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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 6)

14 अक्टूबर 2021

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आज रुद्र ऑफिस जा रहा था| विवेक जी और रुद्र दोनों गाडी से उतरे और ऑफिस के अंदर गए| 

पर लाइट्स ऑफ थी| 

"पापा ये लाइट्स क्यो ऑफ हैं? "

"पता नही...! शायद कोई प्रॉब्लम होगी| पर ऐसा पहले कभी नहीं हुआ| "




तभी लाइट्स अचानक ऑन हो गई| 
सारा स्टाफ सामने आया| वो सब एक सूर मे रुद्र का वेलकम करने लगे|

उसपर फूलों की बारीश की गई|

सारे स्टाफ के बीच मे से गौरी बुके लेकर आयी| 

उसे देखते ही मि. विवेक को पता लग गया की ये सारा गौरी का ही प्लान है|

रुद्र तो उसे देखता ही रह गया| रोज की तरह वो आज भी बहुत सुंदर लग रही थी| 

उसने वो गुलदस्ता रुद्र के हाथ मे दिया| उसपर वेलकम का कार्ड लगा था|

गौरी : आपका स्वागत है| कैसा लगा आपको सरप्राइज सर? 

"ये सब तो ठीक है पर तुम मुझे सर क्यो कह रही हो?" 
रुद्र उसके कान मे धीरे से कहने लगा|

"ये ऑफिस है और आप यहा बॉस है|  बाकी सब बाहर!" गौरी ने भी धीमी आवाज़ मे उसे जवाब दे दिया|

सब लोग उनकी तरफ देख रहे थे इसलिए वह जल्दी से अलग हो गए| विवेक जी तो उन्हें देखकर हस पडे|

सारा स्टाफ रुद्र के ऑफिस जॉइन करने से बहुत खुश था|

सब ने उसे फूल दिए और स्वागत किया|


"गौरी क्या आप प्लीज रुद्र को उसका केबिन दिखा देंगी? और काम भी समझा दिजीए इन्हें!" विवेक जी ने गौरी से रिक्वेस्ट की|

"शुअर सर! आइये रुद्र सर! आपका केबिन इस तरफ है|" 


गौरी रुद्र को उसके केबिन में ले गई|

"आइये सर! ये है आपकी डेस्क और ये आपकी चेअर! बैठीए|" गौरी एक्साइटेड होकर रुद्र को बता रही थी|


रुद्र कुर्सी पर बैठ गया|

रुद्र को अपने केबिन से एक और केबिन दिख रहा था|

"ये केबिन किसका है गौरी?" रुद्र ने पूछा|

"ये? अरे ये तो मेरा केबिन हैं! " गौरी ने बताया|

इस बात से रुद्र बहुत खुश हुआ क्योंकि उसके केबिन से वो गौरी को साफ साफ देख पा सकता था|

"तो ज्यादा देर ना करते हुए मै आपको सब समझा देती हूँ| मुझे भी बहुत काम है|"

गौरी ने एक अलमारी से कुछ फाइलें निकाली और रुद्र के टेबल पर रखी|

वो रुद्र की कुर्सी के पास जाकर खडी हो गई और रुद्र को अपना काम समझाने लगी|


रुद्र मन ही मन खुश था की उसे गौरी के साथ समय मिल रहा है|


गौरी उसे बहुत प्यार से सब समझा रही थी| उसके लंबे घने बाल रुद्र के चेहरे को चूम रहे|

रुद्र बस उन लम्हो को जी भर के जी रहा था|






ऐसे ही दिन तितलीयों की तरह एक के बाद एक उडते जा रहे थे| 



वैसे वैसे रुद्र और गौरी की दोस्ती भी परवान चढ रही थी| वो दोनो ऑफिस के बाद एक दूसरे के साथ बहुत सारा वक्त बिताया करते थे| कभी रुद्र के घर तो कभी गौरी के घर! 

दोनों के परिवार वाले भी दोनों को एकसाथ हसता खेलता देखकर खुश थे|

सीमा जी जब जब रुद्र को गौरी के साथ देख रही थी तब तब मानो उन्हें कोई पछतावा हो रहा था|


गौरी को रुद्र के साथ होते हुए सब भूल जाती थी| रुद्र हमेशा उसे हसाता ही रहता था| वो रुद्र को अपना हमराज मानने लगी थी| वो उससे सब शेअर करने लगी थी| उन दोनों को एक-दूसरे के साथ अजीब सा जुडाव महसूस होता था| मानो वो एकदूजे को पहले से जानते हो|

रुद्र की दुनिया तो बस गौरी के इर्दगिर्द ही थी| वो अपने केबिन से हमेशा गौरी को देखा करता , खाली समय मे उसकी  पेंटिंग बनाया करता , वो जहा जाती चुपके से उसका पीछा करता अौर उसकी तस्वीरे अपने कैमरे मे कैद कर लेता| ऑफिस के बाद भी कभी कभी वो उसकी स्कुटी के पीछे चुपके से गाडी लेकर जाता| रुद्र तो मानो बस गौरी का ही बन चुका था|






ऐसे ही एक दिन काम ज्यादा होने की वजह से गौरी को ऑफिस से निकलने मे जरा देर हो गई थी| उसने अपनी स्कुटी निकाली और घर की तरफ चल पडी| 


ज्यादा देर हो गई थी इस वजह से रास्ते पर ज्यादा भीड नही थी| उसने अचानक तेजी से ब्रेक दबाया|

उसके सामने एक आदमी जमीन पर पडा हुआ था| वो रास्ते के बीचोबीच पडा हुआ था| शायद किसी का एक्सीडेंट हुआ था| गौरी को चिंता हुई|

उसने गाडी रोकी और उस आदमी के पास गई|



"ओम नम: शिवाय! लगता है किसी का एक्सीडेंट हुआ है| 
सुनिये! सुनिये भाईसाहब !  उठीये....! उठीये!"
वो उसको आवाज देकर उठाने की कोशिश कर रही थी|

अचानक उसे ऐसा लगा जैसे उसके पीछे कोई हैं| उसने पीछे मुडकर देखा तो कुछ गुंडो जैसे लगने वाले आदमी उसके तरफ देख रहे थे| उन्हें देखकर वो खडी हो गई| उसे डर भी लग रहा था| तभी वो जमीन पर गिरा हुआ आदमी उठकर खडा हो गया| उसे देखकर गौरी चौंक गई| वो लोग गौरी को देखकर हसने लगे| वो गौरी के इर्दगिर्द फैल गए|

अब गौरी को डर लग रहा था |

"कौन हो तुम लोग ? और ये..... ये सब?" 

वो लोग बस हसे जा रहे थे| 


तभी उनके बीच मे से एक आदमी गौरी के सामने आकर खडा हुआ|

गौरी उसे देख चौक गई| वो हर्ष था|


"क्या हो गया? चौंक क्यो गई? तुम्हें क्या लगा था मै तुम्हें ऐसे ही छोड दूंगा? जब की तुम्हारी वजह से सब के सामने मेरी और मेरे पापा की इतनी बेइज्जती हुई थी|


पर फिर मैने सोचा की जाने दो! तुम्हें छोड दू!
पर फिर दिल मे आया की तुम्हें अपना ना बना पाया तो इस जिंदगी का क्या फायदा? 
क्या करू तुम हो ही इतनी खुबसुरत की कोई भी पिघल जाए!"
वो गौरी के चेहरे के पास अपना हाथ ले जाते हुए बोला|

पर गौरी ने उसका हाथ गुस्सेमें झटक दिया|

इससे हर्ष चिढ़ गया|


उसने गौरी का हाथ पकडा और जोर से पीछे की ओर घूमा दिया| उसने एक हाथ से गौरी का हाथ पीछे मोडा ओर उसका चेहरा अपने एक हाथ से दबाते हुए बोला, "बहुत इतराती होना अपने इस खुबसुरत चेहरे पे?
आज इसका वो हाल करूंगा की कोई इसकी तरफ थूकेगा भी नहीं|" हर्ष बहुत गुस्सेमें बोला|


उसने गुस्सेमें मे गौरी को जमीन पर धक्का दे दिया| 
हर्ष गुस्सेमें उसके पास गया और उसे बालों से पकडकर उठाया|

"देखो! मुझे छोड दो! अगर रुद्र को पता चला ना तो वो छोडेंगे नही तुम लोगों को....!"

रुद्र का नाम सुनते ही हर्ष को गुस्सा आ गया| उसने गौरी को जोर से थप्पड़ मारा|

"अरे हा....! अच्छा हुआ तुमने याद दिला दिया की तुम्हारी वजह से उसने मुझपे हाथ उठाया था| मुझ पर! हर्ष पटेल पर.......!" यह कहते हुए उसने गौरी पर थप्पड बरसाने शुरू किए|

गौरी के मुँह से खून निकलने लगा| वो जमीन पर गिर गई| उसे चक्कर आ रहे थे|

"पहले मै तेरा हिसाब क्लिअर करूंगा फिर उसका! 

उठाओ और लेकर चलो इसे मेरे फार्महाउस पर!"

ये सुनते ही गौरी डर गई|
वो जैसे तैसे अपनी सारी ताकत जुटाकर उठी और भागने लगी पर सामने खडे गुंडों ने उसे पकड लिया|


"अरे जानू! कहा भाग रही हो मुझे ऐसे अकेले छोडकर! आज तुम्हें कही नहीं जाने दूंगा!" 

दो लोगों गौरी के हाथ पकड रखे थे| 
वो लोग गौरी को गाडी की तरफ ले जाने लगे| वो पूरी ताकत से छूटने की कोशिश कर रही थी पर कामयाब नही हुई|

हर्ष दुसरी गाडी मे जाकर बैठ गया|

वो गुंडे गौरी को गाडी मे बिठाने ही वाले थे की जिन्होंने गौरी को पकड रखा था उनको किसी ने पूरी ताकत से पीछे खींच लिया| उनके हाथ से गौरी छुट गई| 

गौरी ने पीछे मुडकर देखा तो रुद्र ने उन दोनों का एक एक हाथ अपने हाथ मे पकड रखा था|


गौरी ने जब देखा तो रुद्र ने अपने हाथों से उनके हाथ मरोड दिये| जोर से हड्डियाँ टूटने की आवाज हुई| वो जोर से चिल्लाये|

सब लोग उस तरफ देखने लगे| वो दोनो दर्द से कराहने लगे|

आवाज सुनकर हर्ष भी गाडी से बाहर उतरा| उन्हें देखकर सब को रुद्र से डर लगने लगा|

रुद्र गौरी के पास गया| गौरी गाडी का सहारा लेकर खडी थी| उसे चोटे आयी थी| रुद्र को देखकर वो रोने लगी| रुद्र ने उसके चेहरे पर प्यार से हाथ फेरा! उसी के साथ उसे उसके मुँह से निकलता खून दिखा| उसने वो खून अपने हाथ से पोछा और उन लोगों की तरफ मुडा| वो खून देखकर रुद्र का गुस्सा अपनी हद पार कर गया| 

" देख क्या रहे हो? मारो उसे और लडकी को मेरे पास लेकर आओ|" हर्ष चिल्लाकर बोला|


उसी के साथ वह सब रुद्र पर टूट पडे| पर रुद्र ने सब को बहुत मारा| गौरी ये सब बस डर सहमी देख रही थी|


रुद्र ने सबको बहुत पीटा पर अचानक हर्ष ने पीछे से उसके सिर पर एक रॉड से हमला कर दिया| रुद्र जमीन पर गिर पडा| उसके सिर से खून निकलने लगा और वो बेहोश हो गया|


गौरी बहुत जोर से चिल्लायी| वो भागते हुए रुद्र के पास जा रही थी पर हर्ष ने उसे पकड लिया|

"अरे कहा जा रही हो तुम? मै यहा हू तो तुम उसके पास क्यो जा रही हो? मै हूँ ना तुम्हारे लिए!"
गौरी रो रही थी|


"छोडो मुझे....!! रुद्र..!!!!!!!!" गौरी ने उससे अपना हाथ छुडाया और उसे ज़ोरदार थप्पड़ जड दिया| 


हर्ष को उससे बहुत गुस्सा आ गया| 

उसने गौरी को भी पकडकर उस थप्पड़ के बदले थप्पड़ जड दिया| गौरी निचे गिर गई, उसे चक्कर आने लगे|


"ये ज़रूरी नही की तुझे वही लेकर जाउ| मुझे जो करना है वो यहा पर भी हो सकता है|"
ये कहकर वो गौरी के पास गया और उसके साथ जबरदस्ती करने लगा| उसने उसका दुपट्टा दूर फेंक दिया|

गौरी प्रतिकार करने के साथ साथ रुद्र को लगातार आवाज दे रही थी|


गौरी की गुहार सुनकर पास ही मे एक मातारानी के मंदिर की घंटिया जोर जोर से बजने लगी|

शिवजी की क्रुपा से गौरी की आवाज सुनकर रुद्र होश मे आ गया|

जैसे ही उसने देखा की हर्ष गौरी के साथ जबरदस्ती कर रहा है, वो बहुत गुस्सेमें उठा और उसने हर्ष को गौरी से दूर फेंक दिया|


रुद्र ने गुस्से में हर्ष की बहुत पिटाई की| 
पीट पीकर उसने हर्ष को अधमरा कर दिया| तब ही उसने उसे छोडा|



फिर वो गौरी के पास गया| उसे देखते ही गौरी उससे लिपटकर बहुत ज्यादा रोने लगी| उसे रोता देख रुद्र भी अपने आँसू नही रोक पाया| 


गौरी रुद्र के गले में लगी| मातारानी के मंदीर की घंटिया फिर से जोर जोर से बजने लगी| मानो माँ गौरी इस मिलन से खुश थी|



रोते रोते गौरी बेहोश हो गई| रुद्र ने उसे उठाने की कोशिश की पर वो होश मे नही थी|


रुद्र ने उसे अपनी गोद मे उठाया और उसकी गाडी मे उसे घर ले गया |



इधर सीमा जी गौरी को लेकर चिंता मे बैठी थी क्योंकि उसे बहुत देर हो गई थी| तभी दरवाजे की बेल बजी|

सीमा जी को लगा की गौरी आयी है इसलिए उन्होने जल्दी से दरवाजा खोला| 


दरवाजे पर रुद्र गौरी को हाथ मे उठाये खडा था| गौरी बेहोश थी| उसे चोट भी लगी हुई थी| साथ ही रुद्र के भी सिर से खून निकल रहा था| सीमा जी गौरी और रूद्र को इस हालत मे देखकर बहुत डर गई|

"रुद्र!! ये सब....??"


"आंटी मैं आपको सब बताता हू पर पहले गौरी को इलाज की जरुरत है|"


"हाँ! अंदर आइये जल्दी!" सीमा जी रुद्र को गौरी के रूम की तरफ ले गई| 


रुद्र ने गौरी को बेड पर सुला दिया और उसी के पास बेड के नीचे बैठकर उसके हाथ रब करने लगा| वो गौरी को इस हालत मे देखकर रो रहा था| 

"आंटी प्लीज जल्दी से देखिए ना गौरी को क्या हुआ है!"

सीमा जी गौरी के पास बैठी|उसकी नब्ज चेक की,उसे पूरी तरह चेक किया|

"रुद्र तुम संभालो खुद को! गौरी ठीक है| बस बेहोश है
इसे सोने दो|
आप मेरे साथ बाहर चलो|"


सीमा जी रुद्र को बाहर हॉल मे ले गई| उन्होंने रुद्र के सिर पर पट्टी की और उसे एक इंजेक्शन भी दिया|




"गौरी से ज्यादा इलाज की जरूरत आपको थी|

पर ये सब हुआ कैसे रुद्र?"


रुद्र ने सीमा जी को सब सच सच बता दिया|

सीमा जी ये सब सुनकर सुन्न हो गई|



"आँटी आप जरा भी चिंता मत करीए| मैने गाडी मे ही पापा से कहकर पुलिस कमिश्नर को फोन कर दिया था| अब तक तो पुलिस उनको पकडकर ले गई होगी|"

ये सुनकर सीमा जी की जान मे जान आयी|




तभी अचानक उनके कान पर गौरी की चींख पडी|
 गौरी बहुत जोर से चिल्ला रही थी| वो आवाज सुनते ही दोनो डरकर गौरी के कमरे की तरफ भागे|



पहले रुद्र गौरी के कमरे मे पहुंचा|


गौरी बेड के पास एक कोने मे बैठकर बहुत जोर जोर से चिल्ला रही थी|


"चले जाइये!  मेरे पास मत आइयेगा!  मेरे पास मत आना! दूर रहिए! मैने क्या बिगाडा है आपका? मै हाथ जोडती हू आपके आगे! प्लीज मुझे छोड दीजिए!"

वो जोर जोर से चिल्ला चिल्लाकर रो रही थी|

सीमा जी भी वहा पर आ गई|

वो दोनो भागकर गौरी के पास आए|

पर गौरी बस चिल्ला रही थी| 
सीमा जी और रुद्र दोनों गौरी को संभाल रहे थे|

"गौरी! गौरी ये तुम क्या कर रही हो? 

आंटी! आंटी ये गौरी को क्या हो रहा है?"


सीमा जी ने गौरी के गले की ओर देखा|


"रुद्र गौरी का लॉकेट कहा है?" सीमा जी ने पूछा|


"लॉकेट?"


" हा वही लॉकेट जो गौरी हमेशा पहनती है!शिवजी का!"


रुद्र को भी कुछ पता नही था|


सीमा जी गौरी को उठा रही थी| पर गौरी उनसे संभल नही रही थी| 


"रुद्र मेरी मदत करो! गौरी को सुलाना पडेगा|"

"पर आंटी ये सब हो क्या रहा है?"

"मै सब समझा दूंगी पर पहले हमे गौरी को संभालना होगा|
मेरी मदद करो| "

रुद्र ने गौरी को कसकर पकडा और उसे जबरदस्ती उठाकर बेड पर सुला दिया|



"रुद्र इसे उठने मत देना| मै अभी आती हूँ|" कहकर वो चली गई|


रुद्र ने गौरी को कसकर पकड रखा था| पर गौरी चिल्लाये जा रही थी| वो आज रुद्र से भी संभलने का नाम नही ले रही थी|


सीमा जी इंजेक्शन लेकर आयी|

रुद्र ने गौरी को कसकर पकडा और सीमा जी ने उसे इंजेक्शन लगा दिया|

कुछ ही वक्त मे गौरी को नींद आ गई... पर वो नींद मे भी बडबडा रही थी|



गौरी तो सो गई| पर सीमा जी रोते रोते बाहर चली गई| 
रुद्र उनके पीछे गया|



"आंटी ये सब क्या है? ये गौरी...? आंटी बताइये मुझे!"


"आप इस बात पर विश्वास नही करोगे रुद्र!" सीमा जी रोते हुए बोली|


"मुझे गौरी से जुडी हर बात पर भरोसा है| क्योंकि मुझे गौरी पर खुदसे ज्यादा भरोसा हैं..!" रुद्र सीमा जी को पकड़कर बोला|

सीमा जी ये सुनकर चुप हो गई| उन्हें रूद्र की आँखों मे सच्चाई नजर आयी|


उन्होंने अपने आँसू पोछे और बताना शुरु किया|


"ये सब एक साल पहले शुरू हुआ| जब गौरी 20 साल की हो गई|

हमे हमारे परिवार के महंत ने पहले ही बता दिया था की गौरी के 20 साल के होते ही उसमे बहुत सारे बदलाव होंगे| जो शायद उसके पिछले जन्म से जुड़े हो सकते हैं|
पर वो बदलाव इस हद तक होंगे ये मैने कभी नही सोचा था|



रात के लगभग 11:45 हुए होंगे| गौरी आराम से सो रही थी और उस दिन मै गौरी का 20 वा जन्मदिन मनाने की तैयारीया कर रही थी, जो 12 बजे के बाद शुरू होने वाला था| 


मैने केक गिफ्ट्स सब तैयार किया और ठीक 12 बजे उसके कमरे मे पहुंची| मैने उसे सरप्राइज दिया| गौरी भी इससे बहुत खुश हो गई| पर अचानक वो मेरे इर्दगिर्द देखने लगी| शायद उसे कुछ नजर आ रहा था, जो मेरी आँखे देख नही पा रही थी| वो अचानक जोर जोर से डर के मारे चींखने लगी, रोने लगी|
मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था| मैने उसे संभालने की बहुत कोशिश की पर वो डरे जा रही थी| आखिर डर के मारे वो बेहोश हो गई|




मै भी पूरी तरह डर चुकी थी क्योंकि मुझे मेरी बेटी पर पूरा विश्वास था की जरूर कुछ बहुत बुरा हुआ था जिसकी वजह से वो ऐसा कर रही थी|

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था इसलिए मैने तुरंत आपके माँ पापा को फोन करके बुलाया और वो इतनी रात को आ भी गए|

हमे लगा की गौरी के होश मे आते ही सब ठीक हो जाएगा|इसलिए हम सब उसके होश मे आने का इंतजार करने लगे|


कुछ देर बाद गौरी को होश आया| पर हमारा अंदाजा गलत निकला| इस बार गौरी की हालत और खराब हो गई|वो किसी चीज से डर रही थी, जो हमे दिखाई नही दे रहा था| हम सब ने उसे संभालने की कोशिश की पर डर के मारे उन चीजों से बचने के लिए वो अपनी रूम की गैलरी से कूद गई| मेरी तो जान ही निकल गई थी| पर विवेक जी ने गौरी को उठाया और हॉस्पीटल ले आए|


उसके सिर पर बहुत गहरी चोट आयी| हमने उसे हॉस्पीटल मे अड्मिट किया| उसके जान को खतरा था| उसे आयसीयू मे शिफ्ट कर दिया गया|


मै तो हालात के आगे हार मानकर बैठ गई| पर तभी विवेक और शालिनी जी किन्ही गुरू जी को लेकर वहा आए|


गौरी से मिलने की लिए किसी को इजाजत नही थी| हमने जैसे तैसे डॉक्टर से परमिशन ली क्योंकि वो मेरे कलिग थे| हमे परमिशन मिल गई|


स्वामी जी और हम आयसीयू मे गौरी के पास पहुंचे|
वो बहुत दिव्य इंसान लगते थे|

उन्होंने गौरी को देखा और उसके सिर पर हाथ रखकर कुछ समय के लिए अपनी आँखें बंद की| 

कुछ समय बाद अचानक उन्होने अपनी आँखें खोली| उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ नजर आ रही थी|

जब हमने पूछा, तब उनका कहना था कि उन्होने गौरी के नजरिये से सब देखा है|

उनका कहना था की गौरी को अत्रुप्त आत्माए दिखाई दे रही थी| इस वजह से वो ऐसा व्यवहार कर रही है और अब ये आत्माए गौरी से संपर्क साधना चाहती है| इतना ही नहीं पर हमेशा गौरी को ये आत्माए दिखाई देंगी|


हम सब ये सुनकर दंग रह गए|
मुझे लगा शायद इसी बदलाव के बारे मे महंत जी ने हमे बताया हो|


मेरे तो पैरो तले जमीन खिसक गई थी|

विवेक और शालिनी जी ने उन्हें हमारी मदद करने की रिक्वेस्ट की|

तब उन्होंने कुछ ही देर मे एक अभिमंत्रित माला अपने शिष्यो को हाथ से गौरी के लिए भेज दी और हमेशा वो माला धारण करने के लिए कहा|


उस माला का चमत्कार इतना दिव्य था की उस माला के पहनते ही गौरी को होश आ गया और गौरी को वो आत्माए दिखना भी बंद हो गई|


इस हादसे से उभरने के लिए गौरी को लगभग एक महिना लगा था| उस हादसे के बाद हमने कभी उस माला को गौरी से अलग नही होने दिया था| पर आज वहा खींचातानी मे शायद गौरी की वो माला गिर गई होगी| इसीलिए मैने गौरी को नींद के इंजेक्शन का हेवी डोज़ दे दिया|

मुझे कुछ भी करके वो माला वापिस लानी होगी रुद्र! वापिस लानी होगी!"


इतना कहकर वो बाहर जाने लगी पर रुद्रने हाथ पकडकर उन्हें रोक लिया|



"रुकिए आंटी! जिस तरह आपको गौरी पर पूरा विश्वास है, मुझे भी है! मै जाकर वो लॉकेट ढुंढकर लाता हू|
आप गौरी का खयाल रखिए और उसे अकेला मत छोडना| मै अभी आता हूँ|"

वो उस लॉकेट रूपी शिवजी की माला को ढूँढने चल पडा|

11 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

अच्छी लिखी कहानी

7 दिसम्बर 2021

41
रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>स्वामीजी को देखते ही दोनो ने उनके च

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 24)

1 नवम्बर 2021
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<div>सेनापति वीरभद्र युवराज्ञी भैरवी के पीछे उन्हें ढुंढने निकल पडे पर जंगल बहुत घना था| उन्हें समझ

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क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 25)

2 नवम्बर 2021
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<div>महल के कुछ बाहर बहुत ही भव्य प्रवेशद्वार था जिसपर सदा कुछ सैनिक तैनात रहते थे|</div><div><br></

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 26)

3 नवम्बर 2021
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<div>प्रजागण भैरवी को लेकर अपने गाँव पहुंचे| भैरवी को देखते ही सारे गाँव वाले बाहर निकल आये|</div><d

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 27)

4 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>"आप ज

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 28)

5 नवम्बर 2021
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<div>आज महल मे हर ओर शहनाई की गूँज थी| सारा राज्य ख़ुशी से झूम रहा था| आज बहुत ही शुभ दिन था| आज खुश

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
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<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
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<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 30)

7 नवम्बर 2021
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<div>सिंघानिया मँशन मे पार्टी की शानदार तैयारीयाँ की गई थी|</div><div>हर तरफ रौशनी, रंगबिरंगे फूल, र

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 31)

8 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>गौरी अपने कमरे मे देर रात तक कुछ का

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 32)

9 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>" आह्ह!!!" गौरी जमीन पर गिर पडी|</div><div><br></d

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 33)

10 नवम्बर 2021
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<div>सिंघानिया मँशन मे रुद्र और रिया की सगाई की तैयारीयाँ शुरू हो गई थी| रेवती तो बहुत ही खुश थी| रि

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 34)

11 नवम्बर 2021
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<div>आगे की कहानी 6 महीने बाद.... </div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>बेताह

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 35)

12 नवम्बर 2021
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<div>रुद्र और गौरी अामने सामने थे|</div><div>दोनो के आँखो से लगातार आँसू छलक रहे थे|</div><div><br><

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

13 नवम्बर 2021
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<div>सब लोग हॉल मे बैठकर शालिनी जी के हाथ का बना हलवा खा रहे थे|</div><div><br></div><div>"आप सब लोग

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 37)

14 नवम्बर 2021
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<div>एक सेवक रुद्र और रिया को लेकर महल के अंदर जा रहा था| जैसे जैसे रुद्र आगे बढ़ रहा था उसे सब बहुत

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 38)

15 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र ने गौरी को नीचे गिरा दिया था| गौरी की कमर मे

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क्या हुआ...तेरा वादा... (भाग 39)

16 नवम्बर 2021
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<div>पूरे महल और पूरे राज्य मे युवराज्ञी के भव्य स्वयंवर की तैयारीया चल रही थी|</div><div><br></div>

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 40)

17 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>गौरी मलबे के नीचे दब गई थी |</div><div><br></div><div>बेहाल होकर पड़ा हुआ रुद्रा

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