कहानी के सारे अधिकार लेखिका के अधीन है.....
( ये एक काल्पनिक कथा है...... दरअसल ये मेरा बहुत बडा सपना है.... बचपन से ये कहानी मेरे दिल मे थी... और मै चाहती थी की सब लोग ये कहानी पढे.... आज से सपना साकार होने जा रहा है......
ये कहानी है गौरी और रूद्र के प्यार की...... गौरी और रूद्र.... एक ऐसी जोडी...जो सचमुच मे स्वर्ग से बनकर आयी थी ......गौरी नक्षत्र मे जन्म लेनेवाली गौरी....और महादेव के आशीर्वाद से जन्म लेनेवाला रूद्र...... जिनके प्यार पर साक्षात शिव-शक्ति की क्रुपाद्रुष्टी है..........
जिस तरह महादेव - पार्वती को एक होने के लिए अनेक जन्म लेने पडे.... ... उसीप्रकार पिछले जन्म मे जो एक न हो सकी वो जोडी क्या इस जन्म मे एक हो पायेगी ???
आशा करती हू कि सच्चे प्यार और सुपरनैचुरल पावर्स से भरी मेरी इस कहानी को आप बेहद प्यार देंगे.....)
आज सिंघानिया मँशन मे बहुत चहलपहल थी....
सिंघानिया मँशन - मुंबई शहर के बीचोबीच का एक आलीशान बंगला........
मि. विवेक सिंघानिया का........ मुंबई के सबसे बड़े बिझनेसमन......बहुत अच्छे इंसान .....सिर्फ काम की वजह से ही नहीं बल्कि उनके स्वभाव के कारण भी उनको और उनके परीवार को बहुत ज्यादा मान सम्मान मिलता था....
"चाचा...... जल्दी जल्दी कीजिये ना ..... और रुद्र की रूम की सफाई हुई या नहीं ......???"
शालिनी सिंघानिया अपने घर मे काम करने वाले राघू चाचा से बोली.....
शालिनी.....मि विवेक की पत्नी...... उनके तो चेहरे से ही उनके दिल की गहराई नजर आती थी..... उनके मीठे स्वभाव के कारण घर के नौकराें को तक ऐसा लगता था मानो वो घर के ही सदस्य हो......
" हा मालकिन ....अभी करता हूँ साफ........."
"करता हू मतलब ........??? अभी तक हुई नही साफ..?? रुद्र आता ही होगा .....जल्दी करिए ना प्लीज..... "
"हा मालकिन...... "
तभी डोअरबेल बजी......शालिनी ने दरवाजा खोला........ विवेक आये थे ......
"नसीब... आज तो जल्दी आये आप...!!!" शालिनी जी ने कहा.....
दोनो अंदर आये.
" शालिनी!! क्या आपने ड्राइवर को भेज दिया रुद्र को एअरपोर्ट से लाने के लिए ??? "
"हा... आते ही होंगे वो लोग .... इसीलिए आप जल्दी फ्रेश हो जाइये मै आपके लिए चाय लाती हू .... "
ये कहकर वो किचन मे चली गई .....
इधर ड्राइवर हाथ मे रूद्र के नाम वाली प्लेट लेकर खड़ा था.....
तभी एअरपोर्ट के अंदर से एक चॉकलेट बॉय बाहर आया...... पीठ पर गिटार टंगी हुई .... दोनो हाथों मे लगेज.......
उसे देखते ही ड्राइवर खुश हो गया...... वो रुद्र था ....
रुद्र विवेक सिंघानिया.......
रुद्र मि विवेक और शालिनी सिंघानिया का इकलौता बेटा था .... जो अभी अभी अमेरिका से उसकी पढाई पूरी कर भारत वापस आया था......
रुद्र ड्राइवर के पास आया......
"रुद्र बाबा....... आप तो बहुत बडे हो गए...... जल्दी चलिए....... घर पर मालकिन आपकी कबसे राह देख रही है...... ....... चलिए जल्दी .... गाडी मे बैठीए.... "
ड्राइवर रुद्र का सामान गाडी मे रखने लगा......
"क्या हुआ....... चलिए ना..... गाडी मे बैठीए........ "
"चाचा...... आप मुझे गाडी की चाबी दीजिए और आप घर जाइये..... मै आ जाऊंगा ......इतने दिनों बाद आया हूँ ..... मुझे भी शहर का एक नजारा लेना है|"
"ये आप क्या कह रहे हो बाबा...?? घरवाले मुझे बहुत डाँटेंगे |"
"चाचा आप बिलकुल चिंता मत करीए | मै समझा दुंगा उनको और आपके घर पहुंचने तक मै भी पहुंच ही जाऊंगा | प्लीज चाचा... प्लीज प्लीज प्लीज..... "
उन्होंने रुद्र को चाबी दे दी |
रुद्र ने गाडी स्टार्ट की और निकल पडा |
कितने दिनों के बाद आज रुद्र मुंबई देख रहा था |
अचानक बारिश शुरू हो गई |
बारिश देखते ही रुद्र ने बहुत एक्साइट होकर गाडी रोकी |
जब उसने गाडी रोकी तब वो एक सनसेट पॉईंट के पास खडा था|
रुद्र गाडी के बाहेर आकर उस पॉइंट पर बारिश में भिगने लगा | पास ही कुछ बच्चे खेल रहे थे | वो उन बच्चो के चेहरेकी हँसी देखकर सब भूल गया |
वो गाडी मे से गिटार लेकर आया और वही पर बैठकर गाना गाने लगा और गिटार प्ले करने लगा.......
'चल बुलेया......... चलना तेरी फ़ितरत... रूकना नही तू राहो में.........
खुद मंजिले तुझे ढूँढते आये....... इतना असर हो आहों में............. '
उसका गाना सुनकर सब बच्चे उसके पास आकर बैठ गए |
रिमझिम बरसती बुंदे और साथ मे रुद्र का सुमधूर गीत......... इस सब से मौसम मे अलग ही बहार आ गई थी |
वो बच्चे उसके साथ खेलने लगे | रुद्र भी भूल गया कि वह अब बडा हो चुका है वह भी गाना गाते गाते उन बच्चों के साथ बारिश का मजा लेने लगा |
'ओ काले बादल..... था जा तू दो पल...... जी भर के जी ले ये समाँ............"
वो बहुत ही खुबसुरत गीत गा रहा था.......
' इक मोड पे यू कोई मिलेगा....... मिलके बदल देगा सफर......
कितने भी चाहे तू कर ले बहाने....... दिल मे कर लेगा वो बसर.............
अभी अभी तो होठों पे कोई नई धून छाई है......लागी जिया की कहती जीने दे....
जीने दे..... इस दिल को जीने दे........... '
रुद्र ने गाडी निकाली | वो घर की ओर चल पडा |
बारिश अब भी बंद नही हुई थी |
इस ओर सिंघानिया मँशन मे सब रुद्र का वेट कर रहे थे | तभी डोअरबेल बजी...... सब के चेहरे पर रौनक छा गई| सब को लगा की रुद्र आया होगा
शालिनी ने दरवाजा खोला | उनके पीछे विवेक और राघू चाचा थे |
दरवाजा खोला तो दरवाजे पर कोई और ही था |
साधारण 60-65 उम्र के अत्यंत दिव्य पुरुष थे...... सफेद वस्त्र.......... कंधो तक लंबे सफेद बाल.... दाढी बढी हुई.......माथे पर चंदन का टिका......... हाथों मे और गले मे रुद्राक्ष की मालाए....... उनके चेहरे से ही दिव्यत्व की अनुभुती आ रही थी ..... चेहरे पर किंचित स्मितहास्य.......
उनके पीछे उनके दो शिष्य भी थे......
"गुरूजी !!!! आप ??आइये ना !!!! अगर कोई काम था तो हमे बुला लिया होता | आपने क्यो कष्ट किए ?? " शालिनी विवेक उनके चरणस्पर्श करते हुए बोले....
वो लोग अंदर आकर बैठे | उनके शिष्य मात्र उनके पीछे ही खडे थे |
"अच्छा हुआ गुरुजी आप आ गए | हमारा बेटा रुद्र आज बहुत सालो बाद घर वापस आ रहा है | उसे भी आपका आशीर्वाद मिल जायेगा | "
"रुद्र...... हम्म..... पता है मुझे....... इसी लिए आया हूँ ....... " गुरुजी थोडे चिंतित प्रतीत हो रहे थे....
