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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 13)

21 अक्टूबर 2021

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सुबह सुबह गाव के कुछ लोग भागते हुए पंडितजी के घर आये| तब सब नाश्ता कर रहे थे| वो लोग बहुत डरे हुए थे| उनको देखकर पंडितजी को पता चल गया की कुछ ना कुछ गलत तो हुआ है|



वो लोग उनको मंदीर के पास ले गए|



वहा एक आदमी की लाश पडी हुई थी और उसके पास बैठ कर उसकी पत्नी बहुत रो रही थी| वो लाश बहुत बुरी हालत मे थी| उसे देखकर तो गौरी डर ही गई और डरकर रुद्र से लिपट गई|
वहा गाव के सब लोग खडे थे| उनमे विकास भी था| पर जरा अजीब व्यवहार कर रहा था| बाद में वो वहा से चला गया|

रुद्र : ये सब कैसे हुआ?


"मैने कहा था इनसे की बाहर मत जाइये पर ये नहीं माने! कहने लगे की बहुत जरूरी काम है और जल्दी ही लौट आयेंगे पर मुझे क्या पता था की....." उस आदमी की पत्नी रोते हुए कहने लगी|





"यही होता है बेटा यहा! अगर रात मे कोई गलती से भी बाहर निकल जाये तो अगले दिन उसकी लाश ही मिलती है! वो भी इतने ही बुरी हालत में! भले ही वो कोई भी हो! औरत, बच्चे या बुढे!
ये सब कैसे ये कोई नहीं जानता!" पंडितजी ने बताया|



"पर ऐसा कैसे हो सकता है?" गौरी ने पूछा|

"जरूर ये कोई शैतान ही है बेटा! क्योंकि लाश की हालत देखकर पता चलता है कि ये किसी इंसान का काम नहीं हो सकता और अगर ये किसी जानवर का काम होता तो वो मारकर लाश भी खा जाता| ऐसे मंदीर के सामने नही छोडता|" एक बुढा आदमी बोला|



ये सुनकर तो रुद्र और गौरी दंग रह गए|


उस आदमी का अंतिम संस्कार कर सब जब घर लौटे तो यही सोच रहे थे की ये सब कर कौन रहा है?क्या ये किसी की साजिश है या सच मे कोई प्रेतात्मा हैऔर गाव वालो को कैसे इस तकलीफ से बचाये?

उधर विकास बदले की आग मे जल रहा था| उसने ठान लिया था की वो गौरी से उस थप्पड़ के बदला लेकर रहेगा|

गाव वाले! वो तो बेचारे अपना सारा गम छिपा कर पूजा की तैयारी मे लग गए| क्योंकि अगले दिन दुर्गा पूजा का भव्य अवसर था|




रुद्र और गौरी आज शाम के समय गाँव मे बाहर घुमने के लिए निकले थे|

वैसे तो पंडितजी ने उन्हें घर से निकलने के पहले ही बता दिया था की वो अँधेरा होने से पहले वापस आ जाये पर रुद्र और गौरी तो यही ठान कर निकले थे कि वो रात को बाहर घूम कर देखेंगे की सच्चाई क्या है! उन्होंने पंडितजी को नहीं बताया क्योंकि वो उन्हें ऐसा करने नही देते और वो दोनो चाहते थे की कल दुर्गा पूजा वाले दिन गाव वालो की सारी मुसीबते खत्म हो जाये!








रुद्र गौरी सारा गाव घूम रहे थे|
घूमते घूमते वो एक बडे से पेड के पास आ पहुँचे जो गाव से थोडा ही दूर था|

गौरी : रुद्र कुछ देर यहा बैठ जाते हैं| चलते चलते मेरे पैर दर्द करने लगे हैं|
रुद्र और वो वहा बैठ गए|


रुद्र : गौरी! तुम्हारी सीमा आंटी से बात हुई? 

गौरी : दरअसल रुद्र मैने अपना फोन ऑफ करके रखा है!

रुद्र : पर क्यों? तुम पागल हो क्या गौरी?तुमने अपना फोन ऑफ करके रखा है तो जानती भी हो वहा सीमा आंटी कितनी परेशान हो रही होंगी तुम्हे लेकर!

