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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 21)

29 अक्टूबर 2021

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शालिनी जी और विवेक जी ने अपने निस्वार्थ प्यार से और रुद्र ने अपनी दोस्ती से गौरी कि जिंदगी फिर से खुशीयों से भर दी|


गौरी का दुख बहुत बडा था  पर उन सब लोगो को लिए उसने भी अपना गम छिपा लिया और पहले वाली गौरी बन गई|


इन सब के दौरान गौरी और रुद्र का रिश्ता और भी गहरा हो गया|

ये सब देखकर शालिनी जी और विवेक जी के दिल मे कही ना कही ये विश्वास जगह करने लगा था कि कभी ना कभी तो रुद्र और गौरी एकसाथ हो जायेंगे|


क्योंकि उन लोगों को गौरी मे वो सारे गुण पहले से ही नजर आते थे जो उन्हे रुद्र की पत्नी मे चाहिये थ इसलिए वो लोग भी रुद्र और गौरी को मिलाने के लिए हर सफल प्रयास कर रहे थे|




एक दिन 
शालिनी जी और विवेक जी कुछ पुराने एल्बमस् गौरी को दिखा रहे थे उसमे रुद्र के बचपन की कई यादे थी|
सब फोटोज् देखते देखते रुद्र की एक ऐसी फोटो आ गई जिसमे रुद्र ने कपडे ही नही पहने थे| इससे पहले की वो देखकर गौरी कोई रिएक्ट करे रुद्र ने वो फोटो निकालकर अपने पास रख ली|


"ये क्या रुद्र? दिखाइये वो फोटो! मुझे देखनी है!" गौरी उससे कहने लगी|


"कोई जरुरत नही!  बाकि फोटोज् देखो ना! कितनी खुबसुरत है! इसमे क्या रखा है?" रुद्र ने फोटो छिपाते हुए बोला|


गौरी उठी और उससे वो फोटो लेने लगी पर रुद्र उसे वो फोटो दे ही नही रहा था| रुद्र आगे आगे और गौरी उसके पीछे पीछे!

"देखिये ना अंकल! बोलिये ना इन्हे की फोटो दिखा दे!" गौरी विवेक जी से शिकायत करने लगी|

पर विवेक जी और शालिनी जी दोनो उनके इस बचपने को देखकर बहुत हँस रहे थे|

और रुद्र के पीछे भागते भागते अचानक गौरी का पैर ट्विस्ट हुआ और वो नीचे गिर पडी| उसके पैर मे बहुत दर्द उठा| शालिनी जी उसे उठाने जा रही थी पर विवेक जी ने उन्हें रोक लिया|


दूसरी ओर रुद्र उसे नीचे गिरा देखकर बहुत हँसना लगा|

"कहा था ना मैने कि मेरे पीछे मत भागो| मेरी बात सुन लेती तो ऐसा नही होता ना! अब चलो उठो!" रुद्र दूर से ही खडा होकर उसे उठने के लिए कहने लगा|


"ओह जस्ट शटअप रुद्र! कितने बदतमीज हो गए हो आप! एक लडकी नीचे गिरी पडी है और हँस रहे हो! इतना ही नही बल्कि आप दूर से ही उसे उठने के लिए कह रहे हो! इधर आइये और मेरी मदद करीये उठने मे!" गौरी अपना हाथ रुद्र की तरफ बढाते हुए बोली|


रुद्र उसे उठाने के लिए उसके हाथ मे अपना हाथ देने ही वाला था कि रुद्र को किसी ने आवाज़ दी|


"रुद्र!" 



रुद्र ने पीछे मुडकर देखा| एक बहुत ही खुबसुरत मॉडर्न लडकी दरवाजे पर बडी सी स्माइल के साथ खडी थी|

उसे देखते ही रुद्र के चेहरे पर खुशी छा गई|

उसने अपना हाथ पीछे ले लिया और गौरी को वही पर छोडकर भागते हुए गया और उस लडकी के गले लग गया|



वो दोनो बहुत कसकर गले लग रहे थे और जोर जोर से चिल्ला चिल्लाकर उछल रहे थे|

ये देखकर गौरी को पता नही क्यो पर बहुत बूरा लगा|
वो उसे वैसे ही जमीन पर दर्द से कराहता छोड गया था|

उस लडकी ने रुद्र को देखते ही देखते गाल पर किस कर लिया| ये देखकर तो गौरी के गुस्से का पारा और चढ़ गया| गौरी के चेहरे से वो साफ नजर आ रहा था|


"अरे बस कर चुडैल! तेरा बस चले तो मुझे खा ही जाये!" रुद्र उस लडकी के गाल खिंचते हुए कहने लगा|

"सच कहा तुने! तू मेरा है! मेरा जो मन करेगा मै वो करूंगी! मन करे तो तुझे कच्चा भी खा जाउंगी!" वो रुद्र के कंधे पर हाथ रखते हुए बोली|

पता नही क्यो पर गौरी को ये सब देखकर गुस्सा आ रहा था| उस समझ ही नही आ रहा था कि वो लडकी है कौन!


इसी बीच वहा एक औरत आ गई| उसके हाथ मे कुछ बैग्स थे|

"अरे बस बस! अब कोई मुझे भी तो देखो!" वो औरत बोली|

जैसे ही रुद्र ने उन्हें देखा उसने उनके पैर छुए और उनके गले लग गया|


विवेक जी और शालिनी जी भी उनके पास गए उनसे गले मिले और उनका हाल चाल पूछा|


गौरी के तरफ तो कोई ध्यान ही नही दे रहा था|


वो औरत विवेक जी की बहन रेवती थी और वो लडकी उनकी बेटी रिया थी| 
रिया भी रुद्र के ही उम्र की थी| वो उसे बचपन से जानता था|

उनसे मिलने के बाद रुद्र को अचानक गौरी के बारे मे याद आया| उसने जब उसकी ओर देखा तो वो वही निचे बैठी गुस्से से आगबबूला हो रही थी|

उसे देखते ही रुद्र जो समझना था समझ गया|
तभी शालिनी जी का ध्यान भी गौरी पर गया|
वो भागकर गौरी के पास गई और उसे उठाया|
"अरे गौरी मुझे माफ कर दो बेटा! उठो!"


"कोई बात नहीं आंटी!" गौरी रुद्र की तरफ गुस्से से देखते हुए बोली|

"गौरी बेटा  इनसे मिलीये! ये है मेरी बहन और रुद्र की बुआ रेवती!  ये इनकी बेटी है रिया!" विवेक जी गौरी से कहने लगे|
 वो शालिनी जी के सहारे आगे आयी| उसका पैर ट्विस्ट होने की वजह से वो ठीक से चल नही पा रही था|

गौरी ने रेवती जी के पैर छूए| मन ना होते हुए भी उसने रिया से हाथ भी मिलाया|

"रुद्र और रिया दोनो बचपन से एकसाथ ही रहे हैं| इन फँक्ट दोनो स्कूल मे एकसाथ ही पढे है| इसलिए ये दोनो इतने अच्छे दोस्त हैं|" विवेक जी बताने लगे|

गौरी नकली स्माइल कर रही थी|


"अब आप लोग क्या यही पर खडे रहेंगे? राघू चाचा!" शालिनी जी ने राघू चाचा को आवाज लगाई|

राघू चाचा भागते भागते आये| उन लोगों को देखकर वो भी बहुत खुश हुए|

शालिनी जी ने उन्हे उनका सामान कमरे मे रखवाने के लिए और कमरा दिखाने के लिए कहा|

"चल चुडैल! तुझे तेरा कमरा मै दिखाता हू|" रुद्र ने रिया का हाथ पकडा और उसे कमरा दिखाने के लिए ले गया|


रुद्र के हाथ मे रिया का हाथ देखकर गौरी को बहुत गुस्सा आया इसबार शालिनी जी ने वो गुस्सा नोटिस कर लिया|

सब लोग अंदर चले गए| गौरी को लगा कि सब लोग उसे छोडकर चले गए| उसे चलने के लिए किसी के सहारे की जरुरत थी|

तभी किसी ने उसके कंधे पर हाथ रखा|

वो शालिनी जी थी| शालिनी जी उसी के लिए रुकी थी|

"आप मेरे साथ आईये! मै आपको कमरे मे लेकर चलती हूँ और हा सरसो के तेल से मालिश भी कर दूंगी आपके पैर की! फिर देखना आपका पैर चुटकी मे ठीक हो जाएगा|" शालिनी जी ने उसे सहारा देते हुए कहा|


वो उसे उसके कमरे मे ले गई|
उसके मना करने के बावजूद उन्होंने उसके पैर की मालिश भी कर दी|

उन्हें उसकी मालिश करता देख गौरी की आँखे भर आयी|उसे सीमा जी की याद आ गई|

"क्या हुआ बेटे? बहुत दर्द हो रहा है क्या?" शालिनी जी ने उससे प्यार से पूछा|

"नही! मुझे अगर चोट लग जाती थी ना तो ममा भी ऐसे ही ........ " वो कहते कहते रोने लगी|

शालिनी जी ने उठकर उसे झट् से गले लगा लिया|

"मै भी तो आपकी ममा ही हू ना बेटा! अब आगे से रोना नही| आप मुझे ममा ही कहिये| मुझे भी लगेगा जैसे मेरी भी एक बेटी है|" शालिनी जी ने उससे कहा|

एक माँ को बेटी और बेटी को माँ मिल गई थी|

तभी वहा विवेक जी आ गए|

"अररे! आप लोग मुझे कैसे भूल सकते हो?" विवेक जी ने नाक फुलाते हुए कहा|

उनकी बाते सुनकर शालिनी जी और गौरी खिलखिलाकर हंसने लगे|

उन्हें हसता देखकर विवेक जी भी हँसने लगे और जल्दी से जाकर उन दोनो के गले लग गए|


गौरी के पास सब कुछ था| इस हसीन पल मे गौरी को बस रुद्र की कमी महसूस हो रही थी| वो मन ही मन रिया के आने से उदास थी|






आज दिन भर रुद्र ने गौरी पर जरा भी ध्यान नही दिया था| वो दिनभर रिया के साथ ही था इस वजह से गौरी बहुत गुस्से मे थी| पता नही क्यो पर उसे रिया के साथ बहुत जलन हो रही थी| गौरी ने पहले कभी ऐसा नही किया था|



रात को खाने के टेबल पर भी रुद्र सिर्फ रिया से बाते किये जा रहा था और इससे गौरी को बहुत गुस्सा आ रहा था| गौरी के चेहरे पर वो साफ नजर आ रहा था|

शालिनी जी ने समझ चुकी थी| शालिनी जी ने विवेक जी को भी इशारे से ही गौरी का हाल दिखा दिया| विवेक जी भी समझ गए|

एक वक्त तो ऐसा आया जब रुद्र रिया को अपने हाथ से खिलाने लगा| अब तो गौरी का गुस्सा हद पार कर गया और उसने गुस्से मे रुद्र के पैर पर जोर से अपने सँडल की हिल रख दी और उपर से जोर से दबाने लगी|

रुद्र चिल्ला पडा|

रुद्र के चिल्लाते ही गौरी ने अपना पैर हटा लिया और जैसे ही रुद्र ने उसके तरफ देखा उसने अजीब सी स्माइल कर दी|

रुद्र को तो कुछ समझ ही नही आया|


सब पुछने लगे की क्या हुआ| 
पर रुद्र ने बात ये कहकर टाल दी कि शायद उसे किसी किडे ने काटा है|



"पर बेटा आप तो बहुत जोर से चिल्लाये?" रेवती जी ने पूछा|


"हाँ बुआ! शायद किडा कुछ ज्यादा ही बडा था!" रुद्र ने गौरी की तरफ देखकर कहा|



"ओह रुद्र! तुम्हे दर्द तो नही हो रहा ना? दिखाओ तो! मुझे दिखाओ!" रिया रुद्र के कंधे पर हाथ रखते हुए कहने लगी|

वो देखकर तो गौरी को और गुस्सा आ गया|


उसने गुस्से में जोर से चम्मच टेबल पर पटक दिया और खडी हो गई|

सब लोग उसकी तरफ देखने लगे| 

"क्या हो गया गौरी बेटा?" रेवती जी ने पूछा|

"कुछ नही बुआ जी! मेरा हो गया! मुझे मेरी तबियत कुछ ठीक नही लग रही|मै कमरे मे जा कर आराम करती हू|" गौरी कहने लगी|

"क्या हुआ बेटा? आपने बताया नहीं! सब ठीक तो है ना? आप कहे तो डॉक्टर को फोन कर दू?" विवेक जी ने उससे पूछा|

"नही अंकल!  मै ठीक हू| थोडा आराम करूंगी तो ठीक हो जाऊंगी शायद|" गौरी ने धीमी आवाज मे रुआँसी होकर कहा|
उसने बस जाते वक्त रुद्र की ओर देखा| उसकी आँखों में अब आसू आने ही वाले थे|



रुद्र को शायद कुछ समझ मे आ गया|
गौरी अपने कमरे मे चली गई|

उसने कमरे का दरवाजा बंद कर लिया और गुस्से मे इधर उधर घुमने लगी|

"चुड़ैल कही की! कैसे चिपक रही थी रुद्र से! मन को करता है उसका सर फोड दू मै!
और रुद्र! रुद्र भी हीहीहीहीही हीहीहीहीही! उसके साथ कबसे दाँत निकाल रहे हैं! आने दो! आने दो मुझसे बात करने| बात ही नही करूंगी उनसे अब तो मै! उस चुडैल के आते ही मुझे इग्नोर करने लगे|" गौरी गुस्से मे अपने आप से बाते कर रही थी|

वो आइने के पास गई| 

खुद के चेहरे को दो पल गौर से देखने लगी|

"ये मै क्या कर रही हू? मुझे क्या करना है वो चुडैल रुद्र के कितने ही करीब क्यों ना आये! मै क्यो इतना गुस्सा कर रही हू?अगर वो रुद्र की बचपन की साथी है तो इसमे गलत क्या है? मुझे लगता है मुझे अपने गुस्से पर कंट्रोल करना चाहिये| मुझे लगता है मै पागल हो रही हू|" गौरी आइने मे देखते हुए कहने लगी|


तभी किसी ने उसका दरवाजा खटखटाया|
उसने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर रुद्र था|
उसे समझ नही आ रहा था कि वो रुद्र के साथ कैसे बिहैव करे|

"रुद्र! आप यहा इस वक्त?" 


"हाँ! वो तुमने कहा था ना कि तुम्हारी तबीयत खराब है! तुम ठीक तो हो ना?" रुद्र ने बहुत ही प्यार से पूछा|


"मेरी तबियत? हा... हा..... वो तो बिल्कुल ठीक है% चिंता की कोई जरूरत नही|" गौरी नकली स्माइल करके कह रही थी|


"आर यू शुअर?" रुद्र ने फिरसे पूछा


"हाँ मै बिल्कुल ठीक हू|" गौरी ने भी कह दिया|


"अच्छा ठीक है!" वो आगे भी कुछ कहना चाह रहा था पर कह नही पा रहा था|


"वो... गौरी.... आज दिनभर...........वो रिया..... "
ये सुनते ही गौरी के हावभाव जरा बदल गए|


"आज दिन बहुत थकान भरा था ना रुद्र! मै तो बहुत थक गई हू| मुझे बहुत नींद आ रही है| हम कल सुबह बात करेंगे| ओके गुड नाइट!" गौरी ने एक झटके मे सब कह दिया और रुद्र के मुंह पर ही दरवाजा बंद कर दिया|


गौरी का ये अजीब सा व्यवहार देखकर रुद्र क तो कुछ समझ ही नहीं आया| पर गौरी का उसे इस तरह इग्नोर करना जरा भी अच्छा नहीं लगा था|
वो वहा से उतरा हुआ चेहरा लेकर चला गया|
ये सब दूर खडे विवेक और शालिनी जी ने देख लिया|

विवेक जी चिंता मे थे पर शालिनी जी मुस्कुरा रही थी|


"आप मुस्कुरा रही है? मुझे तो चिंता हो रही है इन दोनो के लिए!" विवेक जी कहने लगे|


"आपने देखा नही विवेक जी? गौरी को रिया से जलन हो रही है| जहा तक मुझे पता है दोस्ती प्यार की पहली सीढी होती है और जलन दुसरी!

जहा तक दोस्ती की बात है, वो तो ये दोनो बखूबी निभा रहे हैं और रही जलन, तो वो तो गौरी दिखाने लगी है|
मुझे लगता है कि गौरी के दिल मे रुद्र के लिए प्यार अपनी जगह लेने लगा है|

विवेक जी क्यो ना हम एक काम करे? हम गौरी और रुद्र दोनों को कुंडली स्वामी जी के पास भेज देते हैं|
हमने आज तक कोई फैसला उनकी अनुमति के बिना नहीं लिया| एक बार देख लेते है दोनो की कुंडलिया मिलाकर
और अगर कुंडली मे कोई प्रॉब्लम हुई तो हम स्वामी जी से मिलकर इसका कोई ना कोई हल निकाल लेंगे| मै चाहती हू कि मेरे बेटे की शादी उसी से हो जिससे वो प्यार करता है|" शालिनी जी ने एक ही दम मे सब कह दिया|

"आप सही कह रही है| पर मुझे पता नहीं क्यो ऐसा लगता है कि उन दोनो की कुंडलिया मिल ही जायेगी आप देखियेगा!" विवेक जी मुस्कुराते हुए कहने लगे|


"जी मै कल ही उन दोनों की कुंडलिया स्वामी जी के आश्रम भिजवा दूंगी|
शिवजी की कृपा रही तो जल्द ही हम इन दोनो को एकसाथ देख पायेंगे|" शालिनी जी की इस बात से दोनो के चेहरे पर हसी छा गई|







अगले ही दिन शालिनी जी ने राघू चाचा के हाथों रुद्र और गौरी की कुंडली स्वामी जी के आश्रम भिजवा दी|
आज सुबह से ही बहुत ज्यादा बारिश हो रही थी|

आज गौरी भी सुबह से ही गुमसुम थी|
आज वो किसी से भी ज्यादा बात नही कर रही थी|
नाश्ते के टेबल पर भी वो बहुत ही शांत थी|

रिया रुद्र से लगातार बहुत बाते किये जा रही थी| रुद्र भी उससे बाते कर रहा था पर आज उसका पूरा ध्यान गौरी पर था|

गौरी नाश्ता करके विवेक जी से रिक्वेस्ट करने लगी कि वो उसे ऑफिस तक लिफ्ट दे|

गौरी रोज रुद्र के साथ ऑफिस जाया करती थी पर आज वो विवेक जी के साथ ऑफिस चली गई|

रुद्र को उसका ऐसा व्यवहार रास नही आ रहा था|

ऑफिस मे भी काम के अलावा गौरी ने रुद्र से और कोई बात नही कि थी| जैसे ही रुद्र कोई बात करने की कोशिश करता था गौरी बात को टाल देती|









रिया अपने रूम मे अपनी बैग मे से कुछ सामान निकाल रही थी| उसमे उसे एक तस्वीर मिली| वो उसकी और रुद्र की बचपन की तस्वीर थी|

वो उस तस्वीर को देखकर मुस्कुराने लगी|


"कितना प्यारा था ना तू बचपन में! वैसे अब भी है! मै तो हमेशा चाहती हू कि हम कितने भी बडे हो जाये पर हमारा रिश्ता पहले कि तरह ही गहरा रहे|

तुझे कभी बोल नही पायी पर मै हमेशा से तुझे बहुत पसंद करती हू और तू देखना मै और तू साथ मे बहुत जचेंगे|" रिया उसकी फोटो सीने से लगाकर बोली|

ये सब दूर खडी रेवती जी देख रही थी|


"ओहो! मुझे लगा की मेरी बेटी बोर हो रही होगी इसलिए मै यहा आयी थी|" रेवती जी अंदर आते हुए बोली|


उन्हे देखते ही रिया डर गई और वो फोटो अपने पीछे छिपा लिया|


"तुम्हें डरने की जरुरत नहीं है रिया| मै तुम्हारी माँ हू| तुम्हारे दिल की बात ना समझ सकू ऐसा तो हो नही सकता| बस तुम हमेशा खुश रहो मै यही चाहती हू और मै ये भी जानती हू कि रुद्र बहुत अच्छा लडका है और उसकी शादी जिस भी लडकी से होगी वो बहुत ही खुशकिस्मत होगी|
सही वक्त आते ही मै भैया से बात करूंगी इस बारे मे|
हमेशा खुश रहो बेटा|" उन्होने रिया के सिर पर मुस्कुराते हुए हाथ फेरा और वहा से चली गई|

पर उनकी बात सुनकर रिया फूले ना समाई| वो बहुत खुश थी|







शाम को भी गौरी विवेक जी के साथ ही घर चली गई| 
रुद्र को अब ये सब बहुत अजीब लग रहा था|

उसने ठान लिया की वो घर जाकर पहले गौरी से बात करेगा और गौरी का मूड ठीक करेगा इसलिए उसने एक प्लान बनाया|

रात को भी खाने के टेबल पर गौरी ने किसी से बात नही कि और खाना खाकर सीधे अपने कमरे मे चली गई|

सब लोग सो गए थे पर गौरी को कहा नींद आने वाली थी|
गौरी भी रुद्र को इग्नोर करके खुश नही थी|
उसे एहसास हुआ कि आज उसने रुद्र के साथ बहुत बूरा बर्ताव किया है|

"ये मै क्या कर रही हू? क्यो कर रही हू? अगर रिया और रुद्र एक-दूसरे को पसंद करते हैं तो मुझे इसमे कोई दिक्कत नही होनी चाहिए| मुझे ये सब रोकना होगा| मुझे अभी जाकर रुद्र से मिलना चाहिए|" इसलिए वो अपने  कमरे से बाहर निकली और रुद्र के कमरे की तरफ जाने लगी| पर तभी किसी ने उसका हाथ पकडकर उसका मुह बंद किया|


गौरी बहुत डर गई पर जब उसने ठीक से देखा तो वो रुद्र था|

"गौरी! डरो मत मै हूँ!" उसने धीरे से गौरी के मुँह से अपना हाथ हटाया|


"रुद्र आप? मै तो डर ही गई थी!" गौरी ने कहा|


"मेरे साथ आओ!" उसने गौरी की आँखो पर काली पट्टी बाँधी और उसका हाथ पकडकर उसे अपने कमरे मे ले गया

"ये सब क्या है रुद्र? ये पट्टी? और आप मुझे कहा लेकर जा रहे हो?" गौरी कई सवाल कर रही थी| 

"श्श्श्श..... बस मुझपर भरोसा रखो और मेरा हाथ थामकर चलती रहो|" रुद्र ने जैसे ही ये धीरे से उसके कान मे कहा उसके तो रौंगटे खडे हो गए और वो एकदम से शांत हो गई|
वो बस रुद्र का हाथ पकडकर चल दी|

रुद्र ने अपने कमरे मे आते ही उसकी आँखों की पट्टी खोली|

गौरी ने आँखे खोलते ही वो बस दंग रह गयी|

सारा कमरा लाइटींग्स से जगमगा रहा था| हर तरफ गौरी के पसंदीदा सफेद गुलाब के फूलो की सजावट थी| उनकी खुशबू से पूरा कमरा महक उठा था| कमरे के बीचोबीच एक टेबल सजाया गया था|

"रुद्र! ये.... ये सब?"