"कुछ प्रॉब्लम है क्या गुरुजी ?? रूद्र के साथ सब ठीक तो है ना.....? " विवेक बोले...
"हा .... चिंता का विषय तो है | रुद्र की जान को खतरा हैं | आने वाली महाशिवरात्री उसके लिए काल बनकर आने वाली हैं | "
ये सुनते ही सब के चेहरो का रंग उड गया |
"क्या ? नही नही गुरुजी...... अभी तो रुद्र घर भी नही पहुंचा है...और उसकी जान को खतरा !!! नही गुरूजी नही....... आप कुछ करीए....... आपकी शक्तींयों से हम अनभेज्ञ नही है |" शालिनी हाथ जोड़कर रोते हुए बोल रही थी |
विवेक जी ने उन्हें शांत किया |
"साक्षात महादेव के आशीर्वाद से जनम लेने वाले को मैं क्या बचाऊँगा? "
"गुरुजी ऐसा मत कहीए...... कुछ तो उपाय होगा? कुछ तो करीए प्लीज....... " विवेक जी बोले
" ये लिजीए ...... रुद्र के हाथ पर बांध दिजीए |" गुरूजी के शिष्य ने महादेव की प्रतिमा वाली एक रुद्राक्ष की माला विवेक जी के हाथ मे रख दी |
"गुरुजी..... इस उपाय से रुद्र सेफ तो रहेगा ना? " शालिनी जी बोली
"ये उपाय नही है | मुझे विधिलिखीत के साथ छेडछाड नही करनी है | इसीलिए इसका उपाय मैं नही कर सकता | पर जो व्यक्ती उस परिस्थिती मे रुद्र की मदद कर सकती हैं उसे मैं रुद्र के पास ला सकता हूँ और मुझे पूर्ण विश्वास है की वो व्यक्ती रुद्र की रक्षा कर ही लेगी |"
"कौन व्यक्ती गुरुजी ? "
" है एक व्यक्ति, जो कदाचित अबतक उसके जीवन में पदार्पण कर चुकी होगी | उचित समय पर आपको ज्ञात हो जायेगा | "
गुरुजी सर्वज्ञ थे इसीलिए किसी ने भी उनसे ज्यादा प्रश्न नही किए..
दोनो ने गुरुजीं का आभार व्यक्त किया .....
" गुरुजी मै चाय लेकर आती हूँ | "
"नही नही | अब प्रस्थान का समय हो गया है | " गुरुजी जाने लगे
"गुरुजी रुद्र आता ही होगा | प्लीज उसे आशीर्वाद देने के लिए तो रुकिये |" विवेक जी बोले |
"भोलेनाथ के आशीर्वाद से जनम लेनेवाला वो... उसे मै क्या आशीर्वाद दूँ और वैसे भी ...... हमारे मिलने का योग अभी बनाया नही है महादेव ने | " गुरुजी हसते हुए बोले....
सब ने उनके चरणस्पर्श किए.....
"ओम नम: शिवाय....!!!" महादेव का नाम लेते हुए वो चले गए.....
रुद्र की गाडी महादेव के एक भव्य मंदीर के पास से जा रही थी.....