गौरी : आप चिंता मत किजीए रुद्र! मैने ममा को बता दिया था कि मै अपना फोन ऑफ करने वाली हू| इन फँक्ट वो तो ये भी जानती है की आप मेरे साथ हो| तभी तो वो निश्चिंत है|

दरअसल सिद्धार्थ नही चाहते थे की मै यहा आउ| इस बात पर हमारा बहुत झगडा भी हो गया था| तो मै उन्हें बिना बताये यहा चली आयी| अब जब मेरा फोन ऑफ रहेगा तो मुझसे बात नहीं होगी और जब कुछ दिन तक मुझसे बात नहीं होगी ना तो उन्हें खुद ही अपनी गलती समझ आ जायेगी|


सिद्धार्थ का नाम सुनते ही रुद्र का चेहरा उतर गया और ये बात गौरी को समझ आ गई|



गौरी : अच्छा एक बात बताइये रुद्र! आप मेरे भी पहले गाडी मे आकर बेठे थे! आपको कैसे पता चला था कि मै यहा आने वाली हू?



रुद्र : मैडम शायद आपको याद नही पर आपने निकलने से पहले पापा को मैसेज किया था छुट्टी के लिए! तब पापा और मै साथ ही बैठे थे| उन्होंने जब मुझे बताया तब मुझे समझ आ गया की तुमने लिव ली है मतलब तुम यही आओगी और लिव अगले दिन से थी तो ये भी समझ आ गया की तुम रात को ही निकलोगी| इसलिए मै भी निकल पडा| भला मै तुम्हें अकेले कैसे छोड़ सकता था?




रुद्र की ये बात सुनकर गौरी के चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई| वो रुद्र से लिपट गई| रुद्र भी उसे खुश देखकर खुश था|



अब अंधेरा हो गया था| अंधेरा होने से पहले ही सबने अपने दरवाजे बंद कर लिए थे और पूरा गाँव सुनसान हो गया था| 
अचानक गौरी को वहा कुछ अजीब सा महसूस हुआ और वो रुद्र से दूर हो गई|


"क्या हुआ गौरी? तुम ठीक तो हो?" रुद्र गौरी के अजीब बरताव के बारे में पूछने लगा|



पर गौरी एकदम हक्की बक्की आस पास देख रही थी| उसके चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था|


"गौरी! क्या हुआ?" 



"श्श्श्श......! आवाज़ मत करीए! यहा हमारे अलावा कोई और भी है रुद्र!" रुद्र की बात को काटते हुए गौरी ने डरते हुए कहा|



"कोई और भी है मतलब? क्या यहा कोई प्रेतात्मा?" रुद्र ने जिज्ञासा मे पूछा|


"हाँ! मै महसूस कर सकती हू| इसकी ताकत इतनी हैं की मै इस माला के होते हुए भी उसकी शक्ति को महसूस कर पा रही हू रुद्र! मुझे लगता है हमे यहा से चलना चाहिए! मुझे बहुत डर लग रहा है!" गौरी पसीने से तरबतर हो चुकी थी|


गौरी की ये बात सुनकर रुद्र उसके पास आया| उसका हाथ अपने हाथ मे लिया और कहने लगा, "गौरी मै जानता हूँ कि तुम्हें डर लग रहा होगा और शायद किसी को भी लगेगा| पर एक बात बताओ गौरी! कोई ना कोई बात तो जरूर होगी ना जिसकी वजह से शिवजी ने ये अद्भुत शक्ति सिर्फ तुम्हें दि है?
उन्होने ये ताकत तुम्हे इस वजह से दी है क्योंकि वो जानते हैं कि तुम इन सारे लोगो को बचा सकती हो!

