गौरी मलबे के नीचे दब गई थी |
बेहाल होकर पड़ा हुआ रुद्रा किसी तरह सारी ताकत इकट्ठा करके उठा और उस मलबे के नीचे हर जगह गौरी को ढूंढने लगा।
दूसरी ओर से बाकी सब लोग भी आए और गौरी को ढूंढने लगे। सब के पैरों तले से जमीन खिसक चुकी थी। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर करे तो क्या करें! अर्जुन भी हर जगह गौरी को ढूंढने लगा।
रुद्र सारे पत्थर अलग कर कर के गौरी को खोज रहा था। उसका आक्रोश देखा नही जा रहा था।
वो बहुत जोर जोर से रोते हुए विलाप कर रहा था और गौरी को ढूंढ रहा था। तभी महादेव के हाथ का टूटा हुआ बड़ा सा पत्थर अलग करने पर रूद्र को गौरी का हाथ दिखाई पड़ा। वो देखते ही रूद्र पागलों की तरह सारे पत्थर वहां से हटाने लगा|
तभी बाकी लोगों की नजर वहा पर पड़ी।
विजय, अर्जुन, विवेक जी और महाराज प्रताप सिंह सब लोग वहा से पत्थर हटाने लगे| कुछ ही देर में उन्होंने गौरी के शरीर पर से सारे पत्थर हटा दिए।
गौरी लहूलुहान होकर खून से लथपथ पड़ी थी। उसे देखकर रूद्र की तो सांस ही रुक गई। उसने गौरी को अपनी बाहों में उठाया और विलाप करता हुआ वहां से बाहर निकला। वो रोता बिलखता हुआ गौरी को लेकर निकला।
अर्जुन के चेहरे पर अलग ही भाव थे जिसका अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल था। पर उसकी आँखों से लगातार आंसू बह रहे थे|
स्थानीय अस्पताल में....
बाहर सब लोग बहुत ज्यादा चिंता में बैठे थे। रूद्र के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे|
तभी डॉक्टर बाहर आए। डॉक्टर के बाहर आते ही सब लोग डॉक्टर के पास जमा हो गए।
सब लोग गौरी के बारे में पूछने लगे।
" देखिए हम आपको झूठी आशा नहीं देना चाहते। मल्टीपल फ्रैक्चर्स है हर जगह! सिर पर बहुत गहरी चोट आई है| बहुत ज्यादा खून बह चुका है|
हमें नहीं लगता कि इनका इलाज यहा पर हो सकता है| यहा पर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स नही है| आप को इन्हें शहर ले जाना चाहिए इससे पहले कि बहुत ज्यादा देर हो जाए| इनके पास वक्त बहुत कम है|"
डॉक्टर की बात सुनकर सब लोगों का हौसला टूटने लगा। शालिनी जी और यामिनी जी दोनों तो रोने ही लगे।
रूद्र भी सुन हो गया। अर्जुन की भी आंखों से आंसू बहने लगे।
पर तभी विवेक जी ने हौसला दिखाया और डॉक्टर से बात की।
" देखिए डॉक्टर! आप कुछ भी करिए पर हमारी बेटी को बचा लीजिए। अगर हम अभी गौरी को शहर ले जाएंगे तो उसमें बहुत ज्यादा देर हो जाएगी और रास्ते मे अगर उसे कुछ.....
मैं काम करता हूं मुंबई से कुछ खास डॉक्टर्स को यहां पर बुला लेता हूं| पर प्लीज जब तक वो ना आ जाए तब तक आप गौरी को कुछ मत होने दीजिए। मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं। अगर गौरी को कुछ हो गया तो हम मर जाएंगे डॉक्टर। प्लीज! प्लीज!" विवेक जी डॉक्टर के आगे हाथ जोड़कर बोले|
"प्लीज आप हाथ जोड़ कर मुझे शर्मिंदा मत करिए। हम इन्हें बचाने की पूरी कोशिश करेंगे। आप जितना जल्दी हो सके डॉक्टर्स को यहां लेकर आइए। हमारे पास वक्त बहुत कम है।"
डॉक्टर बोला और वहां से चला गया|
विवेक जी ने जल्दी से कुछ फोन किए और सब को बताया कि डॉक्टर्स की स्पेशल टीम वहां के लिए निकल रही है और जल्दी ही वहां पहुंच जाएगी।
रूद्र गौरी के कमरे की खिड़की से गौरी को देख रहा था। उसके पूरे शरीर पर पट्टियां बंधी हुई थी। उसके सिर पर भी बहुत गहरी चोट आई थी। रूद्र गौरी को नम आंखों से देख रहा था। मजबूरी इतनी थी कि वह चाह कर भी गौरी के पास नहीं था|
"मुझे माफ कर दो गौरी!
ये सब मेरी वजह से हुआ है। तुमने कितना मना किया था मुझे पर फिर भी मैंने तुम्हारी एक नहीं सुनी। अगर मैं तुम्हारी बात मान लेता तो शायद आज तुम इस हालत में ना होती। यह सब मेरी गलती है।"
रुद्र यह सब कह रहा था कि अचानक गौरी बहुत गहरी सांसे भरने लगी| उसको शायद बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी|
रूद्र बहुत जोर से चिल्ला चिल्लाकर डॉक्टर को बुलाने लगा| उसकी आवाज सुनकर सारे घर वाले भी वहां पर आ गए|
आवाज सुनकर डॉक्टर्स दौड़े चले आए| सब लोग अंदर जाना चाहते थे पर सबको दरवाजे पर ही रोक दिया गया और कुछ नर्सेज और डॉक्टर अंदर गए|
यह सब बाकी लोग खिड़की से देख रहे थे| गौरी को बहुत ज्यादा तकलीफ हो रही थी। पर डॉक्टर ने उसको कोई इंजेक्शन दिया जिससे वह फिर से बेहोश हो गई और शांत हो गई| डॉक्टर ने उसके बेड के पास रखी मशीन्स में भी कुछ चेंज किए फिर वो बाहर आ गए|
उनके बाहर आते ही सब लोग उनके आसपास जमा हो गए।
"डॉक्टर गौरी को क्या हुआ? प्लीज बताइए।" रूद्र ने डेस्परेट होकर पूछा|
"देखिए! ये तो हमें भी समझ नहीं आ रहा है कि इनको ये अटैक क्यों आया! पर मैं बस इतना कहूंगा कि आप स्पेशलिस्ट डॉक्टर को जितनी जल्दी हो सके यहां पर ले आइए।" इतना कहकर डॉक्टर वहां से चले गए|
यह सुनकर सबका हौसला ढह गया। दूर खड़ा अर्जुम भी यह सब कर देख रहा था। अब उसके चेहरे पर पछतावा दिखाई दे रहा था।
कुछ देर बीतने के बाद...
