पार्टी मे रुद्र का पूरा ध्यान गौरी पर था| वो बहुत ज्यादा खुश था की आखिरकार उसे वो लडकी मिल ही गई जिससे वो प्यार करता है|
रुद्र का पूरा ध्यान गौरी पर होने की वजह से उसकी नजर एक आदमी पर पडी जो गौरी को कबसे घुरे जा रहा था| गौरी की हर हरकत पर उसका भी ध्यान था| पर अर्जुन ने उसे नजरअंदाज किया
रुद्र हिम्मत कर गौरी को अकेली पाकर उसके पास गया|
रुद्र : हेलो ! पार्टी दोस्तों के साथ, सबके साथ एंजॉय करने के लिए होती हैं बाय द वे !
गौरी (हल्की सी मुस्कान चेहरे पर लाकर): वो... वो मुझे भीड कुछ खास पसंद नहीं है|
रुद्र : लगता है मुझसे मिलकर भी तुम कुछ खास खुश नहीं हो |
गौरी : अररे ! ऐसा कुछ नहीं है |आपको ऐसा क्यों लगा?
उसने एक ही झटके मे सब कह दिया| फिर अपनी ही जीभ हलके से दातो के नीचे दबा ली|
रुद्र : मैने देखा स्टेज पर तुम कुछ खोयी खोयी सी थी और ज्यादा कुछ बोल भी नहीं रही थी |
गौरी : हम अभी अभी मिले हैं ना, तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोलू|
रुद्र : अच्छा तो ये बात है | तो फिर इस मुश्किल का एक हल है मेरे पास|
गौरी : क्या?
रुद्र :वुड यू लाइक टू बी माय फ्रैंड?
रुद्र अपना हाथ आगे बढाते हुए हसकर कहने लगा|
पहले तो गौरी जरा हडबडा गई| पर उसने भी एक हल्की मुस्कान देकर रुद्र के हाथ मे अपना हाथ दे दिया|
गौरी : फ्रेन्ड्स!
इस सब के दौरान रुद्र का ध्यान उस आदमी पर भी था| पर वो अब भी गौरी को ही घुर रहा था|
रुद्र : वैसे एक बात तुमने गलत कही, हम आज ही नहीं मिलेट हम पहले भी मिल चुके हैं.... है ना....?
ये सुनते ही गौरी के आँखों के सामने रुद्र के साथ बिताया हर एक पल आ गया|
"क्या हुआ? कहा खो गयी? " रुद्र उसके सामने चुटकी बजाकर बोला|
"वैसे.... अगर उस दिन तुम ना होती... तो शायद आज मै जिंदा न होता| उस दिन तुमने मेरी बहुत ज्यादा मदद की| रियली वेरी थैंक यू! थैंक यू सो मच! "
" ये क्या? अभी अभी तो आपने मुझे दोस्त कहा और अभी थँक्स कह रहे हो? बात कुछ हजम नही हुई| क्या आपको पता नहीं फ्रेंडशिप मे नो सॉरी नो थँक्स?"
वो दोनो ही इस बात पर हंसने लगे|
दूसरे ही पल गौरी सिरीयस होकर बोली|
"रुद्र ! एक बात कहनी थी आपसे| "
" हा कहो ना...!"
"वो एक्सीडेंट वाली बात प्लीज आप किसी को मत बताइयेगा| प्लीज! "
"पर क्यो गौरी?"
" आपने देखा नही? मैने बस एक डील क्रँक की तो अंकल मुझे इतनी बार थँक्स बोल चुके हैं| अगर ये बात उन्हें पता चल गई तो बस.... वो तो थँक्स बोल बोल के मुझे जमीन में ही गाड देंगे! " वो अपने सिर पर हाथ रखते हुए बोली|
"ठीक है| मै नही बताउंगा किसी को! यू डोन्ट वरी|"
"अब तुम्हें क्या बताउ? मै खुद उनको ये सब बताना नहीं चाहता| सही वक्त आने पर अब सीधा उनको उनकी बहू से मिलवाना हैं| " रुद्र मन ही मन कह रहा था |
"आपका बहुत बहुत शुक्रिया ! " गौरी ने उसे खयाल से बाहर निकाला |
"अरररेरे.... तुम्हें इतना भी नहीं पता?" रुद्र मुँह बनाते हुए बोला|
"क्या? "
"अररे वही....... फ्रेंडशिप मे नो सॉरी नो थैंक यू |"
इसपर दोनों खिलखिलाकर हंस पडे|
दूर खडी सीमा और शालिनी दोनों को देख बहुत खुश थी|
शालिनी : कितने अच्छे लग रहे हैं ना दोनों साथ में?
सीमा : जी हा! आप बिल्कुल सच कह रही है|
शालिनी : एक बात कहू सीमा जी? मै तो हमेशा से चाहती थी की गौरी मेरे घर की बहू बने| हम उसे बहुत पसंद करते हैं.... पर.............
दोनों उदास हो गई|
सीमा : मुझे अगर ये सब पहले पता होता ना शालिनी जी, तो शायद ये जो कुछ हो रहा है ना मै वो सब होने ही नहीं देती|
शालिनी : आप ऐसा क्यो कह रही है सीमा जी?
सीमा : मैने अब तक किसी से कहा नही, पर पता नहीं क्यों मुझे अपनी ही पसंद पर शक होने लगा हैं कुछ दिनों से!
शालिनी : सब ठीक तो हैं ना ? कोई परेशानी हैं?
सीमा : सिद्धार्थ का बिहेवियर गौरी को लेकर कुछ दिनो से कुछ सही नही लग रहा है मुझे!
अब आप ही देखिए ना! वो एक महीने से पुणे गया हुआ है और एक महीने मे उसने गौरी को बस एक बार फोन किया! मानती हूँ की उसकी माँ बिमार हैं, पर मुझे नही लगता के इस सब मे वो इतना बिजी हैं की गौरी को 5 मिनट के लिए एक फोन नहीं कर सकता? ये सब कुछ अजीब लग रहा है मुझे!
शालिनी : आप चिंता मत किजीए सीमा जी! ये भी तो हो सकता है ना की ये सब आपका वहम हो और वो सच मे बहुत बिजी हो? सिद्धार्थ एक बहुत अच्छा लडका है! मुझे लगता है की आप इस बारे मे कुछ ज्यादा ही सोच रही है|
सीमा : शायद.....?
तभी गौरी को उसकी एक दोस्त ने आवाज देकर अपने पास बुलाया|
"मै अभी आती हूँ रुद्र| मेरी दोस्त मुझे बुला रही है|"
वो अपनी दोस्त के पास जा रही थी की वो आदमी जान बुझकर गौरी से टकरा गया, जो कबसे गौरी को घूर रहा था|
वो था हर्ष पटेल| एक इन्व्हेस्टर का बेटा| मि. रायचंद पटेल का बेटा |
गौरी उससे टकरा कर गिरने वाली थी|
रुद्र का उसपर पूरा ध्यान था की वो गौरी से जानबूझकर टकराया हैं| रुद्र को बहुत गुस्सा आया |
" ओह! आय एम सो सॉरी!आपको कही चोट तो नहीं लगी? "
"इट्स ओके! आय एम फाइन....डोन्ट वरी! " गौरी उसे इग्नोर कर आगे जाने लगी |
"वैसे मायसेल्फ हर्ष पटेल ! " उसने गौरी के आगे हाथ बढाया|
"गौरी.... गौरी शर्मा | " गौरी ने उससे हाथ ना मिलाते हुए नमस्ते करके कहा | इस वजह से शर्मिंदा होकर हर्ष को अपना हाथ पीछे लेना पडा|
रुद्र को ये देखकर अच्छा लगा|
"सॉरी बट मुझे जाना होगा| मेरे दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहे है |" गौरी इतना कहकर वहा से चली गई|
"हाये! कितनी खुबसुरत है ये!" वो बोला|
तभी म्युजीक बजने लगा| सभी डान्स फ्लोर पर उतर आए| सब लोग अपने डान्स पार्टनर के साथ डान्स कर रहे थे|
रुद्र गौरी भी पास मे खडे होकर सब का डान्स देख रहे थे|
विवेक और शालिनी जी भी डान्स करने लगे|
रुद्र ने डान्स करने के लिए गौरी के आगे हाथ बढाया|
गौरी को पहले तो कुछ समझ नहीं आया पर उसने मुस्कुराते मुस्कुराते अपना हाथ उसके हाथ में दे दिया|
दोनों डान्स करने लगे|
बैकग्राउंड मे बहुत ही सुंदर ट्रैक बज रहा था|
'मैने छानी इश्क की गली,
बस तेरी आहटे मिली |
मैने चाहा चाहू ना तुझे,
पर मेरी एक ना चली |
इश्क में निगाहो को मिलती है बारीशे,
फिर भी क्यो कर रहा,
दिल तेरी ही ख़्वाहिशें|
दिल मेरी ना सुने दिल की मै ना सुनू... '
गौरी ने अपना हाथ रुद्र के कंधे पर रखा, रुद्र ने अपना हाथ उसकी कमर पर और उनका दुसरा हाथ एक दूसरे के हाथ में था|
वो दोनों सब के साथ डान्स करने लगे|
अचानक डान्स करते करते गौरी का पैर ट्विस्ट हुआ और वो गिरने वाली थी पर रुद्र ने उसे संभाल लिया| वो जाकर सीधे रुद्र के सीने से लग गयी|
वो रुद्र के दिल की धडकन साफ सुन पा रही थी| तभी उसे फिरसे उस दिन वाले नजारे दिखने लगे| रुद्र के साथ भी वैसा ही कुछ हो रहा था|
बहुत बडा राजमहल, बडी रियासत, बहुत खुबसुरत सा झरना, सैन्य, महादेव-पार्वती की बहुत बडी प्रतिमा, बडा पर्वत!
वो दोनो डरकर एक-दूसरे से अलग हो गए|
दोनो ही डरे हुए थे|
"तुम ठीक तो हो ना? " रुद्र ने हडबडाहट मे पूछा |
"जी... मुझे लगता है.....मेरी तबियत कुछ ठीक नही है! " वो अपना पसीना पोछते हुए बोली |
इतना ही कहकर गौरी चली गई | वो सीधा बाहर चली गई|
रुद्र को भी कुछ समझ नही आ रहा था | वो वही रुक कर एक टेबल पर बैठ गया |
पर हर्ष की नजर अब भी बस गौरी पर थी| वो ड्रिंक कर कर के अब अपना होश खोने लगा था |
उसने जैसे ही देखा की गौरी बाहर गई, उसने अपना ग्लास रखा और वो भी उसके पीछे पीछे बाहर चला गया|
गौरी बाहर पार्किंग मे आ गई| वो बहुत बेचैन लग रही थी|
"ये क्या हो रहा है मुझे? और ये सब रुद्र से मिलने का बाद ही क्यों होता है?"
उसके गले में ओम अक्षर की एक माला थी | उसने उस माला को हाथ मे पकडा और 'ओम नम: शिवाय' का जाप करने लगी |
तभी वहा हर्ष आया|
"आप... आप यहा क्या कर रही है मैडम? आपको तो अंदर होना चाहिए |
चलो ये भी ठीक है!हमे अकेले मे कुछ वक्त मिल जायेगा|"
गौरी ने तो अपने नाक पर हाथ रख लिया| उससे शराब की बू आ रही थी|
"व्हॉट यू मिन?" वो उससे दूर जाते हुए बोली|
"मतलब तो बस इतना है की तुम बहुत खुबसुरत हो| ये नीली आँखें... लंबे काले बाल...! " वो गौरी के बालो को छूकर बोला|
"ये क्या बदतमीजी है? हटीये!" गौरी ने उसे धक्का देते हुए गुस्से मे कहा|
इधर सबका डान्स खतम होने के बाद विवेक शालिनी रुद्र के पास आए|
"गौरी कहा है रुद्र? वो आपके साथ थी ना?" विवेक जी ने जब रुद्र से पूछा तब रुद्र को खयाल आया की वो बाहर चली गई हैं|
वो विवेक के सवाल का जवाब ना देते हुए सीधे बाहर भागा|
शालिनी जी को लगा जैसे कुछ हुआ है इसलिए वो भी रुद्र के पीछे गई|
विवेक और सीमा दोनो अंदर ही रुक गए|
इधर गौरी को पता चल चुका था की हर्ष होश मे नही है इसलिए वो वापिस सब के पास घर मे आने लगी पर हर्ष ने उसका हाथ पकड कर उसी के पीछे मरोड दिया| इसी के साथ वो जोर से चिल्ला उठी|
"मै तुमसे कुछ कह रहा हूँ और तुम हो की भाग रही हो|"
उसने गौरी को जोर से धक्का दे दिया| गौरी नीचे गिरने ही वाली थी की रुद्र ने उसे संभाल लिया| शालिनी भी डर गई|
रुद्र ने गौरी को संभाला और शालिनी जी के पास ले गया|
गौरी का हाथ बहुत दर्द कर रहा था|
गौरी की चोट और उसको डरा हुआ देखकर रुद्र को बहुत गुस्सा आ गया|
वो हर्ष के पास गया (उससे ठीक से खडा भी नहीं रहा जा रहा था)| उसने हर्ष को सीधा जोरदार तमाचा जड दिया|
वैसे ही वो गाडियों पर गिर पडा और ज़ोरदार आवाज हुई|
वो आवाज़ सुनकर अंदर पार्टी मे जितने भी लोग थे बाहर आ गए|
विवेक और सीमा जी भी बाहर आए|
उन्होंने देखा तो हर्ष नीचे गिरा हुआ था|
मि. रायचंद भागकर उसके पास आए और उसे उठाया| उसके मुंह से खून निकल रहा था|
"ये सब क्या हो रहा है मि.सिंघानिया?" रायचंद जी गुस्से में बोल रहे थे|
सीमा जी गौरी के पास गई| शालिनी जी गौरी को संभाल रही थी|
विवेक जी जल्दी से रुद्र के पास गए| रुद्र अब भी बहुत ज्यादा गुस्सेमें था|
"ये सब क्या है रुद्र?"
