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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 7)

15 अक्टूबर 2021

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रुद्र को अब कुछ भी करके वह माला ढूँढ कर गौरी तक पहुंचानी थी|
जब रुद्र उस जगह पहुंचा तब पुलिस सभी लोगों को ले जा चुकी थी| 
रुद्र ने सब जगह ढूँढा पर उसे वह माला नही मिली|


अब वो हताश होकर लौटने ही वाला था की उसका पैर लडखडाया और वो रास्ते पर ही गिर पडा|

शिवजी की क्रुपा से रुद्र को वो माला उसी जगह गौरी के दुपट्टे के साथ लिपटी रास्ते के एक कोने मे पडी दिखी| 

रुद्र ने जैसे ही वह माला देखी वो बहुत खुश हो गया| उसने वो माला उठायी| उसी के साथ पास मे जो मातारानी का मंदिर था उसकी घंटिया जोर जोर से बजने लगी|  

रुद्र ने मातारानी का धन्यवाद किया और गौरी की ओर चल पडा|



ये सब माँ पार्वती का ही चमत्कार था जो गौरी को हर मुसीबत से बचा रहा था|









रुद्र जब घर पहुंचा| वो सीधे गौरी के कमरे मे पहुंचा|


उसने देखा की विवेक और शालिनी जी भी वहा मौजूद थे| वो सब गौरी के पास ही बैठे थे| 

रुद्र को देखते ही सीमा जी भाग कर उसके पास आयी|


"रुद्र!  रुद्र आपको माला मिली? बताइये ना बेटा! मिली आपको माला?"

रुद्र ने अपने हाथ मे जो माला थी वो उन्हें दिखाई|

माला देखकर सब खुश हुए|

शालिनी जी रुद्र के पास आयी और कहने लगी, "रुद्र बेटा जल्दी किजीए| इससे पहले की इंजेक्शन का असर उतर कर गौरी जाग जाए, ये माला गौरी के गले मे बाँध दिजीए|जल्दी किजीए|"

रुद्र ने जल्दी से वो माला गौरी के गले मे बाँध दी|



जैसे ही रुद्र ने वो माला गौरी के गले में बाँधी,
(इधर शिवजी के भव्य मंदीर मे गुरुजी शिवजी के ध्यानावस्था मे बैठे थे|) गुरुजी ने अपनी आँखें खोली|


"ओम नम: शिवाय! ओम नम: शिवाय!


हे प्रभु! ये आपकी ही महिमा है जो आपके अंश को माँ पार्वती के अंश के और समीप ला रही है|


परंतु प्रभु,

ये क्यों रचा है आपने? क्यों उस व्यक्ति का इस गाथा मे प्रवेश करवा रहे हैं आप? क्यो प्रभु? क्यो? 




जिनको आपने और माता पार्वती ने स्वयं अपना आशीर्वाद देकर, आपके प्रेम का प्रतीक बनाकर इस धरती पर भेजा है,  उनके जीवन मे ये दुखद मोड क्यो? प्रभु क्यो?


उस जनम मे ना सही पर इस जनम में आपको उन्हें एक दूसरे का बनाना ही होगा! बनाना ही होगा प्रभु! हे भोलेनाथ! आपको उन्हें समीप लाना ही होगा!"


गुरुजी शिवजी के आगे हाथ जोड़कर कह रहे थे| ये सब कहते कहते गुरुजी की आँखे नम हो गई| वे शिवजी के समक्ष झुक गए| तभी हवा से उनके बिलकुल सामने शिवजी के हाथ मे जो फूल था, वो गिरा| वो देखकर गुरुजी ने अपने आँसू पोछे और वो फूल अपने हाथ मे उठाकर कहने लगे|



"हे मेरे भोलेनाथ! हे प्रभु! मै सब समझ गया| इसमे अवश्य आपकी कोई लीला हैं| इसके पीछे अवश्य कोई बडा कारण होगा| मुझे क्षमा कर दिजीए प्रभु! क्षमा कर दीजिए!

ओम नम: शिवाय!ओम नम: शिवाय!" उन्होने प्रसन्न होकर वो फूल अपने आँखों पर लगाया और फिर से ध्यान में लीन हो गए|
















सुबह हो गई|
जैसे ही सुबह गौरी को होश आया, वो घबरा कर उठ गई| पर उसके हाथ मे दर्द उठा| कल उसे बहुत चोट लगी थी| सबसे पहले उसने अपने आसपास देखा| उसे कुछ दिखाई नही दिया| तब उसने देखा की उसकी माला उसके गले मे हैं| तब उसने राहत की साँस ली|
वो उठकर हॉल मे आयी| पर उससे चला भी नही जा रहा था| उसके पैर मे भी चोट आयी थी|


सामने का नजारा देखकर वो तो चौक ही गई| 

सब लोग डाइनिंग टेबल पर ब्रेकफास्ट के लिए उसका वेट कर रहे थे|
विवेक : अरे भई रुद्र! कहा रह गए आप? जल्दी किजीए! हमे ऑफिस जाना है| लेट हो रहा हैं| हमे भूख भी लगी है बेटा|

शालिनी : हा रुद्र! जल्दी आइये हमे भी भूख लगी है! और कितनी देर? 


सीमा जी तो बस उन्हें देखकर हस रही थी|


तभी किचन से रुद्र निकला| उसके एक हाथ मे पराठों की प्लेट और एक हाथ में हलवेे का बोल था|

विवेक : क्या बना के लाये है भाई? खुशबू तो लाजवाब हैं|

रुद्र ने पराठे और हलवा टेबल पर रखे और सबको अपने हाथ से परोसने लगा|


रुद्र : ये लिजीए!  पेश है आलू के पराठे और सुजी का हलवा!

सीमा : वाव! ये सब तो गौरी का फेवरेट हैं!

रुद्र : तो आपको क्या लगा? ये सब आपके लिए है? ये तो हम सब की प्यारी गौरी के लिए है!

शालिनी : ये लो! ये सब गौरी के लिए हो रहा था और हम सोच रहे थे की हमारे लिए है!


विवेक :  कोई बात नही!  पर जिसके लिए ये सब बना है वो है कहा? सीमा जी आप जल्दी से गौरी को बुलाकर ले आइये|

सीमा : मै अभी उसे बुलाकर लाती हू|


सीमा जी गौरी को लेने जा ही रही थी की उन्हें सिढीयों पर खडी गौरी दिखाई पडी|


सीमा : ये देखिए! गौरी तो यही खडी है|

सब ने गौरी को एक प्यारी सी स्माइल दी|
पर गौरी को अब भी क्या चल रहा है कुछ समझ नही आ रहा था|

गौरी को देखते ही रुद्र उसके पास गया|

"गौरी तुम उठ गई ? ये देखो! मैने तुम्हारे लिए क्या बनाया है| तुम्हारा फेवरेट सुजी का हलवा और आलु के पराठे!"
रुद्र गौरी का हाथ पकड़कर उसे डाइनिंग टेबल के पास ले आया| उसने गौरी को चेअर पर बिठाया और उसे सर्व्ह करने लगा|


गौरी कुछ समझ नहीं पा रही थी|

"क्या हुआ गौरी बेटा? आप ठीक तो हो ना?" शालिनी ने उसके सिर पर हाथ रखकर पूछा|

"हाँ! मै ठीक हू आँटी! पर...पर आप सब लोग? यहा?"


"क्यों? हम आपके साथ ब्रेकफास्ट नही कर सकते क्या?" विवेक जी ने कहा|


"अरे नही अंकल! मेरा वो मतलब नही था! सॉरी! " 

"कोई बात नहीं बेटा| मै तो मजा़क कर रहा था|"


"पापा! आप बातें बंद किजीए और नाश्ता करीए| वरना आप ऑफिस के लिए लेट हो जायेंगे|" रुद्र ने उसके पापा को डांटते हुए कहा|


"आप मतलब? गौरी ने पूछा| 


"मतलब ये की आपने ऑफिस से 2 दिन की छुट्टी ली है और बॉस ने वो दे भी दी है|" विवेक जी ने हंसते हुए कहा|

ये सुनकर गौरी के चेहरे के भाव बदल गये|



"छुट्टी? लेकिन क्यों अंकल? मै घर नही रह सकती| कितना काम पेंडिंग पडा है ऑफिस मे! वो सब आप कैसे करेंगे? मुझे छुट्टी की जरूरत नहीं है| वैसे भी मै बिलकुल ठीक हू| एकदम फिट! फिर छुट्टी क्यो?" 
ये कहकर वो उठने लगी| पर उसके पैर मे अचानक दर्द उठा और वो दर्द से कराह उठी| वो गिरने ही वाली थी पर रुद्र ने उसे संभाल लिया|

सब की तो जान ही निकल गई थी| पर रुद्र की बाहो मे गौरी को देख सब ने राहत का साँस ली|
रुद्र ने उसे संभाल कर चेअर पर बिठाया|



"देखा! इसलिए दी है आपको छुट्टी| अब आप दो दिन आराम करीए अँड डोन्ट वरी आपको कंपनी देने के लिए रुद्र ने भी आज के दिन छुट्टी ली है| मै कल का तो नही कह सकता पर आज आपको बोर बिल्कुल नही होगा|" 

गौरी ने रुद्र की तरफ गुस्से से देखा| वो उसकी तरफ देखकर स्माइल कर रहा था| पर गौरी को वो अच्छा नही लगा क्योंकि वो घर रहना नही चाहती थी|



"मैडम! अब गुस्सा करना बंद करीए और नाश्ता करीए| मैने कितनी मेहनत से ये सब बनाया है तुम्हारे लिए! खाकर बताओ कैसा है?"


सब गौरी को ठीक देखकर खुश थे| सब लोग नाश्ता करने लगे|



गौरी ने प्लेट की तरफ हाथ बढाया| पर उसके हाथ मे अचानक दर्द उठा| सीमा जी ने रात को वहा पट्टी की हुई थी| दर्द इतना था की गौरी के आँसू निकल आये और वो दर्द से तडप उठी सब की तो साँस ही थम गई|


रुद्र जल्दी से उसके पास बैठा|

"गौरी! तुम ठीक तो हो ना? अगर दर्द है हाथ मे तो बताना चाहिए ना! इतनी बडी हो गई हो लेकिन जरा सी अक्ल नही है तुम मे!" रुद्र की गौरी को पडने वाली प्यार भरी डाँट देखकर सब हंस पडे|


रुद्र खुद अपने हाथों से उसे खिलाने लगा|
पर गौरी को वो बहुत अजीब लग रहा था| इसलिए वो सबकी ओर देखने लगी|


"हमारी ओर क्यों देख रहे हो आप? हमारा इतना नसीब कहा की हमे रुद्र के हाथ से खाने का मौका मिले! आप ये मौका मत छोडिये| खाइये|" शालिनी जी की इस बात पर सब हसने लगे|

रुद्र गौरी को प्यार से खिलाने लगा|

रुद्र को गौरी की इतनी फिक्र करते देख सीमा जी को बहुत अच्छा लगा| वो अलग ही सोच मे पड गई|


शालिनी जी को रुद्र का व्यवहार कुछ अजीब लग रहा था| उन्हे रुद्र पर शक होने लगा कि कही जिस लडकी के बारे मे रुद्र ने उन्हें बताया था वो गौरी तो नहीं!


विवेक जी नाश्ता होने के बाद ऑफिस चले गए|


"अपना ख्याल रखना बेटा!" सीमा जी ने गौरी के माथे पर किस किया और हॉस्पीटल चली गई|

"आँटी आप बिल्कुल चिंता मत किजीए मै हूँ गौरी के साथ!" रुद्र ने कहा|

"मै भी आप ही के साथ चलती हूँ सीमा जी|" शालिनी जी भी उनके साथ निकल गई|


अब घर मे बस रुद्र और गौरी थे|
दोनों को क्या बोले वो समझ नही आ रहा था|


"मै ये सब समेट लेता हूँ गौरी! तुम अपने कमरे में जाकर आराम करो|" रुद्र ने ही शांति तोडते हुए कहा|


"आप... आप ये सब क्यो कर रहे हैं रुद्र रहने दिजीए| मै कर लुंगी|"

"ठीक से खडी तो हो नहीं पा रही हो और कह रही हो की सारा काम कर लुंगी| जितना कहा उतना करो जाओ और आराम करो|" रुद्र ने उसे डांट लगा दी|


गौरी का चेहरा उतर गया और वो अपने कमरे मे चली गई| उससे अब भी चला नही जा रहा था|










कुछ देर बाद.... 


रुद्र गेस्ट रुम मे बैठकर पुलिस कमिश्नर से बात कर रहा था| 

"मुझे कुछ नही सुनना है कमिश्नर! आप को जितना कहा जाये बस उतना किजीए| भले ही कितनी भी कोशिश क्यो ना कर ले कोई पर हर्ष बाहर नही आना चाहिए| मेरे ऑफिस का एक आदमी आपके ऑफिस के बाहर ही खडा है, उसके पास मेरा साइन किया हुआ ब्लँक चेक है| जितनी अमाउंट चाहिए उतनी भर दिजीयेगा उसमे! पर हर्ष बाहर नही आना चाहिए| उसने गौरी के साथ जो किया हैं उसके लिए तो ये बहुत कम सजा है|

(उधर से कमिश्नर ने कुछ कहा इस वजह से उसपर रुद्र भडक उठा|) 

इट्स नन ऑफ युअर बिजनेस कमिश्नर! वो मेरी कौन लगती है, क्या है इससे आपको क्या? बस इतना जान लिजीए की वो बहुत खास हैं मेरे लिए और सिर्फ मेरे लिए ही नही पूरे सिंघानिया ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज् के लिए! जितना कहा जाये उतना किजीए!" इतना कहकर उसने गुस्सेमें फोन काट दिया| वो अब भी गुस्से मे था|


ये सब बाहर खडी गौरी सुन चुकी थी| गौरी सोच मे पड गई थी| शायद अब उसे थोडी बहुत रुद्र के मन की बात समझ आने लगी थी| पर उसने इग्नोर किया|



उसने दरवाजा खटखटाया|


"क्या मै अंदर आ सकती हूँ?" उसने ऐसे दिखाया मानो उसने कुछ सुना ही ना हो|

गौरी को देखते ही रुद्र का सारा गुस्सा मानो गायब हो गया|


"गौरी! अरे आओ ना तुम्हें पूछने की जरुरत थोडी ना है!"


गौरी अंदर रुद्र के पास गई|

"अच्छा हुआ तुम आ गई|मुझे तुमसे कुछ बात करनी थी|" रुद्र ने कहा|

गौरी बेड पर बैठ गई और रुद्र को भी हाथ पकड़कर अपने पास बिठा लिया|


"मै जानती हूँ आपको मुझसे क्या बात करनी है!"

थोडे समय के लिए कमरे मे शांति छा गई|

"रुद्र! इस बारे मे आज तक मैने ममा से भी बात नही कि है| 
आप लोग जो मुझे इतना अच्छा समझते हो ना, मै उतनी अच्छी नही हू| मै बहुत सेल्फिश हू| बहुत ही ज्यादा!" 
इतना कहकर गौरी बहुत रोने लगी|

"तुम ऐसा क्यों कह रही हो गौरी? ऐसा कुछ भी नही है|" रुद्र ने उसका हाथ अपने हाथ मे लेकर कहा|


"ये सच हैं रुद्र! कल मेरे साथ जो हुआ मै जानती हूँ के आपको ममा ने सब बता दिया है| वो सब सच है|
मुझे... मुझे सच मे वो लोग दिखाई देते हैं|" अब रुद्र और गौरी दोनों के चेहरे पर डर साफ नजर आ रहा था|


"मै नही जानती के ये सब मेरे साथ ही क्यों? पर वो लोग मुझसे मदद माँगते है| मेरे पास आकर अपना दर्द बताने की कोशिश करते हैं पर...... पर मै.......मै कायर हू| मै चाहकर भी उनकी मदत नही कर पाती| अपने डर के आगे मुझे उन लोगों का दर्द दिखाई ही नहीं देता!" गौरी फिर से रोने लगी|


"पर मेरा विश्वास करीये रुद्र! मै ये सब जान बुझकर नही करती| मै बहुत डर जाती हू| मै उन्हें देखकर अपना डर काबू ही नही कर पाती| प्लीज मेरा विश्वास करीये|


कई बार मैने कोशिश की...घर मे, ऑफिस में,  बाहर, की मै ये माला निकाल दू और उनकी मदद करू| पर जैसे ही मै उन्हें देखती हू, बहुत डर जाती हूट इतनी ज्यादा की अपना डर काबू नही कर पाती|" 
वो फुट फुटकर रो रही थी|

रुद्र ने उसे गले लगा लिया|

"रो मत गौरी! इस सब मे तुम्हारी गलती नहीं है| तुम्हारी जगह कोई दूसरा होता ना तो शायद कोशिश भी नही करता, जो तुम करती हो! तुम बहुत बहादूर हो गौरी! मै जानता हूँ| हम सब जानते हैं| बस्स! अब रोना बंद करो|" रुद्र उसे समझा रहा था|



उसने गौरी के आँसू पोछे|

"जाओ! अब अपने कमरे मे जाकर आराम करो| किसी चीज की जरुरत हो तो मुझे बुला लेना|" उसने गौरी को अपने कमरे मे भेज दिया| गौरी चली गई|




उसने गौरी को तो समझा दिया था पर वो खुद गौरी के लिए बहुत ज्यादा परेशान था| वो बेड पर बैठकर सोच ही रहा था कि उसे गौरी के चिल्लाने की आवाज सुनाई पडी|

वो दौडते हुए बाहर गया|

बाहर आकर देखा तो गौरी नीचे सिढीयों के पास अपना पैर पकडकर बैठी थी| 

रुद्र भागकर उसके पास आया|


"गौरी! क्या हुआ? तुम ठीक तो हो?"
उसने नीचे देखा तो गौरी के अँकल पर जे पट्टी बंधी थी उससे खून निकल रहा था|


"इससे तो खून निकल रहा है! गौरी ये कैसे हुआ?"


"वो मै पानी लेने जा रही थी और मेरा पैर फिसल गया|" गौरी ने रुआँसा होकर कहा|

"अगर तुम्हें पानी चाहिए था तो मुझसे कहती,  मै तुम्हारी मदद करता|  गौरी तुम ना बहुत ज्यादा लापरवाह हो|" रुद्र की बातो मे गौरी के लिए चिंता साफ नजर आ रही थी जो सिर्फ एक दोस्त के लिए नही हो सकती|



शायद गौरी को भी ये बात थोडी थोडी समझ आ रही थी क्योंकि रुद्र जब ये सब कह रहा था तब गौरी बस उसकी आँखों मे देख रही थी|


"अब ऐसे देख क्यो रही हो? उठो! मै मदद करता हूँ|" रुद्र उसे उठने मे मदद करने लगा पर जैसे ही वो उठी, दर्द के मारे फिर से नीचे बैठ गई| वो दर्द से कराह रही थी| 

रुद्र ने कुछ देर सोचा और गौरी को अपनी गोद मे उठा लिया| गौरी कुछ बोल नही पायी|


रुद्र गौरी को उसके कमरे मे ले गया| उसे बेड पर बिठाया| जब उसके पीठ को सपोर्ट देने के लिए रुद्र ने तकिया उसके पीछे रखा, तब रुद्र और गौरी एक दूसरे के बहुत करीब थे| उन दोनों की धडकने बढ गई थी| अब तो गौरी को भी रुद्र की तरफ एक अलग सा खिचाव महसूस हो रहा था|

रुद्र ने गौरी के पैर की पट्टी बदली|

"गौरी आय एम सो सॉरी!" 


"सॉरी! पर  किस लिए?"


"सुबह से तुमपर गुस्सा कर रहा हूँ! आय एम सॉरी गौरी! पर क्या करू?अगर तुमपर आँच भी आयी ना तो मै सहन नहीं कर पाता| पता नहीं मुझे क्या हो जाता है?"

रुद्र की आँखों मे गौरी के लिए प्यार साफ नजर आ रहा था| ये बात गौरी को भी समझ आ रही थी| पर वो नजरअंदाज कर रही थी|


रुद्र ने अपनी फिलींग्ज़ कंट्रोल की और रुम से बाहर चला गया|

उसके जाने के बाद भी गौरी उसी के बारे में सोच रही थी|
उसी बीच उसे कब नींद आ गई उसे पता ही नही चला|




जब उसकी आँख खुली तो शाम हो गई थी| वो कमरे से बाहर आयी तो देखा की सीमा जी कुछ काम कर रही थी|

वो उनके पास गई|


"अरे गौरी! आप उठ गई? अब कैसी है तबियत आपकी?"


"मै ठीक हू ममा|"
पर उसकी नजर हर तरफ रूद्र को ही ढूँढ रही थी|

सीमा जी को ये बात समझ आ गई|


"क्या हुआ गौरी? रुद्र को ढूँढ रही हो?"
गौरी ने बस गर्दन हिला दी|


"वो थोडी देर पहले ही घर गए हैं| मैने कहा की आपसे मिलकर जाये, पर आप सो रही थी तो उन्होंने जगाया नही आपको| "

रुद्र चला गया ये सुनकर गौरी मन ही मन उदास थी पर गौरी ने वो दिखाया नही|
पर सीमा जी भी माँ थी| उन्हें गौरी का रुद्र की तरफ खिंचाव साफ नजर आ रहा थ|




इधर शालिनी जी का भी कुछ ऐसा ही हाल था|
वो बस गौरी रुद्र के बारे मे ही सोच रही थी| वो मन ही मन चाहती थी की रुद्रने जिस लडकी के बारे मे उन्हें बताया था वो गौरी ना हो!
आखिर कर उन्होंने रुद्र से बात करने की ठानी और रुद्र के कमरे मे गई|



रुद्र अपने कमरे की गैलरी मे खडा गौरी की चिंता कर रहा था|
शालिनी जी रुद्र के पास आकर खडी हो गई|



रुद्र :अरे माँ! आप यहाँ?


शालिनी : आपसे कुछ बात करनी थी|


रुद्र : बोलिये ना माँ! 

शालिनी : आपको याद हैं  आपने उस लडकी के बारे मे बताया था जिसने आपकी जान बचायी थी? जिससे आपको प्यार हो गया था? 
क्या आपको कुछ पता चला उस लडकी के बारे में?

रुद्र का मन हो रहा था शालिनी जी को गौरी के बारे में बताने का पर उसने सोचा की वो पहले गौरी को प्रपोज करके गौरी का जवाब जान ले, उसे अपनी जिंदगी में ले आये और फिर वो शालिनी जी को ये खुशखबरी देगा| 


रुद्र : नही माँ! मुझे अभी भी उसके बारे में कुछ पता नहीं चला!

ये सुनते ही शालिनी जी खुश हो गई| 

शालिनी : ओह थैंक गॉड! तुम जानते हो रुद्र तुम्हे गौरी के साथ इतना घुलमिलकर रहते देख मुझे तो लगा था की जिस लडकी के बारे मे तुमने बताया था कही वो गौरी तो नही!


ये सुनते ही रुद्र जरा हडबडा गया| पर उसने बात टालने के लिए नींद आने की नाटक किया और सोने चला गया|






अगले दिन की शाम
रुद्र अाज दिनभर ऑफिस मे काम कर रहा था| रह रहकर उसकी नजर गौरी के केबिन की तरफ जा रही थी पर उसे वहा ना पाकर वो मन ही मन दुखी हो रहा था|

आज ऑफिस में इतना काम था की रुद्र गौरी को एक फोन तक नही कर पाया था| उसे गाैरी की चिंता भी हो रही थी| पर वो कुछ कर भी नही सकता था|
इसलिए उसने सोचा था की आज ऑफिस का काम खत्म होते ही वो गौरी के घर उससे मिलने जायेगा|


ऑफिस का काम खत्म होते ही रुद्र जल्दी से बाहर पार्किंग मे गाडी के पास आया|

उसने देखा की गौरी उसका वही इंतजार कर रही थी| पर उसका ध्यान कही और था|
उसे देखकर रुद्र चौक गया पर साथ ही उसे अच्छा भी लग रहा था

आज फिर एक बार उसे गौरी के पीछे वही गौरी दिखाई देने लगी जो अक्सर उसे गौरी के उसके साथ ना होते हुए दिखाई देती थी| वही सफेद ड्रेस पहने.... नीली आँखें...... लंबे खुले बाल..... बिल्कुल कोई राजकुमारी......! वो आँख के इशारे से ही रुद्र को उसके दिल का हाल पूछ रही थी| रुद्र बस उसकी तरफ देखकर मीठी सी स्माइल दे रहा था| अचानक गौरी( असली गौरी) का ध्यान रुद्र के तरफ जाते ही वो गायब हो गई|


रुद्र खयालो से बाहर आया और गौरी के पास गया|


"गौरी! तुम यहा? सब ठीक तो है ना?"


"सब ठीक है रुद्र! सोचा आज रुद्र इतने ज्यादा बिजी़ है कि उन्होने मुझे एक कॉल तक नही किया, तो मै खुद ही जाकर मिल लेती हूँ|"


"सॉरा गौरी! मै सच मे आज बहुत बिज़ी था| पर मै अब तुमसे ही मिलने आने वाला था| मेरा यकीन करो|"



"अरे अरे!  आप तो सिरीयस हो गए| मै तो मजाक कर रही थी| मै तो यहा आपको लेने आयी हू|"

"लेने? मतलब?"

"मतलब ये की अब आप मेरे साथ चलने वाले हैं|"



"लेकिन कहा?"


"वो तो आपको वहा जाकर ही पता चलेगा| ये एक सिक्रेट है|"


"ओह ओके! लेट्स गो देन!"


"अरे रुकिए... रुकीए! आप ऐसे आयेंगे?" गौरी रुद्र के कपडो की तरफ देख कर जरा मुंह बनाकर ही बोली|

रुद्र ने ऑफिस वियर सूट पहन रखा था|

"क्यों क्या हुआ?" रुद्र बोला|


"आप ऐसे नही चल सकते मेरे साथइन कपडो मे!"


"क्यो? क्या खराबी हैं इन कपडो मे?" रुद्र जरा चौंककर बोला|


"खराबी तो नहीं है लेकिन आप इन कपडो मे नहीं चल सकते| ये लिजीए! ये पहन कर आईये ऑफिस के चेंजिंग रुम से|"
गौरी ने अपने हाथों मे जो बैग था वो रुद्र को पकडा दिया|


"लेकिन ये सब की क्या जरूरत है? "


"चूप्प......!! चुपचाप जाइये और ये पहनकर आइये|" 

गौरी के आगे रुद्र की एक ना चली और वो उस बैग को लेकर चला गया|






गौरी रुद्र का बाहर इंतज़ार कर रही थी| थोडी देर बाद रुद्र चेंज करके बाहर आया|

वो बहुत हैंडसम लग रहा था| व्हाइट जीन्स, व्हाइट टी शर्ट और उसके उपर बेबी पिंक कलर का जैकेट!
गौरी तो उसे देखती ही रह गयी|



वो आकर गौरी के पास खडा हो गया|

"हेलो मैडम.! कहाँ खो गयी?"


" कुछ नहीं! बस सोच रही थी की इस ड्रेस में आप कितने.............." गौरी ने आँख मारते हुए कहा|



"कितने हॉट?" रुद्र ने भी गौरी की टांग खींचने के लिए उसका कहना पूरा कर दिया|


गौरी थोडी अजीब फील करने लगी पर कुछ ही देर मे दोनो एक दूसरे के तरफ देखकर जोर से हँस पडे| क्योंकि रुद्र ने गौरी के दिल की बात बिनकहे जान ली थी|



"बस अब हसना बहुत हो गया| चलिए! जल्दी!"
ये कहकर गौरी जाने लगी|


"गौरी वहा कहा जा रही हो| मेरी गाडी तो यहा है|" रुद्र ने उससे कहा|



"आज हम आपकी गाडी मे नहीं मेरी गाडी मे जायेंगे| " गौरी ने  कहा|


"तुम्हारी गाडी मे मतलब? यु मिन.... तुम्हारी स्कुटी पे राइट?" रुद्र ने पूछा|



" नो! मेरी गाडी मे मतलब मेरी गाडी मे!" गौरी ने रुद्र का हाथ पकड़ा और खींचकर उसे अपनी कार के पास ले गई|


" ये है मेरी कार और आज हम इसी मे जायेंगे| 
एक अमेजिंग बात बताउ? ये मेरे अपने कमाये पैसो से ली कार है!" गौरी अपनी सफेद कलर की गाडी पर हाथ फेरते हुए कहने लगी|


रुद्र की आँखे तो खुली की खुली रह गयी थी क्योंकि उसे पता ही नही था की गौरी के पास कार है और उसे कार ड्राइव करना भी आता है| 


"गौरी तुमने कभी बताया नहीं.... की तुम..... "

"की तुम कार चला सकती हो? तुम्हारे पास कार है? यही ना?
ये कार क्या...मै तो स्पोर्ट्स कार भी चला सकती हूँ! पर मुझे पसंद नहीं इस वजह से!"

गौरी ने रुद्र की बात काटते हुए कहा|

"अब यही पे बातो मे टाइम वेस्ट करना है, या चलना भी है?
जल्दी चलिए|" 


रुद्र हसते हुए गाडी मे बैठ गया|
पर उसके दिल मे कई खयाल चल रहे थे|

"तुम्हें पूरी तरह से जानने के लिए अब भी मुझे बहुत मेहनत करनी पडेगी शायद|" वो मन ही मन सोच रहा था|

गौरी ने कार स्टार्ट की और वो दोनो चल पडे|

11 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

बहुत खूब

7 दिसम्बर 2021

41
रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
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<div>गौरी ने कई बार रुद्र को फोन लगाया पर उसने फोन रिसिव्ह नही किया|</div><div><br></div><div>ऑफिस म

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 11)

19 अक्टूबर 2021
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<div>गौरी की तबियत ठीक होने मे 1-2 दिन लग गए|</div><div><br></div><div>सब उसकी तबियत पर पूरा ध्यान द

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क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 12)

20 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div>2 - 3 दिन तक गौरी ने सिद्धार्थ से बात ही नहीं की| सिद्धार्थ उसे मनाने की क

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 13)

21 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>सुबह सुबह गाव के कुछ

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 14)

22 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र को होश आया| रुद्र के आँखे खोलते ही सारे गाव

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 15)

23 अक्टूबर 2021
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<div>विकास तेजी से कल्याणी की तरफ बढ रहा था|</div><div><br></div><div>कल्याणी ने बहुत कोशिश की वहा स

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 16)

24 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>अविनाश और कल्याणी को

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 17)

25 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>"रुद्र!" गौरी जोर से

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क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 18)

26 अक्टूबर 2021
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<div>सिद्धार्थ गौरी के घर से अपना सामान लेकर हॉटेल चला गया था| वो अपनी गाडी शुरू करने ही वाला था की

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 19)

27 अक्टूबर 2021
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<div>गौरी बाहर बैठी हुई थी| अंदर डॉक्टर सीमा जी को चेक कर रहे थे| बडी बदकिस्मती की बात थी कि जिस हॉस

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 20)

28 अक्टूबर 2021
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<div>देखते देखते कई दिन गुजर गए| अब गौरी भी नॉर्मल होने लगी थी और सिद्धार्थ भी लौट आया था|</div><div

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 21)

29 अक्टूबर 2021
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<div>शालिनी जी और विवेक जी ने अपने निस्वार्थ प्यार से और रुद्र ने अपनी दोस्ती से गौरी कि जिंदगी फिर

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 22)

30 अक्टूबर 2021
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<div>जब रुद्र जागा तो वो वही जमीन पर सोया हुआ था| शायद टेंशन में उसे वही नींद आ गई थी|</div><div>बाह

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 23)

31 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>स्वामीजी को देखते ही दोनो ने उनके च

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 24)

1 नवम्बर 2021
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<div>सेनापति वीरभद्र युवराज्ञी भैरवी के पीछे उन्हें ढुंढने निकल पडे पर जंगल बहुत घना था| उन्हें समझ

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क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 25)

2 नवम्बर 2021
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<div>महल के कुछ बाहर बहुत ही भव्य प्रवेशद्वार था जिसपर सदा कुछ सैनिक तैनात रहते थे|</div><div><br></

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 26)

3 नवम्बर 2021
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<div>प्रजागण भैरवी को लेकर अपने गाँव पहुंचे| भैरवी को देखते ही सारे गाँव वाले बाहर निकल आये|</div><d

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 27)

4 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>"आप ज

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 28)

5 नवम्बर 2021
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<div>आज महल मे हर ओर शहनाई की गूँज थी| सारा राज्य ख़ुशी से झूम रहा था| आज बहुत ही शुभ दिन था| आज खुश

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
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<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
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<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 30)

7 नवम्बर 2021
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<div>सिंघानिया मँशन मे पार्टी की शानदार तैयारीयाँ की गई थी|</div><div>हर तरफ रौशनी, रंगबिरंगे फूल, र

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 31)

8 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>गौरी अपने कमरे मे देर रात तक कुछ का

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 32)

9 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>" आह्ह!!!" गौरी जमीन पर गिर पडी|</div><div><br></d

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 33)

10 नवम्बर 2021
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<div>सिंघानिया मँशन मे रुद्र और रिया की सगाई की तैयारीयाँ शुरू हो गई थी| रेवती तो बहुत ही खुश थी| रि

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 34)

11 नवम्बर 2021
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<div>आगे की कहानी 6 महीने बाद.... </div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>बेताह

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 35)

12 नवम्बर 2021
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<div>रुद्र और गौरी अामने सामने थे|</div><div>दोनो के आँखो से लगातार आँसू छलक रहे थे|</div><div><br><

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

13 नवम्बर 2021
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<div>सब लोग हॉल मे बैठकर शालिनी जी के हाथ का बना हलवा खा रहे थे|</div><div><br></div><div>"आप सब लोग

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 37)

14 नवम्बर 2021
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<div>एक सेवक रुद्र और रिया को लेकर महल के अंदर जा रहा था| जैसे जैसे रुद्र आगे बढ़ रहा था उसे सब बहुत

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 38)

15 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र ने गौरी को नीचे गिरा दिया था| गौरी की कमर मे

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क्या हुआ...तेरा वादा... (भाग 39)

16 नवम्बर 2021
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<div>पूरे महल और पूरे राज्य मे युवराज्ञी के भव्य स्वयंवर की तैयारीया चल रही थी|</div><div><br></div>

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 40)

17 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>गौरी मलबे के नीचे दब गई थी |</div><div><br></div><div>बेहाल होकर पड़ा हुआ रुद्रा

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