डॉक्टर्स की शहर से आई एक स्पेशल टीम हॉस्पिटल में दाखिल हुई। विवेक जी ने उनके आते ही उन्हें वहां के डॉक्टर से मिलवाया|
कुछ ही देर में गौरी के कुछ जरूरी टेस्ट किए गए और उनका नतीजा सबके सामने रखा गया। शहर से आए डॉक्टर्स विवेक जी और बाहर खड़े लोगो के पास आए।
"विवेक जी! देखिए यह केस बहुत ज्यादा क्रिटिकल है। गौरी को बहुत ज्यादा फ्रैक्चर हुए हैं। हाथ पैर और स्कल में भी डैमेज हुआ है। उसके सिर पर बहुत गहरी चोट आई है। हैवी ब्लड लॉस भी हुआ है|
ये सब तो फिर भी ठीक है पर टेंशन की वजह कुछ और ही है!
विवेक जी मैंने आपसे कहा था ना कि गौरी का स्टमक कैंसर का ऑपरेशन आपको जल्द से जल्द करवाना होगा। मुझे यकीन नहीं होता कि आप लोग इतने ज्यादा लापरवाह कैसे हो सकते हैं!
उसका ऑपरेशन अब तक नहीं करवाया आपने?" डॉक्टर की ये बात सुनते ही सब के पैरों तले जमीन खिसक गई।
पर विजय और पूजा को यह सब पहले से ही पता था।
दूसरी ओर महाराजा और महारानी को तो इस बारे में खबर ही नहीं थी और रहे बाकी लोग तो उनको बताया गया था कि गौरी का ऑपरेशन हो चुका है। ये सुनते ही रूद्र विजय के पास गया|
" भैया! य..... ये डॉक्टर क्या कह रहे हैं? आपने तो कहा था ना कि गौरी का ऑपरेशन हो चुका है ? तो फिर यह डॉक्टर क्या कह रहे हैं?" रूद्र आशा भरी नजरों से विजय से पूछ रहा था|
" जी नहीं! गौरी का कोई ऑपरेशन नहीं हुआ है। " डॉक्टर बोले।
"डॉक्टर क्या कह रहे भैया? गौरी का ऑपरेशन नहीं हुआ है? बोलिए भैया! बताइए!" इस बार रूद्र ने बहुत ज्यादा गुस्से में और चिल्लाकर उनसे पूछा|
"डॉक्टर सच कह रहे हैं रूद्र। गौरी का ऑपरेशन नहीं हुआ है। मैंने तुमसे झूठ कहा था।" विजय रोते हुए बोला।
"मुझे गौरी ने किसी को भी बताने से मना किया था। उसने मुझे कहा था कि अगर मैं किसी को भी ये सब बताऊंगा तो वह अपनी जान दे देगी इसलिए मुझे झूठ बोलना पड़ा रूद्र!
मेरा यकीन करो मैंने कई बार तुम्हें सच बताने की कोशिश की पर गौरी ने मुझे वो करने नहीं दिया। मुझे माफ कर दो रुद्र! मुझे माफ कर दो!" विजय रोते हुए जमीन पर बैठ गया|
" ये आपने क्या कर दिया भैया? ये आपने क्या कर दिया?" रूद्र भी रोने लगा।
"देखिए हमारे पास वक्त बहुत ज्यादा कम है और हम उसे बिल्कुल जाया नहीं करना चाहिए।" डॉक्टर बोले|
"तो अब हमें क्या करना होगा डॉक्टर?" विवेक जी ने पूछा।
" हमें जल्द से जल्द इनका ऑपरेशन करना होगा पर........."
" पर क्या डॉक्टर? " रूद्र ने पूछा।
" ये ऑपरेशन बहुत ज्यादा रिस्की है। गौरी के बचने के चान्सेस दस परसेंट भी नहीं है इसीलिए हम चाहते हैं कि आप इन पेपर्स पर साइन कर दे।" डॉक्टर विजय जी को कुछ पेपर थमाते हुए बोले।
ये सुनते ही सब के पैरों तले की जमीन खिसक गई। रूद्र तो सुन्न हो गया। अर्जुन अपने घुटनों के बल बैठ गया। उसको अपने किए का बहुत पछतावा हो रहा था।
गौरी के माता पिता ने वो पेपर साइन कर कर डॉक्टर को दे दिए और डॉक्टर से जल्द से जल्द ऑपरेशन शुरू करने की विनती की। डॉक्टर्स ने जल्दी ही ऑपरेशन की सारी तैयारियां कर ली।गौरी को ऑपरेशन थियेटर में शिफ्ट किया गया।
उसके पीछे पीछे सारे घर वाले ऑपरेशन थिएटर के बाहर आकर खडे हो गए|
सब टूट चुके थे|
रुद्र एक कोने मे बैठकर रोने लगा|
विवेक जी और शालिनी जी उसे संभाल रहे थे|
अर्जुन भी रो रहा था|
तभी किसीने आकर अर्जुन को एक जोरदार थप्पड़ जड दिया|
वो आवाज सुनकर सब लोग चौंक गए| सब उसकी ओर देखने लगे|
उसे तमाचा मारने वाली कोई और नही अवंतिका जी थी| उसकी माँ!
उन्हे वहा राजगुरु लेकर आये थे|
"ये क्या किया तुमने अर्जुन? ये क्या कर दिया तुमने?
ये मेरी परवरिश तो नही थी! तुमने कहा था कि तुम उससे प्यार करते हो| उसे लेने जा रहे हो|
ये नही कहा था कि उसे जबरदस्ती अपना बनाने जा रहे हो|
और तो और उसके प्यार को मारने की कोशिश की तुमने! मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी अर्जुन!
तुम्हारी इतनी घिनौनी हरकत के बाद भी उस बच्ची ने तुम्हारी जान बचाने के लिए अपनी जान..... " इतना कहकर वो रोने लगी|
उनको रोता हुआ देखकर अर्जुन भी फूट फुटकर रोने लगा|
वो उनके पैरो मे गिर गया और उनके पैर पकडकर रोने लगा|
"मुझे माफ कर दो माँ! मुझे माफ कर दो! मैने बहुत बडी गलती कर दी|
मै... मै गौरी को नुकसान नही पहुंचाना चाहता था माँ!
मै उसे कभी तकलीफ मे नही देख सकता|" अर्जुन रोते हुए कह रहा था|
" इसीलिए उसकी जान लेने की कोशिश की तुमने?" उनकी बात सुनकर अर्जुन ने गर्दन झुका ली|
" तुम क्या सोचते हो उसे रुद्र से अलग करके तुम क्या कर रहे थे? तुम उसे तकलीफ ही दे रहे थे अर्जुन! तुम कभी नही समझ सकते कि प्यार कभी भी जबरदस्ती नही पाया जा सकता! वो तो दिल से होता है! आत्मा से होता है!जो ये दोनो एक-दूसरे से करते हैं!
और जो तुम करते हो वो प्यार कभी हो ही नही सकता! ये तो बस जिद है!
जिद गौरी को अपना बनाने की!
उसका प्यार पाने की! समझे तुम?
अगर गौरी को कुछ भी हुआ ना अर्जुन तो याद रखना! तुम मुझे माँ कहने का हक हमेशा हमेशा के लिए खो दोगे|" अवंतिका बोली|
अवंतिका जी की हर बात अर्जुन के सीने पर खंजर का वार कर गई| वो पूरी तरह से टूट गया और बूरी तरह रोने लगा| गौरी के इस बलिदान से अर्जुन की आँखे खुल गई थी|
वहा खडा हर इंसान गौरी का ऑपरेशन सक्सेसफूल होने की दुआ कर रहा था|
कुछ घंटे के बाद ऑपरेशन थिएटर मे बाहर का रेड लाइट ऑफ हुआ और डॉक्टर्स बाहर आये|
उनके बाहर आते ही सब लोग उनके पास आ गए|
किसीने कुछ नही पूछा पर सबकी आँखे बस एक ही सवाल कर रही थी|
" देखिये! हमने ऑपरेशन तो कर दिया है पर....... " डॉक्टर बोले|
" पर क्या डॉक्टर?" रुद्र ने पूछा|
" उनके पास बस कुछ ही देर है| हमने उन्हें स्पेशल वार्ड में शिफ्ट कर दिया है| कुछ ही देर में एनेस्थीसिया का असर कम हो जाएगा| आप सब लोग उनसे मिल लिजीए!" डॉक्टर हिचकीचाते हुए बोले|
यह सुनते ही सबकी सांसें थम गई। रूद्र तो जमीन पर गिर गया। सबको बहुत गहरा सदमा लगा। सब रोने लगे| विजय की भी हालत बहुत खराब हो गई। अर्जुन के पैरों तले जमीन खिसक गई।
रूद्र ने जैसे तैसे खुद को संभाला और दौड़ता हुआ गौरी के पास गया| उसके पीछे पीछे सब लोग गौरी से मिलने गए|
रूद्र गौरी के पास आया| गौरी अभी बेहोश थी। उसके सारे शरीर पर पट्टीयाँ बंधी हुई थी|
वो गौरी के पास आकर बैठ गया। उसके आंसू थे की रुकने का नाम नहीं ले रहे थे| उसने धीरे से गौरी के हाथ पर अपना हाथ रखा| उसी के साथ गौरी को थोड़ा थोड़ा होश आया|
जब गौरी ने अपनी आंखें खोली तो रूद्र उसके सामने था|
"मुझे बहुत दर्द हो रहा है रुद्र!" वो धीरे से बोली|
वो ठीक से बोल भी नही पा रही थी| उसके करुण स्वर को सुनकर सबके रौंगटे खडे हो गए|
"नीलाद्रि बेटा! आप चिंता मत करो| सब ठीक हो जायेगा बेटा!" महारानी बोली|
" अर्जुन.... आप...ठीक तो है ना.?" गौरी ने एकदम धीमी आवाज मे सबसे पीछे खडे अर्जुन की तरफ देखकर कहा|
ये देखते ही अर्जुन दौडकर गौरी के पास आया और उसके पैर पकडकर फूटफूटकर रोने लगा|
"मुझे माफ कर दो गौरी! मुझे माफ कर दो!
ये सब मेरी वजह से हुआ है| मै इस सब का कारण हू|
मैने तुम्हारे साथ बहुत गलत किया फिर भी तुमने मेरी जान बचाने के लिएअपनी जान......
मुझे माफ कर दो गौरी!" अर्जुन रोते हुए बोला|
"अर्जुन आप प्लीज मत रोइये!अपने आप को दोष मत दिजीये!" गौरी बहुत धीमी आवाज़ मे बोली|
गौरी ने एक बार सबकी ओर देखा| सब रो रहे थे|
"आप सब लोग रो क्यो रही हो?" गौरी ने पूछा|
पर कोई भी उसको जवाब नही दे पा रहा था|
"क्या मै मरने वाली हू?" गौरी की ये बात सुनते ही सबके आँसूओ का बांध टूट गया|
"ये तुम क्या कह रही हो गौरी? ऐसी बाते मत करो प्लीज!" रुद्र ने उसे रोते हुए डाँट दिया|
"जब तक मै ज़िंदा हू तुम्हे कुछ नही हो सकता! मै तुम्हे कुछ नही होने दूंगा गौरी!" रुद्र की इस बात पर गौरी ने हलके से मुस्कुरा दिया|
गौरी ने एक नजर सबकी ओर देखा|
गौरी : (विवेक जी और शालिनी जी से) पापा-ममा!
मै आपकी अच्छी बेटी तो बन पायी ना?
गौरी की बात सुनकर वो दोनो रोते हुए गौरी के पास बैठ गए|
"आप हमारी सबसे अच्छी बच्ची है गौरी!" विवेक जी बोले|
गौरी : विजय भैया! मैने आपको बहुत तंग किया ना? प्लीज मुझे माफ कर दिजीये!
मै तो बस इतना ही चाहती हू कि आप और पूजा भाभी हमेशा खुश रहे!
गौरी की बातो से उनकी भी आँखे भर आयी|
गौरी : ( महाराज और महारानी से) माँ! पिताजी!
ये शब्द सुनते ही उन दोनो के तो आँखो से सैलाब ही उमड पडा|
जिंदगी भर जिस पल का उन्होने इंतजार किया उनके जीवन मे वो पल आया तो सही पर किसी ऐसे समय पर जब वो दोनो इस बात पर खुश भी नही हो सकते थे|
गौरी : मै जानती हू कि मैने आपके साथ बहुत बूरा बर्ताव किया है जिसके लिए आप लोग मुझे कभी माफ नही कर सकते पर फिर भी हो सके तो.....
वो दोनो दौडकर आकर गौरी के गले लग गए|
(गौरी खुद हिल भी नही पा रही थी|)
"ऐसा मत कहिये बेटा! आप तो हमारी जान है! जीने की उम्मीद है.! "
गौरी : अब लग रही है ना हमारी फैमिली! हैप्पी फैमिली!
गौरी मुस्कुरायी|
"रुद्र!!!" गौरी ने रुद्र से बडे प्यार से कहा|
रुद्र ने गौरी की हथेली अपनी हथेली मे पकड रखी थी| गौरी ने भी उसे कसकर पकड लिया|
अचानक उसकी साँस फूलने लगी|
"गौरी! गौरी!
गौरी क्या हो रहा है तुम्हें? " सब लोग चिल्लाने लगे|
" रुद्र! रुद्र! मुझे.....मुझे कसकर पकड लिजीये प्लीज!
मै... मै नही जाना चाहती रुद्र!
रुद्र प्लीज मुझे कसकर पकड लिजीये! " गौरी जैसे तैसे साँसे भरकर रुद्र से कह रही थी| वहा खडा हर इंसान सहम गया था|
रुद्र ने गौरी को कसकर गले लगा लिया| वो गौरी को शांत करने की कोशिश कर रहा था पर नाकामयाब हो रहा था|
आखिरकार..... गौरी अचानक शांत हो गई|
पूरा माहौल शांत हो गया|
रुद्र ने गौरी का चेहरा सामने लाकर देखा तो उसकी आँखें बंद हो चुकी थी|
रुद्र ने उसके सीने से अपना कान लगाया| उसकी धड़कन बंद हो गई थी|
" गौरी! गौरी!
गौरी देखो मुझे ऐसे मत डराओ! आँखे खोलो!
गौरी अपनी आँखे खोलो! मेरी तरफ देखो गौरी!
गौरी!" रुद्र जोर जोर से चिल्लाने लगा| गौरी को गले से लगाकर रोने लगा|
सब लोग आक्रोश करने लगे| अर्जुन सुन्न हो गया|
विवेक जी रुद्र को संभालने के लिए आगे आये|
"तुम ऐसा नही कर सकती गौरी!
कोई मुझे छोडकर चला जाये कोई गम नही पर ये ऐसा नहीं कर सकती। हरगिज़ नहीं कर सकती!
पापा कहिए ना इसे! ये आपकी हर बात मानती है ना?
तो इसे कहिए कि मुझे ऐसे तंग ना करें! कहिए इसे की उठ जाए!" रूद्र रोते हुए कह रहा था|
विवेक जी : अपने आप को संभालो बेटा रूद्र! अपने आप को संभालो! हमारी गौरी हमें छोड़ कर चली गई है! अब वो वापस नहीं आएगी।
" नही! ऐसा हरगिज़ नहीं हो सकता!" रूद्र जमीन पर बैठकर बिलख बिलख कर रोने लगा|
सब लोग बहुत ज्यादा रो रहे थे।
तभी रूद्र ने अपने आंसू पोछे| उसने रोना बंद किया और गौरी के पास गया| उसने गौरी को अपनी बांहों में उठा लिया| उससे सब लोग चौक गए|
"रुद्र! यह तुम क्या कर रहे हो? गौरी को कहां लेकर जा रहे हो?
रूद्र रुको!
कहां जा रहे हो?"
सब लोग रूद्र को रोकने उसके पीछे जा रहे थे पर वो नहीं रुका।
सब लोग उसके पीछे पीछे चल पड़े।
रूद्र गौरी को सीधे राजमहल ले आया पर महल के अंदर जाने के बजाय वो महल के बाहर बने शिव मंदिर में गौरी को ले गया जहां पर वो हमेशा महादेव की पूजा किया करती थी|
उसने गौरी को महादेव के चरणों के समक्ष रख दिया| उसके पीछे पीछे सारे घर वाले वहां पहुंच गए|
"रूद्र यह तुम क्या कर रहे हो? तुम गौरी को यहां क्यों ले आए?
चलो रूद्र! हमें गौरी के अंतिम संस्कार की तैयारियां करनी होंगी|" विवेक जी रूद्र से बोले|
यह सुनते ही रूद्र भड़क उठा|
" नहीं! मैं कहीं नहीं जाऊंगा और ना ही गौरी कही जाएगी!
मैं यहा इनसे अपने सवालों के जवाब मांगने आया हूँ जो मैंने कभी नहीं मांगे| इनके हर फैसले को मैंने हाथ जोड़कर इनका आशीर्वाद समझकर और आंखें बंद करके माना है| कभी इनसे कोई सवाल नहीं किया पर आज जरूर करूंगा!" रूद्र भगवान की ओर इशारा करते हुए कहने लगा|
"बताइए! हमारी क्या गलती है?
क्यों बार-बार आप हमारे नसीब में ऐसी जुदाई लिख देते हैं जिसके बाद हम कभी एक ही ना हो पाए? बताइए!
आप ऐसे चुप नहीं रह सकते। आज आपको मेरे हर सवाल का जवाब देना होगा।
पहले भी हमारी क्या गलती थी?
एक दूसरे के साथ खुशहाल जीवन का सपना देखना या फिर अपने राज्य को बचाना? इसलिए आपने हमें एक दूसरे से अलग कर दिया?
अच्छा मेरे बारे में छोड़िए! इसके बारे में बताइए!
इसकी क्या गलती थी? इस सब में इसकी क्या गलती थी जिसकी इसे इतनी बड़ी सजा मिली?
इसने तो उसकी जान बचाई जिसने इससे सबसे ज्यादा दुख दिया है!
दिन रात आप की पूजा करती थी ना ये? तो ऐसा क्यों? " रूद्र की बातें सुनकर सब लोग बहुत ज्यादा भावुक हो गए|
"मुझे लगता है आपके पास मेरे किसी भी सवाल का जवाब नहीं है। तो फिर ठीक है। आज..... अभी.... यहां पर..... इसी जगह...... गौरी के साथ-साथ मैं भी अपनी जान दे दूंगा।" रुद्र की ये बात सुनते ही सब के पैरों तले जमीन खिसक गई|
रुद्र ने शिवलिंग के पास रखा त्रिशूल निकाल लिया| इससे पहले की वो खुद पर वार करता अर्जुन, विवेक जी, विजय, महाराज सब ने आकर उसे पकड लिया|
पर वो किसी की बात मानने को तैयार नही था|
"छोडिये मुझे! मैने कहा छोड दीजिए!
छोडो मुझे!" रुद्र चिल्ला रहा था|
अर्जुन ने जैसे तैसे उसके हाथ से वो त्रिशूल छीन लिया और दूर फेंक दिया|
उसी के साथ रुद्र जमीन पर बैठकर फूटफूटकर रोने लगा|
उसने गौरी का हाथ अपने हाथ मे ले लिया|
"मै तुम्हारे बिना नही जी सकता गौरी! मैं तुम्हारे बिना नही जी सकता!" रुद्र रोते रोते गौरी के सीने से लग गया|
उसकी ये हालत देखकर वहा खडा हर इंसान रोने लगा|
तभी रुद्र को एक आह् सुनाई पडी| किसी ने गहरी साँस भरी थी|
रुद्र को तो अपने कानो पर यकीन नही हुआ| उसने अपने आँसू पोछे और गौरी की तरफ देखा|
उसने फिरसे एक गहरी साँस ली|
"गौरी! गौरी!" उसने बहुत डेस्परेट होकर गौरी का सिर अपनी गोद मे ले लिया|
उसकी आवाज सुनकर सब लोग गौरी के पास आये|
सामने जो हो रहा था वो देखकर किसी को भी अपनी आँखों पर विश्वास नही हो रहा था|
"गौरी! उठो गौरी! आँखे खोलो!
देखो मै हूँ! तुम्हारा रुद्र! " गौरी ने अपनी आँखें खोली|
उसने रुद्र को देखकर स्माइल किया पर कुछ ही पल में वो फिर से बेहोश हो गई|
विजय ने जल्दी से गौरी की नब्ज चेक की|
"गौरी की नब्ज चल रही है!" विजय बोला|
उसकी बात सुनकर भी किसी को भरोसा नहीं हो रहा था|
रुद्र ने एक बार महादेव की ओर देखा और उसकी आँखें भर आयी|
"रुद्र! रुद्र जल्दी करो! गौरी को हॉस्पीटल ले चलो!" अर्जुन बोला|
"ये सही कह रहे हैं रुद्र!" महाराज बोले|
रुद्र ने गौरी को उठाया और वो उसे हॉस्पीटल ले आए|
कुछ देर बाद...
सब लोग आयसीयू के बाहर डॉक्टर का इंतजार कर रहे थे|
डॉक्टर के बाहर आते ही सब लोग उनके पास जमा हो गए| सब लोग उनकी तरफ उत्सुकता से देख रहे थे|
तब डॉक्टर्स ने स्माइल करते हुए कहा, " हमारे पच्चीस साल के करियर मे पहली बार ऐसा केस देखा है!
सच मे! ये सब किसी चमत्कार से कम नही है!
गौरी अब खतरे से बाहर है| बस जो फ्रैक्चर्स हुए है उनको ठीक होने मे वक्त लगेगा| तब तक मै चाहूंगा कि आप गौरी को यही पर रहने दे| डॉक्टर्स की देखरेख मे!
रियली! गॉड इज् ग्रेट!"
ये सुनते ही सबकी आँखे चमक उठी|
विवेक जी ने तो खुशी के मारे डॉक्टर को गले लगा लिया|
" थैंक यू सो मच डॉक्टर! थैंक यू सो मच! " वो बोले|
रुद्र की खुशी का तो कोई ठिकाना नही था|
सब की आँखो मे खुशी के आँसू थे|
अर्जुन के सीने से भी एक बहुत बडा बोझ उतर गया|
उसकी माँ ने उसे गले से लगा लिया|
कुछ ही देर मे गौरी को होश भी आ गया|
गौरी को ठीक देखकर सब बहुत ज्यादा खुश थे|
सब ने भगवान का बहुत धन्यवाद किया|
गौरी के कई नेक कामों ने उसकी जिंदगी की सारी मुश्किले अपने आप खत्म कर दी थी|
गौरी को बहुत से फ्रैक्चर्स हुए थे| इस वजह से वो बिस्तर से उठ नही पाती थी|
पर जैसे जैसे समय बितता गया उसके घाव भी ठीक होते गए|
हॉस्पीटल मे हर वक्त कोई ना कोई गौरी के पास होता था उसका खयाल रखने के लिए!
अब गौरी के पास दो दो परिवार थे|
प्रजाजन भी गौरी से मिलने आया करते थे|
अर्जुन और अवंतिका जी भी कभी कभी गौरी से मिलने आया करते थे| अर्जुन ने रुद्र से भी माफी मांगी| रुद्र ने भी अर्जुन को माफ कर दिया था|
रुद्र और घर वालो के प्यार से जैसे जैसे वक्त बितता गया गौरी के फ्रैक्चर्स भी ठीक हो गए|
जैसे ही घरवालो को गौरी के घर लौटने कि आहट मिली उन्होंने तय किया की गौरी के घर लौटते ही रूद्र और उसकी शादी करवा दी जाये पर इस बात को उनसे छुपाकर रखा गया उनको सरप्राइज देने के लिए!
शादी की तैयारीयाँ भी शुरू हो गई पर इस बार शादी की तैयारीयो मे सबसे आगे अर्जुन था| ये देखकर उसकी माँ भी खुश थी| वो समझ गया था कि प्यार कभी भी जबरदस्ती नही पाया जा सकता|
जिस दिन गौरी को घर लाया गया उस दिन सारे महल को दुल्हन कि तरह सजाया गया था| सारी प्रजा महल के समक्ष उपस्थित थी|
सारे लोग गौरी का बडी बेसब्री के साथ इंतजार कर रहे थे| घरवालो के साथ अर्जुन और अवंतिका जी भी थी|
गाडी महल के गेट गेट के सामने आकर रुकी|
सब की नजरे वही पर रुक गई|
रुद्र गाडी से उतरा| उसने दरवाजा खोला और हाथ बढाया| गौरी ने रुद्र के हाथ मे अपना हाथ दे दिया|
उसका हाथ पकडकर गौरी ने महल के प्रवेशद्वार पर अपना पहला कदम रखा| उसी के साथ उन दोनो पर सारी प्रजा ने पुष्पवर्षा की|
हर ओर "युवराज्ञी नीलाद्रि की जय! युवराज्ञी नीलाद्रि की जय!" ये जयजयकार गूँजने लगी|
गौरी को घर वापिस लौटा देख महाराज और महारानी की आँखे भर आयी|
गौरी भी घर वापिस लौटकर बहुत ज्यादा खुश थी|
महारानी ने आगे आकर गौरी की आरती उतारी| शालिनी जी ने गौरी की नजर उतारी|
गौरी ने उनके पैर छुए|
महाराज, विवेक जी, राजगुरु सबके पैर छुए|
गौरी विजय और पूजा के गले से लग गय
पीछे अवंतिका जी और अर्जुन खडे थे|
गौरी ने अवंतिका जी के पास जाकर उनके पैर छुए और उनके गले से लग गयी|
अर्जुन अपनी गर्दन झुकाये खडा था|
"आपको खुशी नही हुई मेरे घर लौटने पर? " गौरी ने उससे पूछा|
" ऐसी बात नही है गौरी! मै बहुत खुश हूँ! पर.... " इतना कहकर उसने फिरसे उसने अपनी गर्दन नीचे झुका ली|
"पर क्या अर्जुन? मुझे गले से नही लगायेंगे? " गौरी की आवाज भारी हो गई|
ये सुनते ही अर्जुन ने गौरी की तरफ देखा| उसकी आँखों से आँसू छलक पडे|
गौरी की भी आँख नम थी|
अर्जुन ने उसे सीने से लगा लिया|
" मुझे माफ कर दो गौरी! मुझे माफ कर दो! मैने बहुत गलत किया है तुम्हारे साथ! "
वो दोनो बहुत रोये|
"बस अब जो हुआ वो हुआ!
और वैसे भी दोस्त माफी नही मांगते! अब ये रोना बंद किजीये!" गौरी ने उसके आँसू पोछते हुए कहा|
अर्जुन ने गौरी का हाथ पकडा और उसको रुद्र के पास ले गया|
उसने उन दोनो का हाथ एक-दूसरे को हाथ मे दिया|
"अब तुम दोनो को कोई अलग नही कर पायेगा क्योंकि अब तुम लोग दुनिया के सबसे मजबूत और पवित्र बंधन मे बंधने वाले हो!" वो बोला|
पर रूद्र और गौरी को इस बारे मे कुछ पता ही नही था|
" मतलब?" दोनो बोले|
" मतलब की कल तुम दोनो की शादी है! " अर्जुन बहुत खुश होकर बोला|
ये सुनते ही उन दोनो को शॉक लगा| उनकी आँखें बडी हो गई| उन्होने घरवालो की तरफ देखा|
तब विजय आगे आया|
"ऐसे मत देखो! ये सच है.! कल तुम दोनो की शादी है और उससे पहले आज गौरी का राज्याभिषेक!" ये सुनते ही गौरी- रूद्र दोनो बहुत ज्यादा खुश हो गए|
" पर एक शर्त पर! " महाराज बोले|
" कैसी शर्त?" रुद्र ने पूछा|
" तुम्हे गौरी को सबके सामने प्रपोज करना पडेगा! " विवेक जी बोले|
ये सुनते ही दोनो की आँखे बडी हो गई|
" पर... पर.... पापा.... मै.... मै... कैसे? " रुद्र डर गया और गौरी तो शर्म से पानी पानी हो गई|
उन दोनो की हालत देखकर सब लोग हसने लगे|
" कैसे मतलब कैसे?
ऐसे!" विवेक जी ने उसके हाथ मे एक छोटा सा बॉक्स दे दिया|
रुद्र ने वो बॉक्स खोलकर देखा.ट तो उसमे एक बहुत ही खुबसुरत डायमंड रिंग थी|
" चलो! चलो! अब शुरु हो जाओ! शादी का घर है भई! बाकी रस्मे भी पूरी करनी है हमे!" विवेक जी इतना कहकर वहा से दूर हो गए|
रुद्र ने दो पल कुछ सोचा और चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कराहट के साथ गौरी के सामने घुटने के बल बैठ गया|
उसने गौरी का हाथ अपने हाथ मे लिया|
" गौरी!
जिस दिन. मैने तुम्हे पहली बार देखा था उस सफेद रंग के लिबास मे बहुत सुंदर लग रही थी तुम!
तुम्हे देखते ही मुझे तुमसे प्यार हो गया| तुम्हारे बारे में मै उस वक्त कुछ भी नहीं जानता था| तुम्हे ढूंढने के लिए मैने हर मुमकिन कोशिश की| उस वक्त भी भगवान ने अपना चमत्कार दिखाकर तुम्हें मुझसे मिला दिया|
हमारे मिलने के बाद भी हमारे बीच कई मुश्किले आयी पर हमारा प्यार हर इम्तिहान से गुजरकर कम नहीं हुआ बल्कि और गहरा हुआ| मै भगवान का बहुत शुक्रगुज़ार हू कि उन्हें मुझे तुमसे मिलाया|
मैने तुम्हे इस सब के दौरान कई बार खोया है गौरी पर मै अब तुम्हें कभी खोना नही चाहता इसीलिए.......
मै तुमसे बहुत प्यार करता हूँ गौरी और हमेशा, हर जनम मे करता रहूंगा| हर जनम मे ये वीर भैरवी का ही बनकर रहेगा! तुम्हें अपनी जान से बढ़कर चाहूंगा गौरी!
क्या तुम मुझसे शादी करोगी? "
रुद्र की आँखों मे आँसू आ गए|
सब लोगो की आँखे नम हो गई|
गौरी की भी आँखो से आंसू छलक पडे| उसने रोते रोते ही हाँ कह दिया| वो बहुत खुश थी|
उसके हाँ कहते ही सारा माहौल खुशनुमा हो गया|
उनपर पुष्पवर्षा होने लगी|
रुद्र ने गौरी की उंगली मे अंगूठी पहना दी| रिया भी गौरी के सामने अंगूठी लेकर आयी और रुद्र को पहनाने के लिए कहा|
गौरी ने वो अंगूठी ली और रुद्र को पहना दी|
हर तरफ होने वाले महाराज और महारानी की जयजयकार होने लगी|
रुद्र और गौरी बहुत ज्यादा खुश थे| गौरी रूद्र के सीने से लग गयी|
विजय और पूजा एक बडे से थाल मे राजमुकुट सजाकर लाये और महाराज ने अपने हाथो से गौरी को वो पहना दिया|
हर ओर महारानी गौरी की जयजयकार होने लगी|
इधर महाराज और विवेक जी, शालिनी जी और महारानी भी एक दूसरे से मिले| अब वो लोग एक-दूसरे के संबंधी थे|
अर्जुन भी रुद्र और गौरी दोनो को खुश देखकर अवंतिका जी के गले से लग गया|
रुद्र और गौरी को एक दूसरे से अलग करने की इतनी बार कोशिश करने के बावजूद नाकाम होने के बाद अर्जुन के बदलाव को देखकर रेवती की आँखे भी खुल गई थी|
वो और रिया भी खुश थी|
सारा माहौल खुशनुमा था| हर चेहरे पर हसी देखी जा सकती थी|
उसके बाद रुद्र गौरी की हल्दी की तैयारीयाँ की गई|
शाम तक हल्दी की तैयारीयाँ हो चुकी थी|
सब लोग गौरी का इंतजार कर रहे थे|
रुद्र भी नीचे अर्जुन के साथ गौरी के आने का इंतजार कर रहा था |
तभी रिया गौरी को तैयार करके नीचे लायी|
'पीले रंग का ब्लाउज! सफेद रंग का लेहेंगा और गुलाबी रंग का दुपट्टा! खुले लंबे बाल, नीली आँखे और उसका साथ देता काजल!
होठो पर हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक और सारे बदन पर फूलों का श्रृंगार!'
गौरी को देखकर रूद्र का तो मुँह खुला का खुला रह गया|
"मुंह तो बंद करो अंकल!" अर्जुन ने उसका मुँह बंद किया
तभी रुद्र होश मे आय
गौरी के चेहरे पर शर्म थी|
'तेरी आँखों के मतवाले
काजल को मेरा सलाम
ज़ुल्फ़ों के काले-काले
बादल को मेरा सलाम'
अर्जुन गाने लगा|
उसे देखकर रुद्र भी गाने लगा|
'तेरी आँखों के मतवाले
काजल को मेरा सलाम
ज़ुल्फ़ों के काले-काले
बादल को मेरा सलाम'
गौरी नीचे उतर कर आयी|
'घायल कर दे मुझे यार
हो तेरे पायल की छनकार
हे सो्णी सो्णी
तेरी सो्णी हर अदा को सलाम
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…'
रुद्र के साथ सब लोग ताल मिलाने लगे| सब लोग उसके साथ डान्स करने लगे|
विजय, विवेक जी, महाराज, अर्जुन, सब!
गौरी भी आगे आयी और गाने लगी|
'हो तेरी मस्तानी अंजानी
बातों को मेरा सलाम
रंगों में डूबी-डूबी
रातों को मेरा सलाम
ख्वाबों में खो गयी मैं
दीवानी हो गयी मैं
ओ सोह्णी सोह्णी
तेरी सोह्णी हर अदा को सलाम
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…'
उन दोनो को बिठाकर उनको हल्दी लगायी गई|
'हो तेरी हत्था विच मेहंदी का रंग खिला है
तुझे सपनों दा चंगा महबूब मिला है
मेरी बन्नो प्यारी-प्यारी सारी दुनिया से न्यारी
इसे डोली में तू लेजा डोलिया'
शालिनी जी और महारानी गौरी के लिए गा रही थी|
गौरी को इस खुशी के मौके पर सीमा जी की मौजूदगी भी महसूस हो रही थी|
'तेरी मेरी नज़र जो मिली पहली बार
हो गया हो गया तुझसे प्यार
दिल है क्या दिल है क्या
जाँ भी तुझपे निसार
मैंने तुझपे किया एतबार'
रुद्र गौरी का हाथ पकडकर उसको अपने साथ उठाकर ले गया और गौरी के साथ डान्स करने लगा|
'हो मैं भी तो तुझपे मार गई
दीवानापन क्या कर गई
मेरी हर धड़कन बेताब है
पलकों विच तेरा ख्वाब है'
गौरी ने भी ताल से तेल मिलाया|
'हो जान से भी प्यारी प्यारी
जाणिया को सलाम
सलाम ए इश्क…
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…'
रुद्र गा रहा था| सारे लोगो ने उसके साथ पैर थिरकाये|
सारा माहौल खुश था|
अगले दिन.....
शादी का मंडप सज चुका था|
राजगुरु खुद दोनो का विवाह संपन्न करवा रहे थे|
रुद्र मंडप मे गौरी का इंतजार कर रहा था|
तभी गौरी को लेकर रिया आयी|
लाल रंग के दुल्हन के जोडे मे गौरी बेहद खूबसूरत लग रही थी|
विवेक जी और महाराज ने आगे आकर गौरी को आशीर्वाद दिया|
महारानी और शालिनी जी ने गौरी को काला टीका लगाया|
गौरी को दुल्हन के रुप मे देखकर अर्जुन!
और रुद्र को दुल्हा बना देखकर रिया! दोनो की आँख भर आयी|
रुद्र गौरी को बस देखे जा रहा था| उसका मन भर आया था|
रुद्र को देखकर गौरी ने अपनी पलके झुका ली|
रुद्र मंडप से उठकर गौरी के पास आया|
उसने गौरी का हाथ अपने हाथ मे पकडा और घुटनो पर बैठकर गाने लगा|
'मैं तेरे इश्क में
दो जहां वार दूँ
मेरे वादे पे कर ले यकीं
कह रही है ज़मीं,
कह रहा आसमाँ
तेरे जैसा दूजा नहीं'
रुद्र की आँखे भर आयी|
गौरी को लगा कि शायद वो रो ना दे इसलिए उसने रुद्र के हाथ से अपना हाथ खींच लिया और उससे दूर होकर गाने लगी|
'हो.....
ऐसे जादू ना डाल वे
ना आऊँ मैं तेरे नाल वे
झूठी तारीफें छोड़ दे
अब दिल मेरे दिल से जोड़ दे.....'
गौरी की बात सुनकर रुद्र उसके पास आया|
'हो....
जो अभी है दिल से निकली
उस दुआ को सलाम
सलाम ए इश्क…
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क'
रुद्र ने उसका हाथ पकडा और उसे मंडप तक ले आया|
'सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…'
इधर रुद्र और गौरी के शादी की विधियां शुरु हो गई और मंडप के बाहर अर्जुन और रिया ने समा बांध दिया|
'सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…'
पर तभी अर्जुन गाने लगा|
'रब से है इल्तिजा...
माफ़ कर दे मुझे...
मैं तो तेरी इबादत करूँ
ऐ मेरी सोह्णीए...
ना खबर है तुझे
तुझसे कितनी मोहब्बत करूँ....'
उसकी आँख भर आयी थी पर अवंतिका जी ने आगे आकर उसे संभाला
उधर रुद्र ने गौरी को मंगलसुत्र पहनाया और उसकी माँग भर दी|
'तेरे बिन सब कुछ बेनूर है
मेरी माँग में तेरा सिंदूर है
साँसों में यही पैगाम है
मेरा सब कुछ तेरे नाम है'
गौरी बोली|
'धड़कनों में रहने वाली
सोह्णिये को सलाम
सलाम-ए-इश्क......
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…'
रुद्र और गौरी का विवाह संपन्न हुआ|
उन्होने सबका आशीर्वाद लिया|
अर्जुन और रिया दोनों को लेकर नी़चे आये|
'तेरी आँखों के मतवाले…
काजल को मेरा सलाम
ज़ुल्फ़ों के काले-काले
बादल को मेरा सलाम
हो तेरे पायल की छनकार
हे सो्णी सो्णी
तेरी सो्णी हर अदा को सलाम
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क
सलाम ए इश्क इश्क इश्क
सलाम ए इश्क…'
सब लोगो ने साथ मिलकर डान्स किया|
अब सारा नीलमगढ खुशीयो से झूम उठा था|
वीर और भैरवी अब एक हो चुके थे रुद्र और गौरी के रूप मे! कभी भी जुदा ना होने के लिए
-समाप्त -