"इसे मैने ही मारा है पापा| ये गौरी के साथ बदतमीजी कर रहा था|" रुद्र बहुत गुस्सेमें बोला|
"ये झूठ बोल रहा है डैड| ये लडकी खुद मुझसे बात कर रही थी| मैने कुछ नहीं किया| ये खुद ही चिपक रही थी मुझसे और जब इसी के उकसाने पर मै इस लडकी के करीब गया तो पता नहीं क्यों इसे गुस्सा आ गया|" हर्ष मि. रायचंद को रुद्र की ओर देखकर बता रहा था|
पर सब को गौरी पर भरोसा था| किसी को विश्वास नहीं हो रहा था|
"सुना आपने मि विवेक?अमेरिका मे रहने की वजह से शायद आपका बेटा तौर तरीके भी भूल गया है| आपके बेटे ने बेवजह किस तरह मारा है मेरे बेटे को! वो भी इस दो टके की नौकर के लिए| " मि. रायचंद के ऐसा कहते ही रुद्र गुस्से मे उसकी तरफ जाने लगा पर विवेक जी ने और उसके दोस्तों ने उसे रोका|
"देखा आपने? आप हैं की अब भी इसे कुछ भी नहीं बोल रहे| अब भी वक्त है मि. विवेक संभालीये अपने बेटे को| वरना आपका पूरा अम्पायर डूबते वक्त नही लगेगा|"
मि. रायचंद विवेक जी को गुस्सा दिला रहे थे| विवेक को सच मे गुस्सा आ गया|
वो रुद्र की तरफ गुस्से से देख रहे थे|
वो हर्ष के पास गए| कुछ समय उसकी तरफ देखा और उसे एक जोरदार तमाचा जड दिया| सब चौंक पडे|
"ये......गौरी के साथ बदतमीजी करने के लिए| "
उन्होंने उसे फिरसे एक जोरदार थप्पड़ लगाया|
"और ये उसके कैरेक्टर पर किचड उछालने के लिए|"
विवेक जी को इतने गुस्से मे शायद ही पहले किसी ने देखा हो|
"आपको पता भी है आपने क्या किया है मि विवेक और इसका अंजाम क्या हो सकता है?" रायचंद बहुत गुस्सेमें बोले|
"मुझे अच्छी तरह पता है मि.पटेल की मैने क्या किया है| मै गौरी को बचपन से जानता हूँ| गौरी के होते हुए मुझे कभी ऐसा महसूस नही हुआ की मेरी कोई बेटी नही है| अगर हमारी कोई बेटी होती ना तो वो गौरी होती| मुझे दुनिया मे सबसे ज्यादा भरोसा है उसपर! मेरे अपने बेटे से भी ज्यादा! और मै ये भी जानता हूँ की वो कभी ऐसी हरकत नही करेगी|
और रही दो टके के नौकर की बात ना! तो वो नौकर नही है| मेरे कंपनी की मैनेजर है वो! अब आते हैं अंजाम की बात पर.... क़्या होगा इसका अंजाम? हमारी डील खत्म हो जायेगी इतना ही ना? गौरी के लिए एक तो क्या ऐसी हजारों डील्स कुरबान कर सकता हूँ!
वैसे भी आपके ना होने से मेरा प्रोजेक्ट बंद नही हो जायेगा| सो यू गाइज् कैन लिव्ह नाउ!" विवेक की बात सुनकर सीमा जी और गौरी भावुक हो गए|
"ये बिल्कुल ठीक नही हुआ मि. विवेक|" इतना कहकर मि. पटेल हर्ष को लेकर वहा से चले गए| पर हर्ष की आँखों मे बदला साफ नजर आ रहा था|
सब खुश लग रहे थे क्योंकि सब जानते थे कि गौरी कभी कुछ गलत नहीं कर सकती|
क्रमश: