गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|
गुरूजी भावूक थे|
"और इस तरह वीर भैरवी की कहानी का दर्दनाक अंत हुआ!" वो बोले| उन्होने अपने हाथ मे पकडा हुआ तिसरा और आखरी पत्र खोला|
"ये युवराज राजवीर की कुंडली है!" गुरूजी ने बताया|
विवेक और शालिनी जी अब भी अलग ही दुनिया मे थे|
स्वामी जी के इशारे पर उनके शिष्यों ने वहा पर रखी हर चीज़ अपनी जगह पर वापिस रख दी|
" मै समझ सकता हूँ कि इन सब बातों पर विश्वास करना किसी भी साधारण मनुष्य के लिए कठीण है पर पहले ही मै आपको सब प्रमाण दिखा चुका हूँ| अब आप केवल इस बात का ध्यान रखे कि आप अपना वचन किसी भी हालत मे निभाये!" स्वामीजी बोले|
"आप चिंता मत किजीए गुरूजी! हम आपको दिया वचन कभी नही तोडेंगे| आप अब हमे इतना बता दिजीये की हमारे लिए क्या आज्ञा है?" विवेक जी बोले|
"हम तो आपको केवल इतना ही सुझायेंगे कि जितनी जल्द हो सके आपको उन दोनो को एक दूसरे के प्रेम का एहसास करवाना होगा ताकि हमे उन्हें विवाह बंधन मे बाँध सके| आने वाला समय उनके लिए कुछ खास नही होने वाला है| आने वाला समय उनपर भारी होगा| आसपास ऐसी कई बूरी शक्तियां घूम रही हैं जो रुद्र और गौरी को वापिस नीलमगढ की भूमी पर लाकर खड़ा कर सकती है और रुद्र और गौरी को वीर-भैरवी बना सकती है| जो शायद उनके लिए कुछ ठीक नही होगा|" गुरुजी बोले|
"आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही करेंगे गुरुजी| बस हमारे बच्चो पर कोई विपदा ना आये|" शालिनी जी हाथ जोडकर बोली|
सिंघानिया मँशन मे....
रेवती गुस्से मे इधर से उधर चक्कर लगा रही थी| रुद्र का गौरी के लिए रिया से लडना उसे जरा भी पसंद नही आया था| वो कुछ भी करके रुद्र और रिया को करीब लाना चाहती थी|
"क्या मै अंदर आ सकती हूँ? " गौरी ने रुद्र के कमरे के दरवाजे पर नॉक करते हुए कहा|
तब रुद्र कोई किताब पढ रहा था|
"अरे गौरी! तुम यहा? क्या हुआ? तुम्हें कुछ चाहिए था? मुझे बुला लिया होता!" रुद्र गौरी के पास जाते हुए बोला|
"रुद्र मै ठीक हू! मुझे कुछ नहीं चाहिए| मै तो आपसे मिलने आयी थी| क्या मै अंदर आ सकती हूँ? "गौरी ने पूछा|
ये सुनकर रुद्र को बहुत अच्छा लगा|
"आओ ना प्लीज!" रुद्र उसे अपने कमरे मे ले गया|
गौरी अंदर आकर बैठ गयी|
"क्या हुआ गौरी? क्या बात है? " रुद्र ने पूछा|
" वो....वो.... रुद्र...... मै..... मै वो आपसे माफी माँगने आयी हू|" गौरी हिचकिचाते हुए बोल रही थी|
"माफी? पर किस लिए? " रुद्र ने उसके पास बैठते हुए कहा|
" कल रात मैने जो कुछ कहा मुझे वो नही कहना चाहिए था| मुझे माफ कर दिजीये| मुझे ऐसा बिहेव नही करना चाहिए था| मैने कुछ ज्यादा ही रिअँक्ट कर दिया पर मै नही जानती की मुझे आपको रिया के साथ देखकर क्या हो गया था! ये आपकी जिंदगी है! आपकी मर्जी है कि आपको किसके साथ रहना है और किसके नही!" गौरी नजरे चुराकर बोल ही रही ही रुद्र उसकी बात काटते हुए कहने लगा|
" गौरी! गौरी! तुम अब भी गलत समझ रही हो! मेरे और रिया के बीच ऐसा कुछ भी नही है| वो बस मेरी बहुत अच्छी दोस्त है! बचपन की दोस्त!
रही कल रात की बात तो हम मेरा पैर फिसल गया और मै गलती से उसपर गिर पडा| कितनी बार कहू तुमसे? तुम्हे समझ मे आ रही है मेरी बात?" रुद्र गौरी की बाहे पकडकर उसकी आँखों में आखे डालकर बोल रहा था|
गौरी की आँख भर आयी| उसे रुद्र की बातो मे सच्चाई नजर आ रही थी|
वो अचानक रुद्र से लिपट गई| इससे रुद्र भी चौंक गया|
वो उसके गले लगकर रोने लगी, "मुझे माफ कर दिजीये रुद्र प्लीज! मैने आपको बहुत दुख पहुंचाया है|" वो रोते हुए कह रही थी|
" गौरी! तुम ऐसा मत कहो! तुम्हे मुझसे माफी मांगने की कोई जरूरत नही है| मै तुमसे गुस्सा नही हू| तुम रोना बंद करो|"
रुद्र ने उसके आँसू पोछे और उसे चूप कराया|
" गौरी! तुम चिंता मत करो! मै कभी तुमसे गुस्सा नही हो सकता| हमारे बीच कोई नहीं आ सकता और ना ही कोई हमें अलग कर सकता है| अब ये रोना बंद करो वरना बाढ आ जायेगी|"
रुद्र की इस बात पर गौरी हस पडी|
" ये हुई ना बात! तुम्हे शायद पता नहीं पर तुम हसते वक्त बहुत खूबसूरत लगती हो!" रुद्र उससे कह रहा था| गौरी थोडा सा शर्मा गई|
"अच्छा अब मेरी बात सुनो! तुमसे एक प्लान डिस्कस करना है!" रुद्र बोला|
"प्लान? कैसा प्लान?"
रुद्र ने बस हँसकर उसकी तरफ देखा|
रात मे....
शालिनी जी और विवेक जी दोनो ही बहुत चिंता मे थे| उन्हें समझ ही नही आ रहा था कि वो करे तो क्या करे रुद्र और गौरी को करीब लाने के लिए!
इसी चिंता मे उनको कब नींद आ गई उनको पता भी नही चला|
वो दोनो सोये हुए थे|
तभी अचानक उनको कुछ आवाजे आने लगी| वो किसी के चिल्लाने की आवाजे थे| उससे शालिनी जी की नींद खुल गई|
"विवेक जी! उठीये! देखिये शायद कोई प्रॉब्लम है बाहर!" उन्होने विवेक जी को उठाया|
जब उन दोनो ने गौर से सुना तो कोई चिल्ला रहा था|
"पकडो! पकडो! चोर! चोर!
कोई पकडो उसे! पकडो उसे!"
ये सुनते ही वो दोनो भागकर हॉल की ओर आये|
सारी लाइट्स ऑफ होने की वजह से उन्हे कुछ नजर नही आ रहा था इसलिए विवेक जी ने लाइट्स ऑन की|
जब उनहोने देखा तो कोई हॉल के बीचोबीच कोई लडकी खडी होकर चिल्ला रही थी| वो गौरी की तरह लग रही थी|
" गौरी! क्या ये तुम हो गौरी बेटा?" विवेक जी बोले|
गौरी उनकी ओर पलटी तब वो बहुत ही अजीब हसी हस रही थी|
विवेक और शालिनी जी को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था|
तभी फिर से अचानक लाइट ऑफ हो गई और कुछ पल बाद तुरंत ही लाइट आ गई| विवेक जी और शालिनी जी ने जब सामने देखा तो वो दंग रह गए|
"सरप्राइज!! " एक साथ सब चिल्ला पडे|
रुद्र, गौरी, रिया, रेवती, राघू चाचा, घर के सारे नौकर,सब लोग!
गौरी के हाथ मे केक था| सब लोगो ने विवेक जी और शालिनी जी के उपर फूलो की बारिश कर दी|
"शादी की सालगिराह बहुत बहुत मुबारक हो!" सब लोगों ने उन दोनो पर शुभकामनाओं की बारिश कर दी|
ये सब देखकर वो दोनो बहुत ही ज्यादा खुश हो गए|
वो सब लोग उनके पास आये| सबने उनको मुबारकबात दी| विवेक और शालिनी जी ने सबको प्यार से गले लगा लिया|
विवेक जी और शालिनी जी ने जब रुद्र और गौरी को जब गले से लगाया| तब रेवती को गौरी पर बहुत गुस्सा आया|
थोडी देर बाद विवेक जी और शालिनी जी ने केक कट किया| शालिनी जी ने सबसे पहले, रुद्र से भी पहले गौरी को ही केक खिलाया| तब भी रेवती को बहुत गुस्सा आया|
"अब केक कटींग तो हो गई| अब है गिफ्ट्स की बारी और सबसे पहले मेरा गिफ्ट!" रिया बोली|
रिया ने अपना गिफ्ट शालिनी जी के हाथ मे दिया|
" रिया बेटा! क्या है इसमे? " शालिनी जी ने पूछा|
" आप खुद देख लिजीए|" रिया बोली|
जब शालीनी जी ने वो गिफ्ट खोला तो उसमे बहुत ही सुंदर सोने के कंगन थे|
रिया और रेवती को लग रहा था की वो गिफ्ट खोलते ही शालिनी जी बहुत खुश हो जायेंगी पर वो देखकर उनके चेहरे का रंग अचानक उतर गया|
" रिया! रेवती! ये.... ये तो सोने के है! तुम लोगों को ये लाने की ज़रूरत नही थी| तुम लोग पहले से ही इतनी मुश्किलो से...... "
" तो क्या हुआ शालिनी जी! कोई बात नही! ये खास हमने आप ही के लिए बनवाये थे!" रेवती शालिनी जी की बात काटते हुए बोली|
" नही नही रेवती! मैं ये नही रख सकती|" शालिनी जी ने साफ मना कर दिया| ये सुनकर रेवती का मन नाराज हो गया|
पर उसने शालिनी जी को बहुत समझाया तब जाकर कही वो मानी|
"अब मेरी बारी!" रुद्र बोला
"तो आप दोनो का गिफ्ट ये है कि आज सुबह आपकी सालगिराह की मौके पर हम सब पिकनिक जायेंगे और वहा से लौटते ही रात को होगी एक शानदार पार्टी! वो भी मेरी तरफ से!"
ये सुनते ही सबने खूब तालिया बजायी|
"लेकिन रुद्र इस सब की क्या जरूरत है? " विवेक जी बोले|
" जरूरत है पापा! ये मेरा गिफ्ट है तो आप मना नही कर सकते ओके!" रुद्र बोला|
शालिनी जी और विवेक जी मान गए|
"आँटी आप ये कंगन रात की पार्टी मे जरूर पहनना|" रिया बोली|
शालिनी जी ने भी मान लिया|
गौरी ने अब तक उन्हे कोई गिफ्ट नही दिया था| रेवती को गौरी को नीचा दिखाने का ये बहुत ही अच्छा मौका लगा इसलिए वो बोली, " गौरी! तुम गिफ्ट नही दोगी इन्हें? आज इनके शादी की सालगिराह है! सबने गिफ्ट दिये है! तुम नही दोगी? या फिर तुम कोई गिफ्ट लायी ही नही! और अगर गिफ्ट लायी भी होगी तो कोई मिडल क्लास ही लायी होगी! ये बेचारी भी तो मिडल क्लास ही है!"
रेवती हसते हुए बोली|
रेवती की बात गौरी को बहुत बुरी लगी| गौरी को क्या ये बात सबको बूरी लगी|
"वो.... वो आँटी..... आपका गिफ्ट..... वो..... " गौरी नजरे चुराते हुए बोल रही थी ताकि उसकी उदासी किसी को पता ना लगे|
ये बात सबके समझ मे आ गई|
गौरी कुछ बोल नही पायी| वो सीधे हॉल के सामने वाली दीवार के पास गयी| वहा एक बडा सा परदा लगा हुआ था|
गौरी ने विवेक जी और शालिनी जी के तरफ हँसकर देखा और वो परदा हलकेसे खींचा| जैसे ही वो रेशम का परदा नीचे गिरा| सबकी आँखे चकाचौंध हो गई|
सामने विवेक जी और शालिनी जी की बहुत ही बडी पेंटिंग थी|
वो देखकर दोनो बहुत ज्यादा खुश हुए|
" गौरी बेटा! हमने तो कभी ऐसी तस्वीर नही खींचवायी! तो ये? " विवेक जी बोले|
"अंकल! आँटी! ये पेंटिंग मैने बनायी है!" वो मुस्कुराते हुए बोली|
ये सुनते ही सब चौंक गए....
विवेक और शालिनी जी को तब याद आया की गुरुजी ने उन्हे बताया था कि महारानी भैरवी को चित्रकारी भी पसंद थी| जब राजवीर पहली बार उससे मिलने उसके कमरे मे गया था तब वो चित्र ही बना रही थी|
वो दोनो भागकर उसके पास गए| उन्होने उस पेंटिंग को छुआ| उनकी आँखें नम हो गई|
उन्होने गौरी को गले लगा लिया|
"गौरी बेटा! आपने ये हमारे लिये........
हमे आपका गिफ्ट बहुत ही ज्यादा पसंद आया बेटा!
सारे किमती तोहफे एक तरफ और ये चित्र एक तरफ! बहुत सुंदर पेंटिंग बनायी है आपने!" विवेक जी बोले|
ये सब देखकर रुद्र मन ही मन बहुत खुश हो गया पर रेवती को गौरी पर बहुत गुस्सा आया|
सब लोग उनके पास आये|
रुद्र और रिया भी विवेक और शालिनी जी से लिपट गए|
"आप सब लोगो ने ये सब हमे सरप्राइज देने के लिए किया| लेकिन आपको पता है हम कितना डर गए थे!" शालिनी जी ने गौरी का कान पकडते हुए कहा|
"आह्ह्ह्ह..... आँटी.... नही! दर्द हो रहा है! " वो बोली|
"आँटी नही! तुम मुझे अपनी ममा ही कहा करो! मै भी तो तुम्हारी ममा ही हू ना! मैने तुम्हें कभी रुद्र से कम नही समझा| तुम भी मुझे अपनी ममा मानती हो ना बेटा?" अब शालिनी जी भावूक होकर पूछ रही थी|
गौरी झट् से उनके गले लग गयी| उसे अपनी ममा की याद आ ग
"ममा!" उसने उन्हे ममा कहके पुकारा|
"पापा!" पापा कहकर वो विवेक जी के भी गले लग गयी|
"मैने कभी अपने पापा को नही देखा लेकिन जबसे आपको जाना है! कभी पापा की कमी महसूस हो नही हुई!" वो रोते हुए बोली|
ये देख सारा वातावरण भावूक हो गया|
" अच्छा! तो अब ये इमोशनल सीन खतम करते हैं और सोने चलते हैं| कल सुबह जल्दी ही हमे पिकनिक के लिए निकलना है|" रुद्र के कहने पर सब सोने चले गए|
सुबह सुबह जल्दी वो लोग रुद्र की जीप मे पिकनिक के लिए निकल पडे! रिया रुद्र के पास जाकर बैठ गई इसलिए गौरी को बहुत गुस्सा आ रहा था पर वो दिखा नही रही थी पर ये बात रुद्र को समझ मे आ गई|
रुद्र उन्हे पास ही के किसी पिकनिक स्पॉट पर ले जा रहा था|
आज मौसम भी उनका साथ दे रहा था| वहा ज्यादा धूप थी ना ज्यादा गर्मी और ना ही वहा ज्यादा भीड थी! विवेक और शालिनी जी तो बहुत खुश थे|
सबने साथ मे खूब मजे किये| रुद्र और रिया बैडमिंटन खेल रहे थे| उन्हें साथ मे देखकर रेवती बहुत खुश थी पर गौरी का गुस्सा सातवे आसमान पर था| रुद्र का गौरी पर पूरा ध्यान था और अबकी बार तो रेवती का भी रुद्र पर ध्यान था| उसे समझ आ गया की रुद्र है तो रिया के साथ पर उसका पूरा ध्यान गौरी पर है|
तभी अचानक खेलते खेलते रुद्र और रिया के बीच मीठी सी नोंकझोक होने लगी| उन्हे देखकर सब हंस रहे थे पर गौरी चूप थी और इसी झगडे झगडे मे रिया रुद्र के उपर गिर पडी और उसकी लिपस्टिक का दाग रुद्र के सफेद टी-शर्ट पर लग गया| सब लोग उनकी तरफ भागे| पर ये सब देखकर गौरी का गुस्सा आपे से बाहर हो गया| वो वहा से चली गई| रेवती ने उसे गुस्से मे जाते हुए देखा था|
सब लोग उनसे पूछ रहे थे कि कही उन्हे चोट तो नही लगी पर वो दोनो ठीक थे| रुद्र की नजरे गौरी को ढुंढने लगी पर वो तो वहा कही नही थी|
इसके बाद रेवती गौरी के पीछे पीछे चली गई| उसे गौरी पर बहुत गुस्सा आ रहा था|
इधर गौरी एक झरने के किनारे आकर बैठी थी| वो अपना गुस्सा शांत करने की कोशिश कर रही थी| रेवती उसे ढूँढते ढूँढते वहा तक आ गई|
"मुझसे कहते हैं कि हम दोनो सिर्फ दोस्त है! तो फिर इतना चिपकते क्यो है?
मेरे भी दोस्त है! वो तो नही चिपकते मुझसे ऐसे! आआआआआहहहह!!!!
मै ना एक दिन रुद्र का खून कर दूंगी!" गौरी गुस्से मे अपने आप से बडबडा रही थी|
पर ये सारी बाते रेवती ने सून ली और जो समझना था वो समझ गई|
"अगर मैने अभी इस लडकी को नही रोका ना तो ये मेरे सारे सपनो पर पानी फेर देगी| मुझे कुछ ना कुछ तो करना ही होगा इसका!" रेवती वही खडी होकर कुछ सोचने लगी और दूसरे ही पल उसके दिमाग मे एक शैतानी खयाल ने जन्म लिया|
वो धीरे धीरे से गौरी के पीछे आकर खडी हो गई पर गुस्से मे होने की वजह से गौरी को पता भी नही चला| रेवती ने पूरा जोर लगाकर गौरी को पानी मे धक्का दे दिया| उसी के साथ गौरी पानी मे गिर पडी| इससे पहले की वो रेवती को देखे रेवती वहा से भाग गई|
गौरी को तैरना नही आता था इसलिए वो पानी मे छटपटाने लगी|
इधर रुद्र गौरी को यहा वहा ढूंढ रहा था पर उसे गौरी कही मिल नही रही थी| तभी उसे सामने से आती हुई रेवती जी दिखाई पडी|
"आँटी आप वहा कहा गई थी? " रुद्र ने अचानक रोक कर उससे पूछा| रुद्र के अचानक रोकने से वो डर गई| उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो उससे क्या कहे|
" वो.... वो.... रुद्र बेटा! उस तरफ वॉशरुम है| मै वॉशरुम गई थी|" वो बोली|
"ओह सॉरी! अच्छा आँटी तो क्या आपने गौरी को देखा वहा? क्या गौरी है उस तरफ?" रुद्र ने पूछा|
"गौरी? उस तरफ? नही तो! गौरी तो नही है वहा! "रेवती ने रुद्र को वही रोकने के लिए झूठ बोला|
"क्या हुआ रुद्र?" विवेक और शालिनी जी वहा आ गए|
"पापा! वो गौरी कबसे कही दिखाई नही दे रही है| ये सारा जंगल का हिस्सा है तो मुझे उसकी चिंता हो रही है| " रुद्र बोला|
"तुम सच कह रहे हो रुद्र! मैने भी गौरी को कबसे नही देखा|" शालिनी जी बोली|
ये सुनते ही सब को गौरी की चिंता होने लगी और सब गौरी को हर तरफ ढूंढने लगे| रेवती भी गौरी को ढुंढने का नाटक करने लगी|
उधर गौरी बिचारी पानी मे छटपटा रही थी और सोच रही थी की हमेशा की तरह काश कही से रुद्र आ जाये उसे बचाने|
वो रुद्र को ही आवाज़ लगा रही थी|
उधर रुद्र अचानक गौरी को ढुंढते ढूंढते रुक गया और अचानक उसी ओर भागा जहा रेवती ने उसे जाने से मना किया था|
रेवती की नजर जैसे ही रुद्र पर पडी वो डर गई और रुद्र के पीछे भागी| रुद्र और रेवती दोनो को एक ही ओर भागता देख विवेक और शालिनी जी भी उनके पीछे पीछे भागे|
बेचारी गौरी अब थक गई थी| अब उसकी हरकते कम होने लगी|
रुद्र भागते भागते उस झरने के पास आया और इधर उधर गौरी को ढुंढने लगा|
गौरी को वो दिखा पर अब उसमे रुद्र को आवाज देने की ताकत नही बची थी| उसने अपना पूरा शरीर छोड दिया| अब उसकी आँखे बंद होने लगी|
तभी रुद्र की नजर पानी पर तैरते उसके दुपट्टे पर पड
वो देखते ही रुद्र के पाँव जम गए| दुपट्टे के पास ही गौरी का हाथ उसे दिखाई पडा|
अचानक उसे वो अजीब से दृश्य दिखाई देने लगे पर धुंधले धुंधले! भैरवी का झरने मे गिरना, उसे बचाने के लिए उसका यानी सेनापति वीर का पानी मे छलाँग लगाना!
इसी के साथ "भैरवी!" वो जोर से चीँख पडा| रेवती विवेक जी और शालिनी जी ने भी उसकी आवाज सुनी|
वो लोग भी वही पहुंचे| सामने का नजारा देख वो जो समझाना था समझ गए| रूद्र ने गौरी को भैरवी कहकर पुकारा ये बात विवेक जी और शालिनी जी के समझ में आ गई|
रुद्र भागते हुए झरने के पास आया और बिना कुछ सोचे समझे पानी मे छलाँग लगा दी|
सबकी तो साँस ही रुक गई|
रुद्र जैसे तैसे तैर कर गौरी तक पहुंच पानी का बहाव तेज था|
गौरी की आँखे बंद हो गई थी| वो पानी की गहराई मे जाने लगी थी|
रुद्र ने उसकी कमर पर अपने हाथों का पाश डाला और खींचकर उसे पानी से बाहर ले आया| उसने गौरी का चेहरा पानी से बाहर निकाला| पर वो बेहोश हो गई थी|
रुद्र गौरी को पकडकर तैरते हुए किनारे की तरफ आने लगा|
उनको बाहर आता देख सबकी जान मे जान आयी|
ये सारा नजारा बिल्कुल वैसा ही था जब सेनापति वीरभद्र ने युवराज्ञी भैरवी को बचाया था|
रुद्र गौरी को किनारे पर लाया| वो बाहर आया और गौरी को उठाकर पानी से दूर ले गया|
सब लोग उनके पास आये|
विवेक जी और शालिनी जी गौरी के पास बैठ गए| उसको इस हालत मे देखकर वो डर गए थे|
" गौरी! गौरी बेटा!" विवेक जी और शालिनी जी रुद्र से पूछने लगे| शालिनी जी तो लगभग रोने लगी|
वो गौरी के हाथ पैर मलने लगे|
"भैरवी! भैरवी उठो! देखो ना भैरवी! मै हू! उठो ना भैरवी!" रुद्र रो रहा था|
सब लोग उसी की ओर देखने लगे| सब सोच मे पड गए की वो गौरी को भैरवी क्यो पुकार रहा था|
सिवाय विवेक जी और शालिनी जी के क्योंकि वो सच्चाई जानते थे|
रुद्र गौरी के पेट पर प्रेशर डाल रहा था| उसके हाथ पैर मल रहा था पर कोई फायदा नही हो रहा था| वो रो़ये जा रहा था|
तब विवेक जी ने गौरी के नाक के पास अपना हाथ लाया तो उसकी साँस बंद थी| ये देखते ही वो पीछे गिर गए| उन्हें सदमा लगा| सब उनकी ओर देखने लगे| रुद्र भी!
"क्या हुआ विवेक जी? विवेक जी क्या हुआ?" शालिनी जी पूछ रही थी पर विवेक जी कोई जवाब नही दे पा रहे थे|
"विवेक जी हम कुछ पूछ रहे हैं! क्या हुआ? बताइये ना! बताइये!" शालिनी जी चिल्ला चिल्लाकर पूछ रही थी| रुद्र भी जवाब की आस मे उनकी तरफ देख रहा था|
" वो.... गौरी..... उसकी साँस नही चल रही|" विवेक जी को क्या बोलू वो सूझ नही रहा था| उनकी आँखों से आँसू छलक पडे|
ये सुनकर सब सुन्न हो गए| शालिनी जी की तो जान ही निकल गई^
पर रेवती को मन ही मन बहुत खुशी हुई| रिया भी दुखी थी| वो भी रो रही थी|
"नही! नही! ऐसा कैसे हो सकता है! ऐसा नही हो सकता!" रुद्र ने गौरी का सिर अपनी गोद मे ले लिया|
"भैरवी! भैरवी! मेरी बात सुनिये ना! मुझे माफ कर दिजीये!
मै.... मैं आपसे माफी मांगता हू पर ऐसा तो मत किजीये ना मेरे साथ!
मै.... मै वादा करता हूँ कभी आपको दुख नही पहुचाउंगा पर उठ जाइये! उठीये ना! उठीये!
आप जानती है ना कि अगर आपको कुछ हो गया तो मै जी नही पाउँगा! उठीये ना! बस एक बार उठ जाइये!" रुद्र उसे उठाने की कोशिश कर रहा था पर कोई फायदा नही था|
"भैरवी!! " रुद्र बहुत जोर से चिल्लाया और गौरी को अपने सीने से लगाकर रोने लगा| उसका आक्रोश दिल दहला देने वाला था|
वो चिल्ला चिल्लाकर रो रहा था| उसे रोता देख वहा खडे हर शख्स की रूह काँप गई|
रुद्र ने एक पल के लिए रोना बंद किया और गौरी का चेहरा अपनी हथेली मे लेकर उसे डीप किस कर लिया|
(जब भैरवी बेहोश थी तब वीर ने भैरवी को होश मे लाने के लिए उसक़े मुंह मे साँस भरी थी|)
वो इस हालत मे था कि उसे सामने खडे किसी शख्स की खयाल नही आया| अपने माता पिता का भी नही!
रेवती और रिया के तो होश उड गए|
विवेक जी और शालिनी जी रुद्र के दिल का हाल समझ सकते थे| वो मैच्युर पैरेंट्स थे|
वो दोनो भी बहुत ज्यादा रो रहे थे|
कुछ पल बाद रुद्र खुद गौरी से अलग हो गया और गौरी का चेहरा अपने सामने करके कहने लगा|
"उठो ना! अब तो उठ जाओ! मै नही रह सकता तुम्हारे बिना! अगर तुम नही उठी तो मै भी जी नही पाउंगा!" रुद्र रोते हुए कहने लगा पर कोई फायदा नही!
उसकी ये पागलो जैसी हालत देखकर विवेक जी और शालिनी जी को और ज्यादा रोना आने लगा|
रिया तो ये सब सुनकर सब कुछ समझ गई थी|
रुद्र ने गौरी को नीचे रखा और उससे मुंह मोड लिया| वो उसकी तरफ पीठ करके आगे चला गया और सामने वाले पेड पर पंच करके अपना गुस्सा निकालने लगा|
सब रो रहे थे| तभी अचानक एक आवाज ने सबका ध्यान अपनी ओर खींचा|
वो आवाज गौरी के खाँसने की थी|
रुद्र ने चौंक कर मुडके देखा|
गौरी ने खाँसते हुए सारा पानी मुंह से बाहर निकाल दिया और एक गहरी साँस भरी| वो अपनी आँखें खोलने लगी|
ये देखते ही रुद्र भागकर गौरी के पास आया| उसने गौरी को सीने से लगा लिया| उसके आँसू थे कि रुकने का नाम नही ले रहे थे पर अबकी बार ये खुशी के आँसू थे|
विवेक जी और शालिनी जी की भी जान मे जान आयी|
पर रेवती! उसका तो सारा प्लान फेल हो गया| उसको बहुत गुस्सा आ गया पर रिया खुश थी|
" गौरी! गौरी तुम ठीक तो हो ना?
तुमने तो हम सबको डरा ही दिया था| अब कभी ऐसा मत करना| मुझे छोडकर जा रही थी तुम? वादा करो! वादा करो कि तुम अब कभी ऐसा नही करोगी!" रुद्र कहने लगा|
गौरी ने बस गर्दन हिलाकर हामी भर दी|
विवेक जी और शालिनी जी उनको साथ देखकर बहुत ज्यादा खुश थे|
रुद्र ने फिरसे गौरी को गले से लगा लिया|
गौरी बहुत कमजोर लग रही थी|
"रुद्र बेटा! हमे गौरी को घर लेकर जाना चाहिए| वहा ये आराम कर पायेगी|" विवेक जी की बात से रुद्र सहमत था|
रुद्र ने गौरी को उठाया और वे सब लोग गाडी की ओर चल पडे|
अब वो सिलसिला शुरू हो गया था जहा रुद्र और गौरी को अपना पिछला जन्म याद आ जाये|