आगे की कहानी 6 महीने बाद....
बेताहाशा दिल ने...
तुझको ही चाहा है...
हर दुआ में मैंने....
तुझको ही माँगा है.....
तेरा जाना जैसे कोई बददुआ...
तेरा जाना जैसे कोई बददुआ....
दूर जाओगे जो तुम...
मर जायेंगे हम....
सनम तेरी कसम ओ..
सनम तेरी कसम ओ..
सनम तेरी कसम...
रुद्र अपने कमरे की खिडकी पर बैठकर हाथ मे गिटार लिये गा रहा था|
रूद्र की हालत बहुत खराब लग रही थी| रो रो कर और जागकर सुजी हुई आँखे, दाढी बढी हुई, चेहरा उदास!
मानो किसी ने उसके जिस्म से उसकी जान ही निकाल ली हो!
नशा तेरा दिल को लगा
देना नहीं मुझको दगा
मैं तेरी आदत का मारा
है क्या मेरी खता
तेरे बिन नामुमकिन
अपना गुज़ारा है
हर दुआ में मैंने
तुझको ही माँगा है
तेरा जाना जैसे कोई बददुआ
दूर जाओगे जो तुम
मर जायेंगे हम
सनम तेरी कसम ओ..
सनम तेरी कसम ओ..
सनम तेरी कसम
रुद्र रोने लगा| रुद्र को गौरी के साथ की हर बदसलूकी याद आ रही थी| उसपर हाथ उठाना, उसे खींचकर घर से बाहर निकाल देना, सब!
पर कही किसी जगह अँधेरे मे बैठकर गौरी भी रुद्र को याद कर रही थी|
दरवाजे की घंटी बजी| वो आवाज सुनते ही रुद्र दौडकर दरवाजा खोलने गया| रुद्र ने बहुत ही खुश होकर दरवाजा खोला|
"गौरी!" पर सामने देखकर उसका चेहरा फिर उतर गया|
दरवाजे पर विजय था| वो गौरी को ढूँढकर थक हार कर घर लौटा था|
वो रुद्र को अनदेखा कर सीधे अपने कमरे की ओर बढ़ गया| तब तक विजय जी और शालिनी जी भी वहा आ गए|
"भैया! " रुद्र की आवाज सुनकर विजय रुक गया|
" क्या गौरी का कुछ......" रुद्र पूछ ही रहा था की विजय बोल पडा, " सबसे पहली बात तो ये कि मै गौरी का भैया हू तुम्हारा नही! मेरा नाम विजय प्रताप सिंह है और दूसरी बात! अगर गौरी मुझे मिल गई होती ना तो मै यहा ना होता!
जिस दिन मुझे वो मिल जायेगी ना उस दिन उसे एक पल के लिए भी यहा नही रखूंगा मै!
मै भूला नही हू कि तुमने मेरी बहन के साथ क्या किया है! तुम्हारी वजह से वो आज मुझसे दूर है!" विजय कह रहा था|
"ऐसा मत कहो विजय बेटा! मै रुद्र की तरफ से आपसे माफी मांगता हू पर गौरी को हमसे दूर ले जाने की बात मत करीए|" विवेक जी रुआँसे होकर बोले|
"देखिये अँकल! मै आपको झूठा दिलासा बिल्कुल नही दिलाना चाहता! मै कभी नही भूल सकता की इस घर ने मेरी बहन की कितनी तकलीफ दी है और उसी तकलीफ मे मै उसे फिरसे कभी नही लाउँगा! मै तो ये तक नहीं जानता की अब मेरी बहन है कहा! पता नही ज़िंदा भी है या...... " कहते कहते विजय की आँख भर आयी|
ये सून रुद्र की भी रुह काँप गई| सब लोग सुन्न हो गए|
विजय वहा से चला गया| सबको उसकी बाते बूरी लगी|
तभी अचानक विजय की बात सुनकर विवेक जी के सीने मे बहुत दर्द उठा और वो अपने सीने पर हाथ रख जमीन पर गिर पडे|
"गौरी! " उनके मुंह से गौरी का नाम निकला|
कही किसी जगह गौरी को लगा मानो विवेक जी ने उसे पुकारा हो| वो हाथ जोड आँखे बंद कर मंदिर मे शिवलिंग के सामने बैठी थी|
वो आँखे खोल आसपास देखने लगी| उसे लगा मानो विवेक जी ने उसे आवाज दी हो|
"पापा!" वो उठकर यहा वहा विवेक जी को ढूँढने लगी पर वो कही ना थे|
गौरी लौटकर शिवलिंग के सामने हाथ जोडकर खडी हो गई|
"हे भोलेनाथ! पता नहीं क्यो मेरा मन बहुत ज्यादा घबरा रहा है! आप मेरे परिवार की रक्षा करना! " वो हाथ जोडकर बोली|
सफेद कपडे पहने, सिर पर दुपट्टा ओढे, एकदम सादे लिबास मे वो मंदीर मे खडी थी| बहुत ज्यादा कमजोर लग रही थी|
इधर विवेक जी की आवाज सुनकर विजय मुडा तो विवेक जी जमीन पर गिरे पडे थे|
सब लोग उनके पास भागे| सब लोग बहुत डर गए| शालिनी जी और रुद्र तो रोने लगे|
शालिनी जी अँब्युलन्स को फोन करने को कह रही थी पर विजय ने सुझाया की बिना अँब्युलन्स का इंतजार किये उन्हें विवेक जी को जल्द से जल्द हॉस्पीटल ले जाना चाहिए|
विजय और रूद्र ने मिलकर विवेक जी को उठाया और हॉस्पीटल ले गए|
विवेक जी को सीधे आयसीयू मे भरती कर दिया गया|
शालिनी जी बहुत रो रही थी| रुद्र उनके पास गया पर वो उससे बात नही करना चाहती थी इसलिए वो उससे दूर चली गई|
रुद्र को ये देखकर बहुत बूरा लगा| उसे बहुत रोना आ रहा था क्योंकि पहले ही विवेक जी की हालत बहुत खराब थी और इस दुख की घडी मे भी कोई रुद्र से बात नही करना चाहता था|
पूजा शालिनी जी को संभाल रही थी|
कुछ देर बाद डॉक्टर बाहर आये| उन्होने बताया कि विवेक जी को हार्ट अटैक हुआ था पर अब वो खतरे से बाहर थे|पर उनको कुछ दिन हॉस्पीटल मे रखने के बाद भी उन्हें कल से कम एक महीने का बेड रेस्ट बताया गया|
2 दिन बाद विवेक जी को घर लाया गया पर इस दौरान भी शालिनी जी ने रुद्र को विवेक जी से मिलने नही दिया|
शालिनी जी ने इस सब का जिम्मेदार मानो रुद्र को ही मान लिया था|
घर पर भी रुद्र को विवेक जी से थोडा दूर ही रखा जा रहा था|
इस सब से रुद्र मन ही मन टूट गया था| उसे संभालने वाली गौरी भी उसके साथ नही थी| उसे गौरी की बहुत ज्यादा याद आ रही थी|
आज सुबह सुबह जब शालिनी जी विवेक जी को सूप पिला रही थी| तब विजय, पूजा, रेवती, रिया, रुद्र सब वही पर थे|
रुद्र इतना बेबस था की अपने पिता के गले लग कर रो कर नही पा रहा था| उसकी आँखे नम थी|
तभी राघू चाचा किसी को लेकर आये| जिसे देखकर सबकी आँखे चमक उठी|
"अरे त्रिपाठी जी! आइये ना!" शालिनी जी बोली|
त्रिपाठी जी पुलिस कमिश्नर थे|
वो जाकर विवेक जी के पास बैठे|
विवेक जी अब भी बहुत वीक थे|
"ये क्या सिंघानिया साहब? ये क्या हालत बना ली है आपने? मुझे आज ही पता चला? अब कैसी है तबियत आपकी?" त्रिपाठी जी बोले|
"जी अब ठीक हू!" विवेक जी धीरे से बोले|
"कोई बात नहीं!
अब आप सिर्फ ठीक है पर जो खबर मै लाया हू उसे सुनकर आप एकदम फर्स्ट क्लास हो जायेंगे!" ये सुनते ही सबके चेहरे खिल उठे|
विवेक जी आगे आये...
" क्या गौरी के बारे मे कुछ पता चला है?" विवेक जी ने पूछा|
"जी हाँ! गौरी के बारे मे पंचगणी से एक खबर आयी है! किसी और ने नही बल्कि हमारे ही एक ऑफिसर ने गौरी को वहा से किसी लोकल मार्केट मे देखा है! वैसे तो हमने हमारी एक टीम गौरी की खोज मे लगा दी है और मुझे लगता है की जल्द ही वो मिल जायेगी! " कमिश्नर खुश होकर बता रहे थे|
ये सुनकर सबके चेहरो पर खुशी की लहर दौड उठी सिवाय रेवती के!
"क्या आप सच कह रहे है? " विवेक जी बोले|
"हाँ! मै बिल्कुल सच कह रहा हूँ सिंघानिया साहब! " वो बोले|
"गौरी! मै खुद वहा जाउंगा अपनी बेटी को लेने के लिए! इनफैक्ट मुझे अभी चलना चाहिए! वो इंतजार कर रही होगी हमारा! " इतना कहकर विवेक जी उठने लगे पर उनसे खडा नही हुआ जा रहा था| वो गिरते गिरते बचे|
" ये आप क्या कर रहे हैं विवेक जी? आप वहा नही जा सकते| आपको डॉक्टर ने टोटल बेड रेस्ट को लिए कहा है| आपकी तबियत ठीक नही है! " शालिनी जी बोली|
" कितना बदनसीब हू मै! जब मै ठीक था तब उसे दूर जाने से नही रोक पाया और अब जब मुझे पता चला कि मेरी बेटी कहा है तो उसे लेने तक नही जा पा रहा हूँ!"
विवेक जी की आंखों मे पानी आ गया|
"मै जाउंगा गौरी को लेने! पूजा जाओ! सामान पैक करो! हम अभी पंचगणी के लिए निकलेंगे! " विजय बोल
तभी रुद्र को विजय की बात याद आयी कि वो गौरी को वहा नही आने देगा|
रुद्र सीधे विजय के सामने आकर खडा हो गया|
सबके दिल मे डर घर कर गया कि अब रुद्र करने क्या वाला है|
विजय को गुस्सा आने ही लगा था कि रुद्र अपने हाथ जोडकर घुटनो पर बैठ गया| उसकी आँखों से आँसू छलक पडे| उसने गर्दन नीचे झूका ली|
ये देखकर विजय को भी बहुत अजीब लगा|
"मै आपके आगे हाथ जोडता हू भैया! मुझे माफ कर दिजीये| मै जानता हू कि मैने बहुत बडी गलती की है| मेरे दिमाग मे गंद भर गई थी भैया! पर मै सच कह रहा हूँ! मै सच नही जानता था| मै गौरी से बहुत प्यार करता हूँ भैया और शायद इसीलिए मै ये सहन नही कर पाया कि उसने मुझे मना कर दिया|
पर सच मानिये भैया! जबसे वो गई है ना मै जीते जी मर गया हूँ! मै समझ गया हू भैया कि उसके बिना मै कुछ भी नहीं हू और मै अपनी गलती को सुधारना चाहता हूँ भैया!
प्लीज मुझे माफ कर दिजीये! मुझे बस एक मौका दिजीये भैया! मै गौरी को आपके पास सही सलामत वापिस लेकर आउँगा! फिर उसके बाद आप जो चाहे वो करीये| अगर आप गौरी को अपने साथ लेकर जाना चाहे तो जा सकते हैं| पर प्लीज भैया मुझे एक मौका दे दिजीये|
वैसे भी मेरे माँ पापा ने तो मुझे अपना बेटा मानना भी बंद कर दिया है| अगर आप यहा रहेंगे तो उनका खयाल रख पायेंगे| मै यहा रहकर भी ना के बराबर ही हू भैया!प्लीज मुझे एक मौका दे दिजीये| मै उससे बहुत प्यार करता हूँ| बहुत प्यार!" रुद्र बहुत ही रो रोकर गिडगिडा रहा था|
वहा खडे हर इंसान को रुद्र पर तरस आ रहा था| विजय की भी आँखो मे पानी आ गया|
रुद्र ने विजय के पैर पकड लिये|
ये बात विजय को अच्छी नही लगी|
उसने रुद्र को उठाया|
"जाओ! मेरी बहन को वापिस लेकर आओ| वो भी सही सलामत! " विजय बोला|
ये सुनते ही रुद्र की आँखे चमक उठी| वो विजय के गले से लग गया|
"थँक यू सो मच भैया! थँक यू सो मच!" वो बोला|
"लेकिन इस घर मे वापिस आने या तुम्हारी जिंदगी मे वापिस आने का फैसला गौरी का होगा! ये बात याद रखना रुद्र!" विजय ने कहा|
पर रुद्र फिर भी बहुत खुश था|
"रुद्र! तुम आज शाम ही निकल जाना|
वहा जाकर हमारे ऑफिसर से मिलना| वो तुम्हें जहा गौरी को देखा था उस जगह ले जायेंगे और अगर कोई और इन्फर्मेशन मिली होगी तो वो भी बता देंगे पर उनके काम मे ज्यादा इंटरफ़ेअर मत करना!" कमिश्नर ने कहा|
उनके कहे मुताबिक रुद्र शाम को ही निकला| वो अपने कमरे से निकल ही रहा था की रिया वहा आयी|
उसे देख रुद्र को समझ नही आ रहा था कि वो उससे क्या कहे| वो गई और रुद्र के हाथ पर एक धागा बाँध दिया|
"तुम्हें कुछ कहने की जरूरत नही है रुद्र! जाओ और गौरी को वापिस लेकर आओ! मै जानती हूँ कि तुम गौरी से बहुत प्यार करते हो! मैने तो तुमसे पूछा भी था ना रुद्र?
पर चलो कोई बात नही! तुम्हारी खुशी से बढकर मेरे लिए कुछ भी नही है और शायद गौरी से ज्यादा तुमसे कोई और प्यार नही कर सकता!
तुमने जो कुछ कहा वो सब बिना कुछ कहे सह गई वो! उफ्फ तक नही किया!
उसकी जगह अगर मै होती ना तो पीट पीट कर तुम्हारा भरता बनी देती! तुम्हे दुख ना हो इसलिए वो तुम्हे मेरे साथ देखने के लिए भी तैयार हो गई| सच मानो वो तुमसे बहुत प्यार करती है!" रिया की बाते सुनकर रुद्र ने उसे गले लगा लिया|
रिया ने रुद्र को दिखाया नही पर वो बहुत दुखी थी|
"अब मुझे रुलाओ मत! जाओ और गौरी को लेकर आओ!" रिया रुद्र को दूर करते हुए बोली|
वो रुद्र को बाहर तक छोडने आयी|
बाहर सब लोग दरवाजे पर खडे थे|
विवेक जी भी शालिनी जी के सहारे खडे थे|
रुद्र ने विवेक जी और शालिनी जी के पैर छुए|
" जाओ और हमारी बेटी को वापिस लेकर आओ! " शालिनी जी बोली|
इन 6 महिनो मे वो पहली बार रुद्र से बोली|
रुद्र बहुत खुश था| वो सब से विदा लेकर गौरी को वापिस लाने के पक्के इरादे से बाहर निकला|
वो रात को ही पंचगणी पहुंच गया|
वहा त्रिपाठी जी के कहने पर रुद्र के रहने का पूरा इंतजाम किया गया था और उनका एक ऑफिसर भी रात को ही रुद्र को उसके हॉटेल मे जाकर मिला|
वो अगले ही दिन रुद्र को उसी लोकल मार्केट लेकर जाने वाला था जहा पर उसने गौरी को देखा था|
रुद्र ने रात बडी ही मुश्किल से काटी| रात भर वो बस गौरी के बारे मे ही सोचता रहा|
इधर मदर मेरी अनाथालय में.....
कुछ छोटे बच्चो के साथ गौरी भागते हुए अनाथाश्रम पहुंची| उसने मेन गेट अंदर से बंद कर लिया| वो बहुत हाँफ रही थी| वो बच्चो को लेकर उनके कमरे तक गई|
"बच्चो तुम लोग अपने कमरे मे जाओ और वादा करो कि किसी को ये सब नही बताओगे!" वो उनसे बोली|
बच्चे भी उसकी बात मानकर अपने अपने कमरे मे चले गए|
उसके बाद गौरी भी भागते हुए अपने कमरे मे चली गई|
उसने दरवाजा बंद किया और वही पर रुक गई| दरवाजा बंद करके उसने थोडी राहत की साँस ली|
पर वो अब भी हाँफ रही थी|
उसने जैसे ही आँखे खोली वो जोर से चींखने ही वाली थी पर किसी ने उसके मुंह पर हाथ रख लिया|
वो गौरी के बेहद करीब था|
रंग से गोराचिट्टा, सुंदर आँखे, मजबूत शरीर, कंधे तक लंबे सुनहरे बाल, सफेद शर्ट और ब्राउन ट्राउजर पहना वो नौजवान बेहद खूबसूरत था और हूबहू राजवीर भी!
" श्श्श्श! क्या कर रही हो? पिटवाओगी क्या? मै हू!" वो बोला| उसने धीरे से गौरी के मुँह पर से हाथ हटाया|
वो था अर्जुन सहगल! वहा का एक नामी रईस! सहगल एंटरप्राइजेस का मालिक! जो हमेशा सुर्खियों मे छाया रहता था|
"आप? यहा? इस वक्त? मुझे डरा ही दिया आपने?"
गौरी को अर्जुन को देखकर थोडी राहत तो महसूस हुई पर वो अब भी हाँफ रही थी| वो पूरी तरह से पसीना पसीना हो चुकी थी|
वो सीधे जाकर सोफे पर बैठ गई और अपना पसीना पोछने लगी|
अर्जुन को ये सब कुछ अजीब लगा|
वो गौरी के पैरो के पास बैठ गया|
"गौरी! क्या बात है? तुम इतनी डरी हुई क्यो हो?" वो पूछने लगा|
" म्... मै? नही तो! ऐसी कोई बात नही है!" गौरी वहा से उठ गई और अपना चेहरा छिपाने लगी.|
" सच बताओ गौरी! क्या बात है? " अर्जुन ने गौरी का हाथ पकडा और उसका चेहरा अपनी ओर किया|
"मैने कहा ना अर्जुन कोई बात नही है!
सवाल तो मुझे आपसे करना चाहिए! आप इतनी रात को यहा क्या कर रहे हो वो भी मेरे कमरे मे? आप बाज़ नही आयेंगे ना अपनी हरकतो से? अगर मार्ग्रेट ने देख लिया ना तो पता है ना आपको की कितना गुस्सा करेंगी!" गौरी ने बात टाल दी|
"एक्सक्युज मी! फर्स्ट ऑफ ऑल मै क्लिअर कर चुका हू कि मै अब तुम्हारे पीछे नही पडा हू| अब हम दोस्त है| पर हाँ अगर आगे चलकर तुम्हे मुझसे प्यार हो जाये तो इट्स नॉट माय रिस्पॉन्सिबिलीटी और दूसरी बात मै रात को नही आया| जब से तुम बच्चो को लेकर बाहर गई थी ना तब से तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ और तब रात नही थी|
बेवजह किसी शरीफ इंसान के कैरेक्टर पर ऐसे ब्लैक ऑइल पेंट करते हुए शरम नही आती मैडम आपको?" अर्जुन जरा नौटंकी करते हुए बोला|
"व्हॉट? आर यू मैड अर्जुन? मै 4 बजे से बाहर हू! तो आप 4 बजे से यहा हो?" गौरी चौंक गई|
"हाँ? क्यो?" वो बोला|
"आप पागल हो क्या? अब 8 बज रहे हैं!" वो चौंककर बोल रही थी|
"हाँ तो क्या हो गया?" अर्जुन को कोई बडी बात नही लग रही थी|
"आप 4 घंटे से यहा हो अर्जुन!
आप जाइये अर्जुन! रात बहुत हो गई है| आपको अब जाना चाहिए|
आप जितना बडा पागल मैने आज तक नही देखा| आप जाइये! इससे पहले कि मेरा गुस्सा और बढे और मै आपका सिर फोड दू! जाइये!"
"हाये! गुस्से मे कितनी प्यारी लगती है मेरी शोना!" अर्जुन मस्ती मे गौरी के गाल खिंचने लगा|
"आप ऐसे नही मानेंगे!" गौरी ने गुस्सेमें अर्जुन का हाथ पकडा और उसे कमरे से बाहर निकालकर दरवाजा उसके मुंह पर जोर से बंद कर दिया| वो दरवाजा अर्जुन के नाक पर जोर से लगा|
वो दर्द से चिल्ला उठा|
"मम्मी!
ये लडकी भी ना!
अब इसको कौन बताये कि इसके लिये मै जिंदगीभर वेट कर सकता हूँ तो 4 घंटे क्या चीज है!" वो अपने आप से बोला|
पिछले 6 महीने से गौरी इसी अनाथाश्रम मे रह रही थ वो यहा के बच्चों ने रहकर उनको पढाकर अपना सारा गम छिपाये अपनी ज़िंदगी का बाकि समय बिताने की कोशिश कर रही थी| बस फर्क अब इतना था कि उसका जीवन बहुत ही सादगीपसंद हो गया था|
सफेद सूट पहन लिया करती थी और बस अपने लंबे बालो की एक चोटी बना लिया करती थी|
ना किसी से ज्यादा बात करना और ना ही हसना! वो बस अपने ही गम मे डूबी सी रहती थी|
इस सब के बावजूद वो बहुत ही सुंदर थी|
अगली सुबह गौरी उठकर अनाथालय के सामने वाले चर्च मे सुबह की प्रार्थना के लिए गई|
अनाथाश्रम के सारे बच्चे और स्टाफ सुबह चर्च मे जाकर प्रार्थना करते थे|
जैसे ही गौरी आयी सारे बच्चे उसे गुड मॉर्निंग दीदी कहकर ग्रीट कर रहे थे|
प्रेयर के बाद किसी ने उसे आवाज देकर रोका|
वो मार्ग्रेट थी| वो उस अनाथाश्रम कि इंचार्ज थी|
" गौरी बेटा! तुमसे कुछ काम था!"
"जी मार्ग्रेट! कहीये ना!" गौरी बोली|
"बेटा .तुम तो जानती हो कि मन्डे को हमारा अँन्युअल फंक्शन है! सारे जरूरी सामान कि लिस्ट मैने बना ली है| मुझे आज एक जरूरी काम है और ये सारा सामान आज ही लाना जरूरी है| तो क्या तुम वो सारा सामान ले आओगी?" वो बोली|
ये सुनते ही गौरी जरा हडबडा गई|
" मार्केट! मै? "
"क्यो? कोई प्रॉब्लम है?" मार्ग्रेट बोलीट
"नो मार्ग्रेट! आप चिंता मत करीये| मै सारा सामान ले आउँगी!" गौरी ने कुछ सोचकर हा कर दिया|
"गुड! तो तुम अभी निकलो और जल्दी आ जाना| कल रात की तरह लेट मत करना ओके?" मार्ग्रेट बोली|
"ओके मार्ग्रेट! क्या मै पीटर को अपने साथ लेकर जा सकती हू?" गौरी ने पूछा|
पीटर वहा पर काम करता था|
"येस ऑफ कोर्स! तुम रेडी हो जाओ| मै पीटर को बोल देती हूँ तुम्हारे साथ आने के लिए! मे गॉड ब्लेस यू माय चाइल्ड!" वो इतना रहकर चली गई|
गौरी थोडी हडबडायी सी लग रही थी|
थोडी देर बाद वो पीटर के साथ मार्केट चली गई|
रुद्र जल्दी से तैयार होकर ऑफिसर का वेट करता बैठा थ जैसे ही वो ऑफिसर आये वो दोनो पुलिस की एक टुकडी के साथ उस मार्केट के लिए निकल पडे|
दोनो ही एक ही जगह के लिए निकले थे| शायद शिवजी ने फिरसे कोई लीला रची थी दोनो को मिलाने के लिए|
इधर गौरी पीटर के साथ मार्केट पहुंची| वो थोडी डरी हुई सी लग रही थी| वो जैसे ही अंदर गए सामान खरीदने को लिए पीटर और गौरी अलग अलग हो गए| गौरी जब आगे आयी तो वहा कुछ लफंगे लडके खडे थे| गौरी उनको देखते ही डर गई| वो उनकी नजरो से बचके निकलने की कोशिश मे ही थी कि उनकी नजर गौरी पर पडी और वो लोग सीधे उसके सामने आकर खडे हो गए|
"कहा जा रही है मैडम? कल हमारी मुलाकात कुछ अधूरी नही रह गयी थी? चलिये ना उसे पूरा कर लेते हैं! " उनमे से एक बोला|
"देखिये! मेरा रास्ता छोडिये| मुझे जाने दिजीये!" गौरी बोली|
वहा काफी लोग थे| वो लोग उसकी मदद करने के बजाय बस तमाशा देख रहे थे|
"अरे हम इतने प्यार से बात कर रहे हैं और आप है कि इतनी रुड हो रही है! वैसे तो कल जो बच्चे थे वो नही है आज आपके साथ?" वो बोला|
"कोई बात नही भाई! हम है ना! हम दे देंगे! बच्चे!" उनमे से एक बोला और उसकी बात पर सब हसने लगे|
गौरी को ये सब बहुत बूरा लगा| वो वहा से जाने लगी पर उनमे से एक ने उसका हाथ पकड लिया|
" ये क्या बदतमीजी है? हाथ छोडो मेरा!
प्लीज हेल्प मी!" वो चिल्लाने लगी| गौरी के पूरे शरीर मे डर दौडने लगा|
"प्लीज हेल्प मी! "
उनमे से एक उसके दुपट्टे को हाथ लगाने वाला था की किसी ने उसको जोरदार घुसा मारा जिससे वो दूर जाकर गिरा|
गौरी ने देखा तो वो अर्जुन था|
उसकी आँखों में बहुत गुस्सा था| उसका गुस्सा देखकर ही जिसने गौरी का हाथ पकडा था उसने उसका हाथ छोड दिया|
गौरी चौंक गई थी|
अर्जुन ने एक एक कर उन सबको बहुत मारा| गौरी भी अर्जुन का गुस्सा देख सुन्न हो गई थी|
वो सारे के सारे जमीन पर दर्द से कराहते हुए पडे|
"अगली बार किसी लडकी की तरफ आँख उठाने से पहले ये मार याद कर लेना! ये ज़ुर्रत नही कर पाओगे!" अर्जुन ने गुस्सेमें उनसे कहा|
उसने गौरी का हाथ पकडा और वहा से चल दिया|
गौरी ने उसका ये रुप शायद पहली बार देखा था|
तभी वहा रुद्र आ पहुंचा|
उसके साथ जो पुलिस ऑफिसर था उसने बाकि कॉन्सटेबल्स को पूरे मार्केट मे गौरी को ढूँढने और उसके बारे मे पूछताछ करने भेज दिया| रुद्र भी गौरी को ढुंढने लगा|
तभी रुद्रको भीड दिखी| वो देखकर वो वहा पहुंचा|
उसने जाकर देखा तो वो लोग जमीन पर गिरे कराह रहे थे| उसने सामने खडे एक आदमी से पूछा, " सुनिये! ये सब यहा क्या हो रहा है और ये लोग बेचारे?"
"ये कोई बेचारे वेचारे नही है! ये लफंगे हर रोज यहा आती जाती लडकियो को छेडा करते थे| आज भी इन्होने एक लडकी को छेडा| इसी वजह से एक लडके ने बहुत अच्छा सबक सिखाया है इन लोगो को!" वो आदमी बोला|
रुद्र ने ये बात अनसुनी करते हुए अपने हाथ मे जो गौरी का फोटो था वो उस आदमी को दिखाया|
"भाईसाहब क्या आपने कभी इस लडकी को देखा है?" रुद्र ने पूछा|
उस आदमी ने एक नजर उस तस्वीर पर डाली|
"अरे ये लडकी!"
"क्या हुआ भाईसाहब? आप जानते हैं इस लडकी को?" रुद्र ने पूछ
"हाँ! ये तो वही लडकी है!
कुछ देर पहले ये लफंगे इसी लडकी को छेड रहे थे पर तभी किसी भले इंसान ने उसकी मदद की!" वो आदमी बोला|
ये सुनते ही रुद्र की आँखे चमक उठी|
"क्या?
भाईसाहब क्या आप प्लीज मुझे बता सकते है कि ये लडकी कहा गई?" रुद्र ने जल्दी से पूछ लिया|
"इस तरफ!" उस आदमी ने इशारे से बता दिया|
पता चलते ही रुद्र उस तरफ भागा|
इधर अर्जुन गौरी को गाडी के पास लाया|
"अंदर बैठो!" वो बोला पर गौरी वही पर खडी थी|
"सुना नही तुमने? अंदर बैठो! " अर्जुन अब भी गुस्से में लग रहा था|
वो जाकर ड्राइवर सीट पर बैठ गया|
गौरी भी उससे डरकर अंदर बैठने जा रही थी|
उसने गाडी का दरवाजा खोला|
तभी दूसरी ओर से रुद्र गौरी को ढुंढते हुए वही पहुंचा| उसे सामने गौरी दिखाई पडी|
उसे देखते ही रुद्र बहुत खुश हो गया| वो उसे आवाज दे इससे पहले गौरी गाडी मे बैठ गई और दरवाजा बंद कर दिया|
जैसे ही गौरी गाडी मे बैठी अर्जुन ने गाडी स्टार्ट की और वहा से चल दिया|
ये देख रुद्र गाडी के पीछे भागा|
" गौरी! रुको गौरी!" वो गौरी को आवाज दे रहा था|
पर गौरी को गाडी मे कहा सुनाई देने वाला था|
पर गौरी को कुछ अजीब एहसास हो रहा था इसलिए उसने पीछे मुड़कर देखा पर तभी रुद्र का पैर फिसला और वो भागते भागते नीचे गिर पडा इस वजह से वो गौरी को नजर नही आया|
रुद्र नीचे गिर गया और उनकी गाडी आगे निकल गई|
रुद्र के पैर मे जरा चोट लगी थी|
रुद्र जब तक उठ खडा हुआ वो लोग उसकी नजरो से बहुत दूर निकल गए|
रुद्र ने गौरी को फिर एक बार खो दिया था|
रुद्र उठकर वापिस मार्केट मे गया|
वहा पर पुलिस ऑफिसर अपने कुछ कॉन्सटेबल्स के साथ बात कर रहे थे|
"ऑफिसर! ऑफिसर!
मैने अभी अभी गौरी को देखा| मैने उसकी गाडी का पीछा भी किया पर नाकाम रहा!" वो हाँफते हुए बोला|
"आपने गाडी का नंबर देखा?"ऑफिसर ने पूछा|
"गाडी का नंबर? वो तो मै नही देख पाया!" रुद्र बोला|
रुद्र को खुद की नाकामयाबी पर गुस्सा आ रहा था|
"ठीक है कोई बात नही! अगर वो दूसरी बार इसी मार्केट मे दिखी है तो वो हमे जल्द ही मिल जायेंगी!" वो ऑफिसर बोला|
तभी रुद्र का ध्यान उन लफंगो पर गया| वो अब भी वही पर थे|
"ऑफिसर! इन लोगो ने मेरी गौरी के साथ बदतमीजी की है| अरेस्ट देम अँड मेक शुअर कि कम से कम 6 महीने तक इनकी बेल ना हो! यहा खडे एक आदमी ने मुझे बताया कि ये लडके गौरी को छेड रहे थे और गौरी ही क्या ये आती जाती हर लडकी पर बूरी नज़र डालते है!" रुद्र गुस्सेमें बोला|
रुद्र की बात मानकर उन्होने उन लफंगो को अरेस्ट कर लिया|
तभी एक कॉन्सटेबल उनके पास भागते हुए आया|
"सर! एक आदमी ने मुझे बताया कि उन्होंने उस लडकी को कई बार चर्च मे देखा है|" ये सुनते ही फिर से रुद्र की उम्मीद जाग उठी|
इधर अर्जुन गौरी को लेकर अनाथाश्रम पहुंचा|
उसने गाडी रोकी|
कुछ देर तक गौरी अर्जुन की तरफ देखती रही|
वो उससे कुछ कहने जा रही थी पर अर्जुन ने उसे रोक दिया|
"मै जानता हूँ तुम क्या पूछना चाहती हो!
तुम्हें क्या लगा था? तुम मुझसे ये बात छुपाओगी और मुझे पता नही चलेगा! पर तुम गलत हो गौरी! तुम्हे तो ठीक से झूठ बोलना भी नही आता| तुम्हारी ये आँखे है ना ये सब बयान कर देती है|
मुझे कल रात ही पता चल गया था कि कोई तो बात है जो तुम छुपा रही हो इसलिए मै बच्चो से मिलने गया था|
पहले तो उन्होने नही बताया पर थोडा प्यार से पूछने पर सब बता दिया|
कल रात को भी इन लफंगो ने तुम्हारा रास्ता रोका था ना औऱ इन्ही की वजह से तुम लोगो को छुपना पडा था| इसी वजह से तुम लेट हुई कल रात!
इसीलिए मै उन लडको को ढूँढने वहा आया था|
अब फिरसे किसी लडकी की तरफ आँख उठाने की हिम्मत नही करेंगे वो!" अर्जुन कह रहा था|
गौरी बस उसका चेहरा निहार रही थी|
उसके चेहरे पर गौरी के लिए चिंता थी|
"थँक यू!" गौरी बोली|
"व्हॉट? क्या कहा तुमने? थँक यू?
ओह माय गॉड! मेरे कान तो नही बज रहे?" वो नौटंकी करने लगा|
"शट अप! मै सच कह रही ह अगर आप ना होते तो शायद आज....
थँक यू सो मच!" वो बोली|
"शायद क्या? मै कभी तुम्हें कुछ नही होने दूंगा गौरी!" वो गौरी की आँखो मे आँखें डालकर बोला पर गौरी ने नजरे चुरा ली|
"मुझे अब चलना चाहिए!" इतना कहकर वो गाडी से उतर गयी और अंदर चली गई|
गौरी अपने कमरे मे लौटकर बहुत रोयी| आज उसे रुद्र की बहुत याद आ रही थी| वो दिखाती नही थी पर रुद्र को खोकर वो मन ही मन पूरी तरह टूट चुकी थी|
उसने अपने कमरे मे महादेव की एक छोटी सी मुर्ती की स्थापना की थी| गौरी वहा जाकर खडी हो गई|
"भोलेनाथ! मेरे रुद्र की रक्षा करना| मै भले ही उनसे दूर हू पर मै जानती हूँ आप हमेशा उनके साथ हो| मै उनसे बहुत प्यार करती हू और चाहती हू कि वो हमेशा खुश रहे| आप उन्हे हमेशा खुश रखना| बस मै तो यही चाहती हू कि मेै जब भी मरू तो मेरा सिर रुद्र की गोद मे हो और मेरी आँखों के सामने उन्ही का चेहरा!" गौरी हाथ जोडकर कह रही थी|
शाम को रुद्र पुलिस वालो के साथ चर्च पहुंचा|
वो सब लोग अलग अलग दिशा मे गौरी को ढूँढने लगे|
रुद्र चर्च के अंदर गया|
उस वक्त चर्च मे कोई नही था|
वो अंदर जाकर बैठ गया| उसने प्रे किया| उसकी हर दुआ मे अब बस गौरी ही थी|
उसने गौरी के साथ किये हर बदसलूकी के लिए माफी भी मांगी| वो रोने लग गया|
पर तभी अचानक उसे किसी के गाने की आवाज सुनाई पडी|
वो आवाज सुनते ही रुद्र की आँखे चमक उठी|
तुम भी तनहा थे....
हम भी तनहा थे.....
मिलके रोने लगे.....
रुद्र उठ खडा हुआ|
"गौरी! ये तो गौरी की आवाज है!" रुद्र के मुंह से गौरी का नाम निकला| भगवान ने मानो उसकी सुन ली थी|
रुद्र ने अपने आँसू पोछे और वहा से बाहर निकला गौरी को ढुंढने के लिए!
ओ...........
तुम भी तनहा थे
हम भी तनहा थे
मिलके रोने लगे
एक जैसे थे दोनों के गम
दवा होने लगे......
गौरी पास ही के गार्डन मे बैठकर गा रही थी| वो रो रही थी| आज वो रुद्र की याद मे बहुत ज्यादा उदास थी|
तुझमे मुस्कुराते हैं
तुझमे गुनगुनाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं
तेरे ही ख्यालों में
डूबे डूबे जाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं...........
रुद्र उसकी आवाज सुनते सुनते उस गार्डन तक आ पहुंचा|
वो उसकी आवाज का अंदाजा लगाते लगाते उसे ढूँढने लगा| वो गौरी को ढूँढने के लिए पागलो की तरह हर जगह भाग रहा था|
थोड़े भरे हैं हम
थोड़े से खाली हैं
तुम भी हो उलझे से
हम भी सवाली हैं
कुछ तुम भी कोरे हो
कुछ हम भी सादे हैं
एक आसमान पर हम
दो चाँद आधे हैं......
......
कम है ज़मीन भी थोड़ी
कम आस्मां है
लगता अधूरा
तुम बिन हर जहां है
अपनी हर कमी.. में हम
अब तुझे ही पाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं
जितनी भी वीरानी है
तुझसे ही सजते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं...
रुद्र गौरी को ढुंढते ढुंढते थक गया था| वो नीचे बैठकर रोने लगा|
उसे गौरी कही भी मिल नही रही थी|
"कहा हो तुम गौरी? कहा हो?
और कितना तडपाओगी तुम मुझे?
प्लीज लौट आओ गौरी! प्लीज लौट आओ मेरे पास! "
वो रोते हुए कह रहा था|
तभी रुद्रने कुछ सोचा और अपनी आँखे पोछते हुए वो किसी इरादे से निकल पडा|
इधर गौरी भी रो रही थी|
दो राज़ मिलते हैं
हम राज़ बनते हैं
सन्नाटे ऐसे ही..
आवाज़ बनते हैं
ख़ामोशी में तेरी
मेरी सदायें हैं
मेरी हथेली में
तेरी दुआएं हैं
एक साथ तेरा हो तोह
सौ मंज़िले हो..
तन्हाई तेरी
मेरी महफिले हों.....
गौरी रोते हुए गा रही थी| तभी वो अचानक रूक गई|
कोई दूसरा उसके गीत को पूरा कर रहा था|
हम तेरी निगाहों से
खुद में झिलमिलाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं
तुझसे अपनी रातों को
सुबह हम बनाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं.....
"ये आवाज तो!
रुद्र!!" गौरी चौंक गई|
वो आवाज की ओर भागी|
रुद्र चर्च मे बैठकर वहा रखा पियानो बजाते हुए गा रहा था|
गौरी दौडती भागती उस चर्च मे पहुंची|
तुम भी तनहा थे
हम भी तनहा थे
मिलके रोने लगे
एक जैसे थे दोनों के गम
दवा होने लगे........
गौरी रुद्र को देखते ही चौंक गई| उसके पैर उसी जगह जम गए|
उसकी आँखों से आँसू बहने लगे|
रुद्र भी गौरी को देख रोने लगा|
तुझमे मुस्कुराते हैं
तुझमे गुनगुनाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं
तेरे ही ख्यालों में
डूबे डूबे जाते हैं
खुद को तेरे पास ही
छोड़ आते हैं.......
रुद्र की आवाज मे बहुत दर्द था|
आज इतने समय के बाद रुद्र और गौरी फिर से एक-दूसरे के सामने आकर खडे थे|
दोनो की आँखो से लगातार आँसू बह रहे थे|