसूरत लग रही थी| अर्जुन तो बस उसे देखता ही रह गया|
वो गौरी को लेकर सीधा अपने घर गया|
उसका घर बहुत ही प्यारा था|
बहुत बडा मेन गेट! जैसे ही गाडी अंदर एंटर हुई बहुत बडा बागीचा! सुंदर रंगबिरंगे फूलो के पौधे! उसका घर वाकई किसी सपनो के महल जैसा था!
उसने गाडी दरवाजे के सामने पार्क की और गौरी को अंदर लेकर गया|
" माँ! माँ!
माँ कहा हो आप? देखिये कौन आया है!" अर्जुन चिल्ला चिल्लाकर उनको बुलाने लगा|
"क्या हुआ अर्जुन? क्या बात है?" उसकी माँ सीढीयो से नीचे आ रही थी|
गौरी को जैसे ही उन्होने देखा वो देखती ही रह गयी|
"माँ! मैने आपसे कहा था ना! ये है गौरी!" अर्जुन उनके पास गया और उनका हाथ पकडकर उनको गौरी के पास ले आया|
"नमस्ते आंटी! " गौरी ने उनके पैर छुए|
ये देखकर अर्जुन की माँ अवंतिका सहगल बहुत खुश हुई|
अर्जुन को भी बहुत अच्छा लगा|
"अरे बेटा बस्स बस्स! हमारे यहा बेटीया पाँव नही छुती गले लगती है!" इतना कहकर उन्होने गौरी को गले लगा लिया|
उनके गले मिलते ही गौरी को सीमा जी और शालिनी जी की याद आ गई| उससे उसकी आँखों मे पानी आ गया|
" क्या हुआ बेटे? आप रो रही हो? "
"कुछ नहीं आंटी! वो ममा कि याद आ गई!
बस्स इसीलिए..... " गौरी ने आँसू पोछते हुए कहा|
"क्यो बेटा? क्या हुआ? आपकी ममा कहा है? " अवंतिका जी के सवाल का जवाब गौरी के पास नही था|
"मेरा कोई नही है आंटी! " गौरी बोली|
" कोई बात नही बेटे! मै हू ना! मै भी तो आपकी ममा ही हू ना!" इतना कहकर उन्होने गौरी को गले लगा लिया|
गौरी को अपनी माँ से इतना घुलता मिलता देख अर्जुन बहुत खुश था|
तभी वहा पर अर्जुन के ऑफिस से कोई आया| वो कुछ फाइल्स पर उसके दस्तखत चाहता था|
"कोई बात नही अर्जुन! तुम अपना काम कर लो तब तक मै गौरी को हमारा घर दिखा देती हूँ!" अवंतिका जी बोली|
अर्जुन अपना काम खतम करने लगा और अवंतिका गौरी को अपना घर दिखाने ले गई|
"अर्जुन ने जैसा बताया था तुम बिल्कुल वैसी ही हो! सुंदर, सुशील, संस्कारी!
रोज तुम्हारे बारे मे ही बाते करता रहता है!
तुम जानती हो गौरी जब अर्जुन 4 साल का था तभी उसके पापा का एक कार एक्सीडेंट मे देहांत हो गया| बिजनेस की सारी जिम्मेदारी मुझपर आ गई|
अर्जुन और बिजनेस दोनो को मैने बखूबी संभाला| एक अलग मुकाम दिया| इतना बडा एम्पायर खडा किया|
मेरा अर्जुन जैसे ही समझदार हुआ उसने सारी बागडोर अपने हाथ मे ले ली फिर वो घर हो या ऑफिस!
उसने हमारे बिजनेस को नयी बुलंदिया दी|
वो बचपन से ही बहुत होशियार रहा है|
पढाई मे, खेलकुद मे हमेशा अव्वल!
घंटो अपने कमरे मे बैठकर कविता लिखना, गीत गाना, नये लोगो से मिलना, नयी चीजे सीखना उसे हमेशा से पसंद है| पर फिर भी बहुत डर लगता है उसके लिए!" उनकी आवाज बोलते बोलते भारी हो गई|
"डर? किस बात का डर आंटी? " गौरी ने पूछा|
" अर्जुन बहुत ही चंचल है| उसका मन कभी एक जगह नही टिकता| ना किसी चीज पर ना किसी शख्स पर!
मै तो बस चाहती हू कि उसे एक ऐसा हमसफर मिले जो उसको समझे और उसको संभाले बिल्कुल उसी तरह जिस तरह मै संभालती आयी हूँ!" वो बोली|
"ऐसा जरूर होगा आंटी! आप बिलकुल चिंता मत करीए! पर हा...एक बात कहना चाहती हू!
आप एक माँ है और कोई लडकी कितनी भी कोशिश कर ले पर माँ जैसी नही बन सकती!" गौरी बोली और गौरी की यही बात अवंतिका के मन को छू गई|
गौरी ने अपना पूरा वक्त अवंतिका और अर्जुन के साथ ही बिताया|
इस दौरान अवंतिका को गौरी बहुत भा गई| अर्जुन अवंतिका को गौरी के बारे मे पहले ही बता चुका था की वो गौरी से प्यार करता है| अब तो अवंतिका को भी गौरी से मिलकर अर्जुन की पसंद पर कोई शक नही था|
अर्जुन गौरी को अपनी गाडी मे अनाथाश्रम छोडने आया|
"गौरी! मै कल सुबह लंडन जा रहा हू! मै तुम्हे बहुत मिस करूंगा!" अर्जुन ने गौरी को गले लगा लिया|
गौरी को ये शायद पसंद नही आया पर वो कुछ ना बोली|
"मेरा मन नही कर रहा गौरी जाने का!
ऐसा लग रहा है मानो अगर मै चला गया तो हम फिर कभी नही मिल पायेंगे!" अर्जुन रुआँसा होकर बोला|
"ऐसी कोई बात नही है अर्जुन! आप जल्दी जाइये और जल्दी से लौट आइये! मै आपका इंतजार करूंगी!" गौरी ने हसकर कहा|
ये सुनकर अर्जुन के चेहरे पर भी हसी छा गई|
गौरी उसे बाय कहकर वहा से चली गई|
अर्जुन बस उसे जाते हुए देखता रहा|
अर्जुन ने घर जाकर अवंतिका से गौरी के बारे मे बात की|
वो भी गौरी से खुश थी|
"माँ! मै आजतक कई लडकियोंसे मिला पर किसी से भी मिलकर ऐसा महसूस नही हुआ था जैसा गौरी से मिलकर हमेशा होता है!
वो अलग है माँ!
उसमे कुछ तो ऐसा है जो मुझे उसके और भी करीब ले जाता है| मन करता है कि सारी जिंदगी उसी के साथ बिताउ बिना किसी शिकायत के!
वो जो कहेगी ना वो बात मै छोटे बच्चे की तरह मान लूंगा! बस मै चाहता हू की वो हमेशा मेरे साथ रहे| मेरे पास! मेरी नजरो के सामने!
आय लव्ह हर माँ!
आय लव्ह हर सो मच! " अर्जुन उनसे कह रहा था|
"सच कहू बेटा? मुझे पहले शक था कि पता नही गौरी कैसी है! तुम्हारे लिए सही है भी या नही!
पर आज उससे मिलकर लगा मानो उससे बेहतर तुम्हारे लिए कोई और हो ही नही सकता!
जितनी जल्दी हो सके उसे मेरे घर की बहू बनाकर ले आओ बस! " अवंतिका बोली|
ये सुनकर अर्जुन बहुत ही ज्यादा खुश हो गया|
"थैंक यू सो मच माँ! थैंक यू सो मच!
अब आपने परमिशन दे दी है ना तो मुझे किसी बात की चिंता नही| मै जैसे ही लंडन से वापिस आउँगा मै गौरी को प्रपोज करके उससे अपने दिल की बात कह दूंगा!" अर्जुन बोला|
वो बहुत खुश था|
अाने वाला समय ना जाने गौरी के जीवन मे और कौन सी नयी चुनौती लाने वाला था|
अगले दिन....
किसी ने गौरी के दरवाजे पर खटखटाया|
गौरी ने दरवाजा खोला| दरवाजा खोलते ही गौरी की आँखे बडी हो गई| दरवाजे पर रुद्र था|
"गुड मॉर्निंग! कैसी हो तुम?" रुद्र ने मुस्कुराते हुए पूछा|
"रुद्र! आप यहा? आप यहा क्यो आये हैं?
मैने कहा ना आपसे! मै आपके साथ नही आ सकती! आप.... आप प्लीज जाइये यहा से! " गौरी रुआँसी होकर बोली|
"सही सोचा तुमने गौरी! मै तुम्हें अपने साथ ले जाने आया हू पर मुंबई नही कही और!
चलो मेरे साथ!" रुद्र ने गौरी का हाथ पकडा और उसे अपने साथ ले गया|
वो गौरी को लेकर अनाथाश्रम के सामने वाली जगह पर पहुंचा|
वहा जो था वो देखकर गौरी के पैर जम गए और उसकी आँखो से आंसू छलक पडे|
"तुम मेरे साथ नही आना चाहती थी ना गौरी इसलिए सब लोग आ गए तुम्हे अपने साथ ले जाने!" रुद्र बोला|
सामने शालिनी जी, पूजा, विवेक जी, विजय अनाथाश्रम के बच्चो को तोहफे बाँट रहे थे|
वहा पर मार्ग्रेट और बाकि स्टाफ भी था|
सब लोग बहुत खुश लग रहे थे|
पर उन सब को देखकर गौरी के आँसू बहने लगे|
तभी बाकीसब की नजर गौरी पर पडी|
गौरी ने रुद्रका हाथ छोडा और दौडते हुए जाकर विवेक जी के गले से लग गयी| शालिनी जी भी उनके साथ खडी थी| गौरी उनके भी गले से लग गयी|
"कहा चली गई थी आप? हमसे ऐसी कौन सी गलती हो गई बेटे जो आप हमसे इतना नाराज हो गई और हमे छोडकर हमसे इतना दूर चली आयी? इतनी बडी सज़ा दे दी आपने हमे!" विवेक जी रोते हुए कह रहे थे|
सबकी आँखे नम हो गई|
गौरी की नजर विजय पर पडी|
"भैया!" गौरी को विजय ने अपने सीने से लगा लिया|
"गौरी! मेरी गुडिया!
मुझे माफ कर दो! मुझे माफ कर दो गौरी!
ये जो कुछ...... ये सब.... ये सब मेरी वजह से....!! " विजय कह ही रहा था की गौरी ने उसे चूप करा दिया|
"नही भैया! इसमे आपकी कोई गलती नही है| प्लीज आप अपने आप को ब्लेम मत किजीए!" गौरी बोली|
गौरी पूजा के भी गले लग गयी| पूजा भी गौरी को पाकर बहुत खुश थी|
तभी विवेक जी की साँस फूलने लगी|
रुद्र उनके पास दौडते हुए आया|
"विवेक जी आप ठीक तो है ना? " शालिनी जी बोली|
ये देखते ही गौरी विवेक जी के पास गई|
"क्या हुआ पापा? क्या हुआ आपको? आप ठीक तो है ना?" गौरी बोली|
"अब तक तो नही थ बेटा पर अब आप आ गई हो ना! मै बिल्कुल ठीक हू!" विवेक जी ने गौरी को गले से लगा लिया|
"विवेक अंकल की तबियत ठीक नही है गौरी! डॉक्टर ने इन्हे बेड रेस्ट करने के लिए कहा है पर तुम मिल गई हो ये सुनकर ये खुदको रोक ना पाये!
विवेक अंकल को हार्ट अटैक हुआ है गौरी!" विजय बोला|
ये सुनकर गौरी के पैरो तले जमीन खिसक गई|
उसकी आँखों से आँसू बहने लगेट
वो विवेक जी के सीने से लग गयी|
"मुझे माफ कर दिजीये पापा! मुझे माफ कर दिजीये! मैने आपको अकेला छोड दिया! मुझे माफ कर दिजीये! जब आपको मेरी सबसे ज्यादा जरूरत थी तब मै आपके साथ नहीं थी|" गौरी उनके गले लगकर रो रही थी|
"रो मत बेटा! रो मत! इस सब मे आपकी कोई गलती नही है!
अब मेरे साथ चलो गौरी!
मै... हम सब...तुम्हे लेने आये हैं!
हमारा घर आपके बिना सुना है बेटे!
वो घर बेसब्री से अपनी बेटी का इंतजार कर रहा है|" विवेक जी बोले|
ये सुनते ही गौरी उनसे अलग हो गई| सब लोग ये देखकर चौंक गए|
गौरी ने अपने हाथ जोड लिये और गर्दन नीचे झूका ली|
"मुझे माफ कर दिजीये पापा-ममा! आप सब मुझे माफ कर दिजीये! मै आपके साथ वापिस नही जा सकती!" गौरी बोली|
ये सुनकर सबको बहुत बूरा लगा|
"गौरी बेटा! ये आप क्या कह रही हो? जो कुछ भी हुआ उसके लिए हम आपसे हाथ जोडकर माफी मांगते है.!" शालिनी जी हाथ जोडकर आगे आयी|
"ये आप क्या कर रही है ममा! प्लीज मुझे शर्मिंदा मत करीए!
मै आप सब लोगो के आगे हाथ जोड़कर कहती हूट
प्लीज मुझे इस धर्मसंकट मे मत डालिये| मै वापिस नही जाना चाहती| मै इन बच्चो के साथ रहना चाहती हू|" गौरी हाथ जोडकर बोली|
"गौरी! अगर तुम मुंबई वापिस नही जाना चाहती तो ठीक है| तुम्हारे साथकोई जबरदस्ती नही करेगा पर मेरी बात तो सुनो गौरी! तुम मेरे साथ नीलमगढ चलो! " विजय बोला|
"भैया! आप जानते हो कि ये कभी नही हो सकता! मै अपनी जान दे दूंगी पर नीलमगढ मे कभी पैर भी नहीं रखूंगी!
प्लीज आप सब लोग मुझसे मिल लिये! अब आप लोग यहा से चले जाइये| आपको जब कभी मेरी याद आये आप मुझसे मिलने आ सकते हो पर मै वापिस नही आ सकती| मै आपसे हाथ जोडकर माफी मांगती हू पर आप लोग यहा से चले जाइये| मै वापिस नही आना चाहती| मुझे अकेला छोड दीजिए|" गौरी रोते रोते उनसे दूर हो गई|
सब लोग रोने लगे| सबसे ज्यादा विवेक जी और शालिनी जी!
अनाथाश्रम के सारे लोग भी बहुत भावूक हो गए थे|
तभी किसी ने गौरी का दुपट्टा खींचा| गौरी ने देखा तो वो एक 5 साल का छोटा बच्चा था|
वो गौरी के पास आया|
"गौरी दीदी! ये आपके ममा पापा है?" उस बच्चे ने बडे ही प्यार से पूछा|
गौरी उसके पास घुटनो के बल बैठ गई|
उसने अपने आँसू पोछे और गर्दन हिलाकर हा कहा|
"ये आपको मनाकर घर वापिस ले जाने आये है?" उसने पूछा|
गौरी ने फिरसे गर्दन हिलाकर हा कहा|
"आप इनके साथ चले जाओ दीदी! देखो ना आप इनके साथ जाना नही चाहती इसलिए आपके ममी पापा कितने दुखी है!
आप बहुत लकी हो दीदी! आपके ममी पापा आपको मनाकर वापिस लेने आये हैं| हम सब के ममा पापा तो हमको यहा पर छोड़कर चले गए और मनाने तक नही आये| हम कबसे वेट कर रहे हैं उनका! आप चले जाइये!
आय प्रॉमिस! हम सब अच्छे से पढाई करेंगे और आपको याद भी नही करेंगे!" उस बच्चे की आंखों मे कहते कहते पानी आ गया|
उस मासूम बच्चे की बात सुनकर सबकी आँखे भर आयी|
गौरी ने उसे कसकर गले लगा लिया और रोने लगी|
वो बच्चा भी रो रहा था|
गौरी उठी और भागकर विवेक जी और शालिनी जी के गले से लग गयी|
जो कोई नहीं कर पाया वो उस मासूम से बच्चे ने कर दिखाया| गौरी घर जाने के लिए मान गई|
सब लोग बहुत खुश थे| सबसे ज्यादा रुद्र!
जब गौरी वहा से घर जाने के लिए निकली तो सारा अनाथाश्रम उसके लिए रोया| जाते वक्त गौरी के दिमाग मे अर्जुन का खयाल भी आया पर वो अब कर भी क्या सकती थी| अर्जुन शहर मे नही था|
रुद्र भी वहा से ये तय करके निकला कि जिस तरह से वो गौरी को घर मे वापिस ले आया अपनी जिंदगी मे भी वापिस ले आयेगा|
गौरी के घर वापिस लौटने के फैसले से सब लोग बहुत खुश थे|
वो लोग गौरी को लेकर घर लौटे|
रेवती और रिया दरवाजे पर ही खडे थे|
रेवती गौरी को वापिस देख बहुत गुस्सेमें थी|
पर रिया बहुत खुश थी|
वो आरती का थाल लेकर खडी थी|
जैसे ही गौरी ने दहलीज़ पर कदम रखा उसे वो सब याद आ गया जब रुद्र ने उसे बेइज्जत करके घर से बाहर निकला था और उसकी आँखो मे आँसू आ गए|
रुद्र ये बात समझ गया|
शालिनी जी आगे आयी और गौरी की आरती उतारी, उसकी नजर उतारी|
गौरी ने आगे आकर रेवती के पैर छुए|
रेवती को गुस्सा बहुत आ रहा था पर वो दिखा नही पा रही थी| उसे फिर भी खुश होने का दिखावा करना पड रहा था|
गौरी ने काफी समय बाद सिंघानिया मँशन मे कदम रखा था|
गौरी को घर आये काफी दिन हो गए थे पर वो अब पहले की तरह नही रही थी| वो ज्यादा तर अकेले ही रहती थी अपने कमरे मे! उसने ऑफिस जाने से भी मना कर दिया था| घर के सब लोग इससे बहुत परेशान थे|
पर वो विवेक जी को अपना पूरा समय देती| वो उनका पूरा खयाल रखती| इस वजह से वो जल्दी जल्दी ठीक होने लगे थे|
विजय इस दौरान गौरी को नीलमगढ जाने के लिए मनाने की पूरी कोशिश कर रहा था पर गौरी वहा जाने के लिए तैयार नही थी|
गौरी का बर्ताव काफी बदल चुका था| वो ज्यादा किसी से बात नही करती और खुश रहना तो जैसे वो भूल ही गई थी| सब लोग इससे बहुत परेशान थे|
रुद्र गौरी से बात करने की कोशिश करता था पर वो उसे इग्नोर करती|
रुद्र आज सुबह ही गौरी के पास आया| वो आज सुबह सुबह गार्डन के पौधो को पानी दे रही थी|
गौरी गुलाब के पौधो के पास आयीट उसने पौधो को पानी दिया और वहा नीचे बैठ गई| वो फूलो को हल्के से हाथ लगा रही थी|
"तुम्हारे जाने के बाद ये मुरझा गए थे| पर अब देखो फिर से खिल उठे| शायद तुम्हारे ही इंतजार मे थे|" रुद्र बोला|
गौरी ने पीछे मुडकर देखा| जैसे ही उसने रुद्र को देख उसका चेहरा उतर गया| वो वहा से जाने लगी पर रुद्र ने उसका हाथ पकडकर उसे रोक लिया|
"रुको गौरी!
मै जानता हूँ गौरी कि मैने बहुत बडी गलती की है पर मुझे उसकी सजा मिल चुकी है| पिछले 6 महीने मैने तुम्हारे बिना किस कदर गुजारे है ये तुम नही जानती गौरी! तुमसे दूर होने से बडी सजा मेरे लिए और कोई नही है! अब जब मै अपनी गलती की सजा काट चुका हूँ तो तुम मुझसे दूर दूर क्यो भाग रही हो गौरी?
आय लव्ह यू गौरी! आय लव्ह यू सो मच और मै जानता हू कि तुम भी मुझसे प्यार करती हो!"
"अब इन सब बातो से कोई फायदा नही रुद्र और मै पहले भी बता चुकी हू कि मै आपसे कभी खफा थी ही नही तो माफी का सवाल ही नही उठता!" गौरी रुद्र की बात काटकर बोली|
अब रुद्र को गुस्सा आने लगा| उसने गौरी की बाहे पकडी|
.
"तो फिर प्रॉब्लम क्या है गौरी? तुम ये सब कर क्यो रही हो?
मै जानता हूँ कि तुम मुझसे प्यार करती हो! मुझसे दूर होकर तुम भी खुश नहीं थी! तो क्यो गौरी? क्यो?" रुद्र चिल्ला चिल्लाकर पूछ रहा था|
"क्योंकि मै मेरी बाकी बची जिंदगी गुजारने के लिए आपकी पूरी जिंदगी बरबाद नही करना चाहती!" गौरी ने रुद्र के हाथ झटकते हुए गुस्से में कहा|
उसकी बात सुनकर रुद्र सुन्न हो गया|
"मै नही बरबाद करना चाहती आपकी लाइफ! मै नही दे पाउँगी आपका साथ मरते दम तक! मै खुद नही जानती की मै और कितने दिन तक......" वो रोने लगी|
"ये तुम क्या कह रही हो गौरी? ऐसा कुछ भी नही है!
तुम्हारी बिमारी का इलाज हो सकता है गौरी!
मै और विजय भैया पहले ही डॉक्टर से तुम्हारी सर्जरी के बारे मे बात कर चुके है! तुम्हें कुछ नही होगा! मै तुम्हें कुछ होने ही नही दूंगा!" रुद्र गौरी का चेहरा अपनी हथेलीयों मे लेकर कह रहा था|
"ये सारी किताबी बाते है रुद्र और सच बताउ तो मै ये सर्जरी करवाना ही नही चाहती!" गौरी रुद्र के हाथ अपने चेहरे पर से हटाते हुए बोली|
"पर क्यो गौरी?" रुद्र ने पूछा|
"क्योंकि जिसपर चरित्रहीनता की तोहमत लग चुकी हो मै वो जिंदगी जीना ही नही चाहत वो भी उस इंसान से जिससे मै..........." गौरी की आँखो से आंसू छलक पडे|
वो वहा से चली गई|
रुद्र को उसके सारे सवालो के जवाब मिल गए थे|
ये सब पीछे खडा विजय देख चुका था| वो रुद्र की आँखों का दर्द देख पा रहा था|
वो गौरी के पीछे पीछे उसके कमरे मे गया|
गौरी अपने कमरे मे रो रही थी|
"अगर इतना ही प्यार करती हो उससे की उससे एक पल भी दूर नही रह सकती तो क्यो उसे खुदसे दूर कर रही हो?" विजय बोला|
अपने कमरे मे विजय को पाकर गौरी थोडा चौंक गई| उसने विजय से छिपाने के लिए अपने आँसू पोछे|
"भैया आप यहा?" गौरी उठकर उसके पास गई|
"मुझसे अपने आँसू छिपाने की कोशिश कर रही हो गौरी?" विजय की बात सुनकर गौरी जरा हडबडा गई|
"ये आप क्या कह रहे हैं भैया? ऐसी कोई बात नही है!" गौरी बोली|
"तुम भले ही मुझसे कितना भी छिपाने की कोशिश करो गौरी पर मै जानता हूँ की तुम रुद्र से कितना प्यार करती हो!" विजय बोला|
"भैया आप अगर यहा रुद्र को बारे मे बात करने आये हैं तो मै कोई बात नहीं करना चाहती!" गौरी ने मुँह फेर लिया|
"मेरी तरफ देखो गौरी! आज मै अपनी बात कहे बिना यहा से नही जाऊंगा!
क्यो कर रही हो तुम ये सब गौरी? रुद्र को उसकी गलती की सजा देने के लिए?" विजय थोडी आवाज बढाकर बोला|
"पर उस गलती की सजा वो पहले से ही भुगत चुका है गौरी! इन फँक्ट अब तक भुगत रहा है!
उसे सच मे पछतावा है गौरी!
तुम्हारे जाने के बाद उसकी हालत मैने अपनी आँखों से देखी है| वो सच मे तुमसे बहुत प्यार करता है गौरी और जरा एक बार सोचकर देखो की जो कुछ उसने किया वो क्यो किया!
'तुम्हें खोने के खयाल से!'
रुद्र तुमसे बहुत प्यार करता है गौरी! बहुत ज्यादा!
अगर तुम्हें कुछ हो गया ना तो वो भी जी नही पायेगा!
तुम ही कहती हो ना गौरी की तुम बहुत कुछ पहले ही खो चुकी हो पर अब अपनी जिंदगी की इतनी बडी खुशी अपने ही हाथों से मत गवाओ गौरी! बस मै तुम्हे इतना ही समझा सकता हूँ! आगे सब कुछ तुम्हारे हाथ मे है गौरी! मै हमेशा तुम्हारे साथ हू!" विजय ने गौरी के सिर पर हाथ रखा और वहा से चला गया|
पर विजय के शब्द गौरी पर बहुत ज्यादा असर कर गए|
इधर रुद्र गौरी की बातो से परेशान अपने कमरे मे बैठकर रो रहा था| तभी रिया वहा आ गई|
रिया ने रुद्र का दुख भाँप लिया|
जब रुद्र ने उसे आपबीती बताई तो वो भी उदास हो गई
पर दूसरे ही पल वो बोली, " रुद्र! तुम बिल्कुल चिंता मत करो! सब जानते है कि गौरी तुमसे कितना प्यार करती है! अगर ना करती तो तुम्हारी बातो का बूरा ना मानती! "
"रिया बिलकुल सही कह रही है रुद्र?" शालिनी जी बोली|
वो और विवेक जी रुद्र के पास जाकर खडे हो गए|
"बस अब हमे इतना करना है कि जिस तरह तुमने अपना प्यार उसके लिए कन्फेस किया था वैसे ही हमे गौरी से कन्फेस करवाना है!" विवेक जी बोले|
"पापा! पर ये सब होगा कैसे? आप तो जानते हो कि गौरी मुझसे बात तक नहीं करना चाहती तो कन्फेशन का तो सवाल ही नही उठता!" रुद्र बोला|
"हाँ! रुद्र सही कह रहा है! बस इस सब के लिए हमे एक फूल प्रूफ प्लैन चाहिये!" रिया बोली|
"ऐसा प्लैन मेरे पास है! " विजय कमरे के भीतर आया| पूजा भी उसके साथ थी|
उसको देखकर सब चौंक गए|
"आप सब लोग मुझे ऐसे क्यो देख रहे हो?
मै भी अपनी बहन को खुश देखना चाहता हूँ और मै समझ गया हूँ कि उसकी खुशी सिर्फ और सिर्फ रुद्र के साथ है!
वो तुमसे बहुत प्यार करती है रुद्र!" विजय रुद्र के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला|
"मै फिर एक बार गौरी को लेकर तुमपर भरोसा करने जा रहा हूँ रुद्र!
बस तुमसे हाथ जोडकर बिनती करता हूँ.# कि इस बार मेरा भरोसा मत तोडना!" विजय रुद्र के सामने हाथ जोडकर बोला|
रुद्र ने झट् से उसके हाथ पकड लिये|
"ये आप क्या कर रहे हैं भैया?
मैने पहले जो कुछ भी किया उसके लिए आप मुझे माफ कर दिजीये पर मै आपसे वादा करता हूँ कि मै इससे आगे ऐसा कुछ भी नही करूंगा जिससे आपका और गौरी का भरोसा टूटे!" रुद्र विजय के गले से लग गया|
सब लोग ये देखकर बहुत खुश थे| शालिनी जी ने पूजा और रिया को गले से लगा लिया|
विवेक जी ने भी रुद्र और विजय को गले लगा लिया|
"अरे! अरे! अब बस करो वरना मै बहुत ज्यादा इमोशनल हो जाऊँगी! विजय भैया!
आप हमे अपना प्लैन बताइये!" रिया सबको अलग करते हुए बोली|
विजय ने अपना प्लैन सबको बताया|
ये प्लैन सुनकर सब बहुत खुश लग रहे थे|
" वाह भैया! क्या प्लैन बनाया है!" रिया बोली|
"वो सब तो ठीक है पर क्या ये काम करेगा? गौरी मान जायेगी? " रुद्र मुह बनाते हुए बोलाट
"जरूर काम करेगा? पूजा को भी इसी तरक़ीब से मनाया था मैने! " विजय ने जोश जोश मे बोल दिया|
पूजा की आँखे बडी हो गई|
ये सुनते ही सब लोग उन दोनो की तरफ देखने लगे|
विजय ने अपनी जीभ दातो तले दबा ली|
पूजा को तो बहुत शर्म आ रही थी|
सब लोग एक-दूसरे की तरफ देखने लगे|
कुछ देर के लिए माहौल बहुत शांत हो गया और अचानक रिया, रुद्र, विवेक जी और शालिनी जी जोर जोर से हसने लगे|
पूजा ने तो शर्म के मारे अपना चेहरा ढक लिया|
विजय को भी बहुत शर्म आ रही थी| वो वहा से चूपचाप निकल गया|
उसके पीछे पीछे पूजा भी निकल गई|
उनके जाने के बाद भी सब लोग बहुत ज्यादा हस रहे थे|
पर रुद्र को तो इंतजार था अगली सुबह का! कही ना कही इस सब मे उसे गौरी को पाने की आशा नजर आ रही थी|
विजय वहा से बाहर आ गया| तभी उसे एक फोन आया| वो अननोन नंबर था|
उसने फोन रिसिव्ह किया और उसके चेहरे के भाव बदल गए|
इधर गौरी भी रात भर सोयी नही थी| वो विजय की बातो के बारे मे सोच रही थी|
अगले दिन.....
गौरी नहाकर जैसे ही बाथरूम से बाहर निकली|
उसने बेड पर एक बहुत ही सुंदर लाल रंग का ड्रेस पाया|
"वाव! इतनी सुंदर ड्रेस! पर ये यहा पर?" तभी उसकी नजर वहा पास ही मे रखे नोट पर पडी|
'एक सुंदर सा गिफ्ट मेरी सुंदर सी बेटी के लिए! उसकी ममा की तरफ से!'
उस नोट मे लिखा था|
गौरी वो पढकर बहुत खुश हो गई|
उसने फटाफट वो ड्रेस पहनी और तैयार होकर हर रोज की तरह सीधे विवेक जी के कमरे मे गई पर विवेक जी अपने कमरे मे नही थे| वो उनको पूरे घर मे ढूंढने लगी पर घर मे वो तो क्या कोई भी नही था|
वो सब को ढूँढते ढूँढते बाहर गार्डन मे आयी| उसने देखा तो हर तरफ डेकोरेशन थी|
पर वहा कोई नहीं था|
वो सब को ढूँढने लगी|
तभी अचानक उसे कोई आवाज आयी|
वो आवाज सुनकर गौरी पीछे मुडी| वो शहनाई की गूँज थी|
गेट के पास बहुत ही सारे बैड बाजे वाले थे|
वो लोग अंदर की तरफ आने लगे|
हर तरफ से लोग जमा होने लगे|
गौरी को तो कुछ समझ नही आ रहा था|
तभी कही से म्युजीक बजने लगा| गौरी की नजर गेट से अंदर आते रुद्र पर पडीट
जो उसने देखा वो देखकर उसकी आँखें खुली की खुली रह गयी|
रुद्र घोडे पर बैठा था सेहरा पहने!
बैंड बाजा! सब बारात जैसा लग रहा था! बाराती भी और कोई नही घर के सारे लोग थे|
विवेक जी, शालिनी जी,विजय, पूजा, रिया!
रेवती का मन नही था पर उसे करना पड रहा था|
वो सब लोग अंदर आये| रुद्र घोडे से नीचे उतर कर गौरी के पास आया|
'हीरीये सेहरा बाँध के मै तो आया रे....
डोली बारात भी साथ मे है तो लाया रे...
हीरीये सेहरा बाँध के मै तो आया रे....
डोली बारात भी साथ मे है तो लाया रे...
अब तो ना होता है इक रोज इंतज़ार...
आज नही तो कल है...तुझको तो बस मेरी होनी रे....
तेनु लेके मै जावांगा....दिल दे के मै जावांगा.....
तेनु लेके मै जावांगा....दिल दे के मै जावांगा.....'
रुद्र गौरी के इर्दगिर्द सब के साथ डान्स करने लगा|
गौरी इस सब से बहुत चौंक गई थी|
'आ कह दे जमाने से.......
तु मेरे इश्क की है दास्ता.......
ओ जानिया...कह दे बहाने से......
मै तेरा इश्क हू... तू मेरी जान...
कुछ ना छूपा....
मुश्किलों के मिलता है ऐसा सोना प्यार....
सोनी चीज तेरे जैसी ना मुझको.... ना मुझको खोनी रे....
तेनु लेके...... '
गौरी को ये सब मन ही मन पसंद आ रहा था|
सच कहे तो विजय का प्लैन काम कर गया था| वो तो सब देखकर मुस्कुरा रही थी|
'जा ऐसे ना तडपाके....
देख ले मद भरे अंदाज से....
ओ जाना तू आवाज को अपनी
आ मिला अब मेरी आवाज से
अरे हा कह दे हा....'
रुद्र और सब लोग कुछ देर के लिए चुप हो गए| सारा माहौल गंभीर हो गया|
'कर दिया है तुने मुझको यू बेक़रार
माही कह दिया दुनिया से
मै तेरी....
मै तेरी हो गई वे....
तेरे नाल मै आवांगी...
. ससुराल मै जावांगी... '
गौरी दौडते हुए आकर रुद्र के गले से लग गयी|
'तेनु लेके मै जावांगा.....
दिल दे के मै जावांगा.... '
रुद्र घुटनो के बल बैठ गया और उसने एक बहुत ही सुंदर हीरे की अंगुठी गौरी को पहना दी|
ये देखकर सब लोग बहुत खुश हो गए|
उसने गौरी को अपनी गोद मे उठा लिया और वो भी नाचने लगा|
पूरा परिवार खुशी से नाच रहा था|
सब लोग बहुत खुश थे|