दूर से ही उसे उस मंदीर की सिढीयों के पास कुछ भिकारी और उनके कुछ छोटे बच्चे बारिश से बचने के लिए दिवार का सहारा लेकर खड़े दिखाई पडे | भीगने की वजह से वो ठंड से कपकपा रहे थे |
एक लड़की उनके उपर एक प्लास्टिक का बहुत बडा कपडा बांध रही थी | ताकि वो सारे भिखारी बारिश से बच सके | उसका काम लगभग हो ही गया था |अब उन लोगों को बारिश का पानी नही लग रहा था |
उन भिखारियों ने उस लडकी के सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया |
रुद्र को ये सब दूर से ही दिख रहा था |
रुद्र उस लडकी का चेहरा देखना चाहता पर वो लडकी उसकी तरफ पीठ करके खडी थी | इस वजह से रुद्र को उसका चेहरा नही दिख रहा था |
उसके चेहरे पर उस लडकी के बारे मे जो जिज्ञासा के भाव थे , वो स्पष्ट दिखाई दे रहे थे |
(वो थी गौरी...... गौरी शर्मा.........गौरी महादेव की बहुत बडी भक्त थी |
इस वजह से वो हमेशा उस मंदीर मे आया करती थी|
आज जब अचानक बारिश शुरू हुई तब उन भिखारियों को भीग कर ठंड से कपकपाता देख वो उनके लिए शेड तैयार कर रही थी | ताकि उन लोगों की बारिश से रक्षा हो सके | )
अचानक हवा से गौरी का दुपट्टा उडकर रुद्र की गाडी के सामने वाले काच पर पड गया | इस वजह से उसे सामने कुछ नजर नही आ रहा था | उसकी गाडी का संतुलन बिगड रहा था पर उसने डरकर जल्दी से ब्रेक लगाया |
रुद्र पूरी तरह डर गया था | उधर गौरी का भी हाल ऐसा ही था | रुद्र गाडी से बाहर आया | वो भागते हुए रूद्र की गाडी के पास आयी | रुद्र ने वो दुपट्टा निकाला | तभी गौरी उसकी गाडी के पास जाकर खडी हुई |
"सुनिये सर !!! "
गौरी की आवाज सुनते ही रुद्र ने पीछे मुडकर देखा |
उसके पीछे एक बहुत ही सुंदर लडकी खडी थी!!!
सफेद लेहेंगा.....कानों मे बडे बडे झुमके..... और उनके उपर से गिरने वाली बारिश की बूँदे..... माथे पर नाजुक बिंदी....... हाथो मे बहुत सारी चुडिया..... कमरपर एक पतला सा कमरबंद ... जो उस वक्त दुपट्टा ना होने की वजह से साफ दिखाई पड रहा था..... निली आँखें..... लंबे लंबे बाल....... जो बारिश की वजह से भीग चुके थे.... गुलाबी होंठ.....मानो स्वर्ग से आयी अप्सरा हो |
वह वही लडकी थी , जिसे देखने के लिए रुद्र कब से बेचैन था |
रुद्र तो उसे देखता ही रह गया | वो उसकी अच्छाई तो देख ही चुका था | पर अब उसकी सुंदरता भी उसके मन मे घर कर गई | ये सब उसके लिए पहली नजर वाले प्यार जैसा था |
एक दूसरे को देखकर उन्हें कुछ अजीब सा महसूस हुआ |
पर गौरी खुद को संभालते हुए बोली......
" .... सर... मुझे माफ करीये.... हवा की वजह से मेरा दुपट्टा उडकर...........
और ........ और ये सब..... "
वो बदन पर दुपट्टा न होने की वजह से गडबडायी हुई थी |
"अह्ह.... इट्स ओके..... इट वॉज नॉट युअर फॉल्ट | "
रुद्र ने कहा |
"जी....... जी.....मैं जानती हूँ की अगर आपने सही वक्त पर ब्रेक ना लगाया होता तो कुछ भी हो सकता था......इसीलिए माफ किजीए |"
"इसमे आपकी कोई गलती नहीं | आप प्लीज गिल्टी फिल मत करिए | " रुद्र हसते हुए बोला |
ये सुनकर उसने रूद्र को हलकी सी स्माइल दी |
" मेरा दुपट्टा.........? " वो बोली....
"ओह... हा...... सॉरी ....ये लिजीए.... " उसका दुपट्टा देने के लिए रुद्र ने हाथ आगे किया |
गौरी उसके पास आ ही रही थी के उसका पैर एक पत्थर पर पड गया... वो गिरने ही वाली थी की रुद्र ने उसका हाथ पकड लिया .........गौरी का पूरा वजन उस हाथ पर था.......रुद्र ने हाथ पकड लिया इस वजह से वो बच गई |
जैसे ही उसने गौरी को खडा करने के लिए अपनी ओर उसी हाथ से खींचा... गौरी रुद्र के बहुत करीब आ गई| उसका सिर रुद्र के सीने पर था और रुद्र का हाथ गौरी की कमर पर.....
जो अब उसके उस पतले कमरबंद को छू रहा था | उसने डरकर आँखें बंद कर ली | उसे रुद्र के दिल की धडकने सुनाई दे रही थी | दोनो की साँसे बढ चुकी थी |
अचानक उन दोनों की आँखो के सामने अजीब अजीब नजारे आने लगे | जैसे उन्हें कुछ याद आ रहा हो पर सब कुछ धुंधला था|
बहुत बडा राजमहाल.........सैन्य...... भोलेनाथ की बहुत बडी प्रतिमा........ रक्तपात.......