"तुम्हारे लिए! सिर्फ़ तुम्हारे लिए!" रुद्र ने बडे ही प्यार से कहा|

गौरी तो खुशी से झूम उठी| वो कमरे की हर चीज़ छूकर देख रही थी| सब देखते देखते वो एक दरवाजे तक आ पहुँची|

पर इससे पहले की वो उस दरवाजे को खोले रुद्र ने उसे रोक लिया| 

"यहा कुछ नहीं है गौरी बस खराब सामान है! इसे मत खोलो!" रुद्र ने कहा|


"मेरे साथ आओ!" रुद्र ने अपना हाथ आगे बढाया|
गौरी ने भी खुशी खुशी सब भूलकर उसके हाथ मे अपना हाथ दे दिया|

वो उसे टेबल तक लेकर आया|

उसने उसे कुर्सी पर बिठाया और खुद भी उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गया| 
उन दोनो के सामने ढके हुए बोल्स थे|

"ये सब क्या है रुद्र?" गौरी ने पूछा|


"खुद ही देख लो!" रुद्र के कहने पर गौरी ने वो बोल खोला|


वो देखते ही गौरी खुशी से उछल पडी| उसने जाकर सीधे रुद्र को गले लगा लिया| 
वो गौरी की सबसे ज्यादा पसंदीदा बटर स्कॉच आइसक्रीम थी|

"ओह माय गॉड! आपको कैसे पता रुद्र की मुझे ये फ्लेवर पसंद है?" 

"तुम्हारे बारे में मुझे सब पता है गौरी!"


"थैंक यू! थैंक यू! थैंक यू सो मच रुद्र! इतना प्यारा सरप्राइज देने के लिए और मुझे माफ कर दिजीये| मैने कल से आपके साथ बहुत बूरा बर्ताव किया|
पर पता नही क्यो मुझे बहुत गुस्सा आ गया था रिया के आपके इतना करीब......... " गौरी ने कहते कहते खुद को रोक लिया| 


रुद्र को सब समझ आ गया पर उसने जताया नही|



"तुम्हारे लिए एक और सरप्राइज है मेरे पास गौरी!" ये कहकर वो अपने जैकेट की जेब मे ढूंढने लगा पर उसे वो मिल नही रहा था|

"क्या हुआ रुद्र आप क्या ढूंढ रहे हो?" 


"यही तो रखा था मैने कहा गया? शायद मै गाडी मे भूल गया हू| एक मिनट मै अभी लेकर आता हूँ|" रुद्र उठकर जाने लगा पर गौरी ने हाथ पकडकर उसे रोक लिया|


"जाने दिजीये ना रुद्र! बाद मे दे दिजीयेगा| हम दोनो पहले साथ बैठकर आइसक्रीम खा लेते हैं ना! वरना ये पिघल जायेगी!" गौरी प्यार से कहने लगी|


"कोई बात नही गौरी! बस दो मिनट! मै अभी गया और अभी आया!" गौरी रुद्र को मना नहीं कर पायी|

"ठीक है पर जल्दी आइयेगा| जब तक आप नही आयेंगे मै भी आइसक्रीम नही खाऊँगी|"  गौरी ने कह दिया|


रुद्र भी उसकी बात मानकर भागते हुए गाडी की तरफ गया|
बारिश अब भी लगातार चल रही थी|
रुद्र जल्दी से वो चीज लेकर गौरी के पास जाने लगा|



पर तभी रास्ते में रिया ने उसे रोक लिया|

"अरे रुद्र! अच्छा हुआ तुम यही मिल गए| मै तुम्हारे ही कमरे मे आने वाली थी| तुम मेरे साथ चलो| मुझे तुम्हे कुछ दिखाना है|" रिया उसका हाथ पकडकर कहने लगी|



"रिया! अब?? इस वक्त?" 


"हाँ! तो क्या हुआ? तुम चलो मेरे साथ!" रिया उसका हाथ खींचते हुए कहने लगी|


"नही रिया अभी नहीं! अभी मुझे कुछ काम हैै| हम कल बात करते है|तुम्हे जो भी दिखाना है तुम मुझे कल दिखा देना|" रुद्र मना करने लगा|


"मना तो तुम ऐसे कर रहे हो जैसे की तुम्हारे कमरे मे तुम्हारी गर्लफ्रेंड तुम्हारा वेट कर रही हो! रुको तो मै अभी जाकर देखती हू|" वो रुद्र के कमरे की तरफ जाने लगी|
रुद्र डर गया| अगर रिया वहा गौरी को देख लेती तो बेवजह बवाल हो जाता|

"नही! नही! रुको मेरी माँ! मै चलता हू तुम्हारे साथ! चलो दिखाओ जल्दी क्या दिखाना है!" रुद्र के पास अब कोई चारा नही बचा|


"ये हुई ना बात चलो!" रिया उसका हाथ पकडकर उसे ले गई

इधर गौरी रुद्र का इंतजार कर रही थी|



रिया रुद्र को अपने कमरे मे लायी और उसे अपने बचपन की सारी तस्वीरे दिखाने लगी|

उसने रुद्र को एकएक कर कई एल्बमस् दिखाई| रुद्र का मन तो गौरी के पास ही था पर वो रिया के भी टाल नही पा रहा था|

रिया हर एक तस्वीर के साथ जुडा हर एक किस्सा उसे बता रही थी.|

ऐसा करते करते काफी समय बीत गया|


उधर गौरी भी रुद्र का इंतजार करते करते सो गई थी|
जब अचानक उसकी आँख खुली तो उसे लगा रुद्र आ गया होगा| पर रुद्र अब भी नही आया था|

सारी आइसक्रीम पिघलकर पानी हो गई थी|

गौरी को रुद्र की चिंता हुई इसलिए वो उसे देखने नीचे जाने लगी|



उधर जब रिया को नींद आने लगी तब उसने सारी एल्बमस् समेटी|


"अच्छा रिया! अब मै चलता हू|  मुझे बहुत नींद आ रही है| कल सुबह ऑफिस भी तो जाना है|" रुद्र ने कहा|




"ठीक है| तुम जाकर सो जाओ| मै भी ये सब समेटकर सो जाती हू|" ये कहकर रिया सब समेटने लगी और वो सारी एल्बमस् उठाकर अल्मारी की तरफ जाने लगी| रुद्र भी जाने लगा| 

उधर से गौरी भी रुद्र को देखने बाहर निकली|



रुद्र जा ही रहा था कि वो सारी एल्बमस् एकसाथ उठाने से रिया के बैलेंस बिगडा और वो नीचे गिरने ही वाली थी| वो जोर से चिल्ला पडी|

उसकी आवाज़ सुनकर रुद्र पीछे मुडा और उसे संभालने के लिए आगे आया| पर फिर भी उसके हाथ वो सारी एल्बमस् गिर गई और रिया को बचाने के चक्कर में रुद्र भी रिया के साथ गिर पडा|


वो दोनो ही बेड पर गिर पडे|

तभी वहा से गुजरती गौरी ने रिया की आवाज सुनी और वो भागते हुए रिया के कमरे की तरफ आयी|

दरवाजे पर खडे होकर उसने जो देखा उससे तो वो सुन्न रह गयी|


रिया बेड पर नीचे थी और रुद्र उसके उपर था|
दोनो एक-दूसरे के बहुत करीब थे|


ये देखकर गौरी की आँखो से अपने आप आँसू बहने लगे|


रुद्र को अपने इतने करीब पाकर रिया तो मन ही मन बहुत ज्यादा खुश थी| पर साथ ही उसकी धड़कने भी बढ गई थी| 

पर रुद्र को वो अच्छा नही लगा|

वो झट् से उसके उपर से उठा और अपने कपडे ठीक करने लगा|  रिया भी उठकर अपने कपडे ठीक करने लगी|

वो कपडे ठीक करते हुए पीछे मुडा ही था कि उसे दरवाजे पर खडी गौरी दिखाई पडी| उसकी आँखों से आँसू छलक रहे थे|

वो रोते रोते ही वहा से चली गई|

रुद्र समझ गया कि गौरी को ये सब देखकर बहुत बडी गलतफहमी हो गई थी|
पर वो रिया के सामने कुछ बोल भी नही पाया वो सीधे गौरी के पीछे भागा|

गौरी भागते हुए उसी कमरे मे आयी|

वो बहुत गुस्से में थी साथ ही रो भी रही थी|

वो कमरे का सारा सामान फेकने लगी|
तभी रुद्र वहा आया| वो गौरी को रोकने गया पर गौरी ने उसे हाथ से ही दूर रहने का इशारा कर दिया|

वो उस टेबल के पास गई और वो सारी आइसक्रीम फेंक दी,वो टेबल पलट दिया, सारे फूल फेंक दिये|

गौरी रुकने का नाम नही ले रही थी|

तब रुद्र ने उसकी दोनों बाहे पकडी और कहने लगा,"रुक जाओ गौरी! रुक जाओ! ये सब क्या कर रही हो तुम? तुमने जो देखा वो सच नही है| तुम्हे गलतफहमी हो रही है|" रुद्र लगभग चिल्लाकर ही बोला|


"मुझे मत समझाइये क्या सही है और क्या गलत! सब अपनी आँखों से देखा है मैने!
मै पागल.... यहा बैठकर.... कबसे आपका बेवकूफों की तरह इंतजार कर रही हूऔर आप हैं कि...." गौरी रोते हुए कहने लगी|


"तुमने जो देखा वो सच नही है गौरी!अब मै तुम्हे कैसे समझाऊ?" रुद्र भी रुआँसा हो गया


"आपको मुझे कुछ भी समझाने की कोई जरूरत नही है| जिस दिन से वो लडकी इस घर मे आयी है मै सब देख रही 
हू| आप जाइये और उसे ही समझाइये जो समझाना मेरे वहा आने की वजह से अधूरा रह गया है|
पर मुझे बख्श दिजीये और हा.... आगे से मेरे करीब आने की या मुझसे बात करने की कोई जरूरत नही है| समझे आप? मुझे आपसे कोई लेना देना नही है" 
गौरी ने रुद्र के हाथ झटकते हुए कहा और वो उस कमरे से जाने लगी| 

वो दरवाजे के पास पहुंची ही थी कि रुद्र ने उसका हाथ पकडकर उसे अपने पास खींचा और दीवार कि तरफ धक्का दे दिया|

अब गौरी दिवार के करीब थी और रुद्र गौरी के बेहद करीब.|

"छोडिये मुझे! मैने कहा छोडिये!" गौरी छटपटाने लगी पर रुद्र ने उसके हाथ कसकर पकड लिये और उसके करीब जाते हुए कहने लगा, "कबसे कह रहा हूँ मेरी बात सुनो! मेरी बात सुनो! पर तुम हो कि बस अपनी ही चलाये जा रही हो!
सबसे पहली बात तो ये की मेरे और रिया के बीच ऐसा कुछ भी नही है और दूसरी बात ये की अगर तुम्हें मुझसे कोई लेना देना नही है तो क्यो बार बार जब भी रिया मेरे करीब आती है तो तुम्हें बूरा लगता है?" 
रुद्र का ये सवाल सुनते ही गौरी शांत हो गई|
उसके पास रुद्र के सवाल का कोई जवाब नही था|


"बताओ! अब चूप क्यो हो? और कही ऐसा तो नही की तुम्हे मुझसे........ "



"ऐसा कुछ भी नही है समझे आप??? वो तो बस आपने मुझे इग्नोर किया था इसलिए मै गुस्सा हो गई थी!" गौरी ने रुद्र की बात काँटते हुए नजरे चुराते हुए कहा

"अच्छा तो ऐसा है! तब तुम्हे इग्नोर किया था इसीलिए तुम गुस्सा थी तो अब जो हुआ उसके बारे मे कोई बहाना है तुम्हारे पास?"  रुद्र भी गुस्से में पूछ रहा था|


गौरी को तो समझ ही नही आ रहा था कि वो क्या कहे|

"मै आपके किसी भी सवाल का जवाब देना जरूरी नही समझती|" गौरी ने गुस्सेमें कहा और रुद्र को धक्का देकर जाने लगी पर रुद्र ने उसे फिरसे कसकर पकड लिया|


"मेरी बात अभी पूरी नही हुई हैं गौरी!  
ये जो कुछ तुम कर रही हो ना ये सब मेरे सवालो से जवाब नही है और क्या कहा था तुमने? तुम्हारे करीब ना आउ? तुमसे बात ना करू?
 लो! मै दोनो कर रहा हूँ|
मै तुम्हारे करीब भी आउँगा और तुमसे बात भी करूंगा| मै भी देखता हूँ मुझे कौन रोकता है!" रुद्र गौरी के चेहरे के बहुत ही करीब आकर बोला|

वो उसके और करीब आने लगा|

पर गौरी ने अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे दूर धकेल दिया|

उसी के साथ रुद्र होश मे आया|

"मुझे आपसे ये उम्मीद नही थी रुद्र| बिल्कुल नही!" गौरी ने रोते हुए कहा और उस कमरे से बाहर चली गई%


रुद्र उसे रोकना चाहता था पर उसने उसे जाने देना सही समझा|


वो भी नीचे बैठ गया| 
वो भी बहुत दुखी था| 
गौरी को लग रहा था की उसके और रिया के बीच कुछ चल रहा है|
पर कोई और भी था जो रुद्र और गौरी की हर हरकत पर नजर रखे था|










रेखा रानी शर्मा

रेखा रानी शर्मा

बुआ की बेटी बहन होती है। ये क्या रिश्तों का मजाक बना रखा है।

11 दिसम्बर 2021

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रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
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