एक बार इन गाव वालो के बारे मे सोचो| कितनी उम्मीदे है इन्हें तुमसे! इस तरह डरकर उन उम्मीदो पर तुम कभी खरी नही उतर पाओगी गौरी! इसलिए प्लीज खुदको ब्रेव बनाओ! तुम अगर इन सब को देख सकती हो तो उनसे लड भी सकती हो और क्या पता शायद ये लोग तुमसे बात करना चाहते हो? तुम्हें कुछ बताना चाहते हो? तुम मेरी बात समझ रही हो ना गौरी?" रुद्र उसे बहुत प्यार से समझा रहा था|

रुद्र की बात मे सच्चाई थी| गौरी ये समझ गई और आने वाली मुसीबत से लड़ने के लिए तैयार हो गई|

"आप चिंता मत करीए रुद्र अब मै नही डरूंगी| वैसे भी आपके साथ होते हुए मुझे किस बात का डर?" हल्की सी स्माइल के साथ उसने रुद्र को खुश कर दिया|



अब समय था सामने आई मुसीबत का सामना करने का!


"रुद्र यहा जरूर कुछ तो हुआ है वरना मुझे ऐसा एहसास न होता! "

उसने शिवजी का नाम लेकर अपनी माला उतारी और रुद्र के हाथ मे दे दी| डर तो वो बहुत रही थी पर अब वो उसे काबू करने की कोशिश भी कर रही थी|

उसने इधर उधर देखा|  आसपास कोई नहीं था|
उसने पेड के थोडा पास जाकर भी देखा पर वहा भी कुछ नही था|
रुद्र उसके पीछे ही खडा था|

"क्या हुआ गौरी? कुछ दिखा?" रुद्र ने पूछा|


तभी गौरी को पेड की डालियो कि हल्की आवाज़ सुनाई पडी| पर वो आवाज सिर्फ गौरी को ही सुनाई पडी थी| वो आवाज़ सुनते ही गौरी डर गई|



वो बहुत डरते हुए ही पिछे मुडी| रुद्र उसी की तरफ देख रहा था|
फिर गौरी ने धीरे से डरते हुए उपर पेड की डालियो की तरफ देखा|

उसने जो देखा वो देखकर उसकी आँखे खुली की खुली रह गयी| वो पसीना पसीना हो गई| उसकी आँखे बंद होना चाहती थी पर उसने जैसे तैसे खुदको संभाला था|


पेड पर एक बहुत ही डरावना पिशाच्च बैठा हुआ था|
बदन पर फटे हुए सफेद रंग के खुन से सने कपडे, बहुत नुकीले दात, लंबी खून से भरी जबान जो मुह से बाहर आ रही थी| लंबे नाखून, आँखे पूरी सफेद! उसका पूरा चेहरा खराब हो चुका था मानो किसी ने उसका चेहरा रौंद दिया हो! पूरे शरीर पर घाव के निशान जिनसे लगातार खुन बह रहा था|

उसी मे से कुछ खून की बुंदे गौरी के चेहरे पर गिरी और उसी के साथ गौरी बहुत जोर से चिल्लायी|




रुद्र को भी वो खून की बूँदे नजर आयी| पर जब उसने उपर देखा तो उसे वो पिशाच्च नजर नही आ रहा था|




गौरी के चिल्लाते ही वो पिशाच्च सीधा गौरी के उपर कूद पडा| गौरी नीचे गिर गई|


वो सीधा गौरी के उपर बैठकर उसे खाने के लिए तैयार था|गौरी उसका खाना थी|
गौरी हाथो से उसे दूर करने की कोशिश करने लगी| इसलिए उसने गौरी के दोनो हाथ पकडे| उसके हाथ पकडने से गौरी के हाथो पर उसकी उँगलियाों के निशान बनने लगे| गौरी बहुत जोर जोर से चीख रही थी|

ये सब इतनी जल्दी मे हुआ की रुद्र कुछ समझ नहीं पाया और उसे सब दिखाई दे रहा था सिवाय उस पिशाच्च के! 

वो गौरी के हाथो पर पडे वो निशान भी देख पा रहा था पर उस पिशाच को नही!


जैसे ही उसे समझ आया की शायद कोई पिशाच गौरी पर हमला कर रहा है, वो गौरी को बचाने आगे आया| वो जाकर गौरी को उसकी माला पहनाना वाला था|

पर जैसे ही वो उस पिशाच के नजर मे आया उस पिशाच ने उसपर भी अपने नाखूनो से वार करके उसे दूर फेंक दिया और फिर से अपना रुख गौरी की तरफ मोडा|

वो पहले गौरी का खून पीना चाहता था| उसने अपने नुकीले दात गौरी के गर्दन मे गाड दिए| उसी के साथ गौरी दर्द से करहा उठी|

वो पिशाच उसका खून पीने लगा|



गौरी की आवाज़ सुनकर रुद्र जैसे तैसे रुद्र उठा और दूर से ही वो माला गौरी की तरफ फेंक दी|


वो माला सीधे जाकर उस पिशाच के शरीर पर पडी और उसका बदन जलने लगा| वो गौरी से दूर हो गया| वो दर्द से चींखने लगा| रुद्र को भी उसके चींखने की आवाज़ें आने लगी| वो पिशाच उस माला के प्रभाव से बचने के लिए गायब हो गया|

फिर रुद्र ने वो माला उठायी और गौरी के गले में डाल दी| गौरी के गर्दन पर बहुत बडा घाव हो गया था और उससे बहुत खून भी बह रहा था| रुद्र ने जैसे तैसे गौरी को उठाया|


"गौरी! गौरी! तुम ठीक हो? हे भगवान कितनी चोट लगी है तुम्हें!" रुद्र गौरी को इस हालत मे नहीं देख पा रहा था|



"मै ठीक हू रुद्र! जल्दी चलिये यहा से! यहा बहुत गलत  हुआ है किसी के साथ! प्लीज चलिये यहा से! आपको भी तो कितनी चोट लगी है! चलिये यहा से!" गौरी रोते हुए बोली|



रुद्र गौरी की बात से सहमत था| वो गौरी को लेकर वहा से चला गया|





उधर पंडितजी उन दोनो की चिंता कर रहे थे क्योंकि बहुत रात हो गई थी और वो घर नही लौटे थे|




गौरी से ठीक से चला भी नही जा रहा था| पर वो दोनो सारी ताकत जुटाकर जैसे तैसे घर की तरफ जा रहे थे|
रुद्र और गौरी दोनो जल्दी जल्दी कदम उठा रहे थे|

तभी अचानक किसी ने रुद्र के सिर पर बहुत जोर से पीछे से वार किया और वो बेहोश होकर नीचे गिर गया|

उसे नीचे गिरा देख गौरी चींख पडी|
वो रुद्र को उठाने लगी पर रुद्र बेहोश हो गया था| वो भी दर्द से बेहाल थी|

उसने पीछे मुडकर देखा तो पीछे विकास था| उसके हाथ मे बहुत बडा लोहे का रॉड था| उसी से उसने रुद्र पर वार किया था| उसके साथ उसके कुछ आदमी भी थे|


" तुम? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई? मै तुम्हे नही छोडुंगी! मै अभी सब को बुलाती हू!" गौरी रोते हुए कह रही थी|


गौरी की इस बात पर वो सब हँस पडे|
विकास हसते हुए गौरी के पास गया और उसके बाल पकडकर उसे उठाया|

"सब को बुलायेगी? सुना तुम लोगों ने? ये सब को बुलायेगी! चल बुला! बुला किसको बुलाना है!

भलेही तु कितना भी चीख ले, चिल्ला ले कोई नही आयेगा! रात होते ही ये सारा गाव श्मशान बन जाता है| हम भी नही निकलते बाहर पर तुम्हे मारने के लिए निकलना पडा| रात के वक्त बाहर निकल कर तुम लोगो ने बहुत बडी गलती कर दी|

मुझपर हाथ उठाया था ना तुने! अब देख मै तेरा हाल क्या करता हूँ!


उसने गौरी को बहुत जोर से थप्पड़ मारा| उसी के साथ गौरी नीचे गिर गई|



जब उसने विकास की तरफ देखा तो उसके हाथ मे तलवार थी|


"अब ना रहेगी तू और ना रहेगी गाव वालो की उम्मीद!" वो गौरी की तरफ बढने लगा| पर गौरी ने नीचे गिरी मिट्टी उनकी तरफ उछाल दी| आँखो मे मिट्टी जाने के कारण उन लोगों को कुछ दिखाई नही दे रहा था| इसी का फायदा उठाकर गौरी वहा से भाग निकली|




वो बेचारी पहले से घायल थी| जैेसे तैसे उन लोगों की नजरो से छुपते छुपते वो भाग रही थी|
भागते भागते वो मंदिर तक आ पहुँची| छिपने के इरादे से वो मंदिर मे जाना चाहती थी पर मंदिर पर बहुत बडा ताला था|


तभी उसे पीछे से विकास आते हुए दिखा|
उसके पास कोई रास्ता ना होने की वजह से उसने सामने पडा बडा सा पत्थर उठाया और मंदिर का दरवाजा तोड दिया|


उसने मंदिर का दरवाजा खोल दिया और मंदिर के अंदर चली गई| तभी मंदिर की घंटिया जोर जोर से बजने लगी और वहा बहुत जोरो की हवा चलने लगी|


विकास गौरी को मंदिर मे जाता देख लिया था| उसके आदमी उसके पीछे जाने ही वाले थे पर उसने सब को रोक लिया|



"नही! नही! रुक जाओ! तुम जानते हो ना अंदर क्या है? माँ दुर्गा के प्रकोप की वजह से मंदिर के दरवाजे बंद थे| अब अगर इसने मंदिर खोल दिया है तो माता का प्रकोप शुरु होते देर नही लगेगी| इसे तो वैसे भी मरना ही है| देवी के प्रकोप से इसे कोई बचा नही पायेगा| अब जल्दी यहा से चलो वरना कही ऐसा ना हो की हम भी देवी के क्रोध के चपेट मे आ जाये!" विकास की इस बात पर सब वहा से चले गए|



गौरी मंदिर के अंदर तो चली गई| पर मंदिर मे बहुत जोर से हवा चल रही थी|



वो एक बहुत ही बडा मंदिर था| पर कई दिनो से बंद होने के कारण अंदर का सब बहुत ही डरावना लग रहा था| पर गौरी जैसे तैसे हवा को चिरते हुए  अंदर गई| अंदर माँ दुर्गा की बहुत ही बडी मूर्ति थी| पर उसे बंद करके रखा गया था| उसे देखते ही गौरी का डर कुछ कम हो गया| उसने झुक कर माता को प्रणाम किया|


"मै नही मानती की आपका प्रकोप इन गाव वालो पर पड सकता है| आप तो दया का सागर है| आप ऐसा नही कर सकती|" गौरी देवी से बात करने लगी|



तभी अचानक उसे याद आया की वो लोग उसका पीछा करते हुए अंदर भी आ सकते हैं|


"ओम नम: शिवाय!  मुझे जल्द ही कही छुपना होगा| वरना वो लोग मुझे मार डालेंगे|  मेरे रुद्र की रक्षा करना माँ!" इतना कहकर गौरी मंदिर के पीछे चली गई| वो मंदिर के पीछे वीरान पडी जगह मे जाकर छिप गई|


वो बहुत ही डरी हुई थी और थक भी गई थी| उसकी चोट से बहुत खून भी बह रहा था| वो दर्द से बेहाल थी|



गौरी कुछ देर आँखे बंद करके वही बैठी रही|


पर अचानक उसका हाथ नीचे एक जगह जमीन पर पडा|
उसे वहा कुछ अजीब महसूस हुआ| थोडी देर पहले हुए पिशाच के हमसे से वो बहुत ही डरी हुई थी| इसलिए वो अपनी माला उतारना नही चाहती थी| पर तभी उसे रुद्र की बात याद आयी| उसे वो सब याद आया जो रुद्र ने उसे समझाया था और उसने हिम्मत करके अपनी माला उतार कर नीचे जमीन पर रख दी|

उसने आसपास देखा पर उसे कोई नजर नही आया|
इसलिए उसने फिर उसी जगह पर हाथ रखा जहा उसे कुछ अजीब एहसास हुआ था|


जैसे ही उसने वहा हाथ रखा उसने देखा की कल्याणी एक बडे से गड्ढे मे बहुत बुरी हालत मे पडी हुई है और उसे मिट्टी के नीचे गाडा जा रहा है|


"हे शिवजी! इसका मतलब..... इसका मतलब.... कल्याणी यही..... जमीन के नीचे...!" गौरी की आँखो से आँसू बहने लगे|




"हाँ! तुमने सही कहा| यही! इसी जगह मुझे दफना दिया! माँ दुर्गा भी कुछ नही कर पायी!" अचानक किसी की आवाज़ गौरी के कानो मे पडी|

उसने सामने देखा तो वो कल्याणी थी|
बिल्कुल वैसी जैसी उसने तस्वीर मे देखा था|
चेहरे से मासूम, आँखो में सच्चाई, लंबी चोटी,  साडी पहनी हुई थी वो! प्रेतात्मा होने के बावजूद वो बहुत ही सुंदर लग रही थी|

गौरी को उसे देखकर जरा भी डर नहीं लगा क्योंकि उसमे डरने जैसा कुछ था ही नहीं!




उधर रुद्र और गौरी बहुत रात होने के बावजूद घर नही पहुंचे इसलिए पंडितजी ने गाव के बहुत सारे लोगो को जमा किया और वो उन दोनो की खोज मे निकल पडे|





वो लोग ढुंढते ढुंढते रुद्र तक पहुँचे| उन्हें रुद्र जखमी हालत मे वहा पडा हुआ मिला| वो सब लोग रुद्र को लेकर घर चले गए पर गौरी उसके साथ नहीं थी| पंडितजी गौरी को भी ढुंढने जाना चाहते थे पर गाव वालो ने उन्हे रोक दिया क्योंकि कुछ ही देर मे 3 बजने वाले थे और उनका मानना था कि उस वक्त वो पिशाच बहुत ही ज्यादा ताकतवर हो जायेगा| इसलिए वो लोग रुद्र को लेकर चले गए|






रुद्र को घर ले जाकर उन्होने उसका इलाज किया पर रात भर उसे होश नही आया|

11 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

गुड़

7 दिसम्बर 2021

41
रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
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<div>सिंघानिया मँशन मे पार्टी की शानदार तैयारीयाँ की गई थी|</div><div>हर तरफ रौशनी, रंगबिरंगे फूल, र

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 31)

8 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>गौरी अपने कमरे मे देर रात तक कुछ का

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 32)

9 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>" आह्ह!!!" गौरी जमीन पर गिर पडी|</div><div><br></d

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 33)

10 नवम्बर 2021
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<div>सिंघानिया मँशन मे रुद्र और रिया की सगाई की तैयारीयाँ शुरू हो गई थी| रेवती तो बहुत ही खुश थी| रि

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 34)

11 नवम्बर 2021
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<div>आगे की कहानी 6 महीने बाद.... </div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>बेताह

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 35)

12 नवम्बर 2021
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<div>रुद्र और गौरी अामने सामने थे|</div><div>दोनो के आँखो से लगातार आँसू छलक रहे थे|</div><div><br><

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

13 नवम्बर 2021
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<div>सब लोग हॉल मे बैठकर शालिनी जी के हाथ का बना हलवा खा रहे थे|</div><div><br></div><div>"आप सब लोग

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 37)

14 नवम्बर 2021
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<div>एक सेवक रुद्र और रिया को लेकर महल के अंदर जा रहा था| जैसे जैसे रुद्र आगे बढ़ रहा था उसे सब बहुत

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 38)

15 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र ने गौरी को नीचे गिरा दिया था| गौरी की कमर मे

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क्या हुआ...तेरा वादा... (भाग 39)

16 नवम्बर 2021
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<div>पूरे महल और पूरे राज्य मे युवराज्ञी के भव्य स्वयंवर की तैयारीया चल रही थी|</div><div><br></div>

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 40)

17 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>गौरी मलबे के नीचे दब गई थी |</div><div><br></div><div>बेहाल होकर पड़ा हुआ रुद्रा

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