जैसे तैसे उन्होंने आँखे खोली और एक दूसरे से अलग हुए|
दोनो गडबडा गए थे|
गौरी ने झट् से रुद्र के हाथ से दुपट्टा लिया|
"थैंक यू " वो गर्दन झुका कर बोली और चली गई |
उसने अपनी स्कुटी स्टार्ट की और निकल गई |
रुद्र उसी की ओर देख रहा था|
दोनो ही जरा गडबडाये हुए थे|
गौरी ने स्कुटी पर से ही मुड़कर देखा |
ये देखकर रुद्र के चेहरे पर स्माइल आ गई | गौरी चली गई | वह हसते हुए बस उसे देखता रहा |
"हेssssssss..... स्टॉप sssssssss.......वेट...." रुद्र उसके पीछे भागा.......... पर वह जा चुकी थी |
"शीट यार!!! मैने उससे उसका नाम तक नहीं पूछा| कितना पागल हूँ मैं! "
" कौन थी वो.....?
उसे देखकर लगा जैसे मै उससे पहले भी मिल चुका हूँ| उसे पहले से जानता हूँ ....जैसे महादेव ने उसे मेरे लिए ही बनाया है |
देखते ही दिल में उतर गयी..... शायद ये वही है जिसकी मुझे तलाश थी | " वो खुद से ही बाते कर रहा था |
"डोन्ट वरी मि. रुद्र सिंघानिया | मुझेे पता है , आप कुछ भी कर के उसे ढूँढ ही लेंगे |
पर इस वक्त आपको घर चलना चाहिए | वरना माँ नाराज हो जायेंगी | "
वो घर की तरफ निकला |
बारिश अब भी बंद नही हुई थी
इधर ड्राइवर चाचा घर पे सब की डाट खा रहे थे |
"आपने रुद्र को जाने क्यो दिया ? " शालिनी जी चिंता कर रही थी |
"मालकिन रुद्र बाबा सुन ही नहीं रहे थे |"
"हे भगवान..... कहा रह गया ये लडका ? " शालिनी जी टेंशन मे बैठ गई |
"शालिनी आप चिंता मत करीए | रुद्र आता ही होगा | " विवेक शालिनी जी को समझा रहे थे |
तभी दरवाजे की बेल बजी |
" देखिए मैने कहा था ना....रुद्र ही होगा | मै देखता हूँ |"
सब दरवाजे के पास गए |
दरवाजे पर रुद्र था | पूरा भीगा हुआ...
उसे देखकर सब बहुत खुश हुए |
उसने आते ही सब के पैर छुए...राघू चाचा के भी !
"रुद्र बाबा... कितने बडे हो गए हैं आप ! " राघू चाचा बोले|
शालिनी के आँखों मे तो पानी आ गया |
"रुद्र , बेटा कहा थे आप? माँ चिंता कर रही थी | " विवेक बोले |
"पापा....माँ मेरे इंडिया मे होने के बावजूद इतना टेन्शन ले रही है | मुझे तो समझ ही नहीं आता की जब मै अमेरिका मे था तब माँ मेरे बिना कैसे रही होंगी ?"
ये सुनते ही शालिनी जी रोने लगी |
रुद्र ने झट् से उन्हें गले लगा लिया |
"माँ.... प्लीज आप मत रोईये ना | अब मै आ गया हूँ ना | अब मै आप लोगों को छोडकर कही नही जाउँगा | "
"शालिनी.... आप इन्हें यही पर खडा रखेंगी या अंदर भी आने देंगे ? भूख लगी होगी इन्हें ? " विवेक बोले |
"हा ना माँ.... मुझे बहुत ज्यादा भूख लगी है |"
"हा...... हा....मै भी ना.... रुद्र बेटा....आप फ्रेश होकर आइये... मै खाने की तैयारी करती हू | "
सब लोग घर के अंदर गए |
(क्या रुद्र और गौरी का पिछले जनम का कोई नाता है ?
आखिर कौन है रुद्र और गौरी ? )
क्रमश: